Ncert Solutions for Class 12 Macro Economics Chapter 2 in hindi: राष्ट्रीय आय का लेखांकन question answer
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Economics |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | राष्ट्रीय आय का लेखांकन class 12 ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?
उत्तर 1: उत्पादन के चार मुख्य कारक निम्नलिखित हैं:
भूमि: भूमि से तात्पर्य वह सभी प्राकृतिक संसाधन हैं जो उत्पादन के लिए आवश्यक होते हैं, जैसे भूमि, जल, खनिज, वनस्पति आदि।
पारिश्रमिक: भूमि के लिए पारिश्रमिक को भाड़ा कहते हैं।
श्रम: श्रम से तात्पर्य मनुष्य द्वारा किए गए शारीरिक और मानसिक कार्य से है, जिसे उत्पादन प्रक्रिया में लगाया जाता है।
पारिश्रमिक: श्रम के लिए पारिश्रमिक को वेतन कहा जाता है।
पूंजी: पूंजी वे साधन हैं जिनका उपयोग उत्पादन में किया जाता है, जैसे मशीनें, उपकरण, धन, इमारतें आदि।
पारिश्रमिक: पूंजी के लिए पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।
उद्यमिता: उद्यमिता वह कौशल और जोखिम उठाने की क्षमता है जो उत्पादन के अन्य कारकों को संगठित करके उत्पादन शुरू करती है।
पारिश्रमिक: उद्यमिता के लिए पारिश्रमिक को लाभ कहा जाता है।
प्रश्न 2: किसी अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर 2: एक अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर होता है क्योंकि अंतिम व्यय और कारक अदायगी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो बाजार होते हैं।
- उत्पादन बाजार: यहां उपभोक्ता (परिवार) वस्त्रों और सेवाओं पर व्यय करते हैं, जिससे फर्मों की आय बनती है।
- कारक बाजार: यहां फर्में कारकों (जैसे भूमि, श्रम, पूंजी) का उपयोग करती हैं और परिवारों को कारक अदायगी (वेतन, किराया आदि) देती हैं।
परिवार फर्मों के कारक साधन जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी आदि की आपूर्ति करते हैं जिनके बदले में फर्ने । इन्हें लगान, किराया, मजदूरी, ब्याज और लाभ केग रूप में कारक भुगतान करती है। परिवारों को जो आय प्राप्त होती है उससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए फर्मों से अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदते हैं। इस प्रकार उत्पादकों का व्यय लोगों की आय और लोगों का व्यय उत्पादकों की आय बनता है। एक अर्थव्यवस्था में दो बाजारों में चक्रीय प्रवाह को हम निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
प्रश्न 3: स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह? हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए।
उत्तर 3: स्टॉक और प्रवाह में भेद:
1. स्टॉक:
- स्टॉक वह मात्रा है जो किसी विशेष समय पर मापी जाती है। यह एक निश्चित बिंदु पर किसी वस्तु या संसाधन की संचयी स्थिति को दर्शाता है।
- उदाहरण: बैंक में जमा धनराशि, किसी देश की कुल जनसंख्या, किसी कंपनी की पूंजी इत्यादि।
- इसे “किसी समय पर” (At a point of time) मापा जाता है।
2. प्रवाह:
- प्रवाह वह मात्रा है जो किसी निश्चित समय-अवधि में मापी जाती है। यह एक निश्चित अवधि में होने वाली गतिविधियों या परिवर्तन को दर्शाता है।
- उदाहरण: मासिक वेतन, वार्षिक उत्पादन, किसी देश का आयात/निर्यात इत्यादि।
- इसे “किसी समयावधि में” (Over a period of time) मापा जाता है।
निवल निवेश और पूंजी में स्टॉक और प्रवाह:
1. पूंजी:
- पूंजी स्टॉक का एक उदाहरण है। यह किसी विशेष समय पर किसी फर्म या अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों की संचयी मात्रा को दर्शाता है।
- उदाहरण: किसी कंपनी के पास किसी विशेष तिथि पर मशीनें, इमारतें, उपकरण आदि।
2. निवल निवेश:
- निवल निवेश प्रवाह का एक उदाहरण है। यह किसी विशेष समयावधि में की गई नई पूंजी निर्माण का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें से पूंजी क्षय को घटाया गया है।
- उदाहरण: किसी वर्ष के दौरान मशीनों की खरीद के बाद उससे हुई क्षति को घटाकर नई मशीनों की वास्तविक बढ़ोतरी।
हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूंजी की तुलना:
- हौज का पानी: हौज में जो पानी पहले से भरा हुआ है, वह स्टॉक है, जिसे पूंजी के रूप में देखा जा सकता है। जैसे हौज में किसी समय पर भरे हुए पानी की कुल मात्रा होती है, उसी प्रकार किसी समय पर एक अर्थव्यवस्था की कुल पूंजी होती है।
- पानी का प्रवाह: हौज में जो पानी बहकर आता है, वह प्रवाह है, जिसे निवल निवेश के रूप में देखा जा सकता है। जैसे हौज में समय-समय पर नया पानी जोड़ा जाता है, उसी प्रकार किसी समयावधि में नई पूंजी का निर्माण होता है।
- हौज में पानी का क्षय: जैसे हौज में भरे पानी का कुछ हिस्सा वाष्पीकरण या रिसाव के कारण खत्म हो जाता है, वैसे ही पूंजी का एक हिस्सा उपयोग के कारण क्षय होता है।
- निवल निवेश: हौज में जो नया पानी डाला जाता है, और रिसाव या वाष्पीकरण के बाद जो शुद्ध पानी बचता है, वह निवल निवेश है। अर्थात्, निवल निवेश वह नई पूंजी है जो पुरानी पूंजी के क्षय को घटाने के बाद बढ़ाई जाती है।
उदाहरण द्वारा व्याख्या: यदि किसी अर्थव्यवस्था की पूंजी स्टॉक (हौज का पानी) 100 करोड़ रुपये है और उस वर्ष में 20 करोड़ रुपये का निवल निवेश (नए पानी का प्रवाह) किया गया है, लेकिन 5 करोड़ रुपये पूंजी क्षय (पानी का रिसाव या वाष्पीकरण) हो गया है, तो उस वर्ष के अंत में नई पूंजी स्टॉक (हौज में कुल पानी) 115 करोड़ रुपये होगी।
प्रश्न 4: नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अन्तर है? किसी फर्म की माल सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।
उत्तर 4: 1. नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में अंतर:
नियोजित माल-सूची संचय | अनियोजित माल-सूची संचय |
---|---|
परिभाषा: यह वह स्थिति है जब फर्म जानबूझकर अपनी माल-सूची (Inventory) को बढ़ाने का निर्णय लेती है। इसे उत्पादन और बिक्री के बीच अंतर को ध्यान में रखते हुए पहले से योजना बनाकर किया जाता है। | परिभाषा: यह वह स्थिति है जब फर्म के पास अपेक्षा से अधिक माल-सूची बच जाती है, क्योंकि उत्पादन की तुलना में बिक्री कम हो जाती है। यह फर्म की योजना के अनुसार नहीं होता। |
कारण: मांग में संभावित वृद्धि की तैयारी या भविष्य की योजनाओं के तहत माल तैयार करना। | कारण: उत्पादन अधिक लेकिन अपेक्षा से कम बिक्री। |
उदाहरण: फर्म ने भविष्य में मांग बढ़ने के कारण अधिक उत्पादन किया और माल-सूची में वृद्धि की। इसे नियोजित संचय कहा जाएगा। | उदाहरण: फर्म ने 100 इकाइयाँ बनाईं, लेकिन केवल 80 बिकीं, तो 20 इकाइयों का अनियोजित संचय हुआ। |
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: नियोजित संचय अर्थव्यवस्था में स्थिरता का संकेत है, क्योंकि यह योजना के तहत होता है। | अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: अनियोजित संचय असंतुलन को दर्शाता है, जैसे मांग में गिरावट। |
2. माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध:
स्थिति | माल-सूची में परिवर्तन | मूल्यवर्धित पर प्रभाव |
---|---|---|
1. नियोजित संचय (उत्पादन > बिक्री) | माल-सूची में वृद्धि (नियोजित)। | उत्पादन बढ़ने से मूल्यवर्धित में वृद्धि होगी, भले ही माल नहीं बिका। |
2. अनियोजित संचय (उत्पादन > बिक्री) | माल-सूची में अनियोजित वृद्धि। | उत्पादन का हिस्सा बेचा नहीं गया, लेकिन फिर भी यह मूल्यवर्धित में शामिल होगा। |
3. माल-सूची की बिक्री (उत्पादन < बिक्री) | माल-सूची में कमी (पुरानी स्टॉक से बिक्री)। | माल-सूची से बिक्री से नया उत्पादन नहीं होता, इसलिए मूल्यवर्धित में कोई नई वृद्धि नहीं होती। |
4. कोई माल-सूची संचय नहीं (उत्पादन = बिक्री) | माल-सूची में कोई बदलाव नहीं। | मूल्यवर्धित में केवल बेची गई वस्तुएं ही शामिल होती हैं। |
मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
उत्पादन का मूल्य = बिक्री + माल-सूची संचय
अतः मूल्यवर्धित = बिक्री + माल-सूची संचय – मध्यवर्ती उपभोग,
प्रश्न 5: तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?
