मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ class 12 questions and answers: Class 12 Psychology chapter 1 ncert solutions in hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Psychology ( मनोविज्ञान ) |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ class 12 ncert solutions |
Category | Ncert Solutions |
Medium | Hindi |
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प्रश्न 1: किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि का लक्षण वर्णन और उसे परिभषित करते है?
उत्तर 1: मनोवैज्ञानिक बुद्धि का वर्णन विभिन्न दृष्टिकोणों और परिभाषाओं के माध्यम से किया गया है, जो इस अवधारणा की जटिलता को दर्शाते हैं। अल्फ्रेड बीने के अनुसार, बुद्धि मुख्य रूप से अच्छी निर्णय क्षमता, समझने की योग्यता और तर्क शक्ति से जुड़ी है। वेश्लर ने बुद्धि को व्यक्ति की समग्र क्षमता के रूप में परिभाषित किया, जिसमें सविवेकपूर्ण चिंतन, सोद्देश्य व्यवहार, और पर्यावरण के साथ प्रभावी ढंग से अनुकूलन करने की क्षमता शामिल है।
वेश्लर का दृष्टिकोण बुद्धि की कार्यात्मकता और उसके पर्यावरणीय अनुकूलन पर जोर देता है। इसके अतिरिक्त, गार्डनर और स्टर्नबर्ग ने बुद्धि को और अधिक व्यापक रूप में देखा। उनके अनुसार, बुद्धिमत्ता न केवल पर्यावरण के अनुकूल होने की क्षमता है, बल्कि इसे बदलने और उसमें सुधार करने की सक्रिय क्षमता भी है। इस प्रकार, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण बुद्धि को बहुआयामी और कार्यात्मक मानते हैं, जो निर्णय, तर्क और पर्यावरणीय अनुकूलन की समग्र प्रक्रिया को दर्शाता है।
प्रश्न 2: किस सीमा तक हमारी बुद्धि अनुवांशिकता (प्रकृति) और पर्यावरण (पोषण) का परिणाम है विवेचन कीजिए।
उत्तर 2: कुछ लोग दुसरो की तुलना में अधिक बुद्धिमान होते है ऐसा उनकी अनुवांसगिकता के कारन होता है फिर पर्यावरणय कारको के प्रभाव के कारण बुद्धि पर अनुवांशिकता के प्रभाव के प्रमाण मुख्य रूप से जुड़वाँ बच्चो का अध्ययन में दिखता है साथ – साथ पाले गए जुड़वाँ बच्चो की बैद्धिक में 0.90 सहबंध पाया गया है बाल्यावस्था में अलग अलग करके जुड़वाँ बच्चो की बुद्धि व्यक्तित्व तथा व्यवहार पारक विशेषताओ में प्रर्याप्त समानता दिखाई देती है अलग – अलग पर्यावरण में पाले गए समरूप जुड़वाँ बच्चो की बुद्धि में 0.72 सहसबंध है साथ – साथ पाले गए भातृ जुड़वाँ बच्चो की बुद्धि में 0.60 सहसबंध , साथ साथ गए बहनो बहनो की बुद्धि में ० सहसबंध तथा अलग – अलग पाले गए सहोदर की बुद्धि में 0.25 सहसबंध पाया गया है इसी संबंध में अन्य प्रमाण दत्तक बच्चो के उन अध्ययनों से प्राप्त हुए है जिनमे यह पाया गया है की बच्चो की बुद्धि गोद लेने वाले माता – पिता जन्म देने वाले माता – पिता के अधिक समान होती है।
