Class 12 Chemistry Chapter 2 ncert solutions in hindi वैधुतरसायन

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Chemistry Class 12 Chapter 2 exercise solutions in hindi: Class 12 Chemistry Chapter 2 Question answer in Hindi

TextbookNcert
ClassClass 12
SubjectChemistry
ChapterChapter 2
Chapter Nameवैधुतरसायन Class 12 ncert solutions in hindi
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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प्रश्न 2.1: निम्नलिखित धातुओं को उस क्रम में व्यवस्थित कीजिए जिसमें वे एक-दूसरे को उनके | लवणों के विलयनों में से प्रतिस्थापित करती हैं।
Al, Cu, Fe, Mg एवं Zn.

उत्तर 2.1: Mg, Al, Zn, Fe तथा Cu

प्रश्न 2.2: नीचे दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों के आधार पर धातुओं को उनकी बढ़ती हुई अपचायक क्षमता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
K+ / K = -2.93 V, Ag+ / Ag= 0.80V,
Hg2+ / Hg= 0.79 V
Mg2+ / Mg = -2.37 V, Cr3+ / Cr = -0.74 V

उत्तर 2.2: किसी धातु की अपचायक शक्ति उसके ऑक्सीकरण विभव पर निर्भर करती है। ऑक्सीकरण विभव जितना अधिक होगा, ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति उतनी अधिक होगी तथा इसलिए उसकी अपचायक शक्ति भी उतनी ही अधिक होगी। अत: दिये गये धातुओं की बढ़ती अपचायक शक्ति का क्रम निम्न होगा –

Ag < Hg < Cr < Mg < K

प्रश्न 2.3: उस गैल्वैनी सेल को दर्शाइए जिसमें निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
Zn(s) + 2Ag+(aq) →Zn2+(aq) + 2Ag(s) अब बताइए –
(i) कौन-सा इलैक्ट्रोड ऋणात्मक आवेशित है?
(ii) सेल में विद्युत-धारा के वाहक कौन-से हैं?
(iii) प्रत्येक इलैक्ट्रोड पर होने वाली अभिक्रिया क्या है?

उत्तर 2.3: जिंक इलेक्ट्रोड ऐनोड का कार्य करता है, जबकि सिल्वर इलेक्ट्रोड कैथोड का कार्य करता है। सेल को निम्न प्रकार प्रदर्शित कर सकते हैं –
Zn (S)| Zn2+ (aq)|| Ag+ (aq)| Ag (s)

  1. ऋणात्मक आवेशित इलेक्ट्रोड वह इलेक्ट्रोड है जहाँ पर इलेक्ट्रॉन आते हैं (किसी धातु के रूप में). इस केस में, जिंक इलेक्ट्रोड (Zn) ऋणात्मक आवेशित होता है क्योंकि यहाँ पर जिंक धातु से इलेक्ट्रॉन निकल कर इलेक्ट्रोड की ओर आते हैं। इसे कैलोड (Anode) कहा जाता है।
  2. बाह्य परिपथ में इलेक्ट्रॉन तथा आंतरिक परिपथ में आयन।
  3. ऋणात्मक इलेक्ट्रोड (Anode) पर होने वाली अभिक्रिया: : Zn (s) → Zn2+ (aq) + 2e
    धनात्मक इलेक्ट्रोड (Cathode) पर होने वाली अभिक्रिया: : Ag+ (aq) + e → Ag(s)

प्रश्न 2.4: निम्नलिखित अभिक्रियाओं वाले गैल्वेनी सेल का मानक सेल-विभव परिकलित कीजिए।
(i) 2Cr(s) + 3Cd2+ (aq) → 2Cr3+ (aq) + 3Cd
(ii) Fe2+ (aq) + Ag+ (aq) → Fe3+ (aq) + Ag(s)
उपर्युक्त अभिक्रियाओं के लिए ∆rG° एवं साम्य स्थिरांकों की भी गणना कीजिए।

उत्तर 2.4: गैल्वेनिक सेल के मानक सेल-विभव (E∘​cell), मानक गिब्स मुक्त ऊर्जा परिवर्तन (∆rG°), और साम्य स्थिरांक (K) की गणना करने के लिए, हमें पहले निम्नलिखित सूत्रों का उपयोग करना होगा:

  1. सेल-विभव:
    \(E^\circ_{\text{cell}} = E^\circ_{\text{cathode}} – E^\circ_{\text{anode}}\)
  2. मानक गिब्स मुक्त ऊर्जा परिवर्तन:
    \(\Delta_r G^\circ = -nFE^\circ_{\text{cell}}\)
    जहाँ n वह इलेक्ट्रॉनों की संख्या है जो स्थानांतरित होती है, F फैराडे का नियतांक है (F = 96500 C/mol।
  3. साम्य स्थिरांक:
    \(\Delta_r G^\circ = -RT \ln K\)
    या
    \(K = e^{\frac{-\Delta_r G^\circ}{RT}}\)
    जहाँ (R) गैस नियतांक है (R = 8.314 J/K mol) और (T) तापमान है (अक्सर (298 K) लिया जाता है)।

