कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 10 नोट्स: ध्वनि class 8 notes
Textbook | Ncert |
Class | Class 8 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter Name | ध्वनि notes |
Medium | Hindi |
क्या आप Class 8 Science chapter 10 notes in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से ध्वनि notes download कर सकते हैं। इस अध्याय में हम ध्वनि की उत्पत्ति, उसकी गति, गुण, तथा मानव कान की कार्यप्रणाली के बारे में पढ़ते हैं।
ध्वनि :-
🔹 ध्वनि किसी वस्तु के कंपन से उत्पन्न होती है। जब कोई वस्तु कंपन करती है, तो वह अपने आसपास के कणों को भी हिलाती है, जिससे ध्वनि तरंगें उत्पन्न होती हैं। इन तरंगों को सुनने के लिए एक माध्यम (जैसे वायु, जल, या ठोस पदार्थ) की आवश्यकता होती है। बिना माध्यम के, जैसे कि निर्वात में, ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं पहुँच सकती।
🔹 हवा में ध्वनि की गति लगभग 342 मीटर प्रति सेकंड (m/s) होती है। यह गति माध्यम पर निर्भर करती है — ठोस में यह सबसे अधिक होती है, द्रव में उससे कम और गैस में सबसे कम।
ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता :-
🔹 हम जानते हैं कि कंपायमान वस्तुएँ (जो कंपन करती हैं) ध्वनि उत्पन्न कर सकती हैं।उत्पन्न ध्वनि माध्यम के माध्यम से सभी दिशाओं में फैल सकती है। ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम का होना आवश्यक है; बिना माध्यम के ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती। यह माध्यम ठोस (Solid), द्रव (Liquid), या गैस (Gas) — कोई भी हो सकता है।
माध्यम के प्रकार :-
🔹 ध्वनि को एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए माध्यम की जरूरत होती है। माध्यम तीन प्रकार के होते हैं।
- ठोस :- जैसे- धातु, लकड़ी, दीवार आदि। ठोस माध्यमों में कण आपस में सघन होते हैं, इसलिए ध्वनि सबसे तेज गति से यात्रा करती है।
- द्रव :- जैसे- पानी, तेल आदि। इनमें कणों की दूरी ठोस की तुलना में अधिक होती है, इसलिए ध्वनि की गति थोड़ी धीमी होती है।
- गैस :- जैसे- वायु। गैसों में कणों के बीच दूरी सबसे अधिक होती है, इसलिए इनमें ध्वनि की गति सबसे कम होती है।
कंपन :-
🔹 किसी वस्तु की अपनी माध्य स्थिति के इधर-उधर या आगे पीछे होने वाली गति को कंपन कहते हैं।
मनुष्यों द्वारा उत्पन्न ध्वनि :-
- मनुष्य में ध्वनि वाकयंत्र या कंठ द्वारा उत्पन्न होती है। वाकयंत्र श्वासनली के ऊपरी सिरे पर स्थित होता है।
- यह एक कठोर उभार के रूप में महसूस किया जा सकता है, जो निगलते समय ऊपर-नीचे होता है।
- वाकयंत्र में दो वाक्-तंतु होते हैं, जो इस प्रकार ताने होते हैं कि उनके बीच एक संकीर्ण झिरी बनती है।
- जब हम बोलते या गाते हैं, तो वायु इन वाक्-तंतुओं के बीच से गुजरती है, जिससे वे कंपन करते हैं और ध्वनि उत्पन्न होती है।
हम ध्वनि कैसे सुनते हैं :-
🔹 हम ध्वनि को अपने कानों द्वारा सुनते हैं:
- कान का बाहरी भाग कीप के आकार का होता है, जो ध्वनि को एकत्र करता है।
- ध्वनि एक नलिका से होकर गुजरती है, जिसके अंत में एक पतली तानित झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटह कहते हैं।
