राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ question answer: Class 12 Political Science chapter 1 ncert solutions in hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science 2nd book |
Chapter | Chapter 1 ncert solutions |
Chapter Name | राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
क्या आप कक्षा 12 विषय राजनीति विज्ञान स्वतंत्र भारत में राजनीति पाठ 1 राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ के प्रश्न उत्तर ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 Political science chapter 1 question answers in hindi, राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ question answer download कर सकते हैं।
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प्रश्न 1. भारत-विभाजन के बारे में निम्नलिखित कौन-सा कथन गलत है?
- (क) भारत-विभाजन “द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त” का परिणाम था।
- (ख) धर्म के आधार पर दो प्रान्तों–पंजाब और बंगाल का बँटवारा हुआ।
- (ग) पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में संगति नहीं थी।
- (घ) विभाजन की योजना में यह बात भी शामिल थी कि दोनों देशों के बीच आबादी की अदला-बदली होगी।
उत्तर: (घ) विभाजन की योजना में यह बात भी शामिल थी कि दोनों देशों के बीच आबादी की अदला-बदली होगी।
प्रश्न 2. निम्नलिखित सिद्धांतों के साथ उचित उदाहरणों का मेल करें –
(क) धर्म के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण | 1. पाकिस्तान और बांग्लादेश |
(ख) विभिन्न भाषाओं के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण | 2. भारत और पाकिस्तान |
(ग) भौगोलिक आधार पर किसी देश के क्षेत्रों का सीमांकन | 3. झारखंड और छत्तीसगढ़ |
(घ) किसी देश के भीतर प्रशासनिक और राजनीतिक आधार पर क्षेत्रों का सीमांकन | 4. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड |
उत्तर:
(क) धर्म के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण | 2. भारत और पाकिस्तान |
(ख) विभिन्न भाषाओं के आधार पर देश की सीमा का निर्धारण | 1. पाकिस्तान और बांग्लादेश |
(ग) भौगोलिक आधार पर किसी देश के क्षेत्रों का सीमांकन | 4. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड |
(घ) किसी देश के भीतर प्रशासनिक और राजनीतिक आधार पर क्षेत्रों का सीमांकन | 3. झारखंड और छत्तीसगढ़ |
प्रश्न 3. भारत का कोई समकालीन राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएं दिखाई गई हो) और नीचे लिखी रियासतों के स्थान चिह्नित कीजिए –
- (क) जूनागढ़
- (ख) मणिपुर
- (ग) मैसूर
- (घ) ग्वालियर।
उत्तर:
प्रश्न 4. नीचे दो तरह की राय लिखी गई है:
- विस्मय – रियासतों को भारतय संघ में मिलाने से इन रियासतों की प्रजा तक लोकतंत्र का विस्तार हुआ।
- इंद्रप्रीत – यह बात मैं दावे के साथ नहीं कह सकता। इसमें बल प्रयोग भी हुआ था जबकि लोकतंत्र में आम सहमति से काम किया जाता है।
देशी रियासतों के विलय और ऊपर के मशवरे के आलोक में इस घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है?
