कक्षा 8 इतिहास पाठ 8 प्रश्न उत्तर: राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन 1870 के दशक से 1947 तक Class 8 question answer
Textbook | Ncert |
Class | Class 8 |
Subject | इतिहास |
Chapter | Chapter 8 |
Chapter Name | राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन 1870 के दशक से 1947 तक प्रश्न उत्तर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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फिर से याद करें कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 8 के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: 1870 और 1880 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से क्यों असंतुष्ट थे?
उत्तर 1: 1870 और 1880 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से असंतुष्ट थे क्योंकि उनकी नीतियाँ आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक शोषण का कारण थीं। भारी करों और भूमि नीतियों से किसान कर्ज में डूब गए, जबकि भारतीय उद्योग नष्ट कर दिए गए। सरकार में भारतीयों की भागीदारी नहीं थी, जिससे शिक्षित वर्ग में असंतोष बढ़ा। 1878 का वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट और आर्म्स एक्ट दमनकारी थे, जबकि इल्बर्ट बिल विवाद ने भेदभाव को उजागर किया। इस दौरान बढ़ती गरीबी, भेदभाव और दमनकारी नीतियों ने राष्ट्रीय चेतना को जन्म दिया, जिससे भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना प्रबल हुई।
प्रश्न 2: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किन लोगों के पक्ष में बोल रही थी?
उत्तर 2: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मुख्य रूप से शिक्षित मध्यम वर्ग, वकीलों, डॉक्टरों, पत्रकारों और व्यापारियों के हितों का प्रतिनिधित्व कर रही थी। कांग्रेस ब्रिटिश सरकार से प्रशासनिक सुधार, भारतीयों को अधिक सरकारी नौकरियों में स्थान, न्यायिक समानता और नागरिक अधिकारों की मांग कर रही थी। हालांकि, इस दौर में कांग्रेस किसानों और श्रमिकों के मुद्दों पर उतनी मुखर नहीं थी, लेकिन यह धीरे-धीरे राष्ट्रवादी चेतना को बढ़ावा देने का कार्य कर रही थी।
प्रश्न 3: पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौन से आर्थिक असर पड़े?
उत्तर 3: पहले विश्व युद्ध से भारत पर पड़े आर्थिक प्रभाव:
- करों और कीमतों में वृद्धि – युद्ध खर्च पूरा करने के लिए भारी कर लगाए गए, जिससे महंगाई बढ़ गई।
- आपूर्ति की कमी – खाद्यान्न, कपड़ा और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई, जिससे आम लोगों को कठिनाइयाँ हुईं।
- भारतीय उद्योगों को बढ़ावा – ब्रिटिश आपूर्ति बाधित होने से भारतीय कपड़ा और लोहा उद्योग को कुछ लाभ हुआ।
- कृषि संकट – किसानों से जबरन अनाज लिया गया, जिससे कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- बेरोजगारी और गरीबी – युद्ध के कारण कई लोग बेरोजगार हुए, जिससे आर्थिक असमानता बढ़ी।
- ब्रिटिश सरकार पर निर्भरता – भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटिश युद्ध प्रयासों का हिस्सा बन गई, जिससे स्वदेशी उद्योगों पर दबाव बढ़ा।
प्रश्न 4: 1940 के मुसलिम लीग के प्रस्ताव में क्या माँग की गई थी?
उत्तर 4: 1940 में मुसलिम लीग की माँग-1940 के मुसलिम लीग के प्रस्ताव में देश के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी भागों में मुसलिमों के लिए स्वतंत्र राज्यों की माँग की गयी। इस प्रस्ताव में विभाजन या पाकिस्तान का जिक्र नहीं था।
आइए विचार करें कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 8 के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 5: मध्यमार्गी कौन थे? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे?
