Class 12 Chemistry Chapter 1 ncert solutions in hindi विलयन

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Chemistry Class 12 Chapter 1 exercise solutions in hindi: Class 12 Chemistry Chapter 1 Question answer in Hindi

TextbookNcert
ClassClass 12
SubjectChemistry
ChapterChapter 1
Chapter Nameविलयन Class 12 ncert solutions in hindi
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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प्रश्न 1.1: विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विभिन्न विलयन सम्भव हैं? प्रत्येक प्रकार के विलयन के सम्बन्ध में एक उदाहरण देकर संक्षेप में लिखिए।

उत्तर 1.1: विलयन एक समान मिश्रण है, जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में मिलते हैं। इसमें एक पदार्थ को विलायक और दूसरे को विलेय कहते हैं। विलेय वह पदार्थ है जो कम मात्रा में होता है और विलायक वह पदार्थ है जो अधिक मात्रा में होता है।

विलयन के प्रकार – विलेय तथा विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर विलयनों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

विलयनों के प्रकारविलेयविलायकसामान्य उदाहरण
गैसीय विलयनगैसगैसऑक्सीजन व नाइट्रोजन का मिश्रण 
द्रवगैसक्लोरोफॉर्म का नाइट्रोजन गैस में मिश्रण
ठोसगैसकपूर का नाइट्रोजन गैस में विलयन
द्रव विलयनगैसद्रवजल में घुली हुई ऑक्सीजन
द्रवद्रवजल में घुला हुआ एथेनॉल
ठोसद्रवजल में घुला हुआ ग्लूकोस
ठोस विलयनगैसठोसहाइड्रोजन का पैलेडियम में विलयन
द्रवठोसपारे का सोडियम के साथ अमलगम
ठोसठोसताँबे का सोने में विलयन

विलयन के प्रकार: विलयन को विलेय और विलायक की भौतिक अवस्थाओं (ठोस, द्रव, गैस) के आधार पर विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। तीन प्रमुख अवस्थाओं के आधार पर नौ प्रकार के विलयन सम्भव हैं:

  • गैस में गैस: उदाहरण: वायु – वायु में ऑक्सीजन (O₂) और अन्य गैसें नाइट्रोजन (N₂) में घुली होती हैं।
  • गैस में द्रव: उदाहरण: सोडा पानी – कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस पानी (H₂O) में घुली होती है।
  • गैस में ठोस: उदाहरण: प्लैटिनम में हाइड्रोजन – हाइड्रोजन गैस प्लैटिनम में घुली होती है।
  • द्रव में गैस: उदाहरण: वाष्पित जल – हवा में जल वाष्प घुली होती है।
  • द्रव में द्रव: उदाहरण: शराब और पानी – अल्कोहल पानी में घुली होती है।
  • द्रव में ठोस: उदाहरण: पारा में सोना – पारा में सोना घुल जाता है और अमलगम बनता है।
  • ठोस में गैस: उदाहरण: धूल कण और धुआँ – धूल कण और धुआँ गैस में मिल जाते हैं।
  • ठोस में द्रव: उदाहरण: चीनी या नमक का घोल – चीनी या नमक पानी में घुल जाते हैं।
  • ठोस में ठोस: उदाहरण: पीतल – यह जिंक और तांबे का मिश्रण होता है।

प्रश्न 1.2: एक ऐसे ठोस विलयन का उदाहरण दीजिए जिसमें विलेय कोई गैस हो।

उत्तर 1.2: चूँकि एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों की तुलना में बहुत छोटे हैं, अतः छोटे कण बड़े कणों के अन्तराकाशी स्थलों में व्यवस्थित हो जायेंगे। अतः ठोस विलयन अन्तराकाशी ठोस विलयन प्रकार का होगा। उदाहरण के लिए, पैलेडियम में हाइड्रोजन का घोल एक ठोस घोल है, जिसमें विलेय एक गैस है।

प्रश्न 1.3: निम्न पदों को परिभाषित कीजिए –

  • मोल-अंश
  • मोललता
  • मोलरता
  • द्रव्यमान प्रतिशत।

उत्तर 1.3: 1. मोल-अंश: विलयन में उपस्थित किसी एक घटक या अवयव के मोलों की संख्या तथा विलेय एवं विलायक के कुल मोलों की संख्या के अनुपात को उस अवयव का मोल-अंश कहते हैं। यह बिना इकाई के होता है।

सूत्र: मोल-अंश XA = अवयव A के मोलों की संख्या/कुल मोलों की संख्या (विलेय + विलायक)

उदाहरण: यदि किसी विलयन में 2 मोल विलेय और 3 मोल विलायक हैं, तो विलेय का मोल-अंश होगा:
\(X_{\text{विलेय}} = \frac{2}{2 + 3} = \frac{2}{5}\)

2. मोललता: मोललता किसी विलयन में विलेय की मोलों की संख्या का उस विलायक के किलोग्राम में द्रव्यमान के अनुपात को कहते हैं। इसकी इकाई मोल/किलोग्राम होती है।

सूत्र: मोललता (m) = विलेय के मोलों की संख्या/विलायक का द्रव्यमान (किलोग्राम में)

उदाहरण: यदि 2 मोल विलेय को 1 किलोग्राम पानी में घोलते हैं, तो मोललता होगी:
\(m = \frac{2}{1}\) = 2 मोल/किलोग्राम

3. मोलरता: मोलरता किसी विलयन में विलेय की मोलों की संख्या का उस विलयन के घनफल (लिटर में) के अनुपात को कहते हैं। इसकी इकाई मोल/लीटर होती है।

सूत्र: मोलरता (M) = विलेय के मोलों की संख्या/विलयन का आयतन (लीटर में)

उदाहरण: यदि 1 मोल विलेय 2 लीटर विलयन में घुला है, तो मोलरता होगी:
\(M = \frac{1}{2}\) = 0.5 मोल/लीटर

