Chemistry Class 12 Chapter 8 exercise solutions in hindi: Class 12 Chemistry Chapter 8 Question answer in Hindi
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | Chemistry |
Chapter | Chapter 8 |
Chapter Name | ऐल्डिहाइड कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Class 12 ncert solutions in hindi |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 8.1: निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
1. सायनोहाइड्रिन
2. ऐसीटल
3. सेमीकार्बजोन
4. ऐल्डोले
5. हेमीऐसीटल
6. ऑक्सिम
7. कीटैल
8. इमीन
9. 2, 4-DNP व्युत्पन्न
10. शिफ-क्षारक।
उत्तर 8.1: 1. सायनोहाइड्रिन (Cyanohydrin): सायनोहाइड्रिन एक यौगिक है जिसमें एक अल्कोहल (-OH) और एक साइनो (-CN) समूह एक ही कार्बन पर जुड़े होते हैं। यह आमतौर पर ऐल्डिहाइड या कीटोन के साथ हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) की प्रतिक्रिया से बनता है।
उदाहरण: एसीटोन सायनोहाइड्रिन (CH₃)₂C(OH)CN। हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) के साथ एसीटोन की अभिक्रिया से एसीटोन सायनोहाइड्रिन बनता है।
2. ऐसीटल (Acetal): ऐसीटल यौगिक वे हैं जिनमें एक कार्बन परमाणु से दो -OR समूह जुड़े होते हैं। यह ऐल्कोहल के साथ ऐल्डिहाइड या कीटोन की प्रतिक्रिया से बनते हैं।
उदाहरण: डाईमेथाइल ऐसीटल (CH₃-CH(OCH₃)₂)। एथेनल (एसीटैल्डिहाइड) और दो अणुओं के एथेनॉल से ऐसीटलडेहाइड डाइएथाइल ऐसीटल बनता है।
3. सेमीकार्बजोन (Semicarbazone): सेमीकार्बजोन यौगिक ऐल्डिहाइड या कीटोन की सेमीकार्बजाइड (NH₂CONHNH₂) के साथ अभिक्रिया से बनते हैं। यह कार्बोनिल यौगिकों की पहचान के लिए उपयोगी है।
उदाहरण: एसीटोन सेमीकार्बजोन CH₃C(=NNHCONH₂)CH₃। एसीटोन और सेमीकार्बाजाइड से एसीटोन सेमीकार्बाजोन बनता है।
4. ऐल्डोले (Aldol): ऐल्डोले वे यौगिक हैं जिनमें एक ऐल्कोहल (-OH) और एक ऐल्डिहाइड (-CHO) समूह होता है। यह ऐल्डोल अभिक्रिया के दौरान बनते हैं।
उदाहरण: 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटानल (CH₃CH(OH)CH₂CHO)। दो अणुओं के एथेनल के संघनन से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटैनल (ऐल्डोल) बनता है।
5. हेमीऐसीटल (Hemiacetal): हेमीऐसीटल वे यौगिक हैं जिनमें एक -OH और एक -OR समूह एक ही कार्बन पर जुड़े होते हैं। यह ऐल्डिहाइड और ऐल्कोहल की आंशिक प्रतिक्रिया से बनता है।
उदाहरण: CH₃CH(OH)OCH₃ (हेमीऐसीटल)। एथेनल और एक अणु के मेथेनॉल से हेमीऐसीटल बनता है।
6. ऑक्सिम (Oxime): ऑक्सिम ऐल्डिहाइड या कीटोन की हाइड्रॉक्सिलअमाइन (NH₂OH) के साथ प्रतिक्रिया से बनने वाले यौगिक हैं।
उदाहरण: एसीटोन ऑक्सिम (CH₃C(=NOH)CH₃)। एसीटोन और हाइड्रॉक्सिलएमीन से एसीटोन ऑक्सिम बनता है।
7. कीटैल (Ketal): कीटैल यौगिक में एक कीटोन का कार्बन दो ऐल्कोक्सी (-OR) समूहों से जुड़ा होता है। यह कीटोन और ऐल्कोहल की प्रतिक्रिया से बनता है।
उदाहरण: डाईएथाइल कीटैल (CH₃C(OCH₂CH₃)₂CH₃)।
8. इमीन (Imine): इमीन ऐसे यौगिक हैं जिनमें C=N बंध होता है। यह ऐल्डिहाइड या कीटोन की अमीन (RNH₂) के साथ प्रतिक्रिया से बनते हैं।
उदाहरण: एसीटोन इमीन (CH₃C(=NH)CH₃)।
9. 2,4-DNP व्युत्पन्न (2,4-Dinitrophenylhydrazone Derivative): यह 2,4-डाईनाइट्रोफेनाइलहाइड्राजीन (2,4-DNPH) के साथ ऐल्डिहाइड या कीटोन की प्रतिक्रिया से बनने वाला यौगिक है। यह कार्बोनिल यौगिकों की पहचान में सहायक होता है।
उदाहरण: एसीटोन 2,4-DNP व्युत्पन्न। एसीटोन और 2,4-DNP से एसीटोन 2,4-DNP व्युत्पन्न बनता है।
10. शिफ-क्षारक (Schiff Base): शिफ-क्षारक ऐसे यौगिक हैं जिनमें C=N बंध होता है, जहां N के साथ एक अल्काइल या एरिल समूह जुड़ा होता है। यह ऐल्डिहाइड या कीटोन की प्राथमिक अमाइन के साथ प्रतिक्रिया से बनते हैं।
