मानव जनन question answer: Ncert Solution for Class 12 Biology Chapter 2 in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Biology |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | मानव जनन ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
- (क) मानव ………….. उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक/लैंगिक)
- (ख) मानव ………….. हैं। (अंडप्रजक, सजीवप्रजक, अंडजरायुज)
- (ग) मानव में ……………. निषेचन होता है। (बाह्य/आंतरिक)
- (घ) नर एवं मादा युग्मक ……………. होते हैं। (अगुणित/द्विगुणित)
- (ङ) युग्मनज …………….. होता है। (अगुणित/द्विगुणित)
- (च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं।
- (छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) …………. नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इन्डयूस्ड) होता है।
- (ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्युजन) को ………….. कहते हैं।
- (झ) निषेचन …………. में संपन्न होता है।
- (ञ) युग्मनज विभक्त होकर ………..की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित (इंप्लांटेड) होता है।
- (ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को …………. कहते हैं।
उत्तर 1:
- (क) मानव लैंगिक उत्पत्ति वाला है।
- (ख) मानव सजीवप्रजक हैं।
- (ग) मानव में आंतरिक निषेचन होता है।
- (घ) नर एवं मादा युग्मक अगुणित होते हैं।
- (ङ) युग्मनज द्विगुणित होता है।
- (च) एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) कहते हैं।
- (छ) अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) पीत पिंडकर द्वारा प्रेरित (इन्डयूस्ड) होता है।
- (ज) नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्युजन) को निषेचन (फर्टिलाइजेशन) कहते हैं।
- (झ) निषेचन अंडवाहिनी (फेलोपियन नलिका) में संपन्न होता है।
- (ञ) युग्मनज विभक्त होकर कोरकपुटी की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित (इंप्लांटेड) होता है।
- (ट) भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनी संपर्क बनाने वाली संरचना को अपरा (प्लेसेंटा) कहते हैं।
प्रश्न 2: पुरूष जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर 2:
प्रश्न 3: स्त्री जनन-तंत्र का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर 3:
प्रश्न 4: वृषण तथा अंडाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर 4: वृषण (Testes) तथा अंडाशय (Ovaries), दोनों प्रजनन अंग हैं और उनके महत्वपूर्ण कार्य होते हैं:
1. वृषण (Testes) के प्रमुख कार्य:
शुक्राणुओं (Sperm) का निर्माण: वृषण का सबसे मुख्य कार्य शुक्राणुओं का निर्माण करना है। वृषण की विशेष कोशिकाएँ जिसे सेमिनिफेरस नलिकाएँ (Seminiferous Tubules) कहते हैं, वहां पर शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) की प्रक्रिया होती है, जिसमें शुक्राणु उत्पन्न होते हैं।
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्राव: वृषण से टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो पुरुषों में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (जैसे दाढ़ी-मूंछ आना, मांसपेशियों का विकास) के विकास के लिए जिम्मेदार होता है, साथ ही यह शुक्राणुओं के निर्माण को भी नियंत्रित करता है।
2. अंडाशय (Ovaries) के प्रमुख कार्य:
एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्राव: अंडाशय से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो महिलाओं में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (जैसे स्तनों का विकास, मासिक धर्म चक्र) के नियंत्रण और गर्भधारण के दौरान गर्भाशय को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
अंडाणुओं (Eggs) का निर्माण: अंडाशय का मुख्य कार्य अंडाणुओं का निर्माण करना है। हर माह, एक अंडाशय से अंडोत्सर्ग (Ovulation) की प्रक्रिया के माध्यम से एक परिपक्व अंडाणु छोड़ा जाता है, जो निषेचन के लिए उपलब्ध होता है।
प्रश्न 5: शुक्रजनक नलिका की संरचना का वर्णन करें।
