विधुत धारा प्रश्न उत्तर Ncert Solution for Class 12 Physics Chapter 3 in Hindi

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Class 12 Physics Chapter 3 विधुत धारा
ncert solutions
: विधुत धारा प्रश्न उत्तर

TextbookNCERT
ClassClass 12
Subjectभौतिकी
ChapterChapter 3
Chapter Nameविधुत धारा ncert solutions
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

क्या आप कक्षा 12 भौतिकी पाठ 3 विधुत धारा प्रश्न उत्तर ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 Physics chapter 3 questions and answers in hindi, विधुत धारा question answer download कर सकते हैं।

प्रश्न 3.1: किसी कार की संचायक बैटरी का विधुत वाहक बल 12 V है। यदि बैटरी को आंतरिक प्रतिरोध 0.4 Ω हो तो बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा का मान क्या है?

उत्तर 3.1: बैटरी का विद्युत वाहक बल (EMF) ( E = 12 V ) है और इसका आंतरिक प्रतिरोध ( 0.4 Ω ) है। बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा तब होगी जब बाहरी परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो, यानी जब बैटरी के सिरों को शॉर्ट कर दिया जाए।

ओम के नियम के अनुसार, बैटरी से ली जाने वाली धारा का मान इस प्रकार है:

\(I = \frac{E}{r}\)

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यहाँ:

  • ( E ) = विद्युत वाहक बल (EMF)
  • ( r ) = आंतरिक प्रतिरोध
  • ( I ) = धारा

अब दिए गए मानों को समीकरण में रखते हैं:

\(I = \frac{12 \, V}{0.4 \, \Omega}\)

\(I = 30 \, A\)

अतः, बैटरी से ली जाने वाली अधिकतम धारा ( 30 A ) होगी।

प्रश्न 3.2: 10 V विधुत वाहक बल वाली बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध 3 Ω है, किसी प्रतिरोधक से संयोजित है। यदि परिपथ में धारा का मान 0.5 A हो तो प्रतिरोधक का प्रतिरोध क्या है? जब परिपथ बंद है तो सेल की टर्मिनल वोल्टता क्या होगी?

उत्तर 3.2: इसके के दो हिस्से हैं:

  1. प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात करना
  2. परिपथ बंद होने पर सेल की टर्मिनल वोल्टता ज्ञात करना

1. प्रतिरोधक का प्रतिरोध ज्ञात करना:

ओम का नियम कहता है:

V = IR

यहाँ, ( V ) बैटरी की कुल विद्युत वाहक बल ( E ) है और ( I ) धारा है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध ( R ) और बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध ( r ) है।

बैटरी का कुल प्रतिरोध होगा:

\(R_{total} = R + r\)

जहाँ ( R ) प्रतिरोधक का प्रतिरोध है और ( r ) आंतरिक प्रतिरोध है।

कुल वोल्टेज (EMF) और धारा ( I ) के बीच का संबंध:

\(E = I \times (R + r)\)

यहाँ,

  • ( E = 10 V ),
  • ( r = 3 Ω ),
  • ( I = 0.5 A )

अब, समीकरण में इन मानों को रखते हैं:

\(10 = 0.5 \times (R + 3)\)

\(10 = 0.5R + 1.5\)

\(0.5R = 10 – 1.5\)

\(0.5R = 8.5\)

\(R = \frac{8.5}{0.5} = 17 \, \Omega\)

अतः प्रतिरोधक का प्रतिरोध ( R = 17 Ω ) होगा।

2. परिपथ बंद होने पर सेल की टर्मिनल वोल्टता:

टर्मिनल वोल्टता ( Vterminal ) ज्ञात करने के लिए हम ओम का नियम उपयोग करते हैं। टर्मिनल वोल्टता ( Vterminal ) निम्नलिखित होगी:

\(V_{terminal} = E – I \times r\)

अब दिए गए मानों को समीकरण में रखते हैं:

\(V_{terminal} = 10 – 0.5 \times 3\)

\(V_{terminal} = 10 – 1.5 = 8.5 \, V\)

अतः, जब परिपथ बंद होगा, तो सेल की टर्मिनल वोल्टता ( 8.5 V ) होगी।

  • प्रतिरोधक का प्रतिरोध ( 17 Ω ) है।
  • सेल की टर्मिनल वोल्टता ( 8.5 V ) होगी।

प्रश्न 3.3: कमरे के ताप (27.0°C) पर किसी तापन-अवयव का प्रतिरोध 100 Ω है। यदि तापन-अवयव का प्रतिरोध 117 Ω हो तो अवयव का ताप क्या होगा? प्रतिरोधक के पदार्थ का ताप-गुणांक 1.70 × 10−4 °C−1 है।

