संवदिया question answer: Class 12 Hindi Chapter 12 question answer
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi antra |
Chapter | Chapter 12 |
Chapter Name | संवदिया के प्रश्न उत्तर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँव वालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है ?
उत्तर 1: संवदिया की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
- संवदिया का अर्थ है- संवाद या संदेश ले जाने वाला। यह काम सब नहीं कर सकते।
- संवदिया गुप्त समाचार को इस प्रकार ले जाता है कि पक्षी तक को उसके बारे में पता नहीं चलता।
- संवदिया को संवाद का प्रत्येक शब्द याद रखना पड़ता है।
- संवदिया संवाद को उसी लहजे और सुर में सुनाता है जैसा उसे सुनाया जाता है।
संवदिया के बारे में गाँव वालों की धारणा :
- वह कामचोर, निठल्ला और पेटू किस्म का आदमी होता है।
- वह औरतों की गुलामी करता है। वह औरतों की मीठी बोली सुनकर नशे में आ जाता है।
- वह बिना मजदूरी लिए काम करता है।
प्रश्न 2: बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई?
उत्तर 2: बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में यह आशंका हुई कि आज प्रत्येक गाँव में डाकघर खुल गए हैं। घर बैठे ही आदमी लंका तक खबर भेज सकता है तथा वहाँ का कुशल संदेश मँगा सकता है, तो ऐसे युग में संदेशवाहक के माध्यम से संदेश कौन पहुँचाना चाहेगा।
प्रश्न 3: बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी?
उत्तर 3: बड़ी बहुरिया अपने मायके अपनी माँ को अपने हालातों के बारे में बताना चाहती थी। वह चाहती थी कि वह अपना यह संदेश संवादिया के माध्यम से अपनी माँ को अपनी दयनीय परिस्तिथि का संदेश भेजें और उसके मायके वाले वह संदेश सुनकर उसे जल्द से जल्द यहाँ से ले जाएं।
प्रश्न 4: हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?
उत्तर 4: हरगोबिन ने जब बड़ी हवेली में कदम रखा, तो उसे बीते समय में हवेली के ठाट-बाट की याद हो आई। बड़े भैया के रहते हुए इस हवेली की शान ही अलग थी। घर में नौकर-नौकरानियों, लोगों तथा मज़दूरों की भीड़ हर समय रहा करती थी। बड़ी बहुरिया मेंहदी लगे हाथों से ही कई नाइन परिवार की ज़िम्मेदारियाँ उठाया करती थीं। अब वह दिन नहीं है। हवेली नाम की बड़ी हवेली रह गई है और यहाँ की बड़ी बहुरिया कि हालत अब नौकरानियों से कम नहीं है।
प्रश्न 5: संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आईं?
उत्तर 5: सवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया का दुःख आँखों के जरिए बाहर आ गया था सवदिया के आगे उन्हें अपनी दशा व्यक्त करनी पड़ी है अभी तक उन्होंने अपनी दशा को सबसे छुपाया हुआ है लेकिन जब सवदिया उनकी दशा को जानता है।
प्रश्न 6: गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था। उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा?
उत्तर 6: गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में बड़ी बहुरिया के संवाद का प्रत्येक शब्द काँटे की तरह चुभ रहा था। उसका यह कहना-” किसके भरोसे यहाँ रहूँगी ? एक नौकर था, वह भी कल भाग गया। गाय खूँटे से बँधी भूखी-प्यासी हिकर रही है। मैं किसके लिए इतना दुःख झेलूँ ?”-ये सब बातें संवदिया के मन को पीड़ित कर रही थीं। उसने इस मनःस्थिति से छुटकारा पाने के लिए अपने पास बैठे यात्री से बातचीत कर मन बहलाने का उपाय सोचा पर वह आदमी चिड़चिड़े स्वभाव का लगा।
प्रश्न 7: बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?
उत्तर 7: हरगोबिन बड़ी बहू का संदेश सुनाना चाहता था, परंतु चाहकर भी वह नहीं सुना पाया, क्योंकि उसे लगा कि इससे गाँव की इज्ज़त चली जाएगी। मायके वाले उसे घर ले जाएँगे। गाँव की लक्ष्मी को गाँव के बाहर जाने पर सम्मान खत्म हो जाएगा। वह नहीं चाहता था कि बड़ी बहू उसका गाँव छोड़कर जाए। इन सब कारणों से हरगोबिन संवाद नहीं सुना सका।
प्रश्न 8: ‘संवदिया डटकर खाता है और अफर कर सोता है’ से क्या आशय है ?
उत्तर 8: इस कथन का यह आशय है कि संवदिया खाऊ-पेटू किस्म का व्यक्ति होता है। उसे किसी प्रकार की चिंता-फिक्र नहीं होती। वह संवेदनशील होता है। उसका बस एक ही काम है-खूब डटकर खाना और फिर पेट अफर जाने पर तानकर सोना। वह जहाँ भी संदेश लेकर जाता है, वहाँ उसकी खूब-खातिरदारी होती है। उसे खाने को बढ़िया-बढ़िया पकवान मिलते हैं। वह खाने पर टूट पड़ता है और भूख से ज्यादा खा जाता है। इससे उसका पेट अफर जाता है तथा आलस्य घेर लेता है। फिर वह तानकर सो जाता है। पर, हरगोबिन इसका अपवाद है। वह एक संवेदनशील प्राणी है।
प्रश्न 9: जलालगढ पहुंचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिंद ने क्या संकल्प लिया?
उत्तर 9: जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने यह संकल्प लिया कि अब वह बेकार नहीं बैठेगा। आज से पूरी मेहनत और दिल से बहुरिया का सब काम करेगा। उन्हें कोई भी कष्ट नहीं होने देगा और एक बेटे के समान उनकी सेवा करेगा।
प्रश्न 10: डिजिटल इंडिया के दौर में संवदिया की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर 10: डिजिटल इंडिया के दौर में संबंधियों की भूमिका सुनय है। क्योंकि आज के दौर में हर संदेश 1 मिनट के अंदर पहुँच जाता है संचार क्रांति में इतना विकास हुआ है। कोई भी व्यक्ति इस भागते दौड़ते समय मैं संबंधियों का कार्य नहीं कर सकता है। और ना ही किसी समाचार को पानी या पहुंचाने में इतना समय लगा कर उसकी प्रतीक्षा कर सकता है।
भाषा-शिल्प –
प्रश्न 1: इन शब्दों का अर्थ समझिए-
- काबुली-कायदा ………………………………………………………………………………………….
- रोम-रोम कलपने लगा ………………………………………………………………………………….
- अगहनी धान ……………………………………………………………………………………………..
उत्तर 1:
- काबुली कायदा: इसका मतलब यह है कि काबुल से आए व्यक्ति द्वारा बनाए गए नियम-कानून।
- रोम रोम कल्पने लगा: इसका अर्थ है कि रोम रोम दुख से परेशान हो गया।
- अगहनी धान: अगहन के महीने में होने वाले धान को अग्रणी धान कहा जाता है। इसे दिसंबर के आसपास का समय माना जाता है।
प्रश्न 2: पाठ से प्रश्नवाचक वाक्यों को छाँटिए और संदर्भ के साथ उन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर 2: प्रश्नवाचक वाक्य –
- (क) फिर उसकी बुलाहट क्यों हुई ?
- जब हरगोबिन को बड़ी हवेली से बुलावा आया तब उसने ऐसा सोचा।
- (ख) कहाँ गए वे दिन ?
- हरगोबिन बड़ी हवेली के अच्छे दिनों का स्मरण करता है और विचारता है कि अब वे दिन कहाँ चले गए।
- (ग) और कितना दिल कड़ा करूँ ?
- जब बड़ी बहुरिया संवाद कहते-कहते रो पड़ती है तब हरगोबिन उसे दिल कड़ा करने को कहता है। तभी बहुरिया उससे यह पूछती है।
- (घ) मैं किसके लिए दु:ख झेलूँथ?
- बड़ी बहुरिया हरगोबिन के सामने अपने मन की व्यथा और एकाकीपन को इस वाक्य में उँडेलती जान पड़ती है।
- (ङ) दीदी कैसी है ?
