एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर question answer: Class 12 history chapter 7 ncert solutions in hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | History |
Chapter | Chapter 7 ncert solutions |
Chapter Name | एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
क्या आप कक्षा 12 विषय इतिहास पाठ 7 एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर के प्रश्न उत्तर ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 History chapter 7 questions and answers in hindi, एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर question answer download कर सकते हैं।
Class 12 History chapter 7 questions and answers in hindi [ उत्तर दीजिए (लगभग 100-150 शब्दों में) ]
note: ये सभी प्रश्न और उत्तर नए सिलेबस पर आधारित है। इसलिए चैप्टर नंबर आपको अलग लग रहे होंगे।
प्रश्न 1. पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों के अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है? आपके अनुसार यह पद्धतियाँ विरुपाक्ष मंदिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी को किस प्रकार पूरक रहीं?
उत्तर: पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों के अध्ययन में कई पद्धतियों का इस्तेमाल किया गया। सबसे पहले इस स्थान का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया। आरम्भिक जानकारियाँ विरूपाक्ष मंदिर तथा पम्पा-देवी के पूजास्थल के पुरोहित की स्मृतियों पर आधारित थीं। 1856 ई. में छाया चित्रकारों ने यहाँ के भवनों के चित्र संकलित करने आरम्भ किए जिससे शोधकर्ताओं को उनका अध्ययन करने में मदद मिले। इसके अतिरिक्त दर्जनों अभिलेखों को इकट्ठा किया गया फिर इन स्त्रोतों को विदेशी यात्रियों से प्राप्त विवरणों तथा तेलुगु, कन्नड़, तमिल और संस्कृत में लिखे गए साहित्य से मिलाया गया और फिर इसका अध्ययन किया गया।
प्रश्न 2. विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?
उत्तर: विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को मुख्य रूप से तुंगभद्रा नदी द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक कुण्ड से पूरा किया जाता था। यह नदी उत्तर-पूर्व दिशा, दशा में बहती है। इस कुंड के आस-पास ग्रेनाइट की पहाड़ियाँ हैं। ये पहाड़ियाँ शहर के चारों ओर करघनी का निर्माण करती सी प्रतीत होत्ती हैं। इन पहाड़ियों से अनेक जल-धाराएँ निकलकर नदी में जा मिलती हैं। करीब-करीब सभी धाराओं के साथ-साथ बाँध बनाकर भिन्न-भिन्न आकारों के हौज बनाए गए थे। ऐसे सबसे महत्त्वपूर्ण हौजों में एक कमलपुरम् जलाशय का निर्माण पंद्रहवीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षों में कराया गया था।
इस हौज के पानी से आस-पास के खेतों को सींचने के साथ-साथ इसे एक नहर के माध्यम से ‘राजकीय केन्द्र’ तक भी ले जाया गया था। हिरिया नहर जो उस समय के सबसे महत्त्वपूर्ण जल संबंधी सरंचनाओं में से एक है, के खडहरों को आज भी देखा जा सकता है। इस नहर में तुंगभद्रा पर बने बांध के द्वारा पानी लाया जाता था और इसे ‘धार्मिक केन्द्र’ से ‘शहरी केन्द्र’ को अलग करने वाली घाटी को सिंचित करने में प्रयोग किया जाता था। इस नहर का निर्माण संभवतः संगम वंश के राजाओं द्वारा करवाया गया था।
प्रश्न 3. शहर के किलेबन्द क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फायदे और नुकसान थे?
उत्तर: शहर के किलेबन्द क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने का मुख्य उद्देश्य प्रतिपक्ष को खाद्य सामग्री से वंचित कर समर्पण के लिए बाध्य करना होता था। इस प्रकार की घेराबंदियाँ कई महीनों और यहाँ तक कि कई वर्षों तक चल सकती थीं। सामान्यतः ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए शासकों द्वारा किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नागारों का निर्माण करवाया था। विजयनगर के शासकों ने पूरे कृषि भूभाग को शत्रुता से बचाने के लिए एक अधिक मंहगी और व्यापक नीति को अपनाया था। इस प्रकार के किलेबंदी का मुख्य नुकसान था उसके निर्माण पर होने वाला खर्च जो बहुत मंहगा होता था। दूसरे, कठिन परिस्थितियों में यह किसानों के लिए असुविधाजनक थी।
प्रश्न 4. आपके विचार में महानवमी डिब्बा से सम्बद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्त्व था?
