Chemistry Class 12 Chapter 9 exercise solutions in hindi: Class 12 Chemistry Chapter 9 Question answer in Hindi
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | Chemistry |
Chapter | Chapter 9 |
Chapter Name | ऐमीन Class 12 ncert solutions in hindi |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
Are you looking for Class 12 Chemistry Chapter 9 ncert solutions in hindi ऐमीन? Now you can download Ncert Chemistry Class 12 Chapter 9 exercise solutions in hindi pdf from here.
प्रश्न 9.1: निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आईयूपीएसी नाम लिखिए।
- (CH3)2CHNH2
- CH3(CH2)2CH2NH2
- CH3NHCH(CH3)2
- (CH3)3CNH2
- C6H5NHCH3
- (CH3CH2)2NCH3
- m-BrC6H4NH2
उत्तर 9.1: प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है:
1. (CH₃)₂CHNH₂
- वर्गीकरण: प्राथमिक ऐमीन
- IUPAC नाम: प्रोपेन-2-ऐमीन
2. CH₃(CH₂)₂CH₂NH₂
- वर्गीकरण: प्राथमिक ऐमीन
- IUPAC नाम: प्रोपेन-1-ऐमीन
3. CH₃NHCH(CH₃)₂
- वर्गीकरण: द्वितीयक ऐमीन
- IUPAC नाम: N-मेथिल प्रोपेन-2-ऐमीन
4. (CH₃)₃CNH₂
- वर्गीकरण: प्राथमिक ऐमीन
- IUPAC नाम: 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन
5. C₆H₅NHCH₃
- वर्गीकरण: द्वितीयक ऐमीन
- IUPAC नाम: N-मेथिलबेन्जीनेमीन या N-मेथिलऐनिलीन
6. (CH₃CH₂)₂NCH₃
- वर्गीकरण: तृतीयक ऐमीन
- IUPAC नाम: N-एथिल, N-मेथिलऐथेनेमीन
7. m-BrC₆H₄NH₂
- वर्गीकरण: प्राथमिक ऐमीन
- IUPAC नाम: 3-ब्रोमोबेन्जैनेमीन या 3-ब्रोमोऐनिलीन
प्रश्न 9.2: निम्नलिखित युग्मों के यौगिकों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए-
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन।
उत्तर 9.2: (i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन: इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। मेथिलऐमीन प्राथमिक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् KOH के ऐल्कोहॉलिक विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह मेथिल काबिलेमीन की तीव्र गन्ध देती है। इसके विपरीत, डाइमेथिलऐमीन एक द्वितीयक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण नहीं देती।
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन: इनमें लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। द्वितीयक ऐमीन लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण देती हैं, जबकि तृतीयक ऐमीन ये परीक्षण नहीं देती।। द्वितीयक ऐमीन HNO2, से अभिक्रिया करके पीले रंग का तैलीय N-नाइट्रोसोऐमीन देती हैं। यहाँ HNO2, को खनिज अम्ल (HCI) तथा सोडियम नाइट्राइट की अभिक्रिया द्वारा माध्यम में (in situ) ही बनाया जाता है
N-नाइट्रोसोडाइएथिल ऐमीन को फीनॉल के क्रिस्टल तथा सान्द्र H2SO2 के साथ गर्म करने पर यह एक हरा विलयन देती है जिसे जलीय NaOH के साथ क्षारीय बनाए जाने पर गहरा नीला विलयन प्राप्त होता है जो तनुकरण पर लाल हो जाता है। तृतीयक ऐमीन यह परीक्षण नहीं देती हैं।
(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन: एथिलऐमीन प्राथमिक ऐलिफैटिक ऐमीन है, जबकि ऐनिलीने प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन है। इन्हें ऐजो रंजक परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। ऐजो रंजक परीक्षण – इसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की HNO2, (NaNO2, + तनु HCl ) के साथ 273–278K पर अभिक्रिया होती है तथा इसके पश्चात् 2 नैफ्थॉल (β – नैफ्थॉल) के क्षारीय विलयन के साथ अभिक्रिया से गहरे पीले, नारंगी या लाल रंग का रंजक प्राप्त होता है।
ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपर्युक्त परिस्थितियों के अन्तर्गत प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के निर्माण के साथ नाइट्रोजन गैस तीव्रता से मुक्त करती हैं अर्थात् विलयन पारदर्शी ही रहता है।
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन: इन्हें नाइट्रस अम्ल परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। नाइट्रस अम्ल परीक्षण – बेन्जिल ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके डाइऐजोनियम लवण बनाती है जो कम ताप पर भी अस्थायी होने के कारण N2, के विमुक्तन के साथ विघटित हो जाता है।
ऐनिलीन HNO2, से अभिक्रिया करके बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाती है जो 273 – 278 K पर स्थायी होता है, इसलिए विघटित होकर नाइट्रोजन गैस नहीं देता है।