उत्तर 5: वृषण में शुक्राणुओं का उत्पादन एक अत्यधिक कुंडलित संरचना में होता है जिसे शुक्रजनन नलिका कहा जाता है। ये नलिकाएँ वृषण पालिका में स्थित होती हैं। प्रत्येक शुक्रजनन नलिका जर्मिनल उपकला द्वारा पंक्तिबद्ध होती है। यह अपने भीतरी भाग पर क्रमशः दो प्रकार की कोशिकाओं, शुक्राणुजन और सर्टोली कोशिकाओं, द्वारा पंक्तिबद्ध होती है। शुक्राणुजन नर जर्म कोशिकाएँ हैं जो अर्धसूत्री विभाजन द्वारा प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाओं का उत्पादन करती हैं। प्राथमिक शुक्राणु कोशिकाएँ आगे अर्धसूत्री विभाजन से गुजरते हुए द्वितीयक शुक्राणु कोशिकाएँ और अंत में शुक्राणु बनाती हैं। शुक्राणु बाद में शुक्राणु कहलाने वाले नर युग्मकों में रूपांतरित हो जाते हैं। सर्टोली कोशिकाओं को वृषण की अंतराली कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे जर्म कोशिकाओं को पोषण प्रदान करती हैं।
प्रश्न 6: शुक्राणुजनन क्या है? संक्षेप में शुक्राणुजनन की प्रक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर 6: शुक्राणुजनन (Spermatogenesis) वह प्रक्रिया है जिसमें पुरुषों के अंडकोष (Testes) में शुक्राणु कोशिकाओं (Sperm cells) का निर्माण होता है। यह एक जटिल जैविक प्रक्रिया है, जो यौवन के बाद से शुरू होती है और जीवनभर चलती रहती है।
शुक्राणुजनन की प्रक्रिया को तीन मुख्य चरणों में विभाजित किया जा सकता है:
1. वृद्धिकारी चरण (Multiplication Phase):
- इस चरण में प्राथमिक जनन कोशिकाएं, जिन्हें स्पर्मेटोगोनिया (Spermatogonia) कहते हैं, कई बार विभाजित होती हैं।
- यह विभाजन माइटोसिस के द्वारा होता है, जिससे कई प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट्स (Primary Spermatocytes) का निर्माण होता है।
2. विकासकारी चरण (Growth Phase):
- इस चरण में प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट्स वृद्धि करते हैं और द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट्स (Secondary Spermatocytes) में बदलते हैं।
- इसके बाद, द्वितीयक स्पर्मेटोसाइट्स मीओसिस I से गुजरते हैं, जिससे स्पर्मेटिड्स (Spermatids) बनते हैं।
3. परिपक्वता चरण (Maturation Phase):
- इस अंतिम चरण में स्पर्मेटिड्स बिना विभाजन के आकार बदलते हैं और शुक्राणु कोशिकाओं (Spermatozoa) में परिवर्तित होते हैं।
- इस प्रक्रिया को स्पर्मियोजेनेसिस (Spermiogenesis) कहते हैं, जहां स्पर्मेटिड्स की पूंछ (Flagellum) बनती है और वे पूरी तरह से कार्यात्मक शुक्राणु में बदल जाते हैं।
इस तरह, शुक्राणुजनन की पूरी प्रक्रिया में प्राथमिक स्पर्मेटोगोनिया से परिपक्व शुक्राणु का निर्माण होता है, जो नर प्रजनन क्षमता के लिए आवश्यक होते हैं।
प्रश्न 7: शुक्राणुजनन की प्रक्रिया में नियमन में शामिल हॉर्मोनों के नाम बताएँ।
उत्तर 7: शुक्राणुजनन को विनियमित करने वाले हार्मोन में गोनेडोट्रॉपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और एंड्रोजेन्स शामिल हैं। लैंगिक परिपक्वता के बाद, मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस से गोनाडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) के स्राव के कारण शुक्राणुजनन शुरू होता है।
GnRH पीयूष ग्रंथि पर कार्य करता है और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और पुटकोद्दीपक हॉर्मोन (FSH) के स्राव को उत्तेजित करता है। LH वृषण की लीडिग कोशिकाओं को एंड्रोजेन्स नामक पुरुष लिंग हार्मोन का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है। एंड्रोजेन्स का उच्च स्तर शुक्राणुजनन की प्रक्रिया को उत्तेजित करता है। FSH सर्टोली कोशिकाओं पर कार्य करता है और कुछ कारकों के स्राव को उत्तेजित करता है जो शुक्राणुजनन की प्रक्रिया में मदद करते हैं।
प्रश्न 8: शुक्राणुजनन एवं वीर्यसेचन (स्परमियेशन) की परिभाषा लिखें।
उत्तर 8: शुक्राणुजनन (Spermatogenesis): यह एक जैविक प्रक्रिया है जिसके दौरान पुरुषों के अंडकोष (Testes) में प्रारंभिक जनन कोशिकाओं (स्पर्मेटोगोनिया) से परिपक्व शुक्राणु (Spermatozoa) का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया माइटोसिस, मीओसिस और स्पर्मियोजेनेसिस के विभिन्न चरणों से गुजरती है, जिससे शुक्राणु का विकास और परिपक्वता होती है।
वीर्यसेचन (स्परमियेशन): यह शुक्राणुजनन का अंतिम चरण है, जिसमें परिपक्व शुक्राणु कोशिकाएं, जो अब अंडकोष के अंदर स्थित सेमिनिफेरस नलिकाओं (Seminiferous Tubules) में होती हैं, बाहर निकलकर शुक्राणु वाहिनी में प्रवेश करती हैं। इस प्रक्रिया के माध्यम से शुक्राणु को शरीर के बाहर निकलने के लिए तैयार किया जाता है, ताकि वे वीर्य के साथ स्खलन के दौरान बाहर आ सकें।
प्रश्न 9: शुक्राणु का नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर 9:
प्रश्न 10: शुक्रीय प्रदव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक क्या हैं?
उत्तर 10: शुक्रीय प्रदव्य (सेमिनल प्लाज्मा) वीर्य का तरल भाग है, जो शुक्राणुओं को पोषण, सुरक्षा और गतिशीलता प्रदान करता है। इसके प्रमुख संघटक हैं:
- फ्रक्टोज: शुक्राणुओं को ऊर्जा प्रदान करता है।
- प्रोटीन और एंजाइम: शुक्राणुओं की सुरक्षा और गतिशीलता में मदद करते हैं।
- प्रोस्टाग्लैंडिन: गर्भाशय के संकुचन में मदद करता है।
- बाइकार्बोनेट: वीर्य को क्षारीय बनाकर शुक्राणुओं को अम्लीय वातावरण से बचाता है।
- विभिन्न खनिज: जैसे जिंक और कैल्शियम, शुक्राणु की स्थिरता और कार्यक्षमता को बनाए रखते हैं।
प्रश्न 11: पुरूष की सहायक नलिकाओं एवं ग्रंथियों के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर 11: पुरुष की सहायक नलिकाओं के प्रमुख कार्य निम्न हैं –
- ये वृषण से शुक्राणुओं को मूत्र मार्ग द्वारा बाहर लाती है।
- ये शुक्राणुओं का संग्रह करती है।
पुरुष की सहायक ग्रन्थियों के प्रमुख कार्य निम्न हैं –
- पुरस्थ द्रव का स्राव करना जो शुक्राणुओं को सक्रिय करता है।
- काउपर्स ग्रन्थि चिपचिपा तरल स्रावित करती है जो योनि को चिकना बनाता है।
- नर हार्मोन उत्पन्न करना।
प्रश्न 12: अंडजनन क्या है? अंडजनन की संक्षिप्त व्याख्या करें।
उत्तर 12: परिपक्व मादा युग्मक (अंडाणु) के निर्माण की प्रक्रिया को अंडजनन कहा जाता है। यह स्त्री प्रजनन प्रणाली के अंडाशय में होता है। अंडजनन एक असंतत प्रक्रिया है जो जन्म से पहले शुरू होती है, बीच प्रक्रिया में रुक जाती है और केवल मासिक धर्म के बाद फिर से शुरू होती है। यह तीन चरणों में होता है: गुणात्मक चरण (प्राथमिक जनन कोशिकाओं से समसूत्री रूप से अंडजननी का निर्माण), वृद्धि चरण (अंडजननी का प्राथमिक अंडाणु कोशिका में विकास), और परिपक्वता चरण (अर्धसूत्री विभाजन के माध्यम से प्राथमिक अंडजननी से परिपक्व अंडाणु का निर्माण)।
परिपक्वता चरण दो अगुणित कोशिकाओं का निर्माण करता है – बड़ी वाली को द्विवियक अंडक कहा जाता है और छोटी वाली को ध्रुवीय निकाय (पहला ध्रुवीय निकाय) कहा जाता है। द्वितीयक अंडकोष के अर्धसूत्रीविभाजन II के परिणामस्वरूप कार्यात्मक अंड या अंडाणु और दूसरा ध्रुवीय पिंड बनता पहला परिपक्वता विभाजन अंडाशय में अंडोत्सर्ग से ठीक पहले पूरा हो सकता है लेकिन दूसरा (अंतिम) निषेचन के बाद अंडाशय के बाहर पूरा होता है। द्वितीयक अंडकोशिका मादा युग्मक है जिसमें पहला अर्धसूत्री विभाजन पूरा हो चुका है और दूसरा अर्धसूत्री विभाजन (मेटाफ़ेज़ चरण) शुरू हो चुका है। अंडाणु LH के प्रभाव में द्वितीयक अंडाणुकोशिका अवस्था में मुक्त हो जाता है।
प्रश्न 13: अंडाशय की अनुप्रस्थ काट (ट्रांसवर्स सेक्शन) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर 13:
प्रश्न 14: ग्राफी पुटिका (ग्राफियन फॉलिकिल) का एक नामांकित आरेख बनाएँ।
उत्तर 14:
प्रश्न 15: निम्नलिखित के कार्य बताएँ-
(क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम)
(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमेट्रियम)
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)
(ङ) झालर (फिम्ब्री)
उत्तर 15: (क) पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम)- यह भारी मात्रा में प्रोजेस्ट्रोन स्रवित करता है, जो कि गर्भाशय अंतःस्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
(ख) गर्भाशय अंतःस्तर (इंडोमेट्रियम)- यह गर्भाशय की आंतरिक ग्रंथिल स्तर है, जो भ्रूण के पोषण तथा विकास के लिए उत्तरदायी है| यह आर्तव चक्र के दौरान चक्रीय परिवर्तन से गुजरता है तथा कोकरपुटी और अपरा के अंतर्रोपण के लिए स्वयं को तैयार करता है।
(ग) अग्रपिंडक (एक्रोसोम)- शुक्राणु के शीर्ष में एक दीर्घिकृत अगुणित केंद्रक होता है और इसका अग्रभाग एक टोपीनुमा संरचना से आवृत्त होता है जिसे अग्रपिंडक (एक्रोसोम) कहते हैं| यह अग्रपिंडक उन प्रकिण्वों से भरा होता है, जो अंडाणु के निषेचन में मदद करते हैं।
(घ) शुक्राणु पुच्छ (स्पर्म टेल)- यह शुक्राणु को निषेचन करने के लिए आवश्यक गतिशीलता प्रदान करता है।
(ङ) झालर (फिम्ब्री)- अण्डोत्सर्ग के दौरान अंडाशय से उत्सर्जित अंडाणु को संग्रह करने में ये झालर सहायक होते हैं।
प्रश्न 16: सही या गलत कथनों को पहचानें-
- (क) पुंजनों (एंड्रोजेन्स) का उत्पादन सर्टोली कोशिकाओं द्वारा होता है| (सही/गलत)
- (ख) शुक्राणु को सर्टोली कोशिकाओं से पोषण प्राप्त होता है| (सही/गलत)
- (ग) लीडिग कोशिकाएँ अंडाशय में पाई जाती हैं| (सही/गलत)
- (घ) लीडिग कोशिकाएँ पुंजनों (एंड्रोजेन्स) को संश्लेषित करती हैं| (सही/गलत)
- (ङ) अंडजनन पीत पिंड (कॉपर्स ल्युटियम) में संपन्न होता है| (सही/गलत)
- (च) सगर्भता (प्रेगनेंसी) के दौरान आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) बंद होता है| (सही/गलत)
- (छ) योनिच्छद (हाइमेन) की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति कौमार्य (वर्जिनिटी) या यौन अनुभव का विश्वसनीय संकेत नहीं हैं| (सही/गलत)
उत्तर 16:
- (क) गलत
- (ख) सही
- (ग) गलत
- (घ) सही
- (ङ) गलत
- (च) सही
- (छ) सही
प्रश्न 17: आर्तव चक्र क्या हैं? आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रुअल साइकिल) का कौन से हॉर्मोन नियमन करते हैं?
उत्तर 17: आर्तव चक्र (Menstrual Cycle) एक नियमित जैविक प्रक्रिया है जो महिलाओं में यौवन के बाद से शुरू होती है और गर्भधारण न होने की स्थिति में लगभग हर 28 दिन में होती है। यह चक्र गर्भाशय और अंडाशय में बदलाव की श्रृंखला है, जिसका उद्देश्य गर्भधारण के लिए शरीर को तैयार करना होता है। चक्र के चार मुख्य चरण होते हैं: मासिक धर्म (Menstruation), कूपिक चरण (Follicular Phase), ओव्यूलेशन (Ovulation), और ल्युटियल चरण (Luteal Phase)।
आर्तव चक्र का हॉर्मोनल नियमन:
- गोनाडोट्रोपिन रिलीज़िंग हॉर्मोन (GnRH): यह हाइपोथैलेमस से स्रावित होता है और पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करता है।
- फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH): यह पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है और अंडाशय में कूपों (Follicles) के विकास को उत्तेजित करता है।
- ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH): यह भी पिट्यूटरी ग्रंथि से स्रावित होता है और ओव्यूलेशन (अंडाणु का अंडाशय से निकलना) को प्रेरित करता है।
- ईस्ट्रोजेन: यह अंडाशय द्वारा स्रावित होता है और गर्भाशय की आंतरिक परत (इंडोमेट्रियम) को मोटा और तैयार करता है।
- प्रोजेस्टेरोन: पीत पिंड (कॉर्पस ल्युटियम) से स्रावित होता है और इंडोमेट्रियम को बनाए रखने और गर्भधारण के लिए तैयार रखने में मदद करता है।
प्रश्न 18: प्रसव (पारट्युरिशन) क्या हैं? प्रसव को प्रेरित करने में कौन से हॉर्मोन शामिल होते हैं?