अब, उपरोक्त अभिक्रियाओं के लिए इन मूल्यों की गणना करें:

अभिक्रिया (i): 2Cr(s) + 3Cd2 + (aq) → 2Cr3 + (aq) + 3Cd(s)

चरण 1: इलेक्ट्रोड विभव जानें

मानक इलेक्ट्रोड विभव की तालिका से मानक विभव जानें:

  • Cr3+/Cr का विभव: −0.74 V
  • Cd2+/Cd का विभव: −0.40 V

यहाँ, कैथोड और एनोड में इलेक्ट्रोड विभव निम्न प्रकार होंगे:

  • कैथोड: Cd2+ + 2e → Cd, Ecathode = − 0.40 V
  • एनोड: Cr → Cr3+ + 3e, Eanode = −0.74 V

चरण 2: मानक सेल-विभव की गणना करें

ECell = Ecathode – Eanode = (−0.40) − (−0.74) = 0.34V

चरण 3: ∆rG° की गणना

यहाँ n = 6 है (क्योंकि 2 × 3 = 6 इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण हो रहा है)।

  • \(\Delta_r G^\circ = -nFE^\circ_{\text{cell}} \)
  • \(= -6 \times 96500 \times 0.34\)
  • \( = -196,860 \, \text{J} \)
  • \(= -196.86 \, \text{kJ}\)

चरण 4: साम्य स्थिरांक की गणना निम्नलिखित समीकरण से की जाती है:

हमारे पास निम्नलिखित समीकरण है:

\(\Delta_r G^\circ = -RT \ln K\)

जहाँ:

  • rG° = -196,758.6 J/mol
  • R = 8.314 J/mol·K (गैस स्थिरांक)
  • T = 298 K (मानक तापमान)

अब, ln K की गणना करने के लिए:
\(\ln K = \frac{-\Delta_r G^\circ}{RT}\)
\(\ln K = \frac{196,758.6}{8.314 \times 298}\)
\(\ln K = \frac{196,758.6}{2,478.572} = 79.35\)

अब K की गणना करेंगे:
\(K = e^{79.35} \approx 3.124 \times 10^{34}\)

अभिक्रिया (ii) Fe2+ (aq) + Ag+ (aq) → Fe3+ (aq) + Ag(s)

चरण 1: इलेक्ट्रोड विभव जानें

  • Fe3+/Fe2+ का विभव: +0.77 V
  • Ag+/Ag का विभव: +0.80 V

यहाँ, कैथोड और एनोड में इलेक्ट्रोड विभव निम्न प्रकार होंगे:

  • कैथोड: Ag+ + e → Ag, Ecathode = +0.80 V
  • एनोड: Fe2+ → Fe3+ + e, Eanode = +0.77 V

चरण 2: मानक सेल-विभव की गणना करें

ECell = Ecathode – Eanode = 0.80 − 0.77 = 0.03V

चरण 3: ∆rG° की गणना

यहाँ (n = 1) है।
\(\Delta_r G^\circ = -nFE^\circ_{\text{cell}}\)

\( = -1 \times 96500 \times 0.03\)

= −2895 J

= −2.895 kJ

चरण 4: साम्य स्थिरांक (K) की गणना

\(K = e^{\frac{-\Delta_r G^\circ}{RT}} = e^{\frac{2895}{8.314 \times 298}}\)
\(K = e^{1.17} \approx 3.22\)

  1. अभिक्रिया (i):
  • \(E^\circ_{\text{cell}} = 0.34 \, \text{V}\)
  • \(\Delta_r G^\circ = -196.86 \, \text{kJ}\)
  • \(K \approx 3.124 \times 10^{34}\)

2. अभिक्रिया (ii):

  • \(E^\circ_{\text{cell}} = 0.03 \, \text{V}\)
  • \(\Delta_r G^\circ = -2.895 \, \text{kJ}\)
  • \(K \approx 3.22\)

प्रश्न 2.5: निम्नलिखित सेलों की 298K पर नेर्नुस्ट समीकरण एवं emf लिखिए:
(i) Mg(s)|Mg2+(0.001M)||Cu2+(0.0001 M)|Cu(s)
(ii) Fe(s)|Fe2+(0.001M)||H+(1M)|H2(g)(1bar)| Pt(s)
(iii) Sn(s)|Sn2+(0.050 M)||H+(0.020 M)|H2(g) (1 bar)|Pt(s)
(iv) Pt(s)|Br(0.010 M)|Br2(l )||H+(0.030 M)| H2(g) (1 bar)|Pt(s).

उत्तर 2.5: नेर्नस्ट समीकरण का उपयोग विभिन्न एकाग्रताओं पर किसी सेल का EMF निकालने के लिए किया जाता है। नेर्नस्ट समीकरण निम्नलिखित रूप में होता है:

\(E_{\text{cell}} = E^\circ_{\text{cell}} – \frac{0.0591}{n} \log Q\)

जहाँ:

  • Ecell​ = वास्तविक EMF
  • Ecell​ = मानक स्थितियों पर EMF
  • n अभिक्रिया में स्थानांतरित इलेक्ट्रॉनों की संख्या
  • Q अभिक्रिया का द्रव्यमान गुणांक (reaction quotient)

(i) Cell: Mg(s) | Mg2+ (0.001 M) || Cu2+ (0.0001 M) | Cu(s)

अर्ध-अभिक्रियाएँ:

  • \( \text{Mg}(s) \rightarrow \text{Mg}^{2+}(aq) + 2e^- ) \)\((oxidation, ( E^\circ = -2.37 \, \text{V} )\)
  • \( \text{Cu}^{2+}(aq) + 2e^- \rightarrow \text{Cu}(s) ) \)\((reduction, ( E^\circ = +0.34 \, \text{V} )\)

मानक EMF:
\(E^\circ_{\text{cell}} = 0.34 \, \text{V} – (-2.37 \, \text{V}) = 2.71 \, \text{V}\)

प्रतिक्रिया भागफल (Q):
\(Q = \frac{[\text{Mg}^{2+}]}{[\text{Cu}^{2+}]} = \frac{0.001}{0.0001} = 10\)

नेर्नस्ट समीकरण: अब नेर्नस्ट समीकरण के अनुसार EMF की गणना करते हैं:
\(E_{\text{cell}} = 2.71 – \frac{0.0591}{2} \log 10 \)

\(= 2.71 – 0.02955 = 2.68 \, \text{V}\)

(ii) Cell: Fe(s) | Fe2+ (0.001 M) || H+ (1 M) | H2(g)(1 bar) | Pt(s)

अर्ध-प्रतिक्रियाएँ:

  • \( \text{Fe}(s) \rightarrow \text{Fe}^{2+}(aq) + 2e^- )\)\( (oxidation, ( E^\circ = -0.44 \, \text{V} )\)
  • \( 2\text{H}^+(aq) + 2e^- \rightarrow \text{H}_2(g) ) \)\((reduction, ( E^\circ = 0.00 \, \text{V} )\)

मानक EMF:
\(E^\circ_{\text{cell}} = 0.00 \, \text{V} – (-0.44 \, \text{V}) = 0.44 \, \text{V}\)

प्रतिक्रिया भागफल (Q):
\(Q = \frac{[\text{Fe}^{2+}]}{[\text{H}^+]^2} = \frac{0.001}{1^2} = 0.001\)

नेर्नस्ट समीकरण का उपयोग करते हुए:
\(E_{\text{cell}} = 0.44 – \frac{0.0591}{2} \log 0.001 \)

\(= 0.44 – 0.08865 = 0.53 \, \text{V}\)

(iii) Cell: Sn(s) | Sn2+ (0.050 M) || H+ (0.020 M) | H2(g)(1 bar) | Pt(s)

अर्ध-प्रतिक्रियाएँ:

\( \text{Sn}(s) \rightarrow \text{Sn}^{2+}(aq) + 2e^- )\)\( (oxidation, ( E^\circ = -0.14 \, \text{V} )\)

\( 2\text{H}^+(aq) + 2e^- \rightarrow \text{H}_2(g) )\)\( (reduction, ( E^\circ = 0.00 \, \text{V} )\)

मानक EMF:
\(E^\circ_{\text{cell}} = 0.00 \, \text{V} – (-0.14 \, \text{V}) = 0.14 \, \text{V}\)

प्रतिक्रिया भागफल (Q):
\(Q = \frac{[\text{Sn}^{2+}]}{[\text{H}^+]^2} = \frac{0.050}{(0.020)^2} = 125\)

नेर्नस्ट समीकरण का उपयोग करते हुए:
\(E_{\text{cell}} = 0.14 – \frac{0.0591}{2} \log 125 \)

\(= 0.14 – 0.0584 = 0.08 \, \text{V}\)

(iv) Cell: Pt(s) | Br(0.010 M) | Br2(l) || H+ (0.030 M) | H2(g)(1 bar) | Pt(s)

अर्ध-प्रतिक्रियाएँ:

\( \text{Br}_2(l) + 2e^- \rightarrow 2\text{Br}^-(aq) )\)\( (reduction, ( E^\circ = +1.07 \, \text{V} )\)

