Class 12 Physics Chapter 10 तरंग प्रकाशिकी ncert solutions: तरंग प्रकाशिकी प्रश्न उत्तर
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | भौतिकी |
Chapter | Chapter 10 |
Chapter Name | तरंग प्रकाशिकी ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 10.1: 589 nm तरंगदैर्ध्य का एकवर्णीय प्रकाश वायु से जल की सतह पर आपतित होता है। (a) परावर्तित, तथा (b) अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति तथा चाल क्या होगी? जल का अपवर्तनांक 1.33 है।
उत्तर 10.1: इस प्रश्न में हमें एकवर्णीय प्रकाश की तरंगदैर्घ्य \( \lambda_0 = 589 \, \text{nm} \) (वायु में) दी गई है, जो वायु से जल की सतह पर आपतित होता है। जल का अपवर्तनांक n = 1.33 है। हमें परावर्तित और अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, और चाल का पता लगाना है।
(a) परावर्तित प्रकाश:
आवृत्ति: प्रकाश की आवृत्ति ( f ) पदार्थ पर निर्भर नहीं करती, यह माध्यम बदलने पर भी अपरिवर्तित रहती है।
वायु में प्रकाश की चाल \( c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s} \) होती है।
तरंगदैर्घ्य \( \lambda_0 = 589 \, \text{nm} = 589 \times 10^{-9} \, \text{m} \) दी गई है।
आवृत्ति ( f ) को हम प्रकाश की चाल और तरंगदैर्घ्य के संबंध से निकाल सकते हैं:
\(f = \frac{c}{\lambda_0} = \frac{3 \times 10^8 \, \text{m/s}}{589 \times 10^{-9} \, \text{m}}\)
\(f \approx 5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz}\)
अतः, परावर्तित प्रकाश की आवृत्ति \( f \approx 5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz} \) होगी।
चाल: परावर्तित प्रकाश वायु में ही रहता है, इसलिए उसकी चाल \( c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s} \) रहेगी।
तरंगदैर्घ्य: परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य वायु में ही रहेगी, इसलिए यह \( \lambda_0 = 589 \, \text{nm} \) होगी।
(b) अपवर्तित प्रकाश:
आवृत्ति: जैसा कि पहले बताया गया है, आवृत्ति माध्यम बदलने पर भी अपरिवर्तित रहती है। इसलिए अपवर्तित प्रकाश की आवृत्ति भी \( f \approx 5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz} \) होगी।
चाल: अपवर्तित प्रकाश जल में चला जाएगा, और जल में प्रकाश की चाल ( v ) होगी। अपवर्तनांक ( n ) और प्रकाश की चाल के बीच संबंध होता है:
\(v = \frac{c}{n} = \frac{3 \times 10^8 \, \text{m/s}}{1.33}\)
\(v \approx 2.26 \times 10^8 \, \text{m/s}\)
अतः, अपवर्तित प्रकाश की चाल \( v \approx 2.26 \times 10^8 \, \text{m/s} \) होगी।
तरंगदैर्घ्य: अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य \( \lambda_{\text{water}} \) को आवृत्ति और जल में प्रकाश की चाल से निकाला जा सकता है:
\(\lambda_{\text{water}} = \frac{v}{f}\)
\(\lambda_{\text{water}} = \frac{2.26 \times 10^8 \, \text{m/s}}{5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz}}\)
\(\lambda_{\text{water}} \approx 444 \, \text{nm}\)
अतः, अपवर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य \( \approx 444 \, \text{nm} \) होगी।
(a) परावर्तित प्रकाश:
- तरंगदैर्घ्य: \( 589 \, \text{nm} \)
- आवृत्ति: \( 5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz} \)
- चाल: \( 3 \times 10^8 \, \text{m/s} \)
(b) अपवर्तित प्रकाश:
- चाल: \( 2.26 \times 10^8 \, \text{m/s} \)
- तरंगदैर्घ्य: \( 444 \, \text{nm} \)
- आवृत्ति: \( 5.09 \times 10^{14} \, \text{Hz} \)
प्रश्न 10.2: निम्नलिखित दशाओं में प्रत्येक तरंगाग्र की आकृति क्या है?
(a) किसी बिन्दु स्रोत से अपसरित प्रकाश।
(b) उत्तल लेन्स से निर्गमित प्रकाश, जिसके फोकस बिन्दु पर कोई बिन्दु स्रोत रखा है।
(c) किसी दूरस्थ तारे से आने वाले प्रकाश तरंगाग्र का पृथ्वी द्वारा अवरोधित भाग।
उत्तर 10.2: (a) जब एक बिन्दु स्रोत से प्रकाश अपसरित होता है, तब तरंगाग्र गोलीय अभिसारी प्रकार का होता है।
(b) जब बिन्दु स्रोत को उत्तल लेन्स के फोकस पर रखा जाता है, तब लेन्स से निर्गत प्रकाश किरणें एक-दूसरे के समान्तर होती हैं तथा तरंगाग्र समतल होता है।
(c) इस स्थिति में तरंगाग्र की आकृति लगभग समतल होती है क्योंकि प्रकाश स्रोत पृथ्वी से दूरस्थ तारा है, अत: बड़े गोले के पृष्ठ पर छोटा क्षेत्रफल लगभग समतल है।
प्रश्न 10.3: (a) काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। काँच में प्रकाश की चाल क्या होगी? (निर्वात में प्रकाश की चाल 3.0 x 10 m-1 है। (b) क्या काँच में प्रकाश की चाल, प्रकाश के रंग पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो लाल तथा बैंगनी में से कौन-सा रंग काँच के प्रिज्म में धीमा चलता है?
उत्तर 10.3: (a) काँच में प्रकाश की चाल:
निर्वात में प्रकाश की चाल (c) = \( 3.0 \times 10^8 \, \text{m/s} \)
काँच का अपवर्तनांक ( n ) = 1.5
किसी माध्यम में प्रकाश की चाल (v) अपवर्तनांक और निर्वात में प्रकाश की चाल के बीच संबंध इस प्रकार होता है:
\(v = \frac{c}{n}\)
यहाँ,
\(v = \frac{3.0 \times 10^8 \, \text{m/s}}{1.5}\)
\(= 2.0 \times 10^8 \, \text{m/s}\)
अतः, काँच में प्रकाश की चाल \( 2.0 \times 10^8 \, \text{m/s} \) होगी।
(b) क्या काँच में प्रकाश की चाल, प्रकाश के रंग पर निर्भर करती है?
हाँ, काँच में प्रकाश की चाल प्रकाश के रंग पर निर्भर करती है। इसका कारण यह है कि प्रकाश का अपवर्तनांक (n) उसके रंग या तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है। जब प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है, तो अलग-अलग रंगों की तरंगदैर्ध्य के कारण उनका अपवर्तनांक अलग-अलग होता है।
लाल रंग की तरंगदैर्ध्य अधिक होती है, इसलिए इसका अपवर्तन कम होता है और यह काँच में तेज गति से चलता है।
बैंगनी रंग की तरंगदैर्ध्य कम होती है, इसलिए इसका अपवर्तन अधिक होता है और यह काँच में धीमा चलता है।
इसलिए, बैंगनी रंग काँच के प्रिज्म में धीमा चलता है।
प्रश्न 10.4: यंग के द्विझिरी प्रयोग में झिर्रियों के बीच की दूरी 0.28 mm है तथा परदा 1.4 m की दूरी पर रखा गया है। केन्द्रीय दीप्त फ्रिन्ज एवं चतुर्थ दीप्त फ्रिन्ज के बीच की दूरी 1.2 cm मापी गई है। प्रयोग में उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर 10.4: यंग के द्विझिरी प्रयोग (Young’s double slit experiment) में, हम निम्न सूत्र का उपयोग करके तरंगदैर्घ्य \(( \lambda )\) ज्ञात कर सकते हैं:
\(y_n = \dfrac{n \lambda D}{d}\)
जहाँ:
- yn = ( n )-वीं दीप्त फ्रिन्ज की दूरी,
- n = फ्रिन्ज संख्या (चतुर्थ दीप्त फ्रिन्ज के लिए n = 4 ),
- \( \lambda \) = प्रकाश की तरंगदैर्घ्य,
- D = परदा की दूरी (1.4 m),
- d = झिर्रियों के बीच की दूरी (0.28 mm = \( 0.28 \times 10^{-3} ) m\)।
यहाँ हमें केन्द्रीय दीप्त फ्रिन्ज एवं चतुर्थ दीप्त फ्रिन्ज के बीच की दूरी दी गई है, जो ( y4 ) है। इसे 1.2 cm = 0.012 m दिया गया है।
अब हम ( y4 ) के लिए उपरोक्त सूत्र का उपयोग करेंगे:
\(y_4 = \dfrac{4 \lambda D}{d}\)
इसे \( \lambda \) के लिए हल करें:
\(\lambda = \dfrac{y_4 \cdot d}{4 \cdot D}\)
अब दिए गए मानों को सूत्र में डालते हैं:
\(\lambda = \dfrac{0.012 \times 0.28 \times 10^{-3}}{4 \times 1.4}\)
अब इसे हल करते हैं:
\(\lambda = \dfrac{0.00336}{5.6} = 6 \times 10^{-7} \, \text{m}\)
अर्थात, तरंगदैर्घ्य \( \lambda = 600 \, \text{nm} \) है।
इस प्रकार, प्रयोग में उपयोग की गई प्रकाश की तरंगदैर्घ्य 600 nm है।
प्रश्न 10.5: यंग के द्विझिरी प्रयोग में, λ तरंगदैर्घ्य का एकवर्णीय प्रकाश उपयोग करने पर, परदे के एक बिंदु पर जहाँ पथान्तर λ है, प्रकाश की तीव्रता K इकाई है। उस बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता कितनी होगी जहाँ पथान्तर λ/3 है?
उत्तर 10.5: यंग के द्वितरंगमिति (Young’s Double Slit) प्रयोग में, जब दो तरंगें मिलती हैं, तो प्रकाश की तीव्रता हस्तक्षेप के कारण अलग-अलग बिंदुओं पर भिन्न होती है। इस प्रयोग में, किसी बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता को हम निम्नलिखित सूत्र से समझ सकते हैं:
\(I = I_0 \cos^2\left(\frac{\Delta \phi}{2}\right)\)
जहाँ:
- I उस बिंदु पर प्रकाश की तीव्रता है।
- I0 अधिकतम तीव्रता है।
- \( \Delta \phi \) चरणान्तर (phase difference) है।
- पथान्तर \(( \Delta x )\) और चरणान्तर \(( \Delta \phi )\) का सम्बन्ध होता है: \( \Delta \phi = \frac{2\pi}{\lambda} \times \Delta x \)
अब हमें दो स्थितियों के लिए तीव्रता ज्ञात करनी है:
- पहली स्थिति (जहाँ पथान्तर λ है):
- पथान्तर \( \Delta x = \lambda \)
- \( \Delta \phi = \frac{2\pi}{\lambda} \times \lambda = 2\pi \)
इस स्थिति में, तीव्रता:
\(I = I_0 \cos^2\left(\frac{2\pi}{2}\right) \)
\(= I_0 \cos^2(\pi) = I_0 \times 0 = 0\)
लेकिन सवाल में कहा गया है कि इस बिंदु पर तीव्रता ( K ) है, जिसका मतलब है I0 = K।
- दूसरी स्थिति (जहाँ पथान्तर λ/3 है):
- पथान्तर \( \Delta x = \frac{\lambda}{3} \)
- \( \Delta \phi = \frac{2\pi}{\lambda} \times \frac{\lambda}{3} = \frac{2\pi}{3} \)
इस स्थिति में, तीव्रता:
\(I = K \cos^2\left(\frac{2\pi}{6}\right) = K \cos^2\left(\frac{\pi}{3}\right)\)
चूंकि \( \cos\left(\frac{\pi}{3}\right) = \frac{1}{2} \), इसलिए:
\(I = K \times \left(\frac{1}{2}\right)^2 \)
\(= K \times \frac{1}{4} = \frac{K}{4}\)
जहाँ पथान्तर \( \frac{\lambda}{3} \) है, वहाँ प्रकाश की तीव्रता \( \frac{K}{4} \) होगी।
प्रश्न 10.6: यंग के द्विझिरी प्रयोग में व्यतिकरण फ्रिन्जों को प्राप्त करने के लिए 650 nm तथा 520 nm तरंगदैघ्र्यों के प्रकाश-पुंज का उपयोग किया गया। (a) 650 nm तरंगदैर्घ्य के लिए परदे पर तीसरे दीप्त फ्रिन्ज की केन्द्रीय उच्चिष्ठ से दूरी ज्ञात कीजिए। (b) केन्द्रीय उच्चिष्ठ से उस न्यूनतम दूरी को ज्ञात कीजिए जहाँ दोनों तरंगदैर्यों के कारण दीप्त फ्रिन्ज संपाती (coincide) होते हैं।
उत्तर 10.6: (a) दिया है, झिर्रियों के बीच की दूरी d = 2 × 10-3 m
स्त्रोत से पर्दे की दूरी D = 1.20 m
λ1 = 650 × 10-9 m
λ2 = 520 × 10-9 m
n = 3, λ = λ1 = 650 × 10-9 m, d = 2 × 10-3 m
तथा D = 1.20 m, χ3 = (तीसरी फ्रिज की केन्द्रीय उच्चिष्ठ से दूरी) = ?
\(x_n = \frac{n \lambda D}{d}\) से,
\(x_3 = \frac{1.20 \times 650 \times 10^{-9} \times 3}{2 \times 10^{-3}}\)
= 1.17 × 10-3 m
प्रश्न 10.7: एक द्विझिरी प्रयोग में एक मीटर दूर रखे परदे पर एक फ्रिन्ज की कोणीय चौड़ाई 0.2° पाई गई है। उपयोग किए गए प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 600 nm है। यदि पूरा प्रायोगिक उपकरण जल में डुबो दिया जाए तो फ्रिन्ज की कोणीय चौड़ाई क्या होगी? जल का अपवर्तनांक \(\frac{4}{3}\) लीजिए।
उत्तर 10.7: इस प्रश्न में, हमें यह पता करना है कि जब प्रयोगात्मक उपकरण को जल में डुबोया जाता है, तब फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई (angular width) में क्या परिवर्तन होगा। पहले, हमें फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई की गणना के लिए आवश्यक फॉर्मूला जानना होगा।
पहले की स्थिति (वायु में)
द्विझिरी प्रयोग में फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई \(\theta\) निम्नलिखित फॉर्मूले द्वारा दी जाती है:
\(\theta = \frac{\lambda}{d}\)
जहां:
- \(\theta\) = फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई (रैडियन में)
- \(\lambda\) = प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
- d = द्विझिरी के बीच की दूरी
दिए गए मान
- \(\theta = 0.2^\circ = \frac{0.2 \times \pi}{180}\) रैडियन
- \(\lambda = 600 \text{ nm} = 600 \times 10^{-9} \text{ m}\)
जल में परिवर्तन
जब उपकरण को जल में डुबोया जाता है, तब तरंगदैर्ध्य \((\lambda)\) का परिवर्तन होता है। जल का अपवर्तनांक \(n = \frac{4}{3}\) है। जल में तरंगदैर्ध्य \(\lambda’\) का उपयोग इस प्रकार किया जाता है:
\(\lambda’ = \frac{\lambda}{n}\)
जहां (n) जल का अपवर्तनांक है।
जल में तरंगदैर्ध्य की गणना
\(\lambda’ = \frac{600 \times 10^{-9}}{\frac{4}{3}}\)
\( = 600 \times 10^{-9} \times \frac{3}{4}\)
\(\lambda’ = 450 \times 10^{-9} \text{ m}\)
जल में फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई
अब, जल में फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई \(\theta’\) की गणना इस प्रकार होगी:
\(\theta’ = \frac{\lambda’}{d}\)
चूंकि (d) स्थिर है, हम अनुपात के रूप में देख सकते हैं:
\(\frac{\theta’}{\theta} = \frac{\lambda’}{\lambda}\)
इसलिए:
\(\theta’ = \theta \times \frac{\lambda’}{\lambda}\)
\(\theta’ = 0.2^\circ \times \frac{450 \times 10^{-9}}{600 \times 10^{-9}}\)
अब हम इसे गणना करते हैं:
\(\theta’ = 0.2^\circ \times \frac{450}{600} \)
\(= 0.2^\circ \times 0.75 = 0.15^\circ\)
जब प्रयोगात्मक उपकरण जल में डुबोया जाता है, तो फ्रिंज की कोणीय चौड़ाई \(0.15^\circ\) हो जाएगी।
प्रश्न 10.8: वायु से काँच में संक्रमण (transition) के लिए बूस्टर कोण क्या है? (काँच का अपवर्तनांक = 1.5)।
उत्तर 10.8: बूस्टर के नियम से, n = tan ip
बूस्टर कोण अर्थात् ध्रुवण कोण ip = tan-1 (n)
यहाँ n = 1.5 अतः ip = tan-1 (1.5) = 56.3°
प्रश्न 10.9: 5000 Å तरंगदैर्घ्य का प्रकाश एक समतल परावर्तक सतह पर आपतित होता है। परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य एवं आवृत्ति क्या है? आपतन कोण के किस मान के लिए परावर्तित किरण आपतित किरण के लम्बवत होगी?