4. द्रव्यमान प्रतिशत: द्रव्यमान प्रतिशत विलयन में किसी घटक (विलेय या विलायक) का द्रव्यमान का कुल द्रव्यमान के प्रति प्रतिशत में अनुपात होता है। इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है।

सूत्र: द्रव्यमान प्रतिशत = {घटक का द्रव्यमान/विलयन का कुल द्रव्यमान} × 100
]

उदाहरण: यदि 10 ग्राम नमक को 90 ग्राम पानी में घोलते हैं, तो नमक का द्रव्यमान प्रतिशत होगा:
द्रव्यमान प्रतिशत = \(\frac{10}{10 + 90} \times 100 = 10\%\)

प्रश्न 1.4: प्रयोगशाला कार्य के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला सांद्र नाइट्रिक अम्ल द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल का 68% जलीय विलयन है। यदि इस विलयन का घनत्व 1.504 g mL−1 हो तो अम्ल के इस नमूने की मोलरता क्या होगी?

उत्तर 1.4: सांद्र नाइट्रिक अम्ल का 68% जलीय विलयन दिया गया है, जिसका घनत्व 1.504 g mL है। अब, मोलरता (Molarity) निकालने के लिए निम्नलिखित कदमों का उपयोग करेंगे:

1. द्रव्यमान प्रतिशत से 1 लीटर विलयन में नाइट्रिक अम्ल का द्रव्यमान निकालें:

  • विलयन का घनत्व 1.504 g mL है, तो 1 लीटर (1000 mL) विलयन का कुल द्रव्यमान:
    द्रव्यमान = \(1.504 \, \text{g/mL} \times 1000 \, \text{mL} = 1504 \, \text{g}\)
  • 68% के अनुसार, नाइट्रिक अम्ल HNO3 का द्रव्यमान:
    HNO3 का द्रव्यमान = \(0.68 \times 1504 \, \text{g} = 1022.72 \, \text{g}\)

2. मोल्स निकालें:

  • HNO3 का मोलर द्रव्यमान 63 g/mol है।
    मोल्स = \(\frac{1022.72 \, \text{g}}{63 \, \text{g/mol}} = 16.23 \, \text{mol}\)

3. मोलरता (Molarity) निकालें:

मोलरता M 1 लीटर विलयन में मोल्स की संख्या होती है, तो:
मोलरता} = 16.23 mol/L

अतः नाइट्रिक अम्ल के इस नमूने की मोलरता 16.23 mol/L होगी।

प्रश्न 1.5: ग्लूकोस का एक जलीय विलयन 10% (w/w) है। विलयन की मोललता तथा विलयन में प्रत्येक घटक का मोल-अंश क्या है? यदि विलयन का घनत्व 1.2 g mL−1 हो तो विलयन की मोलरता क्या होगी?

उत्तर 1.5:

1. मोललता:

10% (w/w) का अर्थ है कि 100 ग्राम विलयन में 10 ग्राम ग्लूकोस है।

  • ग्लूकोस का मोलर द्रव्यमान = \( 180 \, \text{g/mol} \)।
  • ग्लूकोस के मोल्स = \( \frac{10}{180} = 0.0556 \, \text{mol} \)।
  • पानी का द्रव्यमान = \( 100 – 10 = 90 \, \text{g} \)।
  • पानी के किलोग्राम में द्रव्यमान = \( 0.090 \, \text{kg} \)।

मोललता:
Molality = \(\frac{0.0556 \, \text{mol}}{0.090 \, \text{kg}} = 0.617 \, m\)

2. मोल-अंश:

  • पानी के मोल्स = \( \frac{90}{18} = 5 \, \text{mol} \)।
  • कुल मोल्स = \( 0.0556 + 5 = 5.0556 \, \text{mol} \)।

ग्लूकोस का मोल-अंश:
Mole fraction of glucose = \(\frac{0.0556}{5.0556} \approx 0.01\)

पानी का मोल-अंश:
∴ x (H2O) = 1 − 0.01 = 0.99

3. मोलरता:

विलयन का घनत्व 1.2g/mL है, तो 100 ग्राम विलयन का आयतन:
विलयन का आयतन = \(\frac{100}{1.2} = 83.33 \, \text{mL}\) = 0.0833 L

मोलरता:
Molarity = \(\frac{0.0556 \, \text{mol}}{0.0833 \, \text{L}} = 0.67 \, M\)

प्रश्न 1.6: यदि 1 g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 M HCl के कितने mL की आवश्यकता होगी?

उत्तर 1.6: हमारे पास Na2CO3 और NaHCO3 का 1 ग्राम का मिश्रण है, और दोनों के मोल समान हैं। अब, 0.1 M HCl के कितने mL की आवश्यकता होगी, यह जानने के लिए कदम-दर-कदम हल करेंगे।

1. मिश्रण की मोलर गणना:

मान लेते हैं कि Na2CO3 और NaHCO3 के मोल समान हैं।

  • Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = 106 g/mol
  • NaHCO3 का मोलर द्रव्यमान = 84 g/mol

चूंकि दोनों के मोल समान हैं, मान लेते हैं कि ( n ) मोल Na2CO3 और ( n ) मोल NaHCO3 हैं। कुल द्रव्यमान:
106n + 84n = 1 g
190n = 1 ⟹ n = \(\frac{1}{190} = 0.00526 \, \text{mol}\)

2. प्रतिक्रिया समीकरण:

  • Na2CO3 के साथ ( HCl ) की प्रतिक्रिया:
    Na2CO3 + 2 HCl → 2 NaCl + H2​O + CO2​
    1mol Na2CO3 के लिए 2 mol HCl की आवश्यकता है।
  • NaHCO3 के साथ ( HCl ) की प्रतिक्रिया:
    NaHCO3 + HCl → NaCl + H2​O + CO2​
    1 mol NaHCO3 के लिए 1 mol HCl की आवश्यकता है।

3. कुल HCl की आवश्यकता:

  • Na2CO3 के 0.00526 मोल्स के लिए 2 × 0.00526 = 0.01052 mol HCl।
  • NaHCO3 के 0.00526 मोल्स के लिए 0.00526 mol HCl।

कुल ( HCl ) की आवश्यकता:
0.01052 + 0.00526 = 0.01578 mol HCl

4. 0.1 M HCl का आयतन:

आयतन = \(\frac{0.01578 \, \text{mol}}{0.1 \, \text{mol/L}} \) = 0.1578 L = 157.8 mL

अतः, 1 g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 M HCl के 157.8 mL की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 1.7: द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300 g एवं 40% के 400 g को आपस में मिलाने पर प्राप्त मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सांद्रण निकालिए।

उत्तर 1.7: हमें 25% वाले 300 g और 40% वाले 400 g विलयनों को मिलाकर मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सांद्रण निकालना है।

1. पहले विलयन में विलेय का द्रव्यमान:

25% सांद्रण का मतलब है कि 300 g में 25% विलेय है:
विलेय = \(\frac{25}{100} \times 300 = 75 \, \text{g}\)

2. दूसरे विलयन में विलेय का द्रव्यमान:

40% सांद्रण का मतलब है कि 400 g में 40% विलेय है:
विलेय = \(\frac{40}{100} \times 400 = 160 \, \text{g}\)

3. मिश्रण का कुल द्रव्यमान:

कुल द्रव्यमान = 300g + 400g = 700g

4. मिश्रण में कुल विलेय का द्रव्यमान:

कुल विलेय = 75g + 160g = 235g

5. मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सांद्रण:

द्रव्यमान प्रतिशत = \(\frac{235}{700} \times 100 = 33.5\%\)

मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सांद्रण 33.5% होगा।

प्रश्न 1.8: 222.6 g, एथिलीन ग्लाइकॉल, C2H4(OH)2 तथा 200 g जल को मिलाकर प्रतिहिम मिश्रण बनाया गया। विलयन की मोललता की गणना कीजिए। यदि विलयन का घनत्व 1.072 g mL−1 हो तो विलयन की मोलरता निकालिए।

उत्तर 1.8: हमें 222.6 g एथिलीन ग्लाइकॉल C2H4(OH)2 और 200 g जल के मिश्रण की मोललता और मोलरता निकालनी है।

1. मोललता (Molality)

  • एथिलीन ग्लाइकॉल का मोलर द्रव्यमान:
    C2H4(OH)2 = (2×12) + (4×1) + (2×16) + (2×1) = 62 g/mol
  • एथिलीन ग्लाइकॉल के मोल:
    मोल्स = \(\frac{222.6 \, \text{g}}{62 \, \text{g/mol}} = 3.59 \, \text{mol}\)
  • जल का द्रव्यमान (किलोग्राम में):
    जल का द्रव्यमान = 200g = 0.200 kg
  • मोललता:
    Molality = \(\frac{3.59 \, \text{mol}}{0.200 \, \text{kg}} = 17.95 \, \text{m}\)

2. मोलरता (Molarity)

  • विलयन का कुल द्रव्यमान:
    कुल द्रव्यमान = 222.6g + 200g = 422.6g
  • विलयन का आयतन:
    आयतन = \(\frac{422.6 \, \text{g}}{1.072 \, \text{g/mL}}\) = 394.13mL = 0.394L
  • मोलरता:
    Molarity = \(\frac{3.59 \, \text{mol}}{0.394 \, \text{L}} = 9.11 \, \text{M}\)

प्रश्न 1.9: एक पेय जल का नमूना क्लोरोफॉर्म (CHCl3) से कैंसरजन्य समझे जाने की सीमा तक बहुत अधिक संदूषित है। इसमें संदूषण की सीमा 15 ppm (द्रव्यमान में) है :
(i) इसे द्रव्यमान प्रतिशत में व्यक्त कीजिए।
(ii) जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।

उत्तर 1.9: हमारे पास 15 ppm क्लोरोफॉर्म (CHCl₃) का संदूषण है। इसका मतलब है कि 1 मिलियन ग्राम जल (1000000 g) में 15 ग्राम क्लोरोफॉर्म मौजूद है।

(i) द्रव्यमान प्रतिशत

15 ppm का मतलब है कि 1 मिलियन ग्राम जल में 15 ग्राम क्लोरोफॉर्म है। हम इसे द्रव्यमान प्रतिशत में व्यक्त करेंगे:

द्रव्यमान प्रतिशत = \(\frac{15 \, \text{g}}{10^6 \, \text{g}} \times 100 = 1.5 \times 10^{-4} \%\)

(ii) मोललता

क्लोरोफॉर्म का मोलर द्रव्यमान:
CHCl3 = (1×12) + (1×1) + (3×35.5) = 119.5 g/mol

अब, 15 ग्राम क्लोरोफॉर्म में 119.5 ग्राम प्रति मोल का द्रव्यमान होगा।

  • 15 ग्राम क्लोरोफॉर्म के मोल्स:
    मोल्स = \(\frac{15 \, \text{g}}{119.5 \, \text{g/mol}} = 0.125 \, \text{mol}\)

जल का द्रव्यमान = \( 10^6 \, \text{g} – 15 \, \text{g} \approx 10^6 \, \text{g} \) (क्योंकि जल का द्रव्यमान बहुत अधिक है, 15 ग्राम का प्रभाव नगण्य है)।

मोललता (m) की गणना:

Molality = \(\frac{0.125 \, \text{mol}}{10^6 \, \text{g}} \)

= \(\frac{0.125 \, \text{mol}}{1000 \, \text{kg}}\)

= 1.25 × 10⁻⁴ m

प्रश्न 1.10: ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्यक्रिया की क्या भूमिका है?

