Ncert Solutions for Class 12 Micro Economics Chapter 3 in hindi: उत्पादन तथा लागत question answer
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Economics |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | उत्पादन तथा लागत class 12 ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए।
उत्तर 1: उत्पादन फलन (Production Function) एक आर्थिक संकल्पना है, जो यह बताती है कि किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के लिए विभिन्न इनपुट्स (जैसे श्रम, पूंजी, कच्चा माल आदि) को किस प्रकार संयोजित किया जाता है और उससे कितना आउटपुट प्राप्त होता है। यह इनपुट और आउटपुट के बीच के संबंध को दर्शाता है।
उत्पादन फलन को आमतौर पर एक समीकरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है: Q = f ( L,K,R,…) जहाँ:
- Q = आउटपुट (उत्पाद की मात्रा),
- L = श्रम (Labor),
- K = पूंजी (Capital),
- R = प्राकृतिक संसाधन (Resources),
- f = उत्पादन प्रक्रिया का गणितीय फलन, जो इनपुट्स के संयोजन को आउटपुट में बदलता है।
इससे यह पता चलता है कि किसी विशेष मात्रा के इनपुट से कितनी मात्रा में उत्पाद का उत्पादन किया जा सकता है।
प्रश्न 2: एक आगंत का कुल उत्पाद क्या होता है?
उत्तर 2: यह आगत की सभी इकाइयों द्वारा उत्पादित किया गया उत्पाद है। अन्य शब्दों में आगत की प्रत्येक इकाई के अनुरूप यह सीमान्त उत्पाद का कुल जोड़ है। सूत्र के रूप में
TP = EMP
TP = AP x Q
प्रश्न 3: एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है?
उत्तर 3: आगंत का औसत उत्पाद उस उत्पाद की मात्रा को कहते हैं जो किसी विशेष इनपुट (जैसे श्रम) की प्रत्येक इकाई द्वारा उत्पन्न की जाती है। इसे कुल उत्पाद को उस इनपुट की कुल इकाइयों से विभाजित करके प्राप्त किया जाता है।
आवश्यक रूप से, आगंत का औसत उत्पाद निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:
\(AP = \frac{TP}{L}\)
जहाँ:
- AP = औसत उत्पाद (Average Product),
- TP = कुल उत्पाद (Total Product),
- L = श्रम की कुल इकाइयाँ (Total units of labor)।
प्रश्न 4: एक आगत का सीमान्त उत्पाद क्या होता है?
उत्तर 4: यह परिवर्ती आगत की एक अतिरिक्त इकाई का प्रयोग करने से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त उत्पादन है जब स्थिर आगते समान रहें। सूत्र के रूप में,
MP = TPn – TPn-1
प्रश्न 5: एक आगत के सीमान्त उत्पाद तथा कुल उत्पाद के बीच संबंध बताइए।
उत्तर 5:
- जब कुल उत्पाद बढ़ती दर से बढ़ता है तो सीमान्त उत्पाद बढ़ता है।
- जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है तो सीमान्त उत्पाद घटता है।
- जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पाद शून्य होता है।
- जब कुल उत्पाद घटने लगता है तो सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक होता है।
प्रश्न 6: अल्पकाल तथा दीर्घकाल के संकल्पनाओं को समझाइए।
उत्तर 6: अल्पकाल वह समयावधि है जिसमें उत्पादन के कुछ साधन स्थिर होते हैं तथा कुछ परिवर्ती साधन होते हैं। इसीलिए उत्पादन वर्ग केवल परिवर्ती साधनों को ही बढ़ाकर बढ़ाया जा सकता है। दीर्घकाल की समयावधि है। जिसमें उत्पादन के सभी साधन परिवर्ती होते हैं।
इसीलिए उत्पादन को, उत्पादन के सभी साधनों की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। दीर्घकाल में उत्पादन का पैमाना परिवर्तित किया जा सकता है। अल्पकाल में लागत दो प्रकार की होती है स्थिर लागत तथा परिवर्ती लागत, जबकि दीर्घकाल में सभी लागते परिवर्ती लागतें होती हैं।
प्रश्न 7: ह्रासमान सीमांत उत्पाद का नियम क्या है?