उत्तर 10.9: यहाँ λ = 5000 Å = 5000 x 10-10 मीटर = 5 x 10-7
वायु में प्रकाश की चाले c = 3 x 108 मी/से
वायु में प्रकाश की आवृत्ति
\(v = \frac{c}{\lambda}\)
\(v = \frac{3 \times 10^8 \, \text{m/s}}{5 \times 10^{-7} \, \text{m}} \)
\(= 6 \times 10^{14} \, \text{Hz}\)
आपतित तथा परावर्तित किरण दोनों एक ही माध्यम (वायु) में होंगे।
अतः परावर्तित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य = आपतित प्रकाश की तरंगदैर्घ्य = 5000 Å
परावर्तित प्रकाश की आवृत्ति = आपतित प्रकाश की आवृत्ति = 6 x 1014 हज
परावर्तन कोण r = आपतन कोण i
तथा परावर्तित किरण आपतित किरण के लम्बवत् है; अतः
i + r = 90°, i + i = 90°
वांछित आपतन कोण i = 45°
प्रश्न 10.10: उस दूरी का आकलन कीजिए जिसके लिए किसी 4 mm के आकार के द्वारक तथा 400 nm तरंगदैर्घ्य के प्रकाश के लिए किरण प्रकाशिकी सन्निकट रूप से लागू होती है।
उत्तर 10.10: किरण प्रकाशिकी (ray optics) तब लागू होती है जब प्रकाश की तरंगदैर्ध्य \( \lambda \) और दिए गए आकार या वस्तु का आकार d इस संबंध में होता है कि d \( \lambda \) से कई गुना बड़ा हो।
दिए गए मान:
- द्वारक का आकार \( d = 4 \, \text{mm} = 4 \times 10^{-3} \, \text{m} \)
- तरंगदैर्ध्य \( \lambda = 400 \, \text{nm} = 400 \times 10^{-9} \, \text{m} \)
अनुपात का निर्धारण:
किरण प्रकाशिकी तब लागू होती है जब:
\(d \gg \lambda\)
इसका अर्थ है कि:
\(\frac{d}{\lambda} \gg 1\)
अनुपात की गणना:
\(\frac{d}{\lambda} = \frac{4 \times 10^{-3}}{400 \times 10^{-9}} \)
\(= \frac{4}{0.4} \times 10^{6} = 10^{7}\)
यह अनुपात \( 10^{7} \) है, जो कि निश्चित रूप से 1 से बहुत बड़ा है।
दूरी का आकलन:
किरण प्रकाशिकी का उपयोग करने के लिए हमें यह जानना होगा कि हम कितनी दूरी ( L ) पर प्रकाश के किरणों को परे (far field) मान सकते हैं। सामान्यतः, दूरी का आकलन करने के लिए हम निम्नलिखित समीकरण का उपयोग करते हैं:
\(L \geq \frac{d^2}{\lambda}\)
अब, इस समीकरण का उपयोग करके दूरी का आकलन करें:
\(L \geq \frac{(4 \times 10^{-3})^2}{400 \times 10^{-9}} \)
\(= \frac{16 \times 10^{-6}}{400 \times 10^{-9}} \)
\(= \frac{16}{0.4} \times 10^{3} = 40 \, \text{m}\)
इसलिए, किसी \( 4 \, \text{mm} \) के आकार के द्वारक तथा \( 400 \, \text{nm} \) तरंगदैर्ध्य के प्रकाश के लिए किरण प्रकाशिकी सन्निकट रूप से लागू होने के लिए दूरी कम से कम 40 मीटर होनी चाहिए।