Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 question answer बादल राग

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बादल राग question answer : Class 12 Hindi Chapter 6 question answer

TextbookNcert
ClassClass 12
SubjectHindi Aroh
ChapterChapter 6
Chapter Nameबादल राग कविता के प्रश्न उत्तर
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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प्रश्न 1: ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’ पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर 1: प्रस्तुत पंक्ति में ‘दुख की छाया’ मानव जीवन में आने वाले दुखों, कष्टों, मुसीबतों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों को कहा गया है। यह इसलिए कहा गया है क्योंकि सुख-दुःख मानव-जीवन के दो पक्ष हैं जो जीवनभर आते-जाते रहते हैं और दोनों ही अस्थिर हैं।

प्रश्न 2: ‘अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर’ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?

उत्तर 2: इस पंक्ति में शोषक और धनी वर्ग के लोगों की ओर संकेत किया गया है। जिस प्रकार क्रांतिकारी बादल अपने वज्रपात से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ की चोटियों को घायल कर देते हैं, उसी प्रकार समाज के शोषित वर्ग की चेतना पूंजीवादी और प्रभुसत्ता से संपन्न लोगों को अपने प्रहार से ध्वस्त कर सकती है। 

प्रश्न 3: विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही हैं शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?

उत्तर 3: ‘विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते’ पंक्ति में विप्लव-रव से तात्पर्य है – क्रांति। क्रांति जब आती है तब गरीब सामान्य वर्ग आशा से भर जाता है एवं धनी पूॅंजीपति वर्ग अपने विनाश की आशंका से भयभीत हो उठता है। छोटे लोगों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं उन्हें सिर्फ़ इससे लाभ होगा। इसीलिए कहा गया है कि ‘छोटे ही हैं शोभा पाते’ जैसे भयंकर आधी,तूफान के बीच छोटे-छोटे पौधे अपनी जड़ नहीं छोड़ते।

प्रश्न 4: बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?

उत्तर 4: बादलों के आने के कारण से प्रकृति में कई बदलाव होते हैं। बादलों के आगमन से आकाश बादलों से भर जाते हैं। आसमान बरसने लगता है और बिजली चमकने लगती है। धरती का दिल बिजली की गर्जना से थरथराता है। चारों ओर गंभीर तूफान आते हैं और उसी समय मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है।

वर्षा जल प्राप्त करने के बाद, पृथ्वी के अंदर निष्क्रिय बीज में अंकुरित होते हैं। छोटे पौधे फिर से उठते हैं और हवा के साथ, वे हिलने और झूलने लगते हैं। वर्षा जल के प्राप्ति के बाद किसानों के भी चेहरे खिल जाते हैं।

व्याख्या कीजिए

प्रश्न 1: तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुःख की छाया
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया

उत्तर 1: कवि बादल का आह्वान करते हुए कहता है कि हे क्रांतिदूत रूपी बादल! तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर कोई नाव तैर रही हो| यह उसी तरह है जैसे क्षणिक सुख पर दुःख की छाया मंडरा रहे हैं। सुख हवा के समान चंचल है तथा अस्थायी है। बादल संसार के व्यथित यानी जले हुए हृदय पर निर्दयी प्रलयरूपी माया के रूप में हमेशा स्थित रहते हैं। बादलों की युद्धरूपी नौका में आम आदमी की इच्छाएँ भरी हुई रहती हैं।

प्रश्न 2: अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन

उत्तर 2: कवि कहते है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। इसमें रहनेवाले लोग महान नहीं हैं। ये तो भयग्रस्त हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक को ही डुबोती है, कीचड़ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार क्रांति की ज्वाला में धनी लोग ही जलते है, गरीबों को कुछ खोने का डर ही नहीं क्योंकि क्रांति का प्रतिनिधित्व हमेशा निम्न वर्ग ही करता है।

कला की बात

प्रश्न 1: पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों?

उत्तर 1: महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने पूरी कविता में प्रकृति का अद्भुत और अप्रतिम मानवीय कर्ण किया है। विशेष रुप से:

  • हंसते हैं छोटे पौधे लघु भार शष्य अपार, 
  • हिल हिल, खिल खिल, हाथ हिलाते, तुझे बुलाते, तुझे बुलाते, 
  • विप्लव रव से छोटी ही है शोभा पाते

इन पंक्तियों में छोटे पौधे को बच्चों के रूप में दिखाया गया है। कवि ने जिस तरह से बच्चों के बात करने और खुशी मनाने, हँसने, हिलने, हाथ मिलाने और अपने माता-पिता को बुलाने के लिए सभी लुभावना भावनाओं और प्रलाप ओ को व्यक्त किया है, यह सब बड़ी खूबसूरती से पौधों में दिखाया गया है। पौधों का यह मानवीकरण दिल को छूता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मानवीय करण बहुत ही सरल शब्दों में किया गया है।

प्रश्न 2: कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए।

उत्तर 2: कविता में समीर-सागर, रण-तरी तथा आतंक-भव के अंदर रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। तिरती है समीर-सागर पर

अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से,

प्रश्न 3: इस कविता में बादल के लिए ऐ विप्लव के वीर! ऐ जीवन के पारावार! जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। बादल राग’ कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। जैसे-अरे वर्ष के हर्ष! मेरे पागल बादल!, ऐ निबंध!, ए स्वच्छंद!, ऐ उद्दाम!, ऐ सम्राट!, ऐ विप्लव के प्लावन!, ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार! उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएं कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य है?