उत्तर 3.3: ताप के परिवर्तन के साथ किसी प्रतिरोधक का प्रतिरोध बदलता है, और यह संबंध निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया जाता है:

\(R_T = R_0 \left( 1 + \alpha (T – T_0) \right)\)

यहाँ:

  • ( RT ) = नए तापमान ( T ) पर प्रतिरोध
  • ( R0 ) = प्रारंभिक तापमान ( T0 ) पर प्रतिरोध
  • \(( \alpha )\) = प्रतिरोधक पदार्थ का ताप-गुणांक
  • ( T0 ) = प्रारंभिक तापमान
  • ( T ) = नया तापमान (जिसे हमें ज्ञात करना है)

दिए गए मान:

  • \( R_0 = 100 \, \Omega \) (प्रारंभिक प्रतिरोध 27°C पर)
  • \( R_T = 117 \, \Omega \) (नए तापमान पर प्रतिरोध)
  • \( T_0 = 27°C \) (प्रारंभिक तापमान)
  • \( \alpha = 1.70 \times 10^{-4} \, °C^{-1} \) (ताप-गुणांक)

अब, उपरोक्त समीकरण में इन मानों को डालकर ( T ) ज्ञात करते हैं।

\(117 = 100 \left( 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27) \right)\)

पहले, समीकरण को सरल बनाते हैं:

\(\frac{117}{100} = 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

\(1.17 = 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

\(1.17 – 1 = 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

\(0.17 = 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

अब, दोनों तरफ से \( 1.70 \times 10^{-4} \) से विभाजित करते हैं:

\(\frac{0.17}{1.70 \times 10^{-4}} = T – 27\)

T – 27 = 1000

T = 1000 + 27 = 1027°C

तापन-अवयव का तापमान ( 1027°C ) होगा।

प्रश्न 3.4: 15 मीटर लंबे एवं 6.0 × 10−7 mअनुप्रस्थ काट वाले तार से उपेक्षणीय धारा प्रवाहित की गई है और इसका प्रतिरोध 5.0 Ω मापा गया है। प्रायोगिक ताप पर तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता क्या होगी?

उत्तर 3.4: प्रश्न के अनुसार हमें तार की प्रतिरोधकता \(( \rho )\) ज्ञात करनी है। इसके लिए हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करेंगे:

\(R = \rho \frac{L}{A}\)

जहाँ:

  • ( R ) = प्रतिरोध (5.0 Ω)
  • \(( \rho )\) = प्रतिरोधकता (जिसे ज्ञात करना है)
  • ( L ) = तार की लंबाई (15 m)
  • ( A ) = तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल \(6.0 × 10(^{-7}) m²\)

इस सूत्र को \( \rho \) के लिए हल करते हैं:

\(\rho = R \frac{A}{L}\)

अब दिए गए मानों को समीकरण में रखते हैं:

\(\rho = 5.0 \times \frac{6.0 \times 10^{-7}}{15}\)

पहले हम समीकरण के अंदर के भाग को हल करते हैं:

\(\rho = 5.0 \times 4.0 \times 10^{-8}\)

\(\rho = 20.0 \times 10^{-8} = 2.0 \times 10^{-7} \, \Omega \, m\)

तार के पदार्थ की प्रतिरोधकता \( 2.0 \times 10^{-7} \, \Omega \, m \) है।

प्रश्न 3.5: सिल्वर के किसी तार का 27.5°C पर प्रतिरोध 2.1 Ω और 100°C पर प्रतिरोध 2.7 Ω है। सिल्वर की प्रतिरोधकता ताप-गुणांक ज्ञात कीजिए।

उत्तर 3.5: तापमान, T1 = 27.5°C

T1, R1 पर सिल्वर के तार का प्रतिरोध = 2.1 Ω

तापमान, T2 = 100°C

T2, R2 पर सिल्वर के तार का प्रतिरोध = 2.7 Ω

सिल्वर का तापमान गुणांक = α

यह तापमान और प्रतिरोध से संबंधित है

\( \alpha = \frac{R(T) – R_0}{R_0 (T – T_0)} \)

दिए गए मान प्रतिस्थापित करें:

\( \alpha = \frac{2.7 \, \Omega – 2.1 \, \Omega}{2.1 \, \Omega \cdot (100 \, ^\circ\text{C} – 27.5 \, ^\circ\text{C})}\)