उत्तर 7: ह्रासमान सीमांत उत्पाद का नियम एक आर्थिक सिद्धांत है जो बताता है कि उत्पादन प्रक्रिया में जब एक निश्चित संसाधन (जैसे भूमि या पूंजी) को स्थिर रखते हुए अन्य चर संसाधन (जैसे श्रमिक) की मात्रा बढ़ाई जाती है, तो किसी बिंदु के बाद प्रत्येक अतिरिक्त संसाधन के साथ उत्पादन में वृद्धि धीमी होने लगती है। इस नियम के अनुसार, अन्य स्थितियां स्थिर रहने पर, किसी चर संसाधन की वृद्धि से कुल उत्पादन में जो अतिरिक्त वृद्धि होती है, वह सीमित होती जाती है और अंततः घटने लगती है।
उदाहरण के लिए, एक खेत में, अगर सीमित भूमि पर अधिक श्रमिक लगाए जाते हैं, तो प्रारंभ में उत्पादन में वृद्धि होती है। लेकिन एक समय के बाद, भूमि की कमी के कारण श्रमिकों का योगदान सीमित हो जाता है और उत्पादन में वृद्धि की दर घटने लगती है।
प्रश्न 8: परिवर्ती अनुपात का नियम क्या है?
उत्तर 8: परिवर्ती अनुपात का नियम उत्पादन सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे उत्पादन के सिद्धांतों में “लघु अवधि” (Short Run) के संदर्भ में समझाया जाता है। यह नियम इस बात को स्पष्ट करता है कि जब उत्पादन प्रक्रिया में कुछ निश्चित संसाधनों के साथ एक परिवर्ती संसाधन (जैसे श्रम) को लगातार बढ़ाया जाता है, तो उत्पादन की दर में किस प्रकार परिवर्तन होता है। इसे “अवरोही प्रतिफल का नियम” भी कहा जाता है।
दूसरे शब्दों में, परिवर्ती अनुपात का नियम यह बताता है कि जब कुछ संसाधनों को स्थिर रखते हुए परिवर्ती संसाधनों को बढ़ाया जाता है, तो प्रारंभ में उत्पादन तेजी से बढ़ता है, फिर धीरे-धीरे बढ़ता है, और अंत में घटने लगता है।
प्रश्न 9: एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाना का प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर 9: एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को तब संतुष्ट करता है जब किसी उत्पादन प्रक्रिया में सभी संसाधनों (इनपुट) को समान अनुपात में बढ़ाने से उत्पादन में भी उसी अनुपात में वृद्धि होती है। इसे तकनीकी भाषा में “कॉनस्टेंट रिटर्न्स टू स्केल” कहा जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि एक फर्म अपने सभी इनपुट को दोगुना कर देती है और इसके परिणामस्वरूप उत्पादन भी दोगुना हो जाता है, तो यह स्थिति स्थिर पैमाना का प्रतिफल दर्शाती है। यह स्थिति उन उद्योगों में पाई जाती है जहाँ संसाधनों को समान रूप से बढ़ाने पर उत्पादन प्रक्रिया की दक्षता में कोई बदलाव नहीं आता है। इसका मतलब यह है कि संसाधनों में वृद्धि करने पर प्रति यूनिट लागत स्थिर रहती है, जिससे उत्पादन का स्तर बढ़ता है, लेकिन प्रतिफल की दर स्थिर रहती है।
प्रश्न 10: एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना का प्रतिफलन को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर 10: यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पाद दुगने से अधिक हो जाए तो उत्पादन फलन वर्धमान पैमाना को प्रतिफल संतुष्ट करता है।
प्रश्न 11: एक उत्पादन फलन ह्रासमान पैमाना का प्रतिफल वर्ग को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर 11: यदि उत्पादन आगतों को दुगना करने पर कुल उत्पादन दुगने से कम हो जाए, तब उत्पादन फलन हासमान पैमाना का प्रतिफल संतुष्ट करता है।
