कक्षा 12 भूगोल अध्याय 7 प्रश्न उत्तर: परिवहन तथा संचार प्रश्न उत्तर
Textbook | Ncert |
Class | Class 12 |
Subject | भूगोल |
Chapter | Chapter 7 |
Chapter Name | परिवहन तथा संचार ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए ।
प्रश्न 1.(i): भारतीय रेल प्रणाली को कितने मंडलों में विभाजित किया गया है?
(क) 9
(ख) 12
(ग) 17
(घ) 14
उत्तर 1.(i): (ग) 17
प्रश्न 1.(ii): राष्ट्रीय जल मार्ग संख्या-1 किस नदी पर तथा किन दो स्थानों के बीच पड़ता है?
(क) ब्रह्मपुत्र-सादिया-धुबरी
(ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
(ग) पश्चिमी तट नहर-कोट्टापुरम से कोल्लाम
उत्तर 1.(ii): (ख) गंगा-हल्दिया-इलाहाबाद
प्रश्न 1.(iii): निम्नलिखित में से किस वर्ष में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हुआ था?
(क) 1911
(ख) 1936
(ग) 1927
(घ) 1923
उत्तर 1.(iii): (घ) 1923
प्रश्न 2: निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
प्रश्न 2.(i): परिवहन किन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है? परिवहन के तीन प्रमुख प्रकारों के नाम बताएँ।
उत्तर 2.(i): परिवहन आर्थिक क्रियाकलापों के तृतीयक वर्ग में सेवाओं के अंतर्गत आता है। परिवहन उन क्रियाकलापों को अभिव्यक्त करता है जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने से संबंधित हैं। यह आर्थिक विकास, व्यापार, और सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देता है। परिवहन के तीन प्रमुख प्रकार हैं:
- स्थलीय परिवहन (सड़क और रेल परिवहन)
- जलीय परिवहन (नदी, समुद्र और महासागर के माध्यम से)
- वायवीय परिवहन (हवाई मार्ग से)।
प्रश्न 2.(ii): पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर 2.(ii): लाभ:
- निरंतरता: पाइपलाइन द्वारा परिवहन निरंतर चलता रहता है, जिससे आपूर्ति में कोई रुकावट नहीं आती।
- कम लागत: एक बार स्थापित होने के बाद, पाइपलाइन का रखरखाव और संचालन सस्ता होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव कम: सड़क या रेल परिवहन की तुलना में यह प्रदूषण कम उत्पन्न करता है।
हानि:
- रखरखाव और रिसाव: पाइपलाइन में रिसाव या क्षति होने पर पर्यावरणीय नुकसान और मरम्मत की लागत बढ़ सकती है।
- उच्च प्रारंभिक लागत: पाइपलाइन बनाने की शुरुआत में भारी निवेश की आवश्यकता होती है।
- सीमित प्रकार का माल: केवल तरल या गैस सामग्री को ही पाइपलाइन द्वारा परिवहन किया जा सकता है।
प्रश्न 2.(iii): संचार’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर 2.(iii): संचार का तात्पर्य है जानकारी, विचारों, विचारधाराओं और संदेशों का आदान-प्रदान। यह किसी व्यक्ति, समूह या संस्थान के बीच सूचना का प्रसार करने की प्रक्रिया है। संचार मौखिक (वाणी), लिखित, इशारों, या तकनीकी माध्यमों के द्वारा किया जा सकता है और यह व्यक्तिगत, सामाजिक, या व्यावसायिक संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
प्रश्न 3.(i): भारत में परिवहन के प्रमुख साधन कौन-कौन से हैं? इनके विकास को प्रभावित करने वाले कारकों की विवेचना करें।
उत्तर 3.(i): भारत में परिवहन के प्रमुख साधनों को तीन वर्गों के अंतर्गत रखा गया है
- स्थल परिवहन जिसमें मुख्यः सड़क मार्गों से परिवहन, रेलमार्गों से परिवहन, पाइप लाइनों से परिवहन, केबिलों (रोपवे) से परिवहन को शामिल किया जाता है।
- जल परिवहन इसके दो वर्ग हैं
(क) अंत:स्थलीय जलमार्गों से परिवहन,
(ख) महासागरीय जलमार्गों से परिवहन। - वायु परिवहन-इसके अंतर्गत दो तरह की सेवाएँ उपलब्ध हैं
(क) अंतर्देशीय (घरेलू सेवाएँ) तथा
(ख) अंतर्राष्ट्रीय सेवाएँ।
इनके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में जहाँ सड़कें बनाना संभव नहीं होता वहाँ पदार्थों, वस्तुओं व लोगों के आवागमन के लिए रज्जू मार्गों, केबिल मार्गों (रोपवे) का प्रयोग परिवहन के लिए किया जाता है।
परिवहन के साधनों के विकास को प्रभावित करने वाले कारक:
- सरकारी नीतियाँ – सरकारी नीतियाँ भी किसी प्रदेश के विकास को प्रभावित करती हैं। औद्योगिक संकुलों के विकास से जनसंख्या आकर्षित होती है तथा उन्हें गति देने के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों का विकास किया जाता है।
- स्थलाकृति, उबड़ – खाबड़ पर्वतीय अथवा पठारी भागों में परिवहन के साधनों का विकास मैदानी समतल भागों की अपेक्षा कम होता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भारत के मैदानी भागों में सड़क व रेलवे मार्गों का जाल दुनिया के सबसे सघन जालों में से एक है जबकि हिमालय पर्वतीय भू-भाग, प्रायद्वीप पठार के अंतर्गत यह बहुत ही कम है।
- विषम जलवायु जिन – क्षेत्रों की जलवायु विषम या मानवीय क्रियाओं के प्रतिकूल है वहाँ जनसंख्या का घनत्व व वितरण कम है। इसलिए वहाँ पर परिवहन के साधनों का विकास भी कम होता है।
- संसाधनों की उपलब्धता – जिन प्रदेशों में संसाधनों की प्रचुरता है। वहाँ अनेक आर्थिक क्रियाओं का विकास स्वतः हो जाता है। औद्योगिकरण के विकास ने जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित किया है जिसके कारण वहाँ परिवहन के साधनों का भी तेजी से विकास हुआ है।
प्रश्न 3.(ii): पाइप लाइन परिवहन से लाभ एवं हानि की विवेचना करें।
उत्तर 3.(ii): पाइपलाइन परिवहन के लाभ:
- निरंतरता: पाइपलाइन परिवहन 24 घंटे, 7 दिन संचालित रहता है, जिससे सामग्री का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित होता है।
- कम लागत: पाइपलाइन के निर्माण के बाद इसका संचालन और रख-रखाव अपेक्षाकृत सस्ता होता है। यह अन्य परिवहन साधनों, जैसे सड़क या रेल की तुलना में किफायती साबित होता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव कम: पाइपलाइन के माध्यम से माल परिवहन में कम प्रदूषण होता है, क्योंकि इसमें वाहनों या ट्रेनों की तुलना में कम ईंधन की खपत होती है।
- सुरक्षा: यह सुरक्षित तरीके से माल (विशेषकर तेल और गैस) का परिवहन करता है, जो अन्य साधनों से जोखिम भरा हो सकता है।
पाइपलाइन परिवहन की हानि:
- उच्च प्रारंभिक लागत: पाइपलाइन का निर्माण महंगा होता है, खासकर बड़े नेटवर्क स्थापित करने के लिए।
- सीमित सामग्री: पाइपलाइन द्वारा केवल तरल (जैसे तेल, गैस) और गैसीय पदार्थों का ही परिवहन किया जा सकता है, ठोस वस्तुओं के लिए यह उपयुक्त नहीं है।
- मरम्मत और रखरखाव: पाइपलाइन में रिसाव या टूट-फूट की स्थिति में पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है और मरम्मत में समय और लागत दोनों बढ़ सकते हैं।
- भौगोलिक सीमा: पाइपलाइन केवल स्थिर मार्गों के माध्यम से काम करती है और इसकी पहुँच उन स्थानों तक सीमित हो सकती है जहाँ यह बिछाई नहीं जा सकती।
प्रश्न 3.(iii): भारत के आर्थिक विकास में सड़कों की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर 3.(iii): भारत का सड़क जाल विश्व के विशालतम सड़क-जालों में से एक है। इसकी कुल लंबाई 33.1 लाख कि०मी० है। (2005 के अनुसार) जिस पर प्रतिवर्ष लगभग 85% यात्री एवं 70% भार यातायात का परिवहन किया जाता है। छोटी दूरियों की यात्रा के लिए सड़क परिवहन सबसे उपयुक्त व अनुकूल माना जाता है। ये सड़कें देश के प्रमुख नगरों, महानगरों, राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों, कस्बों व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा सभी औद्योगिक व व्यापारिक केन्द्रों को, रेलवे जक्शनों व विमान पत्तनों व समुद्री पत्तनों को आपस में जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
कृषि उत्पादन क्षेत्रों से लेकर लोगों के घरों तक पहुँच रखने वाला यह एकमात्र परिवहन व यातायात का साधन है।। निर्माण एवं रखरखाव के उद्देश्य से सड़कों को राष्ट्रीय महामार्गों, राज्य महामार्गों, जिला सड़कों तथा ग्रामीण सडकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कई बार इनको कच्ची एवं पक्की सड़कों के रूप में भी वर्गीकृत किया जाता है। किसी देश के आर्थिक विकास का मापन वहाँ विकसित परिवहन एवं संचार जाल के आधार पर भी किया जाता है। क्योंकि, ये औद्योगिकीकरण व व्यापार एवं वाणिज्य के विकास के महत्त्वपूर्ण सेवा तंत्र उपलब्ध करवाते हैं।