कक्षा 8 विज्ञान के प्रश्न उत्तर पाठ 5: पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण class 8 question answer
Textbook | Ncert |
Class | Class 8 |
Subject | विज्ञान |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण प्रश्न उत्तर |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: रिक्त स्थानों की उचित शब्दों द्वारा पूर्ति कीजिए-
(क) वह क्षेत्र जिसमें जंतु अपने प्राकृतिक आवास में संरक्षित होते हैं, _______ कहलाता है।
(ख) किसी क्षेत्र विशेष में पाई जाने वाली स्पीशीज _______ कहलाती हैं।
(ग) प्रवासी पक्षी सुदूर क्षेत्रों से_______रिवर्तन के कारण पलायन करते हैं।
उत्तर 1: (क) अभ्यारण्य (ख) विशेष क्षेत्री स्पीशीज (ग) जलवायु
प्रश्न 2: निम्नलिखित मैं अंतर स्पष्ट कीजिए:
(क) वन्यप्राणी उद्यान एवं जैवमण्डलीय आरक्षित क्षेत्र
(ख) चिडियाघर एवं अभ्यारण्य
(ग) संकटापनन एवं विलुस स्पीशीज
(घ) वनस्पतिजात एवं प्राणिजात
उत्तर 2: (क) वन्यप्राणी उद्यान एवं जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र
विशेषता | वन्यप्राणी उद्यान | जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र |
---|---|---|
परिभाषा | संरक्षित क्षेत्र जहां वन्य जीवों को कृत्रिम वातावरण में रखा जाता है। | प्राकृतिक रूप से संरक्षित बड़ा क्षेत्र जहां जैव विविधता को सुरक्षित रखा जाता है। |
उद्देश्य | पशु-पक्षियों को प्रदर्शनी के लिए संरक्षित करना। | पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण करना। |
मानव दखल | अधिक होता है, लोग घूमने आ सकते हैं। | कम से कम हस्तक्षेप किया जाता है। |
उदाहरण | दिल्ली चिड़ियाघर, कान्हा नेशनल पार्क | नंदा देवी जैवमंडलीय क्षेत्र, सुंदरबन रिजर्व |
(ख) चिड़ियाघर एवं अभयारण्य
विशेषता | चिड़ियाघर | अभयारण्य |
---|---|---|
परिभाषा | एक कृत्रिम स्थान जहां वन्यजीवों को पिंजरों या बाड़ों में रखा जाता है। | प्राकृतिक क्षेत्र जहां जानवर स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं। |
उद्देश्य | जानवरों को देखने और अध्ययन के लिए संरक्षित करना। | जानवरों के प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना। |
मानव दखल | अधिक, क्योंकि यह पर्यटन स्थल होता है। | कम, केवल अनुसंधान और संरक्षण के लिए। |
उदाहरण | राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली) | रणथंभौर अभयारण्य (राजस्थान) |
(ग) संकटापन्न एवं विलुप्त स्पीशीज
विशेषता | संकटापन्न (Endangered) स्पीशीज | विलुप्त (Extinct) स्पीशीज |
---|---|---|
परिभाषा | वे प्रजातियाँ जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। | वे प्रजातियाँ जो पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं। |
स्थिति | यदि सुरक्षा उपाय न लिए जाएँ तो ये विलुप्त हो सकती हैं। | ये अब दुनिया में कहीं भी नहीं पाई जातीं। |
उदाहरण | बंगाल टाइगर, एक सींग वाला गैंडा | डोडो पक्षी, चीता (भारतीय उपमहाद्वीप) |
(घ) वनस्पतिजात एवं प्राणिजात
विशेषता | वनस्पतिजात (Flora) | प्राणिजात (Fauna) |
---|---|---|
परिभाषा | किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली पौधों की प्रजातियाँ। | किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ। |
शामिल तत्व | वृक्ष, झाड़ियाँ, घास, काई आदि। | पक्षी, स्तनधारी, सरीसृप, मछलियाँ आदि। |
उदाहरण | साल वृक्ष, गुलमोहर, बांस | बाघ, हाथी, मोर |
प्रश्न 3: वनोन्मूलन का निम्न पर क्या प्रभाव पड़ता है, चर्चा कीजिए:
(क) वन्यप्राणी
(ख) पर्यावरण
(ग) गाँव (ग्रामीण क्षेत्र)
(घ) शहर (शहरी क्षेत्र)
(ड) पृथ्वी
(च) अगली पीढ़ी
उत्तर 3: वनोन्मूलन का प्रभाव
(क) वन्यप्राणी पर प्रभाव
- आवास की हानि: वन्यप्राणियों का प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाता है, जिससे उनकी संख्या घटने लगती है।
