कैमरे में बंद अपाहिज question answer: Class 12 Hindi Chapter 4 question answer
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi Aroh |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | कैमरे में बंद अपाहिज के प्रश्न उत्तर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई है- आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है?
उत्तर 1: कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में इसलिए रखी गई है ताकि वह कवि के भाव को व्यक्त कर सके। इन पंक्तियों के माध्यम से भिन्न-भिन्न लोगों को व्यक्त किया गया है। जैसे- इस पंक्ति में कैमरामैन के लिए: इससे बड़ा कैमरा दिखाओ, पंक्ति में दर्शकों के लिए: हम खुद इशारों से बताएंग और अपहाहिज व्यक्ति के लिए: बस थोड़ी कसर रह गई। ये सभी कोष्टक कविता के उद्देश्य को समझाने में सहायक हैं।
प्रश्न 2: ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है-विचार कीजिए।
उत्तर 2: यह कविता मानवीय करुणा तो प्रस्तुत करती ही है साथ ही इस कविता में उन लोगों की बनावटी करुणा का वर्णन भी मिलता है जो दुख दरिद्रता को बेचकर यश प्राप्त करना चाहते हैं। एक अपाहिज व्यक्ति के साथ झूठी सहानुभूति जताकर उसकी करुणा का सौदा करना चाहते हैं। एक अपाहिज की करुणा को पैसे के लिए टी.वी. पर दर्शाना वास्तव में क्रूरता की चरमसीमा है।
प्रश्न 3: हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर 3: इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने टेलीविज़न कैमरा तथा दूरदर्शनवालों पर व्यंग्य किया है जो दूसरों की दुर्बलता का फ़ायदा उठाकर अपने आप को प्रसिद्ध करने का प्रयास करते हैं| वे खुद को हर तरह से समर्थ मानकर किसी अपाहिज व्यक्ति की संवेदनाओं से खिलवाड़ करते हैं।
प्रश्न 4: यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन-सा उद्देश्य पूरा होगा?
उत्तर 4: प्रश्नकर्ता का उद्देश्य हैः अपने कार्यक्रम को सफल बनाना, दर्शकों के दिलों में जगह पाना तथा इसके माध्यम से अत्यधिक धन कमाना। यदि उसके कार्यक्रम से अपंग व्यक्ति और दर्शक दोनों साथ रोने लगेंगे, तो यह उसके कार्यक्रम की सफलता का सूचक है। वह सामाजिक उद्देश्य के लिए इस कार्यक्रम का निर्माण नहीं करता है।
वह इसके माध्यम से अपने तीनों उद्देश्य सफल करना चाहता है। वह अपंग व्यक्ति की अपंगता को दिखाकर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ जाएगा, करुणा का सहारा लेकर वह दर्शकों तथा अपने कार्यक्रम के निर्माता के हृदय पर राज कर सकेगा।
प्रश्न 5: ‘परदे पर वक्त की कीमत है’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा है?
उत्तर 5: इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति व्यावसायिक नजरिया प्रस्तुत किया है। परदे पर जो कार्यक्रम दिखाया जाता है, उसकी कीमत समय के अनुसार होती है। दूरदर्शन व कार्यक्रम-संचालक को जनता के हित या पीड़ा से कोई मतलब नहीं होता। वे अपने कार्यक्रम को कम-से-कम समय में लोकप्रिय करना चाहते हैं। अपंग की पीड़ा को कम करने की बजाय अधिक करके दिखाया जाता है ताकि करुणा को ‘नकदी’ में बदला जा सके। संचालकों की सहानुभूति भी बनावटी होती है।
कविता के आसपास
प्रश्न 1: यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो, तो किन शब्दों में करवाएँगी।
उत्तर 1: मुझे यदि किसी शारीरिक चुनौती का सामना कर रही अपनी मित्र का परिचय करवना है तो मैं उसकी अपंगता का मजाक नहीं उड़ाऊँगी और न ही उस अपंग लड़की को उसकी अपंगता का एहसास दिलाने की कोशिश करूंगी। मैं तो लोगों से यही कहूँगी कि यह मेरी परम मित्र है। हम बचपन से एक साथ पढ़ती आई हैं।
यह लड़की मुझसे ज्यादा होशियार है। यद्यपि चलने में इसे कुछ कठिनाई होती है, लेकिन पढ़ाई और स्कूल की अन्य गतिविधियों में यह सबसे आगे रहती है। इसलिए हर साल यह प्रथम स्थान प्राप्त करती है। इसने अपनी मजबूरी को मजबूती बना लिया है।
प्रश्न 2: सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखे।
उत्तर 2: सामाजिक उद्देश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर मुझे बहुत दुख होगा। ऐसे कार्यक्रम किसी की सहायता नहीं करते। ये सिर्फ़ अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें। ऐसे कार्यक्रम बनाने वालों का उद्देश्य समाज-सेवा नहीं होता। वे मात्र संवेदना बेचना जानते हैं। ऐसे कार्यक्रमों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। दर्शकों को भी ऐसे कार्यक्रमों को सिरे से नकार देना चाहिए।
प्रश्न 3: यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टी.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया दूरदर्शन निदेशक को भेजें।
उत्तर 3: आदरणीय निदेशक दूरदर्शन पिछले वीरवार को आपके चैनल पर दिखाया गया अपाहित व्यक्ति के साक्षात्कार कार्यक्रम देखा। ऐसे कार्यक्रम को देखकर बहुत दुख हुआ। ऐसा लगा मानो आपने मानवीयता को ताक पर रख दिया हो। अपाहिज व्यक्ति से जिस तरह के प्रश्न पूछे जा रहे थे उससे यही लगा कि दूरदर्शन अब केवल पैसा कमाने का माध्यम भर रह गया है। आपने यह साक्षात्कार दिखाकर पूरी मानवीयता को शरमिंदा किया है। आशा है भविष्य में आप ऐसे कार्यक्रम नहीं दिखाएँगे। राम मीरगंज, इलाहाबाद
प्रश्न 4: नीचे दिए गए खबर के अंश को पढ़िए और बिहार के इस बुधिया से एक काल्पनिक साक्षात्कार कीजिए-
उम्र पाँच साल, संपूर्ण रूप से विकलांग और दौड़ गया पाँच किलोमीटर। सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन यह कारनामा कर दिखाया है पवन ने। बिहारी बुधिया के नाम से प्रसिद्ध पवन जन्म से ही विकलांग है। इसके दोनों हाथों का पुलवा नहीं है, जबकि पैर में सिर्फ़ एड़ी ही है। पवन ने रविवार को पटना के कारगिल चौक से सुबह 8.40 पर दौड़ना शुरू किया। डाकबैंगला रोड, तारामंडल और आर ब्लाक होते हुए पवन का सफर एक घंटे बाद शहीद स्मारक पर जाकर खत्म हुआ।
पवन द्वारा तय की गई इस दूरी के दौरान ‘उम्मीद स्कूल’ के तकरीबन तीन सौ बच्चे साथ दौड़कर उसका हौसला बढ़ा रहे थे। सड़क किनारे खड़े दर्शक यह देखकर हतप्रभ थे कि किस तरह एक विकलांग बच्चा जोश एवं उत्साह के साथ दौड़ता चला जा रहा है। जहानाबाद जिले का रहने वाला पवन नवरसना एकेडमी, बेउर में कक्षा एक का छात्र है। असल में पवन का सपना उड़ीसा के बुधिया जैसा करतब दिखाने का है। कुछ माह पूर्व बुधिया 65 किलोमीटर दौड़ चुका है। लेकिन बुधिया पूरी तरह से स्वस्थ है जबकि पवन पूरी तरह से विकलांग। पवन का सपना कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी पैदल तय करने का है।
9 अक्टूबर, 2006 हिंदुस्तान से साभार
उत्तर 4:
प्रेरणा | नमस्कार बुधिया जी! आप कैसे हैं? |
बुधिया | जी! अच्छा हूँ। |
प्रेरणा | आप जानते हैं कि आज हम यहाँ आपके बारे में जानने के लिए एकत्र हुए हैं। अतः हम कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ। |
बुधिया | जी पूछिए। |
प्रेरणा | आपकी विकलांगता कबसे है? |
बुधिया | जी! जन्म से ही मैं विकलांग हूँ। |
प्रेरणा | इसके कारण आपको किस प्रकार की समस्याओं का समान करना पड़ा? |
बुधिया | जी! बच्चे मुझे अपने साथ खिलाते नहीं थे। यदि खिलाते तो दयाभाव दिखाते थे। ऐसे ही मेरे आस-पड़ोस के लोगों का व्यवहार था। मेरे प्रति दयाभाव रखना। मुझे अधिक सुरक्षा प्रदान करना। जैसे की मैं कुछ करने लायक नहीं हूँ। इन सबने मुझे अंदर से तोड़ दिया था। मैं स्वयं को अकेला महसूस करता था। |
प्रेरणा | ऐसे समय में आपने स्वयं को कैसे संभाला? |
बुधिया | मेरी माताजी ने मेरी बहुत सहायता की। वे मेरी मनोस्थिति को समझ गयीं। उन्होंने मेरी हिम्मत बढ़ायी। उन्होंने मुझे ऐसे ही पाला जैसे मेरे अन्य भाई-बहनों को पाला। वे मुझे बाज़ार से सौदा लाने भेजती। मुझे भाई-बहनों की देखभाल करने के लिए बोलती। उन्होंने मुझे इस तरह से सिखाया कि मैं स्वयं की देखभाल करने में सक्षम हो गया। उसके बाद तो में चाय, खिचड़ी, दाल चावल, भी स्वयं बना लेता हूँ। |
प्रेरणा | आपके दिमाग में भागने का ख्याल कहाँ से आया? |
बुधिया | मैंने जब बुधिया जी के बारे में सुना तो मुझे भी लगा कि मुझे भी दौड़ना चाहिए। मैं सबको दिखाना चाहता था कि मैं किसी से कम नहीं हूँ। मेरे अंदर भी सामान्य लोगों के समान ताकत, जोश तथा हिम्मत है। |
प्रेरणा | यह तो आपने सही कहा। आपकी इस दौड़ ने यह साबित कर दिया है। अब आप आगे क्या करना चाहते हैं? |
बुधिया | मैं कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा करना चाहता हूँ। इसके अतिरिक्त मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ। |
प्रेरणा | बुधिया! आपसे मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई है। हम आपके लिए प्रार्थना करेंगे कि आपके सभी सपने पूरे हों। |
बुधिया | धन्यवाद। |