Class 8 History chapter 2 question answer in hindi व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है

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कक्षा 8 इतिहास पाठ 2 प्रश्न उत्तर: व्यापार से साम्राज्य तक class 8 प्रश्न उत्तर

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ClassClass 8
Subjectइतिहास
ChapterChapter 2
Chapter Nameव्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है प्रश्न उत्तर
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

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फिर से याद करें कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 2 के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1: निम्नलिखित से जोड़े बनाएँ – 

दीवानीटीपू सुल्तान
“शेर-ए-मैसूर”भूराजस्व वसूल करने का अधिकार
रानी चेन्नम्मासिपॉय
सिपाहीभारत का पहला गवर्नर – जनरल
वॉरेन हेस्टिंग्सकित्तूर में अंग्रेज – विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया

उत्तर 1:

दीवानीभूराजस्व वसूल करने का अधिकार
“शेर-ए-मैसूर”टीपू सुल्तान
रानी चेन्नम्माकित्तूर में अंग्रेज – विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया
सिपाहीसिपॉय
वॉरेन हेस्टिंग्सभारत का पहला गवर्नर – जनरल

प्रश्न 2: रिक्त स्थान भरें –
(क) बंगाल पर अंग्रेजों की जीत …………… की जंग से शुरू हुई थी।
(ख) हैदर अली और टीपू सुल्तान ………… के शासक थे।
(ग) डलहौजी ने ………… का सिद्धांत लागु किया।
(घ) मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के ………… भाग में स्थित थी।

उत्तर 2: (क) बंगाल पर अंग्रेजों की जीत प्लासी की जंग से शुरू हुई थी।
(ख) हैदर अली और टीपू सुल्तान मैसूर के शासक थे।
(ग) डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत लागू किया।
(घ) मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के दक्षिण-पश्चिम भाग भाग में स्थित थी।

प्रश्न 3: सही या गलत बताएँ –
(क) मुग़ल साम्राज्य अठारहवीं सदी में मजबूत होता गया।
(ख) इंग्लिश इष्ट इंडिया कंपनी भारत के साथ व्यापार करने वाली एकमात्र यूरोपीय कंपनी थी।
(ग) महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के राजा थे।
(घ) अंग्रेजों ने अपने कब्जे वाले इलाकों में कोई शासकीय बदलाव नहीं किए।

उत्तर 3: (क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) गलत

आइए विचार करें कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 2 के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 4: यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ क्यों आकर्षित हो थी ?

उत्तर 4: यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ आकर्षित होने के निम्नलिखित कारण थे:

  1. व्यापारिक संभावनाएँ: यूरोपीय कंपनियों ने भारत के साथ व्यापार में अपार संभावनाएँ देखीं। भारत एक समृद्ध देश था, जहाँ से विभिन्न मूल्यवान वस्तुएँ प्राप्त की जा सकती थीं।
  2. वस्तुओं की माँग: यूरोपीय देशों में भारत की अनेक वस्तुओं की भारी माँग थी, जैसे कपास, रेशम, काली मिर्च, लौंग, इलाइची और दालचीनी आदि। ये वस्तुएँ यूरोप में बहुत लोकप्रिय थीं और उनकी कीमतें वहाँ अधिक थीं।
  3. मुनाफे का अवसर: यूरोपीय कंपनियाँ भारत में कम कीमत पर सामान खरीदकर यूरोप ले जाती थीं और वहाँ ऊँची कीमतों पर बेचती थीं। इससे उन्हें भारी मुनाफा होता था।

इन्हीं व्यापारिक संभावनाओं और आर्थिक लाभ के कारण यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की ओर आकर्षित हुईं।

प्रश्न 5: बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच किन बातों पर विवाद थे?

उत्तर 5: बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच विवाद के मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे:

  1. रियासत देने से मना करना: बंगाल के नवाबों ने कंपनी को रियासत देने से मना कर दिया।
  2. सिक्के डालने का अधिकार छीना: नवाबों ने कंपनी से सिक्के डालने का अधिकार भी छीन लिया।
  3. किले-बंदी पर रोक: नवाबों ने कंपनी की किले-बंदी बढ़ाने पर रोक लगा दी।
  4. टैक्स न चुकाना: ईस्ट इंडिया कंपनी टैक्स चुकाने को तैयार नहीं थी।
  5. अपमानजनक पत्र: अंग्रेजी अफसरों ने नवाबों को अपमानजनक पत्र लिखे।
  6. नवाबों का अपमान: कंपनी ने नवाबों और उनके अधिकारियों को अपमानित करने का प्रयास किया।

प्रश्न 6: दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को किस तरह फायदा पहुँचा?

उत्तर 6: ईस्ट इंडिया कंपनी को दीवानी मिलने से कई फायदे हुए:

  • राजस्व अधिकार – बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व व न्यायिक अधिकार) मिलने से कंपनी को कर वसूलने का अधिकार मिला।
  • आर्थिक सशक्तिकरण – भारतीय किसानों और व्यापारियों से कर वसूलकर कंपनी की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई।
  • व्यापार में वृद्धि – राजस्व से सेना और व्यापार का विस्तार करना आसान हुआ।
  • राजनीतिक शक्ति – भारतीय प्रशासन पर नियंत्रण बढ़ा, जिससे ब्रिटिश सत्ता की जड़ें मजबूत हुईं।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण – स्थानीय उद्योगों को कमजोर कर ब्रिटिश उत्पादों के लिए बाजार तैयार किया।
  • न्यायिक अधिकार – कंपनी को भारतीय प्रशासन और न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप करने का अवसर मिला।
  • ब्रिटिश शासन की नींव – दीवानी मिलने के बाद ब्रिटिश शासन का मार्ग प्रशस्त हुआ और 1858 तक पूरा नियंत्रण स्थापित हो गया।

प्रश्न 7: “सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।

उत्तर 7: सहायक संधि लॉर्ड वेलेजली ने 1798 में ब्रिटिश सत्ता को भारत में विस्तार देने के लिए लागू की थी। इसके तहत भारतीय शासकों को ब्रिटिश सेना रखने के लिए सहमत होना पड़ता था और बदले में उन्हें सुरक्षा देने का वादा किया जाता था। संधि के अनुसार, शासक किसी अन्य विदेशी शक्ति से संधि नहीं कर सकते थे और एक ब्रिटिश रेजिडेंट (राजनयिक) को अपने दरबार में रखना अनिवार्य था। बदले में, शासकों को भारी कर देना पड़ता था या अपनी कुछ जमीनें कंपनी को सौंपनी पड़ती थीं। इस नीति से भारतीय रियासतें ब्रिटिश नियंत्रण में आ गईं, जिससे कंपनी का राजनीतिक व आर्थिक वर्चस्व बढ़ा। हैदराबाद, मैसूर, अवध और मराठा राज्य इसके प्रमुख शिकार बने।

प्रश्न 8: कंपनी का शासन भारतीय राजाओं के शासन से किस तरह अलग था?

उत्तर 8: भारतीय राजाओं के शासन और कंपनी के शासन में अंतर-

भारतीय राजाओं ने अपने राज्य का प्रशासनिक तथा राजस्व विभाजन विभिन्न इकाइयों में कर रखा था; परंतु ये इकाइयाँ ब्रिटिश-प्रशासनिक एवं राजस्व इकाइयों की तरह प्रभावी नहीं थी। कंपनी ने प्रेजिडेंसी के रूप में एक नई प्रशासनिक इकाई बनाई थी जिसका शासन गर्वनर के पास होता था।

कंपनी द्वारा पुलिस तथा राजस्व व्यवस्था में काफी सुधार किया गया था, जबकि भारतीय शासकों द्वारा पुलिस तथा राजस्व व्यवस्था को सुधारने के लिए किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं किया गया।

भारतीय राजाओं के शासन में न्यायिक व्यवस्था प्रभावी नहीं थी। एक ही तरह की अदालत दीवानी तथा फौजदारी दोनों तरह के मुकदमों की सुनवाई करती थी, जबकि अंग्रेजों ने एक आधुनिक एवं विकसित न्यायिक व्यवस्था स्थापित की थी प्रत्येक जिले में अलग-अलग दीवानी व फौजदारी अदालतें स्थापित की गई थी।

प्रश्न 9: कंपनी की सेना की संरचना में आए बदलावों का वर्णन करें।

उत्तर 9: कंपनी की सेना में आए संरचनात्मक बदलाव

  • कंपनी ने पैदल और घुड़सवार सिपाहियों की जगह पेशेवर सैनिकों की भर्ती की।
  • कंपनी ने सैनिकों को यूरोपीय शैली में नई युद्ध तकनीक से प्रशिक्षित किया।
  • कंपनी ने अपने सैनिकों को आधुनिक हथियारों, जैसे – मस्केट तथा मैचलॉक आदि से लैस किया गया।
  • कंपनी ने सेना में यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी तथा सेना के महत्त्वपूर्ण स्थान; जैसे – तोपखाना, टैंक इत्यादि पर यूरोपीय सैनिकों को नियुक्त किया गया।
  • सेना में यह भावना जगाई कि उनका कोई धर्म जाति, नहीं है वह केवल सैनिक है ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादारी रखना उनका कर्तव्य है।

आइए करके देखें। कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 2 के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 10: बंगाल में अंग्रेजों की जीत के बाद कलकत्ता एक छोटे से गाँव से बड़े शहर में तब्दील हो गया। औपनिवेशिक काल के दौरान शहर के यूरोपीय और भारतीय निवासियों की संस्कृति, शिल्प और जीवन के बारे में पता लगाएँ।

उत्तर 10: औपनिवेशिक काल के दौरान शहर के यूरोपीय और भारतीय निवासियों की संस्कृति, शिल्प और जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए-

औपनिवेशिक शासन के दौरान कलकत्ता कई शानदार इमारतों का साक्षी बना। इसमें मिस्री रोमन, प्राच्य तथा भारतीय मुसलिम कलाकृतियों का उपयोग किया गया। भारतीय संग्रहालय विक्टेरिया मेमोरियल इत्यादि इसके कुछ उदाहरण हैं।

औपनिवेशिक काल में कलकत्ता एक प्रशासनिक केंद्र बन गया था। यूरोपीय लोग उच्च स्तरीय सुविधाओं से पूर्ण क्षेत्रों में रहते थे, जबकि भारतीय लोग अनियोजित सघन तथा सुविधाहीन क्षेत्रों में रहने को मजबूर थे।

कलकत्ता का विकास भारत के प्रमुख सांस्कृतिक रंगमंच केंद्र के रूप में हुआ था। नाटक, सामूहिक रंगमंच भारतीय शास्त्रीय संगीत, धार्मिक तथा सांस्कृतिक उत्सवों आदि में लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते थे।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किसी के बारे में तसवीरें, कहानियाँ, कविताएँ और जानकारियाँ इकट्ठा करें – झाँसी की रानी, महादजी सिंधिया, हैदर अली, महाराजा रणजीत सिंह, लॉर्ड डलहौजी या आपके इलाके का कोई पुराना शासक।

उत्तर 11: संक्षिप्त जानकारी: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई

  • जन्म: 19 नवंबर 1828, काशी (वाराणसी)
  • विवाह: महाराजा गंगाधर राव से (झाँसी की रानी बनीं)
  • संघर्ष: 1857 के विद्रोह में वीरता से ब्रिटिश सेना से लड़ीं
  • बलिदान: 18 जून 1858, ग्वालियर में वीरगति प्राप्त

कविता (सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रसिद्ध पंक्तियाँ)

“खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।”

संक्षिप्त कहानी:

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ वीरतापूर्वक संघर्ष किया। बेटे दामोदर राव को पीठ पर बाँधकर उन्होंने युद्ध किया और अंतिम समय तक हार नहीं मानी।

चित्र:

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