Class 9 science chapter 12 question answer in hindi खाद्य संसाधनों में सुधार

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कक्षा 9 विज्ञान पाठ 12 के प्रश्न उत्तर: खाद्य संसाधनों में सुधार के प्रश्न उत्तर

TextbookNcert
ClassClass 9
Subjectविज्ञान
ChapterChapter 12
Chapter Nameखाद्य संसाधनों में सुधार class 9 question answer
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

क्या आप Class 9 Science chapter 12 question answer in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से खाद्य संसाधनों में सुधार के प्रश्न उत्तर Download कर सकते हैं।

पाठ्य प्रश्न [Pages 159 ]

प्रश्न 1: अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें क्या प्राप्त होता है?

उत्तर 1: अनाज, दाल, फल तथा सब्जियों से हमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं:

  1. अनाज (जैसे गेहूं, चावल, मक्का): ये हमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट देते हैं, जो ऊर्जा का मुख्य स्रोत होते हैं।
  2. दालें (जैसे अरहर, मूंग, मसूर): ये प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं, जो शरीर की मरम्मत और विकास के लिए ज़रूरी है।
  3. फल: फल हमें विटामिन, खनिज (minerals) और फाइबर देते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को मजबूत बनाते हैं।
  4. सब्जियाँ: सब्जियों में भी बहुत से विटामिन, खनिज, और फाइबर होते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियाँ खासकर आयरन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं।

पाठ्य प्रश्न [Pages 160 ]

प्रश्न 1: जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?

उत्तर 1: जैविक कारक जैसे- रोग, कीट तथा निमेटोड के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है। कीड़ें हमारे फसल को खाकर नुकसान पहुँचाते हैं। खर-पतवार पोषक तत्वों तथा प्रकाश के लिए स्पर्धा करते हैं जिससे फसलों की वृद्धि कम हो जाती है। उसी तरह, अजैविक कारक जैसे- सूखा, क्षारता, जलाक्रान्ति, गरमी तथा ठंड भी फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, कभी-कभी सूखे और बाढ़ का फसल पर काफी प्रभाव पड़ता है, फसल नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 2: फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?

उत्तर 2: फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण हैं:

चारे वाली फसलों के लिए लंबी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं।
अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं।

इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता होती हैं। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

पाठ्य प्रश्न [Pages 161 ]

प्रश्न 1: वृहत् पोषक क्या है और इन्हें वृहत्-पोषक क्यों कहते हैं?

उत्तर 1: पौधों को पोषक पदार्थ हवा, पानी तथा मिट्टी से प्राप्त होते हैं। पौधों के लिए अनेक पोषक पदार्थ आवश्यक हैं। हवा से कार्बन तथा ऑक्सीजन, पानी से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन एवं शेष अन्य तेरह पोषक पदार्थ मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन पोषकों में से कुछ की अधिक मात्रा चाहिए इसलिए इन्हें वृहत्‌-पोषक कहते हैं। पौधों के लिए आवश्यक छह वृहत्-पोषक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैगनीशियम और सल्फर हैं।

प्रश्न 2: पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?

उत्तर 2: पौधे अपना पोषक तत्व मुख्य रूप से मिट्टी, पानी, और सूर्य के प्रकाश से प्राप्त करते हैं। वे अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी से पानी और खनिज लवण शोषित करते हैं। पत्तियाँ सूर्य के प्रकाश की मदद से प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करती हैं, जिससे वे कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को मिलाकर अपना भोजन तैयार करते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज़ बनता है, जो पौधे की ऊर्जा का स्रोत होता है।

पाठ्य प्रश्न [Pages 162 ]

प्रश्न 1: मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।

उत्तर 1: खाद मिट्टी को पोषकों तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करके उसकी उर्वरता बढ़ाती है क्योंकि यह जंतुओं के अपशिष्ट तथा पौधों के कचरे के अपघटन से तैयार किया जाता है। वहीँ दूसरी ओर, उर्वरक अकार्बनिक यौगिक होते हैं, जिसका अधिक उपयोग मिट्टी में रहने वाले सहजीवी सूक्ष्मजीवों के लिए हानिकारक होते हैं। इसका अत्यधिक उपयोग भी मिट्टी की उर्वरता कम कर देता है। इसलिए, उर्वरक का उपयोग अल्पकाल के लिए अच्छा माना जाता है।