- कर्ण पटह ध्वनि तरंगों के कंपन से कंपनित होता है।
- कर्ण पटह कंपनों को आंतर कर्ण तक भेज देता है। वहाँ से संकेतों को मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है। इस प्रकार हम ध्वनि को सुनते हैं।
दोलन गति :-
🔹 किसी वस्तु का बार-बार इधर-उधर गति करना कंपन कहलाता है। इस गति को दोलन गति भी कहते हैं
आवृत्ति :-
🔹 प्रति सेकंड होने वाले दोलनों की संख्या को दोलन की आवृत्ति कहते हैं। आवृत्ति को हर्ज में मापा जाता है। इसका संकेत Hz है। । Hz आवृत्ति एक दोलन प्रति सेकंड के बराबर होती है।
ध्वनि की प्रबलता :-
🔹 ध्वनि की प्रबलता ध्वनि उत्पन्न करने वाले कम्पनों के आयाम के वर्ग के समानुपातिक होती है। उदाहरण के लिए, कंपन का आयाम जितना अधिक होता है, ध्वनि उतनी ही प्रबल होती है। कंपन की आवृत्ति अधिक होने पर तारत्व अधिक होता है और ध्वनि अधिक तीक्ष्ण होती है। प्रबलता को डेसिबल (dB) मात्रक में व्यक्त करते हैं।
तारत्व :-
🔹 ध्वनि की तीव्रता या ऊँचाई को तारत्व कहते हैं। यह ध्वनि की आवृत्ति पर निर्भर करता है।
ध्वनि के प्रकार :-
🔹 ध्वनि के तीन प्रकार है।
🔸 श्रव्य तरंगें: वे ध्वनि तरंगें जिन्हें मनुष्य सुन सकता है। इनकी आवृत्ति 20 Hz से 20,000 Hz के बीच होती है।
🔸 अवश्रव्य तरंगें: वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20 Hz से कम होती है और जिन्हें मनुष्य नहीं सुन सकता। गाय, हाथी जैसे जानवर इन्हें सुन सकते हैं।
🔸 पराश्रव्य तरंगें: वे तरंगें जिनकी आवृत्ति 20,000 Hz से अधिक होती है और ये भी मनुष्य के लिए अश्रव्य होती हैं। इन्हें कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़, डॉल्फ़िन, चूहे आदि सुन सकते हैं।
शोर :-
🔹 जब ध्वनि इतनी अधिक, अव्यवस्थित और असहज हो कि वह सुनने में परेशान करे, तो ऐसी ध्वनि को शोर कहते हैं।
- उदाहरण:
- सड़क पर गाड़ियों का हंगामा
- जोर-जोर से बजने वाला ट्रैफिक हॉर्न
- कारखाने में मशीनों की आवाज़
- जोर से चिल्लाना या भीड़-भाड़ वाली जगह की आवाज़
सुस्वर ध्वनि :-
🔹 सुस्वर ध्वनि वह साफ, मधुर और स्पष्ट ध्वनि होती है जिसे सुनना कानों को सुखद लगता है। यह ध्वनि आमतौर पर सुव्यवस्थित और संतुलित कंपन से उत्पन्न होती है।
- उदाहरण:
- पियानो या सतरंगी संगीत के सुर
- पक्षियों का मधुर गीत
- घंटी की आवाज़
ध्वनि प्रदूषण :-
🔹 वातावरण में अत्यधिक या अवांछित ध्वनियों को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के नुकसान :-
- सुनने की क्षमता में कमी
- तनाव, चिड़चिड़ापन और नींद की समस्या
- रक्तचाप और हृदय रोग का खतरा बढ़ना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण कम करने के उपाय :-
- शोरगुल वाले उपकरणों का कम उपयोग करें।
- वाहन चालकों को हॉर्न का सही उपयोग करना चाहिए।
- कारखानों और निर्माण कार्यों में ध्वनि नियंत्रण उपकरण लगाएं।
- आवाज़ कम करने वाले उपकरणों या बफर ज़ोन (हरियाली) बनाएं।
- सार्वजनिक स्थानों पर शांति बनाए रखें और नियमों का पालन करें।
- अपने आसपास के लोगों को ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करें।