- भोजन की कमी: वृक्षों के कटने से शाकाहारी और मांसाहारी जीवों के भोजन के स्रोत समाप्त हो जाते हैं।
- संकटग्रस्त प्रजातियाँ: कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच जाती हैं।
(ख) पर्यावरण पर प्रभाव
- जलवायु परिवर्तन: वन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं; उनके कटने से ग्रीनहाउस गैसें बढ़ती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।
- मृदा अपरदन: वनों की कमी से मिट्टी की पकड़ कमजोर होती है और वह बहकर नदी-नालों में चली जाती है।
- जल चक्र में बाधा: वनों के कटने से वर्षा कम होती है और जल स्रोत सूखने लगते हैं।
(ग) गाँव (ग्रामीण क्षेत्र) पर प्रभाव
- खेती पर प्रभाव: वनों के कटने से बाढ़ और सूखा जैसी आपदाएँ बढ़ जाती हैं, जिससे खेती प्रभावित होती है।
- जीवन यापन में कठिनाई: ग्रामीण लोग ईंधन, चारा, और औषधीय पौधों पर निर्भर रहते हैं, जो वनोन्मूलन से समाप्त हो जाते हैं।
- जल संकट: वन जल संरक्षण करते हैं; इनके कटने से ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की कमी हो जाती है।
(घ) शहर (शहरी क्षेत्र) पर प्रभाव
- वायु प्रदूषण: वनों की कमी से कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ता है।
- तापमान वृद्धि: शहरी क्षेत्रों में “हीट आइलैंड इफेक्ट” बढ़ता है क्योंकि वन तापमान नियंत्रित करते हैं।
- प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़ और सूखे की घटनाएँ शहरों को भी प्रभावित करती हैं।
(ड) पृथ्वी पर प्रभाव
- जैव विविधता का नुकसान: पृथ्वी पर प्रजातियों की विविधता कम हो जाती है।
- मौसम चक्र में बाधा: वनों की कमी से पृथ्वी का संतुलित पर्यावरणीय चक्र प्रभावित होता है।
- संसाधनों की कमी: पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का तेज़ी से क्षय होता है।
(च) अगली पीढ़ी पर प्रभाव
- भविष्य में संसाधनों की कमी: आने वाली पीढ़ियाँ स्वच्छ हवा, पानी और प्राकृतिक संसाधनों के लिए संघर्ष करेंगी।
- जीवन की गुणवत्ता में गिरावट: पर्यावरणीय समस्याएँ जीवन को कठिन बनाएँगी।
- नैतिक उत्तरदायित्व: अगली पीढ़ियों को हमारे गलतियों का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
- स्वास्थ्य समस्याएँ: प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
प्रश्न 4: क्या होगा यदि-
(क) हम वृक्षों की कटाई करते रहे?
(ख) किसी जंतु का आवास बाधित हो?
(ग) मिट्टी की ऊपरी परत अनावरित हो जाए?
उत्तर 4: (क) हम वृक्षों की कटाई करते रहे तो धीरे धीरे सारे वन्य प्राणी विलुप्त हो जाएँगे, वन्य पेड़-पौधे भी गायब हो जाएंगे। प्रदूषण का स्तर अत्यधिक हो जाएगा। प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएँ अत्यधिक हो जाएँगी। बर्फीले पहाड़ पिघल जाएँगे और पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी और अंत में जीवन संभव नहीं होगा।
(ख) किसी जंतु का आवास बाधित हो-यदि किसी जंतु का आवास बाधित हो तो उसका संरक्षण तो आसान हो जाएगा परंतु उसका बौद्धिक, शारीरिक विकास ढंग से नही हो पाएगा तथा उसके साथ ही साथ उसकी प्राकृतिक आदतों में भी परिवर्तन हो जाएगा।
(ग) मिट्टी की ऊपरी परत अनावरित हो जाए-ऐसी स्थिति में पृथ्वी की निचली परत दिखने लगेगी और ह्यूमस भी मिट्टी से गायब हो जाएगी। जिसका सीधा असर मिट्टी की उर्वरता पर पड़ेगा। धीरे-धीरे उर्वर भूमि मरुस्थल में परिवर्तित हो जाएगी।
प्रश्न 5: संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(क) हमें जैव विविधता का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
(ख) संरक्षित वन भी वन्य जंतुओं के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं, क्यों?
(ग) कुछ आदिवासी वन (जंगल) पर निर्भर करते हैं। कैसे?