उत्तर: विस्मय की राय से मैं सहमत हूं। देसी रियासतों का विलय प्राय: लोकतांत्रिक तरीके से हुआ क्योंकि सिर्फ चार – पाँच रजवाडों को छोड़कर सभी स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व वहीं भारतीय संघ में शामिल हो चुके थे। जो राजवाड़े बचे थे इनमें से भी शासक जनमत और जनता की भावनाओं (जिनकी संख्या 90% से भी ज्यादा थी) की अनदेखी कर रहे थे। सभी रियासतों के केंद्रीय सरकार द्वारा भेजे गए सहमति पत्र और हस्ताक्षर कर दिए थे। विलय से पूर्व अधिकार रजवाड़ो में शासन अलोकतांत्रिक रीती से चलाया जा रहा था और राजवाड़ों के शासक अपनी प्रजा को लोकतांत्रिक अधिकार देने के लिए तैयार नहीं थे।
इंद्रप्रीत की राय से भी में कुछ हद तक सहमत हूं। यह राय ठीक है कि भारत में रजवाड़ों के विलय को लेकर बल प्रयोग किया गया लेकिन यह चंद राजवाड़ों हैदराबाद और जूनागढ़ के मामलों में हुआ। वह भी इसीलिए क्योंकि दोनों राजवाड़ों के शासक मुसलमान थे लेकिन वहां की जनसंख्या का लगभग 80 से 90% भाग हिंदू थी। वहां की आम जनता भारत में विलय चाहती थी। इन दोनों राजवाड़ों में आम जनता द्वारा आंदोलन भी चलाया गया।
इसके अतिरिक्त भौगोलिक दृष्टि से दोनों राजवाड़े भारतीय सीमा के अधिक नजदीक थे। कश्मीर पर हमला पाकिस्तान के उकसाने पर कबालियों ने किया था। उनके नव स्वतंत्र जम्मू कश्मीर का संरक्षण करना भारत का दायित्व भी था और भारत ने वहां के शासक और जनप्रतिनिधियों की मांग पर ही सेना भेजी थी। वहां के शासक तथा आम जनता की इच्छा अनुसार कश्मीर का विलय भारत में हुआ भारत में विलय के बाद से वहाँ अनेक विधान सभा और लोक सभा चुनाव हो चुके हैं।
प्रश्न 5. निचे 1947 के अगस्त के कुछ बयान दिए गए हैं जो अपनी प्रकृति में अत्यंत भिन्न हैं:
- आज आपने – अपने सर पर कांटों का ताज पहना है। सत्ता का आसन एक बुरी चीज है। इस आसन पर आपको बड़ा सचेत रहना होगा…. आपको और ज़्यादा विनम्र और धौर्यवान बनना होगा…. अब लगातार आपकी परीक्षा ली जाएगी।….. ( मोहनदास करमचंद गांधी )
- भारत आज़ादी की जिंदगी के लिए जागेगा हम पुराने से नए की ओर कदम बढ़ाएँगे आज दुर्भाग्य के एक दौर का खात्मा होगा और हिंदुस्तान अपने को फिर से पा लेगा आज हम जो जश्न मना रहे हैं वह एक कदम भर है, संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं…. ( जवाहरलाल नेहरू)
इन दो बयानों से राष्ट्र – निर्माण का जो एजेंडा ध्वनित होता है उसे लिखिए। आपको कौन-सा एजेंडा जँच रहा है और क्यों?
उत्तर: (1) गांधी जी का यह कथन बिल्कुल ठीक है कि सत्ता का ताज कांटों से भरा होता है।क्योंकि प्रायः सत्ता पाने के बाद सत्तासीन लोगों में घमंड आ जाता है। प्राय: अपने दायित्व का निर्वाह नहीं करते। भारत में एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना गांधीवादी तरीकों से – अहिंसा, प्रेम, सत्य, सहयोग, समानता, भाईचारा, सांप्रदायिक, सदभाव आदि के साथ की जाए सत्ता में आसीन लोगों को चाहिए कि वे ज्यादा विनम्र और धैर्यवान होकर निरंतर अपने दायित्व निर्वाह की परीक्षा देते रहें यानी न सिर्फ लोकतांत्रिक राजनीति की स्थापना, बल्कि समाज में सामाजिक और आर्थिक न्याय भी मिले, इसका सदैव प्रयत्न करना चाहिए।
(2) जवाहरलाल नेहरू द्वारा व्यक्त कथन विकास के उस एजेंडे की ओर इशारा कर रहा है जो भारत आजादी के बाद जिंदगी जिएगा। यहां राजनीतिक स्वतंत्रता समानता और किसी सीमा तक न्याय की स्थापना हुई है और हमें पुरानी बातों को छोड़कर नए जोश के साथ आगे बढ़ना है नि: संदेह 14 अगस्त की मध्यरात्रि को उपनिवेशवाद का अंत हो गया और हमारा देश स्वतंत्र हो गया परंतु आजादी मनाने का उत्सव क्षणिक था क्योंकि उसके आगे देश के सक्षम बड़ी भारी समस्याएं थी। किन समस्याओं में उजड़े हुए लोगों को फिर से बसाना देश की गरीबी बेरोजगारी और पिछड़ेपन की समस्याओं को समाप्त करना आदि सम्मिलित है हमें इन समस्याओं को समाप्त करने के नई संभावनाओं के द्वारा खोलना है जिनमें गरीबी से गरीबी भारतीयों भी महसूस कर सके कि आजाद हिंदुस्तान भी उसका मुल्क हैं।
यहाँ लौगिक आधार पर समान होनी चाहिए। देश उदारवाद और वैश्वीकरण के साथ – साथ सभी को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाए। समान नागरिक विधि संहिता लागु हो।हमें नेहरु जी का एजेंडा ज्यादा जँच रहा है क्योंकि नेहरू जी ने भारत के भविष्य का खाका खींचने की तस्वीर पेश की है उन्होंने परख लिया था की आजादी के साथ-साथ अनेक प्रकार की समस्याएं भी आई है गरीब के आंसू पोछने के साथ-साथ विकास के पहिए की गति को भी तेज करना था।
प्रश्न 6. भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाने के लिए नेहरू ने किन तर्कों का इस्तेमाल किया। क्या आपको लगता है कि ये केवल भावनात्मक और नैतिक तर्क हैं अथवा इनमें कोई तर्क युक्तिपरक भी है?
उत्तर: पंडित जवाहरलाल नेहरू एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किए जाने का समर्थन किया और इसके पक्ष में कई तर्क प्रस्तुत किए जो निम्नलिखित हैं –
(i) नेहरू का कहना था कि विभाजन के सिद्धांत में जनसंख्या की अदला – बदली की कोई व्यवस्था नहीं थी पाकिस्तान बनने के बाद भारत के सभी मुसलमानों को भारत से निकाल दिया जाएगा। पंजाब और बंगाल के प्रांतों में ही मुख्य रूप से अदला – बदली हुई जो परिस्थितियों का परिणाम तथा आकस्मिक थीं।
(ii) भारत के दूसरे प्रांतों से जो भी मुसलमान पाकिस्तान गए वे स्वेच्छा से गए, किसी सरकारी आदेश के अंतर्गत नहीं।
(iii) पाकिस्तान बनने और जनसंख्या की अदला बदली के याद भी भारत में मुसलमानों की संख्या इतनी है जिन्हे भारत से निकाला जाना संभव नहीं 1951 की जनगणना के अनुसार मुसलमानों की संख्या कुल जनसंख्या का लगभग 12 प्रतिशत था।
(iv) भारत में मुसलमानों के अतिरिक्त और भी अल्पसंख्यक धार्मिक वर्ग हैं जैसे कि सिक्ख , ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, यहूदी मुसलमान सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धार्मिक समुदाय था इसके होते हुए भारत को हिंदू राष्ट्र और राज्य घोषित किया जाना न उचित है और न ही न्यायसंगत।
(v) यदि भारत को हिंदू राज्य घोषित किया जाएगा तो यह एक नासूर बन जाएगा और वह सारी सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था को विषैल बनाएगा तथा इसकी बर्बादी का कारण बन सकता है।
(vi) भारतीय संस्कृति सभी धर्मों की विशेषताओं का मिश्रण है भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से भारतीय संस्कृति का संयुक्त स्वरूप कुप्रभावीत होगा।
(vii) भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने से सभी अल्पसंख्यकों में और असुरक्षा और अलगाव की भावना विकसित होगी जो राष्ट्री एकता, राष्ट्रिय एकीकरण तथा राष्ट्र – निर्माण के रस्ते में घातक होगी और भारत एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभर नहीं सकेगा।
(viii) नेहरू जी का यह भी कहना था कि हम अल्पसंख्यकों के साथ वही व्यवहार नहीं करना चाहते और और ना ही कर सकते हैं और जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किया जा रहा है और वहां के अल्पसंख्यकों को असम्मान और भय के वातावरण में जीना पड़ रहा है।
(ix) नेहरू का यह भी तर्क था कि हमे लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाना है धर्म तंत्र को नहीं हमें सभी नागरिकों को,बहुसंख्यकों की तरह अल्पसंख्यकों को भी सम्मान समझना है उन्हें समान अधिकार और जीवन विकास की समान सुविधाएं तथा अवसर प्रदान करने हैं अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा की व्यवस्था करनी होगी उनके दिल में भय और और अनिश्चय का भाव दूर करना होगा और सभी नागरिकों की प्रशासन में समान भागीदारी की व्यवस्था करनी होगी।
(x) नेहरू का कहना था कि भारतीय संस्कृति भी इस बात की मांग करती है कि हम अपने अल्पसंख्यकों के साथ सभ्यता और शालीनता के साथ व्यवहार करें।
प्रश्न 7. आज़ादी के समय देश के पूर्वी और पशिचमी इलाकों में राष्ट्र – निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य क्या अंतर थें?