\( 2\text{H}^+(aq) + 2e^- \rightarrow \text{H}_2(g) ) \)\((oxidation, ( E^\circ = 0.00 \, \text{V} )\)

मानक EMF:
\(E^\circ_{\text{cell}} = 0.00 \, \text{V} – 1.07 \, \text{V} = -1.07 \, \text{V}\)

प्रतिक्रिया भागफल (Q):
\(Q = \frac{[\text{Br}^-]^2}{[\text{H}^+]^2} \)

\(= \frac{(0.010)^2}{(0.030)^2} = 0.1111\)

नेर्नस्ट समीकरण का उपयोग करते हुए:
\(E_{\text{cell}} = -1.07 – \frac{0.0591}{2} \log 0.1111 \)

\(= -1.07 – 0.228 = -1.298 \, \text{V}\)

Final Answers:

(i) \( E_{\text{cell}} = 2.68 \, \text{V} \)
(ii) \( E_{\text{cell}} = 0.53 \, \text{V} \)
(iii) \( E_{\text{cell}} = 0.08 \, \text{V} \)
(iv) \( E_{\text{cell}} = -1.298 \, \text{V} \)

प्रश्न 2.6: घड़ियों एवं अन्य युक्तियों में अत्यधिक उपयोग में आने वाली बटन सेलों में निम्नलिखित अभिक्रिया होती है – Zn(s) + Ag2O(s) + H2O(l) → Zn2+(aq) + 2Ag(s) + 2OH(aq) अभिक्रिया के लिए ΔrGΘ एवं EΘ ज्ञात कीजिए।

उत्तर 2.6: \(E^\circ_{\text{cell}} = E^\circ_{\text{cathode}} – E^\circ_{\text{anode}}\)

= + 0.344 − (0.76)

= 1.104 V

सेल अभिक्रिया के लिए, n = 2

∴ ΔrGΘ = nFEसेल–nFEसेलΘ

∴ ΔrGΘ = – 2 × 96500 × 1.104

= –2.13 × 105 CV mol–1

= –2.13 × 105 J mol–1

प्रश्न 2.7: किसी वैधुतअपघट्य के विलयन की चालकता एवं मोलर चालकता की परिभाषा दीजिए। सान्द्रता के साथ इनके परिवर्तन की विवेचना कीजिए।

उत्तर 2.7: वैधुतअपघट्य के संदर्भ में, चालकता और मोलर चालकता दोनों विद्युत-चालकता को मापने वाले महत्वपूर्ण मापदंड हैं। ये मापदंड उस विलयन के माध्यम से विद्युत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता को दर्शाते हैं।

1. चालकता: किसी वैधुतअपघट्य के विलयन की चालकता उस विलयन द्वारा विद्युत धारा प्रवाहित करने की क्षमता को मापने वाली एक मात्रा है। इसे \( \kappa \) (कप्पा) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

परिभाषा: किसी विलयन की चालकता उस दूरी के बीच प्रवाहित विद्युत धारा होती है जब एक वर्ग सेमी क्षेत्रफल वाले एक सेमी लंबाई के दो इलेक्ट्रोड के बीच 1 वोल्ट विद्युत विभव अंतर हो।

इकाई: चालकता की SI इकाई S·m⁻¹ (सीमेंस प्रति मीटर) होती है। आमतौर पर इसका उपयोग S·cm⁻¹ (सीमेंस प्रति सेंटीमीटर) में किया जाता है।

सान्द्रता के साथ चालकता का परिवर्तन:

  • उच्च सान्द्रता पर, आयन अधिक पास होते हैं, और उनकी संचलनता में कमी आ सकती है क्योंकि आयनों के बीच आकर्षण बल होते हैं।
  • कम सान्द्रता पर, आयन अधिक दूर होते हैं, जिससे उनकी स्वतंत्र गति अधिक हो जाती है और चालकता कम हो जाती है। अतः कुल चालकता घटती जाती है क्योंकि आयनों की संख्या घटती है।

2. मोलर चालकता (Molar Conductivity):

मोलर चालकता किसी वैधुतअपघट्य के 1 मोल आयन द्वारा संचालित विद्युत धारा का माप है। इसे \( \Lambda_m \) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

परिभाषा: मोलर चालकता उस चालकता का माप है जो एक मोल वैधुतअपघट्य के किसी निश्चित मात्रा के विलयन द्वारा प्रदर्शित की जाती है।

सूत्र:
\(\Lambda_m = \frac{\kappa}{C}\)

जहाँ:

  • \( \Lambda_m \) = मोलर चालकता (S·cm²·mol⁻¹),
  • \( \kappa \) = चालकता (S·cm⁻¹),
  • C = सान्द्रता (mol·L⁻¹)।