(घ) वनोन्मूलन के कारक और उनके प्रभाव क्या हैं?
(ङ) रेड डाटा पुस्तक क्या है?
(च) प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर 5: (क) जैव विविधता का तात्पर्य किसी क्षेत्र में विभिन्न जीवन रूपों, जैसे कि पौधों, जंतुओं और सूक्ष्मजीवों की संख्या और विविधता से है। पौधे और जंतु जीवित रहने के लिए एक दूसरे पर निर्भर हैं। इसका मतलब है कि दोनों में से किसी एक के नष्ट होने से दूसरे के जीवन पर असर पड़ेगा। इसलिए, हमें प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए जैव विविधता को संरक्षित करने की आवश्यकता है।
(ख) संरक्षित वन भी वन्य जंतुओं के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि इनके आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग वनों का अतिक्रमण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं।
(ग) कुछ आदिवासी वन (जंगल) पर निर्भर करते हैं। वे आज भी भोजन संग्रह कर, शिकार कर अपना पेट भरते हैं तथा पेड़ की छाल, जंतुओं की खाल आदि से बने वस्त्र पहनते हैं।
(घ) खेती के लिए भूमि, औद्योगीकरण, शहरीकरण, दावानल, भीषण सूखा आदि वनोन्मूलन के कारक हैं। वनोन्मूलन के कारण प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएँ बढ़ गई हैं, प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। विश्व ऊष्णन, भूमि के उपजाऊपन में कमी आदि से पृथ्वी पर जीवन का संकट उत्पन्न हो रहा है।
(ङ) रेड डाटा बुक एक स्रोत पुस्तक है जो सभी संकटापन्न जंतुओं और पौधों की प्रजातियों की एक अंतरराष्ट्रीय सूची रखती है। इसे IUCN (प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण संघ) द्वारा बनाए रखा जाता है। भारत में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं के लिए भारत भी रेड डाटा बुक रखता है।
(च) कुछ जंतु, खास तौर पर पक्षी, अक्सर मौसमी चक्र का पालन करते हुए अपने घरों या आवासों से विभिन्न भौगोलिक स्थानों पर प्रवास करते हैं। जंतु कठोर सर्दियों की परिस्थितियों से बचने, पर्याप्त भोजन खोजने और गर्म जलवायु में अंडे देने के लिए प्रवास करते हैं। ऐसे पक्षी जो उड़कर सुदूर क्षेत्रों तक लम्बी यात्रा करते हैं, प्रवासी पक्षी कहलाते हैं।
प्रश्न 6: फैक्ट्रियों एवं आवास की माँग की आपूर्ति हेतु वनों की अनवरत कटाई हो रही है। क्या परियोजनाओं के लिए वृक्षों की कटाई न्यायसंगत है? इस पर चर्चा कीजिए तथा एक संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर 6: आज के आधुनिक युग में औद्योगीकरण और शहरीकरण की तीव्र गति ने प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव डाला है। फैक्ट्रियों एवं आवास की बढ़ती माँग के कारण बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हो रही है। प्रश्न यह उठता है कि क्या विकास परियोजनाओं के लिए वृक्षों की कटाई न्यायसंगत है?
वनों की कटाई के तर्क:
- आर्थिक विकास: औद्योगिक एवं आवासीय परियोजनाएँ रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देती हैं।
- आधुनिकीकरण: बढ़ती जनसंख्या के लिए आवासीय सुविधाओं की आवश्यकता होती है।
- सुविधाओं का विस्तार: सड़कें, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढाँचे बनाने के लिए भूमि की जरूरत होती है।
वनों की कटाई के प्रतिकूल प्रभाव:
- पर्यावरणीय असंतुलन: वनों की कटाई से जैव विविधता नष्ट होती है और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
- जलवायु परिवर्तन: वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं। उनके कटने से ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग होती है।
- मृदा अपरदन एवं जल संकट: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधकर रखती हैं। उनके कटने से भूमि बंजर हो सकती है और जलस्तर गिर सकता है।
- वन्यजीवों का संकट: वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास नष्ट होने से उनकी आबादी घटती है और कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर आ जाती हैं।
संभावित समाधान:
- संतुलित विकास: विकास कार्यों के लिए पर्यावरण-अनुकूल नीतियाँ अपनाई जाएँ।
- वृक्षारोपण: कटे हुए वृक्षों की भरपाई के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाए।
- हरित तकनीक: ग्रीन बिल्डिंग और वर्टिकल गार्डन जैसी तकनीकों को अपनाकर वन संरक्षण किया जाए।
- नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग: ऐसी परियोजनाएँ चलाई जाएँ जो जंगलों पर निर्भरता कम करें।
विकास आवश्यक है, लेकिन यह पर्यावरण की कीमत पर नहीं होना चाहिए। दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो वनों की अनियंत्रित कटाई मानवता के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। अतः विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना अत्यंत आवश्यक है। यदि सतत विकास को अपनाया जाए तो वर्तमान और भविष्य, दोनों का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रश्न 7: अपने स्थानीय क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने में आप किस प्रकार योगदान दे सकते है? अपने द्वारा की जाने वाली क्रियाओं की सूचि तैयार कीजिए।
उत्तर 7: अपने क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने के में हम निम्नलिखित क्रियाओं की सहायता से योगदान दे सकते हैं:
- मैं अपने स्थानीय क्षेत्र में या उसके आसपास उगने वाले पौधों और पेड़ों की देखभाल करके अपने स्थानीय क्षेत्र की हरियाली को बनाए रखने में योगदान दे सकता हूँ।
- मैं ज़्यादा से ज़्यादा पौधे लगा सकता हूँ।
- मैं अपने स्थानीय क्षेत्र के लोगों को पेड़ लगाने के महत्व के बारे में बताकर उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकता हूँ।
- मैं छोटे बच्चों को वनों की कटाई से हमारे पर्यावरण और ग्रह पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूक कर सकता हूँ।
- मैं उनसे प्रतिदिन पौधों को पानी देने के लिए भी कह सकता हूँ, जिसमें उनका बहुत कम समय लगेगा।
- मेरा मानना है कि नये पेड़ लगाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि मौजूदा पेड़ों की देखभाल करना।
प्रश्न 8: वनोंमुलन से वर्षा दर किस प्रकार कम हुई है? समझाइए।
उत्तर 8: वनोन्मूलन औद्योगिक, कृषि या अन्य उद्देश्यों के लिए किसी क्षेत्र से पेड़ों या अन्य वनस्पतियों को हटाने की प्रक्रिया है। पौधे या पेड़ वायुमंडल से CO2 अवशोषित करते हैं। यदि पौधे नष्ट हो जाएँ तो वायुमंडल में CO2 का स्तर बढ़ जाएगा। वायुमंडल में CO2 का उच्च स्तर अधिक ऊष्मा विकिरण को रोक लेगा, जिससे विश्व ऊष्णन बढ़ेगा। पृथ्वी के तापमान में यह वृद्धि प्राकृतिक जल चक्र को बिगाड़ देगी। जल चक्र में विघटन के परिणामस्वरूप वर्षा संरचना में परिवर्तन आएगा। वर्षा जल की कम मात्रा सूखे का कारण बन सकती है।
प्रश्न 9: अपने राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों के विषय में सूचना एकत्र कीजिए। भारत के रेखा मानचित्र में उनकी स्थिति दर्शाइए?
उत्तर 9: दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में स्थित है। यह भारत-नेपाल सीमा के पास तराई क्षेत्र में फैला हुआ है और अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 10: हमें कागज की बचत क्यों करना चाहिए? उन कार्यों की सूचि बनाइए जिनके द्वारा आप कागज की बचत कर सकते है।
उत्तर 10: कागज़ को बचाया जाना चाहिए क्योंकि एक टन कागज़ बनाने के लिए लगभग सत्तरह पूर्ण विकसित पेड़ों की ज़रूरत होती है। जैसा कि हम जानते हैं, पेड़ प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, पेड़ों को बचाने और जीवित जीवों पर उनके नुकसान के प्रभाव को रोकने के लिए, हमें कागज़ को बचाने की ज़रूरत है।
कागज की बचत के तरीके:
- कागज़ का समझदारी से उपयोग करें।
- उपयोग किए गए कागज़ को इकट्ठा करें और उसे पुनर्चक्रण करें।
- लिखने के लिए कागज़ के दोनों तरफ़ का उपयोग करें।
- कागज़ के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाएँ।
प्रश्न 11: दी गई शब्द पहेली को पूरा कीजिए –
ऊपर से निचे की ओर
(1) विलुप्त स्पीशीज की सुचना वाली पुस्तक
(2) पौधों, जंतुओं एवं सूक्ष्मजीवों की किस्में एवं विभिन्नताएँ
बाई से दाईं ओर
(2) पृथ्वी का वह भाग जिसमें सजीव पाए जाते है
(3) विलुप्त हुई स्पीशीज
(4) एक विशिष्ट आवास में पाई जाने वाली स्पीशीज
उत्तर 11: