Ncert Solutions for Class 12 Micro Economics Chapter 1 in hindi: व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय question answer
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Economics |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | व्यष्टि अर्थशास्त्र परिचय class 12 ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर 1: अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं तीन प्रमुख मुद्दों पर आधारित होती हैं, जिन्हें आर्थिक समस्या या संसाधनों के सीमित होने से उत्पन्न समस्याएं भी कहा जाता है। ये समस्याएं इस बात से उत्पन्न होती हैं कि मानव की आवश्यकताएं असीमित हैं जबकि संसाधन सीमित हैं। इन समस्याओं को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है:
- i) क्या उत्पादन किया जाए?
- ii) कैसे उत्पादन किया जाए?
- iii) किसके लिए उत्पादन किया जाए?
1. क्या उत्पादन किया जाए?: यह समस्या इस बात से संबंधित है कि अर्थव्यवस्था में कौन से वस्त्र और सेवाएं उत्पादित की जाएं। इसमें शामिल है:
- कौन-कौन सी वस्तुएं या सेवाएं आवश्यक हैं?
- कितना उत्पादन किया जाना चाहिए?
- उत्पादन के लिए किस प्रकार के संसाधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए?
- उत्पादन के लिए किस प्रकार के संसाधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए?
उदाहरण के लिए, किसी देश को यह निर्णय लेना पड़ता है कि वह कृषि उत्पादों का उत्पादन बढ़ाए या औद्योगिक वस्तुओं का। इसके साथ ही यह भी निर्णय लेना होता है कि उपभोक्ता वस्तुओं (जैसे भोजन, वस्त्र) का उत्पादन हो या पूंजीगत वस्तुओं (जैसे मशीनें, उपकरण) का।
2. कैसे उत्पादन किया जाए?: यह समस्या उत्पादन की विधि से संबंधित है। इसमें यह तय करना होता है कि संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाए। इसमें दो प्रमुख विधियां शामिल होती हैं:
- श्रमप्रधान विधि – इसमें उत्पादन के लिए श्रम का अधिक प्रयोग किया जाता है। यह आमतौर पर उन देशों में होता है जहां श्रम सस्ता होता है और पूंजी सीमित होती है।
- पूंजीप्रधान विधि – इसमें पूंजी और तकनीकी साधनों का अधिक प्रयोग किया जाता है। यह उन देशों में अधिक उपयुक्त होती है जहां पूंजी सस्ती और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती है।
उदाहरण के लिए, क्या उत्पादन पारंपरिक तरीकों से किया जाए या आधुनिक मशीनों और तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, इसका निर्णय करना होता है।
3. किसके लिए उत्पादन किया जाए?: यह समस्या वितरण से संबंधित है। इसमें यह निर्धारित करना होता है कि उत्पादन किए गए वस्त्र और सेवाएं समाज के किस वर्ग को प्रदान की जाएं:
- उच्च आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग, या निम्न आय वर्ग?
- क्या सभी के लिए समान रूप से वस्त्र और सेवाओं का वितरण हो, या आय और संपत्ति के आधार पर वितरण किया जाए?
इसका मतलब यह भी है कि समाज में उत्पादन किए गए साधनों का वितरण कैसे किया जाए ताकि सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। इसमें यह भी निर्णय लेना होता है कि संसाधनों का उपभोग किस वर्ग द्वारा किया जाएगा और कौन से उत्पाद विशेष वर्गों के लिए उपयुक्त होंगे।
प्रश्न 2: अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर 2: अर्थव्यवस्था की उत्पादन संभावनाओं से तात्पर्य उन विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के अधिकतम संयोजनों से है जिन्हें एक अर्थव्यवस्था अपने सीमित संसाधनों का पूर्ण और कुशल उपयोग करके उत्पादन कर सकती है। इसे उत्पादन संभाव्यता वक्र (Production Possibility Curve – PPC) के माध्यम से दर्शाया जाता है, जो यह दिखाता है कि यदि एक वस्तु का उत्पादन बढ़ाना है तो दूसरी वस्तु का उत्पादन कितना कम करना पड़ेगा, क्योंकि संसाधन सीमित होते हैं।
यह वक्र संसाधनों की सीमितता और वैकल्पिक उपयोग की अवधारणा को स्पष्ट करता है, और किसी भी अर्थव्यवस्था में संसाधनों के उपयोग की दक्षता को मापने का एक साधन प्रदान करता है। उत्पादन संभावनाएं हमें यह भी बताती हैं कि एक अर्थव्यवस्था में किस प्रकार का उत्पादन कुशल (Efficient) है और कौन सा उत्पादन अकुशल (Inefficient) है, साथ ही यह यह भी इंगित करता है कि यदि संसाधनों का पूर्ण उपयोग किया जाए तो अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से अधिक उत्पादन नहीं कर सकती।
प्रश्न 3: सीमान्त उत्पादन संभावना क्या है?
उत्तर 3: सीमान्त उत्पादन संभावना दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाती है, जिनका उत्पादन अर्थव्यवस्था के संसाधनों का पूर्ण रूप से उपयोग करने पर किया जाता है। यह एक वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई प्राप्त करने की अवसर लागत है।
प्रश्न 4: अर्थव्यवस्था की विषय वस्तु की विवेचना कीजिए।
उत्तर 4: अर्थव्यवस्था की विषय-वस्तु मुख्य रूप से आर्थिक समस्याओं और उनके समाधान का अध्ययन है। यह अध्ययन दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित होता है: व्यष्टि अर्थशास्त्र (Microeconomics) और समष्टि अर्थशास्त्र (Macroeconomics)। व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों, जैसे उपभोक्ता, उत्पादक और बाजार के व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसमें मांग, आपूर्ति, मूल्य निर्धारण, और संसाधनों का आवंटन जैसे विषय शामिल होते हैं।
दूसरी ओर, समष्टि अर्थशास्त्र राष्ट्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था के व्यापक मुद्दों पर केंद्रित होता है, जैसे राष्ट्रीय आय, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, आर्थिक विकास, और सरकारी नीतियों का प्रभाव। इसके अलावा, अर्थव्यवस्था के अध्ययन में उत्पादन, वितरण और विनिमय से संबंधित समस्याओं को समझना शामिल है, ताकि समाज की आवश्यकताओं को संतुलित और कुशल ढंग से पूरा किया जा सके। आर्थिक सिद्धांत और नीतियां इसी विषय-वस्तु के आधार पर विकसित की जाती हैं, ताकि संसाधनों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
प्रश्न 5: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था के भेद को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 5: केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था और बाजार अर्थव्यवस्था के बीच भेद:
बाजार अर्थव्यवस्था | केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था |
---|---|
मांग और पूर्ति: इस अर्थव्यवस्था में मांग और पूर्ति की शक्तियों की स्वतंत्र अंतक्रिया का वर्चस्व होता है। | मांग और पूर्ति: इस अर्थव्यवस्था में मांग और पूर्ति की स्वतंत्र अंतक्रिया का अभाव होता है। |
उत्पादन कारकों का स्वामित्व: इसमें उत्पादन के कारकों पर निजी स्वामित्व होता है। | उत्पादन कारकों का स्वामित्व: इसमें उत्पादन के कारकों पर सरकारी स्वामित्व होता है। |
उत्पादन का उद्देश्य: इसमें उत्पादन मुख्य रूप से लाभ के उद्देश्य से किया जाता है। | उत्पादन का उद्देश्य: इसमें उत्पादन का उद्देश्य समाज कल्याण होता है। |
सरकार की भूमिका: इसमें सरकार उत्पादकों और उपभोक्ताओं के निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं करती। | सरकार की भूमिका: इसमें सरकार उत्पादकों और उपभोक्ताओं के निर्णयों में हस्तक्षेप करती है। |
उपभोक्ता की भूमिका: इसमें उपभोक्ता का प्रभुत्व होता है, यानी उपभोक्ता की पसंद प्राथमिक होती है। | उपभोक्ता की भूमिका: इसमें उपभोक्ता की प्रभुता बाधित होती है, क्योंकि सरकार द्वारा योजनाएँ बनाई जाती हैं। |
पूंजी संचय: इसमें व्यक्तिगत अधिकारों के कारण पूंजी के संचय की अनुमति होती है। | पूंजी संचय: इसमें पूंजी के संचय की अनुमति नहीं होती है। |
उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जापान आदि। | उदाहरण: चीन, क्यूबा, उत्तर कोरिया आदि। |
प्रश्न 6: सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर 6: सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण के अन्तर्गत हम यह अध्ययन करते हैं कि विभिन्न कार्यविधियाँ किस प्रकार कार्य करती हैं। उदाहरणत: जब हम कहते हैं कि कीमत के बढ़ने से माँग की मात्रा कम हो जाती है और कीमत कम होने से माँग की मात्रा बढ़ जाती है तो यह सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण है।
प्रश्न 7: आदर्शक आर्थिक विश्लेषण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर 7: आदर्शक आर्थिक विश्लेषण में हम यह समझाने का प्रयास करते हैं कि ये विधियाँ हमारे अनुकूल हैं भी या नहीं। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि सिगरेट और शराब की माँग कम करने के लिए उनके ऊपर कर की दरें बढ़ानी चाहिए तो यह आदर्शक विश्लेषण है।
प्रश्न 8: व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 8: 1. अध्ययन का स्तर:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र: यह अर्थव्यवस्था के व्यक्तिगत घटकों जैसे उपभोक्ता, फर्म, और व्यक्तिगत बाजारों का अध्ययन करता है। इसमें मांग और आपूर्ति, उपभोक्ता व्यवहार, मूल्य निर्धारण, और व्यक्तिगत इकाइयों के निर्णयों का विश्लेषण होता है।
- समष्टि अर्थशास्त्र: यह संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन करता है और राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर के आर्थिक मुद्दों का विश्लेषण करता है। इसमें मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, राष्ट्रीय आय, सकल घरेलू उत्पाद (GDP), और आर्थिक नीतियों जैसे मुद्दे शामिल होते हैं।
2. फोकस:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र: यह छोटे घटकों पर केंद्रित होता है, जैसे किसी विशेष बाजार में वस्त्रों या सेवाओं की मांग और पूर्ति, किसी फर्म की लागत और उत्पादन, आदि।
- समष्टि अर्थशास्त्र: यह बड़े आर्थिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे पूरे देश की आय, आर्थिक विकास की दर, सार्वजनिक व्यय, और सरकार की वित्तीय व मौद्रिक नीतियों का प्रभाव।
3. विषय वस्तु:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र: इसमें उपभोक्ता मांग का सिद्धांत, उत्पादन और लागत का सिद्धांत, मूल्य निर्धारण, बाजार संरचना, और विभिन्न फर्मों के निर्णयों का अध्ययन किया जाता है।
- समष्टि अर्थशास्त्र: इसमें राष्ट्रीय आय, संपूर्ण मांग और संपूर्ण आपूर्ति, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, व्यापार चक्र, आर्थिक वृद्धि, और आर्थिक स्थिरीकरण नीतियों का अध्ययन किया जाता है।
4. उद्देश्य:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र: इसका उद्देश्य व्यक्तिगत इकाइयों और बाजारों के व्यवहार को समझना और उनके प्रभावों का विश्लेषण करना है, ताकि सीमित संसाधनों का कुशलतम उपयोग किया जा सके।
- समष्टि अर्थशास्त्र: इसका उद्देश्य समग्र आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखना है, ताकि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर आर्थिक समस्याओं को हल किया जा सके।
5. नीति निर्माण:
- व्यष्टि अर्थशास्त्र: यह नीतियों के निर्माण में योगदान देता है जो छोटे बाजारों या व्यक्तिगत उद्योगों के लिए होती हैं, जैसे मूल्य नियंत्रण या प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
- समष्टि अर्थशास्त्र: यह व्यापक आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायता करता है, जैसे मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति, और समष्टिगत स्थिरीकरण नीति।
बिंदु | व्यष्टि अर्थशास्त्र | समष्टि अर्थशास्त्र |
---|---|---|
अध्ययन का स्तर | व्यक्तिगत इकाइयों जैसे उपभोक्ता, फर्म, और बाजार का अध्ययन। | संपूर्ण अर्थव्यवस्था का अध्ययन, जैसे राष्ट्रीय आय और आर्थिक नीतियाँ। |
फोकस | छोटे घटकों पर, जैसे एक बाजार में मांग और आपूर्ति। | व्यापक आर्थिक मुद्दों पर, जैसे मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, और GDP। |
विषय वस्तु | उपभोक्ता व्यवहार, फर्म की उत्पादन प्रक्रिया, और मूल्य निर्धारण। | राष्ट्रीय आय, मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, और व्यापार चक्र। |
उद्देश्य | व्यक्तिगत बाजारों और संसाधनों के कुशलतम उपयोग को समझना। | समग्र आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित करना। |
मुख्य अवधारणाएं | मांग, आपूर्ति, उपभोक्ता संतुलन, फर्म का उत्पादन निर्णय। | संपूर्ण मांग, संपूर्ण आपूर्ति, राष्ट्रीय आय, राजकोषीय और मौद्रिक नीति। |
नीति निर्माण | छोटे बाजारों या उद्योगों के लिए नीतियां, जैसे मूल्य नियंत्रण। | व्यापक आर्थिक नीतियां, जैसे मौद्रिक और राजकोषीय नीतियां। |
उदाहरण | एक बाजार में किसी वस्तु की कीमत कैसे तय होती है। | किसी देश की आर्थिक वृद्धि दर या बेरोजगारी की दर। |