वंशागति के आणविक आधार question answer: Ncert Solution for Class 12 Biology Chapter 5 in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Biology |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | वंशागति के आणविक आधार ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: निम्न को नाइट्रोजनीकृत क्षार व न्यूक्लियोटाइड के रूप में वर्गीकृत कीजिए-
एडेनीन, साइटीडीन, थाइमिन, ग्वानोसीन, यूरेसील व साइटोसीन
उत्तर 1:
- नाइट्रोजनीकृत क्षार – एडेनीन, थाइमीन, यूरेसील, साइटोसीन।
- न्यूक्लियोटाइड – साइटीडीन, ग्वानोसीन।
प्रश्न 2: यदि एक द्विरज्जुक डीएनए में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो डीएनए में मिलने वाले एडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।
उत्तर 2: एक द्विरज्जुक (double-stranded) DNA में, नाइट्रोजनीकृत क्षारों की एक निश्चित जोड़ी होती है, अर्थात:
- एडेनीन (A) हमेशा थाइमिन (T) के साथ जुड़ा होता है।
- ग्वानोसीन (G) हमेशा साइटोसीन (C) के साथ जुड़ा होता है।
चूंकि आप यह जानते हैं कि साइटोसीन का प्रतिशत 20% है, तो इसका अर्थ है कि ग्वानोसीन का प्रतिशत भी 20% होगा।
इस प्रकार, हम जानते हैं कि:
- साइटोसीन (C) = 20%
- ग्वानोसीन (G) = 20%
अब, द्विरज्जुक DNA के कुल प्रतिशत को जोड़ते हैं:
C + G + A +T = 100%
20% + 20% + A + T = 100%
चूंकि एडेनीन (A) और थाइमिन (T) भी समान प्रतिशत में होंगे, हम इसे निम्नलिखित रूप में लिख सकते हैं:
A = T
अब हम समीकरण को पुनः व्यवस्थित करते हैं:
- \(20\% + 20\% + 2\text{A} = 100\%\)
- \(40\% + 2\text{A} = 100\%\)
- \(2\text{A} = 100\% – 40\%\)
- \(2\text{A} = 60\%\)
- \(\text{A} = \frac{60\%}{2} = 30\%\)
इसलिए, डीएनए में एडेनीन का प्रतिशत 30% होगा।
प्रश्न 3: यदि डीएनए के एक रज्जुक के अनुक्रम निम्नवत लिखें हैं-
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
तो पूरा रज्जुक के अनुक्रम को 5’→ 3’ दिशा में लिखें।
उत्तर 3: दिया गया डीएनए रज्जुक अनुक्रम है:
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
चूंकि यह एक द्विरज्जुक (double-stranded) डीएनए है, इसलिए हमें इसके विरोधी (complementary) रज्जुक का अनुक्रम लिखना होगा।
विरोधी रज्जुक के लिए:
- एडेनीन (A) का अनुपात थाइमिन (T) से होता है।
- थाइमिन (T) का अनुपात एडेनीन (A) से होता है।
- ग्वानोसीन (G) का अनुपात साइटोसीन (C) से होता है।
- साइटोसीन (C) का अनुपात ग्वानोसीन (G) से होता है।
अनुक्रम को बदलना:
दिया गया अनुक्रम:
- 5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
इसके आधार पर, इसका विरोधी अनुक्रम होगा:
- A ↔ T
- T ↔ A
- G ↔ C
- C ↔ G
विरोधी अनुक्रम:
- 3′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACGT-5′
पूरा रज्जुक अनुक्रम 5′ से 3′ दिशा में:
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′ (दिया गया)
3′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACGT-5′ (विरोधी)
इसलिए, यदि आप पूरे रज्जुक को 5’→ 3′ दिशा में लिखना चाहते हैं, तो यह होगा:
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
3′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACGT-5′
5′ से 3′ दिशा में विरोधी रज्जुक का अनुक्रम है:
5′-TACGTACGTACGTACGTACGTACGTACGT-3′
प्रश्न 4: यदि अनुलेखन ईकाई में कूटलेखन रज्जुक के अनुक्रम को निम्नवत लिखा गया है-
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
तो दूत आरएनए के अनुक्रम को लिखें।
उत्तर 4: दिया गया डीएनए अनुक्रम है:
5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
दूत RNA (mRNA) का अनुक्रम बनाने के लिए, हमें इस डीएनए के अनुक्रम के खिलाफ़ एकल धागे (single-strand) के रूप में ट्रांसक्रिप्शन करना होगा। इस प्रक्रिया में, निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाता है:
- एडेनीन (A) का अनुपात यूरेसील (U) से होता है (RNA में T की जगह U होता है)।
- थाइमिन (T) का अनुपात एडेनीन (A) से होता है।
- ग्वानोसीन (G) का अनुपात साइटोसीन (C) से होता है।
- साइटोसीन (C) का अनुपात ग्वानोसीन (G) से होता है।
अनुक्रम को बदलना:
दिया गया अनुक्रम:
- 5′-ATGCATGCATGCATGCATGCATGCATGC-3′
इसके आधार पर, दूत RNA का अनुक्रम होगा:
- A → U
- T → A
- G → C
- C → G
दूत RNA अनुक्रम:
दूत RNA का अनुक्रम बनेगा:
5′-AUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGC-3′
इसलिए, दूत RNA (mRNA) का अनुक्रम है:
5′-AUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGCAUGC-3′
प्रश्न 5: डीएनए द्विकुंडली की कौन सी विशेषता वाटसन व क्रिक को डीएनए प्रतिकृति के सेमी-कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर 5: डीएनए द्विकुंडली की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसके दो स्ट्रैंड एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं (एंटी-पैरलल)। यह विशेषता वाटसन और क्रिक को डीएनए प्रतिकृति के सेमी-कंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहायता करती है।
डीएनए द्विकुंडली की विशेषताएँ:
एंटी-पैरलल स्ट्रैंड्स: डीएनए में दो न्यूक्लियोटाइड स्ट्रैंड होते हैं, जो एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं। एक स्ट्रैंड 5′ से 3′ दिशा में चलता है, जबकि दूसरा 3′ से 5′ दिशा में। यह विशेषता प्रतिकृति प्रक्रिया के दौरान न्यूक्लियोटाइड्स के जुड़ने के लिए आवश्यक होती है।
हाइड्रोजन बंधन: डीएनए में एडेनिन (A) और थाइमिन (T) के बीच दो हाइड्रोजन बंधन, जबकि साइटोसिन (C) और ग्वानिन (G) के बीच तीन हाइड्रोजन बंधन होते हैं। ये बंधन स्ट्रैंड्स को एक साथ रखते हैं, जिससे उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है।
प्रतिलिपि प्रक्रिया: जब डीएनए प्रतिकृति होती है, तो दोनों स्ट्रैंड्स अलग हो जाते हैं। प्रत्येक मूल स्ट्रैंड का उपयोग नए स्ट्रैंड बनाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया सेमी-कंजर्वेटिव होती है क्योंकि प्रत्येक नए डीएनए अणु में एक पुराना स्ट्रैंड और एक नया स्ट्रैंड होता है।
