कक्षा 12 भूगोल अध्याय 5 प्रश्न उत्तर: द्वितीयक क्रियाएँ कक्षा 12 प्रश्न उत्तर
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | भूगोल |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | द्वितीयक क्रियाएँ ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए ।
प्रश्न 1.(i): निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(क) हुगली के सहारे जूट के कारखाने सस्ती जल यातायात की सुविधा के कारण स्थापित हुए।
(ख) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।
(ग) खनिज तेल एवं जलविद्युत शक्ति के विकास ने उद्योगों की अवस्थिति कारक के रूप में कोयला शक्ति के महत्त्व को कम किया है।
(घ) पत्तन नगरों ने भारत में उद्योगों को आकर्षित किया है।
उत्तर 1.(i): (ख) चीनी, सूती वस्त्र एवं वनस्पति तेल उद्योग स्वच्छंद उद्योग हैं।
प्रश्न 1.(ii): निम्न में से कौन-सी एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन का स्वामित्व व्यक्तिगत होता है?
(क) पूँजीवाद
(ख) मिश्रित
(ग) समाजवाद
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर 1.(ii): (क) पूँजीवाद
प्रश्न 1.(iii): निम्न में से कौन-सा एक प्रकार का उद्योग अन्य उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन करता है?
(क) कुटीर उद्योग
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग
(ग) आधारभूत उद्योग।
(घ) स्वच्छंद उद्योग
उत्तर 1.(iii): (ग) आधारभूत उद्योग।
प्रश्न 1.(iv): निम्न में से कौन-सा एक जोड़ा सही मेल खाता है?
(क) स्वचालित वाहन उद्योग …. लॉस एंजिल्स
(ख) पोत निर्माण उद्योग ……लुसाका
(ग) वायुयान निर्माण उद्योग …….. फलोरेंस
उत्तर 1.(iv): (क) स्वचालित वाहन उद्योग …. लॉस एंजिल्स
प्रश्न 2: निम्नलिखित पर लगभग 30 शब्दों में टिप्पणी लिखिए|
प्रश्न 2.(i): उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग
उत्तर 2.(i): उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग वे उद्योग होते हैं जो अत्यधिक उन्नत और नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं। इन उद्योगों में विज्ञान और तकनीकी शोध का महत्वपूर्ण योगदान होता है और ये अन्य उद्योगों की तुलना में अधिक नवाचार, विकास और उत्पादकता प्रदान करते हैं। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों का प्रमुख उद्देश्य उन्नत तकनीकी समाधानों के माध्यम से जटिल समस्याओं का समाधान करना और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण करना होता है।
प्रश्न 2.(ii): विनिर्माण
उत्तर 2.(ii): विनिर्माण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कच्चे माल को उपयोगी वस्त्रों और उत्पादों में बदला जाता है। यह एक उद्योगिक प्रक्रिया है जो मशीनों, श्रमिकों और तकनीकी कौशल के माध्यम से होती है। विनिर्माण का उद्देश्य उपभोक्ता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्पादों का निर्माण करना है। यह प्रक्रिया विभिन्न चरणों में पूरी होती है, जैसे कच्चे माल का चयन, प्रसंस्करण, संयोजन और पैकिंग।
प्रश्न 2.(iii): स्वच्छंद उद्योग
उत्तर 2.(iii): स्वच्छंद उद्योग-इने उद्योगों की स्थापना में परंपरागत कारक प्रभावी नहीं होते हैं; बल्कि इन्हें कहीं भी औद्योगिक संकुलों में स्थापित किया जा सकता है। क्योंकि इन उद्योगों का कच्चा माल दूसरे उद्योगों को तैयार माल होता है, जिनमें क्षति का स्तर बहुत ही कम होता है। ये उद्योग संघटक पुरजों पर निर्भर रहते हैं जो कहीं भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
प्रश्न 3: निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए:
प्रश्न 3.(i): प्राथमिक एवं द्वितीयक गतिविधियों में क्या अन्तर है।
उत्तर 3.(i): यहां प्राथमिक और द्वितीयक गतिविधियों के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए एक तालिका प्रस्तुत की गई है:
प्रमुख बिंदु | प्राथमिक गतिविधियाँ | द्वितीयक गतिविधियाँ |