इकाई: मोलर चालकता की SI इकाई S·m²·mol⁻¹ होती है, लेकिन इसे प्रायः S·cm²·mol⁻¹ में व्यक्त किया जाता है।

सान्द्रता के साथ मोलर चालकता का परिवर्तन:

  • मजबूत इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे HCl, NaCl): मोलर चालकता सान्द्रता के घटने के साथ बढ़ती है, लेकिन यह वृद्धि धीरे-धीरे कम हो जाती है। उच्च सान्द्रता पर आयनों के बीच आकर्षण के कारण उनके संचलन में बाधा होती है, लेकिन जैसे-जैसे सान्द्रता घटती है, आयन स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं, जिससे मोलर चालकता बढ़ती है। अनंत पतलेपन (infinite dilution) पर, मोलर चालकता अधिकतम हो जाती है, और इसे \( \Lambda_m^\circ \) द्वारा दर्शाया जाता है।
  • कमजोर इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे CH₃COOH): कमजोर इलेक्ट्रोलाइट्स में आयन पूरी तरह से आयनीकृत नहीं होते। जैसे-जैसे सान्द्रता घटती है, आयनीकरण बढ़ता है और मोलर चालकता तीव्रता से बढ़ती है। यह मुख्य रूप से अधिक आयनीकरण के कारण होता है। कमजोर इलेक्ट्रोलाइट्स की मोलर चालकता अनंत पतलेपन पर अत्यधिक बढ़ जाती है क्योंकि उस समय लगभग सभी अणु आयनीकृत हो जाते हैं।

प्रश्न 2.8: 298 K पर 0.20 M KCl विलयन की चालकता 0.0248 S cm−1 है। इसकी मोलर चालकता का परिकलन कीजिए।

उत्तर 2.8: दिया गया है, κ = 0.0248 S cm−1 c

c = 0.20 M

मोलर चालकता,

\(\Lambda_m = \frac{k \times 1000}{c}\)

\(= \frac{0.0248 \times 1000}{0.2}\)

= 124 Scm2mol-1

प्रश्न 2.9: 298 K पर एक चालकता सेल जिसमें 0.001 M KCl विलयन है, का प्रतिरोध 1500 Ω है। यदि 0.001 M KCl विलयन की चालकता 298 K पर 0.146 × 10−3 S cm1 हो तो सेल स्थिरांक क्या है?

उत्तर 2.9: दिया गया,

चालकता, k = 0.146 × 10−3 S cm−1

प्रतिरोध, R = 1500 Ω

सेल स्थिरांक = k × R

= 0.146 × 10−3 × 1500

= 0.219 cm−1

प्रश्न 2.10: K पर सोडियम क्लोराइड की विभिन्न सांद्रताओं पर चालकता का मापन किया गया जिसके आँकड़े निम्नलिखित हैं –

सांद्रता/M0.0010.0100.0200.0500.100
102 × κ/S m−11.23711.8523.1555.53106.74

सभी सांद्रताओं के लिए Λm परिकलन कीजिए एवं Λm तथा c1/2 के मध्य एक आलेख खींचिए। Λm का मान ज्ञात कीजिए।

उत्तर 2.10:

सांद्रण
(M)
C1/2
(M1/2)
κ(S m−1)κ(S cm−1)mκM∧m=κ×1000/M (S cm2 mol−1)
0.0010.0321.237 × 10−21.237 × 10−4Λm=1.237×10-4×10000.001 = 123.7
0.0100.10011.85 × 10−211.85 × 10−4Λm=11.85×10-4×10000.010 = 118.5
0.0200.14123.15 × 10−223.15 × 10−4Λm=23.15×10-4×10000.020 = 115.8
0.0500.22455.53 × 10−255.53 × 10−4Λm=55.53×10-4×10000.1050 = 111.1
0.1000.316106.74 × 10−2106.74 × 10−4Λm=106.74×10-4×10000.100 = 106.7

सीधी रेखा को पीछे तक खींचने पर यह Λm अक्ष पर 124.0 S cm2 mol−1 पर मिलती है। यह Λm का मान है।

प्रश्न 2.11: 0.00241 M ऐसीटिक अम्ल की चालकता 7.896 x 10-5 S cm-1 है। इसकी मोलर चालकता को परिकलित कीजिए। यदि ऐसीटिक अम्ल के लिए  Δºm का मान 390.5 S cm2 mol-1 हो तो इसका वियोजन स्थिरांक क्या है?

उत्तर 2.11: दिया गया है, κ = 7.896 × 10−5 S m−1 c

= 0.00241 mol L−1

तो, मोलर चालकता,

\(\Lambda_m = \frac{k}{c}\)

\(\frac{7.896 \times 10^{-5} S cm^{-1}}{0.00241 \; mol \; L^{-1}}\times \frac{1000 cm^3}{L}\)

= 32.76S cm2 mol−1

दोबारा,  \(\Lambda^0_m =\) 390.5 S cm2 mol−1

अब,

\(\alpha =\frac{\Lambda_m }{\Lambda^0_m }\)

\(= \frac{32.76 \; S\; cm^2 \; mol^{-1} }{390.5 \; S\; cm^2 \; mol^{-1} }\)

= 0.084

पृथक्करण निरंतर,

\(K_a = \frac{c\alpha^2}{(1-\alpha)}\)

\(\frac{ ( 0.00241 \; mol \; L^{-1} )( 0.084 )^2}{ ( 1 – 0.084 ) }\)

= 1.86 × 10−5 mol L−1

प्रश्न 2.12: निम्नलिखित के अपचयन के लिए कितने आवेश की आवश्यकता होगी?
(i) 1 मोल Al3+ को Al में
(ii) 1 मोल Cu2+ को Cu में।
(iii) 1 मोल MnO4 को Mn2+ में

उत्तर 2.12: आवेश की गणना के लिए, हम जानते हैं कि एक मोल इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण के लिए आवश्यक कुल आवेश को फ़राडे के नियम द्वारा दर्शाया जाता है। 1 मोल इलेक्ट्रॉनों के लिए आवश्यक आवेश 1 फ़राडे (F) होता है, जो लगभग 96,500 कूलॉम्ब के बराबर है।

अब, निम्नलिखित अपचयन प्रतिक्रियाओं के लिए आवेश की गणना करते हैं:

(i) 1 मोल Al3+ को Al में अपचय करना:

\(\text{Al}^{3+} + 3e^- \rightarrow \text{Al}\)

  • यहाँ 1 मोल Al3+ को Al में बदलने के लिए 3 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • आवेश = 3 × 96,500C = 289,500C.

(ii) 1 मोल Cu2+ को Cu में अपचय करना:

\(\text{Cu}^{2+} + 2e^- \rightarrow \text{Cu}\)

  • यहाँ 1 मोल Cu2+ को Cu में बदलने के लिए 2 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • आवेश = 2 × 96,500C = 193,000C.

(iii) 1 मोल \( \text{MnO}_4^- \) को \( \text{Mn}^{2+} \) में अपचय करना:

\(\text{MnO}_4^- + 8H^+ + 5e^- \rightarrow\)\( \text{Mn}^{2+} + 4H_2O\)

  • यहाँ 1 मोल \( \text{MnO}_4^- \) को \( \text{Mn}^{2+} \) में बदलने के लिए 5 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • आवेश = 5 × 96,500C = 482,500C.

प्रश्न 2.13: निम्नलिखित को प्राप्त करने में कितने फैराडे विद्युत की आवश्यकता होगी?
(i) गलित CaCl2 से 20.0 g Ca
(ii) गलित Al2O3 से 40.0 g Al

उत्तर 2.13: (i) दिए गए आँकड़ों से,

\(Ca^{2+} + 2e^- \rightarrow Ca\)

40 ग्राम कैल्शियम बनाने के लिए आवश्यक बिजली = 2 F

इसलिए, 20 ग्राम कैल्शियम का उत्पादन करने के लिए आवश्यक बिजली = (2 x 20 )/ 40 F = 1 F

(ii) दिए गए आँकड़ों से,

\(Al^{3+} + 3e^- \rightarrow Al\)

27 ग्राम Al का उत्पादन करने के लिए आवश्यक विद्युत = 3 F

इसलिए, 40 ग्राम Al का उत्पादन करने के लिए आवश्यक बिजली = ( 3 x 40 )/27 F

= 4.44 F

प्रश्न 2.14: निम्नलिखित को ऑक्सीकृत करने के लिए कितने कूलॉम विद्युत आवश्यक है? (i) 1 mol of H2O to O2? (ii) 1 mol of FeO to Fe2O3

उत्तर 2.14: (i) दिए गए आँकड़ों से,

\(H_2O\rightarrow H_2 + \frac{1}{2}O_2\)

हम कह सकते हैं कि

\(O^{2-}\rightarrow \frac{1}{2}O_2 + 2e^-\)

1 मोल of H2O को O2 = 2 F में ऑक्सीकरण करने के लिए आवश्यक विद्युत

= 2 × 96500 C

= 193000 C

(ii) दिए गए आँकड़ों से,

\(Fe^{2+}\rightarrow Fe^{3+} + e^-\)

1 मोल of FeO को Fe2O3 = 1 F में ऑक्सीकरण करने के लिए आवश्यक विद्युत

= 96500 C

प्रश्न 2.15: Ni(NO3)2 के एक विलयन का प्लैटिनम इलैक्ट्रोडों के बीच 5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित करते हुए 20 मिनट तक विद्युत-अपघटन किया गया। Ni की कितनी मात्रा कैथोड पर निक्षेपित होगी?

उत्तर 2.15: दिए गए डेटा:

  • धारा ( I ) = 5 ऐम्पियर
  • समय ( t ) = 20 मिनट = 20 × 60 सेकंड = 1200 सेकंड
  • निकल \(( Ni^{2+} )\) के लिए: 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • फ़राडे का मान ( F ) = 96,500 कूलॉम्ब/मोल

गणना:

  1. कुल आवेश:
    Q = I × t = 5A × 1200s = 6000C
  2. निकेल के निक्षेपण के लिए आवेश:
    \( Ni^{2+} \) के अपचयन के लिए 2 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है:
    निकल निक्षेपण = \(\frac{Q}{2F} = \frac{6000}{2 \times 96,500} \, \text{mol}\) = 0.0311 mol
  3. निकेल का द्रव्यमान:
    निकल का परमाणु द्रव्यमान ( M ) = 58.69 g/mol
    द्रव्यमान = 0.0311mol × 58.69g/mol = 1.825g

कैथोड पर निक्षेपित निकल की मात्रा 1.825 ग्राम होगी।

प्रश्न 2.16: ZnSO4, AgNO3 एवं CuSO4 विलयन वाले तीन वैद्युतअपघटनी सेलों A, B, C को श्रेणीबद्ध किया गया एवं 1.5 ऐम्पियर की विद्युत धारा, सेल B के कैथोड पर 1.45 g सिल्वर निक्षेपित होने तक लगातार प्रवाहित की गई। विद्युतधारा कितने समय तक प्रवाहित हुई? निक्षेपित कॉपर एवं जिंक को द्रव्यमान क्या होगा?

उत्तर 2.16: दिए गए डेटा:

  • सिल्वर (Ag) के लिए निक्षेपित द्रव्यमान mAg​ = 1.45g
  • धारा I = 1.5 A
  • सिल्वर (Ag) का परमाणु द्रव्यमान MAg​ = 107.87g/mol
  • फ़ाराडे का मान F = 96,500C/mol

(i) समय की गणना:

  1. सिल्वर के लिए इलेक्ट्रॉनों की संख्या:
    \(\text{Ag}^{+} + e^- \rightarrow \text{Ag}\)
    सिल्वर के 1 मोल निक्षेपण के लिए 1 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  2. मोल की गणना:
    मोल = \(\frac{1.45 \, \text{g}}{107.87 \, \text{g/mol}}\) = 0.01344 mol
  3. कुल आवेश की आवश्यकता:
    QAg​ = 0.01344mol × 96,500C/mol = 1,297.32C
  4. समय की गणना:
    \(t = \frac{Q_{\text{Ag}}}{I} = \frac{1,297.32}{1.5}\) = 864.88seconds ≈ 865seconds (14.4 minutes)

(ii) कॉपर (Cu) और जिंक (Zn) का निक्षेपण:

कॉपर \(( \text{Cu}^{2+} + 2e^- \rightarrow \text{Cu} )\):

  • 2 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • परमाणु द्रव्यमान MCu​ = 63.55g/mol.
  1. Cu के लिए मोल की गणना:
    धारा एक समान समय के लिए प्रवाहित की जा रही है, इसलिए Cu के लिए भी वही आवेश Q = 1,297.32 C इस्तेमाल होगा।
    मोल Cu = \(\frac{Q_{\text{Cu}}}{2F} = \frac{1,297.32}{2 \times 96,500}\) = 0.00672mol
  2. Cu का द्रव्यमान:
    mCu = 0.00672mol × 63.55g/mol = 0.4273g

जिंक \(( \text{Zn}^{2+} + 2e^- \rightarrow \text{Zn} )\):

  • 2 मोल इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
  • परमाणु द्रव्यमान MZn ​= 65.38g/mol.
  1. Zn के लिए मोल की गणना:
    मोल Zn = \(\frac{Q_{\text{Zn}}}{2F} = \frac{1,297.32}{2 \times 96,500}\) = 0.00672mol
  2. Zn का द्रव्यमान:
    mZn​ = 0.00672mol × 65.38g/mol = 0.4395g
  • विद्युत धारा 865 सेकंड (लगभग 14.4 मिनट) तक प्रवाहित हुई।
  • निक्षेपित कॉपर का द्रव्यमान = 0.4273 ग्राम
  • निक्षेपित जिंक का द्रव्यमान = 0.4395 ग्राम

प्रश्न 2.17: तालिका 2.1 में दिए गए मानक इलेक्ट्रोड विभवों की सहायता से अनुमान लगाइए कि क्या निम्नलिखित अभिकर्मकों के बीच अभिक्रिया सम्भव है?
(i) Fe3+ (aq) और I (aq)
(ii) Ag+ (aq) और Cu (s)
(iii) Fe3+ (aq) और Br (aq)
(iv) Ag (s) और Fe3+ (aq)
(v) Br2(aq) और Fe2+ (aq).

