Ncert Solutions for Class 12 Micro Economics Chapter 2 in hindi: उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत question answer
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Economics |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत class 12 ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: उपभोक्ता के बजट सेट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर 1: उपभोक्ता का बजट सेट उन सभी वस्तुओं और सेवाओं के संयोजनों का समूह होता है जिन्हें एक उपभोक्ता अपनी आय और वस्तुओं की कीमतों के आधार पर खरीद सकता है। यह उपभोक्ता की क्रय क्षमता और वस्तुओं की कीमतों पर निर्भर करता है।
प्रश्न 2: बजट रेखा क्या है?
उत्तर 2: बजट रेखा उपभोक्ता के विभिन्न वस्तुओं के संयोजन को प्रदर्शित करती है, जिन्हें वह अपनी आय और वस्तुओं की कीमतों को ध्यान में रखते हुए खरीद सकता है। यह रेखा उपभोक्ता की आय और वस्तुओं की कीमतों के बीच संबंध को दर्शाती है, और यह दर्शाती है कि उपभोक्ता अपनी सीमित आय से कितनी मात्रा में विभिन्न वस्तुओं का उपभोग कर सकता है।
प्रश्न 3: बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर क्यों होती है? समझाइए।
उत्तर 3: बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर होती है, क्योंकि बजट रेखा पर स्थित प्रत्येक बिन्दु एक ऐसे बंडल को दर्शाता है जिस पर उपभोक्ता की पूरी आय व्यय हो जाती हैं ऐसे में यदि उपभोक्ता वस्तु 1 की 1 इकाई अधिक लेना चाहता है, तब वह ऐसा तभी कर सकता है जब वह दूसरी वस्तु की कुछ मात्रा छोड़ दे। वस्तु 1 की मात्रा कम किये बिना वह वस्तु 2 की मात्रा बढ़ा नहीं सकता। वस्तु 1 की एक अतिरिक्त इकाई पाने के लिए उसे वस्तु 2 की कितनी इकाई छोड़नी होगी यह दो वस्तुओं की कीमत पर निर्भर करेगा।
प्रश्न 4: एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक है। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमशः 4 रुपये है तथा 5 रुपये है। उपभोक्ता की आय 20 रुपये है:
(i) बजट रेखा के समीकरण को लिखिए।
(ii) उपभोक्ता यदि अपनी संपूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
(iii) यदि वह अपनी संपूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
(iv) बजट रेखा की प्रवणता क्या है?
उत्तर 4: उपलब्ध जानकारी के अनुसार:
- वस्तु 1 की कीमत = 4 रुपये
- वस्तु 2 की कीमत = 5 रुपये
- उपभोक्ता की कुल आय = 20 रुपये
अब दिए गए प्रश्नों का उत्तर निम्नलिखित है:
(i) बजट रेखा का समीकरण
अगर x1 वस्तु 1 की मात्रा है और x2 वस्तु 2 की मात्रा है, तो बजट रेखा का समीकरण होगा:
4x1 + 5x2 = 20
(ii) यदि उपभोक्ता अपनी संपूर्ण आय वस्तु 1 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
यदि उपभोक्ता संपूर्ण आय को केवल वस्तु 1 पर व्यय करता है (अर्थात x2 = 0 ), तो:
4x1 = 20
x1 = \(\frac{20}{4} = 5\)
अतः उपभोक्ता वस्तु 1 की 5 इकाइयों का उपभोग कर सकता है।
(iii) यदि वह अपनी संपूर्ण आय वस्तु 2 पर व्यय कर दे, तो वह उसकी कितनी मात्रा का उपभोग कर सकता है?
