Class 9 Science chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ notes in hindi

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कक्षा 9 विज्ञान अध्याय 1 नोट्स: Hamare aas paas ke padarth notes in hindi

TextbookNcert
ClassClass 9
SubjectScience
ChapterChapter 1
Chapter Nameहमारे आस-पास के पदार्थ नोट्स
MediumHindi

क्या आप Class 9 Science chapter 1 notes in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से हमारे आस-पास के पदार्थ notes download कर सकते हैं। इस अध्याय मे हम पदार्थ की परिभाषा, ठोस, द्रव और गैस, अभिलाक्षिणिक गुण आकार, आयतन, घनत्व, अवस्था में परिवर्तन- संगलन (ऊष्मा का अवशोषण), जमना, वाष्पीकरण द्वारा शीतलतन) संघनन, ऊर्ध्वपतन आदि के बारे में विस्तार से पड़ेगे ।

🧪 पदार्थ :-

विश्व में प्रत्येक वस्तु जिस सामग्री से बनी होती है। उसे वैज्ञानिकों ने ‘पदार्थ’ का नाम दिया अर्थात वे सभी वस्तुएँ जो द्रव्यमान रखती हैं और स्थान (आयतन) घेरती हैं, उन्हें पदार्थ कहा जाता है।

🔹 उदाहरण के लिए: पानी, हवा, लकड़ी, लोहे की छड़, पत्थर, आदि — ये सभी पदार्थ हैं, क्योंकि इनमें द्रव्यमान होता है और ये किसी न किसी स्थान पर मौजूद होते हैं।

📜 प्राचीन काल में पदार्थ की अवधारणा :-

भारत के प्राचीन दार्शनिकों ने पदार्थ को पाँच मूल तत्वों में वर्गीकृत किया, जिसे ‘पंचतत्व’ कहा गया। ये पंचतत्व हैं:

  • 🌬️ वायु
  • 🌍 पृथ्वी
  • 🔥 अग्नि
  • 💧 जल
  • 🌌 आकाश

उनके अनुसार, संसार की सभी वस्तुएँ — चाहे वे सजीव हों या निर्जीव, इन्हीं पंचतत्वों से बनी हैं। उस समय के यूनानी दार्शनिकों ने भी पदार्थ को इसी प्रकार वर्गीकृत किया है।

🧬 आधुनिक विज्ञान में पदार्थ का वर्गीकरण :-

आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को भौतिक गुणधर्म एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर दो प्रकार से वर्गीकृत किया है।

  1. भौतिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकरण: इसमें पदार्थ को उसकी अवस्था, कठोरता, घनत्व, रंग, चमक, चालकता आदि जैसे गुणों के आधार पर पहचाना जाता है। इसके अंतर्गत पदार्थ को मुख्यतः तीन अवस्थाओं में बाँटा जाता है:
  • i. ठोस
  • ii. द्रव
  • iii. गैस
  1. रासायनिक प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण: इस आधार पर पदार्थ को उसकी संरचना और रासायनिक अभिक्रियाओं की प्रकृति के अनुसार दो भागों में बाँटा गया है:

i. शुद्ध पदार्थ: ये ऐसे पदार्थ होते हैं जिनकी संरचना एक समान होती है। इन्हें दो भागों में बाँटा जाता है:

  • तत्त्व – जैसे हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, लोहा
  • यौगिक – जैसे जल (H₂O), नमक (NaCl)

ii. मिश्रण: ये ऐसे पदार्थ होते हैं जो दो या दो से अधिक पदार्थों के मेल से बने होते हैं और जिनमें प्रत्येक घटक अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखता है।

⚛️ पदार्थ का भौतिक स्वरूप :-

पदार्थ कणों से मिलकर बना होता है। प्राचीन समय में पदार्थ की प्रकृति को लेकर दो विचारधाराएँ प्रचलित थीं:

  • (A) पदार्थ लकड़ी के टुकड़े की तरह सतत होते हैं।
  • (B) पदार्थ रेत की तरह कणों से मिलकर बने होते हैं।