प्रश्न 12: लागत फलन की संकल्पनाओं को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर 12: लागत तथा उत्पादन के बीच के कार्यात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है। एक सूत्र के रूप में इसे निम्न प्रकार से दिखाया जा सकता है
C = F(Q)
जहाँ C = लागत, Q = उत्पादन
प्रश्न 13: एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्ती लागत तथा कुल लागत क्या है? वे किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर 13: एक फर्म की कुल स्थिर लागत (TFC), कुल परिवर्ती लागत (TVC), और कुल लागत (TC) उत्पादन प्रक्रिया में फर्म द्वारा खर्च की गई विभिन्न लागतों को दर्शाती हैं। ये तीनों प्रकार की लागतें आपस में निम्न प्रकार से संबंधित हैं:
1. कुल स्थिर लागत (Total Fixed Cost – TFC):
- यह वे लागतें हैं जो उत्पादन की मात्रा पर निर्भर नहीं करतीं। उत्पादन शून्य होने पर भी फर्म को यह लागत चुकानी पड़ती है। उदाहरण के लिए, मशीनों का किराया, फैक्ट्री का किराया, बीमा आदि।
- TFC = स्थिर लागतों का कुल योग।
2. कुल परिवर्ती लागत (Total Variable Cost – TVC):
- यह वे लागतें हैं जो उत्पादन की मात्रा के साथ बदलती हैं। जब उत्पादन बढ़ता है, तो TVC भी बढ़ती है। इसमें कच्चे माल की लागत, श्रम लागत आदि शामिल होते हैं।
- TVC = परिवर्ती लागतों का कुल योग, जो उत्पादन के स्तर पर निर्भर करता है।
3. कुल लागत (Total Cost – TC):
- कुल लागत फर्म की कुल आर्थिक लागत को दर्शाती है, जो कि स्थिर और परिवर्ती लागतों का योग होती है। यह उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में खर्च की गई लागत है।
- TC = TFC + TVC
संबंध:
- कुल लागत (TC) = कुल स्थिर लागत (TFC) + कुल परिवर्ती लागत (TVC)।
- कुल स्थिर लागत (TFC) उत्पादन के स्तर से प्रभावित नहीं होती, जबकि कुल परिवर्ती लागत (TVC) उत्पादन बढ़ने या घटने पर बदलती है।
प्रश्न 14: एक फर्म की औसत स्थिर लगत, औसत परिवर्ती लागत तथा औसत लागत क्या है, वे किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर 14: एक फर्म की औसत स्थिर लागत (AFC), औसत परिवर्ती लागत (AVC), और औसत लागत (AC) यह दर्शाते हैं कि प्रति यूनिट उत्पादन पर विभिन्न प्रकार की लागतें कितनी होती हैं। ये तीनों अवधारणाएँ आपस में निम्न प्रकार से संबंधित हैं:
1. औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost – AFC):
- यह प्रति यूनिट उत्पादन पर स्थिर लागत को दर्शाती है। चूंकि कुल स्थिर लागत (TFC) उत्पादन की मात्रा के साथ नहीं बदलती, इसलिए उत्पादन बढ़ने पर AFC घटती जाती है।
- AFC = कुल स्थिर लागत (TFC) ÷ उत्पादन की कुल मात्रा (Q)।
2. औसत परिवर्ती लागत (Average Variable Cost – AVC):
- यह प्रति यूनिट उत्पादन पर परिवर्ती लागत को दर्शाती है। परिवर्ती लागत (जैसे कच्चा माल और श्रम) उत्पादन के साथ बदलती है, इसलिए औसत परिवर्ती लागत उत्पादन के स्तर पर निर्भर करती है।
- AVC = कुल परिवर्ती लागत (TVC) ÷ उत्पादन की कुल मात्रा (Q)।
3. औसत लागत (Average Cost – AC) या औसत कुल लागत (Average Total Cost – ATC):
- यह प्रति यूनिट उत्पादन की कुल लागत होती है, जिसमें स्थिर और परिवर्ती दोनों लागतें शामिल होती हैं। इसे औसत स्थिर लागत और औसत परिवर्ती लागत के योग के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
- AC = कुल लागत (TC) ÷ उत्पादन की कुल मात्रा (Q)।
- या, AC = AFC + AVC।
संबंध:
- AC = AFC + AVC: अर्थात, औसत लागत (AC) औसत स्थिर लागत (AFC) और औसत परिवर्ती लागत (AVC) के योग के बराबर होती है।
- उत्पादन बढ़ने पर AFC घटती है क्योंकि कुल स्थिर लागत कई यूनिटों पर विभाजित हो जाती है, जबकि AVC पहले घटती है और फिर बढ़ती है, जो उत्पादन के स्तर के अनुसार बदलती है। AC का व्यवहार भी उत्पादन के साथ AFC और AVC के संयोजन पर निर्भर करता है।
प्रश्न 15: क्या दीर्घकाल में कुछ स्थिर लागत हो सकती है? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर 15: नहीं, स्थिर आगतों की लागत को स्थिर लागत कहा जाता है, परन्तु दीर्घकाल में सभी आगतें परिवर्ती होती हैं। अर्थात् सभी आगतों की मात्रा को परिवर्तित किया जा सकता है। जब कोई स्थिर आगत नहीं तो कोई स्थिर लागत भी नहीं हो सकती।
प्रश्न 16: औसत लागत वक्र कैसा दिखता है? यह ऐसा क्यों दिखता है?
उत्तर 16: औसत लागत वक्र एक “U” आकार का होता है। यह “U” आकार इस कारण उत्पन्न होता है कि जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ती है, औसत लागत में पहले कमी आती है, और फिर एक बिंदु के बाद इसमें वृद्धि होने लगती है। इसे तीन चरणों में समझा जा सकता है:
- घटता चरण: उत्पादन के आरंभिक स्तरों पर, स्थिर लागत को अधिक यूनिट्स पर फैलाया जा सकता है, जिससे प्रति यूनिट लागत कम होती है। इस चरण में औसत लागत वक्र नीचे की ओर ढलता है क्योंकि उत्पादन में वृद्धि के साथ औसत लागत घट रही होती है।
- न्यूनतम बिंदु: एक बिंदु पर, औसत लागत सबसे कम स्तर पर पहुँच जाती है। इसे न्यूनतम बिंदु कहते हैं, जहाँ लागत में और कमी नहीं होती। इस बिंदु पर उत्पादन का स्तर सबसे कुशल माना जाता है।
- बढ़ता चरण: न्यूनतम बिंदु के बाद, उत्पादन में और वृद्धि करने पर औसत लागत बढ़ने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अधिक उत्पादन करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पड़ती है, जिससे उत्पादन में असक्षमताएँ आ सकती हैं, जैसे अधिक श्रम की आवश्यकता, भीड़-भाड़ आदि।
इस प्रकार, औसत लागत वक्र का “U” आकार बताता है कि उत्पादन के कुछ स्तरों पर लागत सबसे कम होती है, जबकि उसके आगे या पीछे लागत अधिक होती है।
प्रश्न 17: अल्पकालीन सीमान्त लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर 17: सीमान्त लागत (MC) वक्र: यह वक्र आमतौर पर “U” आकार का होता है, क्योंकि प्रारंभ में उत्पादन के बढ़ने पर सीमान्त लागत घटती है और बाद में बढ़ती है।
औसत परिवर्ती लागत (AVC) वक्र: यह भी एक “U” आकार का होता है, जो शुरुआत में घटता है और फिर बढ़ने लगता है। यह MC वक्र के नीचे होता है।
अल्पकालीन औसत लागत (AC या ATC) वक्र: यह भी “U” आकार का होता है और AVC वक्र के ऊपर स्थित होता है। इसका निचला बिंदु औसत लागत का न्यूनतम बिंदु होता है।
इस ग्राफ में:
- MC वक्र सबसे पहले AVC और फिर AC को काटता है।
- सभी वक्रों का आकार “U” की तरह होता है, जो उत्पादन के बढ़ने के साथ पहले घटते हैं और फिर बढ़ते हैं।
प्रश्न 18: क्यों अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र को काटता है, औसत परिवर्ती लागत वक्र के न्यूनतम बिन्दु पर?
