कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 2 नोट्स: सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु notes
Textbook | Ncert |
Class | Class 8 |
Subject | Science |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु notes |
Medium | Hindi |
क्या आप Class 8 Science chapter 2 notes in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु notes download कर सकते हैं। इस अध्याय में हम सूक्ष्मजीवों के विभिन्न प्रकारों, उनके लाभदायक और हानिकारक प्रभावों, उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य जैसे खमीर उठाना, अपघटन, रोगजनन, टीकाकरण, खाद्य संरक्षण, नाइट्रोजन चक्र आदि के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।
सूक्ष्मजीव :-
🔹 वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ती है, उन्हें सूक्ष्मजीव कहते हैं। सूक्ष्मजीव हवा में पानी में पेड़ों पर जंतुओं पर तथा उनके अंदर प्रायः सभी जगहों पर पाये जाते हैं। जैसे जीवाणु, रोगाणु, कवक, आदि।
सूक्ष्मजीवों का वर्गीकरण :-
🔹 सूक्ष्मजीवों को चार मुख्य वर्गों में बाँटा गया है। यह वर्ग हैं, जीवाणु, कवक, प्रोटोजोआ एवं कुछ शैवाल।
जीवाणु :-
🔹 यह एककोशकीय सूक्ष्मजीव होते हैं। इनका आकार गोल, छड़ी जैसा या सर्पिल हो सकता है। ये हानिकारक भी हो सकते हैं और लाभकारी भी (जैसे — दही जमाना, नाइट्रोजन स्थिरीकरण)। टायफाइड और क्षयरोग (टी०बी०) जैसे कई रोग जीवाणुओं के कारण होते हैं।
कवक :-
🔹 यह एककोशकीय (जैसे यीस्ट) या बहुकोशकीय (जैसे मोल्ड, मशरूम) हो सकते हैं। ये मृत और सजीव दोनों पर जीवित रह सकते हैं। कुछ कवक भोजन को सड़ाते हैं, जबकि कुछ औषधियाँ (जैसे पेनिसिलिन) बनाने में सहायक होते हैं। मशरूम, राइजोपस जिसे आमतौर पर ब्रेड मोल्ड कहा जाता है, और पेनिसिलियम— ये सभी कवक के प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रोटोजोआ :-
🔹 ये भी एककोशकीय होते हैं और आमतौर पर जल में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ रोग पैदा कर सकते हैं (जैसे मलेरिया फैलाने वाला प्लाज्मोडियम)।
शैवाल :-
🔹 अधिकांश शैवाल जल में पाए जाते हैं और प्रकाश संश्लेषण करते हैं। कुछ एककोशकीय शैवाल जैसे क्लोरेला और स्पाइरुलिना भोजन का स्रोत भी होते हैं।
विषाणु (वायरस ):-
🔹 विषाणु (वायरस) भी सूक्ष्म होते हैं परन्तु वे अन्य सूक्ष्मजीवों से भिन्न हैं। वे केवल परपोषी में ही गुणन करते हैं अर्थात् जीवाणु, पौधे अथवा जंतु कोशिका में गुणन करते हैं। कुछ सामान्य रोग जैसे कि जुकाम, इन्फ्लुएंजा (फ्लू) एवं अधिकतर खाँसी विषाणु द्वारा होते हैं। कुछ विशेष रोग जैसे कि पोलियो एवं खसरा भी विषाणु (वाइरस) द्वारा होते है।।
सूक्ष्मजीव कहाँ रहते हैं?
🔹 सूक्ष्मजीव हमारे चारों ओर हर स्थान पर पाए जाते हैं। ये जल, वायु, मिट्टी, भोजन, और यहाँ तक कि हमारे शरीर में भी उपस्थित होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीव अत्यंत कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं, जैसे—ज्वालामुखी की गर्मी, गहरे समुद्र का तल, बर्फीले क्षेत्र, और नमकीन झीलें। कुछ सूक्ष्मजीव दूसरे सजीवों पर आश्रित होते हैं जबकि कुछ अन्य स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं। अमीबा जैसा सूक्ष्मजीव अकेले रह सकता है, जबकि कवक एवं जीवाणु समूह में रहते हैं।
सूक्ष्मजीव और हम :-
🔹 सूक्ष्मजीवों की हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इनमें से कुछ हमारे लिए लाभदायक हैं तथा कुछ अन्य हानिकारक तथा जीवों में रोग के कारक हैं।
मित्र सूक्ष्मजीवः-
🔹सूक्ष्मजीव हमेशा हानिकारक नहीं होते; वास्तव में, कई सूक्ष्मजीव ऐसे भी होते हैं जो मनुष्यों, पौधों और पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। ऐसे सूक्ष्मजीवों को मित्र सूक्ष्मजीव कहा जाता है। इनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है:
खाद्य उत्पादन में मित्र सूक्ष्मजीवों का उपयोग दही, ब्रेड, केक, अचार आदि जैसे खाद्य पदार्थों को तैयार करने में किया जाता है। उदाहरण के लिए, लैक्टोबेसिलस नामक बैक्टीरिया दही जमाने में मदद करता है।
पर्यावरण की सफ़ाई में ये सूक्ष्मजीव जैविक कचरे (जैसे सब्ज़ियों के छिलके, मल, मृत जानवरों के अवशेष आदि) को विघटित कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं। कुछ बैक्टीरिया कंपोस्ट बनाने में भी सहायक होते हैं।
औषधियों के निर्माण में एंटीबायोटिक्स जैसे औषधियों का निर्माण भी मित्र सूक्ष्मजीवों की सहायता से होता है। उदाहरणतः पेनिसिलियम नामक फफूंद से पेनिसिलिन नामक एंटीबायोटिक बनती है।
कृषि में योगदान कुछ सूक्ष्मजीव, जैसे राइजोबियम, वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करके मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं, जिससे फसलों की उपज बेहतर होती है।
किण्वन :-
🔹 चीनी के एल्कोहल में परिवर्तन की प्रक्रिया किण्वन अथवा फर्मेंटेशन कहलाता है।
एंटीबायोटिक :-
🔹 वह औषधि जो बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देती है या उनकी वृद्धि को रोक देती है इस प्रकार की औषधि को प्रतिजैविक अथवा एंटीबायोटिक कहते हैं। एंटीबायोटिक भी सूक्ष्मजीवों के ही बने होते हैं।
वैक्सीन (टीका) :-
🔹 वैक्सीन सूक्ष्मजीवों से बनता है जिनमें सूक्ष्मजीव मृत या कमजोर किए होते हैं। हमारे शरीर में एक प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जो सूक्ष्मजीवों के शरीर में प्रवेश करने पर उन्हें पहचान कर उनसे लड़ती है। वैक्सीन शरीर में देने से हमारा शरीर उन सूक्ष्मजीवों को पहचानना सीख जाता है और अगर वे फिर से शरीर में आएं तो जल्दी उनसे लड़ जाता है। वैक्सीन से चेचक, हैजा, और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
हानिकारक सूक्ष्मजीव :-
🔹 बहुत सारे सूक्ष्मजीव हानिकारक होते हैं। ये मनुष्यों, पशुओं और पौधों में अनेक प्रकार के रोग पैदा करते हैं, जिससे स्वास्थ्य और कृषि दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, कुछ सूक्ष्मजीव भोजन, कपड़े, चमड़े और अन्य वस्तुओं को भी सड़ा-गला या खराब कर देते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए, हानिकारक सूक्ष्मजीवों से बचाव और नियंत्रण बहुत जरूरी होता है।
सूक्ष्मजीव शत्रु के रूप में :-
- सूक्ष्मजीव हमारे शरीर में कई बीमारियाँ पैदा करते हैं।
- ये हमारे भोजन को खराब कर देते हैं।
- सूक्ष्मजीव कपड़े, चमड़े और अन्य वस्तुएं भी खराब कर सकते हैं।
- पौधों में रोग उत्पन्न कर फसल को नुकसान पहुँचाते हैं।
- कुछ सूक्ष्मजीव जल स्रोतों को भी दूषित कर देते हैं।
- ये जीवाणु और वायरस मानव और पशुओं में संक्रामक रोग फैलाते हैं।
रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीव (मानव, पशु और पौधों में) :-
सभी सूक्ष्मजीव लाभकारी नहीं होते। कुछ सूक्ष्मजीव ऐसे होते हैं जो मनुष्यों, पशुओं और पौधों में विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न करते हैं। ऐसे सूक्ष्मजीवों को रोगजनक सूक्ष्मजीव कहा जाता है।
1. मनुष्यों में रोग
मनुष्यों में रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों में प्रमुख रूप से बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ और कवक शामिल हैं। ये सूक्ष्मजीव हवा, पानी, भोजन, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क या कीड़ों के माध्यम से फैल सकते हैं।
रोगों के उदाहरण:
- बैक्टीरिया: क्षय रोग (टी.बी.), हैजा
- वायरस: सामान्य सर्दी, चिकनपॉक्स, हेपेटाइटिस
- प्रोटोजोआ: मलेरिया
- कवक: दाद
2. पशुओं में रोग
पशुओं में रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीव भी जानवरों के स्वास्थ्य और उनके उत्पादों (जैसे दूध, अंडे, मांस) को प्रभावित करते हैं। ये रोग संक्रमित भोजन, पानी, संपर्क या कीड़ों से फैल सकते हैं।
रोगों के उदाहरण:
- एंथ्रेक्स: बैक्टीरिया द्वारा
- रेबीज़: वायरस द्वारा
3. पौधों में रोग
सूक्ष्मजीव पौधों में भी कई रोग उत्पन्न करते हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता और उपज दोनों पर असर पड़ता है। ये रोग हवा, कीटों और पानी के माध्यम से फैल सकते हैं।
पौधों के रोगों के उदाहरण:
- गेहूं का रस्ट: कवक के कारण
- नींबू कैंकर: जीवाणु द्वारा, हवा से फैलता है
- भिंडी का पीत: वायरस द्वारा; कीटों (जैसे सफेद मक्खी) द्वारा फैलता है
रोगजनक :-
🔹 सूक्ष्मजीव अनेक प्रकार से हानिकारक हैं। कुछ सूक्ष्मजीव मनुष्य, जंतुओं एवं पौधों में रोग उत्पन्न करते हैं। रोग उत्पन्न करने वाले ऐसे सूक्ष्मजीवों को रोगाणु अथवा रोगजनक कहते हैं।
संचरणीय रोग :-
🔹 सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले ऐसे रोग जो एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति मे वायु (खाँसी, छींक के माध्यम से, जल (दूषित पानी से), भोजन (साफ़-सफाई न रखने पर), शारीरिक संपर्क (हाथ मिलाना, छींकते समय उचित सावधानी न रखना आदि) संपर्क द्वारा फैलते हैं संचरणीय रोग कहलाते हैं।
खाद्य विषाक्तन की परिभाषा :-
🔹 जब भोजन में उपस्थित सूक्ष्मजीव विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं, और ऐसा भोजन खाने से व्यक्ति बीमार हो जाता है, तो इस स्थिति को खाद्य विषाक्तन कहते हैं।
खाद्य परिरक्षण की परिभाषा :-
🔹 खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित और उपयोग योग्य बनाए रखने की प्रक्रिया को खाद्य परिरक्षण कहा जाता है। इसके लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है।
खाद्य परिरक्षण के प्रमुख तरीके :-
- रासायनिक उपाय:
- नमक और खाद्य तेल सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकते हैं।
- सोडियम बेंजोएट और सोडियम मेटाबाइसल्फाइट जैम, स्क्वैश आदि में उपयोग होते हैं।
- अचार में नमक या खाद्य अम्ल का उपयोग सूक्ष्मजीवों को बढ़ने से रोकता है।
- नमक द्वारा परिरक्षण:
- नमक मांस और मछली के परिरक्षण में प्रयोग किया जाता है।
- मांस/मछली को सूखे नमक से ढककर जीवाणु की वृद्धि रोकी जाती है।
- आम, आँवला और इमली के परिरक्षण में भी नमक का उपयोग होता है।
- चीनी द्वारा परिरक्षण:
- जैम, जेली और स्क्वैश में चीनी का प्रयोग किया जाता है।
- चीनी खाद्य में नमी कम करती है जिससे सूक्ष्मजीव नहीं बढ़ पाते।
- तेल और सिरके द्वारा परिरक्षण:
- अचार को सुरक्षित रखने के लिए तेल और सिरका डाला जाता है।
- इसमें जीवाणु जीवित नहीं रह सकते।
- फल, सब्जियाँ, मांस आदि का परिरक्षण इस विधि से किया जाता है।
- गर्म और ठंडा करना:
- दूध को उबालने से उसमें मौजूद सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं।
- उबालना और ठंडा करना खाद्य को अधिक समय तक सुरक्षित रखता है।
पास्चरीकरण किसे कहते है?
🔹 दूध को 70° C पर 15-30 सेकेंड के लिए गर्म करते है फिर एकाएक ठंडा कर उसे भण्डारण कर लेते है ऐसा करने से सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रूक जाती है इस प्रक्रिया को पास्चरीकरण कहते है।
भण्डारण एवं पैकिंग :-
🔹 खाद्य पदार्थों को वायुरहित डिब्बों या पैकेटों में बंद करके रखा जाता है जिससे सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रुक जाती है। यह विधि खाद्य को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में सहायक होती है। आजकल सब्जियाँ, मेवे, चिप्स, मिठाइयाँ आदि वायुरहित पैकिंग में आसानी से उपलब्ध हैं, जो जल्दी खराब नहीं होते।
नाइट्रोजन चक्र :-
🔹 नाइट्रोजन चक्र वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वातावरण की नाइट्रोजन विभिन्न जैविक और अजैविक रूपों में परिवर्तित होती रहती है और अंततः फिर से वातावरण में लौट जाती है। यह चक्र पृथ्वी के सभी जीवों के लिए आवश्यक पोषक तत्त्व – नाइट्रोजन – की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
