Class 12 Chemistry Chapter 6 ncert solutions in hindi हैलोएल्केन तथा हैलोएरीन

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Chemistry Class 12 Chapter 6 exercise solutions in hindi: Class 12 Chemistry Chapter 6 Question answer in Hindi

TextbookNcert
ClassClass 12
SubjectChemistry
ChapterChapter 6
Chapter Nameहैलोएल्केन तथा हैलोएरीन Class 12 ncert solutions in hindi
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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प्रश्न 6.1: निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आईयूपीएसी (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण, ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), वाइनिल अंथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए –

  • (i) (CH3)2CHCH(Cl)CH3
  • (ii) CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
  • (iii) CH3CH2C(CH3)2CH2I
  • (iv) (CH3)3CCH2CH(Br)C6H5
  • (v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
  • (vi) CH3C(C2H5)2CH2Br
  • (vii) CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
  • (viii) CH3CH=C(Cl)CH2CH(CH3)2
  • (ix) CH3CH=CHC(Br)(CH3)2
  • (x) p-ClC6H4CH2CH(CH3)2
  • (xi) m-ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
  • (xii) o-Br-C6H4CH(CH3)CH2CH3

उत्तर 6.1:

(i) 2-क्लोरो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड

(ii) 3-क्लोरो-4 मेथिलहेक्सेन, 2° ऐल्किल हैलाइड

(iii) 1-आयोडो-2,2-डाइमेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाईड

(iv) 1-ब्रोमो-3, 3-डाइमेथिल-1- फेनिलब्यूटेन, 2° बेन्जिलिक हैलाइड

(v) 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड

(vi) 1-ब्रोमो-2-एथिल-2-मेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाइड

(vii) 3-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन, 3° ऐल्किल हैलाइड

(viii) 3-क्लोरो-5-मेथिलहेक्स-2-ईन, वाइनिलिक हैलाइड

(ix) 4-ब्रोमो-4-मेथिलपेन्ट-2-ईन, ऐलीलिक हैलाइड

(x) 1-क्लोरो-4-(2-मेथिलप्रोपिल)- बेंजीन, ऐरिल हैलाइड

(xi) 1-क्लोरोमेथिल-3-(2, 2-डाइमेथिलप्रोपिल) बेंजीन, 1° बेंजाइलिक हैलाइड

(xii) 1-ब्रोमो-2-(1-मेथिलप्रोपिल) बेंजीन, ऐरिल हैलाइड

प्रश्न 6.2: निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए –

  • (i) CH3 CH(Cl) CH(Br) CH3
  • (ii) CH F2 CBr ClF
  • (iii) Cl CH2 C ≡ C CH2 Br
  • (iv) ( CCl 33 CCl
  • (v) CHC (p – Cl C6 H)2 CH(Br) CH3
  • (vi) (CH3 )3 C CH = C Cl C6 H4 I – p

उत्तर 6.2:

(i) 2-ब्रोमो-3-क्लोरोब्यूटेन

(ii) 1-ब्रोमो-1-क्लोरो-1, 2, 2-ट्राइफ्लोरोएथेन

(iii) 1-ब्रोमो-4-क्लोरोब्यूट-2-आइन

(iv) 2-(ट्राइक्लोरोमेथिल) -1,1,1, 2, 3, 3, 3,-हैप्टाक्लोरोप्रोपेन

(v) 2-ब्रोमो-3,3-बिस (4-क्लोरोफेनिल)ब्यूटेन

(vi) 1-क्लोरो-1-(4-आयोडोफेनिल)-3, 3-डाइमेथिलब्यूट- 1-ईन

प्रश्न 6.3: निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजेन यौगिकों की संरचना दीजिए –
(i) 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
(ii) p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
(iii) 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iv) 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडोऑक्टेन
(v) 2-ब्रोमोब्यूटेन
(vi) 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
(vii) 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिल बेन्जीन
viii) 1,4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन।