उत्तर: आजादी के समय देश के पूर्वी और पशिचमी इलाको में राष्ट्र – निर्माण की चुनौती के लिहाज से दो मुख्य अंतर निम्न थे –
विभाजन से पहले यह तय किया गया की धार्मिक बहुसंख्या को विभाजन का आधार बनाया जायेगा। इसके मायने यह थे की जिन इलाकों में मुसलमान बहुसंख्यक थे वे इलाके ‘पाकिस्तान’ के भू – भाग होंगे और शेष हिस्से ‘भारत’ कहलाएंगे। यह बात थोड़ी आसान जान पड़ती है परन्तु असल में इसमें कई किस्म की दिक्क्तें थीं। पहली बात तो यह की ‘ब्रिटिश इण्डिया’ में कोई एक भी इलाका ऐसा नहीं था, जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक थे। ऐसे दो इलाके थे जहां मुसलमानों की आबादी अधिक अधिक थी। एक इलाका पशिचम में था तो दूसरा इलाका पूर्व में। ऐसा कोई तरीका नहीं था की इन दोनों इलाकों को जोड़कर एक जगह कर दिया जाए। इसे देखते हुए फैसला हुआ की पाकिस्तान में दो इलाके शामिल होंगे यानी पशिचम में दो इलाके शामिल होंगे यानि पशिचमी पाकिस्तान और पूर्व पाकिस्तान बीच में भारतीय भू – भाग का एक बड़ा विस्तार रहेगा।
एक समस्या और विकट थी। ‘ब्रिटश इण्डिया’ के मुस्लिम – बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्या गैर मुस्लिम आबादी वाले थे। ऐसे में फैसला हुआ की इन दोनों प्रांतो में भी बँटवारा धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर होगा और इसमें जिले अथवा उससे निचले स्तर के प्राशासनिक हल्के को आधार बनाया जाएगा।
14 – 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि तक यह फैसला नहीं हो पाया था। इसका मतलब यह हुआ की आजादी के दिन तक अनेक लोगों को यह पता नहीं था की वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। पंजाब और बंगाल का बँटवारा विभाजन की सबसे बड़ी त्रासदी सावित हुआ।
प्रश्न 8. राज्य पुनर्गठन आयोग का काम क्या था? इसकी प्रमुख सिफारिश क्या थी?