प्रतिरोध में अंतर की गणना करें:

\(2.7 \, \Omega – 2.1 \, \Omega = 0.6 \, \Omega\)

तापमान में अंतर की गणना करें:

\(100 \, ^\circ\text{C} – 27.5 \, ^\circ\text{C} = 72.5 \, ^\circ\text{C} \)

अब इन्हें सूत्र में प्रतिस्थापित करें:

\(\alpha = \frac{0.6 \, \Omega}{2.1 \, \Omega \cdot 72.5 \, ^\circ\text{C}}\)

मान की गणना करें:

\(\alpha = \frac{0.6}{2.1 \cdot 72.5} \approx \frac{0.6}{152.25} \approx 0.00393 \, ^\circ\text{C}^{-1} \)

दिए गए उत्तर में सार्थक अंकों तक पूर्णांकन करने पर:

\( \alpha \approx 0.0039 \, ^\circ\text{C}^{-1} \)

सिल्वर की प्रतिरोधकता का ताप-गुणांक \(0.0039 \, ^\circ\text{C}^{-1}\) है।

प्रश्न 3.6: निक्रोम का एक तापन-अवयव 230 V की सप्लाई से संयोजित है और 3.2 A की प्रारंभिक धारा लेता है जो कुछ सेकंड में 2.8 A पर स्थायी हो जाती है। यदि कमरे का ताप 27.0°C है तो तापन-अवयव का स्थायी ताप क्या होगा? दिए गए ताप-परिसर में निक्रोम का औसत प्रतिरोध का ताप-गुणांक 1.70 × 10−4 °C−1 है।

उत्तर 3.6: इस प्रश्न में हमें निक्रोम के तापन-अवयव का स्थायी ताप ( T ) ज्ञात करना है। इसे हल करने के लिए हमें दो अवस्थाओं में अवयव के प्रतिरोध और फिर तापमान के परिवर्तन का उपयोग करना होगा।

दिए गए मान:

  • प्रारंभिक धारा ( I1 = 3.2 A ) (शुरुआत में धारा)
  • स्थायी धारा ( I2 = 2.8 A ) (धारा जो कुछ सेकंड में स्थायी हो जाती है)
  • वोल्टेज ( V = 230 V )
  • कमरे का प्रारंभिक तापमान ( T0 = 27.0°C )
  • निक्रोम का प्रतिरोधकता ताप-गुणांक \( \alpha = 1.70 \times 10^{-4} \, °C^{-1} \)

1. प्रारंभिक अवस्था में प्रतिरोध:

ओम के नियम के अनुसार:

\(R_1 = \frac{V}{I_1}\)

\(R_1 = \frac{230}{3.2} = 71.875 \, \Omega\)

2. स्थायी अवस्था में प्रतिरोध:

स्थायी अवस्था में धारा ( I2 ) के लिए:

\(R_2 = \frac{V}{I_2}\)

\(R_2 = \frac{230}{2.8} = 82.14 \, \Omega\)

3. ताप परिवर्तन के कारण प्रतिरोध का संबंध:

ताप-गुणांक का उपयोग करते हुए, प्रतिरोध का तापमान के साथ संबंध निम्नलिखित है:

\(R_2 = R_1 \left( 1 + \alpha (T – T_0) \right)\)

यहाँ:

  • \( R_2 = 82.14 \, \Omega \) (स्थायी प्रतिरोध)
  • \( R_1 = 71.875 \, \Omega \) (प्रारंभिक प्रतिरोध)
  • \( \alpha = 1.70 \times 10^{-4} \, °C^{-1}\)
  • \( T_0 = 27.0°C \)

अब, इस समीकरण में ( R2 ) और ( R1 ) के मान डालकर ( T ) ज्ञात करते हैं:

\(82.14 = 71.875 \left( 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27) \right)\)

पहले, इस समीकरण को हल करते हैं:

\(\frac{82.14}{71.875} = 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

\(1.1429 = 1 + 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

अब, ( 1 ) घटाते हैं:

\(0.1429 = 1.70 \times 10^{-4} (T – 27)\)

अब, दोनों तरफ से \( 1.70 \times 10^{-4} \) से विभाजित करते हैं:

\(\frac{0.1429}{1.70 \times 10^{-4}} = T – 27\)

\(T – 27 = 840.59\)

अब, ( T ) ज्ञात करते हैं:

\(T = 840.59 + 27 = 867.59°C\)