पाठ्य प्रश्न [Pages 165 ]

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्च कोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई ना करें अथवा उर्वरक का उपयोग ना करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।

उत्तर 1: सबसे अधिक लाभ विकल्प (c) में होगा –
“किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।”

कारण: इस विकल्प में खेती के सभी आवश्यक तत्वों का संतुलित रूप से ध्यान रखा गया है। अच्छी किस्म के बीज से अधिक और बेहतर गुणवत्ता वाली पैदावार होती है, सिंचाई से पौधों को पर्याप्त पानी मिलता है, उर्वरक पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करते हैं, और फसल सुरक्षा की विधियाँ पौधों को कीट और रोगों से बचाती हैं। ये सभी मिलकर उपज को अधिक और लाभदायक बनाते हैं।

पाठ्य प्रश्न [Pages 165]

प्रश्न 1: फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?

उत्तर 1: फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण अच्छा समझा जाता है क्योंकि रसायनों का अत्यधिक उपयोग पर्यावरणीय समस्याओं को उत्पन्न करता है। जैविक तरीकों से न तो फसलों को और न ही पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है।

प्रश्न 2: भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?

उत्तर 2: अनाज के भंडारण के दौरान, विभिन्न जैविक कारक, जैसे कि कीड़े, कृंतक, चिंचड़ी, कवक, जीवाणु, आदि, और विभिन्न अजैविक कारक, जैसे कि अनुचित नमी, ताप, सूर्य के प्रकाश की कमी, बाढ़, आदि अनाज के हानि के लिए उत्तरदायी हैं। ये कारक संग्रहीत अनाज पर कार्य करते हैं और इसके परिणामस्वरूप उसका क्षरण, अंकुरण में कमी, उत्पाद को बदरंग कर देना आदि होता है।

पाठ्य प्रश्न [Pages 166 ]

प्रश्न 1: पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?

उत्तर 1: पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः नस्लों के संकरण विधि का उपयोग किया जाता है। दो अच्छे नस्लों के पशुओं में संकरण कराकर नई उन्नत किस्म की संतति का उत्पादन कराया जाता है। उदाहरण के लिए, दो अलग नस्लों विदेशी नस्ल जैसे जर्सी, ब्राउन स्विस तथा देशी नस्ल जैसे रेडसिंधी, साहीवाल में संकरण कराने से ऐसी संतति प्राप्त होगी जिसमें दोनों ऐच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता तथा लंबा दुग्ध स्रवणकाल) होंगे।

पाठ्य प्रश्न [Pages 167 ]

प्रश्न 1: निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए-
“यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तित करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”

उत्तर 1: मुर्गी पालन का मूल उद्देश्य अंडे उत्पादन को बढ़ाने और कुक्कुट मांस के लिए मुर्गी पालन किया जाता है। यह मुर्गी पालन न केवल कृषि उप-उत्पादों, विशेष रूप से अल्प रेशेदार अपशिष्टों (जो मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त हैं, लेकिन मुर्गी पालन के लिए अल्प आहार में तैयार किए जा सकते हैं) को उच्च गुणवत्ता वाले मांस में बदलने में सक्षम हैं, बल्कि अंडे, पंख और पोषक तत्वों से प्रचुर खाद प्रदान करने में भी मदद करते हैं। इस कारण से, यह कहा जाता है कि “मुर्गी पालन भारत में अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को अत्यधिक पौष्टिक पशु प्रोटीन भोजन में बदलने में सबसे अधिक सक्षम है।”

पाठ्य प्रश्न [Pages 168 ]

प्रश्न 1: पशुपालन तथा कुक्कुट पालन की प्रबंधन प्रणाली में क्या समानता हैं?