प्रश्न 6: टेंपलेट (डीएनए या आरएनए) के रासायनिक प्रकृति व इससे (डीएनए या आरएनए) संश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पालीमरेज के विभिन्न प्रकार की सूची बनाइए।
उत्तर 6: न्यूक्लिक अम्ल पालीमरेज (Nucleic Acid Polymerases) विशेष एंजाइम होते हैं जो न्यूक्लिक अम्ल (डीएनए या आरएनए) के संश्लेषण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये पालीमरेज उनके टेम्पलेट के प्रकार और उनके द्वारा संश्लेषित न्यूक्लिक अम्ल की प्रकृति के आधार पर वर्गीकृत किए जा सकते हैं। नीचे विभिन्न प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल पालीमरेज की सूची दी गई है:
1. डीएनए पालीमरेज (DNA Polymerases)
ये एंजाइम डीएनए के संश्लेषण में मदद करते हैं। वे निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
- डीएनए पालीमरेज I: यह मुख्यतः प्रोकैरियोट्स में पाया जाता है और यह डीएनए की मरम्मत और प्रतिस्थापन में भूमिका निभाता है।
- डीएनए पालीमरेज II: यह डीएनए की मरम्मत में मदद करता है।
- डीएनए पालीमरेज III: यह मुख्य रूप से प्रोकैरियोट्स में डीएनए का मुख्य संश्लेषक है।
- डीएनए पालीमरेज α, δ, ε: ये यूरोकेरियोट्स में पाए जाते हैं, और विभिन्न प्रकार के डीएनए संश्लेषण में शामिल होते हैं।
2. आरएनए पालीमरेज (RNA Polymerases)
ये एंजाइम आरएनए के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
- आरएनए पालीमरेज I: यह राइबोसोमल आरएनए (rRNA) के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होता है।
- आरएनए पालीमरेज II: यह मेसेन्जर आरएनए (mRNA) और छोटे न्यूक्लियर आरएनए (snRNA) के संश्लेषण में मदद करता है।
- आरएनए पालीमरेज III: यह ट्रांसफर आरएनए (tRNA) और अन्य छोटे आरएनए के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होता है।
प्रश्न 7: डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है, इसे सिद्ध करने हेतु अपने प्रयोग के दौरान हर्षे व चेस ने डीएनए ए प्रोटीन के बीच कैसे अंतर स्थापित किया?
उत्तर 7: हर्षे और चेस (Hershey and Chase) ने 1952 में अपने प्रसिद्ध प्रयोग के माध्यम से यह सिद्ध किया कि डीएनए आनुवंशिक पदार्थ है। उन्होंने अपने प्रयोग में बैक्टीरियोफेज़ (वायरस जो बैक्टीरिया पर संक्रमण करते हैं) का उपयोग किया। यह प्रयोग डीएनए और प्रोटीन के बीच अंतर स्थापित करने के लिए किया गया था। यहाँ उनके प्रयोग का संक्षिप्त विवरण और परिणाम दिया गया है:
प्रयोग की विधि
1. बैक्टीरियोफेज़ का चयन: हर्षे और चेस ने T2 बैक्टीरियोफेज़ का चयन किया, जो Escherichia coli बैक्टीरिया को संक्रमित करता है। बैक्टीरियोफेज़ में एक प्रोटीन कवच (कैप्सिड) और एक डीएनए अणु होता है।
2. मार्किंग:
- प्रोटीन को चिह्नित करना: उन्होंने बैक्टीरियोफेज़ के प्रोटीन को सल्फर-35 (¹⁵S) के साथ चिह्नित किया, क्योंकि सल्फर प्रोटीन में पाया जाता है लेकिन डीएनए में नहीं।
- डीएनए को चिह्नित करना: उन्होंने बैक्टीरियोफेज़ के डीएनए को फॉस्फोरस-32 (¹⁴P) के साथ चिह्नित किया, क्योंकि फॉस्फोरस न्यूक्लियोटाइड्स में पाया जाता है लेकिन प्रोटीन में नहीं।