उत्तर 18: इसे निम्नलिखित बिंदुओं से समझाया जा सकता है:
- जब तक औसत लागत घटता है तो सीमान्त लागत औसत लागत से कम होता है।
- जब औसत लागत बढ़ता है तो सीमान्त लागत औसत लागत से अधिक होता है।
- अतः औसत लागत और सीमान्त लागत तभी बराबर हो सकते हैं, जब औसत लागत स्थिर हो जो उसके न्यूनतम बिंदु पर होता है।
इसलिए, अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र को न्यूनतम बिंदु पर काटता है।
प्रश्न 19: किस बिन्दु पर अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र को काटता है। अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइए।
उत्तर 19: अल्पकालीन सीमान्त लागत (MC) वक्र अल्पकालीन औसत लागत (AC) वक्र को उस बिंदु पर काटता है जब औसत लागत (AC) का न्यूनतम बिंदु होता है।
कारण: जब MC वक्र AC वक्र को काटता है, तो यह AC वक्र के न्यूनतम बिंदु पर होता है, क्योंकि:
- जब MC वक्र AC वक्र से नीचे होता है, तो AC घट रहा होता है।
- जब MC वक्र AC वक्र से ऊपर होता है, तो AC बढ़ रहा होता है।
इसलिए, MC और AC वक्र का संगम बिंदु AC के न्यूनतम बिंदु पर होता है, जो यह दर्शाता है कि इस बिंदु पर औसत लागत सबसे कम होती है।
प्रश्न 20: अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र ‘U’ आकार का क्यों होता है?
उत्तर 20: अल्पकालीन सीमान्त लागत (MC) वक्र ‘U’ आकार का होता है क्योंकि:
प्रारंभ में जब उत्पादन बढ़ता है, तो सीमान्त लागत घटती है। यह तब होता है जब फर्म अधिक श्रमिकों या संसाधनों का उपयोग करती है, और वे पहले अधिक कुशलता से काम करते हैं। उत्पादन बढ़ाने पर प्रति यूनिट उत्पादन की लागत कम होती है, जिससे MC घटती है।
बाद में उत्पादन बढ़ने के साथ, संसाधनों की अधिकतम क्षमता का उपयोग होने लगता है, और सीमान्त लागत बढ़ने लगती है। अधिक श्रमिकों या संसाधनों को जोड़ने से उत्पादकता में गिरावट होती है, और प्रति यूनिट लागत अधिक होने लगती है। यही कारण है कि MC वक्र ‘U’ आकार में होता है, क्योंकि पहले यह घटता है और फिर बढ़ता है।
प्रश्न 21: दीर्घकालीन सीमान्त लागत तथा औसत लागत वक्र कैसे दिखते हैं?
