जीव और समष्टियाँ question answer: Ncert Solution for Class 12 Biology Chapter 11 in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Biology |
Chapter | Chapter 11 |
Chapter Name | जीव और समष्टियाँ ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।
उत्तर 1: समष्टि गुण वे गुण होते हैं जो किसी समष्टि के सभी व्यष्टियों में समान रूप से पाए जाते हैं। ये गुण किसी विशेष व्यष्टि के गुणों से भिन्न होते हैं। समष्टि गुणों का अध्ययन सांख्यिकी के एक क्षेत्र, जनसांख्यिकी में किया जाता है।
व्यष्टियों में नहीं पाए जाने वाले कुछ गुण जो समष्टियों में होते हैं, ये रहे:
- जन्मदर और मृत्युदर व्यष्टि जन्म लेता है और उसकी मृत्यु होती है, लेकिन समष्टि की जन्मदर और मृत्युदर होती है।
- लिंग अनुपात व्यष्टि या तो नर है या मादा, लेकिन समष्टि का लिंग अनुपात होता है। जैसे, समष्टि में 60 प्रतिशत स्त्री और 40 प्रतिशत नर हो सकते हैं।
- जनसंख्या घनत्व समष्टियों में जनसंख्या घनत्व होता है।
- समष्टि वितरण और वृद्धि समष्टियों में समष्टि वितरण और वृद्धि होती है।
- आयु वितरण समष्टियों में आयु वितरण होता है।
प्रश्न 2: अगर चरघातांकी रूप से (एक्पोनेन्शियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीन्जिक दर (r) क्या है?
उत्तर 2: चरघातांकी वृद्धि (exponential growth) का सामान्य सूत्र निम्नलिखित है:
\(N(t) = N_0 e^{rt}\)
जहाँ:
- N(t) = समय (t) पर जनसंख्या का आकार
- N0 = प्रारंभिक जनसंख्या का आकार
- r = वृद्धि की अंतर्निहित दर (intrinsic growth rate)
- t = समय (वर्षों में)
- e = प्राकृतिक लॉगरिदम का आधार (लगभग 2.718)
यदि एक समष्टि 3 वर्ष में दोगुने साइज की हो जाती है, तो हम निम्नलिखित जानकारी से शुरू करते हैं:
- प्रारंभिक जनसंख्या का आकार N0
- 3 वर्ष के बाद जनसंख्या का आकार N(3) = 2N0
- इस जानकारी का उपयोग करके, हम वृद्धि की दर (r) ज्ञात कर सकते हैं।
- अब, N(3) को (N0) के रूप में व्यक्त करते हुए: \(2N_0 = N_0 e^{3r}\)
- अब, दोनों पक्षों को (N0) से विभाजित करते हैं: \(2 = e^{3r}\)
- अब, हम दोनों पक्षों पर प्राकृतिक लॉगरिदम (ln) लगाते हैं: \(\ln(2) = 3r\)
- अब (r) के लिए हल करें: \(r = \frac{\ln(2)}{3}\)
- अब हम ln(2) का मान जानते हैं, जो लगभग 0.693 है। इसे समीकरण में डालते हैं: \(r \approx \frac{0.693}{3} \approx 0.231\)
- तो, समष्टि की वृद्धि की अंतर्निहित दर (r) लगभग 0.231 प्रति वर्ष है।
अंत में:
गति की अंतर्निहित दर r≈ 0.231 या 23.1% प्रति वर्ष है।
प्रश्न 3: पादपों में शाकाहारिता (हार्बिवोरी) के विरुद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ बताइए।
उत्तर 3: पादपों (पौधों) में शाकाहारिता (हार्बिवोरी) के विरुद्ध रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण विधियाँ होती हैं, जो उन्हें शाकाहारी जीवों से बचाने में मदद करती हैं। ये विधियाँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं: भौतिक (Physical) और रासायनिक (Chemical) रक्षा विधियाँ।
1. भौतिक रक्षा विधियाँ :
- कांटे और काँटे: कुछ पौधों में कांटे या काँटे होते हैं, जो शाकाहारी जीवों को पौधे के पत्ते या तनों को खाने से रोकते हैं। उदाहरण: कैक्टस, गुलाब।
- मोटे पत्ते: कई पौधों के पत्ते मोटे और कड़े होते हैं, जिससे उन्हें चबाना मुश्किल होता है। इससे शाकाहारी जीव उन पौधों से दूर रहते हैं।
- कठोर तने या बाहरी आवरण: कुछ पौधों के तने और बाहरी सतह कठोर होती हैं, जिससे शाकाहारी जीवों के लिए उन्हें खाकर नुकसान पहुँचाना कठिन होता है।
- बालों का आवरण (Trichomes): कुछ पौधों की पत्तियों और तनों पर छोटे-छोटे बाल होते हैं, जो शाकाहारी कीड़ों को रोकते हैं या उनकी गति में बाधा डालते हैं।
2. रासायनिक रक्षा विधियाँ:
- कड़वे या विषैले पदार्थ: पौधे कई प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उत्पादन करते हैं जो कड़वे या विषैले होते हैं। ये शाकाहारी जीवों के लिए पत्तियों या तनों का सेवन करना मुश्किल बना देते हैं। उदाहरण: एल्कलॉइड्स, टैनिक एसिड।
- तेज गंध: कुछ पौधे विशेष प्रकार की गंध छोड़ते हैं, जो शाकाहारी जीवों को दूर भगाती है। उदाहरण: नीम, पुदीना।
- लेटेक्स (Latex): कुछ पौधों में चिपचिपा लेटेक्स (दूध जैसा पदार्थ) होता है, जो पत्तियों या तनों से निकलता है। यह शाकाहारी कीड़ों के लिए हानिकारक होता है और उनके मुँह के हिस्सों को चिपका देता है।
- एंटी-फीडेंट्स: ये ऐसे रासायनिक यौगिक होते हैं, जो शाकाहारी जीवों को पौधों का सेवन करने से रोकते हैं। जैसे, कैटेचिन्स और अन्य फ्लेवोनॉइड्स।
इन भौतिक और रासायनिक विधियों के माध्यम से पौधे शाकाहारी जीवों से अपनी सुरक्षा करते हैं और उन्हें अपने जीवित रहने और वृद्धि के लिए अनुकूलित करते हैं।
प्रश्न 4: ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?
उत्तर 4: आम की शाखा पर उगने वाला एक ऑर्किड का पौधा अधिपादप होता है। अधिपादप वे पौधे होते हैं, जो किसी अन्य पौधे पर वृद्धि करते हैं लेकिन उनसे पोषण प्राप्त नहीं करते। इसलिए, आम के पेड़ की शाखा पर उगने वाले ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच का संबंध सहभोजिता का एक उदाहरण है। इस संबंध में, ऑर्किड को लाभ होता है, जबकि आम का पेड़ अप्रभावित रहता है।
प्रश्न 5: कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबंध के लिए जैव-नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है?
उत्तर 5: विभिन्न जैव-नियंत्रण विधियों का आधार परभक्षण की अवधारणा पर आधारित है। परभक्षण परभक्षी तथा शिकार के बीच एक जैविक पारस्परिक क्रिया है, जहाँ परभक्षी शिकार का भोजन करता है। परभक्षी एक आवास में शिकार की समष्टि को नियंत्रित करता है और कीट पीड़कों के प्रबंधन में मदद करता है।
प्रश्न 6: समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।
उत्तर 6:
समष्टि (Population):
परिभाषा: समष्टि या पॉपुलेशन का अर्थ है एक ही प्रजाति के सभी व्यक्तियों का एक समूह जो एक निश्चित भूभाग पर एक साथ रहते हैं और जिनका आपस में संपर्क होता है। इस समूह में एक जैसी विशेषताएँ, व्यवहार, और आनुवंशिकी होती है।
उदाहरण: यदि हम एक जंगल में केवल चीतों की बात करें, तो उस जंगल में मौजूद सभी चीतों को एक समष्टि माना जाएगा।
समुदाय (Community):
परिभाषा: समुदाय या कम्युनिटी का अर्थ है किसी खास आवास-स्थान में रहने वाली कई अलग-अलग प्रजातियों की आबादी। समुदाय में शामिल जीव आपस में जुड़े होते हैं और एक ही प्रवास के क्षेत्र में रहते हैं।
उदाहरण: एक जंगल में पौधे, जानवर, कीट, और सूक्ष्मजीव सभी मिलकर एक समुदाय बनाते हैं। जैसे, एक सामुदायिक पारिस्थितिकी तंत्र में वृक्ष, झाड़ियाँ, पक्षी, छोटे स्तनधारी, और अन्य जीव शामिल होते हैं।
प्रश्न 7: निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए-
(क) सहभोजिता (कमेंसेलिज्म)
(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म)
(ग) छद्मावरण (कैमुफ्लॉज)
(घ) सहोपकारिता (म्युचुऑलिज्म)
(ङ) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कम्पीटीशन)
उत्तर 7:
(क) सहभोजिता (कमेंसेलिज्म): यह वह संबंध है जिसमें एक जीव को लाभ होता है जबकि दूसरे को न तो लाभ होता है और न ही हानि।
उदाहरण: बगुला और गाय—बगुला गाय के पास बैठकर उसके पैरों के पास से कीड़े खा लेता है। गाय को इससे कोई लाभ या हानि नहीं होती।
(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म): यह एक ऐसा संबंध है जिसमें एक जीव (परजीवी) दूसरे जीव (पोषक) पर निर्भर करता है और उसे हानि पहुँचाता है।
उदाहरण: जूँ और मनुष्य—जूँ मनुष्य के सिर का खून चूसकर उसे हानि पहुँचाती है।
(ग) छद्मावरण (कैमुफ्लॉज): यह एक ऐसा तरीका है जिसमें कोई जीव अपने रंग, आकार या रूप को परिवर्तित कर अपने आप को पर्यावरण में छुपा लेता है ताकि वह शिकारी से बच सके।
उदाहरण: गिरगिट—गिरगिट अपना रंग बदलकर पेड़ों या पत्तियों में छुप जाता है।
(घ) सहोपकारिता (म्युचुऑलिज्म): यह एक प्रकार का पारस्परिक संबंध है जिसमें दोनों जीव एक-दूसरे को लाभ पहुँचाते हैं।
उदाहरण: मधुमक्खी और फूल—मधुमक्खी फूलों से पराग चूसती है और बदले में परागण में मदद करती है।
(ङ) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कम्पीटीशन): यह एक प्रतिस्पर्धा है जो दो अलग-अलग जातियों के बीच संसाधनों जैसे भोजन, पानी, या निवास स्थान के लिए होती है।
उदाहरण: शेर और चीता—दोनों एक ही क्षेत्र में रहते हैं और हिरण जैसे शिकार के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
प्रश्न 8: उपयुक्त आरेख (डायग्राम) की सहायता से लॉजिस्टिक (संभार तंत्र) समष्टि (पॉपुलेशन) वृद्धि का वर्णन कीजिए।
उत्तर 8: लॉजिस्टिक समष्टि वृद्धि (Population Growth) एक ऐसा मॉडल है जो एक पॉपुलेशन की वृद्धि को उसके पर्यावरण में उपलब्ध संसाधनों और सीमाओं के आधार पर दर्शाता है। यह मॉडल प्राकृतिक परिस्थितियों में पॉपुलेशन वृद्धि के वास्तविक व्यवहार को अधिक सटीकता से प्रतिबिंबित करता है, जहां अनंत संसाधन उपलब्ध नहीं होते।
लॉजिस्टिक वृद्धि के मुख्य तत्व:
1. आरंभिक वृद्धि (Initial Growth): जब कोई पॉपुलेशन प्रारंभ में कम होती है, तो वृद्धि तेज़ होती है क्योंकि संसाधनों की उपलब्धता अधिक होती है। इस चरण को “एक्सपोनेंशियल ग्रोथ” कहा जाता है।
2. संवर्धित वृद्धि (Increasing Growth): जैसे-जैसे पॉपुलेशन बढ़ती है, संसाधनों की उपलब्धता सीमित होती जाती है। इससे पॉपुलेशन की वृद्धि की दर धीमी होने लगती है।
3. संतुलन की स्थिति (Carrying Capacity): हर पारिस्थितिकी तंत्र की एक अधिकतम क्षमता होती है, जिसे “कैरीइंग कैपेसिटी” कहा जाता है। यह वह संख्या होती है, जिसमें पॉपुलेशन अपनी अधिकतम वृद्धि दर तक पहुँच सकती है। जब पॉपुलेशन इस स्तर के करीब पहुँचती है, तो वृद्धि की दर कम हो जाती है।
लॉजिस्टिक वृद्धि का गणितीय सूत्र:
लॉजिस्टिक वृद्धि को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:
\(\frac{dN}{dt} = rN \left(1 – \frac{N}{K}\right)\)
जहाँ:
- N = पॉपुलेशन का आकार
- r = वृद्धि की अंतर्निहित दर
- K = कैरीइंग कैपेसिटी (वह अधिकतम पॉपुलेशन आकार जिसे पर्यावरण सहन कर सकता है)
- \(\frac{dN}{dt}\) = समय के साथ पॉपुलेशन के आकार में परिवर्तन
लॉजिस्टिक वृद्धि के चरण:
- लघु वृद्धि चरण: प्रारंभिक पॉपुलेशन के आकार के लिए वृद्धि तेज़ होती है।
- संवर्धित वृद्धि चरण: पॉपुलेशन बढ़ने पर वृद्धि की दर धीरे-धीरे कम होती है।
- स्थिरता चरण: पॉपुलेशन का आकार (K) के पास पहुँचने पर स्थिर हो जाता है। यहाँ पर वृद्धि दर लगभग शून्य हो जाती है।
लॉजिस्टिक वृद्धि के उदाहरण:
भालू की जनसंख्या: यदि भालू की जनसंख्या किसी निश्चित क्षेत्र में बढ़ती है, तो प्रारंभ में उनकी संख्या तेजी से बढ़ सकती है। लेकिन जैसे-जैसे संसाधनों (जैसे भोजन और आवास) की कमी होती है, उनकी वृद्धि की दर कम होती है और अंततः उनकी जनसंख्या स्थिरता की स्थिति तक पहुँच जाती है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित कथनों में परजीविता (पैरासिटिज्म) को कौन-सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है-
(क) एक जीव को लाभ कहता है।
(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है।
(ग) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है।
(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।
उत्तर 9: (घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है।
स्पष्टीकरण:
- परजीविता एक जैविक संबंध है जिसमें एक जीव (परजीवी) दूसरे जीव (होस्ट) से लाभ उठाता है, जबकि होस्ट को हानि पहुँचती है।
- उदाहरण के लिए, तृणभक्षी (जैसे टेपवर्म) अपने होस्ट के शरीर में निवास करके उसके पोषक तत्वों का सेवन करते हैं, जिससे होस्ट के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 10: समष्टि (पॉपुलेशन) की कोई तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।
उत्तर 10: समष्टि (पॉपुलेशन) की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
जन्म और मृत्यु दर: यह दर समष्टि के आकार और उसकी वृद्धि दर पर सीधा प्रभाव डालती है। जन्म दर (Birth Rate) वह संख्या है जो प्रति 1000 व्यक्तियों पर जन्मे नवजातों की संख्या को दर्शाती है। उच्च जन्म दर समष्टि के विस्तार का संकेत देती है। इसके विपरीत, मृत्यु दर (Death Rate) प्रति 1000 व्यक्तियों पर होने वाली मृत्यु की संख्या को दर्शाती है। यदि मृत्यु दर अधिक होती है, तो समष्टि की वृद्धि धीमी होती है।
आयु संरचना: यह किसी समष्टि के विभिन्न आयु समूहों में व्यक्तियों के वितरण को दर्शाती है। एक युवा आयु संरचना का मतलब है कि समष्टि में अधिक युवा लोग हैं, जो उच्च जन्म दर और भविष्य में श्रम शक्ति में वृद्धि का संकेत देता है। वहीं, वृद्ध आयु संरचना वाली समष्टि में वृद्ध व्यक्तियों की संख्या अधिक होती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की मांग और वृद्धावस्था पेंशन पर दबाव बढ़ता है।
लिंग अनुपात: लिंग अनुपात (Sex Ratio) का अर्थ है प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या। यह समष्टि के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। यदि लिंग अनुपात में असमानता होती है, जैसे कि महिलाओं की संख्या कम होती है, तो यह सामाजिक असंतुलन का कारण बन सकता है। एक संतुलित लिंग अनुपात समाज की स्थिरता और संतुलित विकास के लिए आवश्यक होता है।