परमाणु प्रश्न उत्तर Ncert Solution for Class 12 Physics Chapter 12 in Hindi

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Class 12 Physics Chapter 12 परमाणु ncert solutions: परमाणु प्रश्न उत्तर

TextbookNCERT
ClassClass 12
Subjectभौतिकी
ChapterChapter 12
Chapter Nameपरमाणु ncert solutions
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

क्या आप कक्षा 12 भौतिकी पाठ 12 परमाणु प्रश्न उत्तर ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 Physics chapter 12 questions and answers in hindi, परमाणु question answer download कर सकते हैं।

प्रश्न 12.1: प्रत्येक कथन के अन्त में दिए गए संकेतों में से सही विकल्प का चयन कीजिए।
(a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाण्वीय साइज से ………. होता है।. (अपेक्षाकृत काफी अधिक/भिन्न नहीं/अपेक्षाकृत काफी कम.)
(b) ………. में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य में होते हैं जबकि ………. में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते हैं।
(c) ………. पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट होना निश्चित है। (टॉमसन मॉडल/ रदरफोर्ड मॉडल.)
(d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का ………. में लगभग संतत वितरण होता है लेकिन ………. में अत्यन्त असमान द्रव्यमान वितरण होता है। (रदरफोर्ड मॉडल, टॉमसन मॉडल)
(e) ………. में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है। (रदरफोर्ड मॉडल/दोनों मॉडलों.)

उत्तर 12.1:

  • (a) टॉमसन मॉडल में परमाणु का साइज, रदरफोर्ड मॉडल में परमाण्वीय साइज से भिन्न नहीं होता है।
  • (b) टॉमसन मॉडल में निम्नतम अवस्था में इलेक्ट्रॉन स्थायी साम्य में होते हैं जबकि रदरफोर्ड मॉडल में इलेक्ट्रॉन, सदैव नेट बल अनुभव करते हैं।
  • (c) रदरफोर्ड मॉडल पर आधारित किसी क्लासिकी परमाणु का नष्ट होना निश्चित है।
  • (d) किसी परमाणु के द्रव्यमान का टॉमसन मॉडल में लगभग संतत वितरण होता है लेकिन रदरफोर्ड मॉडल में अत्यन्त असमान द्रव्यमान वितरण होता है।
  • (e) रदरफोर्ड मॉडल में परमाणु के धनावेशित भाग का द्रव्यमान सर्वाधिक होता है।

प्रश्न 12.2: मान लीजिए कि स्वर्ण पन्नी के स्थान पर ठोस हाइड्रोजन की पतली शीट का उपयोग करके आपको ऐल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग दोहराने का अवसर प्राप्त होता है। (हाइड्रोजन 14K से नीचे ताप पर ठोस हो जाती है।) आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?

उत्तर 12.2: हाइड्रोजन परमाणु का नाभिक एक प्रोटॉन है जिसका द्रव्यमान (1.67 x 10-27 kg) α – कण के द्रव्यमान (6.64 x 10-27 kg) की तुलना में कम है। यह हल्का नाभिक भारी α -कण को प्रतिक्षिप्त नहीं कर पाएगा; अतः α-कण सीधे नाभिक की ओर जाने पर भी वापस नहीं लौटेगा और इस प्रयोग में α-कण का बड़े कोणों पर विक्षेपण भी नहीं होगा।

प्रश्न 12.3: 2.3 eV ऊर्जा अन्तर किसी परमाणु में दो ऊर्जा स्तरों को पृथक कर देता है। उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति क्या होगी यदि परमाणु में इलेक्ट्रॉन उच्च स्तर से निम्न स्तर में संक्रमण करता है?

उत्तर 12.3: हम निम्न समीकरण का उपयोग करते हैं:

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\(E = h \nu\)

जहाँ:

  • \(E = 2.3 \, \text{eV}\) (ऊर्जा अन्तर),
  • \(h = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js}\) (प्लैंक का स्थिरांक)।

पहले हम ऊर्जा को जूल में परिवर्तित करते हैं:

\(E = 2.3 \, \text{eV} \times 1.602 \times 10^{-19} \, \text{J/eV}\)

\(= 3.6846 \times 10^{-19} \, \text{J}\)

अब आवृत्ति की गणना करते हैं:

\(\nu = \frac{E}{h} = \frac{3.6846 \times 10^{-19} \, \text{J}}{6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js}}\)

अब इसको पुनः सही से हल करते हैं।

गणना से प्राप्त आवृत्ति \(5.56 \times 10^{14} \, \text{Hz}\) है।

इसलिए, जब इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में संक्रमण करता है, तो उत्सर्जित विकिरण की आवृत्ति लगभग \(5.6 \times 10^{14} \, \text{Hz}\) होती है।

प्रश्न 12.4: हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था में ऊर्जा -13.6 eV है। इस अवस्था में इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जाएँ क्या होंगी?

उत्तर 12.4: हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था (ग्राउंड स्टेट) में इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा \( E = -13.6 \, \text{eV} \) होती है।

हाइड्रोजन परमाणु के लिए:

  1. कुल ऊर्जा ( E ) = स्थितिज ऊर्जा + गतिज ऊर्जा होती है।
  2. हाइड्रोजन परमाणु में, स्थितिज ऊर्जा ( U ) और गतिज ऊर्जा ( K ) के बीच निम्नलिखित संबंध होते हैं:
  • गतिज ऊर्जा K = -E
  • स्थितिज ऊर्जा U = 2E

अब हम इन ऊर्जाओं की गणना करते हैं:

  1. गतिज ऊर्जा (K):
    \(K = – E = -(-13.6) \, \text{eV} = 13.6 \, \text{eV}\)
  2. स्थितिज ऊर्जा (U):
    \(U = 2E = 2 \times (-13.6) \, \text{eV} = -27.2 \, \text{eV}\)

इस प्रकार:

  • इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा \( 13.6 \, \text{eV} \) होगी।
  • स्थितिज ऊर्जा \( -27.2 \, \text{eV} \) होगी।

प्रश्न 12.5: निम्नतम अवस्था में विद्यमान एक हाइड्रोजन परमाणु एक फ़ोटॉन को अवशोषित करता है। जो इसे n = 4 स्तर तक उत्तेजित कर देता है। फ़ोटॉन की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति ज्ञात कीजिए।

उत्तर 12.5: इस प्रश्न में, हमें हाइड्रोजन परमाणु की निम्नतम अवस्था (n = 1) से n = 4 तक की उत्तेजना के लिए फ़ोटॉन की तरंगदैर्घ्य (wavelength) और आवृत्ति (frequency) ज्ञात करनी है।

हाइड्रोजन परमाणु के ऊर्जा स्तरों के बीच ऊर्जा का अंतर निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जाता है:

\(E_n = -13.6 \, \text{eV} \times \frac{1}{n^2}\)

यहाँ ( En ) हाइड्रोजन परमाणु के n-वें स्तर पर ऊर्जा है, और n ऊर्जा स्तर का मुख्य क्वांटम नंबर है।

  1. निम्नतम ऊर्जा स्तर (n = 1) की ऊर्जा:

\(E_1 = -13.6 \, \text{eV} \times \frac{1}{1^2} = -13.6 \, \text{eV}\)

  1. चौथे ऊर्जा स्तर (n = 4) की ऊर्जा:

\(E_4 = -13.6 \, \text{eV} \times \frac{1}{4^2} \)

\(= -13.6 \, \text{eV} \times \frac{1}{16} = -0.85 \, \text{eV}\)

  1. दोनों ऊर्जा स्तरों के बीच ऊर्जा का अंतर (ΔE):

\(\Delta E = E_4 – E_1 \)

\(= (-0.85 \, \text{eV}) – (-13.6 \, \text{eV}) = 12.75 \, \text{eV}\)

यह \( \Delta E \) वह ऊर्जा है जो फ़ोटॉन द्वारा अवशोषित की जाती है।

अब, फ़ोटॉन की ऊर्जा और उसकी आवृत्ति के बीच संबंध प्लांक के नियम से दिया जाता है:

\(E = h \nu\)

जहाँ ( E ) फ़ोटॉन की ऊर्जा है, ( h ) प्लांक स्थिरांक है \( ( h = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js} ) \), और \( \nu \) फ़ोटॉन की आवृत्ति है।

फ़ोटॉन की ऊर्जा \( \Delta E \) को जूल में परिवर्तित करने के लिए, हम 1 eV = \( 1.602 \times 10^{-19} \, \text{J} \) का उपयोग करेंगे:

\(\Delta E = 12.75 \, \text{eV} \times 1.602 \times 10^{-19} \, \text{J/eV} \)

\(= 2.04 \times 10^{-18} \, \text{J}\)

अब, आवृत्ति \( ( \nu ) \) ज्ञात करते हैं:

\(\nu = \frac{E}{h} = \frac{2.04 \times 10^{-18} \, \text{J}}{6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js}} \)

\(= 3.08 \times 10^{15} \, \text{Hz}\)

अतः फ़ोटॉन की आवृत्ति \( \nu = 3.1 \times 10^{15} \, \text{Hz} \) है।

  1. तरंगदैर्घ्य \( ( \lambda ) \) ज्ञात करने के लिए:

हम तरंगदैर्घ्य और आवृत्ति के बीच संबंध का उपयोग करेंगे:

\(c = \lambda \nu\)

जहाँ ( c ) प्रकाश की गति है \( ( c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s} ) \)।

\(\lambda = \frac{c}{\nu} = \frac{3 \times 10^8 \, \text{m/s}}{3.1 \times 10^{15} \, \text{Hz}} \)

\(= 9.68 \times 10^{-8} \, \text{m}\)

अतः तरंगदैर्घ्य \( \lambda \approx 9.7 \times 10^{-8} \, \text{m} \) है।

  • तरंगदैर्घ्य = \( 9.7 \times 10^{-8} \, \text{m} \)
  • आवृत्ति = \( 3.1 \times 10^{15} \, \text{Hz} \)

प्रश्न 12.6: (a) बोर मॉडल का उपयोग करके किसी हाइड्रोजन परमाणु में n=1, 2 तथा 3 स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल परिकलित कीजिए। (b) इनमें से प्रत्येक स्तर के लिए कक्षीय अवधि परिकलित कीजिए।

उत्तर 12.6: यहाँ हमें बोर मॉडल का उपयोग करके हाइड्रोजन परमाणु के ( n = 1 ), ( n = 2 ), और ( n = 3 ) ऊर्जा स्तरों पर इलेक्ट्रॉन की चाल (velocity) और कक्षीय अवधि (orbital period) की गणना करनी है।

(a) इलेक्ट्रॉन की चाल (Velocity) की गणना

बोर मॉडल के अनुसार, हाइड्रोजन परमाणु में n-वाँ कक्ष में इलेक्ट्रॉन की चाल का सूत्र निम्नलिखित है:

\(v_n = \frac{e^2}{2 \varepsilon_0 h} \times \frac{1}{n}\)

जहाँ:

  • e इलेक्ट्रॉन का आवेश है \( (e = 1.602 \times 10^{-19} \, \text{C}) \),
  • \( \varepsilon_0 \) निर्वात का प्रतिरोधक (permittivity) है \( (\varepsilon_0 = 8.854 \times 10^{-12} \, \text{C}^2/\text{N} \cdot \text{m}^2) \),
  • h प्लांक स्थिरांक है \( (h = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js}) \),
  • n ऊर्जा स्तर का मुख्य क्वांटम नंबर है।

इसके साथ, यह चाल को निम्नलिखित रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है:

\(v_n = \frac{2.18 \times 10^6}{n} \, \text{m/s}\)

इससे n = 1, 2 और 3 के लिए चाल की गणना की जा सकती है:

  1. ( n = 1 ) के लिए:

\(v_1 = \frac{2.18 \times 10^6}{1} = 2.18 \times 10^6 \, \text{m/s}\)