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन: इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। ऐनिलीन प्राथमिक ऐमीन होने के कारण कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् ऐल्कोहॉलिक KOH विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह फेनिल आइसोसायनाइड की हानिकारक गन्ध देती है। इसके विपरीत, N – मेथिल ऐनिलीन द्वितीयक ऐमीन होने के कारण यह परीक्षण नहीं देती।
प्रश्न 9.3: निम्नलिखित के कारण बताइए-
(i) ऐनिलीन का pKb मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) एथिल ऐमीन जल में विलेय है, जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देती है।
(iv) यद्यपि ऐमीनो समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थों एवं पैरा-निर्देशक होता है, फिर भी ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटा-नाइट्रोऐनिलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती।
उत्तर 9.3: (i) ऐनिलीन, मेथिलऐमीन से अधिक दुर्बल क्षार होती है। ऐनिलीन में N – परमाणु पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। दूसरी ओर, मेथिलऐमीन में CH3 समूह के + I प्रभाव के कारण N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। अत: ऐनिलीन मेथिलऐमीन से दुर्बल क्षार होता है, अत: इसका pKb, मान मेथिलऐमीन से उच्च होता है।
(ii) एथिलऐमीन जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाने के कारण जल में विलेय होती है।
दूसरी ओर, ऐनिलीन जल में वृहत् हाइड्रोकार्बन भाग C6 H5 के कारण अविलेय होता है, क्योंकि यह हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है।
(iii) मेथिलऐमीन जल से अधिक क्षारीय होने के कारण जल से प्रोटॉन ग्रहण करके OH– आयन मुक्त करती है।
ये OH– आयन जल में उपस्थित Fe3+ आयनों से संयुक्त होकर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप देती हैं।
(iv) नाइट्रीकरण की प्रक्रिया सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4 के मिश्रण की उपस्थिति में होती है। इन अम्लों की उपस्थिति में अधिकांश ऐनिलीन प्रोटॉनीकृत होकर ऐनिलीनियम आयन बनाती है। अतः । अम्लों की उपस्थिती में अभिक्रिया मिश्रण में ऐनिलीन और ऐनिलीनियम आयन होते हैं -NH2, समूह ऐनिलीन में ऑर्थों तथा पैरा निर्देशक होता है तथा सक्रियक (dactivating) होता है, जबकि ऐनिलीनियम आयन में \(\overset { + }{ N } { H }_{ 3 }\) समूह मेटा निर्देशक तथा निष्क्रियकारक होता है। ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से p-नाइट्रोऐनिलीन प्राप्त होती है, जबकि ऐनिलीनियम आयन मेटा नाइट्रोऐनिलीन देता है।
अतः ऐनिलीन का नाइट्रीकरण ऐमीनो समूह के प्रोटॉनीकरण द्वारा m – नाइट्रोऐनिलीन देता है।
(v) ऐल्किलीकरण तथा ऐसिलीकरण की तरह ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया नहीं देती है क्योंकि यह एलुमिनियम क्लोराइड जो कि उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त होता है (लुईस अम्ल) के साथ लवण बनाती है। इस नाइट्रोजन परमाणु के कारण ऐनिलीन -NH2, समूह के नाइट्रोजन परमाणु पर धनावेश आ जाता है अतः यह पुनः अभिक्रिया के लिए प्रबल निष्क्रियकारक समूह का कार्य करता है।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों के लवणों से अधिक स्थायी होते हैं। क्योंकि निम्न ताप पर ऐलिफैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण वियोजित होकर नाइट्रोजन गैस देते हैं।
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण केवल शुद्ध प्राथमिक ऐमीन देती है तथा द्वितीयक या तृतीयक ऐमीन सह-उत्पाद के रूप में नहीं देती। इसलिए प्राथमिक ऐमीन संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।
प्रश्न 9.4: निम्नलिखित को क्रम में लिखिए –
- (i) pKb, मान के घटते क्रम में
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2H5)2 NH एांव C6H5NH2, - (ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C2H5)2 NH, एांव CH3NH2 - (iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलूडीन
(ख)C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2 - (iv) गैस अवस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में
C2H5NH2, (C2H5)2 NH, (C2H5)3 N एवं NH3 - (v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में
C2H5OH, (CH3)2NH, C6H5NH2 - (vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में
C2H5NH2, (C2H5)2 NH, C2H5NH2
उत्तर 9.4:
प्रश्न 9.5: इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे –
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिल ऐमीन में
(viii) प्रोपेनोइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में?
उत्तर 9.5:
प्रश्न 9.6: प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर 9.6: बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2Cl), जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक भी कहा जाता है, प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीनों से अभिक्रिया करके सल्फोनैमाइड बनाता है।
(i) बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड और प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया से N-एथिलबेन्जीन सल्फोनिल ऐमाइड प्राप्त होता है।
सल्फोनैमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खींचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होती है, अत: यह क्षार में विलेय होता है।
(ii) द्वितीयक ऐमीन की अभिक्रिया से N,N-डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनैमाइड बनता है।
N,N-डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनैमाइड में कोई भी हाइड्रोजन परमाणु, नाइट्रोजन परमाणु से नहीं जुड़ा है। अत: यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।
(iii) तृतीयक ऐमीन बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गों के ऐमीनों का यह गुण जिसमें वे बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती हैं, प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में विभेद करने एवं इन्हें मिश्रण से पृथक् करने में प्रयुक्त होता है। यद्यपि आजकल बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड के स्थान पर p-टॉलूईनसल्फोनिल क्लोराइड का प्रयोग होता है।
प्रश्न 9.7: निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए-
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(ii) डाइऐजोकरण
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमोनीअपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।
उत्तर 9.7: (i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया: यह एक अभिक्रिया है जिसमें प्राथमिक ऐमीन (R-NH₂) क्लोरोफॉर्म (CHCl₃) और अल्कली (KOH या NaOH) की उपस्थिति में गरम करने पर कार्बिलऐमीन (R-NC) का निर्माण करती है। यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमीन की पहचान के लिए प्रयुक्त होती है।
उदाहरण: R-NH₂ + CHCl₃ + 3KOH → R-NC + 3KCl + 3H₂O
(ii) डाइऐजोकरण: इस प्रक्रिया में ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन (Ar-NH₂) को नाइट्रस अम्ल (HNO₂) और HCl की उपस्थिति में 0-5°C पर डाइऐजोनियम लवण (Ar-N≡N⁺Cl⁻) में परिवर्तित किया जाता है।
यह अभिक्रिया ऐरोमैटिक यौगिकों के संश्लेषण में महत्त्वपूर्ण है।
उदाहरण: C₆H₅NH₂ + HNO₂ + HCl → C₆H₅N₂⁺Cl⁻ + 2H₂O
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया: यह अभिक्रिया प्राथमिक ऐमाइड (R-CONH₂) को ब्रॉमीन (Br₂) और क्षार (KOH) की उपस्थिति में प्राथमिक ऐमीन (R-NH₂) में परिवर्तित करती है।
उदाहरण: R-CONH₂ + Br₂ + 4KOH → R-NH₂ + K₂CO₃ + 2KBr + 2H₂O
(iv) युग्मन अभिक्रिया: यह अभिक्रिया डाइऐजोनियम लवण (ArN₂⁺Cl⁻) और ऐरोमैटिक यौगिकों (जैसे, फिनॉल या ऐनीलिन) के बीच होती है, जिससे ऐज़ो यौगिक (Ar-N=N-Ar’) बनते हैं। यह अभिक्रिया रंगीन डाई के निर्माण में प्रयुक्त होती है।
उदाहरण: C₆H₅N₂⁺Cl⁻ + C₆H₅OH → C₆H₅-N=N-C₆H₄OH
(v) अमोनीअपघटन: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अमोनिया (NH₃) के साथ यौगिकों की अभिक्रिया करके नया यौगिक तैयार किया जाता है। अमोनिया अल्काइल या एरिल हैलाइड्स को ऐमीन में परिवर्तित कर सकती है।
उदाहरण: RX + NH₃ → RNH₂ + HX
(vi) ऐसीटिलन: इस अभिक्रिया में किसी यौगिक के साथ ऐसीटिक एनहाइड्राइड (CH₃CO) या ऐसीटिल क्लोराइड (CH₃COCl) की अभिक्रिया कराकर उसमें ऐसीटिल समूह (-COCH₃) जोड़ा जाता है।
उदाहरण: R-NH₂ + (CH₃CO)₂O → R-NHCOCH₃ + CH₃COOH
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण: इस विधि का उपयोग प्राथमिक ऐमीन के निर्माण में किया जाता है। इसमें थैलिमाइड (C₆H₄(CO)₂NH) को क्षार और फिर ऐल्काइल हैलाइड (RX) के साथ अभिक्रिया कराकर प्राथमिक ऐमीन (R-NH₂) प्राप्त किया जाता है।
उदाहरण:
C₆H₄(CO)₂N⁻ + RX → C₆H₄(CO)₂NR
C₆H₄(CO)₂NR + 2NH₂NH₂ → RNH₂ + C₆H₄(CO)₂(NHNH₂)
प्रश्न 9.8: निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए –
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2,4,6-ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2 – फेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लोरोबेन्जीन से p – क्लोरोऐनिलीन
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलूईन
(vii) ऐनिलीन से p – ब्रोमोऐनिलीन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
उत्तर 9.8: (i)
प्रश्न 9.9: निम्नलिखित अभिक्रियाओं में A, B तथा C की संरचना दीजिए-
उत्तर 9.9:
प्रश्न 9.10: एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक ‘B’ बनाता है जो Br2, (ब्रोमीन) एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणुसूत्र C6H7N वाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचना एवं इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम। लिखिए।
उत्तर 9.10: चूँकि यह ऐरोमैटिक यौगिक है अत: इसमें बेन्जीन वलय होगी। B, Br2 तथा KOH के साथ गरम करने पर (हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया) यौगिक ‘C’ (अणु सूत्र C6H7N) बनाता है। केवल उच्च ऐमाइड हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया [Br2 + KOH] द्वारा निम्न ऐमीन देते हैं। अत B, C6H5CONH2 तथा C, C6H5NH2 हैं। चूँकि यौगिक C6H5CONH2, A से प्राप्त होता है, अत: A, C6H5COOH (कार्बोक्सिलिक अम्ल) होगा, अभिक्रियाओं का अनुक्रम और A, B तथा C की संरचनाएँ अग्रवत् होंगी।
प्रश्न 9.11: निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए-
उत्तर 9.11:
प्रश्न 9.12: ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर 9.12: गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया में, थैलिमाइड ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है। यह ऐल्किल हैलाइड के साथ संगत ऐल्किल व्युत्पन्न देता है।
ऐल्किल थैलिमाइड ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकती, क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन, अभिक्रिया नहीं कर सकते।
प्रश्न 9.13: ऐलिपैटिक एवं ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर 9.13: (i) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन HCI की उपस्थिचिभमें माइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया करके ऐरोमैटिक डाइऐजोनियम लवण बनाती हैं।
(ii) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐल्कोहॉल तथानाइट्रोजन गैस देती हैं।
प्रश्न 9.14: निम्नलिखित में प्रत्येक का सम्भावित कारण बताइए-
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं।
उत्तर 9.14: (i) किसी ऐमीन से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐमाइड आयन प्राप्त होता है, जबकि ऐल्कोहॉल से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐल्कॉक्साइड आयन प्राप्त होता है जैसा कि निम्नवत् दर्शाया गया है
चूँकि N की तुलना में 0 अधिक विद्युतऋणात्मक है, इसलिए RO–° पर ऋणावेश RNH–° की तुलना में अधिक सरलता से रह सकता है। दूसरे शब्दों में, ऐमीन ऐल्कोहॉल से कम अम्लीय होती हैं।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों के N-परमाणुओं पर दो हाइड्रोजन परमाणुओं की उपस्थिति के कारण ये विस्तीर्ण अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध दर्शाती हैं, जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणुओं के अभाव के कारण अन्तराआण्विक संघटन नहीं होता। इसलिए प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
उदाहरणार्थ : n-ब्यूटिलऐमीन का क्वथनांक (351 K) तृतीयक ब्यूटिलऐमीन (क्वथनांक 319 K) से अधिक होता है।