जहाँ कोई वापसी नहीं question answer: Class 12 Hindi Chapter 15 question answer
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi antra |
Chapter | Chapter 15 |
Chapter Name | जहाँ कोई वापसी नहीं के प्रश्न उत्तर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: अमझर से आप क्या समझते हैं ? अमझर गाँव में सूनापन क्यों है ?
उत्तर 1: ‘अमझर’. हम समझते हैं-आमों का झरना। यह एक गाँव का नाम है। यह गाँव आम के पेड़ों से घिरा था और यहाँ के पेड़ों से आम झरते (गिरते) रहते थे।
इस गाँव में अब सूनापन है। यहाँ के पेड़ों पर भी सूनापन पसरा हुआ है। अब न कोई फल पकता है और न कुछ नीचे झरता है। इसका कारण यह है कि जब से यह सरकारी घोषणा हुई कि अमरौली प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवागाँव के अनेक गाँव उजाड़ दिए जाएँगे और उनमें अमझर गाँव भी था, तब से यहाँ के आम के पेड़ सूखने लगे। जब आदमी ही उजड़ जाएँगे तो फिर पेड़ ही जीवित रहकर क्या करेंगे ?
प्रश्न 2: आधुनिक भारत के ‘नए शरणार्थी’ किन्हें कहा गया है?
उत्तर 2: आधुनिक भारत के नए शरणार्थी उन्हें कहा गया है, जिनके गाँवों को आधुनिकता तथा विकास के नाम पर उजाड़ दिया गया है, और बिना किसी कसूर के वे बेघर हो गए हैं। भारत की प्रगति के लिए उन्हें अपने घर, खेत ,खलिहान इत्यादि का त्याग करना पड़ा।
प्रश्न 3: प्रकृति के कारण विस्थापन और औद्योगीकरण के कारण विस्थापन में क्या अंतर है?
उत्तर 3: प्रकृति के कारण जो विस्थापन मिलता है, उसकी क्षतिपूर्ति कुछ समय बाद पूर्ण की जा सकती है। लोग प्रकृति आपदा के बाद पुनः अपने स्थानों पर जा बसते हैं। सबकुछ नष्ट होने का दुख होता है लेकिन अपनी जमीन से वे जुड़े रहते हैं। औद्योगीकरण के कारण जो विस्थापन मिलता है, वह थोपा गया होता है। इसमें मनुष्य अपनी पैतृक संपत्ति, धरोहर, खेत-खलिहान अपनी यादों तक को खो देता है। उसे पुनः मिलने की आशा होती ही नहीं है। बेघर होकर उसे एक स्थान से दूसरे स्थान में भटकने के लिए विवश होना पड़ता है।
प्रश्न 4: यूरोप और भारत की पर्यावरणीय संबंधी चिंताएँ किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर 4: यूरोप में लोग मानव तथा भूगोल के मध्य बढ़ रहे असंतुलन को लेकर चिंताएँ हैं। भारत में स्थिति इसके विपरीत है। यहाँ पर्यावरणीय चिंताएँ मानव तथा संस्कृति के मध्य समाप्त हो रहे पारंपरिक संबंध से है। हमारे यहाँ संस्कृति पर्यावरण से जुड़ी है। पर्यावरण विद्यमान नहीं रहेगा, तो संस्कृति भी अपना अस्तित्व खो देगी।
प्रश्न 5: लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ‘ट्रेजेडी’ क्या है ?
उत्तर 5: लेखक के अनुसार स्वातंत्र्योत्तर भारत की सबसे बड़ी ट्रेजेडी यही है कि हमारे देश के पश्चिम शिक्षित सत्ताधारियों का ध्यान कभी नहीं गया कि पश्चिम की देखादेखी और नकल में योजनाएँ बनाते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के मध्य नाजुक संतुलन को किस तरह नष्ट होने से बचाया जा सकता है। हम पश्चिम को मॉडल बनाए बिना अपनी शर्तों तथा मर्यादाओं के आधार पर औद्योगिक विकास का भारतीय स्वरूप निर्धारित कर सकते हैं। कभी यह ख्याल भी हमारे शासकों के मन में नहीं आया।
प्रश्न 6: औद्योगीकरण ने पर्यावरण का संकट पैदा कर दिया है. क्यों और कैसे?
उत्तर 6: औद्योगीकरण पर्यावरण का संकट पैदा करने में सबसे बड़ा कारण रहा। औद्योगीकरण के लिए सरकार ने उपजाऊ भूमि तथा वहाँ के परिवेश को नष्ट कर डाला। इसका प्रभाव यह पड़ा कि प्राकृतिक असंतुलन बढ़ गया। औद्योगीकरण ने विकास तो दिया लेकिन प्रदूषण का उपहार भी हमें दे दिया। इसमें भूमि, वायु तथा जल प्रदूषण ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया और वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर दिया।
प्रश्न 7: क्या स्वच्छता अभियान की जरुरत गाँव से ज्यादा शहरों में है ? (विस्थापित लोंगो, मजदूर बस्तियों, स्लम्स क्षेत्रों,शहरों में बसी झुग्गी बस्तियों के सन्दर्भ में लिखिए।)
उत्तर 7: स्वच्छता अभियान की जरुरत हर जगह है। पर देखा जाए तो शहरों में जागरूकता की ज्यादा आवश्कता है। क्योंकि, शहरों में लोग अपने कार्यों में बहुत ज्यादा व्यस्त होते हैं। वे हर जगह कचड़ा फेंक देते हैं| उन्हे सिर्फ और सिर्फ अपने आप से मतलब होता है, झुग्गी-झोपड़ियों इत्यादि में भी ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। झुग्गी-झोपड़ियां हटाने से पहले उनमे रहने वाले लोंगो के लिए नए मकान बना देने चाहिए। जिससे कि वे एक दिन के लिए भी बेघर न होने पाए। स्वच्छता अभियान को हर जगह जटिलता से पालन करना चाहिए |
प्रश्न 8: निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) आदमी उजड़ेंगे तो पेड़ जीवित रहकर क्या करेंगे?
(ख) प्रकृति और इतिहास के बीच यह गहरा अंतर है।
उत्तर 8: (क) इस पंक्ति में लेखक ने अमझर गाँव की दशा का वर्णन किया है। प्रोजेक्ट शुरू होने की सरकारी घोषणा के बाद वहाँ आम के पेड़ सूखने लगे। इससे यह पता चलता है कि प्रकृति और मानव के बीच गहरा रिश्ता है। एक के उजड़ने पर दूसरा भी उजड़ने लगता है। ऐसा लगता है कि प्रकृति मूक सत्याग्रह कर रही है।
(ख) लेखक कहता है कि प्राकृतिक आपदाओं से व्यक्ति अस्थायी तौर पर विस्थापित होता है, परंतु औद्योगीकरण से इस इलाके के प्राकृतिक परिवेश की केवल कहानी रह जाती है। प्रगति की इस अंधी दौड़ से आश्रय स्थल सदा के लिए नष्ट हो जाते हैं। कल तक का बसा-बसाया मानव शरणार्थी बनकर रह जाता है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(क) आधुनिक शरणार्थी
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच आपसी संबंध
उत्तर 9: (क) आधुनिक शरणार्थी वे हैं जिन्हें औद्योगीकरण की आँधी ने उखाड़ा है इन्हें उद्योग स्थापित करने के लिए अपने घर, अपनी जमीन से हमेशा के लिए निर्वासित कर दिया जाता है।
(ख) औद्योगीकरण की अनिवार्यता को तो सभी स्वीकार करते हैं क्योंकि इसके बिना देश प्रगति नहीं कर सकता, पर इसे करते समय प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच के संतुलन की भी रक्षा की जानी चाहिए।
(ग) प्रकृति, मनुष्य और संस्कृति के बीच गहरा संबंध है। औद्योगीकरण इसको नष्ट कर डालता है। कुछ ऐसा रास्ता खोजना चाहिए कि यह रिश्ता नष्ट न होने पाए।
प्रश्न 10: निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य लिखिए-
(क) कभी-कभी किसी इलाके की संपदा ही उसका अभिशाप बन जाती है।
(ख) अतीत का समूचा मिथक संसार पोथियों में नहीं, इन रिश्तों की अदृश्य लिपि में मौजूद रहता था।
उत्तर 10: (क) प्रस्तुत पंक्ति ‘अंतरा भाग-2’ में संकलित लेखक निर्मल वर्मा द्वारा लिखित ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ यात्रा संस्मरण से अवतरित है। इसमें लेखक ने परिवेश की संपदा को ही विनाश का कारण माना है। लेखक का कथन है कि जो क्षेत्र धन, संपदा की दृष्टि से भरा-पूरा होता है। वहाँ सरकार कारखाने लगाती है, जिससे वहाँ के लोगों को विस्थापन की मार झेलनी पड़ती है। इस तरह उसकी अनूठी संपदा ही उसके विनाश का अभिशाप बन जाती है।
(ख) लेखक का तात्पर्य है कि भूतकाल का समस्त सत्य और कल्पना का मिश्रण संसार के इन ग्रंथों में नहीं मिलता। अर्थात् यह आवश्यक नहीं कि भारत के अतीत का संपूर्ण मिथक विद्वानों ने अपने ग्रंथों में लिख डाला हो। यह केवल मानवीय रिश्तों की अदृश्य लिपि में मिलता था अर्थात् यह अतीत का मिथक पोथियों में नहीं, बल्कि मानवीय रिश्तों की अदृश्य लिपि में मिल सकता है।
भाषा-शिल्प –
प्रश्न 1: 1. पाठ के संदर्भ में निम्नलिखित अभिव्यक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए :
मूक सत्याग्रह, पवित्र खुलापन, स्वच्छ मांसलता, औद्योगीकरण का चक्का, नाजुक संतुलन
उत्तर 1:
- मूक सत्याग्रह– जब हम किसी बात के विरोध स्वरूप चुप रहकर सत्य के लिए आग्रह करते हैं, तो इसे मूक सत्याग्रह कहते हैं। अमझर गाँव के लोगों द्वारा यह सत्याग्रह किया गया था।
- पवित्र खुलापन– प्रायः खुलापन अपवित्रता की निशानी मानी जाती है। इसमें मनुष्य अपनी लज्जा को खो देता है। पवित्र खुलापन में ऐसा नहीं होता है। संबंधों की पवित्रता पर ध्यान रखा जाता है, तब खुलकर बोला जाता हैं। अमझर गाँव के लोगों के पहले की जीवन शैली को इसी पवित्र खुलापने के अंदर रखा गया है।
- स्वच्छ मांसलता– ऐसा शारीरिक सौंदर्य तथा सौष्ठव जिसमें अश्लीलता के स्थान पर पवित्र भाव हो। लेखक यह पंक्ति गाँव की चावल के खेत रोपती स्त्रियों के लिए कहता है।
- औद्योगीकरण का चक्का– विकास और प्रगति के लिए किया गया तकनीकों से युक्त प्रयास ही औद्योगीकरण कहलाता है।
- नाजुक संतुलन– ऐसा संबंध जो हमेशा दो लोगों के मध्य होता है। इसे ज़रा-सा धक्का तक तोड़ देता है। ऐसा ही नाजुक संतुलन लेखक ने मनुष्य, प्रकृति तथा संस्कृति के मध्य बताया है।
प्रश्न 2: इन मुहावरों पर ध्यान दीजिए :
मटियामेट होना, आफत टलना, न फटकना
उत्तर 2:
- मटियामेट होना- इसका अर्थ है पूरी तरह से नष्ट होना, बर्बाद हो जाना- यह मुहावरा मिट्टी से बना है कि मिट्टी में ही मिल जाना।
- आफत टलना- संकट या समस्या का समाप्त हो जाना।
- न फटकना- पास न आने देना या पास न जाना।
प्रश्न 3: ‘किंतु यह भ्रम है’ डूब जाती है।’ इस गद्यांश को भूतकाल की क्रिया के साथ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर 3: किंतु यह भ्रम था यह बाढ़ नहीं, पानी में डूबे हुए धान के खेत थे। हम थोड़ी सी हिम्मत बटोरकर गाँव के भीतर गए थे तो वे औरतें दिखाई दीं, जो एक पाँत में झुकी हुई धान के पौधे छप-छप पानी में रोप रही थीं, सुंदर-सुडौल, धूप में चमचमाती काली टाँगें और सिरों पर चटाई के किश्तीनुमा हैट, जो फोटो या फिल्मों में देखे हुए वियतनामी या चीनी औरतों की याद दिलाती थीं।
जरा-सी आहट पाते ही उन्होंने एक साथ सिर उठाकर चौंकी हुई निगाहों से हमें देखा बिलकुल उन युवा हिरणियों की तरह, जिन्हें मैंने कान्हा के वनस्थल में देखा था। किंतु वे भागी नहीं, सिर्फ मुस्कुराती रहीं और फिर सिर झुकाकर अपने काम में डूब गईं।
योग्यता विस्तार –
प्रश्न 1: विस्थापन की समस्या से आप कहाँ तक परिचित हैं ? किसी विस्थापन संबंधी परियोजना पर रिपोर्ट लिखिए।
उत्तर 1: विस्थापन की समस्या से मैं बहुत अच्छी तरह परिचित हूँ। मेरे दादाजी उतराखंड के एक भाग टिहरी में रहते थे। वह पुराना टिहरी था। जब टिहरी बाँध को बनाने की योजना आरंभ हुई, तो कई लोगों को सरकार द्वारा विस्थापित किया गया। इसे रोकने के लिए अनेक आंदोलन किए गए। इसमें मेरे दादाजी और पिताजी ने भी भाग लिया। बहुत प्रयास किया गया कि यह बाँध न बने। हमारा पैतृक घर, जमीन-जायदाद सभी उसकी भेंट चढ़ गया। नाम के लिए मिला कुछ जमीन का हिस्सा। इससे आहत पिताजी शहर में आकर बस गए क्योंकि जो मिला वह घर को चलाने के लिए कम था। धीरे-धीरे हमने टिहरी से ही पलायन कर दिया। मेरे पिताजी को 30 वर्ष लगे शहर में अपना एक छोटा-सा घर बनाने में।
खास रिपोर्ट
टिहरी बाँध के निर्माण कार्य के समय यह सुनहरा ख्याब दिखाया गया था कि यह बाँध उतराखण्ड के विकास में बहुत सहायता प्रदान करेगा। इससे न केवल 2400 मेगावाट बिजली मिलेगी साथ ही 70,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था तथा पेयजल उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए टिहरी के सैकड़ों गाँवों की बलि चढ़ाई गयी। 2005 में यह बाँध बनकर तैयार हो गया। लेकिन यह बाँध लाखों टिहरीवासियों के दिलों में दुख की गहरी काली छाया छोड़ गया।
प्रश्न 2: लेखक ने दुर्घटनाग्रस्त मजदूरों को अस्पताल पहुँचाने में मदद की है। आप की दृष्टि में दुर्घटना-राहत और बचाव कार्य के लिए क्या-क्या करना चाहिए ?
उत्तर 2: मेरी दृष्टि में दुर्घटना-राहत और बचाव-कार्य के लिए निम्नलिखित कार्य किए जाने चाहिए-
- दुर्घटना में फैसे लोगों को अत्यंत सावधानी और जल्दी में निकालना चाहिए।
- अन्य लोगों की मदद से दुर्घटनाग्रस्त लोगों को प्राथमिक उपचार देना चाहिए।
- ऐसे लोगों को शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल पहुँचाना चाहिए।
- घायलों की संख्या और भयकरता देखते हुए तुरंत पुलिस और अग्निशमन विभाग को फोन करना चाहिए।
- दुर्घटना के संबंध में अफ़वाह नहीं फैलाना चाहिए और लोगों को ऐसा करने से रोकना चाहिए।
- यथासंभव मदद; जैसे-खून देने, उनकी देखभाल करने आदि के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 3: अपने क्षेत्र की पर्यावरण संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु संभावित उपाय कर एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर 3: हमारे क्षेत्र में विकास के नाम पर सड़कें बनाई जा रही हैं, फ्लैट बनाए जा रहे हैं तथा रिहायशी क्षेत्र के बगल में ही औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया गया है, जिसमें छोटी-छोटी फैक्टरियाँ बनाने का काम शुरू हो गया है। इससे निम्नलिखित समस्याएँ सिर उठाने लगी हैं –
- वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है।
- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है।
- लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई है।
- पशु-पक्षियों की संख्या घटने लगी है, क्योंकि वे असमय काल-कबलित हो रहे हैं।
इन समस्याओं के समाधान हेतु कुछ उपाय निम्नलिखित हैं –
- आसपास की बची ज़मीन में अधिकाधिक पेड़ लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
- पेड़ों को नष्ट होने से बचाना चाहिए।
- बढ़ते प्रदूषण को रोकने में यथासंभव मदद करनी चाहिए।
- जैविक खादों का प्रयोग करना चाहिए।
- कीटनाशकों का प्रयोग कम-से-कम करना चाहिए।
- अपने आसपास सफाई पर ध्यान देना चाहिए।