यदि उपभोक्ता संपूर्ण आय को केवल वस्तु 2 पर व्यय करता है (अर्थात x1 = 0 ), तो:
5x2 = 20
x2 = \(\frac{20}{5} = 4\)
अतः उपभोक्ता वस्तु 2 की 4 इकाइयों का उपभोग कर सकता है।
(iv) बजट रेखा की प्रवणता
बजट रेखा की प्रवणता (slope) की गणना करने के लिए हम वस्तु 1 की कीमत और वस्तु 2 की कीमत का अनुपात लेंगे:
प्रवणता = वस्तु 1 की कीमत/वस्तु 2 की कीमत = \(-\frac{4}{5}\)
अतः बजट रेखा की प्रवणता \( -\frac{4}{5} \) है।
प्रश्न 5: यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर 40 रुपये हो जाती है, परन्तु कीमत अपरिवर्तित रहती है तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तर 5: जब उपभोक्ता की आय बढ़ती है और वस्तुओं की कीमतें अपरिवर्तित रहती हैं, तो बजट रेखा बाहर की ओर समानांतर खिसक जाती है, जैसा कि चित्र में AB से A′B की ओर दिखाया गया है। इसका मतलब है कि अब उपभोक्ता अपनी बढ़ी हुई आय के कारण दोनों वस्तुओं का अधिक मात्रा में उपभोग कर सकता है।
इससे यह स्पष्ट है कि बजट रेखा में निम्नलिखित परिवर्तन होंगे:
1. आय में वृद्धि से बजट रेखा ऊपर की ओर स्थानांतरित हो जाएगी (shift upward)।
- पहले उपभोक्ता ( 20 ) रुपये में वस्तु 1 और वस्तु 2 के संयोजन से बजट रेखा का पालन कर सकता था।
- अब, आय ( 40 ) रुपये होने पर वह अधिक मात्रा में वस्तु 1 और वस्तु 2 का उपभोग कर सकेगा।
2. बजट रेखा का ढलान (slope) अपरिवर्तित रहेगा क्योंकि वस्तु 1 और वस्तु 2 की कीमतें समान रहेंगी, यानी ढलान \( -\frac{4}{5} \) ही रहेगा।
प्रश्न 6: यदि वस्तु 2 की कीमत में 1 रुपये की गिरावट आ जाए परन्तु वस्तु 1 की कीमत में तथा उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन न हो, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आएगा?
उत्तर 6: यदि वस्तु 2 की कीमत में 1 रुपये की गिरावट आती है और वस्तु 1 की कीमत तथा उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होता, तो बजट रेखा में परिवर्तन आएगा।
इस स्थिति में:
- वस्तु 2 की नई कीमत 5 रुपये से घटकर 4 रुपये हो जाएगी।
- उपभोक्ता की आय 20 रुपये बनी रहेगी।
बजट रेखा का नया समीकरण होगा:
4x1 + 4x2 =20
इस नए समीकरण को सरल करने पर मिलता है:
x1 + x2 = 5
इस प्रकार, नई बजट रेखा की प्रवणता (-4/4 = -1) हो जाएगी। इसका मतलब है कि बजट रेखा में परिवर्तन आएगा, और यह पहले से कम ढलान वाली हो जाएगी। चित्र में भी यह दिखाया गया है कि नई बजट रेखा “New Budget line” के रूप में ऊपर की ओर शिफ्ट हो गई है, जिससे यह इंगित होता है कि अब उपभोक्ता वस्तु 2 की अधिकतम मात्रा का उपभोग कर सकता है।
प्रश्न 7: यदि कीमतें और उपभोक्ता की आय दोनों दुगुनी हो जाए तो बजट सेट कैसा होगा?
उत्तर 7: यदि कीमतें और उपभोक्ता की आय दोनों दुगुनी हो जाएं, तो बजट सेट में कोई बदलाव नहीं आएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि बजट रेखा की स्थिति में बदलाव केवल कीमतों या आय के अनुपातिक परिवर्तन से आता है।
यहां स्थिति का विश्लेषण इस प्रकार है:
- मान लीजिए कि प्रारंभ में:
- वस्तु 1 की कीमत = 4 रुपये
- वस्तु 2 की कीमत = 5 रुपये
- उपभोक्ता की आय = 20 रुपये
इस स्थिति में बजट रेखा का समीकरण था:
4x1 + 5x2 = 20
अब यदि कीमतें और आय दोनों दुगुनी हो जाएं:
- नई कीमतें:
- वस्तु 1 की कीमत = (4 × 2 = 8) रुपये
- वस्तु 2 की कीमत = (5 × 2 = 10) रुपये
- नई आय = (20 × 2 = 40) रुपये
तो नया बजट रेखा का समीकरण होगा:
8x1 + 10x2 = 40
इसे सरल करके लिख सकते हैं:
4x1 + 5x2 = 20
यह वही समीकरण है जो प्रारंभ में था। इसका मतलब है कि बजट रेखा का स्थान, प्रवणता, और बजट सेट में कोई बदलाव नहीं होगा।
निष्कर्ष: बजट सेट वैसा ही रहेगा, क्योंकि आय और कीमतों का अनुपात समान है।
प्रश्न 8: मान लीजिए कि कोई उपभोक्ता अपनी पूरी आय का व्यय करके वस्तु 1 की 6 इकाइयाँ तथा वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ खरीद सकता है। दोनों वस्तुओं की कीमतें क्रमशः 6 रुपये तथा 8 रुपये में हैं। उपभोक्ता की आय कितनी है?
उत्तर 8: यहाँ,
- वस्तु 1 की कीमत = 6 रुपये
- वस्तु 2 की कीमत = 8 रुपये
- उपभोक्ता वस्तु 1 की 6 इकाइयाँ और वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ खरीद सकता है।
उपभोक्ता की पूरी आय इन दोनों वस्तुओं की कुल लागत के बराबर होगी।
आय की गणना इस प्रकार होगी:
आय = वस्तु 1 की कीमत x वस्तु 1 की मात्रा + वस्तु 2 की कीमत x वस्तु 2 की मात्रा
आय = 6 x 6 + 8 x 8
आय = 36 + 64
आय = 100 रुपये
अतः उपभोक्ता की आय 100 रुपये है।
प्रश्न 9: मान लीजिए, उपभोक्ता दो ऐसी वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है, जो केवल पूर्णाक इकाइयों में उपलब्ध हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत 10 रुपये के बराबर है तथा उपभोक्ता की आय 40 रुपये है। |
(i) वे सभी बंडल लिखिए, जो उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं।
(ii) जो बंडल उपभोक्ता के लिए उपलब्ध हैं, उनमें से वे बंडल कौन से हैं जिन पर उपभोक्ता के पूरे 40 रुपये व्यय हो जाएँगे।
उत्तर 9: (i) बजट रेखा समीकरण 10a + 100y < 40 अतः सभी बंडल जो वह खरीद सकता है।
(0, 0), (0, 1), (0, 2), (0, 3), (0, 4)
(1, 0), (1, 1), (1, 2) (1, 3)
(2, 0), (2, 1), (2, 2)
(3, 0), (3, 1)
(4,0)
(ii) ऐसे बंडल जिन पर पूरे 40 ₹ व्यय हो जायेंगे- (0, 4), (1, 3), (2, 2), (3, 1), (4, 0)।
प्रश्न 10: ‘एकदिष्ट अधिमान’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर 10: एकदिष्ट अधिमान का अर्थ है कि उपभोक्ता दोनों वस्तुओं की अधिक मात्रा को समान मात्रा की तुलना में हमेशा बेहतर मानता है। दूसरे शब्दों में, यदि किसी बंडल में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है, तो उपभोक्ता उस बंडल को प्राथमिकता देगा। यदि उपभोक्ता के एकदिष्ट अधिमान है तो वह संयोजन (4, 5) से अधिक संयोजन (5, 5) या (4, 6) को करेगा।
प्रश्न 11: यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं तो क्या वह बंडल (10, 8) और बंडल (8, 6) के बीच तटस्थ हो सकता है?
उत्तर 11: यहाँ दिए गए दो बंडल हैं:
- बंडल A = (10, 8): जिसमें वस्तु 1 की 10 इकाइयाँ और वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ हैं।
- बंडल B = (8, 6): जिसमें वस्तु 1 की 8 इकाइयाँ और वस्तु 2 की 6 इकाइयाँ हैं।
बंडल ( A ) में दोनों वस्तुओं की मात्रा बंडल ( B ) की तुलना में अधिक है (10 > 8 और 8 > 6)। चूँकि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, वह अधिक मात्रा वाले बंडल ( A ) को बंडल ( B ) पर प्राथमिकता देगा।
निष्कर्ष: उपभोक्ता इन दोनों बंडलों के बीच तटस्थ नहीं हो सकता। वह बंडल ( A ) को बंडल ( B ) पर प्राथमिकता देगा, क्योंकि बंडल ( A ) में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है।
प्रश्न 12: मान लीजिए कि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं। बंडल (10, 10), (10, 9) तथा (9, 9) पर उसके अधिमान श्रेणीकरण के विषय में आप क्या बता सकते हैं?
उत्तर 12: यदि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो वह हमेशा उस बंडल को प्राथमिकता देगा जिसमें वस्तुओं की मात्रा अधिक हो। इस स्थिति में दिए गए तीन बंडल हैं:
- बंडल A = (10, 10)
- बंडल B = (10, 9)
- बंडल C = (9, 9)
अब इन बंडलों का तुलना करके देखते हैं कि उपभोक्ता का अधिमान किस प्रकार होगा:
बंडल A = (10, 10): इस बंडल में दोनों वस्तुओं की मात्रा सबसे अधिक है, इसलिए एकदिष्ट अधिमान के अनुसार उपभोक्ता इसे सबसे अधिक पसंद करेगा।
बंडल B = (10, 9): इस बंडल में वस्तु 1 की मात्रा बंडल ( A ) जितनी ही है (10 इकाइयाँ), लेकिन वस्तु 2 की मात्रा कम है (9 इकाइयाँ)। चूँकि बंडल ( A ) में दोनों वस्तुओं की मात्रा अधिक है, उपभोक्ता बंडल ( B ) की तुलना में बंडल ( A ) को प्राथमिकता देगा।
बंडल C = (9, 9): इस बंडल में दोनों वस्तुओं की मात्रा बंडल ( A ) और बंडल ( B ) दोनों की तुलना में कम है। इसलिए, उपभोक्ता एकदिष्ट अधिमान के अनुसार बंडल ( C ) को सबसे कम प्राथमिकता देगा।
उपभोक्ता का अधिमान क्रम होगा: A ≻ B ≻ C
जहाँ A ≻ B का अर्थ है कि उपभोक्ता बंडल A को बंडल B पर प्राथमिकता देता है, और B ≻ C का अर्थ है कि उपभोक्ता बंडल B को बंडल C पर प्राथमिकता देता है।
निष्कर्ष: उपभोक्ता का अधिमान क्रम एकदिष्ट अधिमान के अनुसार A = (10, 10) > B = (10, 9) > C = (9, 9) होगा।
प्रश्न 13: मान लीजिए कि आपका मित्र, बंडल (5, 6) तथा (6, 6) के बीच तटस्थ है। क्या आपके मित्र के अधिमान एकदिष्ट हैं?
उत्तर 13: नहीं, यदि उसके अधिमान एकदिष्ट होते तो वह (6, 6) को (5, 6) से अधिक प्राथमिकता देता।
प्रश्न 14: मान लीजिए कि बाजार में एक ही वस्तु के लिए दो उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन इस प्रकार हैं:
d1 (p) = 20 – p किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 20 से कम या बराबर हो तथा d1 (p) = 0 किसी ऐसी कीमत के लिए जो 20 से अधिक हो।
d2 (p) = 30 – 2p किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से कम या बराबर हो और d1 (p) = 0 किसी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से अधिक हो। बाजार माँग फलन को ज्ञात कीजिए।
उत्तर 14: हमें दो उपभोक्ताओं के माँग फलन दिए गए हैं और बाजार का कुल माँग फलन ज्ञात करना है।
उपभोक्ताओं के माँग फलन:
- उपभोक्ता 1 का माँग फलन:
\(d_1(p) = 20 – p \quad \text{जब} \, p \leq 20\)
\(d_1(p) = 0 \quad \text{जब} \, p > 20\) - उपभोक्ता 2 का माँग फलन:
\(d_2(p) = 30 – 2p \quad \text{जब} \, p \leq 15\)
\(d_2(p) = 0 \quad \text{जब} \, p > 15\)
बाजार माँग फलन का निर्माण: बाजार माँग फलन, D(p), दोनों उपभोक्ताओं की माँगों का योग होगा। हमें विभिन्न मूल्य स्तरों पर इन माँग फलनों को जोड़ना होगा।
1. जब ( p > 20 ):
- p > 20 के लिए, उपभोक्ता 1 की माँग शून्य होगी, क्योंकि d1(p) = 0।
- p > 15 के लिए, उपभोक्ता 2 की भी माँग शून्य होगी, क्योंकि d2(p) = 0।
इसलिए, p > 20 के लिए बाजार माँग भी शून्य होगी:
D(p) = 0 जब p > 20
2. जब \( 15 < p \leq 20 \):
- \( p \leq 20 \) पर, उपभोक्ता 1 की माँग होगी \( d_1(p) = 20 – p \)।
- \( p > 15 \) पर, उपभोक्ता 2 की माँग शून्य होगी \( d_2(p) = 0 \)।
इसलिए, \( 15 < p \leq 20 \) के लिए बाजार माँग होगी:
D(p) = d1(p) + d2(p) = (20 – p) + 0 = 20 – p जब 15 < p ≤ 20
3. जब ( p ≤ 15 ):
- ( p ≤15 ) पर, उपभोक्ता 1 की माँग \( d_1(p) = 20 – p \) होगी।
- ( p ≤ 15 ) पर, उपभोक्ता 2 की माँग \( d_2(p) = 30 – 2p \) होगी।
इसलिए, ( p ≤ 15 ) के लिए बाजार माँग होगी:
D(p) = d1(p) + d2(p) = (20 – p) + (30 – 2p) = 50 – 3p जब p ≤ 15
बाजार माँग फलन D(p) निम्न प्रकार से होगा:
\(D(p) = \begin{cases} 50 – 3p & \text{जब } p \leq 15, \\ 20 – p & \text{जब } 15 < p \leq 20, \\ 0 & \text{जब } p > 20. \end{cases}\)प्रश्न 15: मान लीजिए, वस्तु के लिए 20 उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन एक जैसे हैं
d(p) = 10 – 3p किसी ऐसी कीमत के लिए जो \(\frac{10}{3}\) से कम हो अथवा बराबर हो तथा
d1(p) = 0 किसी ऐसी कीमत पर \(\frac{10}{3}\) से अधिक है। बाजार फलन क्या है?
उत्तर 15: हमारे पास 20 उपभोक्ता हैं और सभी का माँग फलन एक जैसा है। हमें बाजार माँग फलन ज्ञात करना है।
दिए गए उपभोक्ताओं का माँग फलन:
प्रत्येक उपभोक्ता का माँग फलन निम्नलिखित है:
\(d(p) = 10 – 3p \quad \text{जब} \, p \leq \frac{10}{3}\)
\(d(p) = 0 \quad \text{जब} \, p > \frac{10}{3}\)
बाजार माँग फलन: बाजार माँग फलन सभी उपभोक्ताओं की माँग का योग होता है। चूंकि सभी 20 उपभोक्ताओं का माँग फलन एक जैसा है, इसलिए कुल बाजार माँग 20 उपभोक्ताओं की व्यक्तिगत माँग का 20 गुना होगा।
1. जब \( p > \frac{10}{3} \): यदि कीमत \( p > \frac{10}{3} \) हो जाती है, तो प्रत्येक उपभोक्ता की माँग शून्य हो जाती है। इसका मतलब है कि बाजार की कुल माँग भी शून्य होगी:
\(D(p) = 0 \quad \text{जब} \, p > \frac{10}{3}\)
2. जब \( p \leq \frac{10}{3} \): जब \( p \leq \frac{10}{3} \) होती है, तो प्रत्येक उपभोक्ता की माँग 10 – 3p होगी। चूंकि ऐसे 20 उपभोक्ता हैं, तो बाजार की कुल माँग होगी:
\(D(p) = 20 \times d(p) = 20 \times (10 – 3p)\)
\(D(p) = 200 – 60p \quad \text{जब} \, p \leq \frac{10}{3}\)
बाजार माँग फलन D(p) निम्नलिखित होगा:
\(D(p) = \begin{cases} 200 – 60p & \text{जब } p \leq \frac{10}{3}, \\ 0 & \text{जब } p > \frac{10}{3}. \end{cases}\)यह बाजार माँग फलन दर्शाता है कि जब कीमत \( \frac{10}{3} \) से कम या बराबर होगी, तो माँग 200 – 60p होगी, और यदि कीमत \( \frac{10}{3} \) से अधिक हो जाएगी, तो बाजार की माँग शून्य हो जाएगी।
प्रश्न 16: एक ऐसे बाजार को लीजिए, जहाँ केवल दो उपभोक्ता हैं तथा मान लीजिए वस्तु के लिए उनकी माँगें इस प्रकार हैं: वस्तु के लिए बाजार माँग की गणना कीजिए।
(p) | (d1) | (d2) |
---|---|---|
1 | 9 | 24 |
2 | 8 | 20 |
3 | 7 | 18 |
4 | 6 | 16 |
5 | 5 | 14 |
6 | 4 | 12 |
उत्तर 16: बाजार मांग की गणना करने के लिए, हम प्रत्येक मूल्य स्तर पर दोनों उपभोक्ताओं (उपभोक्ता 1 और उपभोक्ता 2) की मांगों का योग करते हैं।
बाजार मांग गणना : बाजार मांग प्रत्येक मूल्य स्तर पर दोनों उपभोक्ताओं की मांगों का योग है:
बाजार मांग = \(d_1(p) + d_2(p)\)
आइए प्रत्येक मूल्य के लिए कुल बाजार मांग की गणना करें:
P | d1 | d2 | बाजार मांग (d1 + d2) |
1 | 9 | 24 | 33 |
2 | 8 | 20 | 28 |
3 | 7 | 18 | 25 |
4 | 6 | 16 | 22 |
5 | 5 | 14 | 19 |
6 | 4 | 12 | 16 |
प्रश्न 17: सामान्य वस्तु से आप क्या समझते हैं?
उत्तर 17: जिस वस्तु का आय के साथ धनात्मक संबंध हो अर्थात् उपभोक्ता की आय बढ़ने पर जिस वस्तु की माँग बढ़ती हो तथा उपभोक्ता की आय कम होने पर जिस वस्तु की माँग बढ़ती हो तथा उपभोक्ता की आय कम होने पर जिस वस्तु की माँग कम होती हो वह सामान्य वस्तु कहलाती है।
प्रश्न 18: निम्नस्तरीय वस्तु को परिभाषित कीजिए। कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर 18: ऐसी वस्तु जिसको आय के साथ ऋणात्मक संबंध होता है अर्थात् उपभोक्ता की आय बढ़ने पर जिस वस्तु की माँग कम होती है तथा उपभोक्ता की आय कम होने पर जिस वस्तु की माँग बढ़ती है, वह निम्नस्तरीय वस्तु कहलाती है। कोई भी वस्तु निम्नस्तरीय है या सामान्य यह उपभोक्ता की प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। जो वस्तु एक उपभोक्ता के लिए सामान्य है वह किसी अन्य के लिए निम्नस्तरीय हो सकती है फिर भी साधारणतः जो वस्तुएँ निम्नस्तरीय वस्तु की श्रेणी में आती हैं उनके उदाहरण हैं-ज्वार, बाजरी, साप्ताहिक बाजारों में बिकने वाला माल, टोन्ड दूध आदि।
प्रश्न 19: स्थानापन्न वस्तु को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए जो एक-दूसरे के स्थानापन्न हैं।
उत्तर 19: वे वस्तुएँ जो एक मानव इच्छा की पूर्ति के लिए एक दूसरे के स्थान पर उपयोग में आ सकती हैं वे प्रतिस्थापन्न वस्तुएँ कहलाती हैं उदाहरण-चाय और कॉफी, नोकिया और सैमसंग के मोबाइल, वोडाफान और एयरटेल का कनैक्शन आदि।
प्रश्न 20: पूरकों को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए जो एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर 20: वे वस्तुएँ जो किसी मानव इच्छा की पूर्ति के लिए एक साथ प्रयोग होते हैं पूरक वस्तुएँ कहलाती हैं। उदाहरण–समोसा और चटनी, मोबाइल फोन और सिम, बिजली और बिजली उपकरण।
प्रश्न 21: माँग की कीमत लोच को परिभाषित कीजिए।
उत्तर 21: किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उस वस्तु की माँग की जाने वाली मात्रा के संख्यात्मक माप को माँग की कीमत लोच कहा जाता है। अन्य शब्दों में माँग की कीमत लोच वस्तु की माँग की गई मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन और वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात है।
प्रश्न 22: एक वस्तु की माँग पर विचार करें। 4 रुपये की कीमत पर इस वस्तु की 25 इकाइयों की माँग है। मान लीजिए वस्तु की कीमत बढ़कर 5 रुपये हो जाती है तथा परिणामस्वरूप वस्तु की माँग घटकर 20 इकाइयाँ हो जाती है। कीमत लोच की गणना कीजिए।
उत्तर 22: माँग की कीमत लोच को निम्नलिखित सूत्र से मापा जाता है:
Ep = माँग में परिवर्तन/कीमत में परिवर्तन
इसे गणितीय रूप से निम्न प्रकार से लिखा जाता है:
\(E_p = \frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P_1 + P_2}{Q_1 + Q_2}\)
जहाँ:
- \( \Delta Q \) = माँग में परिवर्तन = Q2 – Q1
- \( \Delta P \) = कीमत में परिवर्तन = P2 – P1
- Q1 और Q2 = प्रारंभिक और अंतिम माँग की मात्रा
- P1 और P2 = प्रारंभिक और अंतिम कीमत
दी गई जानकारी:
- P1 = 4 रुपये (प्रारंभिक कीमत)
- P2 = 5 रुपये (अंतिम कीमत)
- Q1 = 25 इकाइयाँ (प्रारंभिक माँग)
- Q2 = 20 इकाइयाँ (अंतिम माँग)
1. कीमत और माँग में परिवर्तन की गणना:
- \( \Delta Q = Q_2 – Q_1 = 20 – 25 = -5 \)
- \( \Delta P = P_2 – P_1 = 5 – 4 = 1 \)
2. लोच की गणना:
अब हम इन मूल्यों को लोच के सूत्र में डालते हैं:
\(E_p = \frac{-5}{1} \times \frac{4 + 5}{25 + 20}\)
\(E_p = -5 \times \frac{9}{45}\)
\(E_p = -5 \times 0.2 = -1\)
कीमत लोच Ep = -1 है। इसका अर्थ है कि माँग की कीमत लोच इकाई लोचदार (unit elastic) है। जब कीमत में 1% का परिवर्तन होता है, तो माँग में भी 1% का विपरीत दिशा में परिवर्तन होता है।
प्रश्न 23: माँग वक्र D(p) = 10 – 3 p को लीजिए। कीमत \(\frac{5}{3}\) पर लोच क्या है?
उत्तर 23: माँग की कीमत लोच को निम्नलिखित सूत्र से मापा जाता है:
\(E_p = \frac{dQ}{dP} \times \frac{P}{Q}\)
जहाँ:
- Ep = माँग की कीमत लोच,
- \(\frac{dQ}{dP} \) = माँग वक्र का कीमत के संबंध में अवकलज (derivative),
- P = कीमत,
- Q = माँग (demand)।
दी गई जानकारी:
माँग वक्र दिया गया है:
D(p) = 10 – 3p
जहाँ p कीमत है और Q = D(p) माँग की मात्रा है। हमें कीमत \( \frac{5}{3} \) पर लोच की गणना करनी है।
1. माँग वक्र का अवकलज निकालना:
\(\frac{dQ}{dP} = \frac{d}{dp}(10 – 3p) = -3\)
2. कीमत \( P = \frac{5}{3} \) पर माँग की मात्रा ( Q ) की गणना:
Q = 10 – 3 \(\times \frac{5}{3}\) = 10 – 5 = 5
3. कीमत लोच की गणना:
अब हमें निम्नलिखित मानों का उपयोग करके Ep की गणना करनी है:
- \( \frac{dQ}{dP} = -3 \),
- \( P = \frac{5}{3} \),
- Q = 5।
\(E_p = \frac{dQ}{dP} \times \frac{P}{Q} = -3 \times \frac{\frac{5}{3}}{5}\)
\(E_p = -3 \times \frac{5}{3} \times \frac{1}{5}\)
Ep = -1
कीमत \( \frac{5}{3} \) पर माँग की कीमत लोच Ep = -1 है। इसका अर्थ है कि इस बिंदु पर माँग इकाई लोचदार (unit elastic) है, यानी कीमत में 1% परिवर्तन होने पर माँग में भी 1% का विपरीत दिशा में परिवर्तन होगा।
प्रश्न 24: मान लीजिए किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच – 0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होती है, तो वस्तु के लिए माँग में कितनी प्रतिशत कमी आएगी?
उत्तर 24: माँग की कीमत लोच Ep = -0.2 है, और कीमत में 5% की वृद्धि होती है। माँग में प्रतिशत परिवर्तन की गणना निम्नलिखित सूत्र से की जाती है:
%माँग में परिवर्तन = Ep × %कीमत में परिवर्तन
यहाँ, Ep = -0.2 और कीमत में 5% की वृद्धि हुई है। इसलिए,
%माँग में परिवर्तन = -0.2 × 5 = -1%
माँग में 1% की कमी आएगी।
प्रश्न 25: मान लीजिए, किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच – 0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होती है, तो उस पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
उत्तर 25: यदि किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच Ep = -0.2 है और कीमत में 10% की वृद्धि होती है, तो माँग की लोच निरलोच (inelastic) होने के कारण, कीमत में वृद्धि से कुल व्यय बढ़ेगा।
कारण:
- जब माँग की लोच |Ep| < 1 (अर्थात निरलोच) होती है, तो कीमत बढ़ने पर माँग में कमी अपेक्षाकृत कम होती है।
- इस स्थिति में, कीमत में वृद्धि के कारण कुल व्यय बढ़ जाता है।
अतः, 10% कीमत वृद्धि से कुल व्यय में वृद्धि होगी।
प्रश्न 26: मान लीजिए कि किसी वस्तु की कीमत में 4% की गिरावट होने के परिणामस्वरूप उस पर होने वाले व्यय में 2% की वृद्धि हो गई। आय माँग की लोच के बारे में क्या कहेंगे?
उत्तर 26: वस्तु की कीमत कम होने पर कुल व्यय में वृद्धि हो तो वस्तु की माँग की कम कीमत लोच इकाई से अधिक होगी, परन्तु वास्तविक मान क्या होगा यह कुल व्यय विधि द्वारा ज्ञात नहीं किया जा सकता।