पारितंत्र question answer: Ncert Solution for Class 12 Biology Chapter 12 in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Biology |
Chapter | Chapter 12 |
Chapter Name | पारितंत्र ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
क्या आप Biology Class 12 Chapter 12 question answer in Hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से पारितंत्र question answer download कर सकते हैं।
प्रश्न 1: रिक्त स्थानों को भरो।
(क) पादपों को ………… कहते हैं ; क्योंकि कार्बन डाईऑक्साइड का स्थिरीकरण कहते हैं।
(ख) पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरैमिड (सं. का) (……..) प्रकार का है।
(ग) एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमा कारक ………. है।
(घ) हमारे पारितंत्र में सामान्य अपरदन ………. हैं।
(ङ) पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भंडार ………… है।
उत्तर 1:
- (क) पादपों को स्वपोषी कहते हैं; क्योंकि वे कार्बन डाईऑक्साइड का स्थिरीकरण करते हैं।
- (ख) पादप द्वारा प्रमुख पारितंत्र का पिरैमिड (सं. का) उल्टा प्रकार का है।
- (ग) एक जलीय पारितंत्र में, उत्पादकता का सीमा कारक सूर्य का प्रकाश है।
- (घ) हमारे पारितंत्र में सामान्य अपघटक केंचुआ हैं।
- (ङ) पृथ्वी पर कार्बन का प्रमुख भंडार समुद्र है।
प्रश्न 2: एक खाद्य श्रृंखला में निम्नलिखित में सर्वाधिक संख्या किसकी होती है?
(क) उत्पादक
(ख) प्राथमिक उपभोक्ता
(ग) द्वितीयक उपभोक्ता
(घ) अपघटक
उत्तर 2: (घ) अपघटक
कारण: अपघटक (decomposers) सबसे अधिक संख्या में होते हैं क्योंकि वे मृत पौधों और जानवरों के अवशेषों को तोड़कर पोषक तत्वों को मिट्टी में वापस पहुंचाते हैं। ये पोषक तत्व फिर से उत्पादकों द्वारा उपयोग किए जाते हैं, जिससे पोषण चक्र बना रहता है। हालाँकि उत्पादकों की भी बहुत बड़ी संख्या होती है, पर अपघटकों की संख्या हर पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे अधिक होती है क्योंकि वे सभी स्तरों के कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हैं।
प्रश्न 3: एक झील में द्वितीय (दूसरी) पोषण स्तर होता है-
(क) पादपप्लवक
(ख) प्राणिप्ल्वक
(ग) नितलक (बैनथॉस)
(घ) मछलियाँ
उत्तर 3: एक झील में द्वितीय (दूसरा) पोषण स्तर प्राणिप्लवक (ख) होता है।
झील के पारिस्थितिकी तंत्र में:
- पहला पोषण स्तर पादपप्लवक (नियंत्रक उत्पादक) का होता है, जो प्रकाश संश्लेषण द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- दूसरा पोषण स्तर प्राणिप्लवक का होता है, जो पादपप्लवक पर निर्भर होते हैं।
- उच्च स्तरों पर मछलियाँ और अन्य उपभोक्ता आते हैं।
प्रश्न 4: द्वितीयक उत्पादक हैं-
(क) शाकाहारी (शाकभक्षी)
(ख) उत्पादक
(ग) मांसाहारी
(घ) उपरोक्त कोई भी नहीं
उत्तर 4: (घ) उपरोक्त कोई भी नहीं
पादप केवल उत्पादक होते हैं, इसलिए उन्हें प्राथमिक उत्पादक कहा जाता है। खाद्य श्रृंखला में अन्य उत्पादक नहीं होते।
प्रश्न 5: प्रासंगिक सौर विकिरण में प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण का क्या प्रतिशत होता है?
(क) 100%
(ख) 50%
(ग) 1-5%
(घ) 2-10%
उत्तर 5: (ख) 50% प्रासंगिक सौर विकिरण का 50% से कम भाग प्रकाश संश्लेषणात्मक सक्रिय विकिरण में प्रयुक्त होता है।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ग) उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड
उत्तर 6:
(क) चारण खाद्य श्रृंखला एवं अपरद खाद्य श्रृंखला
(क) चारण खाद्य श्रृंखला | अपरद खाद्य श्रृंखला |
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यह खाद्य श्रृंखला हरे पौधों या उत्पादकों से शुरू होती है, जैसे कि घास, पेड़। | यह खाद्य श्रृंखला मृत जैव पदार्थों (जैसे मृत पत्तियां, जानवरों के अवशेष) से शुरू होती है। |
इसमें ऊर्जा का स्रोत सूर्य होता है, जो प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पौधों द्वारा उपयोग में लाया जाता है। | इसमें ऊर्जा का स्रोत मृत जैविक पदार्थ होता है, जो अपघटनकर्ताओं द्वारा तोड़ा जाता है। |
इस श्रृंखला में सबसे पहले उत्पादक (पौधे) आते हैं, फिर शाकाहारी जीव (प्राथमिक उपभोक्ता), और अंत में मांसाहारी जीव (माध्यमिक और तृतीयक उपभोक्ता) आते हैं। | इस श्रृंखला में मुख्यतः अपघटनकर्ता, जैसे बैक्टीरिया और कवक, प्राथमिक भूमिका निभाते हैं, जो मृत पदार्थों को विघटित करते हैं और पोषक तत्वों को पुन: उपयोग योग्य बनाते हैं। |
उदाहरण: घास → हिरण → बाघ | उदाहरण: मृत पत्तियां → कीट → बैक्टीरिया |
(ख) उत्पादन एवं अपघटन
(ख) उत्पादन | अपघटन |
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उत्पादन प्रक्रिया में जीवधारी जैविक पदार्थ का निर्माण करते हैं। | अपघटन प्रक्रिया में मृत जीवों और अपशिष्ट पदार्थों का विघटन होता है। |
यह मुख्यतः पौधों द्वारा सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बनिक पदार्थों का निर्माण (प्राथमिक उत्पादन) होता है। | अपघटनकर्ता, जैसे बैक्टीरिया और कवक, इस प्रक्रिया में मृत पदार्थों को सरल अकार्बनिक घटकों में तोड़ते हैं। |
इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड, जल और खनिज पदार्थों का उपयोग करके ग्लूकोज और ऑक्सीजन का निर्माण किया जाता है। | इस प्रक्रिया से पोषक तत्व मिट्टी में पुनः प्रवेश करते हैं और पर्यावरण में पोषण चक्र को बनाए रखते हैं। |
उदाहरण: प्रकाश संश्लेषण। | उदाहरण: मृत पत्तियों का अपघटन। |
(ग) उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) व अधोवर्ती पिरैमिड
(ग) उर्ध्व वर्ती (शिखरांश) पिरैमिड | अधोवर्ती पिरैमिड |
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यह पिरैमिड सामान्य खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा, संख्या या जैवमात्रा के वितरण को दर्शाता है। | इस प्रकार के पिरैमिड में निचले स्तर की जैवमात्रा या संख्या उच्च स्तर की तुलना में कम होती है। |
यह पिरैमिड सामान्यतः “पिरैमिड ऑफ बायोमास” या “पिरैमिड ऑफ एनर्जी” के रूप में देखा जाता है, जहां निचले स्तरों (उत्पादक) की जैवमात्रा या ऊर्जा उच्च स्तरों (उपभोक्ता) की तुलना में अधिक होती है। | यह पिरैमिड तब बनता है जब खाद्य श्रृंखला में प्राथमिक उत्पादक बहुत छोटे या अल्प मात्रा में होते हैं, लेकिन उपभोक्ता उनसे अधिक संख्या में होते हैं। |
उदाहरण: एक सामान्य चारण खाद्य श्रृंखला में उत्पादक (पौधे) सबसे बड़ी संख्या में होते हैं, फिर शाकाहारी, और अंत में मांसाहारी। | उदाहरण: एक जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में, फाइटोप्लांकटन (प्राथमिक उत्पादक) की संख्या कम होती है, जबकि उनसे बड़े उपभोक्ता (जैसे मछलियां) अधिक संख्या में होते हैं। |
प्रश्न 7: निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क) खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेब)
(ख) लिटर (कर्कट) एवं अपरद
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता
उत्तर 7: (क) खाद्य श्रृंखला तथा खाद्य जाल (वेब)
खाद्य श्रृंखला | खाद्य जाल (वेब) |
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यह एक सरल रेखीय अनुक्रम है, जिसमें ऊर्जा का प्रवाह एक जीव से दूसरे जीव में होता है। | यह कई आपस में जुड़ी खाद्य श्रृंखलाओं का एक जटिल नेटवर्क होता है। |
इसमें प्रत्येक जीव किसी एक ही स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करता है और उसे एक ही जीव को स्थानांतरित करता है। | इसमें एक जीव कई अलग-अलग प्रकार के जीवों से ऊर्जा प्राप्त कर सकता है और कई अलग-अलग प्रकार के जीवों को ऊर्जा स्थानांतरित कर सकता है। |
इसमें कुछ ही जीव सम्मिलित होते हैं, और ऊर्जा का प्रवाह एकल दिशा में होता है। | यह वास्तविक पारिस्थितिकी तंत्र की जटिलता को बेहतर तरीके से दर्शाता है। |
उदाहरण: घास → टिड्डा → मेंढक → साँप → बाज | उदाहरण: जंगल में घास को कई शाकाहारी खा सकते हैं, जैसे हिरण, खरगोश, और ये शाकाहारी अलग-अलग मांसाहारी जीवों द्वारा खाए जा सकते हैं। |
(ख) लिटर (कर्कट) एवं अपरद
लिटर (कर्कट) | अपरद |
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लिटर मृत पौधे और पत्तियाँ होती हैं जो पेड़ों और पौधों से गिरकर जमीन पर इकट्ठा होती हैं। | अपरद मृत जैविक पदार्थ होते हैं, जिसमें लिटर के अलावा मृत पशु, फंगस, और सूक्ष्मजीवों के अवशेष भी शामिल होते हैं। |
यह वनस्पतियों के ऊपरी हिस्से से गिरने वाले जैविक पदार्थ होते हैं, जैसे सूखी पत्तियाँ, टहनियाँ, और फल। | अपरद में सूक्ष्म कार्बनिक अवशेष भी होते हैं जो सड़ने और अपघटित होने की प्रक्रिया में होते हैं। |
लिटर एक प्रकार का अपरद है, लेकिन यह सामान्यतः बड़े और अधिक दिखाई देने वाले पदार्थ होते हैं। | यह छोटे कार्बनिक अंश होते हैं, जो अपघटनकर्ताओं के लिए पोषक तत्व होते हैं। |
उदाहरण: गिरा हुआ सूखा पत्ता या टूटे हुए टहनी। | उदाहरण: मृत पौधों और जानवरों के अपघटित हिस्से। |
(ग) प्राथमिक एवं द्वितीयक उत्पादकता
प्राथमिक उत्पादकता | अधोवर्ती पिरैमिड |
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यह उस दर को दर्शाता है जिस पर उत्पादक (मुख्यतः हरे पौधे) सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त करके जैविक पदार्थ (कार्बनिक पदार्थ) का निर्माण करते हैं। | यह उपभोक्ताओं द्वारा प्राप्त की गई और उनके शरीर में संग्रहीत की गई ऊर्जा की दर को दर्शाता है। |
यह पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे पहली और महत्वपूर्ण ऊर्जा उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया है। | यह ऊर्जा शाकाहारी या मांसाहारी जीवों द्वारा उपभोग की गई खाद्य सामग्री से प्राप्त होती है। |
इसे दो भागों में बाँटा जाता है: सकल प्राथमिक उत्पादकता: पौधों द्वारा कुल ऊर्जा का निर्माण। शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता: सकल ऊर्जा में से पौधों द्वारा श्वसन में उपयोग की गई ऊर्जा को घटाकर जो बची हुई ऊर्जा है। | द्वितीयक उत्पादकता के अंतर्गत ऊर्जा तब उत्पन्न होती है जब उपभोक्ता प्राथमिक उत्पादकों (पौधों) या अन्य उपभोक्ताओं (जैसे शाकाहारी या मांसाहारी जीवों) को खाते हैं। |
उदाहरण: प्रकाश संश्लेषण द्वारा पौधों का ऊर्जा संग्रहण। | उदाहरण: एक हिरण (शाकाहारी) द्वारा पौधों से प्राप्त की गई ऊर्जा। |
प्रश्न 8: पारिस्थितिकी तंत्र के घटकों की व्याख्या करें।
उत्तर 8: पारिस्थितिकी तंत्र के घटक वे सभी जीवों और गैर-जीवों का समूह हैं जो एक निश्चित क्षेत्र में मिलकर एक जीवित और गतिशील प्रणाली का निर्माण करते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र के घटक मुख्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किए जा सकते हैं: जैविक (Biotic) और अजैविक (Abiotic) घटक।
जीवित घटक: इन घटकों में सभी जीवों, जैसे कि पौधे, जानवर, बैक्टीरिया, और कवक शामिल होते हैं। ये जीव एक-दूसरे के साथ पारस्परिक क्रिया करते हैं और ऊर्जा और पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं, जबकि जानवर इन पौधों को भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। यह जीवों के बीच की खाद्य श्रृंखला और खाद्य जाल की संरचना को दर्शाता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र की ऊर्जा प्रवाह को नियंत्रित करता है।
अजैविक घटक: ये घटक पारिस्थितिकी तंत्र के भौतिक और रासायनिक तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें जल, वायु, मिट्टी, तापमान, और सूर्य की रोशनी शामिल हैं। ये घटक जीवों के जीवन के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, जल एक महत्वपूर्ण घटक है जो सभी जीवन के लिए आवश्यक है, और मिट्टी पौधों की वृद्धि और विकास के लिए पोषण प्रदान करती है।
प्रश्न 9: पारिस्थितिकी पिरैमिड को परिभाषित करें तथा जैवमात्रा या जैवभार तथा संख्या के पिरैमिडों की उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर 9: पारिस्थितिकी पिरामिड एक ग्राफिक प्रतिनिधित्व है जो पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न स्तरों पर जीवों की संख्या, जैवमात्रा या जैवभार और ऊर्जा को दर्शाता है। इसे मुख्य रूप से तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: ऊर्जा पिरामिड, जैवमात्रा पिरामिड, और संख्या पिरामिड। ये पिरामिड पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यप्रणाली को समझने में सहायता करते हैं।
1. जैवमात्रा पिरैमिड परिभाषा: यह पिरैमिड एक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्येक पोषण स्तर (trophic level) पर उपस्थित जीवों की कुल जैवमात्रा (किलोग्राम या टन में) को दर्शाता है। यह पिरामिड यह दर्शाता है कि ऊर्जा के प्रवाह के अनुसार जीवों की मात्रा कैसे घटती या बढ़ती है। आमतौर पर, प्राथमिक उत्पादक (जैसे कि पौधे) इस पिरामिड के आधार पर होते हैं और उनके ऊपर उपभोक्ता स्तर होते हैं।
- उदाहरण: एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र में, जैसे कि एक जंगल में:
- सबसे निचले स्तर पर पेड़-पौधों की सबसे अधिक जैवमात्रा होती है क्योंकि वे प्राथमिक उत्पादक होते हैं।
- अगले स्तर पर शाकाहारी जीव (जैसे हिरण) होते हैं जिनकी जैवमात्रा पेड़-पौधों से कम होती है।
- सबसे ऊपर, मांसाहारी जीव (जैसे बाघ) होते हैं जिनकी जैवमात्रा सबसे कम होती है।
- यह पिरैमिड प्रायः सीधा (upright) होता है, लेकिन कुछ जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों में यह उल्टा (inverted) भी हो सकता है, क्योंकि वहाँ के छोटे उत्पादकों (फाइटोप्लैंकटन) की जैवमात्रा कम होती है।
2. संख्या पिरैमिड परिभाषा: यह पिरैमिड एक पारिस्थितिकी तंत्र में प्रत्येक पोषण स्तर पर उपस्थित जीवों की संख्या को दर्शाता है। संख्या पिरामिड किसी पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न स्तरों पर जीवों की संख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
- उदाहरण: एक घास के मैदान में:
- सबसे निचले स्तर पर घास के पौधों की संख्या सबसे अधिक होती है।
- घास खाने वाले कीटों (जैसे टिड्डे) की संख्या इससे कम होती है।
- कीटों का शिकार करने वाले पक्षियों की संख्या उससे कम होती है।
- सबसे ऊपर शिकारी पक्षियों (जैसे बाज) की संख्या सबसे कम होती है।
- यह पिरैमिड आमतौर पर सीधा होता है, लेकिन कुछ पारिस्थितिकी तंत्रों में यह उल्टा भी हो सकता है, जैसे कि एक बड़े पेड़ पर अनेक छोटे कीट रहते हैं।
प्रश्न 10: प्राथमिक उत्पादकता क्या है? उन कारकों की संक्षेप में चर्चा करें जो प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