उत्तर 5:
उत्पादन विधि | आय विधि | व्यय विधि |
(बिक्री + स्टॉक में परिवर्तन) घटा मध्यवर्ती उपभोग बराबर बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद घाटा मूल्यहास् बराबर बाजार की कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद घटा शुद्ध अप्रत्यक्ष कर बराबर कारक आय पर निवल घरेलू उत्पाक घटा मूल्यहास् बराबर बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद घटा शुद्ध अप्रत्यक्ष कर बराबर कारक आय पर निवल घरेलू उत्पाद | कर्मचरियों का परिश्रमक जमा प्रचलन अधिशेष जमा स्वनियोजितो की मिश्रित आय बराबर कारक आय पर निवेश (NDPFe )घरेलू आय जमा विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आय बराबर NNPFc(राष्टीय आय)NDPFc = कारक के आय का जोड़ | निजी अंतिम उपभोग व्यय जमा सरकारी अंतिम उपभोग व्यय जमा सकल घरेलू स्थिर पूंजी निमार्ण जमा स्टॉक में परिवर्तन जमा निबल निर्यात (निर्यात – आयत) बराबर बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद घटा मूल्यहास् बराबर बाजार कीमत पर निवल घरेलू उत्पाद घटा शुद्ध अप्रत्यक्ष कर बराबर कारक आय पर निवल घरेलू उत्पाद विदेशों में जमा प्राप्त शुद्ध आय बराबर कारक आये पर निवल राष्टीय उत्पाद = NNPFe GPPMP सभी क्षेत्रको द्वारा अंतिम का योग GDPMP = C + I + G + X -n |
प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का मूल्य एक सा आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतनी ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतनी ही अंतिम व्यय होगा। इसे दिए गए चित्र द्वारा दिखाया गया है।
प्रश्न 6: बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रु० था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रु० थी। उस देश के बजटीय घाटे का परिमाण क्या था?