आधुनिक विज्ञान ने सिद्ध किया है कि सभी पदार्थ कणों से बने होते हैं।

🌡️ कणों के भौतिक गुण :-

  • पदार्थ छोटे-छोटे कणों से बने होते हैं। हर पदार्थ असंख्य सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है।
  • ये कण बहुत ही छोटे होते हैं। इतने छोटे कि हमें नंगी आँखों से दिखाई नहीं देते।
  • पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है। यानी एक पदार्थ के कणों के बीच खाली जगह होती है।
  • एक पदार्थ के कण, दूसरे पदार्थ के कणों के बीच जा सकते हैं। जैसे – नमक या शक्कर के कण पानी में घुलकर उसके कणों के बीच चले जाते हैं, और पानी का स्तर नहीं बढ़ता।

⚛ पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण :-

  • (i) पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
  • (ii) पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात, उनमें गतिज ऊर्जा होती है।
  • (iii) पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।

✨ विसरण :-

दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वतः एक दूसरे से मिलकर संमागी मिश्रण बना लेना ‘विसरण’ कहलाता है।

🔄 पदार्थ की अवस्थाएँ :-

भौतिक रूप से पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाया जाता है-

  • (i) ठोस अवस्था
  • (ii) द्रव अवस्था
  • (iii) गैसीय अवस्था।

🧍‍♂️मानव शरीर में अवस्थाएँ :

हम मानव शरीर को भी पदार्थ की तीन अवस्थाओं में विभाजित कर सकते हैं।

  • (i) हड्डियों और दाँत ठोस अवस्था
  • (ii) रक्त और जल द्रव अवस्था
  • (iii) फेफड़ों में हवा गैसीय अवस्था

🪨 (i) ठोस अवस्था :-

ठोस, पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें उसका आयतन तथा आकार दोनों निश्चित होता है। ऐसा इनके कणों के मध्य उपस्थित आकर्षण बल के अधिक होने के कारण होता है। जैसे- ईंट, पत्थर, लकड़ी, बॉल, कार, धातु की छड़ आदि।

🪨 ठोस अवस्था के गुणधर्म :-

  • एक निश्चित आकार होता है।
  • ठोस अवस्था में स्पष्ट सीमाएँ होती हैं।
  • निश्चित या स्थिर आयतन होता है।
  • इनकी संपीड्यता नगण्य होती है। ये दृढ़ होते हैं।
  • विसरण बहुत कम होता है ठोस के कण बहुत पास-पास होते हैं, इसलिए इनमें विसरण बहुत धीमा होता है — द्रव और गैसों की तुलना में।

💧 (ii) द्रव अवस्था :-

द्रव, पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें आकार अनिश्चित तथा आयतन निश्चित होता है। जैसे-दूध, जल, तेल, घी, जूस आदि।

💧 द्रव अवस्था के गुणधर्म :-

  • द्रव तरल होते हैं, उनमें बहाव होता है।
  • द्रव का कोई स्थिर आकार नहीं होता है। वे बर्तन का आकार लेते हैं।
  • द्रव का निश्चित आयतन होता है।
  • द्रवों में बहुत कम संपीडन होता है।

🌬️ (iii) गैसीय अवस्था :-

गैस, पदार्थ की वह अवस्था है जिसमें आकार तथा आयतन दोनों ही अनिश्चित होते हैं। जैसे- हवा, कार्बन डाइऑक्साइड, आदि।

🌬️ गैसीय अवस्था के गुणधर्म :-

  • गैसों में बहाव होता है।
  • गैसों में संपीडन अधिक होता है।
  • गैसों में कोई निश्चित सीमाएँ नहीं होती हैं।
  • गैसों में कोई निश्चित आकार नहीं होता है।
  • गैसों में कोई निश्चित आयतन नहीं होता है।

🧮 ठोस, द्रव तथा गैसीय अवस्था में अन्तर :-

🔸 ठोस :-

ठोस कठोर होते हैं तथा उन्हें दबाया नहीं जा सकता।
उनका निश्चित आयतन व आकार होता है।
वे बहते नहीं हैं।
उदाहरण- लोहा, गन्धक।

🔸 द्रव :-

द्रव कठोर नहीं होते तथा बहुत कम दबाये जा सकते हैं।
उनका निश्चित आयतन तो होता है लेकिन उसी बर्तन का आकार ले लेते हैं, जिसमें उन्हें रखा जाता है।
वे उच्च तल से निम्न तल की ओर बहते हैं। 
उदाहरण- जल, पेट्रोल।

🔸 गैस :-

गैस कठोर नहीं होते तथा उन्हें आसानी से दबाया जा सकता है।
उनका आयतन व आकार दोनों ही निश्चित नहीं होते।
वे सभी तरफ बहते हैं।
उदाहरण-वायु, हाइड्रोजन।

🌊 पानी की तीनों अवस्थाएँ :-

पानी एक ऐसा पदार्थ है जो हमें तीनों भौतिक अवस्थाओं में मिलता है:

  • ठोस अवस्था – बर्फ
    • → 0°C पर पानी जमकर बर्फ बन जाता है।
  • द्रव अवस्था – पानी
    • → सामान्य तापमान पर पानी द्रव रूप में होता है।
  • गैसीय अवस्था – वाष्प
    • → 100°C पर पानी गर्म होकर वाष्प में बदल जाता है।

🔄 पदार्थ की अवस्थाओं में परिवर्तन :-

पदार्थ की भौतिक अवस्था को दो तरीकों से परिवर्तित किया जा सकता है।

  1. तापमान में परिवर्तन: यदि किसी पदार्थ को गर्म किया जाए या ठंडा किया जाए, तो उसकी अवस्था बदल सकती है।
  • उदाहरण:
    • बर्फ को गर्म करने पर वह पिघलकर पानी (द्रव) बन जाती है।
    • पानी को और गर्म करने पर वह भाप (गैस) बन जाता है।

📌 यह विधि ऊष्मा देने या निकालने पर आधारित होती है।

  1. दाब में परिवर्तन: दाब बढ़ाकर या घटाकर भी पदार्थ की अवस्था बदली जा सकती है।
  • उदाहरण:
    • उच्च दाब पर गैस को तरल में बदला जा सकता है (जैसे – एलपीजी गैस)।
    • दाब घटाने पर तरल गैस फिर से गैस में बदल जाती है।

📌 यह विधि कणों को पास या दूर लाने पर आधारित होती है।

Note: हम कह सकते हैं कि पदार्थ की अवस्थाएँ, यानी ठोस, द्रव और गैस, दाब और तापमान के द्वारा तय होती हैं।

❄️💧ठोस से द्रव में परिवर्तन (संगलन) :-

🔥 जब ठोस को गर्म किया जाता है:

  • तापमान बढ़ता है → ठोस के तापमान को बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज ऊर्जा बढ़ जाती है।
  • गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है → गतिज ऊर्जा में वृद्धि होने के कारण कण अधिक तेज़ी से कंपन करने लगते हैं।
  • ऊष्मा आकर्षण बल को पार कर लेती है → ऊष्मा के द्वारा प्रदत्त की गई ऊर्जा कणों के बीच के आकर्षण बल को पार कर लेती है।
  • कण स्वतंत्र रूप से गति करने लगते हैं → इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोड़कर अधिक स्वतंत्र होकर गति करने लगते हैं। ठोस धीरे-धीरे पिघलने लगता है।
  • संलनांक पर → ठोस पूरी तरह द्रव में बदल जाता है।

🔥 संगलन :-

जब कोई ठोस पदार्थ गर्म होकर द्रव में बदलता है, तो इस प्रक्रिया को संगलन कहते हैं। जैसे बर्फ का पिघलकर पानी होना।

🫠 गलनांक :-

जब कोई ठोस अपने न्यून्तम तापमान पर पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है वह इसका गलनांक कहलाता है। जैस- वर्फ का गलनांक 273.15 K है, इसे हम 0°C कह सकते हैं→ यही उसका गलनांक है।

Note: किसी ठोस का गलनांक उसके कणों के बीच के आकर्षण बल के सामर्थ्य को दर्शाता है।

💥 क्वथनांक :-

वायुमंडलीय दाब पर वह न्यूनतम तापमान, जिस पर कोई द्रव तेजी से उबलने लगता है और गैस में बदलने लगता है, उसे क्वथनांक कहते हैं। यह एक समष्टि गुण है, जैसे पानी का 100°C।

🔥 गुप्त ऊष्मा :-

गुप्त ऊष्मा वह ऊष्मा होती है जो किसी पदार्थ की अवस्था (जैसे ठोस से द्रव या द्रव से गैस) बदलने में लगती है, बिना तापमान बदले।

👉 इसे “गुप्त” इसलिए कहते हैं क्योंकि यह ऊष्मा देने पर तापमान नहीं बढ़ता, लेकिन फिर भी ऊर्जा लगती है।

💁 गुप्त ऊष्मा प्रकार :-

🔸 संगलन की गुप्त ऊष्मा: वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। उदाहरण: बर्फ को 0°C पर पानी में बदलने के लिए जो ऊष्मा लगती है।

🔸 वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा: वायुमंडलीय दाब पर 1 kg द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है. उसे वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहते हैं। उदाहरण: पानी को 100°C पर भाप में बदलने के लिए जो ऊष्मा लगती है।

🔼 ऊर्ध्वपातन :-

कुछ ऐसे पदार्थ हैं, जो द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस में और वापिस ठोस में बदल जाते हैं। इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहते हैं। जैसे-कपूर का गर्म करने पर सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाना।

🔽 निक्षेपण :-

इसके विपरीत जब गैस से सीधे ठोस बनने की प्रक्रिया को निक्षेपण कहते हैं।

💨 वाष्पीकरण :-

वाष्पीकरण एक ऐसी सतही प्रक्रिया जिसमें द्रव पदार्थों में सतह के कण क्वथनांक से नीचे किसी भी तापमान पर वाष्प में बदलने लगते हैं। ऐसी प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।

💨 वाष्पीकरण कैसे होता है?

द्रव के कुछ कणों के पास अधिक गतिज ऊर्जा होती है। ये तेज़ कण सतह पर होते हैं और सतह पर उपस्थित कणों में उच्च गतिज ऊर्जा के कारण वे अन्य कणों के आकर्षण बल से मुक्त हो जाते हैं और इसी कारण से वाष्प में बदल जाते हैं।

📊 वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक :-

  1. वायु की गति में वृद्धि: वायु की गति में वृद्धि होने के कारण जलवाष्प के कण तेजी से वायु के साथ ही उड़ जाते हैं जिससे आस-पास के जल वाष्प की मात्रा घट जाती है।
  2. तापमान में वृद्धि: तापमान बढ़ने पर पदार्थ के कणों को उचित मात्रा में गतिज ऊर्जा मिल जाती है, जिसके कारण वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
  3. सतह क्षेत्र बढ़ने पर: वाष्पीकरण एक सतही प्रक्रिया है, तथा सतही क्षेत्र बढ़ने पर इसकी दर भी बढ़ जाती है। जैसे कि कपड़े सुखाते समय उन्हें फैलाया जाता है।
  4. आर्द्रता में कमी: वायु में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को आद्रित या नमी कहा जाता है। जलवाष्प बढ़ने से नमी बढ़ेगी और नमी बढ़ने से वाष्पीकरण की दर घट जाएगी।

❄️ वाष्पीकरण के कारण शीतलता कैसे होती है?

वाष्पीकरण के होते समय कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रवों के कण अपने आस-पास से ऊर्जा का अवशोषण करते हैं इस अवशोषण के कारण वातावरण शीतल हो जाता है।

उदाहरण:

(1) अगर हम हाथ पर ऐसीटोन (acetone) डालते हैं तो Acetone हमारे हाथ से ऊष्मा लेकर वाष्प में परिवर्तित हो जाता है और इसी कारण हमें हाथ पर शीतलता महसूस होती है।

(2) गर्मियों में अक्सर लोग जमीन पर पानी छिड़कते हैं। यह पानी जमीन से ऊर्जा (गर्मी) प्राप्त करके वाष्प में बदल जाता है और उस जगह को ठंडा कर देता है।

👕 गर्मियों में सूती कपड़े क्यों पहनने चाहिए❓

  • गर्मियों में पसीना आता है।
  • पसीना वाष्पीकरण के दौरान शरीर से ऊष्मा लेता है, जिससे ठंडक मिलती है।
  • सूती कपड़े पसीने को अच्छे से सोखते हैं और उसे वाष्पीकृत कर देते हैं।

👉 इसलिए गर्मियों में सूती कपड़े पहनना आरामदायक होता है।

🧊 बर्फीले जल से भरे गिलास की बाहरी सतह पर जल की बूँदें क्यों आती हैं❓

  • हवा में मौजूद जलवाष्प, ठंडी गिलास की सतह से टकराती है।
  • उसकी ऊर्जा कम हो जाती है और वह द्रव में बदल जाती है।

👉 इसलिए गिलास की बाहरी सतह पर पानी की बूँदें दिखाई देती हैं।

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