  1. ( n = 2 ) के लिए:

\(v_2 = \frac{2.18 \times 10^6}{2} = 1.09 \times 10^6 \, \text{m/s}\)

  1. ( n = 3 ) के लिए:

\(v_3 = \frac{2.18 \times 10^6}{3} = 7.27 \times 10^5 \, \text{m/s}\)

(b) कक्षीय अवधि (Orbital Period) की गणना

कक्षीय अवधि (orbital period) का मतलब वह समय है, जो इलेक्ट्रॉन को अपने कक्ष में एक पूरा चक्कर लगाने में लगता है। इसे निम्नलिखित रूप से परिभाषित किया जा सकता है:

\(T_n = \frac{2 \pi r_n}{v_n}\)

जहाँ:

  • ( rn ) n-वें कक्ष की त्रिज्या है,
  • ( vn ) n-वें कक्ष की चाल है।

बोर मॉडल के अनुसार, कक्ष की त्रिज्या ( rn ) का सूत्र है:

\(r_n = n^2 a_0\)

जहाँ a0 बोर त्रिज्या है \( (a_0 = 5.29 \times 10^{-11} \, \text{m}) \)।

अब Tn की गणना के लिए ( rn ) और ( vn ) का उपयोग करते हैं:

  1. ( n = 1 ) के लिए कक्षीय अवधि:

\(r_1 = 1^2 \times a_0 = 5.29 \times 10^{-11} \, \text{m}\)

\(T_1 = \frac{2 \pi \times 5.29 \times 10^{-11}}{2.18 \times 10^6} \)

\(= 1.52 \times 10^{-16} \, \text{seconds}\)

  1. ( n = 2 ) के लिए कक्षीय अवधि:

\(r_2 = 2^2 \times a_0 = 4 \times 5.29 \times 10^{-11} \)

\(= 2.12 \times 10^{-10} \, \text{m}\)

\(T_2 = \frac{2 \pi \times 2.12 \times 10^{-10}}{1.09 \times 10^6} \)

\(= 1.22 \times 10^{-15} \, \text{seconds}\)

  1. ( n = 3 ) के लिए कक्षीय अवधि:

\(r_3 = 3^2 \times a_0 = 9 \times 5.29 \times 10^{-11} \)

\(= 4.76 \times 10^{-10} \, \text{m}\)

\(T_3 = \frac{2 \pi \times 4.76 \times 10^{-10}}{7.27 \times 10^5}\)

\( = 4.11 \times 10^{-15} \, \text{seconds}\)

(a) ( n = 1, 2, 3 ) स्तरों के लिए चाल:

  • \( v_1 = 2.18 \times 10^6 \, \text{m/s} \)
  • \( v_2 = 1.09 \times 10^6 \, \text{m/s} \)
  • \( v_3 = 7.27 \times 10^5 \, \text{m/s} \)

(b) ( n = 1, 2, 3 ) स्तरों के लिए कक्षीय अवधि:

  • \( T_1 = 1.52 \times 10^{-16} \, \text{seconds}\)
  • \( T_2 = 1.22 \times 10^{-15} \, \text{seconds}\)
  • \( T_3 = 4.11 \times 10^{-15} \, \text{seconds} \)

प्रश्न 12.7: हाइड्रोजन परमाणु में अन्तरतम इलेक्ट्रॉन-कक्षा की त्रिज्या 5.3 x 10-11m है। कक्षा n = 2 और n = 3 की त्रिज्याएँ क्या हैं?

उत्तर 12.7: बोर मॉडल के अनुसार, हाइड्रोजन परमाणु में n-वें कक्ष की त्रिज्या ( rn ) निम्नलिखित सूत्र द्वारा दी जाती है:

\(r_n = n^2 \times r_1\)

जहाँ:

  • rn n-वें कक्ष की त्रिज्या है,
  • n ऊर्जा स्तर का मुख्य क्वांटम नंबर है,
  • r1 न = 1 कक्षा की त्रिज्या है, जिसे बोर त्रिज्या भी कहा जाता है। इसे \( r_1 = 5.3 \times 10^{-11} \, \text{m} \) दिया गया है।

अब ( n = 2 ) और ( n = 3 ) के लिए त्रिज्याएँ ज्ञात करें:

( n = 2 ) के लिए त्रिज्या:

  • \(r_2 = 2^2 \times r_1 = 4 \times 5.3 \times 10^{-11} \, \text{m}\)
  • \(r_2 = 21.2 \times 10^{-11} \, \text{m} \)
  • \(= 2.12 \times 10^{-10} \, \text{m}\)

( n = 3 ) के लिए त्रिज्या:

  • \(r_3 = 3^2 \times r_1 = 9 \times 5.3 \times 10^{-11} \, \text{m}\)
  • \(r_3 = 47.7 \times 10^{-11} \, \text{m} \)
  • \(= 4.77 \times 10^{-10} \, \text{m}\)
  • ( n = 2 ) कक्षा की त्रिज्या \( r_2 = 2.12 \times 10^{-10} \, \text{m} \)
  • ( n = 3 ) कक्षा की त्रिज्या \( r_3 = 4.77 \times 10^{-10} \, \text{m} \)

प्रश्न 12.8: कमरे के ताप पर गैसीय हाइड्रोजन पर किसी 12.5 eV की इलेक्ट्रॉन पुंज की बमबारी की गई। किन तरंगदैघ्र्यों की श्रेणी उत्सर्जित होगी?

उत्तर 12.8: गैसीय हाइड्रोजन पर 12.5 eV की इलेक्ट्रॉन बमबारी से, इलेक्ट्रॉन ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है और हाइड्रोजन परमाणु के ऊर्जाई स्तरों को उत्तेजित कर सकता है। हमें यह देखना है कि इस प्रक्रिया के दौरान कौन-सी तरंगदैर्घ्य उत्सर्जित होंगी।

चरण 1: ऊर्जा स्तरों का अंतर

हाइड्रोजन परमाणु के ऊर्जा स्तरों का सूत्र है:

\(E_n = -13.6 \, \text{eV} \times \frac{1}{n^2}\)

जहाँ ( n ) हाइड्रोजन परमाणु का मुख्य क्वांटम नंबर है।

ऊर्जा स्तर की गणना:

  1. ( n = 1 ) के लिए:

\(E_1 = -13.6 \, \text{eV}\)

  1. ( n = 2 ) के लिए:

\(E_2 = -13.6 \times \frac{1}{2^2} = -3.4 \, \text{eV}\)

  1. ( n = 3 ) के लिए:

\(E_3 = -13.6 \times \frac{1}{3^2} \approx -1.51 \, \text{eV}\)

  1. ( n = 4 ) के लिए:

\(E_4 = -13.6 \times \frac{1}{4^2} = -0.85 \, \text{eV}\)

  1. ( n = 5 ) के लिए:

\(E_5 = -13.6 \times \frac{1}{5^2} = -0.544 \, \text{eV}\)

चरण 2: उत्तेजित स्तर की पहचान

जब 12.5 eV ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन से बमबारी होती है, तो यह ( n = 2 ) और ( n = 3 ) स्तरों के लिए उत्तेजित हो सकता है, क्योंकि:

  • ( n = 1 ) से ( n = 2 ) में ऊर्जा अंतर:

\(\Delta E_{12} = E_2 – E_1 \)

\(= (-3.4) – (-13.6) = 10.2 \, \text{eV}\)

  • ( n = 1 ) से ( n = 3 ) में ऊर्जा अंतर:

\(\Delta E_{13} = E_3 – E_1 \)

\(= (-1.51) – (-13.6) = 12.09 \, \text{eV}\)

  • ( n = 2 ) से ( n = 3 ) में ऊर्जा अंतर:

\(\Delta E_{23} = E_3 – E_2 \)

\(= (-1.51) – (-3.4) = 1.89 \, \text{eV}\)

चरण 3: उत्सर्जित ऊर्जा और तरंगदैर्घ्य की गणना

अब, उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य के लिए ऊर्जा अंतर को \( E = h \nu \) से व्यक्त किया जा सकता है:

\(E = \frac{hc}{\lambda}\)

जहाँ:

  • \( h = 6.626 \times 10^{-34} \, \text{Js} \) (प्लांक स्थिरांक)
  • \( c = 3 \times 10^8 \, \text{m/s} \) (प्रकाश की गति)

उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य की गणना:

  1. ( n = 1 ) से ( n = 2 ):

\(\lambda_{12} = \frac{hc}{\Delta E_{12}} \)

\(= \frac{(6.626 \times 10^{-34}) \times (3 \times 10^8)}{10.2 \times 1.602 \times 10^{-19}}\)

\(= \frac{1.9878 \times 10^{-25}}{1.63704 \times 10^{-18}} \)

\(\approx 1.21 \times 10^{-7} \, \text{m} = 121.5 \, \text{nm}\)

  1. ( n = 1 ) से ( n = 3 ):

\(\lambda_{13} = \frac{hc}{\Delta E_{13}} \)

\(= \frac{(6.626 \times 10^{-34}) \times (3 \times 10^8)}{12.09 \times 1.602 \times 10^{-19}}\)

\(= \frac{1.9878 \times 10^{-25}}{1.9379 \times 10^{-18}} \)

\(\approx 1.03 \times 10^{-7} \, \text{m} = 103 \, \text{nm}\)

  1. ( n = 2 ) से ( n = 3 ):

\(\lambda_{23} = \frac{hc}{\Delta E_{23}} \)

\(= \frac{(6.626 \times 10^{-34}) \times (3 \times 10^8)}{1.89 \times 1.602 \times 10^{-19}}\)

\(= \frac{1.9878 \times 10^{-25}}{3.03078 \times 10^{-19}}\)

\( \approx 6.55 \times 10^{-7} \, \text{m} = 655 \, \text{nm}\)

निष्कर्ष

उत्सर्जित तरंगदैर्घ्य की श्रेणी:

  1. ( n = 1 ) से ( n = 2 ) पर \( \lambda \approx 122 \, \text{nm} \)
  2. ( n = 1 ) से ( n = 3 ) पर \( \lambda \approx 103 \, \text{nm} \)
  3. ( n = 2 ) से ( n = 3 ) पर \( \lambda \approx 655 \, \text{nm} \)

ये तरंगदैर्घ्य अदृश्य विकिरण के UV और दृश्य क्षेत्र में आती हैं।

प्रश्न 12.9: बोर मॉडल के अनुसार सूर्य के चारों ओर 1.5 x 1011 m त्रिज्या की कक्षा में, 3 x 104 m/s के कक्षीय वेग से परिक्रमा करती पृथ्वी की अभिलाक्षणिक क्वांटम संख्या ज्ञात कीजिए। (पृथ्वी का द्रव्यमान= 6.0 x 1024 kg)।

उत्तर 12.9: दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान m = 6.0 x 1024 किग्रा; कक्षा की त्रिज्या r = 1.5 x 1011 मीटर

तथा पृथ्वी का कक्षीय वेग ν = 3 x 104 मीटर/सेकण्ड
h = 6.62 x 104 जूल-सेकण्ड

बोर मॉडल के अनुसार, \(m v r = \frac { n h } { 2 \pi }\)

27 यहाँ n कक्षा की अभिलाक्षणिक क्वाण्टम संख्या है।

\(n = \frac { m v r 2 \pi } { h }\)

\(= \frac{ 2 \pi \times 6 \times 10^{24} \times 3 \times 10 ^ {4} \times 1.5 \times 10^{11} }{ 6.62 \times 10^{-34} }\)

= 25.61 ×1073 = 2.6 × 1074

उपग्रह की गति के लिए यह क्वाण्टम संख्या अत्यंत विशाल है और इतनी विशाल क्वाण्टम संख्या के लिए क्वाण्टीकृत प्रतिबन्धों के परिणाम चिरसम्मत भौतिकी से मेल खाने लगते हैं।

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