उत्तर 6: बजटीय घाटा: बजटीय घाटा वह स्थिति होती है जब किसी सरकार के कुल व्यय (खर्च) उसके कुल राजस्व (आय) से अधिक हो जाता है। सरल शब्दों में, यदि सरकार की आय (टैक्स और अन्य स्रोतों से) उसके खर्चों को पूरा नहीं कर पाती, तो वह बजटीय घाटा कहलाता है।
व्यापार घाटा: व्यापार घाटा तब होता है जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो जाता है। यानी, देश द्वारा विदेशों से खरीदे गए सामान और सेवाओं की कीमत उन सामान और सेवाओं की कीमत से अधिक होती है जो वह विदेशों को बेचता है। इसे आमतौर पर भुगतान शेष के चालू खाते के संदर्भ में देखा जाता है।
किसी देश में, अगर कुल बचत से ज़्यादा निजी निवेश हो और बजटीय घाटा 1,500 करोड़ रुपये हो, तो उस देश का बजटीय घाटा 500 करोड़ रुपये होगा:
- बजटीय घाटा = (I – S) + (G – T)
- यहां, I – S = 2,000 करोड़ रुपये
- G – T = -1,500 करोड़ रुपये
- इसलिए, बजटीय घाटा = 2,000 + (-1,500) = 500 करोड़ रुपये।
प्रश्न 7: मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रु० था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रु० था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रु० और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रु० है, तो मूल्यह्रास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।
उत्तर 7: हमें पता है की
राष्ट्रीय आय = बाजार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कर्क आये – शुद्ध अप्रत्यक्ष कर – मूलयह्रस
∴ 850 = 1,100 + 100 – 150 मूलयह्रस
मूलयह्रस = 1,100 + 100 – 150 – 850
= 1,200 – 1,000 = 200 करोड़ रु
प्रश्न 8: किसी देश विशेष में एक वर्ष में कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 1900 करोड़ रु० है। फर्मों/सरकार द्वारा परिवार को अथवा परिवार के द्वारा सरकार/फर्मों को किसी भी प्रकार का ब्याज अदायगी नहीं की जाती है, परिवारों की वैयक्तिक प्रयोज्य आय 1200 करोड़ रु० है। उनके द्वारा अदा किया गया वैयक्तिक आयकर 600 करोड़ रु० है और फर्मों तथा सरकार द्वारा अर्जित आय का मूल्य 200 करोड़ रु० है। सरकार और फर्म द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी का मूल्य क्या है?
उत्तर 8: NNPFC = 1900
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 1200
वैयक्तिक आयकर = 600 करोड़
वैयक्तिक आय = 1200 + 600 = 1800
वैयक्तिक आय = NNPFC – अवितरित लाभ + सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी
1800 = 1900 – 200 + अंतरण अदायगी
अंतरण अदायगी = 1800 – 1700 = 100 करोड़
प्रश्न 9: निम्नलिखित आँकड़ों से वैयक्तिक आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए:
(a) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद = 8000 करोड़ रु०
(b) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय = 200 करोड़ रु०
(c) अवितरित लाभ = 1000 करोड़ रु०
(d) निगम कर = 500 करोड़ रु०
(e) परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज = 1500 करोड़ रु०
(f) परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज = 1200 करोड़ रु०
(g) अंतरण आय = 300 करोड़ रु०
(h) वैयक्तिक कर = 500 करोड़ रु०
उत्तर 9: वैयक्तिक आय की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाती है:
वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय + अंतरण आय – अवितरित लाभ – निगम कर + परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज – परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज
दी गई जानकारी के अनुसार:
- कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद = 8000 करोड़ रु०
- विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय = 200 करोड़ रु०
- अवितरित लाभ = 1000 करोड़ रु०
- निगम कर = 500 करोड़ रु०
- परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज = 1500 करोड़ रु०
- परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज = 1200 करोड़ रु०
- अंतरण आय = 300 करोड़ रु०
अब, वैयक्तिक आय की गणना करते हैं:
वैयक्तिक आय = 8000 + 200 + 300 – 1000 – 500 + 1500 – 1200
वैयक्तिक आय = 8300 करोड़ रु०
वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाती है:
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर
जहां:
- वैयक्तिक आय = 8300 करोड़ रु०
- वैयक्तिक कर = 500 करोड़ रु०
अब, वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना करते हैं:
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 8300 – 500 = 7800 करोड़ रु०
- वैयक्तिक आय = 8300 करोड़ रु०
- वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 7800 करोड़ रु०
प्रश्न 10: हजाम राजू एक दिन में बाल काटने के लिए 500 रु० का संग्रह करता है। इस दिन उसके उपकरण में 50 रु० का मूल्यह्रास होता है। इस 450 में से राजू 30 रु० बिक्री कर अदा करता है। वह 200 रु० घर ले जाता है और 220 रु० उन्नति और नए उपकरणों का क्रय करने के लिए रखता है। वह अपनी आय में से 20 रु० आय कर के रूप में अदा करता है। इन पूरी सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित में राजू का योगदान ज्ञात कीजिए-
(a) सकल घरेलू उत्पाद
(b) बाजार कीमत पर निबल राष्ट्रीय उत्पाद
(c) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय आय
(d) वैयक्तिक आय
(e) वैयक्तिक प्रयोज्य आये
उत्तर 10:
(a) सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर = कुल प्राप्ति = 500
सकल घरेलू उत्पाद कारक आय पर = सकल उत्पाद बाजार कीमत पर – अप्रत्यक्ष कर
= 500 – 30 = ₹ 470
(b) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर – मूल्यह्रास ब
= 500 – 50 = ₹ 450
(c) कारक लागत पर निम्न राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर
= 450 – 30 = ₹ 420
(d) वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ
= 420 – 220 = ₹ 200
(e) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर
= 200 – 20 = ₹ 180
प्रश्न 11: किसी वर्ष एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य 2500 करोड़ रु० था। उसी वर्ष, उस देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य किसी आधार वर्ष की कीमत पर 3000 करोड़ रु० था। प्रतिशत के रूप में वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य की गणना कीजिए। क्या आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि हुई?
