Class 12 Political Science Chapter 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन Notes In Hindi

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12 Class Political Science Chapter 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन Notes In Hindi

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPolitical Science
ChapterChapter 6
Chapter Nameअंतरराष्ट्रीय संगठन
CategoryClass 12 Political Science
MediumHindi

Class 12 Political Science Chapter 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन Notes In Hindi इस अध्याय मे हम सयुक्त राष्ट्र संघ , इसके मुख्य अंग , मुख्य एजेंसियाँ – UNESCO , UNICEF , WHO , ILO , सुरक्षा परिषद और इसके विस्तार की आवश्यकता के बारे में विस्तार से पड़ेगे ।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन : –

🔹 ‘ अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘ पद का प्रयोग सर्वप्रथम स्कॉटलैंड के प्रमुख विधिवेत्ता जेम्स लोरिमर ने किया था । अंतर्राष्ट्रीय संगठन उन संस्थाओं को कहते हैं जिनके सदस्य , कार्यक्षेत्र , प्रकृति , भूमिका एवं विस्तार वैश्विक स्तर पर हो । 

🔹 अंतर्राष्ट्रीय संगठन अपने उद्देश्यों में व्यापक होते हैं । जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवादों के समाधान तथा शांति व सुरक्षा स्थापित करने में व विभिन्न देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता :-

🔹 कुछ समस्याएं ऐसी होती है । जिससे निपटना किसी एक देश के लिए आसान नही होता ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संगठन मदद करता है ।

  • अंर्तराष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण समाधान ।
  • युद्धों की रोकथाम में सहायक । 
  • विश्व के आर्थिक विकास में सहायक । 
  • प्राकृतिक आपदा , महामारी से निपटना । 
  • अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना । 
  • वैश्विक तापवृद्धि से निपटना ।

मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन : –

  • लीग ऑफ़ नेशंस
  • संयुक्त राष्ट्र संघ
  • विश्व बैंक
  • विश्व व्यापार संगठन
  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
  • एमेनेस्टी इंटरनेशनल
  • ह्यूमन राइट्स वाच

लीग ऑफ़ नेशंस : –

🔹 पहले विश्वयुद्ध ने दुनिया को इस बात के लिए जगाया कि झगड़ों के निपटारे के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने का प्रयास ज़रूर किया जाना चाहिए । इसके परिणामस्वरूप ‘ लीग ऑव नेशंस ‘ का जन्म हुआ । शुरुआती सफलताओं के बावजूद यह संगठन दूसरा विश्वयुद्ध ( 1939-45 ) न रोक सका । पहले की तुलना में इस महायुद्ध में कहीं ज्यादा लोग मारे गये और घायल हुए ।

🔹 प्रथम विश्व युद्ध के बाद युद्ध रोकने के लिए बनी संस्था राष्ट्रसंघ ( लीग – आफ – नेशन्स ) के असफल होने के कारण एवं 1939 से 1945 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा स्थापित करने के लिए पुनः एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता महसूस की गई । अतः 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई ।

सयुक्त राष्ट्र संघ UNO : – United Nations Organization

🔹 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ UNO की स्थापना की गई । UNO लीग ऑफ नेशन्स का उत्तराधिकारी है । सयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के समय संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 सदस्य थे । भारत भी इसके संस्थापक सदस्यों में शामिल था । मई 2013 तक इसके सदस्यों की संख्या 193 हो गयी है । 193वाँ सदस्य दक्षिणी सूडान है । भारत इसका सदस्य 30 oct 1945 में हुआ ।

संयुक्त राष्ट्र संघ का इतिहास : –

🔹 संयुक्त राष्ट्र शब्द अमेरिका के राष्ट्रपति रूज़वेल्ट द्वारा दिया गया था । संयुक्त राष्ट्र शब्द का प्रयोग पहली बार द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1 जनवरी , 1942 को संयुक्त राष्ट्र घोषणा – पत्र में किया गया था । 

  • अगस्त 1941 :- अमरीकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट और ब्रितानी प्रधानमंत्री चर्चिल द्वारा अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए ।
  • जनवरी 1942 :- धुरी शक्तियों के खिलाफ लड़ रहे 26 मित्र राष्ट्र अटलांटिक चार्टर के समर्थन में वाशिंग्टन में मिले और दिसंबर 1943 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की घोषणा पर हस्ताक्षर हुए ।
  • फरवरी 1945 :- तीन बड़े नेताओं ( रूजवेल्ट , चर्चिल और स्टालिन ) ने याल्टा सम्मेलन में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बारे में संयुक्त राष्ट्रसंघ का एक सम्मेलन करने का निर्णय किया ।
  • अप्रैल – मई 1945 :- सेन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्रसंघ का अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाने के मसले पर केंद्रित दो महीने लंबा सम्मेलन संपन्न ।
  • 26 जून 1945 :- 26 जून , 1945 को चार्टर पर 50 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किये गए । पोलैंड ने इस सम्मेलन में भागीदारी नहीं की थी , लेकिन उसने बाद में इस पर हस्ताक्षर किया और इस तरह संयुक्त राष्ट्रसंघ में 51 मूल संस्थापक सदस्य हैं । 
  • 24 अक्टूबर 1945 :- संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना हुई ।  आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र 24 अक्टूबर , 1945 को अस्तित्व में आया । प्रत्येक वर्ष 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस ( United Nations Day ) मनाया जाता है ।
  • 30 अक्टूबर 1945 :- भारत संयुक्त राष्ट्रसंघ में शामिल । 

संयुक्त राष्ट्र के प्रतीक चिन्ह क्या है ? 

🔹 संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतीक चिन्ह में दुनिया – का नक्शा बना हुआ है और इसके चारों तरफ जैतून की पत्तियाँ हैं । ये पत्तियाँ विश्व शांति का संकेत करती है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के कारण :-

  • शांति एवं सुरक्षा , 
  • द्वितीय विश्व युद्ध में होने वाला विध्वंश , 
  • नाभिकीय युद्ध का भय , 
  • राष्ट्र संघ ( लीग ऑफ़ नेशंस ) की असफलता , 
  • सामाजिक एवं आर्थिक विकास का उद्देश्य , 
  • सामूहिक सुरक्षा की भावना ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य : –

  • अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा को बनाये रखना । 
  • राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधो को बढ़ाना । 
  • आपसी सहयोग द्वारा आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक तथा मानवीय ढंग की अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करना । 
  • अंर्तराष्ट्रीय संधियों एवं अंर्तराष्ट्रीय कानूनों को सम्मानपूर्वक लागू करवाना । 
  • राष्ट्रों की प्रादेशिक अखंडता और राजनीति स्वतंत्रता का आदर करना ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के आधारभूत सिद्धांत  : –

  • सार्वभौमिकता और समानता का सिद्धांत । 
  • सद्भावना का सिद्धांत । 
  • विवादों को शांतिपूर्ण समाधान का सिद्धांत ।
  • बल प्रयोग का निषेध ।
  • सहायता का सिद्धांत ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगों के नाम : –

  • सुरक्षा परिषद
  • महासभा
  • सचिवालय
  • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
  • न्यासिता परिषद् ( इसका कार्य सन् 1994 से समाप्त कर दिया गया है )
  • आर्थिक और सामाजिक परिषद

❄️ आइए अब इन अंगों के बारे में विस्तार से अध्यन करे ❄️

सुरक्षा परिषद : –

🔹 सयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे शक्तिशाली अंग सुरक्षा परिषद् है इससे कुल 15 सदस्य है इसमें पांच स्थायी सदस्य ( अमेरिका , रूस , ब्रिटेन , फ्रांस और चीन ) तथा दस अस्थायी सदस्य है जो दो वर्षों की अवधि के लिए चुने जाते है । स्थायी सदस्यों को वीटो ( निषेधाधिकार ) की शक्ति प्राप्त है । भारत ने जनवरी 2021 से सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के रूप में आठवीं बार अपना कार्यकाल प्रारम्भ किया है ।