उत्तर 21: दीर्घकालीन औसत लागत (LAC) और दीर्घकालीन सीमांत लागत (LMC) वक्र “U” आकार के होते हैं। LMC वक्र LAC वक्र को उसके न्यूनतम बिंदु पर काटता है, जो उत्पादन का इष्टतम स्तर दर्शाता है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित तालिका, श्रम का कुल उत्पादन अनुसूची देती है। तदनुरूप श्रम का औसत उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद अनुसूची निकालिए।
L | कुल उत्पादन L |
0 | 0 |
1 | 15 |
2 | 35 |
3 | 50 |
4 | 40 |
5 | 48 |
उत्तर 22: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
श्रम | कुल उत्पादन | औसत उत्पादन | सौमानत उत्पादन |
---|---|---|---|
0 | 0 | – | – |
1 | 15 | 15 | 15 |
2 | 35 | 17.5 | 20 |
3 | 50 | 16.67 | 15 |
4 | 40 | 10 | -10 |
5 | 48 | 9.6 | 8 |
प्रश्न 23: नीचे दी हुई तालिका, श्रम की औसत उत्पाद अनुसूची बताती है। कुल उत्पाद तथा सीमान्त उत्पाद अनुसूची निकालिए, जबकि श्रम प्रयोगता के शून्य स्तर पर यह दिया गया है कि कुल उत्पाद शून्य है,
L | औसत उत्पादL |
1 | 2 |
2 | 3 |
3 | 4 |
4 | 4.25 |
5 | 4 |
6 | 3.5 |
उत्तर 23: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
L | APL | TPL=APL×L | MP=TPn−TPn−1 |
---|---|---|---|
1 | 2 | 2×1=2 | 2 |
2 | 3 | 3×2=6 | 6-2=4 |
3 | 4 | 4×3=12 | 12-6=6 |
4 | 4.25 | 4.25 × 4 = 17 | 17 – 12 = 5 |
5 | 4 | 4×5=20 | 320-17=3 |
6 | 3.5 | 3.5×6=21 | 21-20=1 |
प्रश्न 24: निम्नलिखित तालिका श्रम का सीमान्त उत्पाद अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि श्रम का कुल उत्पाद | शून्य है। प्रयोग के शून्य स्तर पर श्रम के कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद अनुसूची की गणना कीजिए।
L | सीमान्त उत्पाद |
1 | 3 |
2 | 5 |
3 | 7 |
4 | 5 |
5 | 3 |
6 | 1 |
उत्तर 24: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
L | MPL | TPn=TPn−1+MPn | APL=\(\frac{TP_L}{ L}\) |
---|---|---|---|
1 | 3 | 3 | \(\frac{3}{1}\) = 3 |
2 | 5 | 3 + 5 = 8 | \(\frac{8}{2}\) = 4 |
3 | 7 | 8+7=15 | \(\frac{15}{3}\) = 5 |
4 | 5 | 15 + 5 = 20 | \(\frac{20}{4}\) = 5 |
5 | 3 | 20 + 3 = 23 | \(\frac{23}{5}\) = 4.6 |
6 | 1 | 23 + 1 = 24 | \(\frac{24}{6}\) = 4 |
प्रश्न 25: नीचे दी गई तालिका एक फर्म की कुल लागत अनुसूची दर्शाती है। इस फर्म का कुल स्थिर लागत क्या है? फर्म के कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, अल्पकालीन औसत लागत तथा अल्पकालीन सीमान्त लागत अनुसूची की गणना कीजिए।
Q | कुल लागत |
0 | 10 |
1 | 30 |
2 | 45 |
3 | 55 |
4 | 70 |
5 | 90 |
6 | 120 |
उत्तर 25: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
Q | TFC | TVC | TC | AFC | AVC | SAC | SMC |
---|---|---|---|---|---|---|---|
0 | 10 | 0 | 10 | – | – | – | – |
1 | 10 | 20 | 30 | 10 | 20 | 30 | 20 |
2 | 10 | 35 | 45 | 5 | 17.5 | 22.5 | 15 |
3 | 10 | 45 | 55 | 3.33 | 15 | 18.33 | 10 |
4 | 10 | 60 | 70 | 2.5 | 15 | 17.5 | 15 |
5 | 10 | 80 | 90 | 2 | 16 | 18 | 20 |
6 | 10 | 110 | 120 | 1.67 | 18.33 | 20 | 30 |
