कक्षा 8 विज्ञान अध्याय 4 नोट्स: दहन और ज्वाला class 8 notes
| Textbook | Ncert |
| Class | Class 8 |
| Subject | Science |
| Chapter | Chapter 4 |
| Chapter Name | दहन और ज्वाला notes |
| Medium | Hindi |
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दहन :-
🔹 वह रासायनिक प्रक्रम जिसमें कोई पदार्थ ऑक्सीजन से अभिक्रिया कर उष्मा देता है दहन कहलाता है। जैसे :- कोयले का जलना, प्राकृतिक गैस का जलना, कागज का जलना, लकड़ी का जलना, आदि।
दाह्य या ईंधन :-
🔹 जिन पदार्थों का दहन होता हैं वे दाह्य कहलाते है इन्हें ईंधन भी कहते है।
दाह्य पदार्थ :-
🔹 वह पदार्थ जो ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, दाह्य पदार्थ कहलाता है। ऐसे पदार्थों का दहन आसानी से होता है, इसलिए इन्हें ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। उदाहरण: लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, डीज़ल, एलपीजी आदि।
अदाह्य पदार्थ :-
🔹 वह पदार्थ जो ऑक्सीजन की उपस्थिति में जल नहीं सकता या जिसका दहन नहीं होता, अदाह्य पदार्थ कहलाता है। ऐसे पदार्थ ऊष्मा या प्रकाश उत्पन्न नहीं करते और ईंधन के रूप में उपयोग नहीं किए जा सकते। उदाहरण: जल, बालू, मिट्टी, शीशा, लोहा आदि।
दहन की आवश्यक शर्तें :-
🔹 दहन के लिए तीन आवश्यक शर्तें हैं।
- दाह्य पदार्थ – दहन के लिए ऐसा पदार्थ होना चाहिए जो जल सके, जैसे लकड़ी, पेट्रोल, गैस आदि।
- ऑक्सीजन की उपस्थिति – दहन के लिए वायुमंडल में ऑक्सीजन या किसी अन्य ऑक्सीकारक गैस की उपस्थिति अनिवार्य है।
- ऊष्मा – दाह्य पदार्थ को जलाने के लिए उसे उसके ज्वलन-ताप तक गर्म करना आवश्यक होता है।
ज्वलन-ताप :-
🔹 वह न्यूनतम ताप जिस पर कोई पदार्थ जलने लगता है, उसका ज्वलन-ताप कहलाता है।
ज्वलनशील पदार्थ :-
🔹 जिन पदार्थों का ज्वलन-ताप बहुत कम होता है और जो ज्वाला के साथ सरलतापूर्वक आग पकड़ लेते हैं, ज्वलनशील पदार्थ कहलाते हैं। ज्वलनशील पदार्थों के उदाहरण हैं पेट्रोल, ऐल्कोहल, द्रवित पेट्रोलियम गैस (LPG), आदि।
हम आग पर नियंत्रण कैसे पाते हैं :-
आग की आवश्यकताओं को समझना: आग जलने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है — ईंधन, ऑक्सीजन (हवा) और गर्मी। इन तीनों में से किसी एक तत्व को हटा देने पर आग को बुझाया जा सकता है।
पानी का उपयोग: पानी दहनशील पदार्थ को उसके ज्वलन तापमान से नीचे ठंडा कर देता है और भाप (वाष्प) बनाकर ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोक देता है। इससे आग फैलने से रुकती है और अंततः बुझ जाती है।
अग्निशामक यंत्र: अग्निशामक यंत्र का कार्य आग पर नियंत्रण पाना होता है। यह या तो ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकता है, या ईंधन के तापमान को कम करता है, या फिर दोनों काम करता है।
अग्निशामक :-
🔹 अग्निशामक एक उपकरण होता है जिसका उपयोग आग पर नियंत्रण पाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, कार्बन डाइऑक्साइड अग्निशामक, जल आधारित अग्निशामक, फोम अग्निशामक, ड्राई पाउडर अग्निशामक आदि।
दहन के प्रकार :-
- तीव्र दहन – जब कोई दाह्य पदार्थ बहुत जल्दी जलकर ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है, तो इसे तीव्र दहन कहते हैं।उदाहरण: LPG गैस का जलना।
- स्वतः दहन – इस प्रकार का दहन जिसमें पदार्थ, बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, अचानक लपटों के साथ जल उठता है, स्वतः दहन कहलाता है। उदाहरण: पुराने तेल लगे कपड़ों का स्वयं जल उठना।
- विस्फोट – जब किसी दहन प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में गैस, उष्मा, प्रकाश और तेज़ ध्वनि उत्पन्न होती है, तो इसे विस्फोट कहते हैं। उदाहरण: पटाखों का जलना।
ज्वाला / लौ :-
🔹 जब किसी पदार्थ का दहन होता है उस समय उसमें से कुछ लपटे बाहर निकल कर आती हैं जिसे हम जवाला कहते हैं। उदाहरण के लिए, मिट्टी का तेल और पिघली हुई मोमबत्ती के साथ-साथ ऊपर उठते हैं और दहन के समय वाष्पित होकर ज्वाला का निर्माण करते हैं। इसके विपरीत लकड़ी का कोयला वाष्पित नहीं होता और कोई ज्वाला नहीं देता।
ज्वाला के विभिन्न क्षेत्र :-