उत्तर: महानवमी डिब्बा से संबंध अनुष्ठानों का विशेष महत्त्व था। इस अवसर पर जो धर्मानुष्ठान होते थे, उनमें मूर्ति की पूजा, राज्य के अश्व की पूजा, तथा भैंसों और अन्य जानवरों की बलि देना शामिल था। इस अवसर के मुख्य आकर्षणों में नृत्य, कुश्ती प्रतिस्पर्धा तथा साज लगे घोड़ों, हाथियों तथा रथों और सैनिकों की शोभायात्रा और साथ ही प्रमुख नायकों और अधीनस्थ राजाओं द्वारा राजा और उसके अतिथियों को दी जाने वाली औपचारिक भेंट शामिल थे। इन उत्सवों के गहन सांकेतिक अर्थ थे। त्योहार के अंतिम दिन राजा द्वारा अपनी तथा अपने नायकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित भव्य समारोह में निरीक्षण किया जाता था। इस अवसर पर नायक राजा को बड़ी मात्रा में भेंट देते थे ।
प्रश्न 5. विरुपाक्ष मंदिर के एक अन्य स्तंभ का रेखाचित्र है। क्या आप कोई पुष्प-विषयक रूपांकन देखते हैं? किन जानवरों को दिखाया गया है? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित किया गया है? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: स्तम्भ पर अश्व के नीचे पुष्प विषयक रूपांकन दर्शाया गया है। शायद अश्व के महत्व को दिखाने के लिए ऐसा किया गया है। स्तम्भ पर मोर और अश्व को दर्शाया गया है। अश्व विजय का प्रतीक होता है और मोर राष्ट्रीय पक्षी है। सम्भवतः इसलिए इन्हें दर्शाया गया है। इसमें तीन मानव आकृत्तियां भी हैं। सबसे ऊपर स्त्री की आकृति है जिसके हाथ में पुष्प है। उसके नीचे दूसरी आकृति धनुष लिए हुए है और उसका एक पैर शिवलिंग पर है। तीसरी आकृति बड़ी पेट वाली है। उसके बाएं पैर में गदा जैसी वस्तु रखी हुई है।
History class 12th chapter 7 question answer in hindi [ निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 250 से 300 शब्दों में) ]
प्रश्न 6. ‘शाही केंन्द्र’ शब्द शहर के किस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं, क्या वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं?
उत्तर: ‘शाही केन्द्र’ शहर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में स्थित था। इसे शाही केन्द्र के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसमें 60 से अधिक मंदिर स्थित थे। निश्चित रूप से मंदिरों और सम्प्रदायों को प्रश्रय देना शासकों के लिए महत्त्वपूर्ण था। जो इन देवस्थलों में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं से संबंध के माध्यम से अपनी सत्ता को स्थापित करने तथा वैधता प्रदान करने का प्रयास करते थे लगभग 30 संरचनाओं की पहचान महलों के रूप में की गई है। ये अपेक्षाकृत बड़ी संरचनाएँ हैं. जो आनुष्ठानिक कार्यों से सम्बन्ध नहीं होती थी। इन संस्थाओं तन्ना मंदिरों के बीच एक अंतर यह था कि मंदिर पूरी तरह से राजगिरी से निर्मित थे जबकि धार्मिक भवनों की अधिरचना विकारी वस्तुओं से बनाई गई थी।
वस्तुतः शहर के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र की कुछ विशिष्ट संरचनाओं का नामकरण भवनों के आकार और साथ ही उनके कामों के आधार पर किया जाता था। ‘राजा का भवन’ नामक संरचना अन्तः क्षेत्र में सबसे विशाल है। अतः ऐसा प्रतीत होता है कि शहरी केन्द्र दक्षिणी-पश्चिमी भाग का सही वर्णन करते हैं।
प्रश्न 7. कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है?