बुद्धि पर पर्यावरण के प्रभाव के संबंध में किये गए अध्ययनों से ज्ञान हुआ है की जैसे – जैसे बच्चो को आयु बढ़ती जाती है उनका बौद्धिक स्तर गोद लेने वाले का माता – पिता की बुद्धि के निकट पहुंच जाते है सुवुधवंचित परिस्थितिया वाले घरो के जिन बच्चो को सामाजिक – आर्थिक स्थिति के परिवारों द्वारा गोद ले लिया जाता है की बुद्धि प्राप्तांको में अधिक वृद्धि दिखाई देती है यह इस बात का प्रमाण है पर्यावरण वंचन बुद्धि के विकास को घटा देता है जबकि प्रचुर एंव समृद्धि पोषण अच्छी परिवारों पृष्ठ्भूमि तथा गुणवक्तायुक्त शिक्षा – दीक्षा बुद्धि में वृद्धि कर देती है सामान्यतय सभी मनोवैज्ञानिक की इस तथ्य पर सहमति है की बुद्धि आनुवंशिकता (प्रकृति) तथा पर्यावरण (पोषक) की जटिल अतः क्रिया का परिणाम होती है आनुवंशिकता द्वारा किसी व्यक्ति की बुद्धि की परिसीमाएं तय हो जाती है और बुद्धि का विकास उस परिसीमान के अंतर्गत पर्यावरण में उपलभ्य अवलंबी और अवसरों द्वारा निर्धार्रित होता है।
प्रश्न 3: गार्डनर के द्वारा पहचान की गई बहु – बुद्धि की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर 3: बहु – बुद्धि का सिद्धांत हावर्ड गार्डनर द्वारा प्रस्तुत किया गया था उनके अनुसार बुद्धि कोई एक तत्व नहीं है बल्कि भिन्न प्रकार की बुद्धियो का अस्तित्वत होता है प्रत्येक बुद्धि एक दूसरे से स्वतंत्र रहकर कार्य करती है इसका अर्थ यह है की यदि किसी व्यक्ति में किसी एक बुद्धि की मात्रा अधिक है तो अनिवार्य रूप से इसका संकेत नहीं करना की उस व्यक्ति में किसी अन्य प्रकार की बुद्धि होगी या कितनी होगी गार्डनर ने यह भी बताया की किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए भिन्न – भिन्न प्रकार की बुद्धिया आपस में अतः क्रिया करते हुए साथ – साथ कार्य करती है अपने अपने क्षेत्र असाधरण योग्यताओ का प्रदर्शन करने वाले अत्यत प्रतिभाशाली व्यक्तियों का गार्डनर ने अध्यायन किया और इसके आधार ये निम्नलिखित है –
1. भाषागत (भाषा के उत्पादन और उपयोग के कोशल) – यह अपने विचारो को प्रकट करने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचरो को समझने हेतु प्रवाह तथा नम्यता के साथ भाषा का उपयोग करने की क्षमता है
2. तार्किक – गणितीय (वैज्ञानिक चितन तथा समस्या समाधान के कौशल) – इसी प्रकार की बुद्धि की अधिक मात्रा रखने व्यक्ति तार्किक तथा आलोचनात्मक चितन कर सकते है वै अमूर्त तर्कना कर लेते है और गणितीय समस्याओ के हल के लिए प्रतीकों का प्रहस्तन अच्छी प्रकार से कर लेते है
3. दैशिक ( दश्य बिंब तथा प्रतिरूप निर्माण के कौशल) – यह मानसिक बिंबो को बनाने उनका उपयोग करने तथा उनमे मानसिक धरातल पर परिमार्जन करने की योग्यता है इस बुद्धि को अधिक मात्रा में रखने वाला व्यक्ति सरलता से देशिक सूचनाओं को मस्तिष्क में रख सकते है
4. संगीतात्मक (सांगीतिक लय तथा अभिरचनाओ के प्रति संवेदनशीलता) – संगीतिक अभिरचनाओ को उतपन्न करने, उनका सर्जन तथा प्रहस्तन करने की क्षमता सांगीतिक योग्यता कहलाती है बुद्धि की उच्च मात्रा रखने वाले लोग ध्वनियो और स्पंदनो तथा ध्वनियों की नहीं अभिरचनाओ के सर्जन के प्रति अधिक संवेदशील होते है
प्रश्न 4: किस प्रकार त्रिचापीय सिद्धांत बुद्धि को समझने में हमारी सहायता करती है?
उत्तर 4: रॉबर्ट स्टर्नबर्ग का त्रिचापीय सिद्धांत बुद्धि को गहराई से समझने में हमारी सहायता करता है, क्योंकि यह बुद्धि को केवल एक मानसिक क्षमता तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे तीन महत्वपूर्ण पहलुओं में विभाजित करता है: घटकीय, आनुभविक, और संदर्भिक।
घटकीय बुद्धि विश्लेषणात्मक क्षमता से संबंधित है, जिसमें व्यक्ति समस्याओं को हल करने के लिए सूचनाओं का विश्लेषण करता है। इसमें तीन घटक शामिल हैं: ज्ञानार्जन, उच्च-स्तरीय सोच, और निष्पादन। यह बुद्धि व्यक्तियों को तार्किक और आलोचनात्मक रूप से सोचने में सक्षम बनाती है।
आनुभविक बुद्धि सृजनात्मकता से जुड़ी होती है, जो व्यक्ति को नई समस्याओं का समाधान करने के लिए अपने पूर्व अनुभवों का रचनात्मक उपयोग करने में मदद करती है। इस प्रकार की बुद्धि व्यक्ति को मौलिक और नवीन समाधान खोजने में सहायक होती है।
संदर्भिक बुद्धि व्यवहारिक बुद्धि है, जो व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में पर्यावरणीय मांगों के अनुसार अनुकूलन करने, आवश्यकतानुसार पर्यावरण में परिवर्तन करने, और परिस्थितियों को सुधारने में मदद करती है।
यह सिद्धांत बुद्धि को एक बहुआयामी दृष्टिकोण से देखता है, जिसमें न केवल समस्या-समाधान और रचनात्मकता बल्कि व्यवहारिकता और अनुकूलनशीलता पर भी जोर दिया गया है। इसके माध्यम से, हम समझ सकते हैं कि बुद्धि केवल शैक्षिक योग्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने और उसे बेहतर बनाने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करती है।
प्रश्न 5: “प्रत्येक बौद्धिक क्रिया तीन तंत्रिकीय तंत्रो के स्वतंत्र प्रकार्यो को सम्मिलित करती है” पास मॉडल के सन्दर्भ में उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर 5: बुद्धि के इस मॉडल को जे.पी. दास, जैक नगलिरि, तथा कीबी (१९९४) ने विकसित किया संक्षेप में या मॉडल ‘पास’ (पैनिंग, अटेंशन, सिमुलतानेउस एंड सुकीसीवे) के नाम से जाना जाता है इस मॉडल के अनुसार बुद्धिक क्रियाएं अन्योन्याश्रित तीन तंत्रिकीय या स्नायुविक तंत्री की क्रियाओ द्वारा संपदिक होता है इन तीन तंत्रो को मस्तिष्क की तीन प्रकार्यात्मक इकाइया कहा जाता है यह तीन इकाइयां क्रमश: भाव प्रबोधन/अवधान, कूट संकेतन या पक्रमण और योजना – निर्माण का कार्य करती है।
1. भाव प्रबोधन – भाव प्रबोधन की दशा किसी व्यवहार के मूल में होती है क़्योकी यह किसी उद्दीपक की ओर ध्यान आकर्षित करती है भाव प्रबोधन तथा अवधान ही व्यक्ति को सुचना का प्रक्रमण करने योग्य बनाता है भाव प्रबोधन के इष्टतम स्तर के कारण हमारा ध्यान किसी समस्या के प्रासंगिक की ओर आकृष्ट होता है जब आपके अध्यापक कहते है की अमुक दिन आपकी परीक्षा ली जाएगी तो आपका भाव प्रबोधन बढ़ जाता है आप विशिष्ट अध्यायों पर अधिक ध्यान देने लगते है आप का भाव प्रबोधन आपके ध्यान को प्रासंगिक अध्यायों की विषय वस्तुओ को पढ़ने दोहराने तथा सिखने के लिए अभी प्रेरित करता है।
2. सहकालिक तथा आनुक्रमिक प्रक्रमण – विभिन्न संप्रत्ययो को समझने के लिए उनके पारस्परिक संबंधो को प्रत्यक्षण करते हुए उनको एक सार्थक प्रतिरूप में समकालीत करते समय सहकलिक प्रक्रमण होता है आनुक्रमिक प्रक्रमण उस समय होता है जब सूचनाओं को एक के बाद एक क्रम से याद रखना होता है ताकि एक सूचना का पुनः स्मरण ही अपने बाद वाली सूचना का पुनः स्मरण करा देता है गिनती सिखना, वर्णमाला सिखने गुणन सरणीओ को सीखना, आदि आनुक्रमिक प्रक्रमण के उदाहरण है।
3. योजना – योजना बुद्धि का एक आवश्य्क अभिलषण है जब किसी सूचना की प्राप्ति और उसके पश्चात उसका प्रक्रमण हो जाता है तो योजना सक्रिय हो जाती है योजना के कारण हम क्रियाओ के समस्त संभाविक विकल्पों के बारे में सोचने लगते है लक्ष्य की प्राप्ति हेतु योजना के कारण हम क्रियाओ के समस्त कार्यान्वयन से उतपन्न परिणामो की प्राभाविता का मूल्यांकन करते है यदि कोई योजना ईष्ट फलदायक नहीं होता तो या स्थिति की मांग के अनुरूप उसमे संशोधन करते है।
प्रश्न 6: क्या बुद्धि के संप्रत्ययीकरण में कुछ संस्कृतिक भिन्नताएं होती है?
उत्तर 6: हाँ, बुद्धि के संप्रत्ययीकरण में सांस्कृतिक भिन्नताएँ होती हैं। विभिन्न संस्कृतियों में बुद्धि की अवधारणा, मूल्यांकन, और उसकी अभिव्यक्ति के तरीके भिन्न हो सकते हैं, क्योंकि बुद्धि को समझने और परिभाषित करने का तरीका उस संस्कृति के मूल्यों, मान्यताओं और सामाजिक अपेक्षाओं पर निर्भर करता है।
1. पश्चिमी दृष्टिकोण: पश्चिमी संस्कृतियों में बुद्धि को मुख्यतः विश्लेषणात्मक, तार्किक और समस्या-समाधान क्षमताओं से जोड़ा जाता है। इसे अक्सर शैक्षिक और संज्ञानात्मक उपलब्धियों से मापा जाता है, जैसे IQ परीक्षण।
2. पूर्वी दृष्टिकोण: पूर्वी संस्कृतियों, जैसे भारत और चीन में, बुद्धि को व्यवहार, नैतिकता, और सामाजिक सामंजस्य से भी जोड़ा जाता है। यहाँ बुद्धि केवल तर्क और विश्लेषण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता पर भी आधारित हो सकती है।
3. मूल निवासी और पारंपरिक संस्कृतियाँ: पारंपरिक और आदिवासी संस्कृतियों में बुद्धि का मापन अक्सर व्यावहारिक ज्ञान और पर्यावरण के प्रति अनुकूलनशीलता के संदर्भ में किया जाता है। उदाहरण के लिए, जंगल में जीवित रहने की क्षमता, प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग, या समुदाय के लिए योगदान बुद्धिमत्ता के रूप में देखे जा सकते हैं।
4. सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ: कुछ संस्कृतियों में रचनात्मकता और नवाचार को बुद्धि का प्रमुख हिस्सा माना जाता है, जबकि अन्य में सामाजिक जिम्मेदारी, परंपराओं का पालन, और अनुभवजन्य ज्ञान को प्राथमिकता दी जाती है।
इन भिन्नताओं से यह स्पष्ट होता है कि बुद्धि का संप्रत्ययीकरण किसी भी संस्कृति की जरूरतों, चुनौतियों और मूल्यों से प्रभावित होता है। इसलिए, बुद्धि के किसी भी सार्वभौमिक मॉडल को विकसित करने के लिए इन सांस्कृतिक दृष्टिकोणों को समझना और समाहित करना आवश्यक है।
प्रश्न 7: बुद्धि लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि लब्धि प्राप्तांको के आधार पर लोगो को वर्गीकृत करते है?
उत्तर 7: बुद्धि लब्धि (Intelligence Quotient – IQ) एक संख्या है, जो किसी व्यक्ति की मानसिक क्षमता को उनकी आयु के अनुसार तुलना करने के लिए उपयोग की जाती है। इसे मानसिक आयु (Mental Age) और वास्तविक आयु के अनुपात से मापा जाता है। IQ का सूत्र निम्न है:
बुद्धि लब्धि = मानसिक आयु + कालानुक्रमिक आयु x 100
यह माप मुख्यतः वेश्लर बुद्धि परीक्षण (Wechsler Intelligence Test) और स्टैनफोर्ड-बिने परीक्षण (Stanford-Binet Test) जैसे परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।
मनोवैज्ञानिक IQ के आधार पर वर्गीकरण: मनोवैज्ञानिक सामान्यतः बुद्धि लब्धि प्राप्तांकों को विभिन्न वर्गों में विभाजित करते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- 70 से कम (मानसिक रूप से दुर्बल): यह वर्ग मानसिक रूप से दुर्बलता (Intellectual Disability) को दर्शाता है। इसमें व्यक्ति को सीखने और दैनिक कार्यों को पूरा करने में कठिनाई होती है।
- 70-89 (औसत से कम): इस श्रेणी के लोग औसत से कम बौद्धिक क्षमता वाले माने जाते हैं। इन्हें सामान्य कार्यों में कुछ अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
- 90-109 (सामान्य या औसत): यह श्रेणी सामान्य बुद्धिमत्ता वाले व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। इन व्यक्तियों की क्षमता सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों को सुचारू रूप से करने की होती है।
- 110-119 (औसत से ऊपर): इस श्रेणी में औसत से अधिक बुद्धिमत्ता वाले व्यक्ति आते हैं। वे अक्सर विश्लेषणात्मक और जटिल कार्यों को कुशलता से करने में सक्षम होते हैं।
- 120-129 (उच्च बुद्धिमत्ता): उच्च बुद्धि वाले व्यक्ति इस श्रेणी में आते हैं। वे रचनात्मक और तार्किक कार्यों में उत्कृष्टता दिखाते हैं।
- 130 और उससे ऊपर (अत्यधिक बुद्धिमान): यह वर्ग “उत्कृष्ट बुद्धिमत्ता” का प्रतीक है। इस श्रेणी के लोग असाधारण रूप से रचनात्मक और जटिल समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं।
प्रश्न 8: किस प्रकार आप शाब्दिक और निष्पादन बुद्धि परीक्षणो में भेद कर सकते है?
उत्तर 8: एक बुद्धि परीक्षण पूर्णत: अशाब्दिक अथवा पूर्णत: निष्पादन परीक्षण हो सकता है इसके अतिरिक्त कोई बुद्धि परीक्षण इन तीनो प्रकार के परीक्षणो के एकाशी का मिश्रित रूप भी हो सकता है शाब्दिक परीक्षणो में परीक्षार्थी को मौखिक अथवा लिखित रूप में शाब्दिक अनुक्रिया करनी होती है इसीलिए शाब्दिक परीक्षण केवल साक्षर व्यक्तियों को ही दिया जा सकता है
जबकि निष्पादन परीक्षण में परीक्षार्थीं को कोई कार्य संपदित करने के लिए कुछ वस्तुओ या अन्य सामान्यो का प्रहस्तन करना होता है एकंशो का उत्तर देने के लिए लिखित भाषा के उपयोग की आवशयक्ता नहीं होती उदाहरण के लिए कोह के ब्लॉक डिजाइन परीक्षण लकड़ी के कई घनाकार गुटके होते है परीक्षार्थी को दिए गए समय के अंतर्गत घटको को इस प्रकार बिछाना होता है की उनसे दिया गया डिजाइन बन जाये निष्पादन परीक्षण का एक लाभ यह है की उन्हें भिन्न – भिन्न संस्कृतियों के व्यक्तियों को आसानी से दिया जा सकता है
प्रश्न 9: सभी व्यक्तियों में समान बौद्धिक क्षमता नहीं होती। कैसे अपनी बौद्धिक योग्यताओ में लोग एक दूसरे से भिन्न होते है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर 9: सभी व्यक्तियों में समान बौद्धिक क्षमता नहीं होती क्योंकि हर व्यक्ति की मानसिक संरचना, जीवन के अनुभव, और सीखने की प्रक्रिया अलग होती है। बौद्धिक योग्यताएँ कई कारकों से प्रभावित होती हैं, जैसे कि अनुवांशिक गुण, पर्यावरण, शिक्षा, और व्यक्तिगत रुचियाँ। कुछ लोग तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच में कुशल होते हैं, जबकि अन्य रचनात्मकता, कला, या सामाजिक कौशल में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और जीवन के अवसर भी बौद्धिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, हर व्यक्ति अपनी विशिष्ट योग्यताओं और क्षमताओं के साथ अद्वितीय होता है, और यह विविधता समाज को संतुलित और समृद्ध बनाने में सहायक होती है।
प्रश्न 10: आपके विचार से बुद्धि लब्धि और सांवेगिक लब्धि में से कौन सी जीवन में सफलता से ज्यादा संबंधित होगी और क्यों?
