Class 8 Hindi chapter 5 question answer क्या निराश हुआ जाए

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कक्षा 8 हिंदी पाठ 5 के प्रश्न उत्तर: Ncert Solutions for Class 8 Hindi chapter 5

TextbookNcert
ClassClass 8
SubjectHindi
ChapterChapter 5
Chapter Nameक्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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कहानी से क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर 1: लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है की उसने धोखा भी खाया है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और इसके साथ-साथ ये उन लोगों पर अंगुली उठाएगा जो आज भी ईमानदारी व मनुष्यता के सजीव उदाहरण हैं। यहीं लेखक का आशावादी होना उजागर होता है और उन्हीं लोगों का सम्मान करते हुए उनकी उपेक्षा नहीं करना चाहता जिन्होनें कठिन समय में उसकी मदद की है। इस कारण वो अभी भी निराश नहीं है।

प्रश्न 2: समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

उत्तर 2: समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविज़न पर अक्सर ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं जो मानवीय मूल्यों और ईमानदारी की मिसाल पेश करती हैं। ऐसी ही दो घटनाएँ निम्नलिखित हैं:

घटना 1: ईमानदार ऑटो चालक

समाचार स्रोत: दैनिक समाचार पत्र
विवरण: एक ऑटो रिक्शा चालक को उसकी गाड़ी में यात्रियों द्वारा भूली हुई एक बड़ी रकम मिली। उसने तुरंत पुलिस को सूचित किया और पैसे वापस मालिक को सौंप दिए। उसका कहना था कि यह उसकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का हिस्सा है।
टिप्पणी: यह घटना समाज में ईमानदारी और नैतिकता के महत्व को दर्शाती है। ऑटो चालक की यह पहल दिखाती है कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। उसकी ईमानदारी न केवल उसके चरित्र को उजागर करती है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणा भी बन जाती है।

घटना 2: बाढ़ पीड़ितों की मदद

समाचार स्रोत: टेलीविज़न समाचार
विवरण: एक राज्य में बाढ़ आने के बाद, स्थानीय युवाओं ने मिलकर राहत कार्य शुरू किया। उन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के, अपने स्तर पर खाना, पानी और दवाइयाँ इकट्ठा करके पीड़ितों तक पहुँचाया।
टिप्पणी: यह घटना मानवीय एकता और सहयोग की शक्ति को दर्शाती है। इन युवाओं ने दिखाया कि समाज में बदलाव लाने के लिए सरकारी सहायता का इंतज़ार करने की बजाय, स्वयं आगे बढ़कर काम करना चाहिए। उनकी यह पहल निस्वार्थ सेवा और सामाजिक जिम्मेदारी का उत्कृष्ट उदाहरण है।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि समाज में अभी भी ईमानदारी, निस्वार्थ भाव और मानवीय मूल्यों की अहमियत बरकरार है। ऐसे उदाहरण हमें प्रेरित करते हैं कि हम भी अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाएँ और समाज के लिए सकारात्मक योगदान दें।

प्रश्न 3: लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

उत्तर 3: एक बार मेरा मित्र दिल्ली गया। उसके पास पाँच हज़ार रुपये थे, जिन्हें वह अपनी माँ के इलाज के लिए लेकर जा रहा था। बस में उसका पर्स गुम हो गया। अस्पताल पहुँचने पर उसने जब अपनी जेब टटोली, तो उसमें पर्स नहीं था। उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ने लगीं।

इतने में एक व्यक्ति वहाँ पहुँचा और उसने मेरे मित्र को उसका पर्स देते हुए कहा कि यह उसे बस में पड़ा मिला था। मेरे मित्र के यह पूछने पर कि उसे यहाँ का पता किसने दिया, तो उसने बताया कि पर्स में अस्पताल का नाम तथा डॉक्टर द्वारा लिखी दवाइयों की पर्ची को पढ़कर वह वहाँ तक पहुँचा है। मेरा मित्र उस अनजान व्यक्ति की ईमानदारी को आज भी याद करता है।

