Class 12 Physics Chapter 13 नाभिक ncert solutions: नाभिक प्रश्न उत्तर
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | भौतिकी |
Chapter | Chapter 13 |
Chapter Name | नाभिक ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
क्या आप कक्षा 12 भौतिकी पाठ 13 नाभिक प्रश्न उत्तर ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 Physics chapter 13 questions and answers in hindi, नाभिक question answer download कर सकते हैं।
प्रश्न 13.1: नाइट्रोजन नाभिक ( \(_{7}^{14}{N}\) ) की बन्धन-ऊर्जा MeV में ज्ञात कीजिए। mN = 14.00307 u
उत्तर 13.1: ( \(_{7}^{14}{N}\) ) में प्रोटॉन = Z = 7 तथा न्यूट्रॉन
= (A – Z) = (14 – 7) = 7
न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान = 7 × mH + 7 × mn
= (7 × 1.00783 +7 × 1.00867) u
= 14.1155 u
∴ द्रव्यमान क्षति
Δ m = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – ( \(_{7}^{14}{B}\) )
नाभिक का द्रव्यमान
= 14.11550 u – 14.00307 u = 0.11243 u
अतः बन्धन ऊर्जा EB = Δm के तुल्य ऊर्जा
= 0.11243 × 931 MeV
= 104.67 MeV (∵ 1 u = 931 Mev)
प्रश्न 13.2: निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर \(_{26}^{56}{Fe}\) एवं \(_{83}^{209}{Bi}\) नाभिकों की बंधन-ऊर्जा MeV में ज्ञात कीजिए।
(a) m ( \(_{23}^{56}{Fe}\) ) = 55.934939 u
(b) m( \(_{83}^{209}{Bi}\) ) = 208.980388 u
उत्तर 13.2: दिया है, प्रोटॉन का द्रव्यमान mH = 1.007825 u
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान mn= 1.008665 u
(i) \(_{26}^{56}{Fe}\) नाभिक का द्रव्यमान mFe = 55.934939 u
इस नाभिक में 26 प्रोटॉन तथा (56 – 26) = 30 न्यूट्रॉन हैं।
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 26 mH + 30mn
= 26 x 1.007825 + 30 x 1.008665
= 26.20345 + 30.25995 = 56.4634 u
∴ द्रव्यमान क्षति Δ m = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – नाभिक का द्रव्यमान
= 56.4634 – 55.934939 = 0.528461 u
∴ \(_{26}^{56}{Fe}\) नाभिक की बंधन-ऊर्जा = Δ m x 931 = 0.528461 x 931.5 MeV
= 492.26 MeV
∴ बंधन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac{492.26}{56} = 8.79 MeV\)
= 8.79 MeV/ न्यूक्लिऑन
(ii) ( \(_{83}^{209}{Bi}\) ) नाभिक का द्रव्यमान mBi= 208.980388 u
∴ न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान = 83mH +126mn
= 83 x 1.007825 + 126 x 1.008665
= 83.649475+ 127.091790
= 210.741260 u
∴ नाभिक की द्रव्यमान-क्षति Δ m = 210.741260 – 208.980388
= 1.760872 u
∴ नाभिक की बन्धन ऊर्जा = Δ m x 931.5 MeV
= 1.760872 x 931.5
= 1640.26 MeV
∴ बंधन-ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = 1640.26/209 = 7.848 MeV/ न्यूक्लिऑन.
प्रश्न 13.3: एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों एव प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णतः \(_{29}^{63}{Cu}\) परमाणुओं का बना है। (\(_{29}^{63}{Cu}\) का द्रव्यमान = 62.92960 u)।
उत्तर 13.3: \(_{29}^{63}{Cu}\) में प्रोटॉन (Z) = 29, न्यूट्रॉन = 63 – 29 = 34
∴ न्यूक्लिऑनों का कुल द्रव्यमान
= 29 प्रोटॉनों का द्रव्यमान + 34 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान
= (29 x 1.00783+ 34 x 1.00867) u = 63.52185 u
∴ द्रव्यमान क्षति Δ m = न्यूक्लिऑनों का द्रव्यमान – \(_{29}^{63}{Cu}\) नाभिक का द्रव्यमान
∴ \(_{29}^{63}{Cu}\) नाभिक की बन्धन ऊर्जा
EB = 0.53225 x 931 MeV = 551.385 MeV
m = 3.0 ग्राम में परमाणुओं (नाभिकों) की संख्या
= m/M x आवोगाद्रो संख्या
\(N = \frac{6.023 \times 10^{23}\times 3}{63}\) = 2.868 x 1022 atoms
∴ सिक्के के सभी न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक ऊर्जा
= 2.86 x 1022 x EB
= 2.86 x 1022 x 551.385 MeV
= 1.6 x 1025 MeV
प्रश्न 13.4: स्वर्ण के समस्थानिक \(_{ 79 }^{ 197 }{Au}\) एवं रजत के समस्थानिक \(_{ 47 }^{ 107 }{Ag}\) की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर 13.4: नाभिकीय त्रिज्या का अनुमान लगाने के लिए एक सामान्य नियम है, जिसे एम्पिरिकल फॉर्मूला कहा जाता है:
\(R = R_0 A^{1/3}\)
जहाँ:
- R नाभिकीय त्रिज्या है,
- R0 एक स्थिरांक है (इसका मान लगभग \(1.2 \, \text{fm}\)),
- A द्रव्यमान संख्या है।
इस प्रश्न में हमें स्वर्ण \((_{ 79 }^{ 197 }{Au})\) और रजत \((_{ 47 }^{ 107 }{Ag})\) की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात करना है।
स्वर्ण के लिए (Au):
- द्रव्यमान संख्या \(A_{Au} = 197\)
- नाभिकीय त्रिज्या \(R_{Au} = R_0 \times A_{Au}^{1/3}\)
रजत के लिए (Ag):
- द्रव्यमान संख्या \(A_{Ag} = 107\)
- नाभिकीय त्रिज्या \(R_{Ag} = R_0 \times A_{Ag}^{1/3}\)
नाभिकीय त्रिज्या का अनुपात:
\(\frac{R_{Au}}{R_{Ag}} = \frac{R_0 A_{Au}^{1/3}}{R_0 A_{Ag}^{1/3}} = \left(\frac{A_{Au}}{A_{Ag}}\right)^{1/3}\)
अब हम इसमें \(A_{Au} = 197\) और \(A_{Ag} = 107\) के मान डालते हैं:
\(\frac{R_{Au}}{R_{Ag}} = \left(\frac{197}{107}\right)^{1/3}\)
अनुपात की गणना:
\(\frac{197}{107} \approx 1.841\)
\(\left(1.841\right)^{1/3} \approx 1.23\)
इसलिए, स्वर्ण और रजत की नाभिकीय त्रिज्या का अनुपात लगभग (1.23) है।
प्रश्न 13.5: किसी नाभिकीय अभिक्रिया A + b → C + d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है: Q= [mA +mb – mc – md] c2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।
(i) \(_{ 1 }^{ 1 }{H} + _{ 1 }^{ 3 }{H}\rightarrow _{ 1 }^{ 2 }{ H } + _{ 1 }^{ 2 }{H}\)
(ii) \(_{ 6 }^{ 12 }{C} + _{ 6 }^{ 12 }{C}\rightarrow _{ 10 }^{ 20 }{ Ne } + _{ 2 }^{ 4 }{He}\)
दिए गए परमाणु द्रव्यमान इस प्रकार हैं:
\(m( _{ 1 }^{ 2 }{H} ) = \; 2.014102 \; u\)
\(m( _{ 1 }^{ 3 }{H} ) = \; 3.016049 \; u\)
\(m( _{ 6 }^{ 12 }{C} ) = \; 12.000000 \; u\)
\(m( _{ 10 }^{ 20 }{Ne} ) = \; 19.992439 \; u\)
उत्तर 13.5: प्रश्न में दी गई नाभिकीय अभिक्रियाओं के Q-मान की गणना करने के लिए, हम निम्नलिखित समीकरण का उपयोग करेंगे:
\(Q = \left[ m_A + m_b – m_C – m_d \right] \times c^2\)
जहाँ:
- (mA) और (mb) प्रारंभिक नाभिकों के द्रव्यमान हैं,
- (mC) और (md) अभिक्रिया के उत्पाद नाभिकों के द्रव्यमान हैं,
- (c2) की जगह पर हम Q-मान को MeV में प्राप्त करने के लिए \(931.5 \, MeV/u\) का उपयोग करेंगे।
(i) अभिक्रिया:
\(_{ 1 }^{ 1 }{H} + _{ 1 }^{ 3 }{H}\rightarrow _{ 1 }^{ 2 }{ H } + _{ 1 }^{ 2 }{H}\)
द्रव्यमान:
- \(m(_{ 1 }^{ 1 }{H}) = 1.007825 \, u\) (प्रोटॉन का द्रव्यमान मान लेते हैं)
- \(m(_{ 1 }^{ 3 }{H}) = 3.016049 \, u\)
- \(m(_{ 1 }^{ 2 }{H}) = 2.014102 \, u\)
अब, Q-मान की गणना:
Q = [ \(m( _{ 1 }^{ 1 }{H} ) \) + \(m( _{ 1 }^{ 3 }{H} ) \) – 2m\(m( _{ 1 }^{ 2 }{H} )\)] c2
= [ 1.007825 + 3.016049 – 2 x 2.014102] c2
Q = ( – 0.00433 c2) u
But 1 u = 931.5 MeV/c2
Q = -0.00433 x 931.5 = – 4.0334 MeV
इसलिए, यह अभिक्रिया ऊष्माशोषी (endothermic) है क्योंकि Q-मान नकारात्मक है।
(ii) अभिक्रिया:
\(_{ 6 }^{ 12 }{C} + _{ 6 }^{ 12 }{C}\rightarrow _{ 10 }^{ 20 }{ Ne } + _{ 2 }^{ 4 }{He}\)
द्रव्यमान:
- \(m(_{ 6 }^{ 12 }{C}) = 12.000000 \, u\)
- \(m(_{ 10 }^{ 20 }{Ne}) = 19.992439 \, u\)
- \(m(_{ 2 }^{ 4 }{He}) = 4.002603 \, u\)
अब, Q-मान की गणना:
Q = [ \(2m( _{ 6 }^{ 12 }{C} ) \) – \(m( _{ 10 }^{ 20 }{Ne} )\) – \(m( _{ 2 }^{ 4 }{He} )\) ] c2
= [ 2 x 12.000000 – 19.992439 – 4.002603 ] c2
= [ 0.004958 c2] u
= 0.004958 x 931.5 = 4.618377 MeV
इसलिए, यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी (exothermic) है क्योंकि Q-मान सकारात्मक है।
(i) \(Q = -4.03 \, MeV\), यह अभिक्रिया ऊष्माशोषी है।
(ii) \(Q = 4.62 \, MeV\), यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है।
प्रश्न 13.6: माना कि हम \(_{ 26 }^{ 56 }{Fe}\) नाभिक के दो समान अवयवों \(_{ 13 }^{ 28 }{Al}\) में विखण्डन पर विचार करें। क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : \(m( _{ 26 }^{ 56 }{Fe} ) = \; 55.93494 \; u\) and \(m( _{ 13 }^{ 28 }{Al} ) = \; 27.98191 \; u\).
उत्तर 13.6: इस प्रश्न में हमें नाभिकीय विखंडन की ऊर्जा की दृष्टि से सम्भावना का अध्ययन करना है। अभिक्रिया इस प्रकार है:
\(_{26}^{56}\text{Fe} \rightarrow 2 \times _{13}^{28}\text{Al}\)
हम Q-मान की गणना करेंगे, जो निम्नलिखित समीकरण द्वारा दिया जाता है:
\(Q = \left[ m_{\text{Initial}} – m_{\text{Final}} \right] \times c^2\)
जहाँ,
- \(m_{\text{Initial}} = m( _{26}^{56} \text{Fe})\)
- \(m_{\text{Final}} = 2 \times m( _{13}^{28} \text{Al})\)
दिया गया:
- \(m( _{26}^{56} \text{Fe}) = 55.93494 \, u\)
- \(m( _{13}^{28} \text{Al}) = 27.98191 \, u\)
Q-मान की गणना:
Q = \(\left[ 55.93494 \, u – 2 \times 27.98191 \, u \right] \times 931.5 \) MeV/u
पहले द्रव्यमानों का अंतर निकालें:
\(Q = \left[ 55.93494 – 55.96382 \right] \times 931.5\)
\(Q = \left[ -0.02888 \right] \times 931.5\)
\(Q = -26.90 \, \text{MeV}\)
Q-मान नकारात्मक है, अर्थात \(Q = -26.90 \, \text{MeV}\), जिसका मतलब है कि यह विखंडन ऊर्जा अवशोषित करेगा (ऊष्माशोषी होगा)। इसलिए, यह विखंडन ऊर्जा की दृष्टि से सम्भव नहीं है।
प्रश्न 13.7: \(_{ 94 }^{ 239 }{ Pu }\) के विखण्डन गुण बहुत कुछ \(_{ 92 }^{ 235 }{ U }\) से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 MeV है। यदि 1kg शुद्ध \(_{ 94 }^{ 239 }{ Pu }\) के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी MeV ऊर्जा विमुक्त होगी?