उत्तर 6.3:

प्रश्न 6.4: निम्नलिखित में से किसका द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक होगा? (i) CH2Cl2 (ii) CHCl3 (iii) CCl4

उत्तर 6.4:

  • CH2Cl2 का द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक है। इसका कारण यह है कि इसमें दोनों C-Cl आबन्ध आघूर्गों का परिणामी तथा दोनों C-H आबन्ध आघूर्गों के परिणामी एक ही दिशा में कार्य करते हैं।
  • CHCl3 में दोनों C – Cl आबन्ध आघूर्गों का परिणामी तीसरे C – Cl आबन्ध आघूर्ण के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
  • CCl4 की आकृति सममित होने के कारण इसका द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है।

प्रश्न 6.5: एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अँधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता, परन्तु सूर्य के तीव्र प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देता है। हाइड्रोकार्बन की संरचना क्या है?

उत्तर 6.5: एक हाइड्रोकार्बन जिसका आणविक सूत्र C5H10 है, उस समूह से संबंधित है जिसका सामान्य आणविक सूत्र CnH2n होता है। इसलिए, यह या तो एक अल्कीन हो सकता है या एक साइक्लोअल्केन।

चूँकि हाइड्रोकार्बन अंधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता है, यह अल्कीन नहीं हो सकता। अतः, यह एक साइक्लोअल्केन होना चाहिए।

इसके अलावा, हाइड्रोकार्बन क्लोरीन के साथ तीव्र धूप में अभिक्रिया करके एकल मोनो-कलोरो यौगिक, C5H9Cl, बनाता है। चूँकि एकल मोनो-कलोरो यौगिक बनता है, इसलिए हाइड्रोकार्बन में ऐसे H−परमाणु होने चाहिए जो सभी समान हों। इसके साथ ही, चूँकि एक साइक्लोअल्केन के सभी H−परमाणु समान होते हैं, हाइड्रोकार्बन अवश्य ही एक साइक्लोअल्केन होना चाहिए। इसलिए, यह यौगिक साइक्लोपेंटेन है।

साइक्लोपेंटेन (C5H10)

संबंधित अभिक्रियाएँ हैं:

प्रश्न 6.6: C4H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।

उत्तर 6.6: C4H9Br एक संतृप्त यौगिक है, क्योंकि इसका पितृ हाइड्रोकार्बन C4H10 है। इसके समावयवी निम्न हैं –

प्रश्न 6.7: निम्नलिखित से 1-आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने की समीकरण दीजिए –
(i) 1-ब्यूटेनॉल
(ii) 1-क्लोरोब्यूटेन
(iii) ब्यूट-1-ईन।

उत्तर 6.7:

प्रश्न 6.8: उभयदन्ती नाभिकरागी क्या होते हैं? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।

उत्तर 6.8: उभदंती नाभिकरागी ऐल्किल हैलाइड्स पर दो विभिन्न परमाणुओं के माध्यम से आक्रमण करते हैं। ऐसा आयन में अनुनाद संरचनाओं (resonance structures) के कारण दो नाभिकरागी केंद्रों की उपस्थिति के कारण होता है। उदाहरण के लिए, NO2 आयन में N पर स्थित इलेक्ट्रॉनों की अकेली जोड़ी उसे नाभिकरागी बनाती है, जबकि ऑक्सीजन का नकारात्मक आवेश नाभिकरागी के रूप में कार्य करता है। इस प्रकार, NO2 ऑक्सीजन या नाइट्रोजन परमाणुओं पर आक्रमण कर सकता है, जिससे यह उभदंती बनता है।

RX + Ag − O − N = O ⟶ R − NO2 नाइट्रोऐल्केन

RX + KNO2 ⟶ R − O − N = O ऐल्किल नाइट्रेट

प्रश्न 6.9: निम्नलिखित प्रत्येक युग्मों में से कौन-सा यौगिक OH के साथ SN2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा? (i) CH3Br अथवा CH3I, (ii) (CH3)3CCl अथवा CH3Cl

