Class 8 Civics chapter 4 question answer in hindi न्यायपालिका

Follow US On 🥰
WhatsApp Group Join Now Telegram Group Join Now

न्यायपालिका पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 8: class 8 samajik aur rajnitik jeevan chapter 4 question answer

TextbookNcert
ClassClass 8
Subjectनागरिक शास्त्र
ChapterChapter 4
Chapter Nameन्यायपालिका पाठ के प्रश्न उत्तर
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

क्या आप Class 8 Civics chapter 4 question answer in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से पाठ 4 न्यायपालिका class 8 question answer Download कर सकते हैं।

प्रश्न 1: आप पढ़ चुके हैं कि कानून को कायम रखना और मौलिक अधिकारों को लागू करना’ न्यायपालिका का एक मुख्य काम होता है। आपकी राय में इस महत्त्वपूर्ण काम को करने के लिए न्यायपालिका का स्वतंत्र होना क्यों जरूरी है?

उत्तर 1: न्यायपालिका का स्वतंत्र होना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह कानून की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करता है। यदि न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं होगी, तो उस पर राजनीतिक दबाव या बाहरी हस्तक्षेप का खतरा बना रहेगा, जिससे निष्पक्ष न्याय देने में बाधा आ सकती है। एक स्वतंत्र न्यायपालिका सरकार, राजनीतिक दलों और अन्य शक्तिशाली संस्थाओं के प्रभाव से मुक्त रहकर निष्पक्ष निर्णय ले सकती है, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है।

इसके अलावा, जब नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो स्वतंत्र न्यायपालिका बिना किसी भय या पक्षपात के उन अधिकारों की रक्षा करती है और संविधान के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाती है। यदि न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं होगी, तो कानून का शासन कमजोर हो जाएगा और आम नागरिकों का न्याय प्रणाली पर विश्वास डगमगा सकता है। इसलिए, न्यायपालिका की स्वतंत्रता लोकतंत्र, समानता और न्याय की मूलभूत शर्त है।

प्रश्न 2: अध्याय 1 में मौलिक अधिकारों की सूची दी गई है। उसे फिर पढ़े। आपको ऐसा क्यों लगता है कि संवैधानिक उपचार का अधिकार न्यायिक समीक्षा के विचार से जुड़ा हुआ है?

उत्तर 2: संवैधानिक उपचार का अधिकार: यदि किसी नागरिक को लगता है कि राज्य द्वारा उसके किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है तो मौलिक अधिकार की प्राप्ति के लिए इस अधिकार का सहारा लेकर अदालत जा सकता है।

न्यायिक समीक्षा: यदि न्यायपालिका को लगता है कि संसद द्वारा पारित किया गया कोई कानून संविधान के अनुसार नहीं है। तो वह उस कानून को रद्द कर  सकती है। इसे न्यायिक समीक्षा कहा जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि संवैधानिक उपचार का अधिकार न्यायिक समीक्षा से जुड़ा है, क्योंकि संवैधानिक उपचार के अंतर्गत न्यायालय कानून को रद्द कर सकता है।

प्रश्न 3: नीचे तीनों स्तर के न्यायालय को दर्शाया गया है। प्रत्येक के सामने लिखिए कि उसे न्यायालय ने सुधा गोयल के मामले में क्या फैसला दिया था? अपने जवाब को कक्षा के अन्य विद्यार्थियों द्वारा दिए गए जवाबों के साथ मिलाकर देखें।

उत्तर 3: सर्वोच्च न्यायालय: लक्ष्मण और उसकी माँ शकुंतला को दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनायी। सुभाषचंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे इसलिए उसे दोष मुक्त कर दिया।

उच्च न्यायालय: सुधा की मौत एक दुर्घटना थी क्योंकि तीनों के विरुद्ध पर्याप्त सबूत नहीं। लक्ष्मण, शकुंतला और सुभाषचंद्र तीनों को बरी कर दिया।

निचली अदालत: लक्ष्मण, उसकी माँ शकुंतला और सुधा के जेठ सुभाष को दोषी करार दिया और तीनों को मौत की सजा सुनाई। 

प्रश्न 4: सुधा गोयल मामले को ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए बयानों को पढ़िये। जो वक्तव्य सही हैं उन पर सही का निशान लगाइए और जो गलत है उन को ठीक कीजिए।
(क) आरोपी इन मामलों को उच्च न्यायालय लेकर गए क्योंकि वे निचली अदालत के फैसले से सहमत नहीं थे।
(ख) वे सर्वोच्य न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चले गए। 
(ग) अगर आरोपी सर्वोच्य न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा निचली अदालत में जा सकते हैं।

उत्तर 4: (क) यह विधान सही है।

(ख) यह विधान गलत है, वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चले गए।

(ग) यह विधान गलत है। सर्वोच्य न्यायालय का फैसला सबको मानना पड़ता है। यह देश का सबसे बड़ा न्यायालय है। इसके फैसले से असंतुष्ट होकर दोबारा निचली अदालत में नहीं जा सकते।

प्रश्न 5: आपको ऐसा क्यों लगता है कि 1980 के दशक में शुरू की गई जनहित याचिका की व्यवस्था सबको इंसाफ दिलाने के लिहाज से एक महत्त्वपूर्ण कदम थी?