उत्तर 13.7: इस प्रश्न में हमें 1 किलोग्राम शुद्ध \(_{ 94 }^{ 239 }{Pu}\) के सभी परमाणुओं के विखंडन से विमुक्त होने वाली ऊर्जा की गणना करनी है। प्रति विखंडन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 MeV दी गई है।
दिए गए डेटा:
- प्रति विखंडन विमुक्त ऊर्जा \(E_{\text{fission}} = 180 \, \text{MeV}\)
- \(_{ 94 }^{ 239 }{Pu}\) का परमाणु द्रव्यमान \(m_{\text{Pu}} = 239 \, \text{u}\)
- 1 u = \(1.66 \times 10^{-27} \, \text{kg}\)
1 किलोग्राम \(_{ 94 }^{ 239 }{Pu}\) में परमाणुओं की संख्या निम्नलिखित है:
1. 1 किलोग्राम में परमाणुओं की संख्या:
पहले 1 परमाणु का द्रव्यमान निकालते हैं:
\(m_{\text{Pu atom}} = 239 \times 1.66 \times 10^{-27} \, \text{kg} \)
\(= 3.9674 \times 10^{-25} \, \text{kg}\)
अब 1 किलोग्राम \(_{ 94 }^{ 239 }{Pu}\) में परमाणुओं की संख्या (N) होगी:
\(N = \frac{1 \, \text{kg}}{m_{\text{Pu atom}}} \)
\(= \frac{1}{3.9674 \times 10^{-25}} \)
\(\approx 2.52 \times 10^{24} \, \text{atoms}\)
2. कुल विमुक्त ऊर्जा:
प्रति विखंडन 180 MeV ऊर्जा विमुक्त होती है, और (N) परमाणुओं का विखंडन होगा। अतः कुल विमुक्त ऊर्जा \(E_{\text{total}}\) होगी:
\(E_{\text{total}} = N \times E_{\text{fission}} \)
\(= 2.52 \times 10^{24} \times 180 \, \text{MeV}\)
\(E_{\text{total}} \approx 4.536 \times 10^{26} \, \text{MeV}\)
1 किलोग्राम \(_{ 94 }^{ 239 }{Pu}\) के सभी परमाणुओं के विखंडन से लगभग \(4.536 \times 10^{26}\) MeV ऊर्जा विमुक्त होगी।
प्रश्न 13.8: 2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है। \(_{ 1 }^{ 2 }{H} + _{ 1 }^{ 2 }{H}\rightarrow _{ 2 }^{ 3 }{ He }\) + n + 3.27 MeV
उत्तर 13.8: ड्यूटीरियम \((_{ 1 }^{ 2 }\text{H})\) का संलयन प्रक्रिया में प्रयोग कर 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर तक प्रकाशित रखा जा सकता है, इसका उत्तर खोजने के लिए हमें निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
संलयन अभिक्रिया:
\(_{ 1 }^{ 2 }{H} + _{ 1 }^{ 2 }{H}\rightarrow _{ 2 }^{ 3 }{ He }\) + n + 3.27 MeV
इस अभिक्रिया में प्रत्येक जोड़ी ड्यूटीरियम नाभिक 3.27 MeV ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
चरण 1: ऊर्जा की गणना
सबसे पहले, हमें यह पता करना होगा कि 2.0 kg ड्यूटीरियम में कितने नाभिक होते हैं। इसके लिए हमें ड्यूटीरियम की द्रव्यमान संख्या और अवोगाद्रो संख्या का उपयोग करना होगा।
- ड्यूटीरियम का परमाणु द्रव्यमान: \(2 \ \text{g/mol}\)
- अवोगाद्रो संख्या: \(6.022 \times 10^{23} \ \text{nuclei/mol}\)
तो, 2.0 kg = 2000 g ड्यूटीरियम में नाभिकों की संख्या:
\(N = \frac{2000 \ \text{g}}{2 \ \text{g/mol}} \times 6.022 \times 10^{23} \ \text{nuclei/mol}\)
\(= 6.022 \times 10^{26} \ \text{nuclei}\)
चूँकि प्रत्येक संलयन अभिक्रिया में 2 नाभिकों की आवश्यकता होती है, तो कुल संलयन अभिक्रियाओं की संख्या होगी:
Number of fusion reactions =\( \frac{6.022 \times 10^{26}}{2} \)\(= 3.011 \times 10^{26}\)
चरण 2: उत्पन्न ऊर्जा की गणना
प्रत्येक संलयन अभिक्रिया में 3.27 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है। 1 MeV = \(1.602 \times 10^{-13} \ \text{J}\), तो प्रति संलयन अभिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा:
\(E_{\text{per reaction}} = 3.27 \times 1.602 \times 10^{-13} \ \text{J}\)
\(= 5.236 \times 10^{-13} \ \text{J}\)
कुल उत्पन्न ऊर्जा:
\(E_{\text{total}} = 3.011 \times 10^{26} \times 5.236 \times 10^{-13} \ \text{J}\)
\(= 1.575 \times 10^{14} \ \text{J}\)
चरण 3: विद्युत लैम्प की ऊर्जा खपत
100 वाट का लैम्प प्रति सेकंड 100 जूल ऊर्जा की खपत करता है। यदि लैम्प को (t) समय तक जलाना है, तो:
\(E_{\text{lamp}} = 100 \times t\)
चूँकि हमारे पास \(E_{\text{total}}\) जूल ऊर्जा है, इसे लैम्प द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा के बराबर रखें:
\(1.575 \times 10^{14} = 100 \times t\)
इससे (t) का मान निकलेगा:
\(t = \frac{1.575 \times 10^{14}}{100} \)
\(= 1.575 \times 10^{12} \ \text{seconds}\)
चरण 4: समय का वर्ष में परिवर्तन
1 वर्ष = \(3.154 \times 10^7\) सेकंड, तो:
\(t = \frac{1.575 \times 10^{12}}{3.154 \times 10^7}\)
\(= 4.99 \times 10^4 \ \text{years}\)
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से 100 वाट का विद्युत लैम्प लगभग \( \approx 4.9 \times 10^4 \) वर्षों तक प्रकाशित रखा जा सकता है।
प्रश्न 13.9: दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को सम्पर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)
उत्तर 13.9: ड्यूट्रॉन के कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात करने के लिए हमें ड्यूट्रॉन के बीच उत्पन्न कूलॉम प्रतिकर्षण बल का उपयोग करना होगा। यह प्रतिकर्षण बल तब अधिकतम होता है जब ड्यूट्रॉन के नाभिक एक-दूसरे के संपर्क में होते हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब दोनों ड्यूट्रॉन एक-दूसरे के प्रभावी त्रिज्या (2.0 fm) पर होते हैं।
कूलॉम बल का सूत्र
कूलॉम बल के कारण उत्पन्न ऊर्जा (कूलॉम अवरोध की ऊँचाई) का सूत्र इस प्रकार है:
\(U = \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \frac{q_1 q_2}{r}\)
यहाँ:
- q1 और q2 ड्यूट्रॉन के आवेश हैं।
- r ड्यूट्रॉन के केंद्रों के बीच की दूरी है (दोनों के प्रभावी त्रिज्या का योग)।
- \( \frac{1}{4 \pi \epsilon_0} \) कूलॉम स्थिरांक है, जिसका मान \( 9 \times 10^9 \, \text{N} \cdot \text{m}^2/\text{C}^2 \) है।
चरण 1: आवेशों का निर्धारण
चूँकि ड्यूट्रॉन हाइड्रोजन का आइसोटोप है, इसमें एक प्रोटॉन होता है। एक प्रोटॉन का आवेश \( q = 1.602 \times 10^{-19} \, \text{C} \) होता है। दोनों ड्यूट्रॉन के आवेश \( q_1 = q_2 = 1.602 \times 10^{-19} \, \text{C} \) होंगे।
चरण 2: प्रभावी दूरी (r) की गणना
दोनों ड्यूट्रॉन 2.0 fm के प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं। अतः उनकी कुल दूरी \(r = 2.0 \, \text{fm} + 2.0 \, \text{fm} = 4.0 \, \text{fm} \) \(= 4.0 \times 10^{-15} \, \text{m}\) होगी।