उदाहरण: बेंजाल्डीमीन (C₆H₅CH=NH)।
प्रश्न 8.2: निम्नलिखित यौगिकों के आईयूपीएसी (IUPAC) नामपद्धति में नाम लिखिए –
1. CH3CH(CH3)CH2CH2CHO
2. CH3CH2COCH(C2H5)CH2CH2Cl
3. CH3CH = CHCHO
4. CH3COCH2COCH3
5. CH3CH(CH3)CH2C(CH3)2COCH3
6. (CH3)3CCH2COOH
7. OHCC6H4CHO-p
उत्तर 8.2:
- 4-मेथिलपेन्टेनल
- 6-क्लोरो-4-एथिलहेक्सेन-3-ओन
- ब्यूट-2-इनल
- पेन्टेन-2,4-डाइओन
- 3,3,5-ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
- 3,3-डाइमेथिलब्यूटेनोइक अम्ल
- बेन्जीन-1,4-डाइकार्बोल्डिहाइड
प्रश्न 8.3: निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए –
(i) 3-मेथिलब्यूटेनल
(ii) p-नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
(iii) p-मेथिलबेन्जेल्डिहाइड
(iv) 4-मेथिलपेन्ट-3-ईन-2-ओन
(v) 4-क्लोरोपेन्टेन-2-ओन
(vi) 3-ब्रोमो-4-फेनिल पेन्टेनोइक अम्ल
(vii) p, p’-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्जोफीनोन
(viii) हेक्स-2-ईन-4-आइनोइक अम्ल।
उत्तर 8.3:
प्रश्न 8.4: निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आईयूपीएसी (IUPAC) नाम लिखिए और जहाँ सम्भव हो सके साधारण नाम भी दीजिए।
(i) CH3CO(CH2)4CH3
(ii) CH3CH2CHBrCH2CH(CH3)CHO
(iii) CH3(CH2)5CHO
(iv) Ph-CH = CH-CH-CHO
(vi) PhCOPh
उत्तर 8.4:
प्रश्न 8.5: निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए –
(i) बेन्जेल्डिहाइड का 2,4-डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्रेजोन
(ii) साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्सिम
(iii) ऐसीटेल्डिहाइडडाइमेथिलऐसीटल
(iv) साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकाबेंजोन
(v) हेक्सेन-3-ओन का एथिलीन कीटैल
(vi) फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटल।
उत्तर 8.5:
प्रश्न 8.6: साइक्लोहेक्सेनकार्बोल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए –
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
(ii) टॉलेन अभिकर्मक
(iii) सेमीकाबेंजाइड एवं दुर्बल अम्ल
(iv) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(v) जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर 8.6:
प्रश्न 8.7: निम्नलिखित में से कौन-से यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपर्युक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिजारो अभिक्रिया में सम्भावित उत्पादों की संरचना लिखिए –
(i) मेथेनल
(ii) 2-मेथिलपेन्टेनल
(iii) बेन्जेल्डिहाइड
(iv) बेन्जोफीनोन
(v) साइक्लोहेक्सेनोन
(vi) 1-फेनिलप्रोपेनोन
(vii) फेनिलऐसीटेल्डिहाइड
(viii) ब्यूटेन-1-ऑल
(ix) 2,2-डाइमेथिलब्यूटेनल।
उत्तर 8.7: (a) 2-मेथिल पेन्टेनल, साइक्लोहेक्सेनोन, 1-फेनिलप्रोपेनोन तथा फेनिलऐसीटैल्डिहाइड में 1 या अधिक -हाइड्रोजन उपस्थित हैं। अतः इनमें ऐल्डोल संघनन होगा। अभिक्रिया तथा सम्भावित उत्पादों की संरचनाएँ निम्नवत् हैं –
(b) मेथेनल, बेन्जेल्डिहाइड तथा 2,2-डाइमेथिलब्यूटेनल में α-हाइड्रोजन नहीं होती है; अत: ये कैनिजारो (Cannizzaro reaction) अभिक्रिया देते हैं। अभिक्रियाएँ तथा सम्भावित उत्पाद निम्नवत् हैं –
(c) (iv) बेन्जोफीनोन एक कीटोन है। इसमें α-हाइड्रोजन नहीं होती है, जबकि (viii) ब्यूटेन-1-ऑल एक ऐल्कोहॉल है। ये न ऐल्डोल संघनन और न कैनिजारो अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 8.8: एथेनल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) ब्यूटेन-1,3-डाइऑल
(ii) ब्यूट-2-ईनल
(iii) ब्यूट-2-ईनोइक अम्ल।
उत्तर 8.8:
प्रश्न 8.9: प्रोपेनल एवं ब्यूटेनल के ऐल्डोल संघनन से बनने वाले चार सम्भावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए। प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकरागी और कौन-सा इलेक्ट्रॉनरागी होगा?
उत्तर 8.9: 1. प्रोपेनल नाभिकरागी तथा इलेक्ट्रॉनरागी की तरह –
2. प्रोपेनल इलेक्ट्रॉनरागी तथा ब्यूटेनल नाभिकरागी की तरह –
3. ब्यूटेनल एक इलेक्ट्रॉनरागी तथा प्रोपेनल नाभिकरागी की तरह –
4. ब्यूटेनल नाभिकरागी तथा इलेक्ट्रॉनरागी दोनों के रूप में –
प्रश्न 8.10: एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10O है 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है तथा कैनिजारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1,2-बेन्जीनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर 8.10: 1. अणुसूत्र C9H10O का दिया गया यौगिक 2,4-DNP यौगिक बनाता है तथा टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है; अत: यह ऐल्डिहाइड होगा।
2. यह कैनिजारो अभिक्रिया देता है। अत: -CHO समूह सीधा बेन्जीन वलय से जुड़ा होगा।
3. प्रबल ऑक्सीकरण पर यह 1,2-बेन्जीन डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल देता है, अत: यह ऑर्थोप्रतिस्थापी बेन्जेल्डिहाइड होगा। अणुसूत्र C9H10O का ऐसा ऐल्डिहाइड o-एथिल बेन्जेल्डिहाइड होगा।
दी गई प्रतिक्रियाओं को निम्नलिखित समीकरणों द्वारा समझाया जा सकता है:
प्रश्न 8.11: एक कार्बनिक यौगिक ‘क’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जलअपघटित करने के उपरांत एक कार्बोक्सिलिक अम्ल ‘ख’ एवं एक ऐल्कोहॉल ‘ग’ प्राप्त हुए। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ उत्पन्न होता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर 8.11: i. एक कार्बनिक यौगिक A जिसका आणविक सूत्र C8H16O2 है, जलअपघटन करने पर (B) नामक एक कार्बोक्सिलिक अम्ल और (C) नामक एक ऐल्कोहॉल देता है, जब इसे तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करवाई जाती है। अतः, यौगिक A एक एस्टर होना चाहिए।
ii. इसके अलावा, एल्कोहॉल C क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकरण पर अम्ल B देता है। इसलिए, B और C में समान संख्या में कार्बन परमाणु होने चाहिए। चूँकि यौगिक A में कुल 8 कार्बन परमाणु हैं, इसलिए B और C में प्रत्येक में 4 कार्बन परमाणु होते हैं।
iii. इसके अलावा, निर्जलीकरण पर, ऐल्कोहॉल C ब्यूट-1-ईन देता है। इसलिए, C एक सीधी श्रृंखला वाला यौगिक है और यह ब्यूटैन-1-ओल है। ऑक्सीकरण पर, ब्यूटैन-1-ओल ब्यूटेनॉइक अम्ल देता है। अतः, अम्ल B ब्यूटेनॉइक अम्ल है।
इसलिए, आणविक सूत्र C8H16O2 वाला एस्टर ब्यूटिलब्यूटेनोएट है। दी गई प्रतिक्रियाओं को निम्नलिखित समीकरणों द्वारा समझाया जा सकता है:
प्रश्न 8.12: निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गए) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(i) ऐसीटेल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन, मेथिल तृतीयक ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता)।
(ii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br)CH2COOH, (CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2COOH (अम्लता के क्रम में)
(iii) बेन्जोइक अम्ल, 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 3,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)।
उत्तर 8.12: (i) HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता के क्रम में: एल्डिहाइड और कीटोन में HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता इलेक्ट्रॉन घनत्व और कार्बनिल कार्बन की उपलब्धता पर निर्भर करती है। छोटे, कम स्थिर समूह अधिक प्रतिक्रियाशील होते हैं।
क्रम:
- डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन (सबसे कम प्रतिक्रियाशील, क्योंकि यह अत्यधिक अवरोधित है)
- मेथिल तृतीयक ब्यूटिलकीटोन
- ऐसीटोन
- ऐसीटेल्डिहाइड (सबसे अधिक प्रतिक्रियाशील, क्योंकि इसमें कम अवरोध और अधिक इलेक्ट्रोफिलिक कार्बन है)
(ii) अम्लता के क्रम में: अम्लता अल्फा-हाइड्रोजन की उपस्थिति और इलेक्ट्रोन-आकर्षक समूहों से प्रभावित होती है। ब्रॉमीन जैसे समूह इलेक्ट्रोन आकर्षित करके अम्लता बढ़ाते हैं।
क्रम:
- CH₃CH₂CH₂COOH (सबसे कम अम्लीय, क्योंकि कोई इलेक्ट्रोन-आकर्षक समूह नहीं है)
- (CH₃)₂CHCOOH (कम अम्लीय, क्योंकि इलेक्ट्रोन दाता प्रभाव के कारण)
- CH₃CH(Br)CH₂COOH (ब्रॉमीन के कारण अम्लता बढ़ी है)
- CH₃CH₂CH(Br)COOH (सबसे अधिक अम्लीय, क्योंकि ब्रॉमीन कार्बोक्सिल समूह के सबसे निकट है)
(iii) अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में: अम्लता इलेक्ट्रोन-आकर्षक और दाता समूहों से प्रभावित होती है। नाइट्रो (NO₂) समूह अम्लता बढ़ाता है, जबकि मेथॉक्सी (OCH₃) जैसे इलेक्ट्रोन दाता समूह अम्लता घटाते हैं।
क्रम:
- 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (सबसे कम अम्लीय, क्योंकि OCH₃ इलेक्ट्रोन दाता है)
- बेन्जोइक अम्ल
- 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल (NO₂ समूह अम्लता बढ़ाता है)
- 3,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल (सबसे अधिक अम्लीय, क्योंकि दो NO₂ समूह हैं और दोनों का आकर्षक प्रभाव पड़ता है)
संक्षेप में:
(i) HCN अभिक्रियाशीलता: डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन < मेथिल तृतीयक ब्यूटिलकीटोन < ऐसीटोन < ऐसीटेल्डिहाइड
(ii) अम्लता: CH₃CH₂CH₂COOH < (CH₃)₂CHCOOH < CH₃CH(Br)CH₂COOH < CH₃CH₂CH(Br)COOH
(iii) अम्लता: 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
प्रश्न 8.13: निम्नलिखित यौगिक युग्मों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए –
- प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन
- ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन
- फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
- बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट
- पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन
- बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन
- एथेनल एवं प्रोपेनल।
उत्तर 8.13: 1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन – इन यौगिकों में विभेद करने के लिए आयोडोफॉर्म परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। यह परीक्षण प्रोपेनोन द्वारा दिया जाता है, परन्तु प्रोपेनल द्वारा नहीं। प्रोपेनोन गर्म NaOH/I2 से अभिक्रिया करके CHI3 का पीला अवक्षेप देता है, जबकि प्रोपेनल नहीं देता।
2NaOH + I2 → NaI + NaOI + H2O
2. ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन – ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जोफीनोन नहीं देता।
3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल – बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 से अभिक्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है, जबकि फीनॉल नहीं देता।
फीनॉल Br2 जल को रंगहीन करके सफेद अवक्षेप देता है, परन्तु बेन्जोइक अम्ल नहीं देता।
4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट – बेन्जोइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया पर तीव्र बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त करता है, जबकि एथिल बेन्जोएट ऐसा नहीं करता।
5. पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन – पेन्टेन-2-ऑन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अर्थात् NaOH व I2 के साथ आयोडोफॉर्म बनाता है, जबकि पेन्टेन-3-ऑन यह परीक्षण नहीं देता।
6. बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन – ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जेल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता।
7. एथेनल एवं प्रोपेनल – एथेनल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु प्रोपेनल नहीं।
प्रश्न 8.14: बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हों, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iii) p-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फेनिलऐसीटिक अम्ल
(v) p-नाइट्रोबेन्जेल्डिहाइड।
उत्तर 8.14:
प्रश्न 8.15: आप निम्नलिखित रूपान्तरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे?
1. प्रोपेनोन से प्रोपीन
2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जेल्डिहाइड
3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन
5. बेन्जेल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल
7. बेन्जेल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
8. बेन्जेल्डिहाइड से α-हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल
9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर 8.15: 1. प्रोपेनोन से प्रोपीन –
2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जेल्डिहाइड –
3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल –
4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन –
5. बेन्जेल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन –
6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल –
7. बेन्जेल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल –
8. बेन्जेल्डिहाइड से α-हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल –
9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल –
प्रश्न 8.16: प्रश्न निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन कीजिए –
1. ऐसीटिलिनन अथवा फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण
2. कैनिजारो अभिक्रिया
3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन
4. विकार्बोक्सिलन।
उत्तर 8.16: 1. ऐसीटिलिनन (Acetylation) – ऐल्कोहॉलों, फीनॉलों अथवा ऐमीनों के एक सक्रिय हाइड्रोजन का एक ऐसिल (-RCO) समूह के साथ प्रतिस्थापन, जिसके फलस्वरूप संगत एस्टर या ऐमाइड बनते हैं, ऐसीटिलिनन कहलाता है। यह प्रतिस्थापन किसी क्षारक; जैसे- पिरिडीन अथवा डाइमेथिलऐनिलीन की उपस्थिति में अम्ल क्लोराइड अथवा अम्ल ऐनहाइड्राइड का प्रयोग करके कराया जाता है।
2. कैनिजारो अभिक्रिया (Cannizzaro’s Reaction) – ऐल्डिहाइड, जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है, जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
इन अभिक्रियाओं में ऐल्डिहाइड असमानुपातन दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि ऐल्डिहाइड का एक अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है तथा अन्य ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है। कीटोन ये अभिक्रिया नहीं देते हैं।
3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन (Cross Aldol Condensation) – जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड और/या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि प्रत्येक में g-हाइड्रोजन हो तो ये चारे उत्पादों का मिश्रण देते हैं। इसे निम्नलिखित एथेनल व प्रोपेनल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया द्वारा समझाया गया है –
क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।
4. विकार्बोक्सिलन (Decarboxylation) – कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडलाइम (NaOH तथा CaO, 3 : 1 के अनुपात में) के साथ गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलने (decarboxylation) कहलाती है।
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन द्वारा विकार्बोक्सिलन हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दुगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे विद्युत-अपघटन (Kolbe electrolysis) कहते हैं।
प्रश्न 8.17: निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए –
उत्तर 8.17:
(iii) H2NNHCONH2 का अधिक नाभिकरागी NH2NH भाग अभिक्रिया करके सेमीकाबेंजोन बनाता है।
(iv)
(v) केवल ऐल्डिहाइड ही टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकृत होते हैं।
(vi) सायनोहाइड्रिन निर्माण ऐल्डिहाइड समूह पर होता है।
(viii) केवल कीटो समूह NaBH4 द्वारा अपचयित होता है।
प्रश्न 8.18: निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए –
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है, परन्तु 2,2,6- ट्राइमेथिल साइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
(ii) सेमीकाबेंजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकाबेंजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है, उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