उत्तर 1: पशुपालन और कुक्कुट पालन की प्रबंधन प्रणालियों में कई समानताएँ हैं, जैसे:

  • स्वस्थ वातावरण की आवश्यकता: दोनों में जानवरों को साफ-सुथरा और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना जरूरी होता है ताकि बीमारियों से बचाव हो सके।
  • संतुलित आहार: पशु और पक्षियों दोनों को उचित मात्रा में पोषक आहार देना आवश्यक है, जिससे उनकी वृद्धि और उत्पादकता अच्छी बनी रहे।
  • स्वास्थ्य देखभाल: समय-समय पर टीकाकरण और चिकित्सीय देखभाल दोनों व्यवस्थाओं में जरूरी होती है ताकि संक्रमण और बीमारियों से रक्षा हो।
  • आवास व्यवस्था: दोनों के लिए मौसम के अनुसार उपयुक्त आश्रय व्यवस्था करनी पड़ती है ताकि वे गर्मी, ठंड और वर्षा से सुरक्षित रह सकें।

प्रश्न 2: ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है? इनके प्रबंधन के अंतर को भी स्पष्ट करो।

उत्तर 2:

ब्रौलरलेयर
मांस के लिए ब्रौलर को पाला जाता है।अंडों के लिए अंडे देने वाली (लेयर) मुर्गी पालन किया जाता है।
इनके आहार में प्रोटीन एवं वसा प्रचुर मात्रा में होती है। विटामिन A तथा की मात्रा अधिक रखी जाती हैं।लेयर के आहार में विटामिन, खनिज तथा सूक्ष्म पोषक (Micro-nutrients) होते हैं।
इनकी मृत्यु दर कम है।इनकी मृत्यु दर ब्रौलर से अधिक है।
इनकी वृद्धि तीव्र गति से होती है और 6-7 हफ्तों के बाद इनका उपयोग मांस के रूप में किया जा सकता है।यह हफ्ते की उम्र में अंडे दे सकते हैं।
इन्हें अधिक स्थान तथा प्रकाश की आवश्यकता नहीं होती है।इन्हें वृद्धि के लिए अधिक स्थान तथा प्रकाश की आवश्यकता होती है।

पाठ्य प्रश्न [Pages 169 ]

प्रश्न 1: मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?

उत्तर 1: मछलियाँ मुख्यतः दो तरीकों से प्राप्त की जाती हैं:

  • प्राकृतिक जल स्रोतों से (मत्स्य आखेट/मत्स्य शिकार द्वारा): नदियों, झीलों, तालाबों और समुद्रों से मछलियाँ पकड़ी जाती हैं। इसमें जाल, बंसी या अन्य साधनों का उपयोग किया जाता है। इस विधि को पारंपरिक मछली पकड़ना कहते हैं।
  • मत्स्य पालन द्वारा: इस तरीके में विशेष रूप से तैयार किए गए तालाबों, टैंकों या जलीय खेतों में मछलियों का पालन किया जाता है। यहाँ मछलियों को उचित आहार, स्वच्छ पानी और सुरक्षित वातावरण दिया जाता है ताकि वे अच्छी तरह बढ़ें और अधिक संख्या में प्राप्त हो सकें। यह एक व्यवस्थित और व्यावसायिक तरीका है।

प्रश्न 2: मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?

उत्तर 2: मिश्रित मछली संवर्धन के मुख्य लाभ हैं:

  1. ज्यादा उत्पादन: अलग-अलग प्रकार की मछलियाँ एक साथ पालने से तालाब का पूरा उपयोग होता है और कुल उत्पादन बढ़ता है।
  2. संसाधनों का बेहतर उपयोग: पानी और भोजन का सही तरीके से उपयोग होता है क्योंकि अलग-अलग मछलियाँ तालाब के अलग-अलग हिस्सों में भोजन करती हैं।
  3. अधिक आय: उत्पादन ज्यादा होने से किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
  4. कम प्रतिस्पर्धा: विभिन्न प्रजातियाँ अलग-अलग प्रकार का भोजन लेती हैं, जिससे भोजन के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा कम होती है।
  5. खतरा कम: यदि एक प्रजाति पर कोई बीमारी या समस्या आती है, तो दूसरी प्रजातियाँ बच सकती हैं।

पाठ्य प्रश्न [Pages 4 ]

प्रश्न 1: मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खियों में कौन से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?