3. संक्रमण प्रक्रिया: चिह्नित बैक्टीरियोफेज़ को E. coli बैक्टीरिया पर लागू किया गया। बैक्टीरियोफेज़ ने बैक्टीरिया में संक्रमण किया और अपने आनुवंशिक पदार्थ को बैक्टीरिया में इंजेक्ट किया।
4. सैंपल संग्रहण: बैक्टीरिया के संक्रमण के बाद, हर्षे और चेस ने बैक्टीरिया को अलग किया और यह देखा कि किस चिह्नित पदार्थ (सल्फर या फॉस्फोरस) बैक्टीरिया में पाया गया।
परिणाम
- फॉस्फोरस-32 चिह्नित डीएनए: प्रयोग के परिणामों से पता चला कि केवल फॉस्फोरस-32 चिह्नित डीएनए ही बैक्टीरिया में पाया गया।
- सल्फर-35 चिह्नित प्रोटीन: इसके विपरीत, सल्फर-35 चिह्नित प्रोटीन बैक्टीरिया में नहीं पाया गया।
निष्कर्ष
इस प्रयोग के परिणामों ने यह स्पष्ट किया कि बैक्टीरियोफेज़ के प्रोटीन को बैक्टीरिया में नहीं डाला गया, जबकि डीएनए ने बैक्टीरिया में प्रवेश किया और इसे संक्रमित किया। इस प्रकार, हर्षे और चेस के प्रयोग ने यह सिद्ध किया कि डीएनए आनुवंशिक सामग्री है और प्रोटीन आनुवंशिक सूचना का संचयन नहीं करता है।
यह प्रयोग आनुवंशिकी और आणविक जीवविज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसने बाद में डीएनए के संरचना और कार्य को समझने में सहायता की।
प्रश्न 8: निम्न के अंतर बताइए-
(क) पुनावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए
(ख) एमआरएनए और टीआरएनए
(ग) टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु
उत्तर 8:
(क) पुनावृत्ति डीएनए एवं अनुषंगी डीएनए
पुनावृत्ति डीएनए (Repetitive DNA) | अनुषंगी डीएनए (Non-coding DNA) |
---|---|
यह वह हिस्सा होता है जो एक विशिष्ट प्रोटीन के लिए आनुवंशिक जानकारी को कोड करता है। | यह वह हिस्सा है जो किसी भी प्रोटीन के लिए कोड नहीं करता है। |
इसे आमतौर पर एक जीन के रूप में समझा जाता है। | इसमें इंट्रॉन, प्रॉमोटर और अन्य गैर-कोडिंग क्षेत्र शामिल होते हैं, जो आनुवंशिक नियंत्रण और अन्य कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। |
यह राइबोसोम में ट्रांसक्रिप्शन और ट्रांसलेशन के माध्यम से प्रोटीन के संश्लेषण में सीधा शामिल होता है। | यह डीएनए का एक बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें कई महत्वपूर्ण कार्य होते हैं, जैसे जीन अभिव्यक्ति का नियंत्रण। |
(ख) एमआरएनए और टीआरएनए
एमआरएनए (mRNA) | टीआरएनए (tRNA) |
---|---|
मेसेन्जर आरएनए (mRNA) राइबोसोम तक आनुवंशिक जानकारी को ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है, जो प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया में शामिल होता है। | ट्रांसफर आरएनए (tRNA) अमिनो एसिड को राइबोसोम में लाने का कार्य करता है, ताकि वे प्रोटीन संश्लेषण में शामिल हो सकें। |
यह डीएनए के जीन से उत्पन्न होता है और इसमें कोडिंग जानकारी होती है, जो अमिनो एसिड अनुक्रम को निर्धारित करती है। | यह एक विशेष संरचना होती है, जिसमें एंटीकोडन होता है जो एमआरएनए के कोडन से मेल खाता है, और यह उचित अमिनो एसिड से जुड़ता है। |