उत्तर 8.18:
α-स्थानों पर तीन मेथिल समूहों की उपस्थिति के कारण CN– आयनों का नाभिकस्नेही आक्रमण नहीं होता है। साइक्लोहेक्सेन में यह स्टेरिक अवरोध अनुपस्थित होता है। अत: CN– आयनों का नाभिकस्नेही आक्रमण शीघ्रता से होता है। अत: साइक्लोहेक्सेनोन सायनोहाइडूिन अच्छी मात्रा में प्राप्त होता है।
सेमीकाबेंजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, लेकिन इनमें से एक (ऊपर प्रदर्शित) अनुनाद में भाग लेता है जिसके परिणामस्वरूप इस NH2 समूह पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। अतः यह नाभिकस्नेही नहीं है, लेकिन दूसरे NH2 समूह पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन अनुनाद में भाग नहीं लेता है। अत: ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के C == O समूह पर आक्रमण के लिए उपलब्ध होता है।
(iii) एस्टर जल के साथ मिलकर एक कार्बोक्सिलिक अम्ल और एक ऐल्कोहॉल से अम्ल की उपस्थिति में उत्क्रमणीय रूप से बनता है।
यदि जल या एस्टर को बनते ही नहीं हटाया जाता है, तो यह अभिक्रिया करके अभिकारकों को वापस देता है क्योंकि अभिक्रिया प्रतिवर्ती होती है। इसलिए, संतुलन को आगे की दिशा में स्थानांतरित करने के लिए दोनों में से किसी एक को हटाया जाना चाहिए, यानी अधिक एस्टर का उत्पादन करना चाहिए।
प्रश्न 8.19: एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, परन्तु सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। यौगिक की सम्भावित संरचना लिखिए।
उत्तर 8.19: (क) यौगिक का अणुसूत्र ज्ञात करना –
कार्बन का प्रतिशत = 69.77%
हाइड्रोजन का प्रतिशत = 11.63%
∴ ऑक्सीजन का प्रतिशत = 100 – (69.77 + 11.63)
= 18.6%
C : H : O = \(\frac { 69.77 }{ 12 } :\frac { 11.6.3 }{ 1 } :\frac { 18.6 }{ 16 }\)
=5.81 : 11.63 : 1.16
∴ सरल अनुपात = 5 : 10 : 1
दिए गए यौगिक का मूलानुपाती सूत्र = C5H10O
मूलानुपाती सूत्र द्रव्यमान = 5 × 12 + 10 × 1 + 1 × 16 = 86
आण्विक द्रव्यमान = 86 (दिया है)
अणुसूत्र = C5H10O × \(\frac { 86 }{ 86 }\) = C5H10O
इस प्रकार दिए गए यौगिक का अणुसूत्र = C5H10O
(ख) यौगिक की संरचना ज्ञात करना –
- चूंकि दिया गया यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक बनाता है, इसलिए यह एक ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन होना चाहिए।
- चूंकि यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, इसलिए यह ऐल्डिहाइड नहीं हो सकता। अतः यह कीटोन होना चाहिए।
- चूँकि यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, इसलिए दिया गया यौगिक मेथिल कीटोन है।
- चूँकि दिया गया यौगिक प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक अम्ले तथा प्रोपेनोइक अम्ल का मिश्रण देता है, इसलिए मेथिल कीटोन पेन्टेन-2-ओन है। इसकी संरचना इस प्रकार है –
(ग) सम्मिलित अभिक्रियाओं का विवरण –
प्रश्न 8.20: यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं, परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है, क्यों?
उत्तर 8.20: फीनॉक्साइड आयन की अनुनाद संरचनाएं हैं:
फीनॉक्साइड आयन की अनुनाद संरचनाओं से यह देखा जा सकता है कि II, III और IV में, कम विद्युत ऋणात्मक कार्बन परमाणु ऋणात्मक आवेश रखते हैं। इसलिए, ये तीन संरचनाएँ फिनोक्साइड आयन की अनुनाद स्थिरता में नगण्य योगदान देती हैं। इसलिए, इन संरचनाओं को समाप्त किया जा सकता है। केवल संरचना I और V में अधिक विद्युत ऋणात्मक ऑक्सीजन परमाणु पर ऋणात्मक आवेश होता है।
कार्बोक्सिलेट आयन की अनुनाद संरचनाएं हैं:
कार्बोक्सिलेट आयन के मामले में, अनुनादी संरचना I′ और II′ में एक अधिक विद्युतऋणात्मक ऑक्सीजन परमाणु द्वारा वहन किया जाने वाला आवेश होता है।
इसके अलावा, अनुनाद संरचनाओं I′ और II′ में, ऋणात्मक आवेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर विकेंद्रित होता है। लेकिन फेक्सोक्साइड आयन की अनुनाद संरचनाओं I और V में, ऋणात्मक आवेश एक ही ऑक्सीजन परमाणु पर स्थानीयकृत होता है। इसलिए, कार्बोक्सिलेट आयन की अनुनाद संरचनाएं फेनोक्साइड आयन की तुलना में इसकी स्थिरता में अधिक योगदान देती हैं। नतीजतन, कार्बोक्सिलेट आयन फेनोक्साइड आयन की तुलना में अधिक अनुनाद-स्थिर होता है। इसलिए, कार्बोक्सिलिक अम्ल फिनोल की तुलना में अधिक मजबूत अम्ल है।