उत्तर 1: निम्नलिखित ऐच्छिक गुण वाली मधुमक्खी की किस्में शहद उत्पादन के लिए उपयुक्त हैं:

इनसे अधिक मात्रा में शहद प्राप्त होना चाहिए।
इन्हें ज्यादा डंक नहीं मारना चाहिए।
इन्हें लंबे समय तक मधुमक्खी के छत्ते में रहना चाहिए।
इन्हें बहुत अच्छी तरह से प्रजनन करना चाहिए।
मधुमक्खियों की किस्म में रोगप्रतिरोधक क्षमता होनी चाहिए।

प्रश्न 2: चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे संबंधित है?

उत्तर 2: चारागाह फूलों की उपलब्धता को कहते हैं, जिससे मधुमक्खियाँ मकरंद तथा पराग एकत्र करती हैं। ये मधु उत्पादन से संबंधित हैं क्योंकि इससे मधु की कीमत तथा गुणवत्ता को निर्धारित होती है।

यह भी देखें ✯ कक्षा 9

अभ्यास

प्रश्न 1: फसल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।

उत्तर 1: फसल उत्पादन के लिए उपयोग की जाने वाली एक विधि जो उच्च उत्पादन सुनिश्चित करती है, वह है पौधों का प्रजनन। यह पौधों के प्रजनन द्वारा फसलों की किस्मों को बेहतर बनाने से संबंधित विज्ञान है। विभिन्न क्षेत्रों/स्थानों से ऐच्छिक लक्षणों वाले पौधे चुने जाते हैं, और फिर इन किस्मों का संकरण या नस्लों का संकरण किया जाता है ताकि ऐच्छिक गुण वाला पौधा/फसल प्राप्त किया जा सके।

उच्च उत्पादन वाली किस्म की फसल में उच्च उत्पादन, जल्दी परिपक्वन, सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता, बीजों की बेहतर गुणवत्ता, उर्वरकों की कम आवश्यकता और पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होने जैसी विशेषताएँ दिखाई देती हैं।

प्रश्न 2: खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?

उत्तर 2: खाद तथा उर्वरक का उपयोग खेतों में मिट्टी को आवश्यक तत्वों से परिपूर्ण करने के लिए किया जाता है। खाद मिट्टी को पोषकों तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। वहीँ दूसरी ओर, उर्वरक के उपयोग से अच्छी कायिक वृद्धि होती हैं और स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है। वे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम के अच्छे स्रोत होते हैं। अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए मिट्टी में खाद और उर्वरकों के संतुलित सम्मिश्रण का उपयोग करने के निर्देश दिए जाते हैं।

प्रश्न 3: अंतराफसलीकरण के क्या लाभ हैं?

उत्तर 3: अंतराफसलीकरण (Intercropping) के मुख्य लाभ हैं:

  1. भूमि का अधिकतम उपयोग: खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाने से भूमि का पूरा उपयोग होता है।
  2. उत्पादन में वृद्धि: अलग-अलग फसलें होने से कुल उत्पादन बढ़ता है।
  3. मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है: कुछ फसलें, जैसे दलहनी फसलें, मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाती हैं।
  4. कीट और रोग नियंत्रण: विभिन्न फसलें होने से कीट और रोगों का असर कम होता है।
  5. आर्थिक लाभ: एक ही खेत से विभिन्न फसलों की बिक्री से अधिक आमदनी होती है।
  6. खतरे का कम जोखिम: अगर एक फसल खराब भी हो जाए, तो दूसरी फसल से नुकसान की भरपाई हो सकती है।

प्रश्न 4: अनुवांशिक फेरबदल क्या हैं? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी हैं?

उत्तर 4: अनुवांशिक फेरबदल वह प्रक्रिया है जिसमें ऐच्छिक गुणों वाले जीन को एक कोशिका के गुणसूत्र में डाला जाता है। जब किसी ऐच्छिक गुणों वाले जीन को पादप कोशिका में डाला जाता है, तो अनुवांशिकीय रूपांतरित फसल प्राप्त होती है। इन अनुवांशिकीय रूपांतरित फसलों में प्रवेश कराए गए नए जीन के गुणों का प्रदर्शन होता है।

आनुवंशिक फेरबदल उच्च उत्पादन, उन्नत किस्में, जैविक और अजैविक प्रतिरोधकता, परिपक्वन अवधि में कमी, व्यापक अनुकूलता और ऐच्छिक सस्य विज्ञान संबंधी विशेषताओं के कारण उपयोगी होते हैं।

प्रश्न 5: भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?

उत्तर 5: भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि मुख्य रूप से इन कारणों से होती है:

  • कीट और चूहे: गोदामों में अनाज को कीड़े-मकोड़े और चूहे नुकसान पहुँचाते हैं।
  • नमी: अधिक नमी से अनाज सड़ सकता है या फफूंदी लग सकती है।
  • गलत भंडारण: खराब बोरे या टूटे हुए कंटेनरों के कारण अनाज बर्बाद हो सकता है।
  • असावधानी: समय-समय पर निगरानी न करने से अनाज में सड़न या कीट संक्रमण बढ़ जाता है।
  • तापमान परिवर्तन: बहुत अधिक गर्मी या ठंड से भी अनाज की गुणवत्ता खराब हो सकती है।

प्रश्न 6: किसानों के लिए पशु पालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?

उत्तर 6: पशुपालन प्रणालियाँ किसानों के लिए कई तरह से लाभदायक हैं:

  1. अतिरिक्त आय का स्रोत: दूध, अंडे, ऊन और माँस बेचकर किसान अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।
  2. खाद की प्राप्ति: पशुओं से प्राप्त गोबर खेतों के लिए उत्तम जैविक खाद का काम करता है।
  3. खेती में सहायता: बैल जैसे पशु खेत जोतने और भार ढोने में मदद करते हैं।
  4. जोखिम कम करना: फसल खराब होने पर पशुपालन से होने वाली आमदनी किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है।
  5. पोषण में योगदान: दूध, अंडा और माँस से किसानों के परिवार को उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिलता है।

प्रश्न 7: पशु पालन के क्या लाभ हैं?

उत्तर 7: पशुपालन के मुख्य लाभ हैं:

  1. अतिरिक्त आय: दूध, अंडा, ऊन और माँस बेचकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
  2. खाद की उपलब्धता: पशुओं से मिलने वाला गोबर खेतों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करता है।
  3. कृषि कार्यों में मदद: बैल जैसे पशु खेत जोतने और भारी सामान ढोने में मदद करते हैं।
  4. पोषण में सुधार: दूध, अंडा और माँस से उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिलता है।
  5. आर्थिक सुरक्षा: फसल नुकसान होने पर पशुपालन से किसानों को स्थायी आमदनी मिलती रहती है।

प्रश्न 8: उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?

उत्तर 8: कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में उत्पादन बढ़ाने के लिए सामान्य कारक उचित प्रबंधन तकनीक है जिसका पालन किया जाना चाहिए। खेतों की नियमित सफाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। पशुओं की संख्या बढ़ाने के लिए तापमान का रखरखाव और बीमारियों की रोकथाम और उपचार भी आवश्यक है।

प्रश्न 9: प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है?

उत्तर 9: प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर और जल संवर्धन में मुख्य अंतर इस प्रकार है:

विषयप्रग्रहण मत्स्यनमेरीकल्चरजल संवर्धन
अर्थप्राकृतिक जल स्रोतों (नदी, समुद्र) से मछली पकड़नासमुद्री जल में मछलियों का पालनजल स्रोतों का संरक्षण और प्रबंधन
तरीकाजाल, बंसी आदि से मछली पकड़नासमुद्र में कृत्रिम ढंग से मछलियाँ पालनानदियों, तालाबों और जलाशयों की रक्षा और सुधार करना
उद्देश्यभोजन और व्यापार हेतु मछली प्राप्त करनाबड़े स्तर पर मछली उत्पादन बढ़ानाजल की उपलब्धता और गुणवत्ता बनाए रखना
यह भी देखें ✯ कक्षा 9

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