उत्तर 2.17:

चूँकि समग्र प्रतिक्रिया के लिए Eº धनात्मक है, Fe 3+ ( aq) और I  (aq) के बीच प्रतिक्रिया संभव है।

चूँकि समग्र प्रतिक्रिया के लिए Eº धनात्मक है, Ag +  (aq )  और Cu ) के बीच प्रतिक्रिया  संभव है।

चूँकि समग्र प्रतिक्रिया के लिए Eº ऋणात्मक है, Fe 3+ aq )  और Br − aq ) के बीच प्रतिक्रिया  संभव नहीं है।

 चूँकि समग्र प्रतिक्रिया के लिए Eº ऋणात्मक है, इसलिए Ag ( )  और Fe 3+  (aq) के बीच प्रतिक्रिया  संभव नहीं है।

चूँकि समग्र प्रतिक्रिया के लिए Eº धनात्मक है, इसलिए Br 2( aq )  और Fe 2+ aq ) के बीच प्रतिक्रिया  संभव है।

प्रश्न 2.18: निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए विद्युत-अपघटन से प्राप्त उत्पाद बताइए–
(i) सिल्वर इलेक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(ii) प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ AgNO3 का जलीय विलयन
(iii) प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ H2SO4 का तनु विलयन
(iv) प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ CuCl2 का जलीय विलयन।

उत्तर 2.18: 1. AgNO3 (aq) → Ag+ (aq) + NO3 (aq)
H2O \(\leftrightarrows\) H+ + OH
कैथोड पर : चूंकि सिल्वर का अपचयन विभव (+0.80 V) जल (-0.830 V) से अधिक है, इसलिए Ag+ वरीयता के आधार पर अपचयित होगा तथा सिल्वर धातु कैथोड पर जमा होगी।
Ag+ (aq) + e → Ag (s)
ऐनोड पर : निम्न अभिक्रिया होगी –
H2O (l) → 1/2 O2(g) + 2H+ (aq)
NO3 (aq) → NO3 + e
Ag(s) → Ag+ (aq) + e

इन अभिक्रियाओं में कॉपर का अपचयन विभव न्यूनतम है। इसलिए सिल्वर स्वयं ऐनोड पर ऑक्सीकरण के फलस्वरूप Ag’ में परिवर्तित हो जायेगी और Ag’ आयन विलयन में चले जायेंगे।
Ag(s) → Ag(aq) + e

2. कैथोड पर : सिल्वर आयने अपचयित होंगे तथा सिल्वर धातु जमा होगी।
ऐनोड पर : चूँकि जल का अपचयन विभव NO3 आयनों से कम होता है, इसलिए जल वरीयता के आधार पर ऑक्सीकृत होगा तथा ऑक्सीजन मुक्त होगी।
H2O (l) → 1/2 O(g) + 2H+ (aq) + 2e

3. प्लैटिनम इलेक्ट्रोडों के साथ H2SO4 के तनु विलयन का विद्युत-अपघटन
H2SO4(aq) → 2H+ (aq) + SO2-4 (aq)
H2O \(\leftrightarrows\) H+ + OH
कैथोड पर : H+ +e → H
H → H(g)
ऐनोड पर : OH → OH + e
4OH → 2H2O (l) + O(g)
अत: कैथोड पर H, तथा ऐनोड पर 0 मुक्त होगी।

4. CuCl2 (aq) → Cu2+ (aq) + 2Cl (aq)
H2O \(\leftrightarrows\) H+ + OH
कैथोड पर : चूंकि Cu2+ (+0.341 V) का अपचयन विभव जल (-0.83 V) से अधिक होता है, इसलिए Cu2+ वरीयता के आधार पर अपचयित होंगे तथा कैथोड पर कॉपर धातु जमा होगी।
Cu2+ (aq) + 2e → Cu (s)

ऐनोड पर : निम्न अभिक्रियाओं के होने की सम्भावना है –
H2O (l) → 1/2 O(g) + 2H+ (aq) + 2e– ;
E° = +1.23 V
2Cl–  (aq) → Cl2 (g) + 2e–  ; E° = + 1.36V
चूँकि जल का अपचयन विभव Cl (जलीय) आयनों से कम होता है, इसलिए जल वरीयता के आधार पर ऐनोड पर ऑक्सीकृत होगा तथा O2, गैस मुक्त होगी।

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