---|---|---|
परिभाषा | ये वे गतिविधियाँ होती हैं जो प्राकृतिक संसाधनों का सीधे उपयोग करती हैं। इसमें कच्चे माल की प्राप्ति और उनका प्राथमिक रूप में उपयोग शामिल होता है। जैसे कृषि, मछली पकड़ना, खनन, लकड़ी काटना आदि। | ये वे गतिविधियाँ होती हैं, जिनमें कच्चे माल को परिवर्तित किया जाता है और उसे एक उपयोगी उत्पाद में बदला जाता है। इसमें निर्माण, निर्माण उद्योग, वस्त्र उद्योग आदि शामिल हैं। |
उदाहरण | कृषि, खनन, मछली पालन, वानिकी, पशुपालन | निर्माण उद्योग, निर्माण, वस्त्र उद्योग, इत्यादि |
प्रकृति | कच्चे माल का निष्कर्षण करना और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना। | कच्चे माल को संसाधित करना और तैयार उत्पादों का निर्माण करना। |
कच्चा माल | कच्चा माल प्राकृतिक संसाधन होते हैं (जैसे- भूमि, पानी, खनिज)। | कच्चा माल प्राथमिक उद्योगों से आता है। |
स्थल निर्धारण | इनका स्थान प्राकृतिक संसाधनों के करीब होता है, जैसे कृषि भूमि, खनिज संसाधन क्षेत्र, महासागर आदि। | इनका स्थान आमतौर पर शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में होता है, जहां निर्माण और उत्पादन इकाइयाँ स्थित होती हैं। |
मूल्यवर्धन | इन गतिविधियों में किसी भी प्रकार का मूल्यवर्धन नहीं होता। | इन गतिविधियों में कच्चे माल को उच्च मूल्य के तैयार उत्पादों में बदला जाता है। |
प्रेरक शक्ति | प्राकृतिक संसाधन और भूमि पर निर्भर। | तकनीकी प्रगति और श्रम शक्ति पर निर्भर। |
रोजगार | यह गतिविधियाँ सामान्यतः कम श्रमिकों के साथ होती हैं, क्योंकि अधिकतर यह स्वचालित होती हैं। | यह गतिविधियाँ आमतौर पर अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती हैं। |
प्रश्न 3.(ii): विश्व के विकसित देशों के उद्योगों के संदर्भ में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं की मुख्य प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।
उत्तर 3.(ii): विकसित देशों में आधुनिक औद्योगिक क्रियाओं में कई महत्वपूर्ण प्रवृत्तियाँ देखी जा रही हैं, जो उद्योगों के स्वरूप और कार्यशैली को बदल रही हैं। इनमें सबसे प्रमुख प्रवृत्तियाँ हैं:
- स्वचालन और तकनीकी नवाचार: विकसित देशों में औद्योगिक प्रक्रियाओं में स्वचालन (Automation) और रोबोटिक्स का तेजी से उपयोग बढ़ा है। मशीनों और कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के उपयोग से उत्पादन की गति, गुणवत्ता और दक्षता में सुधार हुआ है। इस प्रवृत्ति ने श्रमिकों की संख्या को घटाया है, लेकिन उच्च कौशल वाले श्रमिकों की आवश्यकता बढ़ाई है।
- सूचना प्रौद्योगिकी और डिजिटलीकरण: उद्योगों में सूचना प्रौद्योगिकी का बढ़ता हुआ उपयोग, विशेष रूप से डिजिटलीकरण, ने उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का उपयोग उद्योगों में बेहतर निर्णय लेने, उत्पादन योजना और गुणवत्ता नियंत्रण में किया जा रहा है।
- हरित और सतत विकास: पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और ऊर्जा की खपत को घटाने के लिए विकसित देशों के उद्योगों में हरित प्रौद्योगिकियों और सतत उत्पादन प्रक्रियाओं का बढ़ता हुआ उपयोग देखा जा रहा है। हरित ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा), ऊर्जा दक्षता और पुनर्चक्रण (Recycling) पर जोर दिया जा रहा है।
- वैश्वीकरण: विकसित देशों में औद्योगिक उत्पादन वैश्विक स्तर पर फैला हुआ है। वैश्वीकरण के कारण, इन देशों में उत्पादन इकाइयाँ विभिन्न देशों में स्थापित की जाती हैं, जिससे लागत में कमी आती है और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
- उत्पादन का व्यक्तिगतकरण: विकसित देशों में उद्योगों की एक प्रमुख प्रवृत्ति यह है कि वे उपभोक्ता की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार उत्पादों का व्यक्तिगतकरण (Customization) कर रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को विशिष्ट उत्पाद मिलते हैं और उद्योगों को एक नया बाजार मिलता है।
प्रश्न 3.(iii): अधिकतर देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही क्यों विकसित हो रहे हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर 3.(iii): विश्व अर्थव्यवस्था में निर्माण उद्योगों का बड़ा योगदान है। लौह-इस्पात, वस्त्र, मोटर गाड़ी निर्माण, पेट्रो रसायन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विश्व के प्रमुख निर्माण उद्योग हैं। किंतु उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग नवीनतम पीढी के उद्योगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें उन्नत वैज्ञानिक एवं इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण गहन शोध एवं विकास पर आधारित प्रयोगों पर खरा उतरने के बाद किया जाता है। इसमें संलग्न संपूर्ण श्रमिक शक्ति का अधिकतर भाग व्यावसायिक (सफेद कॉलर) श्रमिकों का होता है।
ये उच्च दक्षता प्राप्त विशिष्ट श्रमिक, वास्तविक उत्पादक (नीला कॉलर) श्रमिकों से संख्या में अधिक होते हैं। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों में यंत्रमानव (रोबोट), कंप्यूटर आधारित डिज़ाइन (कैड) तथा निर्माण धातु पिघलाने एवं शोधन के इलैक्ट्रोनिक नियंत्रण एवं नए रासायनिक व औषधीय उत्पाद प्रमुख स्थान रखते हैं। इस भू-दृश्य में विशाल भवनों, कारखानों एवं भंडार क्षेत्रों के स्थान पर आधुनिक, नीचे साफ-सुथरे, बिखरे कार्यालय एवं प्रयोगशाला देखने को मिलती हैं।
वर्तमान में जो भी प्रादेशिक व स्थानीय विकास की योजनाएँ बन रही हैं उनमें नियोजित व्यवसाय पार्क का निर्माण किया जा रहा है। उच्च प्रौद्योगिकी उद्योगों में निर्मित अधिकांश उत्पादों की मांग महानगरों में अधिक है साथ ही प्रौद्योगिकी व कुशल श्रमिक भी महानगरों में उपलब्ध हैं अतः विश्व के अधिकांश देशों में उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग प्रमुख महानगरों के परिधि क्षेत्रों में ही विकसित हुए हैं।
प्रश्न 3.(iv): अफ्रीका में अपरिमित प्राकृतिक संसाधन हैं फिर भी औद्योगिक दृष्टि से यह बहुत पिछड़ा महाद्वीप है। समीक्षा कीजिए।
उत्तर 3.(iv): अफ्रीका महाद्वीप प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न महाद्वीप है। इस महाद्वीप का मध्य भाग उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों से आच्छादित है। इसके पठारी भागों में खनिजों के अपार भंडार निक्षेपित हैं जिनमें खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, लौह-अयस्क, कोयला, यूरेनियम, तांबा, बॉक्साइट, सोना, हीरा, कोबाल्ट तथा जस्ता महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ की अनेक सदानीरा नदियों में जलविद्युत पैदा करने की असीम संभावनाएँ हैं।
विश्व की सबसे लम्बी नील नदी इसके मरुस्थलीय भाग को जीवन प्रदान करती है। इसी नदी घाटी में मिश्र की प्राचीन सभ्यता फली-फूली व विकसित हुई थी। एक अनुमान के अनुसार, विश्व की 40% संभाव्य जलविद्युत अफ्रीका की नदियों में विद्यमान है। इतना सब कुछ होने के बावजूद भी अफ्रीका महाद्वीप औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ महाद्वीप है। क्योंकि, इसके अधिकांश भू-भाग यूरोपीय साम्राज्यवादी शक्तियों के अधीन उनके उपनिवेश रहे हैं। इन साम्राज्यवादी शक्तियों ने यहाँ उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन अपने देशों का विकास करने के लिए किया था।
अपने अधीन उपनिवेशों की अर्थव्यवस्था सुधारने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। परिणामतः यूरोपवासियों के संपर्क में रहने के बावजूद भी, इस महाद्वीप के देशों की अर्थव्यवस्था पिछड़ी रही। क्योंकि, यहाँ आधारभूत उद्योगों व प्रौद्योगिकी को अभी तक विकास नहीं हो पाया है, जिनके द्वारा ये देश अपने संसाधनों का उपयोग अपने विकास के लिए कर सकें, अतः संसाधनों की बहुलता होते हुए भी यह महाद्वीप औद्योगिक दृष्टि से आज भी पिछड़ा हुआ है।