Class 8 Science chapter 13 notes in hindi प्रकाश notes

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कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 13 नोट्स: प्रकाश class 8 notes

TextbookNcert
ClassClass 8
SubjectScience
ChapterChapter 13
Chapter Nameप्रकाश notes
MediumHindi

क्या आप Class 8 Science chapter 13 notes in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से प्रकाश notes download कर सकते हैं। इस अध्याय में हम प्रकाश से संबंधित महत्वपूर्ण अवधारणाओं का अध्ययन करेंगे, जैसे कि परावर्तन (प्रतिबिंब), प्रतिवर्ती और अविवर्ती प्रतिबिंब, आँख की कार्यप्रणाली, नेत्र दोष और उनका समाधान (जैसे चश्मा)।

प्रकाश :-

🔹 प्रकाश एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमें देखने में सहायता करती है। यह तरंगों के रूप में फैलती है और हमारी आंखों तक पहुंचकर वस्तुओं को देखने योग्य बनाती है।

🔹 सरल शब्दों में: प्रकाश वह ऊर्जा है जिसकी मदद से हम चीजों को देख सकते हैं।

प्रकाश स्त्रोत :-

🔹 वह वस्तु जो स्वयं प्रकाश उत्पन्न करती है, उसे प्रकाश स्त्रोत (या प्रकाश का स्रोत) कहते हैं। उदाहरण: सूरज, दीपक, टॉर्च, मोमबत्ती, बिजली का बल्ब आदि।

वस्तुओ को दृश्य कौन बनाता है?

🔹 वस्तु से आने वाला प्रकाश जब हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है। तब हमें वस्तुएँ दिखाई देती है।

आपतित किरण :-

🔹 किसी पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश-किरण को आपतित किरण कहते हैं।

🔹 सरल शब्दों में: जब कोई प्रकाश किरण किसी सतह (जैसे दर्पण) से टकराती है, तो उसे आपतित किरण (Incident Ray) कहते हैं।

🔹 उदाहरण: अगर आप टॉर्च की रोशनी दर्पण पर डालते हैं, तो टॉर्च से निकलने वाली किरण जो दर्पण पर गिरती है, वह आपतित किरण कहलाती है।

परावर्तित किरण :-

🔹 किसी पृष्ठ से परावर्तन के पश्चात वापस आने वाली प्रकाश-किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।

🔹 सरल शब्दों में: जब कोई प्रकाश किरण किसी सतह (जैसे दर्पण) से टकराने के बाद वापस उसी माध्यम में लौटती है, तो लौटने वाली किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।

🔹 उदाहरण: अगर आप दर्पण की ओर टॉर्च की रोशनी डालते हैं, तो रोशनी की जो किरण दर्पण से टकराकर आपकी आंखों तक वापस आती है, वह परावर्तित किरण कहलाती है।

अभिलम्ब :-

🔹 जिस बिंदु पर आपतित किरण दर्पण से टकराती है, उस बिंदु पर दर्पण की सतह से 90° का कोण बनाते हुए खींची गई रेखा को “अभिलम्ब” कहते हैं।

आपतन कोण एवं परावर्तन कोण :-

🔹 आपित किरण और अभिलंब के बीच के कोण को आपतन कोण (∠i) कहते हैं। परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन कोण (∠r) कहते हैं।

परावर्तन :-

🔹 जब प्रकाश किसी चिकनी और चमकदार सतह (जैसे दर्पण) से टकराकर अपनी दिशा बदलकर वापस उसी माध्यम में लौटता है, तो इस प्रक्रिया को परावर्तन कहते हैं।

परावर्तन के नियम :-

🔹 परावर्तन के दो मुख्य नियम होते हैं:

  • पहला नियम: आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण-ये सभी एक तल में होते हैं।
  • दूसरा नियम: परावर्तन के समय, आपतन कोण (∠i) = परावर्तन कोण (∠r) आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है।

पार्श्व-परिवर्तन :-

🔹 दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायाँ भाग दाईं ओर तथा दायाँ भाग बाईं ओर दिखाई पड़ता है। इस परिघटना को पार्श्व-परिवर्तन कहते हैं।

विसरित परावर्तन :-

🔹 जब सभी समानांतर प्रकाश किरणें किसी खुरदुरे या अनियमित पृष्ठ से टकराने के बाद समानांतर नहीं रहतीं, यानी विभिन्न दिशाओं में परावर्तित हो जाती हैं, तो ऐसे परावर्तन को विसरित परावर्तन कहते हैं।

नियमित परावर्तन :-

🔹 जब सभी समानांतर प्रकाश किरणें किसी चिकनी और समतल सतह (जैसे दर्पण) से टकराकर एक ही दिशा में समानांतर रूप से परावर्तित होती हैं, तो ऐसे परावर्तन को नियमित परावर्तन कहते हैं।

प्रदीप्त पिण्ड :-

🔹 जो पिण्ड दूसरी वस्तुओं के प्रकाश में चमकते हैं उन्हें प्रदीप्त पिण्ड कहते हैं।

दीप्त पिण्ड :-

🔹 जो पिण्ड स्वयं का प्रकाश उत्सर्जित करते हैं वे दीप्त पिण्ड कहलाते हैं।

बहु प्रतिबिंब :-

🔹 जब कोई वस्तु एक से अधिक बार दर्पणों में दिखाई देती है, यानी एक से अधिक प्रतिबिंब बनते हैं, तो उसे बहु प्रतिबिंब कहते हैं।

बहुमूर्तिदर्शी :-

🔹 बहुमूर्तिदर्शी एक ऐसा यंत्र है जिसमें दर्पणों की सहायता से किसी वस्तु की आकृतियों के अनेक सुंदर, रंग-बिरंगे और सममित प्रतिबिंब बनाए जाते हैं।

सूर्य का प्रकाश :-

🔹 सूर्य का प्रकाश जो श्वेत प्रकाश कहलाता है, सात रंगों से मिलकर बना है।

विक्षेपण :-

🔹 प्रकाश के अपने घटक रंगों में विभक्त होने को विक्षेपण कहते हैं।

हमारी आँखो के महत्वपूर्ण भाग :-

🔹 हमारे नेत्र के महत्त्वपूर्ण भाग हैं कॉर्निया (स्वच्छ मंडल), आइरिस (परितारिका), पुतली, लेस, रेटिना (दृष्टि पटल) तथा दृक् तंत्रिकाएँ।

नेत्रों की देखभाल :-

  • यदि परामर्श दिया गया है तो उचित चश्मे का उपयोग कीजिए।
  • नेत्रों के लिए बहुत कम या बहुत अधिक प्रकाश हानिकारक है। अपर्याप्त प्रकाश से नेत्र-खिंचाव तथा सरदर्द हो सकता है। सूर्य या किसी शक्तिशाली लैम्प का अत्यधिक तीव्र प्रकाश, अथवा लेज़र टार्च का प्रकाश रेटिना को क्षति पहुँचा सकता है।
  • सूर्य या किसी शक्तिशाली प्रकाश स्रोत को कभी भी सीधा मत देखिए।
  • अपने नेत्रों को कभी मत रगड़िए। यदि आपके नेत्रों में कोई धूल का कण गिर जाए तो नेत्रों को स्वच्छ जल से धोइए। यदि कोई सुधार न हो तो डॉक्टर के पास जाइए।
  • पठन सामग्री को सदैव दृष्टि की सामान्य दूरी पर रखकर पढ़िए। अपनी पुस्तक को नेत्रों के बहुत समीप लाकर अथवा उसे नेत्रों से बहुत दूर ले जाकर मत पढ़िए।

आँख की समंजन क्षमता :-

🔹 लेंस की फोकस दूरी में स्वतःपरिवर्तन होने की क्षमता आँख की “समंजन क्षमता ” कहलाती है।

दृष्टि परास :-

🔹 एक मानव की स्वस्थ आँख के लिए निकतम दृष्टि सीमा 25 CM निकतम है। और सबसे दूर अन्नत पर होता है। तथा दूर बिन्दु के बिच की दूरी “दृष्टि परास” कहलाती है।

दृष्टि दोष :-

🔹 जब आंखों से देखने में कोई परेशानी हो — जैसे पास की चीजें या दूर की चीजें साफ न दिखें तो उसे दृष्टि दोष कहते हैं।

ब्रेल पद्धति :-

🔹 ब्रेल पद्धति का उपयोग करके चाक्षुषविकृति युक्त व्यक्ति पढ तथा लिख सकते हैं।

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