तापन-अवयव का स्थायी ताप ( 867°C ) होगा।

प्रश्न 3.7: निचे दिए गए चित्र में दर्शाए नेटवर्क की प्रत्येक शाखा में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।

उत्तर 3.7: परिपथ की विभिन्न शाखाओं से प्रवाहित धारा को नीचे दिए गए चित्र में दर्शाया गया है।

I1 = बाहरी परिपथ से प्रवाहित धारा

I2 = शाखा AB से प्रवाहित धारा

I3 = शाखा AD से प्रवाहित धारा

I2 − I4 = शाखा BC से प्रवाहित धारा

I3 + I= शाखा CD से प्रवाहित धारा

I4 = शाखा BD से प्रवाहित धारा

बंद परिपथ ABDA के लिए विभव शून्य है अर्थात्,

10 I2 + 5 I4 − 5 I3 = 0

2 I2 + I4 − I3 = 0

I3 = 2 I2 + I4  ……(1)

बंद परिपथ BCDB के लिए विभव शून्य है अर्थात्,

5(I2 − I4) − 10(I3 + I4) − 5I= 0

5 I2 + 5 I4 − 10 I3 − 10 I− 5 I= 0

5 I2 − 10 I3 − 20 I= 0

I2 = 2 I3 + 4 I4  …..(2)

बंद परिपथ ABCFEA के लिए विभव शून्य है अर्थात्,

−10 + 10 (I1) + 10 (I2) + 5(I2 − I4) = 0

10 = 15 I2 + 10 I− 5 I4

3 I2 + 2 I1 − I4 = 2  …..(3)

समीकरण (1) और (2) से, हम प्राप्त करते हैं

I3 = 2(2 I+ 4 I4) + I4

I3 = 4 I+ 8 I4 + I4

−3 I3 = 9 I4

−3 I= + I3  …..(4)

समीकरण (4) को समीकरण (1) में रखने पर, हमें प्राप्त होता है

I3 = 2 I+ I4

− 4 I4 = 2 I2

I2 = −2 I4  …..(5)

दिए गए चित्र से यह स्पष्ट है कि,

I1 = I+ I2  ……(6)

समीकरण (6) को समीकरण (1) में रखने पर, हमें प्राप्त होता है

3 I2 + 2(I+ I2) − I4 = 2

5 I2 + 2 I− I4 = 2  ……(7)

समीकरण (4) और (5) को समीकरण (7) में रखने पर, हमें प्राप्त होता है

5(−2 I4) + 2(−3 I4)− I4 = 2

− 10 I4 − 6 I− I4 = 2

17 I4 = −2

I4 = -2/17Ampere

समीकरण (4) घटकर

I3 = − 3(I4)

I3 = -3 × -2/17

I3 = 6/17Ampere

I2 = -2(I4)

I2 = -2 × -2/17

I2 = 4/17Ampere

I– I4 = 6/17Ampere

I3 + I4 = 6/17Ampere

I1 = I2 + I3 = 4/17 + 6/17 = 10/17 Ampere

इसलिए, शाखा AB में धारा =  4/17Ampere

शाखा BC में = 6/17Ampere

शाखा में CD = -4/17Ampere

शाखा AD में = 6/17Ampere

शाखा BD में = -2/17Ampere

कुल धारा = 4/17 + 6/17 + -4/17 + 6/17 + -2/17 = 10/17Ampere.

प्रश्न 3.8: 8 V विद्युत वाहक बल की एक संचायक बैटरी जिसका आंतरिक प्रतिरोध 0.5 Ω है, को श्रेणीक्रम में 15.5 Ω के प्रतिरोधक का उपयोग करके 120 V के D.C. स्रोत द्वारा चार्ज किया जाता है। चार्ज होते समय बैटरी की टर्मिनल वोल्टता क्या है? चार्जकारी परिपथ में प्रतिरोधक को श्रेणीक्रम में संबद्ध करने का क्या उद्देश्य है?

उत्तर 3.8: यह प्रश्न बैटरी चार्जिंग से संबंधित है, जहाँ एक संचायक बैटरी को एक D.C. स्रोत के माध्यम से चार्ज किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में, हमें बैटरी की टर्मिनल वोल्टता और श्रेणीक्रम में प्रतिरोधक जोड़ने के उद्देश्य को समझना है।

दिए गए आँकड़े:

  • बैटरी का विद्युत वाहक बल (E) = 8 V
  • बैटरी का आंतरिक प्रतिरोध (r) = 0.5 Ω
  • प्रतिरोधक (R) = 15.5 Ω
  • D.C. स्रोत का वोल्टेज (Vsource) = 120 V