उत्तर 10: बुद्धि लब्धि व्यक्ति की बुद्धि मात्रा बताती है और सांवेगिक लब्धि किसी भी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताती है सांवेगिक बुद्धि का मतलब है सांवेगिक प्रक्रमण कुशलता और सूचना परिशुद्घता बुद्धि लब्धि यह बताती है की हर इंसान की बुद्धिक क्षमता अलग अलग होती है कुछ व्यक्ति असाधारण रूप से तीव्र बुद्धि वाले होते है तथा बहुत काम बुद्धि वाले बुद्धि पारीक्षणो का यह व्यवहारिक उपयोग है की इनसे बहुत अधिक बुद्धि तथा बहुत कम बुद्धि वाले व्यक्तियों की पहचान की जा सकती है।
जीवन से सफलता से सांवेगिक बुद्धि ज्यादा संबंधित है क्योंकी दुनिया की चुनौतियो से निपटना इससे कुशल हो जाता है इससे शैक्षिक उपलब्धियो में भी लाभ और प्रभाव देखने को मिलता है सांवेगिक बुद्धि का सप्रायय बुद्धि के संप्रत्यय को उसके बुद्धिक अनेक कौशल जैसे – अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगो का परिशुद्ध मूल्यांकन, प्रकटीकरण तथा संवेगो का नियमन आदि का एक समुच्चय है जीवन में सफल होने के लिए बुद्धि लब्धि और विद्द्यालय में अच्छा निष्पादन ही काफी नहीं है आप ऐसे अनेक लोग पाएंगे जो बुद्धि में श्रेष्ठ होते हुए भी जीवन में सफल नहीं होते है।
प्रश्न 11: ‘अभीक्षमता’ अभिरुचि और बुद्धि से कैसे भिन्न है? क्षमता का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर 11: अभीक्षमता विशेष क्षेत्र क्रियाओ की योग्यता है अभीक्षमता को विशेषताओं के ऐसे संयोजन के रूप में देखा जाता है जिसे कोई व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद विशिष्ट क्षेत्र संबंधी ज्ञान और कौशल अर्जित करके विशिष्ट क्षमता के रूप में प्रसीरत करता है बुद्धि का मापन करने की प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिको बधाई अज्ञात होता है की समान बुद्धि रखने वाले व्यक्ति भी विशेष क्षे: ज्ञान अथवा कौशल को भिन्न – भिन्न दक्षता के साथ अर्जित करते है आप अपनी कक्षा में देख सकते है की कुछ बुद्धिमान विद्द्यार्थी भी कुछ विषयो में अच्छा निष्पादन नहीं कर पते जब आपको गणित में कोई समस्या आती है तो आप सहायता चाहते है परन्तु जब आप को कविता समझने में कठिनाई आती है तो आप अविनाश के पास जाते है भिन्न – भिन्न क्षेत्रों यह विशिष्ट योग्यताएं तथा कौशल ही अबहिष्मताए कहलाती है उचित प्रशिक्षण देकर इस योग्यताओ में प्रयाप्त अभिवृद्धि की जा सकती है।
अभिरुचि का अर्थ है किसी व्यक्ति का किसी क्षेत्र में रुझान और सफलता प्राप्ति की रूचि होना अभिरुचि किसी विशेष कार्य को करने की वरियता को कहते है अभीक्षमता उस कार्य को करने की संभ्वयता को कहते है किसी व्यक्ति में किसी कार्य को करने की अभिरुचि हो सकती है परन्तु हो सकता है की उसे करने की अभीक्षमता हो हम तो उसमे उसकी अभिरुचि ना हो इन दोनों ही दशाओ में उसका निष्पादन संतोषजनक नहीं होगा एक ऐसे विद्यार्थी की सफल यांत्रिक अभियता बनाने की अधिक संभावना है जिसमे उच्च यांत्रिक अभीक्षमता हो और अभियांत्रिकी अभिरूचि भी हो।
प्रश्न 12: किस प्रकार सर्जनात्मकता बुद्धि से संबंधित होती है?
उत्तर 12: सर्जनात्मकता नूतन उपयुक्त और उपयोगी बिचारो, वस्तुओ या समस्या समाधनो को उत्पन्न करने की योग्यता है सृजनशील होने के लिए एक नश्चित स्तर की बुद्धि का होना आवश्यक है परन्तु किसी व्यक्ति की उच्च स्तरीय बुद्धि फिर भी यह सुनिश्चि नहीं करती है क्यों अवश्य है सृजनशील होगा शोधकर्ताओं ने पाया है की सृजनात्मक तथा बुद्धि में सकारात्मक संबंध होता है प्रतिक सृजनात्मक कार्य ले लिए ज्ञान प्राप्त करने के उपयोग में दक्षिता की आवश्यकता होती है।
अतः सृजनात्मकता के लिए एक विशेष मात्रा में बुद्धि का होना आवश्यक है परन्तु उस विशेष मात्रा से अधिक बुद्धि का सृजनात्मकता सहसबंध नहीं होता है सृजनात्मकता के कई रूप और सम्मिश्रिण होते है कुछ व्यक्तियों में बौद्धिक गुण अधिक मात्रा में होते है कुछ व्यक्तियों में सृजनात्मकता से संबंध विशेषताए अधिक मात्रा में होती है।