उत्तर 11: सकल राष्ट्रीय उत्पाद अवस्फीतिक (GDP Deflator) को गणना करने का सूत्र इस प्रकार है:
GDP Deflator = \(\left( \frac{\text{Nominal GDP}}{\text{Real GDP}} \right) \times 100\)
यहाँ:
- Nominal GDP = 2500 करोड़ रु०
- Real GDP (आधार वर्ष की कीमतों पर) = 3000 करोड़ रु०
अब, GDP Deflator की गणना करते हैं:
GDP Deflator = \(\left( \frac{2500}{3000} \right) \times 100 = 83.33\%\)
इसका अर्थ है कि वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक (GDP Deflator) का मूल्य 83.33% है।
कीमत स्तर में वृद्धि: अगर GDP Deflator 100% से कम है, तो इसका मतलब है कि कीमतों में कमी आई है (अवस्फीति)। यहाँ, GDP Deflator 83.33% है, जो यह दर्शाता है कि कीमतों में घटावट हुई है (मूल्य स्तर में गिरावट हुई है) और इस प्रकार आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि कीमतों में गिरावट आई है।
प्रश्न 12: किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।
उत्तर 12: किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
बाह्य कारण (Externalities): आपने सही उल्लेख किया है कि सकल घरेलू उत्पाद बाहरी कारणों (जैसे प्रदूषण) को नहीं मानता है, जो सामाजिक कल्याण पर प्रभाव डालते हैं। जब फैक्ट्री प्रदूषण करती है, तो इससे समाज को नुकसान होता है, लेकिन इसका समावेश GDP में नहीं होता। इसी तरह, सकारात्मक बाह्यताएँ जैसे शुद्ध वायु का लाभ समाज को मिलता है, लेकिन इसके लिए कोई भुगतान नहीं किया जाता, जिससे GDP अर्थव्यवस्था के वास्तविक कल्याण को नहीं दर्शाता।
सकल घरेलू उत्पाद का वितरण-यह संभव है कि किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ रहा हो और उसके साथ-साथ आय की असमानताएँ भी बढ़ रही हो। ऐसी स्थिति में अमीर और अधिक अमीर हो । जायेंगे, परन्तु निर्धन और अधिक निर्धन हो जायेंगे, अतः निर्धनों का कल्याण नहीं होगा। उदाहरण के लिए एक देश की आय सन् 2000 में 14000 करोड़ से बढ़कर 320000 करोड़ हो गई। 14000 करोड़ में से 400 करोड़ 50% निर्धनतम को मिल रहे थे जबकि 20000 करोड़ में से ₹ 2000 करोड़ निर्धनतम वर्ग को मिल रहे थे और 180000 करोड़ अमीरतम वर्ग को तो निर्धनतम को आर्थिक कल्याण स्तर कम हुआ है।
गैर मौद्रिक विनिमय – अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में नहीं होता। उदाहरण के लिए जो महिलायें अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं, उसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। बहुत सी सेवाओं को एक दूसरे के बदले में प्रत्यक्ष रूप से विनिमय होता है, क्योंकि मुद्रा का यहाँ प्रयोग नहीं होता है, इसीलिए वस्तु विनिमय को आर्थिक कार्यकलाप का हिस्सा नहीं माना जाता। इससे सकल घरेलू उत्पाद का अल्पमूल्यांकन होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर यह देश के कल्याण की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता।