Class 12 Physics Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति ncert solutions: विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति प्रश्न उत्तर
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | भौतिकी |
Chapter | Chapter 11 |
Chapter Name | विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 11.1: 30 kV इलेक्ट्रॉनों के द्वारा उत्पन्न X-किरणों की (a) उच्चतम आवृत्ति, तथा | (b) निम्नतम तरंगदैर्ध्य प्राप्त कीजिए।
उत्तर 11.1: इलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्पन्न X-किरणों की उच्चतम आवृत्ति और निम्नतम तरंगदैर्ध्य को प्राप्त करने के लिए हमें निम्नलिखित भौतिक संबंधों का उपयोग करना होगा:
- ऊर्जा-आवृत्ति संबंध:
इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा E और X-किरणों की आवृत्ति \( \nu \) के बीच का संबंध निम्न प्रकार से होता है: \(E = h\nu\)
जहाँ ( h ) प्लांक का स्थिरांक है \(( h = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js} )\)। - ऊर्जा-तरंगदैर्ध्य संबंध:
ऊर्जा E और तरंगदैर्ध्य \( \lambda \) के बीच संबंध इस प्रकार है: \(E = \frac{hc}{\lambda}\)
जहाँ ( c ) प्रकाश का वेग है \(( c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s} )\)।
अब, प्रश्न में दिए गए अनुसार इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा 30 kV है, जिसका अर्थ है:
\(E = 30 \, \text{kV} = 30 \times 10^3 \, \text{eV} \)
\(= 30 \times 10^3 \times 1.6 \times 10^{-19} \, \text{J}\)
\(E = 4.8 \times 10^{-15} \, \text{J}\)
(a) उच्चतम आवृत्ति (Highest frequency):
उच्चतम आवृत्ति तब प्राप्त होती है जब इलेक्ट्रॉन की पूरी ऊर्जा X-किरण के एक फोटॉन में परिवर्तित हो जाती है। इस स्थिति में:
\(E = h\nu_{\text{max}}\)
तो, आवृत्ति के लिए समीकरण होगा:
\(\nu_{\text{max}} = \frac{E}{h} = \frac{4.8 \times 10^{-15}}{6.626 \times 10^{-34}} \, \text{Hz}\)
\(\nu_{\text{max}} \approx 7.24 \times 10^{18} \, \text{Hz}\)
(b) निम्नतम तरंगदैर्ध्य (Smallest wavelength):
निम्नतम तरंगदैर्ध्य तब प्राप्त होती है जब ऊर्जा पूरी तरह से तरंगदैर्ध्य में परिवर्तित हो जाती है। इस स्थिति में:
\(E = \frac{hc}{\lambda_{\text{min}}}\)
तो, तरंगदैर्ध्य के लिए समीकरण होगा:
\(\lambda_{\text{min}} = \frac{hc}{E} = \frac{6.626 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{4.8 \times 10^{-15}} \, \text{m}\)
\(\lambda_{\text{min}} \approx 4.14 \times 10^{-11} \, \text{m} = 0.0414 \, \text{nm}\)
(a) उच्चतम आवृत्ति \( \nu_{\text{max}} \approx 7.24 \times 10^{18} \, \text{Hz} \)
(b) निम्नतम तरंगदैर्ध्य \( \lambda_{\text{min}} \approx 0.0414 \, \text{nm} \)
प्रश्न 11.2: सीज़ियम धातु का कार्य-फलन 2.14eV है। जब 6 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु-पृष्ठ पर आपतित होता है, इलेक्ट्रॉनों का प्रकाशिक उत्सर्जन होता है। (a) उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा (b) निरोधी विभव, और (c) उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम चाल कितनी है?
उत्तर 11.2: दिया है, सीजियम धातु का कार्य-फलन W = 2.14 eV = 214 × 1.6 × 10-19 जूल
आपतित प्रकाश की आवृत्ति v = 6 × 1014 Hz
प्लांक का नियतांक h = 6.62 × 10-34 जूल सेकण्ड
∴ आपतित फोटॉन की ऊर्जा hν= 6.62 × 10-34 × 6 × 1014 जूल
(a) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की उच्चतम गतिज ऊर्जा Emax हो तो
आइन्सटीन के प्रकाश-विद्युत समीकरण hν = w + Emax से
Emax = hv – W
= 6.62 × 6 × 10-20 – 2.14 × 1.6 × 10-19
= 39.72 × 10-20 – 34.24 × 10-20
= 5.48 × 10-20
अब इसे इलेक्ट्रॉन-वोल्ट (eV) में बदलते हैं:
\(K_{\text{max}} = \frac{5.48 \times 10^{-20}}{1.6 \times 10^{-19}} \, \text{eV} = 0.342 \, \text{eV}\)
(b) यदि विरोधी विभव V0 हो तो
eV0 = Emax
या
\(V_0 = \frac{E_{\text{max}}}{e} = \frac{5.496 \times 10^{-20}}{1.602 \times 10^{-19}} = 0.343 \, \text{V}\)
(c) यदि उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की अधिकतम चाल νmax हो तो
\(\frac{1}{2} mv^2\) = Emax
∴ νmax \(= \sqrt{\frac{2 E_{max}}{m_e}}\)
दिया है me = 9.1 × 10-31 किग्रा
∴ νmax = \(\sqrt{\frac{2 \times 5.48 \times 10^{-20}}{9.1 \times 10^{-31}}}\)
= 3.47 × 105 मी/से
प्रश्न 11.3: एक विशिष्ट प्रयोग में प्रकाश-विद्युत प्रभाव की अंतक वोल्टता 1.5 v है। उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा कितनी है?
उत्तर 11.3: संस्तब्ध वोल्टेज, V0= 1.5 V
प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा,
ER = eV0 = 1.5 ev = 1.5 x 16 x 10-19J = 2.4 x 10-19J
प्रश्न 11.4: 632.8 nm तरंगदैर्घ्य का एकवर्णी प्रकाश एक हीलियम-नियॉन लेसर के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। उत्सर्जित शक्ति 9.42 mW है।
(a) प्रकाश के किरण-पुंज में प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा तथा संवेग प्राप्त कीजिए।
(b) इस किरण-पुंज के द्वारा विकिरित किसी लक्ष्य पर औसतन कितने फोटॉन प्रति सेकण्ड पहुँचेंगे? (यह मान लीजिए कि किरण-पुंज की अनुप्रस्थ काट एकसमान है जो लक्ष्य के क्षेत्रफल से कम है), तथा ।
(c) एक हाइड्रोजन परमाणु को फोटॉन के बराबर संवेग प्राप्त करने के लिए कितनी तेज चाल से चलना होगा?
उत्तर 11.4: दिया है, λ = 632.8 nm = 6328 × 10-9m
शक्ति P = 9.42 mW = 9.42 × 10-3 W
(a) प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac{hc}{\lambda }\)
= \(\frac{6.626\times 10^{-34}\times 3\times 10^{8}}{632.8\times 10^{-9}}\)
= 3.141 x 10-19 J.
प्रत्येक फोटॉन का संवेग, P = \(\frac{h}{\lambda }\)
= \(\frac{6.626\times 10^{-34}}{632.8\times 10^{-9}}\)
= 1.047 x 10-27 kg m/s.
(b) शक्ति P = nE, जिसमें n प्रति सेकण्ड लक्ष्य पर आपतित फोटॉनों की संख्या है।
n = \(\frac{P}{E}\)
= \(\frac{9.42\times 10^{-3}}{3.141\times 10^{-19}}\)
= 3 x 1016 फोटॉनों/सेकण्ड
(c) यदि हाइड्रोजन का द्रव्यमान mH तथा वेग vH हो, तो हाइड्रोजन परमाणु का संवेग pH = mH vH
दिया है, PH = 1.05 × 10-27 kg ms-1
∴ mH vH = 1.05 × 10-27
νH = \(\frac{1.05\times 10^{-27}}{m_H}\)
= \(\frac{1.05\times 10^{-27}}{1.66\times 10^{-27}}\)
= 0.63 ms-1
प्रश्न 11.5: प्रकाश-विद्युत प्रभाव के एक प्रयोग में, प्रकाश आवृत्ति के विरुद्ध अन्तक वोल्टता की ढलान 4.12 x 10-15 Vs प्राप्त होती है। प्लांक स्थिरांक का मान परिकलित कीजिए।
उत्तर 11.5: प्रकाश-विद्युत प्रभाव के प्रयोग में, प्रकाश आवृत्ति ( f ) के विरुद्ध अन्तक वोल्टता ( V ) के ग्राफ की ढलान प्लांक स्थिरांक ( h ) को दर्शाती है। यह निम्नलिखित समीकरण से संबंधित है:
\(h = e \cdot m\)
जहां:
- ( e ) इलेक्ट्रॉन का चार्ज है \(( e \approx 1.6 \times 10^{-19} \, \text{C} )\)
- ( m ) ढलान (स्ट्रेट) है, जो \( 4.12 \times 10^{-15} \, \text{Vs} \) है।
प्लांक स्थिरांक की गणना:
हमें दी गई ढलान से प्लांक स्थिरांक का मान निकालने के लिए हम निम्नलिखित संबंध का उपयोग करेंगे:
\(h = e \cdot m\)
तो,
\(h = (4.12 \times 10^{-15} \, \text{Vs}) \times (1.6 \times 10^{-19} \, \text{C})\)
अब हम इस गणना को करते हैं:
\(h = 4.12 \times 10^{-15} \times 1.6 \times 10^{-19}\)
\(h = 6.592 \times 10^{-34} \, \text{J} \cdot \text{s}\)
प्लांक स्थिरांक ( h ) का मान लगभग \( 6.59 \times 10^{-34} \, \text{J} \cdot \text{s} \) है, जो आपके दिए गए उत्तर के अनुसार है।
प्रश्न 11.6: किसी धातु की देहली आवृत्ति 3.3 x 1014 Hz है। यदि 8.2 x 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश धातु पर आपतित हो तो प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन के लिए अंतक वोल्टता ज्ञात कीजिए।
उत्तर 11.6: प्रकाश-विद्युत प्रभाव में, जब प्रकाश की आवृत्ति धातु की देहली आवृत्ति (threshold frequency) से अधिक होती है, तब विद्युत् उत्सर्जन होता है।
दिए गए मान:
- धातु की देहली आवृत्ति \(( \nu_0 )\) = \( 3.3 \times 10^{14} \, \text{Hz} \)
- आपतित प्रकाश की आवृत्ति \(( \nu )\) = \( 8.2 \times 10^{14} \, \text{Hz} \)
अंतक वोल्टता (\( V_0 )\) ज्ञात करने के लिए हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करेंगे:
\(V_0 = \frac{h(\nu – \nu_0)}{e}\)
जहाँ:
- ( h ) = प्लैंक का नियतांक \( = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js} \)
- ( e ) = इलेक्ट्रॉन का आवेश \( = 1.6 \times 10^{-19} \, \text{C} \)
1. पहले, आवृत्तियों के बीच का अंतर निकालते हैं:
\(\nu – \nu_0 = 8.2 \times 10^{14} – 3.3 \times 10^{14} \)
\(= 4.9 \times 10^{14} \, \text{Hz}\)
2. अब, \( V_0 \) का मान निकालते हैं:
\(V_0 = \frac{h(\nu – \nu_0)}{e}\)
\(= \frac{(6.626 \times 10^{-34}) \times (4.9 \times 10^{14})}{1.6 \times 10^{-19}}\)
3. इसे हल करते हैं:
\(V_0 = \frac{(6.626 \times 10^{-34}) \times (4.9 \times 10^{14})}{1.6 \times 10^{-19}}\)
\(V_0 = \frac{3.24774 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
\(V_0 \approx 2.03 \, \text{V}\)
इसलिए, अंतक वोल्टता लगभग \( 2.0 \, \text{V} \) है।
प्रश्न 11.7: किसी धातु के लिए कार्य-फलन 4.2eV है। क्या यह धातु 330 nm तरंगदैर्घ्य के आपतित विकिरण के लिए प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन देगा?
उत्तर 11.7: आपतित विकिरण के फोटॉन की ऊर्जा,
E = \(\frac{hc}{\lambda }\)
= \(\frac{6.63 \times 10^{-34}\times 3\times 10^{8}}{330\times 10^{-9}}\)J
= 6.03 × 10-19 J
= \(\frac{6.03\times 10^{-19}}{1.6\times 10^{-19}}\)ev
= 3.76 eV
∴ प्रकाश धातु का कार्य-फलन, 20 = 4.2 eV (दिया है) चूँकि आपतित फोटॉन की ऊर्जा कार्य-फलन से कम है, अत: प्रकाश-इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन सम्भव नहीं
प्रश्न 11.8: 7.21 × 1014 Hz आवृत्ति का प्रकाश एक धातु-पृष्ठ पर आपतित है। इस पृष्ठ से 6.0 × 105 m/s की उच्चतम गति से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनों के प्रकाश उत्सर्जन के लिए देहली आवृत्ति क्या है?
उत्तर 11.8: इस प्रश्न में, हमें यह पता करना है कि एक धातु-पृष्ठ से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों के लिए देहली आवृत्ति (threshold frequency) क्या है, जब प्रकाश की आवृत्ति \( f = 7.21 \times 10^{14} \, \text{Hz} \) है और इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गति \( v = 6.0 \times 10^5 \, \text{m/s} \) है।
चरण 1: ऊर्जा की गणना करना
पहले हमें इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम गतिज ऊर्जा (kinetic energy) को जानने की आवश्यकता है, जो इस प्रकार है:
\(KE = \frac{1}{2} m v^2\)
जहाँ:
- ( m ) = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान \( = 9.11 \times 10^{-31} \, \text{kg} \)
- ( v ) = इलेक्ट्रॉन की उच्चतम गति
इसलिए:
\(KE = \frac{1}{2} \cdot (9.11 \times 10^{-31}) \cdot (6.0 \times 10^5)^2\)
चरण 2: KE की गणना करना
\(KE = \frac{1}{2} \cdot (9.11 \times 10^{-31}) \cdot (3.6 \times 10^{11})\)
\(KE = \frac{1}{2} \cdot (3.28 \times 10^{-19}) \, \text{J}\)
\(KE = 1.64 \times 10^{-19} \, \text{J}\)
चरण 3: ऊर्जा के लिए आवृत्ति का संबंध
फोटॉन की ऊर्जा को प्लांक के समीकरण से व्यक्त किया जाता है: E = h f
जहाँ:
- ( h ) = प्लांक का नियतांक \( = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{J s} \)
- ( f ) = फोटॉन की आवृत्ति
यहाँ, यदि हम देहली आवृत्ति को ( f0 ) मानें, तो यह होगा:
\(E = KE + \text{Work function} = KE + h f_0\)
इसलिए,
\(h f = KE + h f_0\)
\(h f_0 = h f – KE\)
चरण 4: ( f0 ) की गणना करना
इस समीकरण से, देहली आवृत्ति निकालने के लिए:
\(f_0 = \frac{h f – KE}{h}\)
\(f_0 = f – \frac{KE}{h}\)
अब, \( f = 7.21 \times 10^{14} \, \text{Hz} \):
\(f_0 = 7.21 \times 10^{14} – \frac{1.64 \times 10^{-19}}{6.626 \times 10^{-34}}\)
चरण 5: अंतिम गणना
\(f_0 = 7.21 \times 10^{14} – \left( 2.47 \times 10^{14} \right)\)
\(f_0 = 7.21 \times 10^{14} – 2.47 \times 10^{14}\)
\(f_0 = 4.74 \times 10^{14} \, \text{Hz}\)
धातु-पृष्ठ के लिए देहली आवृत्ति \( f_0 = 4.74 \times 10^{14} \, \text{Hz} \) है।
प्रश्न 11.9: 488 nm तरंगदैर्ध्य का प्रकाश एक ऑर्गन लेसर से उत्पन्न किया जाता है, जिसे प्रकाश-विद्युत प्रभाव के उपयोग में लाया जाता है। जब इस स्पेक्ट्रमी-रेखा के प्रकाश को उत्सर्जक पर आपतित किया जाता है, तब प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अंतक) विभव 0.38 V है। उत्सर्जक के पदार्थ का कार्य-फलन ज्ञात करें।
उत्तर 11.9: इस प्रश्न में, हम प्रकाश-विद्युत प्रभाव का उपयोग करके कार्य-फलन ज्ञात करेंगे। इसके लिए हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करेंगे:
\(eV_0 = h \nu – W\)
जहाँ:
- e = इलेक्ट्रॉन का आवेश \(1.6 × 10⁻¹⁹ C\),
- V0 = निरोधी विभव (0.38 V),
- h = प्लांक स्थिरांक \(6.63 × 10⁻³⁴ J·s\),
- \(\nu\) = प्रकाश की आवृत्ति,
- W = कार्य-फलन।
पहले हम प्रकाश की आवृत्ति \((\nu)\) का पता करेंगे। तरंगदैर्ध्य \((\lambda)\) और आवृत्ति \((\nu)\) का संबंध होता है:
\(\nu = \frac{c}{\lambda}\)
जहाँ (c) = प्रकाश की चाल (3 × 10⁸ m/s) और \(\lambda\) = 488 nm = 488 × 10⁻⁹ m।
अब आवृत्ति \((\nu)\) की गणना करते हैं:
\(\nu = \frac{3 \times 10^8}{488 \times 10^{-9}} = 6.15 \times 10^{14} \text{ Hz}\)
अब इस आवृत्ति का उपयोग करते हुए, फोटॉन की ऊर्जा \((h \nu)\) ज्ञात करें:
\(h \nu = (6.63 \times 10^{-34}) \times (6.15 \times 10^{14}) \)
\(= 4.08 \times 10^{-19} \text{ J}\)
अब कार्य-फलन (W) का पता लगाने के लिए, उपरोक्त मुख्य समीकरण का उपयोग करें:
\(eV_0 = h \nu – W\)
इसमें \(eV_0 = (1.6 \times 10^{-19}) \times 0.38 \)
\(= 6.08 \times 10^{-20} \text{ J}\) है।
अब (W) की गणना करते हैं:
\(W = h \nu – eV_0 \)
\(= 4.08 \times 10^{-19} – 6.08 \times 10^{-20} \)
\(= 3.47 \times 10^{-19} \text{ J}\)
इसे इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) में बदलें:
\(W = \frac{3.47 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}} = 2.16 \text{ eV}\)
इस प्रकार, उत्सर्जक के पदार्थ का कार्य-फलन 2.16 eV (या 3.46 × 10⁻¹⁹ J) है।
प्रश्न 11.10: (a) एक 0.040 kg द्रव्यमान का बुलेट जो 1.0 km/s की चाल से चल रहा है, (b) एक 0.060 kg द्रव्यमान की गेंद जो 1.0 m/s की चाल से चल रही है, (c) एक धूल-कण जिसका द्रव्यमान 1.0 x 10-9 kg और जो 2.2 m/s की चाल से अनुगमित हो रहा है, का दे-ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य कितना होगा?
उत्तर 11.10:
(a) \(\lambda = \frac{h}{mv}\)
= \(\frac{6.6\times 10^{-34}}{0.040\times 1000}\)
= 1.65 x 10-35 m.
(b) \(\lambda = \frac{h}{mv}\)
= \(\frac{6.6\times 10^{-34}}{0.060\times 1}\)
= 1.1 x 10-32 m.
(c) \(\lambda = \frac{h}{mv}\)
= \(\frac{6.6\times 10^{-34}}{2.2\times 1\times 10^{-9}}\)
= 3.0 x 10-25 m.
प्रश्न 11.11: यह दर्शाइए कि विद्युतचुंबकीय विकिरण का तरंगदैर्घ्य इसके क्वांटम (फोटॉन) के तरंगदैर्घ्य के बराबर है।
उत्तर 11.11: हमें यह दर्शाना है कि विद्युतचुंबकीय विकिरण का तरंगदैर्घ्य इसके क्वांटम (फोटॉन) के तरंगदैर्घ्य के बराबर है।
विद्युतचुंबकीय तरंग के लिए फोटॉन का संवेग ( p ) होता है:
\(p = \frac{h\nu}{c}\)
जहाँ h प्लांक स्थिरांक, \( \nu \) विकिरण की आवृत्ति, और c प्रकाश की गति है।
फोटॉन का तरंगदैर्घ्य \( \lambda \) को दे-ब्रॉगली समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है:
\(\lambda = \frac{h}{p}\)
अब, संवेग p को \( p = \frac{h\nu}{c} \) से प्रतिस्थापित करते हैं:
\(\lambda = \frac{h}{\frac{h\nu}{c}} = \frac{c}{\nu}\)
यहाँ \( \frac{c}{\nu} \) विद्युतचुंबकीय तरंग का तरंगदैर्घ्य है। अतः,
\(\lambda = \frac{c}{\nu}\)
यह दर्शाता है कि विद्युतचुंबकीय विकिरण का तरंगदैर्घ्य \( \lambda \) और इसके क्वांटम (फोटॉन) का तरंगदैर्घ्य एक ही होते हैं।