कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 12 नोट्स: कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ class 8 notes
| Textbook | Ncert |
| Class | Class 8 |
| Subject | Science |
| Chapter | Chapter 12 |
| Chapter Name | कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ notes |
| Medium | Hindi |
क्या आप Class 8 Science chapter 12 notes in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ notes download कर सकते हैं। इस अध्याय में हम प्रकृति में घटित होने वाली कुछ सामान्य लेकिन प्रभावशाली घटनाओं के बारे में पढ़ेंगे, जैसे तड़ित, और इनसे कैसे सुरक्षा की जाए। हम जानेंगे कि बिजली कैसे उत्पन्न होती है, इसे मापने वाले उपकरण कौन-कौन से हैं और भूकंप के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए।
प्राकृतिक परिघटनाएँ :-
🔹 प्राकृतिक परिघटनाएँ वे घटनाएँ होती हैं जो प्रकृति में अपने आप घटित होती हैं, जिनके लिए मनुष्य जिम्मेदार नहीं होता। ये घटनाएँ प्राकृतिक कारणों से होती हैं और इनका प्रभाव हमारे वातावरण, जीवन और पृथ्वी पर पड़ता है।” उदाहरण: भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, तूफ़ान, बाढ़, सूखा, बिजली गिरना, सुनामी, हिमपात
चिंगारियाँ और यूनानी ज्ञान :-
🔹 प्राचीन यूनानी ज्ञान (600 ई.पू. से पहले):- यूनानी यह जानते थे कि अगर ऐंबर को फर से रगड़ा जाए, तो वह हल्की वस्तुओं (जैसे सूखे पत्ते या कागज़ के टुकड़े) को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह स्थैतिक विद्युत का पहला प्रेक्षण था।
🔹 बेन्जामिन फ्रैंकलिन का प्रयोग (1752):- सन 1752 में अमेरिकी वैज्ञानिक बेन्जामिन फ्रेंकलिन ने यह दर्शाया कि तड़ित तथा आपके वस्त्रों में उत्पन्न चिंगारी वास्तव में एक ही परिघटना है। जो कि आवेश अर्जित करने से होती है।
आवेशित वस्तुएँ और उनकी प्रक्रिया:
🔹 जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ा जाता है, तो एक वस्तु से इलेक्ट्रॉन निकलकर दूसरी वस्तु में चले जाते हैं। इससे दोनों वस्तुएँ विद्युत आवेश अर्जित कर लेती हैं — एक पर धनात्मक और दूसरी पर ऋणात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है।
🔸 उदाहरण 1: जब प्लास्टिक की रिफिल को पॉलिथीन से रगड़ा जाता है, तो रिफिल कुछ विद्युत आवेश अर्जित कर लेती है। इसी प्रकार, पॉलिथीन भी आवेशित हो जाती है। इन दोनों को अब हम “आवेशित वस्तुएँ” कहते हैं।
🔸 उदाहरण 2: जब प्लास्टिक की कंघी को सूखे बालों से रगड़ा जाता है, कंघी ऋणात्मक आवेश अर्जित कर लेती है (इलेक्ट्रॉन प्राप्त करती है)। बाल धनात्मक रूप से आवेशित हो जाते हैं (इलेक्ट्रॉन खो देते हैं)। इसका परिणाम: कंघी छोटी कागज़ की वस्तुओं को आकर्षित करने लगती है।
आवेश :-
🔹 आवेश वह शक्ति है जो किसी वस्तु को विद्युत रूप से आकर्षित या विकर्षित कर सकती है। आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- धनात्मक आवेश: यह वह आवेश होता है जो इलेक्ट्रॉनों की कमी से उत्पन्न होता है। उदाहरण: कांच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर उस पर धनात्मक आवेश आ जाता है।
- ऋणात्मक आवेश: यह वह आवेश होता है जो इलेक्ट्रॉनों की अधिकता से उत्पन्न होता है। उदाहरण: एबनाइट की छड़ को ऊन से रगड़ने पर उस पर ऋणात्मक आवेश आ जाता है।
विद्युतदर्शी :-
🔹 विद्युतदर्शी एक सरल युक्ति है जिसका उपयोग यह जाँचने के लिए किया जाता है कि कोई वस्तु आवेशित है या नहीं।”
भूसम्पर्कण :-
🔹 किसी आवेशित वस्तु के आवेश को पृथ्वी में स्थनान्तरित करने को भूसम्पर्कण कहते हैं।
तड़ित :-
🔹 “तड़ित एक प्राकृतिक विद्युत परिघटना है, जिसमें बादलों में उपस्थित धनात्मक और ऋणात्मक आवेशों के बीच विद्युत संतुलन बनने के कारण एक तेज़ चमक और आवाज़ के साथ बिजली गिरती है।”
तड़ित से सुरक्षा :-
- तड़ित की आवाज सुनते ही सुरक्षित स्थान पर जाएं।
- पेड़ों के नीचे खड़े न हों।
- घर के अंदर रहें और खिड़कियाँ बंद करें।
- खुले मैदान में हों तो ज़मीन पर बैठ जाएं, लेटें नहीं।