उत्तर 5: मध्यमार्गी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शुरुआती नेताओं का वह समूह था जो संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीकों से ब्रिटिश सरकार से सुधारों की मांग करता था। वे शिक्षित, उदारवादी और संवैधानिक सुधारों में विश्वास रखने वाले नेता थे। उनके प्रमुख नेता दादा भाई नैरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, सुरेंद्रनाथ बनर्जी आदि थे।
मध्यमार्गी अहिंसक और संवैधानिक तरीकों से संघर्ष करना चाहते थे। वे प्रार्थना, याचिका और बहस के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को भारतीयों के प्रति न्यायपूर्ण नीति अपनाने के लिए मनाने में विश्वास रखते थे। वे प्रशासनिक सुधार, भारतीयों को सरकारी नौकरियों में अधिक अवसर, व्यापार में स्वतंत्रता और शिक्षा के प्रचार-प्रसार की मांग कर रहे थे।
प्रश्न 6: कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से किस तरह भिन्न थी?
उत्तर 6: अंतर-
- नरमपंथी प्रार्थनाओं, अपीलों और याचिकाओं में विश्वास करते थे, जबकि गरमपंथी उनके इस तरीके के विरोधी थे।
- नरमपंथी संघर्ष में शांतिपूर्ण तरीकों को प्रयोग करना चाहते थे, जबकि गरमपंथी उग्र एवं क्रांतिकारी तरीका अपनाना चाहते थे।
- नरमपंथी यह मानते थे कि सरकार उनकी न्यायसंगत माँगों को मान लेगी, जबकि गरमपंथी सोचते थे कि बिना किसी दबाव अंग्रेज़ उनकी माँग नहीं मानेंगे।
प्रश्न 7: चर्चा करें कि भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आंदोलन ने किस-किस तरह के रूप ग्रहण किए? लोग गांधीजी के बारे में क्या समझते थे?
उत्तर 7: असहयोग आंदोलन के कारण-
- खेड़ा (गुजरात) में पाटीदार किसानों ने अंग्रेजों द्वारा थोप दिए गए भारी लगान के खिलाफ अहिंसक आंदोलन किया।
- तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भीतरी भागों में शराब की दुकानों की घेराबंदी की गयी।
- आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में आदिवासी और गरीब किसानों का विरोध औपनिवेशिक सरकार के वन-संसाधनों पर उनके अधिकारों को बहुत सीमित करने के लिए था।
- पंजाब में सिखों के अकाली आंदोलन अपने गुरुद्वारों के भ्रष्ट महंतों को हटाने के लिए था।
- असम में चाय बागान मजदूरों ने अपनी तनख्वाह में बढ़ोत्तरी के लिए आंदोलन चलाया।
- लोग गांधीजी को एक तरह का मसीहा, एक ऐसा व्यक्ति मानते थे जो उन्हें मुसीबतों और गरीबी से छुटकारा दिला सकता है।
प्रश्न 8: गांधीजी के नमक कानून तोड़ने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर 8: उस समय नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार का एकाधिकार था। नमक एक ऐसा वस्तु है जो देश के अमीर और गरीब समान रूप से उपयोग करते हैं। यह लोगों के आम जिंदगी से जुड़ा हुआ मुद्दा है। गांधीजी और अन्य राष्ट्रवादियों का मानना था कि नमक पर टैक्स वसूलना पाप है क्योंकि यह हमारे भोजन का बुनियादी हिस्सा होता है। गांधीजी को भरोसा था कि ऐसे मुद्दे के साथ देश का सभी तबका उनके आन्दोलन के साथ जुड़ जाएगा। यदि कारण है कि गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला लिया।
प्रश्न 9: 1937-47 की उन घटनाओं पर चर्चा करें जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ?
उत्तर 9: पाकिस्तान का जन्म-
- 1937 में मुसलिम लीग संयुक्त प्रांत में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहती थी, परंतु कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, जिससे दोनों के बीच मतभेद गहरे हो गए।
- 1940 में मुसलिम लीग ने देश के पश्चिमोत्तर तथा पूर्वी क्षेत्रों में मुसलमानों के लिए स्वतंत्र राज्यों की माँग का एक प्रस्ताव पारित किया।
- 1946 के प्रांतीय चुनावी लीग को मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर अत्यधिक सफलता मिली। इससे लीग ‘पाकिस्तान’ की माँग पर कायम रही।
- मार्च 1946 कैबिनेट मिशन की विफलता के बाद लीग ने पाकिस्तान की अपनी माँग मनवाने के लिए 16 अप्रैल, 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाई दिवस’ मनाने का आह्वान किया गया।
- इसी दिन कलकत्ता में दंगे भड़क उठे और मार्च, 1947 तक हिंसा उत्तरी भारत के विभिन्न भागों में फैल गई और इसके बाद विभाजन का परिणाम सामने आया एक नए देश पाकिस्तान का जन्म हुआ।
आइए करके देखें। कक्षा 8 हमारे अतीत पाठ 8 के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 10: पता लगाएँ कि आपके शहर, ज़िले, इलाके या राज्य में राष्ट्रीय आंदोलन किस तरह आयोजित किया गया। किन लोगों ने उसमें हिस्सा लिया और किन लोगों ने उसका नेतृत्व किया? आपके इलाके में आंदोलन को कौन सी सफलताएँ मिलीं?
उत्तर 10: उत्तर प्रदेश ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ विभिन्न आंदोलनों का आयोजन हुआ और अनेक व्यक्तियों ने इसमें सक्रिय भाग लिया।
राष्ट्रीय आंदोलन का आयोजन:
- 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम: मेरठ से प्रारंभ होकर यह विद्रोह पूरे उत्तर प्रदेश में फैल गया। मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई (वाराणसी), और बख्त खान (बिजनौर) जैसे वीरों ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई।
- असहयोग आंदोलन (1920-22): महात्मा गांधी के नेतृत्व में, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन आयोजित किया गया।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): इस आंदोलन के दौरान, बलिया जिले ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया था, जिसे ‘बागी बलिया’ कहा गया।
प्रमुख नेता और सहभागिता:
- पंडित जवाहरलाल नेहरू: इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे।
- राम प्रसाद बिस्मिल: शाहजहांपुर के निवासी, बिस्मिल ने काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- चंद्रशेखर आजाद: भाँवरा में जन्मे आजाद का क्रांतिकारी कार्य उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहा।
आंदोलन की सफलताएँ:
- स्वदेशी आंदोलन: ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार कर स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया।
- किसान आंदोलन: प्रयागराज और अवध क्षेत्रों में किसानों ने जमींदारी प्रथा के खिलाफ संघर्ष किया, जिससे उनके अधिकारों में सुधार हुआ।
- शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) जैसे संस्थानों की स्थापना हुई, जो राष्ट्रीय चेतना के केंद्र बने।
प्रश्न 11: राष्ट्रीय आंदोलन के किन्हीं दो सहभागियों या नेताओं के जीवन और कृतित्व के बारे में और पता लगाएँ तथा उनके बारे में एक संक्षिप्त निबंध लिखें। आप किसी ऐसे व्यक्ति को भी चुन सकते हैं, जिसका इस अध्याय में ज़िक्र नहीं आया है।
उत्तर 11: वीर कुंवर सिंह- (1777-1858) बिहार राज्य में आरा के निकट जगदीशपुर के एक जमींदार थे। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 80 वर्ष की आयु में उन्होंने दानापुर में संग्राम की कमान सँभाली और दो दिन बाद आरा पर कब्जा कर दिया। 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर के निकट लड़े गए अपने अंतिम युद्ध में उन्होंने कैप्टन लि ग्रैंड की सेना को हराया था। 26 अप्रैल, 1958 को अपने गाँव में उनकी मृत्यु हो गयी।
सरोजिनी नायडू- भारत कोकिला सरोजिनी नायडू (13 फरवरी, 1879-2 मार्च, 1949) एक विशिष्ट कवयित्री और अपने समय की महान वक्ताओं में से थी। 1898 में उनका विवाह गोविन्द राजुलु नायडू से हुआ जो पेशे से डॉक्टर थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कानपुर अधिवेशन की अध्यक्षता की। नमक सत्याग्रह एवं उसके बाद के अन्य संघर्षों में उनकी अग्रणी भूमिका रही। वह कई वर्षों तक राष्ट्रीय महिला सम्मेलन की अध्यक्षा रहीं तथा इससे जुड़े स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देती रहीं। वह 1947 में यूनाइटेड प्रॉविंस (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की गवर्नर नियुक्त होने वाली प्रथम महिला थीं।