उत्तर: राज्य पुनर्गठन आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मामले पर गौर करना था। इसकी प्रमुख सिफारिश यह थी की राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए। इस आयोग के रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केंद्र – शाषित प्रदेश बनाऐ गए।
प्रश्न 9. कहा जाता है की राष्ट्र एक व्यापक अर्थ में ‘कल्पित समुदाय’ होता है और सर्वसामान्य विश्वास, इतिहास, राजनितिक और कल्पनाओं से एकसूत्र में बँधा होता है। उन विशेषताओं की पहचान करें जिनके आधार पर भारत एक राष्ट्र है।
उत्तर: भारत को एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करने वाले विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
(i) सांस्कृतिक एकता: भारत में विभिन्न धर्म, भाषा, और रीति-रिवाजों के बावजूद एक गहरी सांस्कृतिक एकता है। हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, ईसाई धर्म, और अन्य धर्मों का सह-अस्तित्व यहां देखा जा सकता है। त्योहारों, पारंपरिक संगीत, नृत्य, और भोजन में सांस्कृतिक विविधता होते हुए भी एक राष्ट्रीय पहचान है।
(ii) इतिहास: भारत का एक समृद्ध और लंबा इतिहास है, जिसमें विभिन्न साम्राज्यों और संस्कृतियों का योगदान है। प्राचीन सभ्यताओं से लेकर मुगलों और ब्रिटिश साम्राज्य तक, भारतीय इतिहास की विविधता और एकता दोनों ही इसे एक मजबूत राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं।
(iii) भाषायी विविधता: भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ और सैकड़ों बोलियाँ बोली जाती हैं। हिन्दी और अंग्रेजी संघीय स्तर पर संपर्क भाषा के रूप में कार्य करती हैं, जो विविध भाषायी पृष्ठभूमि को एक साथ लाने में मदद करती हैं।
(iv) राजनैतिक ढाँचा: भारत का एक संगठित और लोकतांत्रिक राजनैतिक ढाँचा है। भारत का संविधान, जो 1950 में लागू हुआ, देश के नागरिकों को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह एक संघीय प्रणाली है जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं।
(v) सर्वसामान्य विश्वास: भारत में ‘अनेकता में एकता’ का सिद्धांत प्रमुख है। भले ही भारतीय समाज विविधतापूर्ण है, परंतु अधिकांश भारतीय इस विचार में विश्वास करते हैं कि वे एक समान राष्ट्र का हिस्सा हैं। स्वतंत्रता संग्राम और उसके बाद का राष्ट्रीय आंदोलन इस विश्वास को और मजबूत करता है।
(vi) आर्थिक एवं सामाजिक संरचना: भारत की आर्थिक और सामाजिक संरचना भी इसकी राष्ट्रीय पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषि, उद्योग, सेवा क्षेत्र और आधुनिक तकनीक में भारत की प्रगति इसे एक प्रमुख वैश्विक राष्ट्र के रूप में स्थापित करती है।
(vii) भौगोलिक पहचान: भारत की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, इसकी प्राकृतिक सुंदरता और विविधता भी एक राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा है। हिमालय से लेकर भारतीय महासागर तक, गंगा नदी से लेकर राजस्थान के रेगिस्तान तक, सभी भारत के हिस्से हैं और इसे एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं।
(viii) राष्ट्रवादी भावना: स्वतंत्रता संग्राम से उत्पन्न राष्ट्रवादी भावना और विभिन्न आंदोलनों के दौरान विकसित हुई एकता की भावना भी भारत को एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करती है। यह भावना आज भी विभिन्न राष्ट्रीय पर्वों और आपदाओं के समय में प्रकट होती है।
इन सभी विशेषताओं के आधार पर भारत एक राष्ट्र है, जो अपनी विविधताओं में भी एकता प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 10. निचे लिखे अवतरण को पढ़िए और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
राष्ट्र – निर्माण के इतिहास के लिहाज से सिर्फ सोवियत संघ में हुए प्रयोगों की तुलना भारत से की जा सकती है। सोवियत संघ में भी विभिन्न और परस्पर अलग – अलग जातीय समूह, धर्म, भाषाई समुदाय और सामाजिक वर्गों के बिच एकता का भाव कायम करना पड़ा। जिस पैमाने पर यह काम हुआ, चाहे भौगोलिक पैमाने के लिहाज से देखें या जनसंख्यागत वैविध्य के लिहाज से,वह अपने आप में बहुत व्यापक हो कहां जाएगा दोनों ही जगह राज्य को जिस कच्ची सामग्री से राष्ट्र निर्माण की शुरुआत करनी थी वह समान रूप से दुष्कर थी। लोग धर्म के आधार पर बैठे हुए और कर्ज तथा बीमारी से दबे हुए थे।……..( रामचंद्र गुहा )
- यहाँ लेखक ने भारत और सोवियत संघ के बीच जिन समानताओं का उल्लेख किया है, उसकी एक सूचि बनाइए। इनमे से प्रत्येक के लिए एक उदाहरण दीजिए।
- लेखक ने यहां भारत और सोवियत संघ में चली राष्ट्र निर्माण की प्रक्रियाओ के बीच की असमानता का उल्लेख नहीं किया है क्या आप दो और असमानताएँ बता सकते हैं?