चरण 3: कूलॉम अवरोध की ऊँचाई की गणना
ऊर्जा (U) की गणना करने के लिए सभी ज्ञात मानों को कूलॉम ऊर्जा के सूत्र में स्थानापन्न करते हैं:
U = \(\frac{9 \times 10^9 \, \text{N} \cdot \text{m}^2/\text{C}^2 \times (1.602 \times 10^{-19} \, \text{C})^2}{4.0 \times 10^{-15} \, \text{m}}\)
पहले आवेश का वर्ग निकालते हैं:
\((1.602 \times 10^{-19})^2 = 2.566 \times 10^{-38} \, \text{C}^2\)
अब इसे सूत्र में डालते हैं:
\(U = \frac{9 \times 10^9 \times 2.566 \times 10^{-38}}{4.0 \times 10^{-15}}\)
\(= \frac{23.094 \times 10^{-29}}{4.0 \times 10^{-15}}\)
\(= 5.774 \times 10^{-14} \, \text{J}\)
चरण 4: ऊर्जा को MeV में परिवर्तित करना
1 जूल = \(6.242 \times 10^{12} \, \text{MeV}\), इसलिए:
\(U = 5.774 \times 10^{-14} \times 6.242 \times 10^{12} \, \text{MeV}\)
\(= 360.45 \, \text{MeV}\)
दो ड्यूट्रॉनों के बीच कूलॉम अवरोध की ऊँचाई लगभग 360 MeV है।
प्रश्न 13.10: समीकरण R = R0A1/3 के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है (अर्थात् A पर निर्भर नहीं करता है)। यहाँ R0 एक नियतांक है एवं A नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
उत्तर 13.10: इस प्रश्न में हमें दिखाना है कि समीकरण \( R = R_0 A^{1/3} \) के आधार पर नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है और यह A (नाभिक की द्रव्यमान संख्या) पर निर्भर नहीं करता। आइए इसे चरण-दर-चरण समझते हैं।
1. समीकरण का अर्थ
- R: नाभिक का रेडियस।
- R0: एक नियतांक (लगभग ( 1.2 ) से ( 1.3 ) फेम्टोमीटर)।
- A: नाभिक की द्रव्यमान संख्या (प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की कुल संख्या)।
2. नाभिकीय आयतन का निर्धारण
नाभिक का आयतन ( V ) उसके रेडियस ( R ) के माध्यम से ज्ञात किया जा सकता है। नाभिक को एक गोलाकार वस्तु मानते हुए, आयतन का सूत्र है:
\(V = \frac{4}{3} \pi R^3\)
अब R को समीकरण \( R = R_0 A^{1/3} \) से व्यक्त करें:
\(V = \frac{4}{3} \pi (R_0 A^{1/3})^3\)
इसे सरल करते हैं:
\(V = \frac{4}{3} \pi R_0^3 A\)
3. द्रव्यमान का निर्धारण
नाभिक का द्रव्यमान m को आमतौर पर A के बराबर मानते हैं (क्योंकि \( 1 \, \text{u} \) = 1 द्रव्यमान संख्या इकाई)।
\(m \approx A\)
4. घनत्व का निर्धारण
अब हम नाभिकीय घनत्व \( \rho \) की गणना कर सकते हैं:
\(\rho = \frac{\text{द्रव्यमान}}{\text{आयतन}} = \frac{m}{V}\)
इसे ( m ) और ( V ) के मान डालकर लिखते हैं:
\(\rho = \frac{A}{\frac{4}{3} \pi R_0^3 A}\)
5. ( A ) का समाकलन
( A ) को ( V ) के हर स्थान पर ( A ) के साथ समाकलित करते हुए:
\(\rho = \frac{3}{4 \pi R_0^3}\)
यहाँ, देखा जा सकता है कि घनत्व \( \rho \) केवल R0 पर निर्भर करता है और यह A पर निर्भर नहीं है। इसलिए, नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है।
इस प्रकार, हमने यह स्पष्ट किया कि \( R = R_0 A^{1/3} \) के आधार पर नाभिकीय द्रव्य का घनत्व A पर निर्भर नहीं करता है।