Class 12 Hindi Antra Chapter 13 question answer गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात

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गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात question answer: Class 12 Hindi Chapter 13 question answer

TextbookNcert
ClassClass 12
SubjectHindi antra
ChapterChapter 13
Chapter Nameगांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात के प्रश्न उत्तर
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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प्रश्न 1: लेखक सेवाग्राम कब और क्यों गया था ?

उत्तर 1: लेखक सन् 1938 के आसपास सेवाग्राम गया था। उन दिनों लेखक के भाई बलराज साहनी सेवाग्राम में ही रह रहे थे। वे वहाँ रहकर ‘नई तालीम’ पत्रिका के सह-संपादक के रूप में काम कर रहे थे। उस साल कांग्रेस का अधिवेशन हरिपुरा में हुआ था। तभी लेखक कुछ दिन भाई के साथ बिता पाने के लिए सेवाग्राम चला गया था। उन दिनों गाँधीजी भी वहीं थे। लेखक के मन में उनको नजदीक से देखने की इच्छा भी रही होगी।

प्रश्न 2: लेखक का गाँधी जी के साथ चलने का पहला अनुभव किस प्रकार का रहा?

उत्तर 2: लेखक के भाई पहले से ही गाँधी जी को देखने के लिए एक निश्चित स्थान पर आते थे। उन्होंने लेखक से कहा था कि गाँधी जी से मिलने के लिए उन्हें सुबह 7 बजे ही वहाँ आना होगा क्योंकि गाँधी जी हमेशा वहीं से गुजरते थे। सुबह सात बजते ही दोनों भाई गाँधी जी से मिलने के लिए भागते हुए वहाँ पहुँचे। लेखक उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने बोला की गाँधी जी जैसे चित्र में दिखते हैं वैसे ही असल जीवन में भी दिखते हैं। गाँधी जी ने जब यह बात सुनी तो उनके चेहरे पर मुस्कान आयी और फिर वह आगे चले गए। लेखक का गाँधी जी से मिलने का यही अनुभव रहा।

प्रश्न 3: लेखक सेवाग्राम आने का किन-किन लोगों का जिक्र किया है

उत्तर 3: लेखक सेवाग्राम में जवाहरलाल नेहरू, गांधी जी यससर अराफात, प्रथ्वीसिघ आजाद, मीरा बेन, खान अब्दुल गफ्फार खान, राजेंद्र बाबू, कस्तूरबा गाँधी इन लोगो का आने का जिर्क हुआ है

प्रश्न 4: रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार किस प्रकार का था?

उत्तर 4: रोगी बालक के प्रति गांधी जी का व्यवहार सहानुभूतिपूर्ण तथा विनम्र था। रोगी बालक ने अधिक मात्रा में ईख पी ली थी, इसलिए उसके पेट में दर्द शुरू हो गया था। बालक दर्द से चिल्लाते हुए गांधी जी को बुलाने की ज़िद्द कर रहा था। गांधी जी आए। उन्होंने आते ही बालक के फूले हुए पेट पर हाथ फेरा और उसे सहारा देकर बैठाया। गांधी जी ने उस बालक को मुँह में हाथ डालकर उल्टी करने के लिए कहा।

लड़के के उल्टी करने तक गांधी जी उसकी पीठ सहलाते रहे। उल्टी करते ही उसका पेट हल्का हो गया। बालक को आराम करने के लिए कहकर गांधी जी वहाँ से हँसते हुए निकल गए। गांधी जी के मन में उस बालक के प्रति कोई क्षोभ नहीं था। उनके चेहरे पर बालक के प्रति प्यार झलक रहा था।

प्रश्न 5: काश्मीर के लोगों ने नेहरू जी का स्वागत किस प्रकार किया?

उत्तर 5: काश्मीर यात्रा के दौरान नेहरू जी का अत्यंत भव्य स्वागत किया गया। उस समय झेलम नदी पर शहर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक शेख अब्दुला के नेतृत्व में शोभा-यात्रा निकाली गई। नदी के दोनों तरफ हज़ारों काशमीर निवासी उत्साहपूर्वक उनका स्वागत कर रहे थे। यह दृश्य अद्भुत था।

प्रश्न 6: अखबार वाली घटना से नेहरू जी के व्यक्तित्व की कौन सी विशेषता स्पष्ट होती है?

उत्तर 6: लेखक बरामदे में खड़ा होकर अखबार पर नजर डाल ही रहा था कि सीढ़ियों से नेहरूजी के उतरने की पदचाप सुनाई दी। उस दिन उन्हें अपने साथियों के साथ पहलगाम जाना था। उस समय अखबार लेखक के हाथ में था। लेखक को एक बचकानी हरकत सूझी। उसने फैसला किया कि मैं अखबार पढ़ता रहूँगा और तभी नेहरूजी के हाथ में दूँगा जब वह माँगेंगे। इसके बहाने एक छोटा-सा वार्तालाप तो हो जाएगा। नेहरूजी आए।

लेखक के हाथ में अखबार देखकर चुपचाप एक ओर खड़े रहे। शायद वे इस इंतजार में थे कि उन्हें स्वयं अखबार मिल जाएगा। आखिरकार नेहरूजी धीरे से बोले-” आपने देख लिया हो तो क्या मैं एक नजर देख सकता हूँ ?” यह सुनते ही लेखक शर्मिदा हो गया और अखबार उनके हाथ में दे दिया। अखबार वाली इस घटना से नेहरूजी के व्यक्तित्व पर यह प्रकाश पड़ता है कि वे विनम्र स्वभाव के थे और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना जानते थे। उन्होंने अखबार माँगने में विनम्रता का परिचय दिया था।

प्रश्न 7: फिलिस्तीन के प्रति भारत का रवैया बहुत सहानुभूति एवं समर्थन भरा क्यों था ?

उत्तर 7: फिलिस्तीन के प्रति साम्राज्यवादी शक्तियों का रवैया अन्यायपूर्ण था। भारत स्वयं साम्राज्यवादी शक्तियों के अन्याय का शिकार था। वह इस अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वालों के प्रति सहानुभूति रखता था। भारत के तत्कालीन नेताओं ने साम्राज्यवादी शक्तियों के दमन की घोर भर्त्सना की थी। भारत फिलिस्तीन आंदोलन के प्रति विशाल स्तर पर सहानुभूति रखता था। भारत किसी के भी प्रति हो रहे अन्याय का विरोध करने में आगे रहता था। फिलिस्तीन के नेता अराफात भी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति अपनी सहानुभूति रखते थे।

प्रश्न 8: अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबन्धित किन्हीं दो घटनाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर 8: अराफात के आतिथ्य प्रेम से संबन्धित दो घटनाएँ इसप्रकार हैं:-

  • 1. अराफात बड़े ही प्रेम के साथ सभी से शहद का शरबत पीने को कह रहे थे।
  • 2. उनका आतिथ्य प्रेम इतना था कि वह सभी को अनूठा फल खिला रहे थे और शहद की चटनी के बारे में भी बता रहे थे।

प्रश्न 9: अराफात ने ऐसा क्यू बोला की यह आप के नहीं हमारे भी नेता है उतने ही आदरडाणीय जितने आप के लिए इस कत्थक के आधार पे गाँधी के व्यत्तित्व पर प्रकाश डालिये

उत्तर 9: गांधी जी ने साम्राज्यवादी शक्तियों का अहिंसा और सत्याग्रह जैसे हथियारों से विरोध किया तथा सफलता पाई। उनके संघर्ष के कारण भारत आज़ाद हुआ। उन्होंने विश्व के गुलाम देशों को भी संघर्ष की राह दिखाई। विश्व के ऐसे सभी देश उन्हें अपना नेता मानते हैं। अराफ़ात गांधी जी की सहनशीलता, अहिंसा-भावना, संघर्षशीलता तथा नेतृत्व कुशलता से बहुत प्रभावित थे, इसी कारण अराफ़ात ने कहा कि वे आपके ही नही, हमारे भी नेता हैं। उतने ही आदरणीय जितने आपके लिए।

भाषा-शिल्प –

प्रश्न 1: पाठ से क्रिया-विशेषण छाँटिए और उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर 1:

सात बजे (कालवाचक)
तुम्हें सात बजे आना चाहिए।

धीमी (रीतिवाचक)
वह धीमी गति से चल रही थी।

चुपचाप (रीतिवाचक)
उसने चुपचाप कमरे से बाहर कदम रखा।

हँसते हुए (रीतिवाचक)
वह हँसते हुए कमरे में प्रवेश किया।

एक ओर (स्थानवाचक)
तुम एक ओर खड़े रहो।

प्रश्न 2: “मैं सेवाग्राम” “माँ जैसी लगती” गद्यांश में क्रिया पर ध्यान दीजिए।

उत्तर 2: इस गद्यांश में क्रियाओं को मोटे अक्षरों में संकेतित किया हैमैं सेवाग्राम में लगभग तीन सप्ताह तक रहा। अक्सर ही प्रातः उस टोली के साथ हो लेता। शाम को प्रार्थना सभा में जा पहुँचता, जहाँ सभी आश्रमवासी तथा कस्तूरा एक ओर को पालथी मारे और दोनों हाथ गोद में रखे बैठी होतीं और बिल्कुल मेरी माँ जैसी लगतीं।

प्रश्न 3: नेहरूजी द्वारा सुनाई गई कहानी को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर 3: नेहरू जी ने अनातोले की कहानी सुनाई। पेरिस में एक गरीब बाज़ीगर रहता था जो तरह-तरह के करतब दिखाकर गुज़ारा करता था। क्रिसमस के त्योहार पर पेरिस के बड़े गिरजे में लोग माता मरियम को कुछ-न-कुछ भेंट करने जा रहे थे। बाज़ीगर हताश था, क्योंकि उसके पास देने को कुछ नहीं था। अचानक उसने अपने करतब दिखाकर पूजा करने की सोची। श्रद्धालुओं के जाने के बाद बाज़ीगर चुपके से अंदर घुस गया तथा कपड़े उतारकर उत्साह के साथ अपने करतब दिखाने लगा।

परिश्रम एवं कौशल से पूर्ण इन करतबों को दिखाते-दिखाते वह हाँफने लगा। उसके हाँफने की आवाज़ बड़े पादरी ने सुन लिया। वह यह समझकर कि गिरज़ाघर में कोई जानवर घुस आया है, भागकर वहाँ आया। वहाँ उसने बाज़ीगर को करतब दिखाते देखा तो वह तिलमिला उठा। उसने उसे गिरजे से निकालने के लिए लात मारना चाहा कि तभी माता मरियम मंच से उतरने लगीं तथा धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई नट के पास पहुँचीं। उन्होंने नट के माथे का पसीना पोंछा तथा उसका सिर सहलाया।

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1: भीष्म साहनी की अन्य रचनाएँं ‘तमस’ तथा ‘मेरा भाई बलराज’ पढ़िए।

उत्तर 1: विद्यार्थी ‘तमस’ और ‘मेरा भाई बलराज’ पढ़ सकते हैं। ‘तमस’ पर आधारित धारावाहिक देखकर भी इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 2: गाँधी तथा नेहरूजी से संबंधित अन्य संस्मरण भी पढ़िए और उन पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर 2: विद्यार्थी यह प्रश्न स्वयं करें

प्रश्न 3: यास्सेर अराफात के आतिथ्य से क्या प्रेरणा मिलती है और अपने अतिथि का सत्कार आप किस प्रकार करना चाहेंगे ?

उत्तर 3: मोहम्मद अब्दुल रहमान अब्दुल रऊफ़ अराफ़ात अलकुव्दा अल हुसैनी (4 अगस्त, 1929 – 11 नवंबर, 2004), जिन्हें यासिर अराफ़ात के लोकप्रिय नाम से ज्यादा जाना जाता है एक फिलिस्तीनी नेता एवं फिल्स्तीनी मुक्ति संगठन के अध्यक्ष थे। अराफात ऐसे पहले शख्स थे, जिन्हें किसी राष्ट्र का नेतृत्व न करते हुए भी संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था। अराफात के नेतृत्व में उनके संगठन ने शांति की जगह संघर्ष को बढ़ावा दिया और इजरायल हमेशा उनके निशाने पर रहा।

शांति से दूर संघर्ष की पहल करने वाले अराफात की छवि 1988 में अचानक बदली हुई दिखी। वो संयुक्त राष्ट्र में शांति के दूत के रूप में नजर आए। बाद में उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। नेहरू-गांधी परिवार के साथ इनकी बहुत करीबियां थीं। इंदिरा गांधी को वो अपनी बड़ी बहन मानते थे। इन्होंने भारत में 1991 के चुनाव अभियान के दौरान राजीव गांधी को जानलेवा हमले को लेकर आगाह किया था।

यह भी देखें ✯ Class 12

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