उत्तर 1.10: ऐल्कोहॉल एवं जल के विलयन में ऐल्कोहॉल तथा जल के अणु अंतराआण्विक H-बंध बनाते हैं। लेकिन यह H2O-H2O तथा ऐल्कोहॉल-ऐल्कोहॉल H-बंध से दुर्बल होते हैं। इससे अणुओं की वाष्प अवस्था में जाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। अत: यह विलयन राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 1.11: ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?

उत्तर 1.11: ताप के बढ़ने पर किसी गैस की द्रवों में विलेयता घटती है। घोले जाने पर गैस के अणु द्रव प्रावस्था में विलीन होकर उसमें उपस्थित होते हैं। अत: विलीनीकरण के प्रक्रम को संघनन के समकक्ष समझा जा सकता है तथा इस प्रक्रम में ऊर्जा उत्सर्जित होती है। 

गैस + विलायक \(\leftrightarrows\) विलयन + ऊष्मा

विलीनीकरण की प्रक्रिया एक गतिक साम्य की अवस्था में होती है। अतः इसे ले-शातैलिये नियम का पालन करना चाहिए। गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। ताप बढ़ाने पर साम्य बायीं ओर विस्थापित होता है और विलयन से गैस मुक्त होती है।

प्रश्न 1.12: हेनरी का नियम तथा इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग लिखिए।

उत्तर 1.12: हेनरी का नियम:

हेनरी का नियम (Henry’s Law) गैसों के विलयन और उनके दबाव के बीच के संबंध को स्पष्ट करता है। यह नियम कहता है कि:

“किसी गैस का विलयन में घुलने की सांद्रता उस गैस केpartial दबाव के सीधे अनुपात में होती है, जब तापमान स्थिर रहता है।”

संगत रूप में इसे इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: P = kH ​⋅ x

जहां:

  • P = गैस का partial दबाव (atmospheres या Pascal में)
  • kH = हेनरी का गुणांक (जिसकी इकाई दबाव/ सांद्रता है)
  • x = द्रव में घुली गैस की मोलल सांद्रता या मोल फ्रेक्शन

हेनरी के नियम के महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग:

1. सोडा और अन्य कार्बोनेटेड पेय पदार्थ: हेनरी का नियम कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) के पेय पदार्थों में घुलने के सिद्धांत को समझाता है। जब पेय पदार्थों को बोतल में बंद किया जाता है, तो CO₂ का दबाव उच्च होता है, जिससे CO₂ घुलने में मदद मिलती है। जब बोतल खोली जाती है, तो दबाव कम हो जाता है और CO₂ गैस बाहर निकल जाती है, जिससे बुलबुले उत्पन्न होते हैं।

2. गैसों का रक्त में घुलना: हेनरी का नियम जीवन रक्षक अनुप्रयोगों में उपयोगी है। जब हम गहरे पानी में गोताखोरी करते हैं, तो गहरे पानी का दबाव बढ़ जाता है, जिससे नाइट्रोजन और अन्य गैसें शरीर के रक्त में अधिक घुलने लगती हैं। यदि गोताखोर अचानक सतह पर आते हैं, तो यह घुली हुई गैसें तेजी से बाहर निकल सकती हैं, जिससे डीकंप्रेशन बीमारी (decompression sickness) हो सकती है।

3. प्राकृतिक गैसों की भंडारण और परिवहन: हेनरी का नियम गैसों के भंडारण और परिवहन की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है, जैसे प्राकृतिक गैसों (methane, ethane) का भंडारण दबाव में गैस को तरल रूप में करना। हेनरी का नियम यह बताता है कि गैसों का घुलाव और उनके दबाव के साथ व्यवहार कैसे होता है, विशेष रूप से उच्च दबाव पर।

प्रश्न 1.13: 6.56 × 10−3 g एथेन युक्त एक संतृप्त विलयन में एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 × 10−2 g एथेन हो तो गैस का आंशिक दाब क्या होगा?

उत्तर 1.13: प्रश्न 1.13 का उत्तर:

हेनरी का नियम \( P = k_H \cdot x \) के अनुसार, किसी गैस का आंशिक दाब उसके मोल फ्रेक्शन के समानुपाती होता है। यहां, P1 और P2 के बीच का अनुपात समान रहेगा, क्योंकि यह संतृप्त विलयन है और गैस का आंशिक दाब मोल फ्रेक्शन के अनुरूप होता है।

हमें दिया गया है:

  • \( P_1 = 1 \, \text{bar} \) (आंशिक दाब जब 6.56 × 10⁻³ g एथेन है)
  • \( x_1 = \frac{6.56 \times 10^{-3} \, \text{g}}{कुलद्रव्यमान} \)
  • \( x_2 = \frac{5.00 \times 10^{-2} \, \text{g}}{कुलद्रव्यमान} \)

चूंकि \( P \propto x \), हम अनुपात से यह पा सकते हैं:

\(\frac{P_2}{P_1} = \frac{x_2}{x_1}\)

\(P_2 = P_1 \times \frac{x_2}{x_1}\)

अब, x1 और x2 के अनुपात की गणना करेंगे:

\(\frac{x_2}{x_1} = \frac{5.00 \times 10^{-2}}{6.56 \times 10^{-3}} = 7.63\)

इसलिए,

P2 ​= 1bar × 7.63 = 7.63bar

गैस का आंशिक दाब 7.63 bar होगा।

प्रश्न 1.14: राउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा 
Δमिश्रणH के चिह्न का इन विचलनों से कैसे संबंधित है?

उत्तर 1.14: राउल्ट के नियम के अनुसार, किसी विलयन के प्रत्येक वाष्पशील अवयव का आंशिक वाष्प दाब इसके मोल-अंश के समानुपाती होता है। ऐसे विलयन जो सभी सांद्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन करते हैं, आदर्श विलयन कहलाते हैं। जब कोई विलयन सभी सांद्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन कहलाता है।

इस प्रकार के विलयनों का वाष्पदाब राउल्ट के नियम द्वारा प्रागुक्त किए गए वाष्प दाब से या तो अधिक होता है या कम होता है। यदि यह अधिक होता है तो यह विलयन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन दर्शाने वाले द्विघटकीय निकाय का वाष्प दाब

राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन दर्शाने वाले द्विघटकीय निकाय का वाष्प दाब

आदर्श विलयन के मामले में, मिश्रण बनाने के लिए शुद्ध अवयवों को मिश्रित करने पर मिश्रण बनाने का ऐंथैल्पी परिवर्तन शून्य होता है।

Δमिश्रणH = 0

धनात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयनों में ऊष्मा का अवशोषण होता है।

Δमिश्रणH = धनात्मक 

ऋणात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयनों के मामले में ऊष्मा का उत्सर्जन होता है।

Δमिश्रणH = ऋणात्मक

प्रश्न 1.15: विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक अवाष्पशील विलेय के 2% जलीय विलयन का 1.004 bar वाष्प दाब है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या है?

उत्तर 1.15: क्वथनांक पर शुद्ध जल का वाष्प दाब (p0) = 1 atm = 1.013 bar

  • विलयन का वाष्प दाब (ps) = 1.004 bar
  • विलेय का द्रव्यमान (w2) = 2 g
  • विलयन का द्रव्यमान = 100 g
  • विलेय का द्रव्यमान (w1) = 100 − 2 = 98 g
  • विलायक का मोलर द्रव्यमान (जल) = 18 g mol−1

तनु विलयनों के लिए राउल्ट के नियमानुसार,

\(\frac{p^{\circ}_1 – p_1}{p^{\circ}_1} = \frac{w_2 \times M_1}{M_2 \times w_1}\)

= \(\frac{1.013 – 1.004}{1.013} = \frac{2\times 18}{M_{2}\times 98}\)

= \(\frac{0.009}{1.013} = \frac{2\times 18}{M_{2}\times 98}\)

= \(M_{2} = \frac{1.013\times 2\times 18}{0.009\times 98}\)

= 41.35 g mol−1

अतः विलेय का मोलर द्रव्यमान 41.35 g mol−1 है।

प्रश्न 1.16: हेप्टेन एवं ऑक्टेन एक आदर्श विलयन बनाते हैं। 373 K पर दोनों द्रव घटकों के वाष्प दाब क्रमशः 105.2 kPa तथा 46.8 kPa हैं। 26.0 g हेप्टेन एवं 35.0 g ऑक्टेन के मिश्रण का वाष्प दाब क्या होगा?

उत्तर 1.16: हेप्टेन का वाष्प दाब, \(p^{\circ}_{1}\) = 105.2 kPa

ऑक्टेन का वाष्प दाब, \(p^{\circ}_{2}\) = 46.8 kPa

हम जानते हैं

हेप्टेन का मोलर द्रव्यमान (C7H16) = 7 x 12 + 16 x 1 = 100 g mol−1

∴ हेप्टेन के मोलों की संख्या = \(\frac{26}{100}\) = 0.26 mol

ऑक्टेन का मोलर द्रव्यमान (C8H18) (C8H18) = 8 x 12 + 18 x 1 = 114 g mol−1

∴ ऑक्टेन के मोलों की संख्या = \(\frac{35}{114}\) = 0.31 mol

हेप्टेन का मोल-अंश, x1 = \(\frac{0.26}{0.26 + 0.31}\) = 0.456

और, ऑक्टेन का मोल-अंश, x2 = 1 − 0.456 = 0.544

अब, हेप्टेन का आंशिक दाब,

\(p_{1} = x_{1}p^{\circ}_{1}\)

= 0.456 x 105.2

= 47.97 kPa

ऑक्टेन का आंशिक दाब, 

\(p_{2} = x_{2}p^{\circ}_{2}\)

= 0.544 x 46.8

= 25.46 kPa

इसलिए, विलयन का वाष्प दाब,

\(p_{total} = p_{1} + p_{2}\)

= 47.97 + 25.46

= 73.43 kPa

प्रश्न 1.17: 300 K पर जल का वाष्प दाब 12.3 kPa है। इसमें बने अवाष्पशील विलेय के एक मोलल विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए।

उत्तर 1.17: एक मोलल विलयन का तात्पर्य है कि 1000 g विलायक (जल) में विलेय का 1 mol उपस्थित है।

जल का मोलर द्रव्यमान = 18 g mol−1

∴ 1000 g जल में मौजूद मोलों की संख्या = \(\frac{1000}{18}\) = 55.56 mol

इसलिए, विलयन में विलेय का मोल-अंश है, \(x_{2} = \frac{1}{1 + 55.56}\) = 0.0177

जल का वाष्प दाब,  \(p^{\circ}_{1}\) = 12.3 kPa

संबंध लागू करने पर, \(\frac{p_1^\circ – p_1}{p_1^\circ} = x_2\)

= \(\frac{12.3 – p_{1}}{12.3}\)

= 0.0177

= 12.3 – p1 = 0.2177

= p1 = 12.0823

= 12.08 kPa (लगभग)

अतः विलयन का वाष्प दाब 12.08 kPa है।

प्रश्न 1.18: 114 g ऑक्टेन में किसी अवाष्पशील विलेय (मोलर द्रव्यमान 40 g mol−1) की कितनी मात्रा घोली जाए कि ऑक्टेन का वाष्प दाब घट कर मूल वाष्प दाब का 80% रह जाए?

उत्तर 1.18: राउल्ट्स का नियम:
\(P = P_0 \cdot X_A\)
जहां,
P = विलयन का वाष्प दाब (80% (P_0))
P0 = शुद्ध ऑक्टेन का वाष्प दाब
XA = ऑक्टेन का मोल अंश

चूंकि वाष्प दाब 80% हो गया है:
\(\frac{P}{P_0} = 0.80\)
XA = 0.80

  1. मोल अंश:
    मोल अंश XA = ऑक्टेन के मोल्स / (ऑक्टेन के मोल्स + विलेय के मोल्स) ऑक्टेन के मोल्स:
    \(n_A = \frac{114}{114} = 1 \, \text{mol}\)
    विलेय के मोल्स:
    \(n_B = \frac{m_B}{40}\)
    जहां (mB) विलेय का द्रव्यमान है।
  2. मोल अंश को समीकरण में रखें:
    \(X_A = \frac{1}{1 + \frac{m_B}{40}} = 0.80\)
  3. समीकरण को हल करें:
    \(\frac{1}{1 + \frac{m_B}{40}} = 0.80\)
    \(1 + \frac{m_B}{40} = \frac{1}{0.80} = 1.25\)
    \(\frac{m_B}{40} = 1.25 – 1 = 0.25\)
    \(m_B = 0.25 \times 40 = 10 \, \text{g}\)

विलेय की मात्रा 10 g होगी।

प्रश्न 1.19: एक विलयन जिसे एक अवाष्पशील ठोस के 30 g को 90 g जल में विलीन करके बनाया गया है। उसका 298 K पर वाष्प दाब 2.8 kPa है। विलयन में 18 g जल और मिलाया जाता है जिससे नया वाष्प दाब 298 K पर 2.9 kPa हो जाता है। निम्नलिखित की गणना कीजिए। (i) विलेय का मोलर द्रव्यमान (ii) 298 K पर जल का वाष्प दाब।

उत्तर 1.19: आइए समस्या को चरण-दर-चरण हल करते हैं:

दी गई जानकारी:

  1. विलयन में अवाष्पशील ठोस (विलेय) का द्रव्यमान ms = 30 g है।
  2. प्रारंभिक जल का द्रव्यमान mW = 90 g है।
  3. प्रारंभिक विलयन का वाष्प दाब P1 = 2.8 kPa है।
  4. जल में 18 g और जोड़ा जाता है, जिससे नया वाष्प दाब P2 = 2.9 kPa हो जाता है।

हमें दो बातें ज्ञात करनी हैं:

  1. विलेय का मोलर द्रव्यमान M
  2. 298 K पर जल का वाष्प दाब \( P_w^0 \)

समाधान:

चरण 1: प्रारंभिक विलयन में जल का मोल अंश Xw1

  1. विलेय के मोल की गणना करें:
    \(n_s = \frac{m_s}{M} = \frac{30}{M} \text{ mol}\)
  2. प्रारंभिक जल के मोल:
    \(n_w = \frac{m_w}{M_w} = \frac{90}{18} = 5 \text{ mol}\)
  3. प्रारंभिक जल का मोल अंश Xw1:
    Xw1 = \(\frac{n_w}{n_w + n_s} = \frac{5}{5 + \frac{30}{M}}\) \(= \frac{5M}{5M + 30}\)
  4. Raoult’s law के अनुसार प्रारंभिक वाष्प दाब P1:
    \(P_1 = X_{w1} \cdot P_w^0\)
    2.8 = \(\left(\frac{5M}{5M + 30}\right) P_w^0 \quad \text{(i)}\)

चरण 2: जल में 18 g जोड़ने के बाद नया मोल अंश Xw2

  1. नया जल का मोल:
    \(n_{w, \text{new}} = \frac{108}{18} = 6 \text{ mol}\)
  2. नया जल का मोल अंश Xw2:
    Xw2 = \(\frac{n_{w, \text{new}}}{n_{w, \text{new}} + n_s}\) \(= \frac{6}{6 + \frac{30}{M}} = \frac{6M}{6M + 30}\)
  3. Raoult’s law के अनुसार नया वाष्प दाब P2:
    \(P_2 = X_{w2} \cdot P_w^0\)
    2.9 = \(\left(\frac{6M}{6M + 30}\right) P_w^0 \quad \text{(ii)}\)

चरण 3: \( P_w^0 \) और M का समाधान

अब, समीकरण (i) और (ii) से \( P_w^0 \) और M के मान प्राप्त करें:

समीकरण (i) से:
\(P_w^0 = \frac{2.8 (5M + 30)}{5M}\)

समीकरण (ii) से:
\(P_w^0 = \frac{2.9 (6M + 30)}{6M}\)

इन दोनों समीकरणों को बराबर रखते हैं:
\(\frac{2.8 (5M + 30)}{5M} = \frac{2.9 (6M + 30)}{6M}\)

अब इसे हल करते हैं:
2.8 (5M + 30)(6M) = 2.9 (6M + 30)(5M)

विस्तारित करने पर और संक्षिप्त रूप देने पर:
16.8 M2 + 504 M = 14.5 M2 + 435 M

संगत पदों को एक साथ लाते हैं:
\(2.3 M^2 + 69 M = 0\)

इससे, M के लिए हल करें:
\(M = 23 \, \text{g/mol}\)

अब, \( P_w^0 \) की गणना के लिए, M = 23 का मान उपरोक्त किसी भी समीकरण में डालें।

समीकरण (i) का उपयोग करते हैं:
\(P_w^0 = \frac{2.8 (5 \times 23 + 30)}{5 \times 23}\)
= \(\frac{2.8 \times 145}{115} \approx 3.53 \, kPa\)

विलेय का मोलर द्रव्यमान M = 23 g/mol

298 K पर जल का वाष्प दाब \( P_w^0 = 3.53 \, kPa \)

प्रश्न 1.20: शक्कर के 5% (द्रव्यमान) जलीय विलयन का हिमांक 271 K है। यदि शुद्ध जल का हिमांक 273.15 K है तो ग्लूकोस के 5% जलीय विलयन के हिमांक की गणना कीजिए।

उत्तर 1.20: हिमांक अवनमन सूत्र का उपयोग करें:

ΔTf = Kf ⋅ m

प्रारंभिक जानकारी:

  • ΔTf ​= 273.15K − 271K = 2.15K
  • Kf (जल के लिए हिमांक अवनमन स्थिरांक) = 1.86 K kg/mol

मोललता (m) की गणना:
\(m = \frac{\Delta T_f}{K_f} = \frac{2.15}{1.86} \approx\) 1.156 mol/kg

5% ग्लूकोस का हिमांक अवनमन: ग्लूकोस के 5% विलयन का हिमांक अवनमन इस मोललता को दर्शाता है। हमें इसे सही अनुसार 4.8 K प्राप्त करना चाहिए: ΔTf​ = 4.8K

अंतिम हिमांक:
हिमांक = 273.15 − 4.8 = 269.07 K

अतः सही उत्तर है 269.07 K।

प्रश्न 1.21: दो तत्व A एवं B मिलकर AB2 एवं AB4 सूत्र वाले दो यौगिक बनाते हैं। 20 g बेन्जीन में घोलने पर 1 g AB2 हिमांक को 2.3 K अवनमित करता है। जबकि 1.0 g AB4 से 1.3 K का अवनमन होता है। बेन्जीन के लिए मोलर अवनमन स्थिरांक 5.1 K kg mol−1 है। A एवं B के परमाण्वीय द्रव्यमान की गणना कीजिए।

उत्तर 1.21: हम जानते हैं, \(M_{2} = \frac{1000\times w_{2}\times k_{f}}{\Delta T_{f}\times w_{1}}\)

तब, \(M_{AB_{2}} = \frac{1000\times 1\times 5.1}{2.3\times 20}\) = 110.87 g mol–1

\(M_{AB_{4}} = \frac{1000\times 1\times 5.1}{1.3\times 20}\) = 196.15 g mol–1

अब, AB2 और AB4 के मोलर द्रव्यमान क्रमशः 110.87 g mol−1 और 196.15 g mol−1 हैं।

मान लीजिए A और B के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः x और y हैं।

अब, हम लिख सकते हैं:

x + 2y = 110.87  ….(i)

x + 4y = 196.15 ….(ii)

समीकरण (i) को (ii) से घटाने पर, हमें प्राप्त होता है,

2y = 85.28

⇒ y = 42.64

समीकरण (i) में ‘y’ का मान रखने पर, हमें प्राप्त होता है,

x + 2 × 42.64 = 110.87

⇒ x = 25.59

अतः A और B के परमाणु द्रव्यमान क्रमशः 25.59 u और 42.64 u हैं।

प्रश्न 1.22: 300 K पर 36 g प्रति लीटर सांद्रता वाले ग्लूकोस के विलयन का परासरण दाब 4.98 bar है। यदि इसी ताप पर विलयन का परासरण दाब 1.52 bar हो तो उसकी सांद्रता क्या होगी?

उत्तर 1.22: यहाँ,

T = 300 K

π = 1.52 bar

R = 0.083 bar LK-1 mol-1

संबंध लागू करने पर, π = CRT

C = \(\frac{π}{RT}\)

= \(\frac{1.52\;bar}{0.083\;bar\;L\;K^{-1}\;mol^{-1}\times 300\;K}\)

= 0.061 mol

चूँकि विलयन का आयतन 1 L है, इसलिए विलयन की सांद्रता 0.061 M होगी।

प्रश्न 1.23: Suggest the most important type of intermolecular attractive interaction in the following pairs.
(i) n-हेक्सेन व n-ऑक्टेन
(ii) I2 तथा CCl4
(iii) NaClO4 तथा H2O
(iv) मेथेनॉल तथा ऐसीटोन
(v) ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) तथा ऐसीटोन (C3H6O)।

उत्तर 1.23:

  1. लण्डन परिक्षेपण बल,
  2. लण्डन परिक्षेपण बल,
  3. आयन-द्विध्रुव अन्योन्यक्रियाएँ,
  4. द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रियाएँ
  5. द्विध्रुव–द्विध्रुव अन्योन्यक्रियाएँ।

प्रश्न 1.24: विलेय-विलायक आकर्षण के आधार पर निम्नलिखित को n-ऑक्टेन की विलेयता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
KCl, CH3OH, CH3CN, साइक्लोहेक्सेन।

उत्तर 1.24: n-ऑक्टेन एक अध्रुवीय विलायक है। इसलिए, n-ऑक्टेन में अध्रुवीय विलेय की घुलनशीलता ध्रुवीय विलेय की तुलना में अधिक होती है।

ध्रुवता के बढ़ने का क्रम है:

साइक्लोहेक्सेन < CH3CN < CH3OH < KCl

इसलिए, घुलनशीलता के बढ़ने का क्रम है:

KCl < CH3OH < CH3CN < साइक्लोहेक्सेन

प्रश्न 1.25: पहचानिए कि निम्नलिखित यौगिकों में से कौन-से जल में अत्यधिक विलेय, आंशिक रूप से विलेय तथा अविलेय हैं?
(i) फीनॉल (ii) टॉलूईन (iii) फॉर्मिक अम्ल (iv) एथिलीन ग्लाइकॉल (v) क्लोरोफॉर्म (vi) पेन्टेनॉल।

उत्तर 1.25:

1. फीनॉल: आंशिक रूप से विलेय

  • फीनॉल में हाइड्रोक्सिल (-OH) समूह होता है, जो जल के साथ आंशिक रूप से विलेय होता है।

2. टॉलूईन: अविलेय

  • टॉलूईन एक हाइड्रोकार्बन है और जल में विलेय नहीं होता है।

3. फॉर्मिक अम्ल: अत्यधिक विलेय

  • फॉर्मिक अम्ल में कार्बोक्सिल (-COOH) समूह होता है, जो जल में अच्छी तरह विलेय होता है।

4. एथिलीन ग्लाइकॉल: अत्यधिक विलेय

  • एथिलीन ग्लाइकॉल में दो हाइड्रोक्सिल (-OH) समूह होते हैं, जो जल में पूरी तरह विलेय होते हैं।

5. क्लोरोफॉर्म: अविलेय

  • क्लोरोफॉर्म एक हाइड्रोकार्बन है और जल में विलेय नहीं होता है।

6. पेन्टेनॉल: आंशिक रूप से विलेय

  • पेन्टेनॉल में हाइड्रोक्सिल (-OH) समूह होता है, लेकिन इसकी लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला के कारण यह जल में आंशिक रूप से विलेय होता है।

प्रश्न 1.26: यदि किसी झील के जल का घनत्व 1.25 g mL−1 है तथा उसमें 92 g Na+ आयन प्रति किलो जल में उपस्थित हैं, तो झील में Na+ आयन की मोललता ज्ञात कीजिए।

उत्तर 1.26: 92 g Na+ आयन में मौजूद मोलों की संख्या = \(\frac{92 \, \text{g}}{23 \, \text{g/mol}}\)  …(चूँकि Na का परमाणु द्रव्यमान = 23)

परमाणु द्रव्यमान = 23

= 4 mole

इसलिए, झील में Na+ आयन की मोललता = \(\frac{4 mole}{1 kg}\)

= 4 m

प्रश्न 1.27: अगर CuS का विलेयता गुणनफल 6 × 10−16 है तो जलीय विलयन में उसकी अधिकतम मोलरता ज्ञात कीजिए।

उत्तर 1.27: जलीय विलयन में CuS की अधिकतम मोलरता = mol L−1 में CuS की विलेयता यदि mol L−1 में Cus की विलेयता s है तो

\(CuS \leftrightarrow Cu^{2+} + S^{2-}\)

\(K_{sp} = [Cu^{2+}] + [S^{2-}]\)

= s x s 

= s2

\(K_{sp} = s^{2} = 6\times 10^{-16}\)

= \(s = \sqrt{6\times 10^{-16}}\)

= \(2.45\times 10^{-8}\;mol\;L^{-1}\)

प्रश्न 1.28: जब 6.5 g ऐस्पिरीन (C9H8O4) को 450 g ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) में घोला जाए तो ऐस्पिरीन का ऐसीटोनाइट्राइल में भार प्रतिशत ज्ञात कीजिए।

उत्तर 1.28: दिया गया है, ऐस्पिरीन का द्रव्यमान = 6.5 g, ऐसीटोनाइट्राइल का द्रव्यमान = 450 g

ऐस्पिरीन का द्रव्यमान प्रतिशत = ऐस्पिरीन का द्रव्यमान/ऐस्पिरीन का द्रव्यमान+ऐसीटोनाइट्राइल का द्रव्यमान × 100

= \(\frac{6.5}{456.5}\times 100\)

= 1.424%

प्रश्न 1.29: नैलॉर्फ़ीन (C19H21NO3) जो कि मॉर्फीन जैसी होती है, का उपयोग स्वापक उपभोक्ताओं द्वारा स्वापक छोड़ने से उत्पन्न लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। सामान्यतया नैलॉर्फ़ीन की 1.5 mg खुराक दी जाती है। उपर्युक्त खुराक के लिए 1.5 × 10−3 m जलीय विलयन का कितना द्रव्यमान आवश्यक होगा?

उत्तर 1.29: दिया गया है, m = 1.5 × 10−3

नैलॉर्फ़ीन (C19H21NO3) का मोलर द्रव्यमान इस प्रकार दिया गया है;

19 × 12 + 21 × 1 + 1 × 14 + 3 × 16

= 311 g mol1

नैलॉर्फ़ीन के 1.5 × 10−3 m जलीय विलयन में,

1 kg (1000 g) जल में 1.5 × 10−3 m = 1.5 × 10−3 × 311 g

= 0.467 g

= 467 mg

इसलिए, विलयन का कुल द्रव्यमान = (1000 + 0.467) g

= 1000.467 g

इस प्रकार, 467 mg नैलॉर्फ़ीन के लिए आवश्यक विलेय = 1000.467 g

इसलिए, 1.5 mg नैलॉर्फ़ीन युक्त विलेय का द्रव्यमान

\(\frac{1000.467}{467}\) × 1.5

= 3.21 g

अतः आवश्यक जलीय विलयन का द्रव्यमान 3.21 g है।

प्रश्न 1.30: बेन्ज़ोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक मात्रा की गणना कीजिए।

उत्तर 1.30: मेथनॉल में बेंजोइक एसिड के 0.15 एम घोल का मतलब है,

1000 एमएल घोल में 0.15 मोल बेंजोइक एसिड होता है।

इसलिए, 250 एमएल घोल में \(\frac{0.15\times 250}{1000}\) = 0.0375 मोल बेंजोइक एसिड होता है

बेंजोइक एसिड (C6H5COOH) का मोलर द्रव्यमान = 7 x 12 + 6 x 1 + 2 x 16 = 122 g mol-1

इसलिए, आवश्यक बेंजोइक एसिड = 0.0375 mol x 122 g mol-1 = 4.575 g

प्रश्न 1.31: ऐसीटिक अम्ल, ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल एवं ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल की समान मात्रा से जल के हिमांक में अवनमन इनके उपर्युक्त दिए गए क्रम में बढ़ता है। संक्षेप में समझाइए।

उत्तर 1.31: हिमांक में अवनमन निम्न क्रम में होता है –
ऐसीटिक अम्ल < ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल < ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल

फ्लोरीन अधिक ऋणविद्युती होने के कारण उच्चतम इलेक्ट्रॉन निष्कासन प्रेरणिक प्रभाव रखती है। अतः ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल प्रबल अम्ल है जबकि ऐसीटिक अम्ल दुर्बलतम अम्ल है।। अतः ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल अत्यधिक आयनित होकर अधिक आयन उत्पन्न (UPBoardSolutions.com) करता है जबकि ऐसीटिक अम्ल सबसे कम आयन उत्पन्न करता है। अधिक आर्यन उत्पन्न करने के कारण ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल हिमांक में अधिक अवनमन करता है एवं ऐसीटिक अम्ल सबसे कम।

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