उत्तर 3: निम्नलिखित संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार हैं-

  • अरे वर्ष के हर्ष!- बादलों को ऐसा संबोधन दिया गया है क्योंकि बादल वर्ष में एक बार आते हैं। जब आते हैं, तो पूरी पृथ्वी को बारिश रूपी सौगात दे जाते हैं। वर्षा का जल पाकर किसान, लोग, धरती तथा जीव-जन्तु सब हर्ष से भर जाते हैं।
  • मेरे पागल बादल!- बादल मतवाले होते हैं। जहाँ मन करता है, वहीं बरस जाते हैं। पागल व्यक्ति के समान गर्जना करते हैं, हल्ला मचाते हैं और यहाँ से वहाँ घूमते-रहते हैं। इसलिए उन्हें पागल कहा गया है।
  • ऐ निर्बंध!- बादल बंधन से मुक्त होते हैं। इन्हें कोई बंधन में नहीं बांध सकता है। जहाँ इनका मन होता है, वहाँ जाते हैं और वर्षा करते हैं।
  • ऐ स्वच्छंद!- बादल स्वच्छंद होते हैं। इन्हें कोई कैद में नहीं रख सकता है। स्वच्छंदतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते हैं।
  • ऐ उद्दाम!- बादल बहुत क्रूर तथा प्रचण्ड होते हैं। वर्षा आने से पूर्व यह आकाश में कोहराम मचा देते हैं। मनुष्य को आकाश में अपने होने की सूचना देते हैं। तेज़ आंधी तथा तूफान चलने लगता है। मनुष्य इनकी उपस्थिति को नकार नहीं सकता है।
  • ऐ सम्राट!- बादल सम्राट हैं। वे किसी की नहीं सुनते हैं, स्वतंत्रतापूर्वक घूमते हैं, अपनी शक्ति से लोगों को डरा देते हैं, बंधन मुक्त होते हैं, लोगों का पोषण करने वाले हैं, सारे संसार में विचरण करते हैं। उनके इन गुणों के कारण उन्हें सम्राट कहा गया है।
  • ऐ विप्लव के प्लावन!- प्रलयकारी हैं। बादल में ऐसी शक्ति हैं कि वे चाहे तो प्रलय ला सकते हैं। जब बादले फट जाते हैं, तो चारों तरफ भयंकर तबाही मच जाती है। इसी कारण उन्हें ऐ विप्लव के प्लावन कहा गया है।
  • ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!- बादल ऐसे सुकुमार शिशु हैं, जो सदियों से हमारे साथ हैं। अपने सुंदर-सुंदर रुपों से ये हमें बच्चे के समान जान पड़ते हैं। इनका यह स्वरूप सदियों से चला आ रहा है।

प्रश्न 4: कवि बादलों को किस रूप में देखता है? कालिदास ने मेघों को दूत के रूप में देखा। आप अपना कोई बिंब दीजिए। कवि बादलों को क्रांति के दूत के रूप में देखता है।

उत्तर 4: वह बादलों के द्वारा क्रांति लाकर समाज में शोषण को खत्म करना चाहता है
ताकि निर्धन वर्ग भी जीवन जी सके।
बादल आए, बादल आए
नन्हे-मुन्ने बादल आए।
कुछ खुशियाँ, कुछ गम
पिटारा-सा भर लाए।
मिट्टी को प्यार जताने
चहुँ ओर खुशियाँ दिखाने
काले-काले बादल आए।
बादल आए, बादल आए।
नन्हे-मुन्ने बादल आए॥
कालिदास ने मेघदूत काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा था। बादलों को देवदूत के रूप में देखा जा सकता है जो किसान की फ़सल को जीवन देने आते हैं।

प्रश्न 5: कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता है, जैसे-अस्थिर सुख। ‘सुख’ के साथ ‘अस्थिर’ विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया है। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ है?

उत्तर 5: कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है जो निम्नलिखित हैं:

  • (i) निर्दय विप्लव- विनाश की क्रूरता को और अधिक बताने के लिए ‘निर्दय’ विशेषण का प्रयोग।
  • (ii) दग्ध हृदय- हृदय की पीड़ा को और अधिक संतप्त दिखाने के लिए दग्ध विशेषण।
  • (iii) सजग- सुप्त अंकुर- बीजों का मिट्टी में दबे होने के लिए सुप्त विशेषण ।
  • (iv) वज्रहुंकार- हुंकार की भीषणता हेतु ‘वज्र’ विशेषण।
  • (v) गगन-स्पर्शी- बादलों की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ‘गगन’।
  • (vi) आतंक-भवन- भयावह महल के समान आतंकित कर देने हेतु।
  • (vii) त्रस्त नयन- आँखों की व्याकुलता।
  • (viii) जीर्ण बाहु- भुजाओं की दुर्बलता।
  • (ix) प्रफुल्ल जलज- कमल की खिलावट।
  • (x) रुदध कोष- भरे हुए खजानों हेतु।
यह भी देखें ✯ Class 12

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