उत्तर 1.9: (i) CH₃I OH⁻ के साथ SN2 अभिक्रिया में CH₃Br की तुलना में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा क्योंकि आयोडीन एक बड़ा और अच्छा प्रस्थान समूह (leaving group) होता है, जिससे SN2 अभिक्रिया आसानी से होती है।

(ii) CH₃Cl OH⁻ के साथ SN2 अभिक्रिया में (CH₃)₃CCl की तुलना में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा क्योंकि (CH₃)₃CCl मेंsteric hindrance (अवरोध) अधिक होता है, जिससे SN2 अभिक्रिया मुश्किल होती है।

प्रश्न 6.10: निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइडे द्वारा विहाइड्रोहैलोजेनीकरण के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी?

  1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन
  2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 2,2,3-ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन।

उत्तर 6.10: 1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन

इस यौगिक में, सभी β-हाइड्रोजन परमाणु समान होते हैं। इस रसायन की विहाइड्रोहैलोजनन से केवल एक ही एल्कीन बनता है।

2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन

2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन में समतुल्य β-हाइड्रोजनों के 2 अलग-अलग समुच्चय हैं अत: यह 2 ऐल्कीन देगा।

चूँकि अधिक प्रतिस्थापित ऐल्कीन अधिक स्थायी होगी अत: 2-मेथिलब्यूट-2-ईन ही मुख्य ऐल्कीन होगी।

3. 2,2,3-ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन।

हैलाइड में दो भिन्न प्रकार के β-हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं। अतएव विहाइड्रोहैलोजनन अभिक्रिया में यह दो ऐल्कीन 3, 4, 4-ट्राइमेथिलपेन्ट-2-ईन तथा 2-एथिल-3, 3-डाइमेथिलब्यूट-1-ईन का निर्माण करेगा। पहला ऐल्कीन अधिक स्थिर है, क्योंकि यह अधिक प्रतिस्थापित (more substituted) है (सैटजैफ नियम के अनुसार)। अतएव यह प्रमुख उत्पाद है।

प्रश्न 6.11: निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?
(i) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
(iii) प्रोपीन से 1-नाइट्रोप्रोपीन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
(ix) 1-क्लोरोब्यूटेन से n-ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल

उत्तर 6.11:

प्रश्न 6.12: समझाइए, क्यों – (i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिले क्लोराइड की तुलना में कम होता है?
(ii) ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?

उत्तर 6.12: 1. उच्च s- लक्षण के कारण sp2 – संकरित कार्बन sp3 – संकरित कार्बन से अधिक ऋणविद्युती होता है। अत: क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध के sp2 – संकरित कार्बन में साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 – ‘संकरित कार्बन की तुलना में Cl की इलेक्ट्रॉन मुक्त करने की प्रवृत्ति कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से कम ध्रुवीय होता है। बेंजीन वलय पर Cl परमाणु के एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण (delocalization) के कारण क्लोरोबेंजीन के C-Cl आबन्ध में आंशिक द्विआबन्ध लक्षण आ जाते हैं। दूसरे शब्दों में क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से छोटा होता है।
चूँकि द्विध्रुव आघूर्ण आवेश तथा दूरी को गुणनफल होता है, अत: क्लोरोबेंजीन को द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड से कम होता है।

2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय (polar) होते हैं अत: इनके अणु द्विध्रुव आकर्षण द्वारा परस्पर बँधे रहते हैं। H2O के अणु परस्पर हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। चूँकि जल तथा ऐल्किल हैलाइड में नये बने आबन्ध बल पूर्व से उपस्थित बलों से दुर्बल होते हैं। अतः ऐल्किल हैलाइड जल में अमिश्रणीय (immiscible) होते हैं।