उत्तर 5: जनहित याचिका-

  • इसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय तक ज्यादा-से-ज्यादा लोगों की पहुँच स्थापित पर करने का प्रयास किया है।
  • अब सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के नाम भेजे गए पत्र या तार (टेलीग्राम) को भी जनहित याचिका माना जा सकता है।
  • न्यायालय ने किसी भी व्यक्ति या संस्था को ऐसे लोगों की ओर से जनहित याचिका दायर करने का अधिकार दिया है जिनके अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
  • यह याचिका उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जा सकती है।

प्रश्न 6: ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम मुकदमे में दिए गए फैसले के अंशों को दोबारा पढ़िए। इस फैसले में कहा गया है कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है। अपने शब्दों में लिखिए कि इस बयान से जजों का क्या मतलब था?

उत्तर 6: आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जीने के साधनों के बिना जीवित नहीं रह सकता। ओल्गा टेलिस बनाम बम्बई नगर निगम के मुकदमे के अंर्तगत लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है और उन्हें वहाँ से हटाएँ जाने की माँग की जा रही है। जो लोग झुग्गियों और पटरियों पर रहते हैं, वे शहर में छोटे मोटे काम करते हैं और उनके पास रहने की कोई और जगह नहीं होती है। अगर उन्हें झुग्गियों या पटरियों से हटा दिया जाए तो उनका रोजगार ख़त्म हो जायगा।

प्रश्न 7: ‘इंसाफ में देरी यानी इंसाफ का कत्ल’ इस विषय पर एक कहानी बनाइए।

उत्तर 7: कहानी: इंसाफ की देरी

रामनगर गांव में रमेश नाम का एक ईमानदार किसान रहता था। उसकी जमीन पर गांव के दबंग नेता सुरेश ने जबरन कब्जा कर लिया। रमेश ने न्याय पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। केस दर्ज हुआ, लेकिन सुनवाई में सालों बीत गए। हर पेशी पर रमेश उम्मीद लेकर आता, मगर तारीख पर तारीख मिलती रही।

इस बीच रमेश की आर्थिक हालत खराब हो गई। जमीन न होने के कारण उसकी फसलें बर्बाद हो गईं और परिवार की हालत दयनीय हो गई। रमेश बूढ़ा हो गया, लेकिन इंसाफ नहीं मिला। अंततः लंबी लड़ाई के बाद, कोर्ट का फैसला रमेश के पक्ष में आया, लेकिन तब तक रमेश इस दुनिया को छोड़ चुका था।

उसके बेटे रवि ने कहा, “पिता जी को इंसाफ तो मिला, मगर इतनी देर से कि उनका सपना अधूरा ही रह गया।” इस घटना से गांव वालों ने महसूस किया कि “इंसाफ में देरी, इंसाफ का कत्ल” के समान है। यदि समय पर न्याय मिलता, तो रमेश की मेहनत और सम्मान दोनों बच सकते थे।

प्रश्न 8: अगले पृष्ठ पर शब्द संकलन में दिए गए प्रत्येक शब्द से वाक्य बनाइए।

उत्तर 8: 1. बरी करना: अदालत ने सबूतों के अभाव में आरोपी को बरी कर दिया।

2. अपील करना: दोषी करार दिए जाने के बाद आरोपी ने उच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय लिया।

3. मुआवजा: सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को सरकार ने मुआवजा दिया।

4. बेदखली: किराया न देने के कारण मकान मालिक ने किरायेदार की बेदखली करा दी।

5. उल्लंघन: यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस ने जुर्माना लगाया।

प्रश्न 9: यह पोस्टर भोजन अधिकार अभियान द्वारा बनाया गया है।

इस पोस्टर को पढ़कर भोजन के अधिकार के बारे में सरकार के दायित्वों की सूची बनाइए।

इस पोस्टर में कहा गया है कि “भूखे पेट भरे गोदाम! नहीं चलेगा, नहीं चलेगा!!” इस वक्तव्य को पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 61 पर भोजन के अधिकार के बारे में दिए गए चित्र निबंध से मिला कर देखिए।

उत्तर 9:  सरकार के दायित्व-

  • प्रत्येक नागरिक को भोजन उपलब्ध कराना।
  • यह सुनिश्चित करना कि किसी भी व्यक्ति को भूखा न सोना पड़े।
  • भूख की मार सबसे ज्यादा झेलने वालों; जैसे-बेसहारा, बुजुर्ग, विकलांग, विधवा आदि पर सरकार
    को विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • सरकार द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कुपोषण एवं भूख से किसी की मृत्यु न हो।

2. राजस्थान और उड़ीसा में सूखे की वजह से लाखों लोगों के सामने भोजन का भारी अभाव पैदा हो गया था, जबकि सरकारी गोदाम अनाज से भरे पड़े थे। इस स्थिति को देखते हुए पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिर्टीज (पी.यू.सी.एल.) नामक संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए जीवन के मौलिक अधिकारों में भोजन का अधिकार भी शामिल है।

राज्य की इस दलील को भी गलत साबित कर दिया गया कि उसके पास संसाधन नहीं है, क्योंकि सरकारी गोदाम अनाज से भरे हुए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि नए रोजगार पैदा करे। राशन की सरकारी दुकानों के माध्यम से सस्ती दर पर आनाज उपलब्ध कराए और बच्चों को स्कूल में दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाए।

💞 SHARING IS CARING 💞
Ncert Books PDF

English Medium

Hindi Medium

Ncert Solutions and Question Answer

English Medium

Hindi Medium

Revision Notes

English Medium

Hindi Medium

Related Chapters