- जब हरगोबिन बड़ी बहुरिया के गाँव में पहुँचता है तब उत्सुकतावश उसका बड़ा भाई अपनी दीदी का हालचाल पूछता है।
प्रश्न 3: इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए :
(क) बड़ी हवेली अब नाममात्र को ही बड़ी हवेली है।
(ख) हरगोबिन ने देखी अपनी आँखों से द्रौपदी की चीरहरण लीला।
(ग) बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ ?
(घ) किस मुँह से वह ऐंसा संवाद सुनाएगा।
उत्तर 3: (क) इस पंक्ति का आशय है कि समय बदल जाने पर बड़ी हवेली का अब पहले जैसा प्रभाव, वैभव, शान नहीं रही। अब उसकी संपन्नता खत्म हो गई थी। अब वह नाम के लिए ही बड़ी हवेली रह गई थी।
(ख) हरगोबिन ने अपनी आँखों से बड़ी हवेली के बँटवारे को देखा था। बड़े भइया के मरने के बाद तीनों भाइयों ने घर की एक-एक चीज़ यहाँ तक कि बड़ी बहू के वस्त्रों तथा जेवरों का भी बँटवारा कर लिया। वे इतने गिरे विचारों के थे कि बनारसी साड़ी के भी तीन हिस्से किए।
(ग) इसका अर्थ यह है कि बड़ी बहू को दैनिक निर्वाह के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। उसे दाने-दाने के लिए मोहताज होकर घोर गरीबी में दिन बिताना पड़ रहा था। उसे जीवन में कोई रस नहीं दिखाई देता था।
(घ) हरगोबिन की मानसिक उलझन को बताया गया है। यदि वह बड़ी बहू का संदेश सुनाता है तो गाँव की बदनामी होगी। बड़ी बहू भी अपने मायके चली जाएगी। लक्ष्मी जैसी बहू के घर-गाँव छोड़कर जाने पर मायके वाले क्या कहेंगे। बदनामी के डर से वह हिम्मत नहीं कर पा रहा था।
योग्यता विस्तार –
प्रश्न 1: संवदिया की भूमिका आपको मिले तो क्या करेंगे? संवदिया बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है ?
उत्तर 1: संवदिया की भूमिका मुझे मिलेगी, तो मैं वैसा ही करूँगी, जैसा कि एक संवदिया को करना चाहिए। दिए गए पाठ में हरगोबिन ने बड़ी बहुरिया का संदेश पढ़कर नहीं सुनाया। उसने ठीक नहीं किया। बड़ी बहुरिया का जीवन अपने ससुराल में कष्टमय बीत रहा था। वह क्यों ऐसा संदेश अपनी माँ को भेजती। हरगोबिन ने बहुरिया का संदेश न देकर बहुरिया के लिए कठिनाई और बड़ा दी।
संवदिया बनने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना पड़ता है-
- (क) दिए गए संवाद को याद रखना पड़ता है। यदि वह संवाद भूल गया, तो यह उसके पेशे के साथ अन्याय होगा।
- (ख) संवाद के साथ भावों को भी वैसे का वैसा बोलना पड़ता है। एक संवाद के साथ भाव बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
- (ग) संवाद पहुँचाने के साथ-साथ यह ध्यान में रखना होता कि संवाद समय रहते पहुँचे। यदि संवाद पहुँचने में देर हो जाए, तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
- (घ) संवदिया को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। उसे संवाद को भावनाओं से अलग रखना चाहिए। यदि वह अपने कार्य में भावनाओं को लाएगा, तो अपने कार्य के साथ न्याय नहीं कर पाएगा।
- (ङ) उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिए। यदि उसे मार्ग का ज्ञान नहीं है, तो वह समय पर संवाद नहीं पहुँचा पाएगा।
- (च) सबसे महत्वपूर्ण बात कि यह संवाद गुप्त रहे। इसकी खबर उसकी छाया तक को नहीं होनी चाहिए।
प्रश्न 2: इस कहानी का नाट्य रूपांतरण कर विद्यालय के मंच पर प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर 2: विद्यार्थी इसे मंच पर प्रस्तुत करें।