3. ग्रिगनार्ड (ग्रीन्यार) अभिकर्मक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये उपकरण के अन्दर उपस्थित नमी से अभिक्रिया करते हैं। अतः ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों को निर्जल परिस्थितियों (anhydrous conditions) में बनाते हैं।
R – MgX + H – OH → RH + Mg(OH)X

प्रश्न 6.13: फ्रेऑन-12, DDT, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग दीजिए।

उत्तर 6.13: फ्रेऑन-12 के उपयोग (Uses of Freon-12) – यह ऐरोसॉल प्रणोदक, प्रशीतक तथा वायु शीतलन में उपयोग करने के लिए उत्पादित किए जाते हैं।

DDT के उपयोग (Uses of DDT) – DDT का उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है, परन्तु जीवों में इसके सतत अन्तर्ग्रहण से उत्पन्न विषैले प्रभावों के कारण इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया है।

कार्बनटेट्राक्लोराइड (CCl4) का उपयोग किया जाता है:

  1. रेफ्रिजरेंट्स और ऐरोसॉल कैन के लिए प्रणोदकों के निर्माण में।
  2. क्लोरोफ्लोरोकार्बन के संश्लेषण में।
  3. दाग-धब्बे हटाने वाले द्रव के रूप में।
  4. एक सफाई साधन के रूप में।
  5. योगशालाओं में एक विलायक के रूप में।

आयोडोफॉर्म के उपयोग (Uses of Iodoform) – इसका उपयोग प्रारम्भ में पूतिरोधी (ऐण्टीसेप्टिक) के रूप में किया जाता था, परन्तु आयोडोफॉर्म का यह पूतिरोधी गुण आयोडोफॉर्म के कारण स्वयं नहीं, बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गन्ध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 6.14: निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए –

उत्तर 6.14:

प्रश्न 6.15: निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए –
n-BuBr + KCN \(\underrightarrow { { EtOH-H }_{ 2 }O } \) nBuCN

उत्तर 6.15: KCN निम्न संरचनाओं का अनुनादी संकर होता है –

\({K^+ [^- :C ≡N: ↔:C = \overset{\bullet\bullet}{N} :^-]}\)

अत: CN उभयदंती नाभिकस्नेही के रूप में कार्य करता है। अतः यह n – BuBr में C-Br आबंध के कार्बन परमाणु पर C या N परमाणु से आक्रमण करता है। चूँकि C-N आबंध, C-C आबंध से दुर्बल होता है अत: C पर आक्रमण होता है तथा n-ब्यूटिल सायनाइड बनता है।

प्रश्न 6.16: SN2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए –

  1. 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
  2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन
  3. 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2,2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन।

उत्तर 6.16:

  1. 1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
  2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 1-ब्रोमोब्यूटेन > 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2- मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन

प्रश्न 6.17: C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से शीघ्रता से जल-अपघटित होगा?

उत्तर 6.17: C₆H₅CH₂Cl (बेंजाइल क्लोराइड) जलीय KOH से C₆H₅CHClC₆H₅ (डाइफिनाइल मिथाइल क्लोराइड) की तुलना में शीघ्रता से जल-अपघटित होगा।

यह इसलिए होता है क्योंकि बेंजाइल क्लोराइड में कार्बन पर कम अवरोध (steric hindrance) होता है और SN1 अभिक्रिया के लिए बेंजाइल कार्बोकैटायन अधिक स्थिर होता है, जिससे जल-अपघटन प्रक्रिया तेजी से होती है।

प्रश्न 6.18: o-तथा-m- समावयवियों की तुलना में p-डाक्लोरोबेन्जीन का गलनांक उच्च होता है, विवेचना कीजिए।