1. परिपथ में धारा (I) की गणना:

चूँकि बैटरी और प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े हुए हैं, अतः कुल प्रतिरोध (Rtotal) बैटरी के आंतरिक प्रतिरोध और बाहरी प्रतिरोधक के योग के बराबर होगा:
\(R_{\text{total}} = R + r = 15.5 + 0.5 = 16 \, \Omega\)

अब, परिपथ में बहने वाली धारा (I) ओम के नियम द्वारा ज्ञात की जा सकती है:
\(I = \frac{V_{\text{source}}}{R_{\text{total}}} = \frac{120 \, V}{16 \, \Omega} = 7.5 \, A\)

2. बैटरी की टर्मिनल वोल्टता (Vterminal) की गणना:

चार्ज करते समय, बैटरी की टर्मिनल वोल्टता (Vterminal) बैटरी के विद्युत वाहक बल (E) और आंतरिक प्रतिरोध द्वारा उत्पन्न वोल्टेज ड्रॉप \((I \times r)\) के योग के बराबर होगी:

\(V_{\text{terminal}} = E + I \times r\)

\(V_{\text{terminal}} = 8 + (7.5 \, A) \times (0.5 \, \Omega) \)

= 8 + 3.75

= 11.75 V

3. श्रेणीक्रम में प्रतिरोधक जोड़ने का उद्देश्य:

परिपथ में बाहरी प्रतिरोधक (R) को श्रेणीक्रम में जोड़ने का मुख्य उद्देश्य धारा को सीमित करना होता है। चूँकि (120 V) का D.C. स्रोत बैटरी के लिए काफी बड़ा है, अगर प्रतिरोधक नहीं होता, तो बहुत अधिक धारा प्रवाहित हो सकती थी, जिससे बैटरी और परिपथ के अन्य घटक क्षतिग्रस्त हो सकते थे। बाहरी प्रतिरोधक को जोड़ने से चार्जिंग प्रक्रिया नियंत्रित रहती है और बैटरी को सुरक्षित रूप से चार्ज किया जा सकता है।

प्रश्न 3.9: किसी ताँबे के चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व 3.1 में 8.5 × 1028 m−3 आकलित किया गया है। 3 m लंबे तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपवाह करने में इलेक्ट्रॉन कितना समय लेता है? तार की अनुप्रस्थ-काट 2.0 × 10-6 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है।

उत्तर 3.9:

दिए गए आँकड़े:

  • मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व (n) = 8.5 × 1028 m−3
  • तार की लंबाई (L) = 3 m
  • तार की अनुप्रस्थ काट (A) = 2.0 × 10-6 m2
  • धारा (I) = 3 A

1. औसत वेग (ड्रिफ्ट वेग) (vd) की गणना:

धारा (I) और ड्रिफ्ट वेग (vd) के बीच संबंध निम्नलिखित होता है:
\(I = n \cdot A \cdot e \cdot v_d\)

जहाँ:

  • (I) = धारा (A में)
  • (n) = इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व (m−3 में)
  • (A) = तार का अनुप्रस्थ काट (m2 में)
  • (e) = इलेक्ट्रॉन का आवेश (1.6 × 10-19 C)
  • (vd) = इलेक्ट्रॉनों का औसत वेग (ड्रिफ्ट वेग)

ड्रिफ्ट वेग (vd) निकालने के लिए उपरोक्त समीकरण को पुनः व्यवस्थित करें:
\(v_d = \frac{I}{n \cdot A \cdot e}\)

अब मानों को इसमें स्थापित करें:
\(v_d = \frac{3}{8.5 \times 10^{28} \times 2.0 \times 10^{-6} \times 1.6 \times 10^{-19}}\)

\(v_d = \frac{3}{2.72 \times 10^4} \, \text{m/s}\)

\(v_d = 1.1 \times 10^{-4} \, \text{m/s}\)

2. इलेक्ट्रॉनों के गति करने में समय (t) की गणना:

अब, समय (t) की गणना ड्रिफ्ट वेग और तार की लंबाई के आधार पर की जा सकती है:

\(t = \frac{L}{v_d}\)
\(t = \frac{3 \, \text{m}}{1.1 \times 10^{-4} \, \text{m/s}}\)
\(t = 2.73 \times 10^4 \, \text{seconds}\)

इलेक्ट्रॉनों को 3 m लंबे ताँबे के तार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने में लगभग \(2.73 \times 10^4\) सेकंड, या 27,300 सेकंड (लगभग 7.58 घंटे) लगते हैं।

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