प्रश्न 26: निम्नलिखित तालिका एक फर्म के लिए कुल लागत अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि औसत स्थिर लागत निर्गत की 4 इकाइयों पर 5 रुपये है। कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, औसत स्थिर लागत, अल्पकालीन औसत लागत, अल्पकालीन सीमान्त लागत अनुसूची फर्म के निर्गत के तद्नुरूप मूल्यों के लिए निकालिए।
Q | कुल लागत |
1 | 50 |
2 | 65 |
3 | 75 |
4 | 95 |
5 | 130 |
6 | 185 |
उत्तर 26: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
Q | TFC | TVC | TC | AFC | AVC | SAC | SMC |
---|---|---|---|---|---|---|---|
1 | 20 | 30 | 50 | 20 | 30 | 50 | – |
2 | 20 | 45 | 65 | 10 | 22.5 | 32.5 | 15 |
3 | 20 | 55 | 75 | 6.67 | 18.33 | 25 | 10 |
4 | 20 | 75 | 95 | 5 | 18.75 | 23.75 | 20 |
5 | 20 | 110 | 130 | 4 | 22 | 26 | 35 |
6 | 20 | 165 | 185 | 3.33 | 27.5 | 30.83 | 55 |
प्रश्न 27: एक फर्म का अल्पकालीन सीमान्त लागत अनुसूची निम्नलिखित तालिका में दिया गया है। फर्म की कुल स्थिर | लागत 100 रुपये है। फर्म के कुल परिवर्ती लागते, कुल लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत अनुसूची निकालिए।
Q | सामन्त लागत |
0 | − |
1 | 500 |
2 | 300 |
3 | 200 |
4 | 300 |
5 | 500 |
6 | 800 |
उत्तर 27: इस प्रश्न का समाधान इस प्रकार है:
Q | TFC | TC | TVC | AVC | SAC |
---|---|---|---|---|---|
0 | 100 | – | 0 | – | – |
1 | 100 | 500 | 400 | 400.00 | 500.00 |
2 | 100 | 300 | 200 | 100.00 | 150.00 |
3 | 100 | 200 | 100 | 33.33 | 66.67 |
4 | 100 | 300 | 200 | 50.00 | 75.00 |
5 | 100 | 500 | 400 | 80.00 | 100.00 |
6 | 100 | 800 | 700 | 116.67 | 133.33 |
प्रश्न 28: मान लीजिए, एक फर्म का उत्पादन फलन है, \(Q = 5L^{\frac{1}{2}} K^{\frac{1}{2}}\) निकालिए, अधिकतम संभावित निर्गत जिसका उत्पादन फर्म कर सकती है 100 इकाइयाँ L तथा 100 इकाइयाँ k द्वारा।
उत्तर 28: दिया गया उत्पादन फलन है:
\(Q = 5L^{\frac{1}{2}} K^{\frac{1}{2}}\)
यहां, (L) और (K) क्रमशः श्रम (Labor) और पूंजी (Capital) हैं। हम यह निकालना चाहते हैं कि जब (L = 100) और (K = 100) हों, तो अधिकतम संभावित निर्गत (output) कितना होगा।
समाधान:
उत्पादन फलन में (L = 100) और (K = 100) का मान रखते हुए:
\(Q = 5(100)^{\frac{1}{2}} (100)^{\frac{1}{2}}\)
अब, \(100^{\frac{1}{2}} = 10\), तो:
- Q = 5 × 10 × 10
- Q = 5 × 100
- Q = 500
इसलिए, जब (L = 100) और (K = 100), तो अधिकतम संभावित निर्गत (Q = 500) इकाइयाँ होंगी।
प्रश्न 29: मान लीजिए, एक फर्म का उत्पादन फलन है,
Q = 2L² k²
अधिकतम संभावित निर्गत ज्ञात कीजिए, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है, 5 इकाइयाँ L तथा 2 इकाइयाँ k द्वारा। अधिकतम संभावित निर्गत क्या है, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है शून्य इकाई L तथा 10 इकाई K द्वारा?
उत्तर 29: अधिकतम उत्पादन 5 इकाई L तथा 2 इकाई है द्वारा = 2 (5)2 x (2)² = 2 x 25 x 4 = 200 इकाई
अधिकतम उत्पादन 0 इकाई L तथा 10 इकाई है द्वारा = 2 (0)2 x (10) = 0 इकाई
प्रश्न 30: एक फर्म के लिए शून्य इकाई L तथा 10 इकाइयाँ K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत निकालिए, जब इसका उत्पादन फलन है: Q = 5L + 2K
उत्तर 30: Q = 5 L + 2 K
L = 0, K = 10
Q = 5 (0) + 2 (10)
= 0 + 20
= 20 इकाइयाँ