उत्तर 10: प्राथमिक उत्पादकता किसी पारिस्थितिकी तंत्र में उन जीवों (मुख्यतः पौधों) द्वारा उत्पन्न जैविक पदार्थ (बायोमास) की कुल मात्रा को दर्शाती है, जो प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से खाद्य पदार्थ तैयार करते हैं। इसे आमतौर पर वर्ष में प्रति इकाई क्षेत्र (जैसे, किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के हिसाब से मापा जाता है। प्राथमिक उत्पादकता पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और कार्यप्रणाली का एक महत्वपूर्ण संकेतक होती है, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह के लिए आधार प्रदान करती है।
प्राथमिक उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कुछ कारक ये हैं:
- प्रकाश
- तापमान
- विकिरण
- मृदा की आर्द्रता
- पोषक तत्व, जैसे नाइट्रोजन और फ़ॉस्फ़ोरस
- खनिज लवणों की उपलब्धता
- जल की उपलब्धता
प्रश्न 11: अपघटन की परिभाषा दें तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या करें।
उत्तर 11: अपघटन एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें मृत जैविक पदार्थ, जैसे कि मृत पौधे, जानवर, और जैविक अपशिष्ट, को सूक्ष्मजीव, कवक, और अन्य अपघटनकारी जीव (decomposers) द्वारा तोड़ा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, जटिल जैविक यौगिकों को सरल यौगिकों में परिवर्तित किया जाता है, जिससे पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण होता है और पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सुचारू रहता है।
अपघटन की प्रक्रिया: अपघटन की प्रक्रिया में सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु और कवक, मृत पादप और जंतुओं के शरीर में मौजूद कार्बनिक पदार्थों को सरल अकार्बनिक पदार्थों में बदल देते हैं। ये पदार्थ हैं – पोषक तत्व, कार्बन डाइऑक्साइड, और जल।
अपघटन की प्रक्रिया को समझने के लिए, हम एक साधारण उदाहरण ले सकते हैं: पानी का अपघटन। जब हम पानी (H₂O) को विद्युत धारा से गुजारते हैं, तो यह हाइड्रोजन (H₂) और ऑक्सीजन (O₂) गैसों में टूट जाता है।
2H₂O → 2H₂ + O₂
इस प्रक्रिया में, पानी (जटिल पदार्थ) हाइड्रोजन और ऑक्सीजन (सरल पदार्थ) में टूट जाता है।
अपघटन के उत्पाद: अपघटन की प्रक्रिया में मृत कार्बनिक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, सरल शर्करा, और खनिज लवण जैसे सरल कार्बनिक या अकार्बनिक पदार्थों में टूट जाते हैं।
प्रश्न 12: एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह का वर्णन करें।
उत्तर 12: एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा प्रवाह को निम्नलिखित चरणों में समझाया जा सकता है:
1. सूर्य की ऊर्जा: पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य होता है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा का अधिकांश भाग पौधों द्वारा फोटोसिंथेसिस के माध्यम से अवशोषित किया जाता है।
2. उत्पादक: पौधे (जैसे वृक्ष और घास) फोटोसिंथेसिस के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करके अपनी कोशिकाओं में खाद्य पदार्थों के रूप में संग्रहित करते हैं।
3. उपभोक्ता: उपभोक्ता ऊर्जा का उपयोग करने वाले जीव होते हैं। ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:
- प्राथमिक उपभोक्ता: शाकाहारी जो उत्पादकों को खाते हैं (जैसे, खरगोश)।
- द्वितीयक उपभोक्ता: मांसाहारी जो प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं (जैसे, लोमड़ी)।
- तृतीयक उपभोक्ता: शीर्ष स्तर के मांसाहारी जो द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं (जैसे, बाघ)।
3. अपघटक: अपघटक जैसे बैक्टीरिया और फफूंद मृत जैविक पदार्थों को तोड़ते हैं। वे ऊर्जा को पुनः चक्रित करते हैं और पोषक तत्वों को मिट्टी में वापस डालते हैं, जिससे नए पौधों को विकास के लिए आवश्यक तत्व मिलते हैं।
4. ऊर्जा हानि: प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा का कुछ हिस्सा गर्मी के रूप में खो जाता है, जिससे ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में घटता जाता है।