उत्तर 6.18: p-समावयव अधिक सममिताकार होने के कारण क्रिस्टल जालक में भली-भाँति स्थित हो जाता है, इसलिए इसमें o- तथा m- समावयवों की तुलना में प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल उपस्थित होते हैं।
चूँकि संगलन अथवा विलायकीकरण (solvation) के दौरान क्रिस्टल जालक टूटता है, इसलिए p- समावयव के संगलन अथवा इसे विलेय करने के लिए सम्बन्धित o- तथा m- समावयवों की तुलना में अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, p- समावयव का गलनांक सम्बन्धित o- तथा m- समावयव की तुलना में उच्च होता है, जबकि इसकी विलेयता निम्न होती है।

प्रश्न 6.19: निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए जा सकते हैं?
(i) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
(ii) एथेनॉल से ब्यूट-2-आइन
(iii) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल।
(v) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(vi) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(vii) एथेनॉल से प्रोपेननाइट्राइल
(viii) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(ix) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3,4-डाइमेथिलहेक्सेन
(x) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-1-मेथिलप्रोपेन
(xi) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(xii) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(xiii) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(xiv) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(xv) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
(xvi) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(xvii) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(xviii) बेन्जीन से डाइफेनिल
(xiv) तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो-ब्यूटिल ब्रोमाइड
(xx) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइडे।

उत्तर 6.19:

(iv)

प्रश्न 6.20: ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनता है, लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।

उत्तर 6.20: जलीय विलयन में KOH लगभग पूर्ण आयनित होकर OH आयन देता है जो प्रबल नाभिकरागी होने के कारण ऐल्किल हैलाइडों पर प्रतिस्थापन अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाते हैं। जलीय विलयन में OH आयन उच्च जलयोजित होते हैं। इससे OH आयनों का क्षारीय गुण घट जाता है जिससे ये ऐल्किल हैलाइड के β- कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु पृथक्कृत करने में असफल हो जाते हैं तथा ऐल्कीन नहीं बना पाते।

दूसरी ओर KOH के ऐल्कोहॉली विलयन में ऐल्कॉक्साइड (RO) आयन होते हैं जो OH से प्रबल क्षार होने के कारण सरलतापूर्वक ऐल्किल क्लोराइड से HCl अणु का विलोपन करके ऐल्कीन बना लेते हैं।

प्रश्न 6.21: प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड C4H9Br (क), ऐल्कोहॉलिक KOH में अभिक्रिया द्वारा यौगिक (ख) देता है। यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक ‘ग’ देता है जो कि यौगिक ‘क’ का समावयवी है। जब यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक ‘घ’ C8H18 बनता है, जो कि ब्यूटिल ब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है। यौगिक ‘क’ का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं की समीकरण दीजिए।

उत्तर 6.21: आण्विक सूत्र C4H9Br के दो प्राथमिक हैलाइड निम्नलिखित हो सकते हैं –

अतः यौगिक (क) या तो n- ब्यूटिल ब्रोमाइड है या आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड।
चूँकि यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर यौगिक ‘घ’ (आण्विक सूत्र C8H18) प्राप्त होता है जो कि n-ब्यूटिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर प्राप्त यौगिक से भिन्न है, इसलिए यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड होना चाहिए तथा यौगिक ‘घ’ 2,5-डाइमेथिलहेक्सेन होना चाहिए।

अब यदि यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड है तो यौगिक ‘ख’, जो यौगिक ‘क’ की ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होता है, 2-मेथिल-1-प्रोपीन होना चाहिए।

यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार यौगिक ‘ग’ देता है। इसलिए यौगिक ‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड है जो यौगिक ‘क’ (आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड) का एक समावयव है।

इस प्रकार, ‘क’ आईसोब्यूटिल ब्रोमाइड, ‘ख’ 2-मेथिल-1-प्रोपीन, ‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड तथा ‘घ’ 2,5-डाइमेथिलहेक्सेन है।

प्रश्न 6.22: तब क्या होता है जब –
(i) n-ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है?
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है?
(iii) क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन किया जाता है?
(iv) एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है?
(v) शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है?
(vi) मेथिल क्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है?

उत्तर 6.22:

(vi) मेथिल सायनाइड बनता है।

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