सुरक्षा परिषद् के कार्य : –

  • यह विश्व में शांति स्थापित करने के लिए उत्तरदायी है और किसी भी मामले पर जो विश्व शांति के लिए खतरा बना हुआ हो , विचार कर सकती है । 
  • यह किसी भी देश द्वारा भेजी गई किसी भी शिकायत पर विचार करती है और मामले या झगड़े का निर्णय करती है । 
  • सुरक्षा परिषद् अपने प्रस्तावों या निर्णयों को लागू करवाने के लिए सैनिक कार्यवाही भी कर सकती है । इराक के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का निर्णय सुरक्षा परिषद ने लिया था ।

सुरक्षा परिषद् में सदस्यों की कुल संख्या : –

🔹 इससे कुल 15 सदस्य है इसमें पांच स्थायी सदस्य तथा दस अस्थायी सदस्य है ।

  • पांच स्थायी सदस्य :- अमेरिका , रूस , ब्रिटेन , फ्रांस और चीन ।

सुरक्षा परिषद् के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों में अंतर : –

🔶 स्थायी सदस्य : – 

  • स्थायी सदस्य सुरक्षा परिषद् में हमेशा के लिए चुने गए है । 
  • इनके पास वीटो शक्ति प्राप्त है । 
  • इनकी संख्या पांच हैं । 
  • ये सुरक्षा परिषद् के सभी फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । 
  • सुरक्षा परिषद के किसी भी फैसले को रोक सकते हैं ।

🔶 अस्थायी सदस्य :-

  • ये सुरक्षा परिषद् में केवल दो साल के लिए चुने जाते हैं । 
  • इनके पास वीटो शक्ति प्राप्त नहीं है । 
  • इनकी संख्या 10 है । 
  • इनकी भूमिका स्थायी सदस्यों की तुलना में उतनी महत्वपूर्ण नहीं है ।
  • ये सुरक्षा परिषद के किसी भी फैसले को नहीं रोक सकते हैं ।

वीटो पॉवर ( निषेधाधिकार ) : –

🔹 वीटो संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य देशों को प्राप्त वह अधिकार है जिसके आधार पर कोई भी देश इसके फैसले के खिलाफ जाकर फैसले को रोक सकता है । सुरक्षा परिषद् में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य है । कुल 15 सदस्य है जिनमें प्रत्येक की वोट की मूल्य 1 है । 

🔶 मई 2022 तक वीटो पावर का उपयोग : –

  • अमेरिका = 82 बार
  • चीन = 17 बार 
  • रूस = 122 बार 
  • फ्रांस = 16 बार
  • ब्रिटेन = 29 बार

संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए योग्यता : –

  • बड़ी आर्थिक ताकत होना चाहिए । 
  • बड़ी सैन्य ताकत होना चाहिए । 
  • संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में ऐसे देश का योगदान ज़्यादा हो । 
  • आबादी के लिहाज से बड़ा राष्ट्र हो । 
  • ऐसा देश जो लोकतंत्र और मानवाधिकारों का सम्मान करता हो । 
  • यह देश ऐसा हो कि अपने भूगोल , अर्थव्यवस्था और संस्कृति के लिहाज से विश्व की विविधता की नुमाइंदगी करता हो ।

महासभा : –

🔹 संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश महासभा के सदस्य होते हैं । प्रत्येक सदस्य देश को 5 सदस्यों का प्रतिनिधि मंडल महासभा में भेजते हैं लेकिन सभी सदस्य देशों को एक वोट ( मत ) देने का अधिकार है । महासभा प्रत्येक अधिवेशन के लिए एक अध्यक्ष व सात उपाध्यक्ष का चुनाव करता है । 

महासभा की शक्तियाँ : – 

🔹 महासभा की शक्तियों का वर्णन चार्टर की धारा 10 से लेकर 17 तक में किया गया है । इन धाराओं के अनुसार महासभा की शक्तियाँ निम्नलिखित हैं : –

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट पास करना , 
  • सुरक्षा परिषद् व अन्य संस्थाओं / संगठनों की रिपोर्ट पर विचार करना , 
  • न्यास परिषद् पर निरीक्षण , 
  • अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के उद्देश्यों से आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य के सम्बन्ध में अध्ययन व जाँच – पड़ताल करवाना तथा इससे सम्बन्धित सिफारिशें करना ।
  • प्रत्येक व्यक्ति को बिना जाति , लिंग भाषा व धर्म के मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतन्त्रता का उपयोग करने में सहायता देना ।
  • नियुक्तियाँ करना :- महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करने का अधिकार भी महासभा को होता है । जैसे :-
    • सुरक्षा परिषद् के 10 अस्थायी सदस्य ।
    • आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् के 54 सदस्य ।
    • संरक्षण परिषद् के निर्वाचित होने वाले सदस्य ।
    • अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन में भाग लेना ।
    • सुरक्षा परिषद् की सिफारिश से महासचिव की नियुक्ति करना । 
  • चार्टर में संशोधन :- महासभा संयुक्त राष्ट्रसंघ के चार्टर में 2/3 बहुमत के आधार पर संशोधन करने का कार्य भी करती है ।

सचिवालय : –

🔹 संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों का संचालन करने के लिए एक सचिवालय होता है । इसके अध्यक्ष को महासचिव कहा जाता है । इसका चुनाव सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा पाँच वर्ष के लिए किया जाता है । सचिवालय के अन्य कर्मचारियों की संख्या लगभग 8000 है , वर्तमान में एंटोनियो गुटेरस U.N.O. के महासचिव हैं । इनकी नियुक्ति 1 जनवरी , सन् 2017 को हुई थी । अपने कार्यालय में सचिवालय के सभी कर्मचारी विश्व नागरिक हो जाते हैं । 

सचिवालय के कार्य : –

  • संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों , अभिकरणों एवं एजेन्सियों द्वारा लिये गये निर्णयों को कार्यान्वित करना । 
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की विभिन्न समितियों की बैठकों का आयोजन करना । 
  • सुरक्षा परिषद् को विभिन्न जानकारी एवं सूचनाएँ उपलब्ध कराना । 
  • महासभा के निर्णयों का रिकॉर्ड रखना तथा आवश्यकता पड़ने पर उसे सभा के सामने प्रस्तुत करना । 
  • सचिवालय संयुक्त राष्ट्र के दिन – प्रतिदिन के सभी कार्य करता है तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों एवं नीतियों को लागू करता है । 
  • यह सभी मुद्दों एवं सूचनाओं का रिकॉर्ड रखता है।

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय : –

  • स्थापना :- 26 जून 1945 को कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य अमेरिका)
  • मुख्यालय :- शान्ति महल (पीस पैलस), हेग

🔹 इस न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं । विश्व में प्रसिद्ध विधिवेत्ताओं में से ही इस न्यायालय के न्यायाधीश का चुनाव किया जाता है । एक ही देश के दो न्यायाधीश नहीं हो सकते । इन न्यायाधीशों का चुनाव सुरक्षा परिषद् और साधारण सभा की अलग – अलग बैठकों में किया जाता है । 

🔹 इसका कार्यकाल 9 वर्ष का होता है और वे दोबारा भी चुने जा सकते हैं । अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय राष्ट्रों से सम्बन्धित विवादों का निपटारा करता है । यह साधारण सभा गैर सुरक्षा परिषद् को कानूनी सलाह भी देता है ।

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का क्षेत्राधिकार :-

🔹 अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार को तीन भागों में बाँटा जा सकता है :-

  • ऐच्छिक क्षेत्राधिकार , 
  • अनिवार्य क्षेत्राधिकार तथा 
  • परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार ।

न्यास परिषद : –

🔹 न्यास परिषद् को उन क्षेत्रों की देख रेख करने के लिए बनाया गया पर दूसरे विश्वयुद्ध के सामान्य शासन शुरू नहीं हो सका । इन क्षेत्रों का सम्पूर्ण देख रेख करना न्यास परिषद की जिम्मेदारी थी शरुआत में इसमें 11 देशो को रखा गया था । 1996 में पलामू द्वीप के आज़ाद होने के बाद इसका काम खत्म हो गया पर इसे खत्म नहीं किया गया ।

आर्थिक और सामाजिक परिषद् : –

🔹 इस परिषद् में महासभा द्वारा निर्वाचित संयुक्त राष्ट्र के 54 सदस्य होंगे । ये 54 सदस्य महासभा की 1/2 बहुमत द्वारा चुने जाते हैं । इनमें से एक – तिहाई सदस्य हर तीन वर्ष बाद पद- मुक्त हो जायेंगे । पद- मुक्त होने वाला सदस्य पुनः निर्वाचित नहीं हो सकेगा । 

🔹 महासभा के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक , सामाजिक , शैक्षणिक और स्वास्थ्य व चिकित्सा सम्बन्धी जितने भी प्रकार्य संयुक्त राष्ट्र के हैं , उन सबका कार्यान्वयन करना परिषद् का उत्तरदायित्व है । 

महासचिव : –

🔹 महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधि होता है । वर्तमान महासचिव का नाम एंटोनियो गुटेरेस ( पुर्तगाल ) है । 

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव : –

महासचिवसंबंधित देशकार्यकाल 
ट्राइग्व लीनार्वे1946-1952
डेग हैमरशोल्डस्वीडन1953-1961
यू थांट बर्मा ( म्यांमार )1961-1971 
कुर्त वाल्डहीमऑस्ट्रेलिया 1972-1981
जेवियर पेरेज द कूइयारपेरू1982-1991
बुतरस बुतरस घालीमिस्त्र1992-1996
कोफी ए . अन्नानघाना1997-2006
बान की मूनदक्षिण कोरिया2007-2016
ऐटोनियो गुटेरेसपुर्तगाल2017 – वर्तमान

संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का योगदान : –

🔹 भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में अपना योगदान लगातार देता रहा है । चाहे वह शांति सुरक्षा का विषय हो , निःशस्त्रीकरण हो , दक्षिण कोरिया संकट हो , स्वेज नहर का मामला हो या इराक का कुवैत पर आक्रमण हो । इसके अतिरिक्त , मानवाधिकारों की रक्षा , उपनिवेशवाद व रंगभेद का विरोध तथा शैक्षणिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भारत की भूमिका बनी रहती है ।

🔹 भारत का योगदान संयुक्त राष्ट्र संघ में निम्न प्रकार से रहा है ।

  • संघ की स्थापना और चार्टर – निर्माण में ,
  • संघ की सदस्य संख्या बढ़ाने में , 
  • संघ के विभिन्न अंगों के संचालन में , 
  • संघ के शान्ति व सुरक्षा सम्बन्धी राजनीतिक कार्यों में
    •  कोरिया समस्या , 
    • स्वेज नहर समस्या , 
    • कांगो समस्या , 
    • हंगरी समस्या 
    • इराक का कुवैत पर आक्रमण 
  • नि : शस्त्रीकरण हेतु किये गये प्रयासों में , 
  • रंग – भेद के विरुद्ध संघर्ष में , 
  • उपनिवेशवाद समाप्ति हेतु किये गये प्रयासों में , 
  • मानव अधिकारों की रक्षा में , 
  • आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में ।

संयुक्त राष्ट्र संघ को एक ध्रुवीय विश्व में अधिक प्रासंगिक बनाने के उपाय : –

  • शांति संस्थापक आयोग का गठन । 
  • मानवाधिकार परिषद की स्थापना । 
  • सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति । 
  • एक लोकतंत्र कोष का गठन ।
  • आतंकवाद के सभी रूपों की भर्त्सना । 
  • न्यासिता परिषद की समाप्ति ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख एजेन्सियाँ : –

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO ) 
  • संयुक्त राष्ट्र , शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO ) 
  • संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( UNICEF ) 
  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP ) 
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ( UNHRC )
  • संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ( UNHCR ) 
  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन ( UNCTAD )

❄️ आइए अब इन एजेन्सियो के बारे में विस्तार से अध्यन करते है ❄️

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO ) : –

UNESCOUnited Nations Educational, Scientific and Cultural Organization
यूनेस्कोसंयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन
गठन4 नवम्बर 1946 
मुख्यालय पेरिस ( फ्रांस )
महानिदेशकऑड्रे अजोले
सदस्य देश 193

🔹 संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को ) 4 नवंबर 1946 को स्थापित किया गया था । फ्रांस के पेरिस में अपने मुख्यालय के साथ , यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा , प्राकृतिक विज्ञान , समाज तथा मानव विज्ञान संस्कृति तथा संचार को प्रोन्नत करना है । विगत अनेक वर्षों के मध्य , यूनेस्को द्वारा सदस्य देशों के मध्य साक्षरता के प्रसार , तकनीकी व शैक्षिक प्रशिक्षण तथा स्वतंत्र मीडिया आदि के प्रसार के लिए विशिष्ट कार्य किए गए हैं । 

यूनेस्को के उद्देश्य : –

  • शिक्षा विज्ञान संस्कृति और संचार को बढ़ावा देना ।
  • सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना ।
  • परस्पद संवाद और शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना ।

यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन एमर्जेन्सी फंड ( UNICEF ) : – 

UNICEFUnited Nations International Children’s Emergency Fund
यूनिसेफयूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन एमर्जेन्सी फंड
गठन1946
मुख्यालयन्यूयोर्क ( अमेरिका )
महानिदेशकहेनरीटा फोर

🔹 संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1946 में एक निकाय के रूप में की गई थी । इसका मुख्य कार्य बच्चों के लिए आपातकालीन निधि एकत्रित करना तथा संपूर्ण विषय में विश्व में उनके विकास के कार्यों में सहायता करना है ।

🔹 इसके अतिरिक्त , यूनिसेफ विश्व के समस्त भागों में बच्चों के स्वास्थ तथा उत्तम जीवन को सुनिश्चित करने वाले कार्यों में सहायता तथा प्रोत्साहन देता है । संयुक्त राज्य अमेरिका के न्ययोर्क में अपने मुख्यालय के साथ यूनिसेफ विश्व के लगभग सभी 193 देशों में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है । 1953 में संगठन ने अपना नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष कर लिया ।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) के उद्देश्य : –

  • बच्चों के लिए आपातकालीन निधि एकत्रित करना 
  • शैक्षिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करना 
  • विकासशील दुनिया में बाल जन्म दर को बढ़ाना 
  • शिक्षा के माध्यम से लैंगिक समानता को स्थापित करना
  • हिंसा और दुरूपयोग से बच्चों का संरक्षण करना 
  • विभिन्न रोगों से शिशुओं का टीकाकरण करना 
  • बच्चों को पर्याप्त 
  • पोषण सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( W.H.O. )

W.H.OWorld Health Organization
डब्ल्यू.एच.ओविश्व स्वास्थ्य संगठन
गठन7 अप्रैल 1948
मुख्यालयजिनेवा ( स्विट्ज़रलैंड )
महानिदेशकडॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस

🔹 विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र का एक विशिष्ट अभिकरण है । इस संगठन की स्थापना 07 अप्रैल सन् 1948 को की गयी । 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य : –

  • सभी संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण ।
  • जैव चिकित्सा अनुसंधान ।
  • अन्य संगठनों के साथ सहयोग ।
  • व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं का विकास ।
  • महामारियो का उन्मूलन ।
  • पारिवारिक स्वास्थ्य ।
  • वर्तमान परिपेक्ष्य में कोविड -19 महामारी को रोकना , पता लगाना और वैश्विक टीकाकरण अभियान की निगरानी ।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( I.L.O ) : –

🔹 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( आई.एल.ओ. ) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक निकाय है जिसकी स्थापना से स्विटज़रलैंड के जिनेवा में अक्टूबर 1919 में की गई थी । इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय की कुशल स्थितियों को प्रोन्नत करने तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के लिए कार्य करना है । इसके अतिरिक्त महिलाओं तथा पुरुष श्रमिकों को उत्पादक कार्य में संलग्न करने के लिए प्रोत्साहन तथा कार्य स्थल पर उनके लिए सुरक्षा समता तथा स्वाभिमान की स्थिति बनाना भी इसी संगठन के कार्य हैं ।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( I.L.O. ) के मुख्य कार्य : –

  • सामाजिक न्याय की कुशल स्थितियों को बढ़ावा देना ।
  • वैश्विक स्तर पर अंतराष्ट्रीय मानकों के माध्यम से श्रमिकों के लिए काम करना ।
  • श्रमिकों के लिए सुरक्षा , समानता और सम्मानजनक स्थिति को बनाना ।
  • रोजगार के अच्छे अवसर प्रोत्साहित करना ।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ व गैर सरकारी संगठन : –

🔹 संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिरिक्त कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ एवं गैर सरकारी संगठन है जो निरन्तर अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में लगे है जैसे :-

अर्न्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF )

स्थापना1944 में रूपरेखा बनाई गई और 1945 में हस्ताक्षर किये गए
मुख्यालय वाशिंगटन डी सी
सदस्य189 (वर्तमान में )

🔶 उद्देश्य :-

🔹 वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देख – रेख एवं वित्तीय तथा तकनीकी सहायता मुहैया कराना । 

विश्व बैंक ( WB )

स्थापना1945
सदस्य189
मुख्यालय वाशिंगटन डी सी

🔶 उद्देश्य :-

🔹 मानवीय विकास ( शिक्षा , स्वास्थ्य ) कृषि और ग्रामीण विकास , पर्यावरण सुरक्षा , आधारभूत ढाँचा तथा सुशासन के लिए काम करता है । यह बैंक अपने सदस्य देशों को आसान ऋण और अनुदान देता है ।

विश्व व्यापार संगठन ( WTO )

स्थापना 1995 इससे पहले ( GATT (General Agreement on Tariffs and Trade ) हुआ करता था
मुख्यालयजिनेवा
सदस्य 164

🔶 उद्देशय :-

🔹 यह अंर्तराष्ट्रीय संगठन वैश्विक व्यापार के नियमों को तय करता है । 

अंतर्राष्ट्रीय आण्विक उर्जा एजेन्सी ( IAEA )

🔹  यह संगठन परमाणि वक उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करता है । 

एमनेस्टी इंटरनेशनल : –

स्थापना 1961
मुख्यालयलंदन

🔶 उद्देश्य :-

🔹 ऐमेनेस्टी इण्टरनेशनल मानवाधिकारों की रक्षा करने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है । यह संगठन मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़ी रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करता है । उसकी ये रिपोर्ट मावाधिकारों से संबंधित अनुसंधान और तरफदारी में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

हयूमन राइटस वॉच : –

स्थापना 1978
मुख्यालयन्यूयॉर्क

🔶 उद्देश्य :-

🔹 यह स्वयंसेवी संगठन भी मानवाधिकारों की वकालत और उनसे संबंधित अनुसंधान करने वाला एक अंर्तराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है । 

अन्तर्राष्ट्रीय रेड क्रास सोसायटी : –

🔹  यह सोसायटी युद्ध और आंतरिक हिंसा के सभी पीड़ितों की सहायता तथा सशस्त्र हिंसा पर रोक लगाने वाले नियमों को लागू करने का प्रयास करता है ।