उत्तर 18: गर्भ के बाहर निकलने की इस क्रिया को शिशु-जन्म या प्रसव (पारट्युरिशन) कहा जाता है। प्रसव एक शिशु को जन्म देने की प्रक्रिया है क्योंकि भ्रूण का विकास माँ के गर्भ में पूरा हो जाता है। इस प्रक्रिया में शामिल हार्मोन ऑक्सीटोसिन और रिलैक्सिन हैं। ऑक्सीटोसिन गर्भाशय के पेशीस्तर की चिकनी मांसपेशियों के संकुचन की ओर ले जाता है, जो पूर्ण अवधि के भ्रूण को जन्म-नाल की ओर निर्देशित करता है। दूसरी ओर, रिलैक्सिन हार्मोन श्रोणि स्नायुबंधन को शिथिल करता है और बच्चे के जन्म के लिए गर्भाशय को तैयार करता है।
प्रश्न 19: हमारे समाज में लड़कियाँ जन्म देने का दोष महिलाओं को दिया जाता है।बताएँ कि यह क्यों सही नहीं है?
उत्तर 19: स्त्री में XX गुणसूत्र तथा पुरुष में XY गुणसूत्र पाये जाते हैं। जब स्त्री का X गुणसूत्र तथा पुरुष का Y गुणसूत्र मिलते हैं तो पुत्र (XY) उत्पन्न होता है। इसके विपरीत स्त्री का X गुणसूत्र तथा पुरुष का X गुणसूत्र मिलने पर पुत्री (XX) उत्पन्न होती है। अतः उत्पन्न संतान का लिंग निर्धारण पुरुष के गुणसूत्र द्वारा होता है न कि स्त्री के गुणसूत्र से। चूंकि पुरुष में 50% X तथा 50% Y गुणसूत्र होते हैं। अतः पुरुष के गुणसूत्र का X या Y होना ही सन्तान के लिंग के लिए उत्तरदायी है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि पुत्रियों को जन्म देने का दोष महिलाओं को देना सर्वदा गलत है।
प्रश्न 20: एक माह में मानव अंडाशय से कितने अंडे मोचित होते हैं? यदि माता ने समरूप जुड़वां बच्चों को जन्म दिया हो तो आप क्या सोचते हैं कि कितने अंडे मोचित हुए होंगे? क्या आपका उत्तर बदलेगा यदि जुड़वां बच्चे, द्विअंडज यमज थे?
उत्तर 20: मानव अंडाशय से अंडों का मोचन:
एक सामान्य माह में, मानव अंडाशय से आम तौर पर एक अंडा मोचित होता है। यह प्रक्रिया अंडाणु का विकास (ओव्यूलेशन) कहलाती है, जिसमें एक ही अंडाणु अंडाशय से निकलता है।
समरूप जुड़वां बच्चों की स्थिति: यदि माता ने समरूप जुड़वां (Identical Twins) बच्चों को जन्म दिया हो, तो यह एक ही अंडाणु के विभाजन का परिणाम होता है। इसका अर्थ है कि केवल एक अंडा मोचित हुआ था, जो बाद में विभाजित होकर दो समान जुड़वां बच्चों का निर्माण करता है।
द्विअंडज यमज जुड़वां बच्चों की स्थिति: यदि माता ने द्विअंडज यमज (Fraternal Twins) बच्चों को जन्म दिया हो, तो इसका मतलब है कि दो अलग-अलग अंडाणु मोचित हुए थे। इस स्थिति में, दो अंडे मोचित हुए थे, जिनमें से प्रत्येक का निषेचन अलग-अलग शुक्राणुओं द्वारा हुआ।
प्रश्न 21: आप क्या सोचते हैं कि कुतिया, जिसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, के अंडाशय से कितने अंडे मोचित हुए थे?
उत्तर 21: कुतिया के लिए, यदि उसने 6 बच्चों को जन्म दिया है, तो यह संभवतः 6 अंडों के मोचन का परिणाम हो सकता है।
कुतिया में द्विअंडज यमज (Fraternal Twins) के समान, यदि प्रत्येक बच्चे का विकास एक अलग अंडाणु से हुआ है, तो प्रत्येक बच्चे के लिए एक अलग अंडा मोचित हुआ होगा। इसलिए, अगर सभी 6 बच्चे अलग-अलग अंडाणुओं से उत्पन्न हुए हैं, तो अंडाशय से 6 अंडे मोचित हुए होंगे।