- पानी से दूर रहें (तालाब, नदी, नल आदि)।
- धातु की चीज़ों से दूर रहें।
- मोबाइल, टीवी, बिजली के उपकरणों का उपयोग न करें।
- वाहन में छत हो तो उसमें ही रहें, बाहर न निकलें।
- बिजली गिरने के बाद कुछ समय तक सावधान रहें।
विद्युत विसर्जन :-
🔹 जब संचित आवेशों का परिमाण अत्यधिक हो जाता है। तो वायु जो विद्युत की हीन चालक है। आवेशों के प्रवाह को नहीं रोक पाती। ऋणात्मक तथा धनात्मक आवेश मिलते है। और प्रकाश की चमकीली धारियाँ तथा ध्वनि उत्पन्न होती है। इसे हम तहित के रूप में देखते है। इस प्रक्रिया को विद्युत विसर्जन कहते है।
🔹 विद्युत विसर्जन की प्रक्रिया दी अथवा अधिक बादलों के बीच, अथवा बादलों तथा पृथ्वी के बीच हो सकती है।
तड़ित चालक :-
🔹 तड़ित चालक एक ऐसी युक्ति है। जिसका उपयोग भवनों को तडित के प्रभाव से बचाने के लिए किया जाता है। किसी भवन के निर्माण के समय उसकी दीवारों में उस भवन की ऊंचाई पर अधिक लम्बाई की धातु की एक छड़ स्थापित कर दी जाती है।
भूकम्प :-
🔹 भूकम्प पृथ्वी की सतह का वह अचानक और तीव्र कंपन (हिलना) है, जो पृथ्वी के अंदर चट्टानों के टूटने या खिसकने के कारण उत्पन्न होता है। सरल शब्दों में: “जब पृथ्वी के अंदर ऊर्जा का अचानक विस्फोट होता है, जिससे धरती हिलती है, उसे भूकम्प कहते हैं।”
भूकम्प आने के कारण :-
- प्लेट टेक्टॉनिक्स: पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गति, आपस में टकराना, खिसकना या अलग होना भूकम्प का प्रमुख कारण है।
- ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी के फटने से ज़मीन में तीव्र कंपन होता है जिससे भूकम्प आ सकता है।
- भूमिगत नाभिकीय विस्फोट: मनुष्य द्वारा किए गए गहरे भूमिगत परमाणु परीक्षण भी भूकम्प जैसी हलचल उत्पन्न कर सकते हैं।
- उल्का पिंड का टकराना: कोई भारी उल्का पिंड पृथ्वी से टकराए तो उसके प्रभाव से भी भूकम्प उत्पन्न हो सकता है।
भूकम्प का केंद्र:
🔹 जहाँ चट्टानों में टूटन होती है, उसे भूकम्प का केंद्र कहते हैं। इस केंद्र के ठीक ऊपर धरती की सतह पर स्थित स्थान को उत्केंद्र कहते हैं।
भूकम्प की तीव्रता मापना:
🔹 “किसी भी भूकम्प की तीव्रता को रिक्टर पैमाने पर मापा जाता है।”
भूकम्प की तीव्रता का मापदंड :
- जिन भूकम्पों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4 तक होती है, वे बहुत हल्के भूकम्प होते हैं और आमतौर पर कोई हानि नहीं पहुँचाते।
- लेकिन रिक्टर पैमाने पर 7 से अधिक माप वाले भूकम्प जीवन तथा सम्पत्ति की अपार क्षति कर सकते हैं।
भूकम्पी क्षेत्र :-
🔹 भूकम्प प्लेटों की गतियों के कारण उत्पन्न होते हैं अतः जहाँ प्लेटों की सीमाएँ दुर्बल क्षेत्र होती हैं वहाँ भूकम्प आने की संभावना अधिक होती है। इन दुर्बल क्षेत्रों को भूकम्पी क्षेत्र अथवा भ्रंश क्षेत्र भी कहते हैं।
भारत के अति भूकम्प आशंकित क्षेत्र :-
🔹 भारत के अति भूकम्प आशंकित क्षेत्र कश्मीर, पश्चिमी तथा केन्द्रीय हिमालय, समस्त उत्तर-पूर्व, कच्छ का रन, राजस्थान तथा सिंध-गंगा के मैदान हैं।
भूकम्पी तरंगें :-
🔹 भूस्पन्द पृथ्वी की सतह पर तरंगें उत्पन्न करते हैं। इन तरंगों को भूकम्पी तरंगें कहते हैं। इन तरंगों को भूकम्प लेखी नामक उपकरण द्वारा रिकार्ड किया जाता है।
भूकम्प से बचाव :-
🔹 भूकम्प के झटके लगने की स्थिति में अपने बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय कीजिए-
🔸 यदि आप घर में हैं, तो-
- किसी मेज़ के नीचे आश्रय लें तथा झटकों के रुकने तक वहीं रहें।
- ऐसी ऊँची तथा भारी वस्तुओं से दूर रहें जो आप पर गिर सकती हैं।
- यदि आप बिस्तर पर हैं तो उठें नहीं, अपने सिर का तकिए से बचाव करें।
🔸 यदि आप घर से बाहर हैं, तो-
- भवनों, वृक्षों तथा ऊपर जाती विद्युत लाइनों से दूर किसी खुले स्थान को खोजें एवं धरती पर लेट जाएँ।
- यदि आप किसी कार अथवा बस में हैं तो बाहर न निकलें। ड्राइवर से कहें कि वह धीरे-धीरे किसी खुले स्थान पर पहुँचे। भूस्पन्द हुँचे। भूस्पन्दन के समाप्त होने से पहले बाहर न निकलें।