पर्दाफाश क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

उत्तर 1: दोषों का पर्दाफाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब यह किसी को शर्मिंदा करने, उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने, या व्यक्तिगत द्वेष के लिए किया जाए। यदि इसे सही उद्देश्य, सही तरीके और सबूतों के बिना किया जाए, तो यह अफवाह फैलाने, मानहानि या समाज में अविश्वास पैदा करने का कारण बन सकता है। इसलिए, दोषों को उजागर करते समय संयम, न्याय और सत्य का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रश्न 2: आजकल के बहुत से समाचारपत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए।

उत्तर 2: आजकल के समाचारपत्र और चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ करके समाज में जागरूकता फैलाने और पारदर्शिता लाने का दावा करते हैं। यह तब सार्थक होता है जब यह निष्पक्ष, तथ्य-आधारित और सामाजिक हित के लिए हो। ऐसे कार्यक्रम भ्रष्टाचार, अन्याय और गलत प्रथाओं को उजागर करके सुधार की दिशा में काम कर सकते हैं।

हालाँकि, यदि यह सनसनीखेज बनाने, रेटिंग बढ़ाने या व्यक्तिगत द्वेष के लिए किया जाए, तो यह गलत हो जाता है। इससे अफवाहें फैलती हैं, लोगों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचता है और समाज में अविश्वास बढ़ता है। इसलिए, दोषों का पर्दाफ़ाश करते समय जिम्मेदारी, नैतिकता और सत्य का ध्यान रखना आवश्यक है। सही उद्देश्य और तरीके से किया गया पर्दाफ़ाश ही सार्थक होता है।

कारण बताइए क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – ”ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।”परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

  1. ”सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” …..
  2. ”झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” …..
  3. ”हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” …..

उत्तर 1: “सच्चाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।”
परिणाम: सत्य की अहमियत कम हो जाएगी, लोग अपने स्वार्थ के लिए झूठ और धोखे का सहारा लेंगे, समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा, और ईमानदार लोगों का हतोत्साहन होगा।

“झूठ और फरेब का रोज़गार करने वाले फल-फूल रहे हैं।”
परिणाम: बेईमानी को सामाजिक स्वीकृति मिल जाएगी, मेहनत और सच्चाई की कद्र घटेगी, भ्रष्टाचार और अपराध बढ़ेंगे, और लोग नैतिकता छोड़कर सिर्फ सफलता पाने के लिए गलत तरीकों को अपनाने लगेंगे।

“हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।”
परिणाम: अविश्वास का माहौल बनेगा, अच्छे और ईमानदार लोग भी संदेह के घेरे में आएंगे, समाज में निराशा और नकारात्मकता फैलेगी, और सच्चे गुणी लोगों की पहचान मुश्किल हो जाएगी।

दो लेखक और बस यात्रा क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते, तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

उत्तर 1: पहला लेखक—कहिए, कैसे हैं? इतने दिनों तक कहाँ रहे?
दूसरा लेखक—मैं ठीक हूँ। बस, कुछ दिनों के लिए बाहर चला गया था।
पहला लेखक—गया तो मैं भी था, पर ……।
दूसरा लेखक—पर क्या हुआ?
पहला लेखक—एक खटारा बस की सवारी ने सारा मज़ा किरकिरा कर दिया।
दूसरा लेखक—कैसे?
पहला लेखक—उसका कभी पेट्रोल लीक हो गया, तो कभी टायर फट गया। दो घंटे की यात्रा में पाँच घंटे लग गए।
दूसरा लेखक—मैं भी जिस बस में गया था, वह भी रास्ते में खराब हो गई थी। दूसरी बस आई, तो घर पहुँचे।
दोनों लेखक (एक साथ)—चलो अच्छा है, सही सलामत आ तो गए।

सार्थक शीर्षक क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

उत्तर 1: लेखक ने इस लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ उचित रखा है। आजकल हम अराजकता की जो घटनाऍ अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। जिससे हमारे मन में निराशा भर जाती है। लेकिन लेखक हमें उस समय समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके कार्यों को याद करने कहा हैं जिससे हम निराश न हो।

प्रश्न 2: यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्नों लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। — , । . !? . ; – , …. ।

उत्तर 2: यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए, तो मैं ‘?’ का चिह्न लगाऊँगा। ‘क्या निराश हुआ जाए’ में एक प्रश्न उठता है, कि जीवन में सहसा ऐसा क्या हो गया है जिससे जीवन में निराश होना पड़े अथवा यह भी कह सकते हैं कि ऐसा वातावरण बन गया हो और कोई पूछ रहा हो कि क्या इस समय हमें निराश होना चाहिए। अत: ‘?’ (प्रश्नवाचक) विराम चिह्न यहाँ उपयुक्त जान पड़ता है।

प्रश्न 3: ”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है, पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर 3: ”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” – मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो की राह पर चलता है तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है।

सपनों का भारत क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: “हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।”
आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

उत्तर 1: हमारे महापुरुषों के सपनों के भारत की संस्कृति महान थी। उनके सपनों का भारत सभ्य लोगों का ऐसा समाज था, जिसमें किसी प्रकार का छल, कपट, भ्रष्टाचार और लूटपाट नहीं थी। उन्होंने ऐसे भारत का सपना देखा था, जिसमें सभी मिल-जुलकर रहें। सभी ईमानदारी और सच्चाई से अपना जीवनयापन करें। उनका सपना था कि भारत में आर्य और द्रविड़, हिंदू और मुसलमान, यूरोपीय और भारतीय समाज के आदर्शों का मिलन होगा। हमारे महापुरुष भारत के रूप में एक महान एवं आदर्श देश का सपना देखते थे।

प्रश्न 2: आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।

उत्तर 2: मेरे सपनों का भारत वह देश होगा जहाँ हर नागरिक को समान अवसर मिले और समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक न्याय की बुनियाद मजबूत हो। यहाँ विविधता में एकता का संदेश स्पष्ट रूप से देखा जाएगा, जहाँ विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं के लोग प्रेम, सम्मान और सहयोग की भावना से एक-दूसरे का साथ देंगे।

यह भारत आधुनिकता और परंपरा का संतुलित मिश्रण होगा, जहाँ तकनीकी उन्नति और नवाचार के साथ-साथ पारंपरिक मूल्यों का भी आदर किया जाएगा। भ्रष्टाचार, असमानता और अन्याय की जगह पारदर्शिता, नैतिकता और सहयोग का वास होगा, जिससे हर व्यक्ति को आत्म-सम्मान और गर्व का अनुभव हो। मेरे सपनों का भारत एक ऐसा उज्जवल भविष्य होगा जहाँ युवा पीढ़ी अपने सपनों को हकीकत में बदलते हुए राष्ट्र की प्रगति में अपना अमूल्य योगदान दे सकेगी।

भाषा की बात क्या निराश हुआ जाए प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे – चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।
‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर 1:

सुख और दुखसुख-दुख
भूख और प्यासभूख-प्यास
हँसना और रोनाहँसना-रोना
आते और जातेआते-जाते
राजा और रानीराजा-रानी
चाचा और चाचीचाचा-चाची
सच्चा और झूठासच्चा-झूठा
पाना और खोनापाना-खोना
पाप और पुण्यपाप-पुण्य
स्त्री और पुरूषस्त्री-पुरूष
राम और सीताराम-सीता
आना और जानाआना-जाना

प्रश्न 2: पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर 2: जातिवाचक संज्ञा : बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर,
हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि।
भाववाचक संज्ञा : ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।

यह भी देखें ✯ कक्षा 8

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