(ग) टेम्पलेट रज्जु और कोडिंग रज्जु
टेम्पलेट रज्जु (Template Strand) | कोडिंग रज्जु (Coding Strand) |
---|---|
यह वह डीएनए रज्जु है जो RNA के संश्लेषण के दौरान उपयोग किया जाता है। | इसे उच्चारण रज्जु भी कहा जाता है, यह वह डीएनए रज्जु है जो कोडिंग जानकारी को धारण करता है। |
यह एंजाइम RNA पालीमरेज द्वारा पढ़ा जाता है और इसके विपरीत (एंटी-पैरलल) दिशा में RNA का निर्माण होता है। | इसका अनुक्रम उस RNA अनुक्रम के समान होता है जो संश्लेषित होता है, लेकिन यह थाइमिन (T) के स्थान पर यूरीसील (U) का उपयोग करता है। |
इसका मुख्य कार्य है कि यह न्यूक्लियोटाइड अनुक्रम को प्रदान करता है जो एमआरएनए में अनुवादित होता है। | यह टेम्पलेट रज्जु के विपरीत दिशा में चलता है और इसका कार्य प्रोटीन के लिए आवश्यक अमिनो एसिड अनुक्रम को निर्धारित करना है। |
प्रश्न 9: स्थानांतरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइए।
उत्तर 9: स्थानांतरण (Translation) के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:
1. प्रोटीन संश्लेषण का स्थल: राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के लिए मुख्य स्थान है, जहाँ यह मेसेन्जर RNA (mRNA) के अनुवाद में भाग लेता है। यहाँ, राइबोसोम mRNA के कोडन को पढ़ता है और ट्रांसफर RNA (tRNA) से संबंधित अमिनो एसिड को जोड़ता है।
2. अमिनो एसिड की श्रृंखला बनाना: राइबोसोम विभिन्न tRNA के माध्यम से अमिनो एसिड को जोड़ता है और उन्हें एक लम्बी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में व्यवस्थित करता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कि स्टॉप कोडन नहीं मिल जाता, जो प्रोटीन के निर्माण को समाप्त करता है।
प्रश्न 10: उस संवर्धन में जहाँ ई.कोलाई वृद्धि कर रहा हो लैक्टोज डालने पर लैक-ओपेरान उत्प्रेरित होता है। तब कभी संवर्धन में लैक्टोज डालने पर लैक ओपेरान कार्य करना क्यों बंद कर देता है?
उत्तर 10: लैक्टोज और लैक-ओपेरान के संदर्भ में, यह प्रक्रिया लैक्टोज संवेदनशीलता और रिप्रेसर प्रणाली पर निर्भर करती है। लैक्टोज की उपस्थिति और अनुपस्थिति में लैक-ओपेरान के कार्य करने या न करने का तंत्र निम्नलिखित है:
लैक-ओपेरान का कार्य करने का तंत्र:
- लैक्टोज की उपस्थिति:
- जब लैक्टोज की मात्रा बढ़ती है, तो यह लैकटोज रिसेप्टर (लैक्टोज का एक रूप) से बंध जाता है।
- यह बंधन लैक-रिप्रेसर को निष्क्रिय कर देता है, जिससे वह लैक-ओपेरान के जीन को दवाने से रोकता है।
- इस स्थिति में लैक-ओपेरान सक्रिय हो जाता है और β-गैलैक्टोसिडेज़ जैसे एंजाइमों का उत्पादन शुरू होता है, जो लैक्टोज को ग्लूकोज और गैलैक्टोज में तोड़ते हैं।
- लैक्टोज की कमी:
- यदि संवर्धन में लैक्टोज की मात्रा कम हो जाती है या समाप्त हो जाती है, तो लैक्टोज की अनुपस्थिति में लैक-रिप्रेसर सक्रिय हो जाता है।
- यह लैक-ओपेरान के प्रमोटर क्षेत्र से बंध जाता है और जीन के ट्रांसक्रिप्शन को रोकता है।
लैक्टोज डालने के बाद लैक-ओपेरान कार्य करना तब बंद कर देता है जब:
- लैक्टोज का स्तर कम होता है।
- लैक-रिप्रेसर फिर से सक्रिय हो जाता है।
- अन्य कार्बन स्रोत (जैसे ग्लूकोज) उपलब्ध होते हैं, जो लैक्टोज के उपयोग को रोकते हैं।
इसलिए, लैक-ओपेरान का कार्य केवल तब तक सक्रिय रहता है जब तक लैक्टोज की उपलब्धता बनी रहती है।
प्रश्न 11: निम्न के कार्यों का वर्णन (एक या दो पंक्तियों से) करो-
(क) उन्नायक (प्रोमोटर)
(ख) अंतरण आरएनए (tRNA)
(ग) एक्जान
उत्तर 11: यहाँ पर दिए गए विषयों के कार्यों का संक्षेप में वर्णन किया गया है:
विषय | कार्य |
---|---|
उन्नायक (प्रोमोटर) | उन्नायक जीन के सामने स्थित डीएनए का वह हिस्सा है जहां पर आरएनए पॉलिमरेज़ एंजाइम बंधता है और जिससे जीन के ट्रांसक्रिप्शन की प्रक्रिया शुरू होती है। |
अंतरण आरएनए (tRNA) | tRNA वह आरएनए अणु है जो प्रोटीन संश्लेषण के दौरान एमिनो एसिड्स को राइबोसोम तक पहुँचाता है, ताकि वे एमिनो एसिड्स की श्रृंखला के रूप में जुड़कर प्रोटीन बना सकें। |
एक्जान | एक्ज़ान जीन के उस हिस्से को कहते हैं जो ट्रांसक्राइब होकर मैसेंजर आरएनए (mRNA) का हिस्सा बनता है और अंततः प्रोटीन संश्लेषण में योगदान देता है। |
प्रश्न 12: मानव जीनोम परियोजना को महापरियोजना क्यों कहा गया?
उत्तर 12: मानव जीनोम परियोजना को एक महापरियोजना इसलिए कहा गया है क्योंकि यह एक अत्यंत व्यापक और जटिल परियोजना थी, जिसमें मानव जीनोम (यानि मानव के पूरे डीएनए अनुक्रम) का अध्ययन और विश्लेषण किया गया था। इसके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- विशाल पैमाना: मानव जीनोम परियोजना का लक्ष्य लगभग 3 बिलियन डीएनए बेस पेयर्स (A, T, C, G) का अनुक्रमण करना था। यह अत्यधिक बड़ी और जटिल प्रक्रिया थी, जो एक साथ कई देशों और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से पूरी की गई। इसमें लगभग 3 बिलियन बेस पेयर और 20,000 से 25,000 जीन शामिल हैं।
- बहु-विषयक सहयोग: इस परियोजना में बायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, जेनेटिक्स, कंप्यूटर साइंस, बायोइंफॉरमैटिक्स, और अन्य कई क्षेत्रों के विशेषज्ञों का सहयोग शामिल था। इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बहु-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता थी।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: मानव जीनोम परियोजना में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस, जर्मनी, और चीन सहित कई देशों के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया। इसे एक वैश्विक प्रयास के रूप में देखा गया।
- लंबी अवधि और लागत: परियोजना को पूरा करने में लगभग 13 वर्ष (1990-2003) लगे और इसका कुल खर्च लगभग 3 अरब डॉलर था। इस तरह की बड़ी अवधि और भारी वित्तीय निवेश इसे एक महापरियोजना बनाते हैं।
- महत्वपूर्ण योगदान और प्रभाव: इस परियोजना के तहत मानव जीनोम का पूरा मानचित्र तैयार किया गया, जिससे जेनेटिक बीमारियों की समझ, जीन-आधारित उपचार, और व्यक्तिगत दवाओं के विकास में नई संभावनाएँ खुलीं। इससे बायोमेडिकल क्षेत्र में क्रांति आई और इसका प्रभाव विश्वभर में देखा गया।
प्रश्न 13: डीएनए अंगुलिछापी क्या है? इसके उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर 13: डीएनए अंगुलिछापी (DNA Fingerprinting) एक प्रयोगशाला तकनीक है जो किसी व्यक्ति के डीएनए के विशेष अनुक्रमों का विश्लेषण करके उसकी पहचान करती है। यह तकनीक व्यक्तिगत डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए उपयोग की जाती है और प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए अद्वितीय होता है, जिससे इसे पहचानने के लिए एक “अंगुलिछाप” की तरह उपयोग किया जा सकता है। उपयोगिता:
- कानूनी मामलों में: हत्या, बलात्कार, और अन्य अपराधों के मामलों में संदिग्धों की पहचान करने के लिए डीएनए अंगुलिछापी का उपयोग किया जाता है।
- पारिवारिक संबंधों की पहचान: यह तकनीक पितृत्व परीक्षण, मातृत्व परीक्षण और पारिवारिक संबंधों की पुष्टि में सहायता करती है।
- चिकित्सा अनुसंधान: विभिन्न आनुवंशिक बीमारियों के कारणों को समझने और उपचार खोजने में मदद करता है।
- जैव विविधता और संरक्षण: जीवों की प्रजातियों की पहचान और संरक्षण के लिए भी डीएनए अंगुलिछापी का उपयोग किया जाता है।
- अपराध विज्ञान: यह तकनीक फॉरेंसिक विज्ञान में महत्वपूर्ण है, जिससे अपराध स्थल से मिले नमूनों से संदिग्धों की पहचान की जा सकती है।
- आनुवंशिकी अनुसंधान: यह आनुवंशिकी के अध्ययन में मदद करता है, जैसे कि जनसंख्या संरचना, प्रवास पैटर्न आदि।
प्रश्न 14:निम्न का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-
(क) अनुलेखन
(ख) बहुरूपता
(ग) स्थानांतरण
(घ) जैव सूचना विज्ञान
उत्तर 14: (क) अनुलेखन- डीएनए की एक रज्जुक से आनुवांशिक सूचनाओं का आरएनए में प्रतिलिपीकरण करने की प्रक्रिया को अनुलेखन कहते हैं। पूरकता का सिद्धांत अनुलेखन प्रक्रम को नियंत्रित करता है जिसमें एडिनोसिन थाइमिन की जगह पर यूरेसील के साथ क्षारयुग्म बनाता है। केवल डीएनए का एक छोटा भाग पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन करता है।
(ख) बहुरूपता- अव्यक्तेक अनुक्रमों में उत्परिवर्तन के माध्यम से उत्पन्न होने वाले डीएनए में भिन्नता को बहुरूपता कहा जाता है। इस तरह की विभिन्नताएँ डीएनए की विशिष्ट स्थलों के लिए अद्वितीय हैं और निवेशन, विलोपन या प्रतिस्थापन के कारण हो सकती हैं। यह इलेक्ट्रोफोरेसिस द्वारा डीएनए खंडों द्वारा पृथक्करण करके प्राप्त किया जा सकता है। डीएनए अनुक्रम में मिलने वाली बहुरूपता डीएनए अंगुलिछापी मानव जीनोम के आनुवांशिक नक्शे तैयार करने में लाभदायक है।
(ग) स्थानांतरण- स्थानांतरण वह प्रक्रिया है जिसमें एमीनो अम्लों के बहुकलन से पॉलीपेप्टाइड का निर्माण होता है। एमीनो अम्लों के क्रम व अनुक्रम दूत आरएनए में पाए जाने वाले क्षारो के अनुक्रम पर निर्भर करता है।
(घ) जैव सूचना विज्ञान- यह कम्प्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है, जो प्रबंधन, जीनोमीक्स की बड़ी सूचनाओं को संशोधित करने, सूचना प्रसंस्करण, आँकड़ों का विश्लेषण करने और नए ज्ञान का निर्माण करने के साथ काम करता है।