ग्रीनपीस : –

🔹 1971 के स्थापित ग्रीन पीस फाउण्डेशन विश्व समुदाय को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु कानून बनाने के लिए दबाव डालने का कार्य करती है ।

सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवश्यकता महसूस क्यों हो रही है : –

🔹 निम्नलिखित कारणों से सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवश्यकता महसूस हो रही : –

  • सुरक्षा परिषद अब राजनैतिक वास्तविकताओं की नुमाइदंगी नहीं करती । 
  • इसके फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों व हितों का प्रभाव दिखता है । 
  • सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है । 
  • इसके फैसलों पर चंद देशों का दबदबा है , विशेषकर उन देशों का जो संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में ज्यादा योगदान देते है ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रक्रिया व ढाँचे में सुधार के लिए सुझाये गये प्रस्ताव : –

  • सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना । 
  • वीटो पावर ( निषेधाधिकार ) की समाप्ति । 
  • विकसित देशों के प्रभाव को समाप्त करना । 
  • कार्यप्रणाली को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाना ।

भारत के नागरिक के रूप में सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष का समर्थन आप कैसे करेगें ? अपने प्रस्ताव का औचित्य सिद्ध करें ।

  • भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है । 
  • चीन के बाद भारत की जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक है । 
  • भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्य रहा है । 
  • भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन है । यहाँ के महान संतों , समाज सुधारकों ने सदैव विश्व कुटुम्ब , अहिंसा , शांति , भाई – चारा , पारस्परिक सहयोग का समर्थन किया है । 
  • भारत का संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों , उद्देश्यों , कार्यक्रमों में पूरा विश्वास है और भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महामारियों , प्राकृतिक विपत्तियों के समय पूरा सहयोग दिया है । 
  • भारत ने सदैव ही शीतयुद्ध और सैन्य गुटबंदी , युद्ध के लिए अणु – परमाणु अस्त्र – शस्त्रों के प्रयोग का विरोध किया है ।

अमेरीकी वर्चस्व का सामना करने में संयुक्त राष्ट्र के असफल होने के कारण : –

  • अमेरिका सबसे बड़ा वित्तीय योगदान देने वाला देश । 
  • UNO का मुख्यालय अमेरिका के भू क्षेत्र में स्थित है । 
  • UNO में अधिकत्तर कर्मचारी अमेरिका के है । 
  • कोई प्रस्ताव अपने या साथी राष्ट्रों के हितों के अनुकूल न होने पर अपने वीटो से रोक सकता है । 

🔹 उपरोक्त तथ्यों के बावजूद अमेरीका से वार्ता करने एवं उसपर दबाव बनाने के लिए UNO एक मंच के रूप में अवश्य उपलब्ध है ।

1991 से आए बदलाव ( शीत युद्ध के बाद ) : –

  • सोवियत संघ बिखर गया । 
  • अमरीका सबसे ज़्यादा ताकतवर है।
  • सोवियत संघ के उत्तराधिकारी राज्य रूस और अमरीका के बीच अब संबंध कहीं ज्यादा सहयोगात्मक हैं ।  
  • चीन बड़ी तेजी से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है ; भारत भी तेजी से इस दिशा में अग्रसर है । 
  • एशिया की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित दर से तरक्की कर रही है । 
  • अनेक नए देश संयुक्त राष्ट्रसंघ में शामिल हुए हैं ( ये देश सोवियत संघ से आज़ाद हुए देश हैं अथवा पूर्वी यूरोप के भूतपूर्व साम्यवादी देश हैं ) । 
  • विश्व के सामने चुनौतियों की एक पूरी नयी कड़ी ( जनसंहार , गृहयुद्ध , जातीय संघर्ष , आतंकवाद , परमाण्विक प्रसार , जलवायु में बदलाव , पर्यावरण की हानि , महामारी ) मौजूद है ।

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  5. समकालीन दक्षिण एशिया
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