🔹 ज्वाला को विभिन्न क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है। एक मोमबती के ज्वाला के तीन क्षेत्र होते हैं आंतरिक क्षेत्र, मध्य क्षेत्र तथा बाह्य क्षेत्र।
- आंतरिक क्षेत्र :- ज्वाला में बिना जली हुई मोमबती के क्षेत्र को आंतरिक क्षेत्र कहा जाता है। ज्वाला के इस आंतरिक क्षेत्र का रंग काला होता है तथा यह सबसे कम गर्म क्षेत्र होता है।
- मध्य क्षेत्र :- यह ज्वाला का आंशिक दहन का मध्य क्षेत्र जो पीले रंग का होता है और प्रकाश उत्पन्न करता है, उसे ज्वाला का चमकदार क्षेत्र भी कहा जाता है।
- बाह्य ह्य क्षेत्र :- यह ज्वाला का पूर्ण दहन का बाहरी क्षेत्र है, जो हल्के नीले रंग का होता है है। यह ज्वाला का सबसे अधिक गर्म भाग होता है।
ईंधन :-
🔹 ईंधन वह दाह्य पदार्थ होता है जो दहन करके ऊष्मा (ताप) और ऊर्जा प्रदान करता है। इसे आग जलाने के लिए उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, वे पदार्थ जिसका दहन होता है, है या हो सकता है, ईंधन कहलाता कहलाता है। उदाहरण: लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, गैस आदि।
अच्छे ईंधन की विशेषताएँ :-
🔹 एक अच्छा ईंधन वह होता है जो निम्नलिखित गुणों को पूरा करता है:
- आसानी से उपलब्ध हो।
- सस्ता हो।
- हवा में मध्यम दर पर आसानी से जलता हो।
- अधिक मात्रा में गर्मी उत्पन्न करता हो।
- जलने के बाद हानिकारक पदार्थ नहीं छोड़ता हो, जैसे धुआं या विषैले गैसें।
आदर्श ईंधन :-
🔹 आदर्श ईंधन सस्ता, आसानी से उपलब्ध, आसानी से जलने वाला और आसानी से वहन योग्य होता है। इसका ऊष्मीय मान उच्च होता है। यह ऐसी गैसें या अवशेष नहीं छोड़ता जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हों।
ईंधनों का वर्गीकरण :-
ईंधन तीन अवस्थाओं में पाए जाते हैं – ठोस, द्रव और गैस।
- ठोस ईंधन:
वे ईंधन जो सामान्य तापमान पर ठोस अवस्था में होते हैं, ठोस ईंधन कहलाते हैं।
उदाहरण: लकड़ी, कृषि अपशिष्ट, लकड़ी का कोयला, कोयला, कोक आदि। - द्रव ईंधन:
वे ईंधन जो सामान्य तापमान पर द्रव अवस्था में होते हैं, द्रव ईंधन कहलाते हैं।
उदाहरण: पेट्रोल, तेल, मिट्टी का तेल, डीज़ल, द्रवीकृत हाइड्रोजन आदि। - गैसीय ईंधन:
वे ईंधन जो सामान्य तापमान पर गैस की अवस्था में होते हैं, गैसीय ईंधन कहलाते हैं।
उदाहरण: जल गैस, प्रोड्यूसर गैस, कोयला गैस, संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG), गोबर गैस आदि।
ईंधन दक्षता :-
🔹 ईंधन दक्षता का अर्थ है किसी ईंधन से प्राप्त ऊर्जा की मात्रा की तुलना में उससे उपयोगी काम या ऊर्जा का कितना सही और प्रभावी उपयोग होता है। ईंधन की दक्षता को उसके उष्मीय मान द्वारा आँका जाता है।
ऊष्मीय मान :-
🔹 किसी ईंधन के 1 किलोग्राम के पूर्ण दहन से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा, उसका ऊष्मीय मान कहलाती है। ईंधन के उष्मीय मान को किलोजूल प्रति किलोग्राम (kJ/kg) मात्रक द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
ईंधन को जलाने से होने वाले नुकसान:
- कार्बन-युक्त ईंधन जलाने पर अनजले कार्बन कण निकलते हैं, जो सांस की बीमारियाँ पैदा कर सकते हैं।
- ईंधन जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है, जो कम मात्रा में भी जहरीली होती है। इसलिए बंद कमरे में कोयला जलाना खतरनाक है।
- अधिकांश ईंधनों के दहन से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है। वायु में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की अधिक मात्रा सम्भवतः विश्व ऊष्णन (ग्लोबल वार्मिंग) का कारण बनती है।
- कोयला और डीजल जलाने पर सल्फर डाइऑक्साइड, और पेट्रोल जलाने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड निकलते हैं, जो वर्षा जल से मिलकर अम्लीय वर्षा करते हैं। अम्लीय वर्षा जंतुओं, पौधों और भवनों के लिए हानिकारक होती है।
अम्ल वर्षा :-
🔹 वह वर्षा होती है जिसमें सल्फर और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वर्षा जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं। इसे अम्लीय वर्षा कहा जाता है। अम्ल वर्षा भवनों, फसलों और मृदा के लिए हानिकारक होती है।