- अगर पीछे मुड़कर देखें तो आप क्या पाते हैं राष्ट्र निर्माण के इन दो प्रयोगों में किसने बेहतर काम किया है और क्यों?
उत्तर: उपर्युक्त अवतरण में लेखक ने भारत और सोवियत संघ में राष्ट्र – निर्माण की प्रक्रिया के बिच समानताओं का वर्णन किया है। लेकिन इस प्रक्रिया में असमानताओं का वर्णन नहीं है। फिर भी राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया की समानताओं और अमानताओं का विवरण निम्नलिखित है:
- दोनों देशों में पहले राजतंत्र और बाद में प्रजातंत्र की स्थापना हुई।
- दोनों राष्ट्रों में भाषायी असमानता है। भारत में अनेक भाषाओं का प्रयोग हो रहा है।
- दोनों देशों में धार्मिक भिन्नता है। भारत में हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन आदि धर्मो को मानने वाले लोग हैं।
- रूस की तरह भारत में एक विशाल जनसंख्या वाला देश है।
- भारत और सोवियत संघ भौगोलिक द्द्ष्टि से विशाल देश हैं।
- दोनों देशों में लोग धार्मिक आधार पर बटे हुए हैं। भारत का विभाजन धर्म के आधार पर ही हुआ था।
- रूस और भारत की जनता आजादी के समय क़र्ज़ और बीमारी दोनों की शिकार थी।
असमानताएँ
(i) भारतीय संघ में नए प्रान्त शामिल तो हो सकते हैं परन्तु वे संघ से अलग नहीं हो सकते जबकि सोवियत संघ के संविधान में यह व्यवस्था थी की सोवियत संघ के प्रान्त या क्षेत्र कभी भी संघ से अलग हो सकते हैं या छोड़कर जा सकते हैं इसलिए भी सोवियत संघ का विघटन आसानी से हो गया।
(ii) भारत में बहुदलीय व्यवस्था है जबकि सोवियत संघ में एकदलीय व्यवस्था थी। सोवियत संघ साम्यवादी दल के प्रभुत्व था। वहाँ की जनता के पास अन्य विकल्पों का आभाव था, जबकि भारत में लोगों के पास सारे विकल्प होते हैं। वह अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर सकते हैं।
(iii) दोनों देशो की राष्ट्रिय – निर्माण प्रक्रिया के अध्ययन के पश्चात यह स्पष्ट हो जाता है की राष्ट्र – निर्माण के क्षेत्र में भारत ने सराहनीय कार्य किया है। भारत में स्वतंत्रता – प्राप्ति के बाद नियोजित विकास कार्य प्रारंभ हुआ। पंचवर्षीय योजनाओं का गठन किया। केंद्रीय व राज्य स्तरों पर योजना आयोग बनाए गए। यह नहीं भारत आज विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र देश है।
(iv) भारत में सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व राजनितिक सभी द्द्ष्टियों से लोगों को स्वतंत्रता प्राप्त है। आज भारत एक धर्म – निरपेक्ष राष्ट्र है। इसके विपरीत सोवियत संघ ने प्रारंभ में उन्नति की लेकिन बाद में वह इतनी समस्याओं से घिर गया की सोवियत संघ का विघटन हो गया।