उत्तर: शाही केन्द्र के सबसे सुंदर भवनों में एक कमल महल है। वैसे तो इस भवन का निर्माण किस कार्य के लिए किया गया था इसकी जानकारी इतिहासकारों को भी नहीं है, परंतु संभवतः यह परिषदीय सदन था जहाँ राजा अपने परामर्शदाताओं से मिलता था। इसी प्रकार कला का नमूना माना जा सकता है। इसी प्रकार हाथियों के अस्तबल चित्र में देखने के बाद एक आदर्श भवन निर्माण कला का नमूना माना जा सकता है।
इसको हाथियों के लिए ही प्रयोग किया जाता था इसमें आज तक संदेह है। कमल महलं- तथा उसके नजदीक हाथियों के अस्तबल की स्थापत्य कला इण्डो-इस्लामिक तकनीकों से प्रभावित थीं। विजयनगर के शासक इस शैली में महलों और भवनों का निर्माण करवाते थे और उन पर विशाल धन राशि खर्च करते थे। उनका मानना था कि इन महलों की भव्यता उनके गौरव तथा प्रतिष्ठता को भव्य बनाएगी।
प्रश्न 8. स्थापत्य की कौन-कौन सी परम्पराओं ने विजयनगर के वस्तुविदों को प्रेरित किया? उन्होंने इन परम्पराओं में किस प्रकार बदलाए किए?
उत्तर: विजयनगर साम्राज्य की अस्थिर सीमाओं में अलग-अलग भाषाएँ बोलने तथा अलग-अलग धार्मिक परंपराओं को मानने वाले लोग रहते थे। इन राज्यों के साथ विशेष रूप से स्थापत्य कला के क्षेत्र में सम्पर्क स्थापित हुए। विजयनगर के वास्तुविदों ने भवन निर्माण की तकनीकों को ग्रहण किया जिसे उन्होंने आगे और विकसित किया। दक्षिण भारत के पल्लवों, चोलों, चालुक्यों एवं होयसलों की स्थापत्य शैली ने भी विजयनगर के वास्तुविदों को प्रेरित किया। गुम्बद और मेहराब इस्लामी शैली की चारित्रिक विशेषता मानी जाती है। विजयनगर स्थापत्य के क्षेत्र में इंडो-इस्लामी शैली का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। किलेबंद दीवार में प्रवेश द्वार, कमल महल और हाथियों के अस्तबल में इंडो-इस्लामी तकनीकों का प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 9. अध्याय के विभिन्न विवरणों से आप विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन की क्या छवि पाते हैं?
उत्तर: अध्याय के विभिन्न विवरणों से विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन शैली की बहुत कम जानकारी मिलती है। अब तक जो साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, उनसे यह पता चलता है कि वे सुखी जीवन व्यतीत करते थे। लेकिन स्थापत्य तत्वों के परीक्षण हमें यह नहीं बताते कि सामान्य पुरुष-महिलाएँ तथा बच्चे जो शहर और उसके आस-पास के क्षेत्र मे रहने वाली जनसंख्या का एक बड़ा भाग थे। इन प्रभावशाली भवनों के बारे में क्या सोचते थे। सामान्य लोगों के आवासों, जो अब अस्तित्व में नहीं है, का 16 बीं शताब्दी का पुर्तगाली यात्री बारबोसा इस प्रकार वर्णन करता है – “लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं, पर फिर भी सुदृढ़ हैं, और व्यवसाय के आधार खुले स्थानों वाली लम्बी गलियों में व्यवस्थित हैं।
” संभवतः सामान्य लोग जल के प्रति सावधान रहते थे और इसके लिए उन्होंने कुएँ, वर्षा के पानी वाले जलाशय और मंदिर के जलाशय की व्यवस्था की। शहरों में व्यापार बहुत समृद्ध था और वहाँ के बाजार मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों से भरे होते थे। इससे प्रतीत होता है कि शहर की जनता समृद्ध थी और विदेशों से मँहगे सामान मँगाती थी। सामान्य लोगों की जीविका का मुख्य साधन कृषि था। विजयनगर के लोग बहुत ही धार्मिक थे। सभी स्थलों से मंदिरों के अवशेषों का मिलना इस तथ्य की पुष्टि करता है। ये लोग विशेष रूप से पम्पादेवी और विरुपाक्ष की पूजा करते थे। लोग भोजन में चावल, गेहूँ, मकई, जौ, दालें, फल और सब्जी, मांस आदि खाते थे। बाजार में विभिन्न प्रकार के जानवर एवं उनके माँस बिकते थे।