Psychology Class 12 Chapter 3 question answers in hindi जीवन की चुनौतियों का सामना

Follow US On 🥰
WhatsApp Group Join Now Telegram Group Join Now

जीवन की चुनौतियों का सामना class 12 questions and answers: Class 12 Psychology chapter 3 ncert solutions in hindi

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPsychology
ChapterChapter 3
Chapter Nameजीवन की चुनौतियों का सामना class 12 ncert solutions
CategoryNcert Solutions
MediumHindi

क्या आप Psychology Class 12 Chapter 3 question answers in hindi ढूंढ रहे हैं? अब आप यहां से Class 12 Psychology chapter 3 ncert solutions in hindi Download कर सकते हैं।

प्रश्न 1: दबाव के संप्रत्यय की व्याख्या कीजिए। दैनिक जीवन से उदाहरण दीजिए।

उत्तर 1: दबाव (Stress) एक मानसिक और शारीरिक प्रतिक्रिया है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं, चुनौतियों या किसी प्रकार के असंतुलन के कारण होती है। यह किसी व्यक्ति के शरीर और मन की प्रतिक्रिया है, जब वह किसी संकट, परिस्थिति या कार्य को संभालने की कोशिश करता है। दबाव का अनुभव तब होता है, जब किसी व्यक्ति को लगता है कि वह किसी समस्या का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है।

दबाव की स्थिति का प्रभाव शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों में महसूस होता है। शारीरिक रूप से, शरीर तनावग्रस्त हो सकता है, जैसे कि हृदय की धड़कन तेज़ हो जाना, पसीना आना, या मांसपेशियों में कसाव महसूस होना। मानसिक रूप से, व्यक्ति चिंतित, डर और तनाव महसूस कर सकता है।

दैनिक जीवन से उदाहरण:

1. अंतिम परीक्षा का दबाव: जैसे कि एक छात्र की आखिरी परीक्षा के पहले रात को पढ़ाई करने की कोशिश करता है, लेकिन वह तनावग्रस्त होता है क्योंकि वह महसूस करता है कि वह तैयारी में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहा है। इससे उसका ध्यान भटकता है, वह सो नहीं पाता, और सुबह उठते समय वह थका हुआ महसूस करता है। उसके शरीर में तनाव होता है, जैसे हाथ पसीने से गीले होते हैं और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। यह पूरा अनुभव दबाव का उदाहरण है।

2. कार्यस्थल का दबाव: यदि किसी व्यक्ति को कार्य स्थल पर एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की डेडलाइन नजदीक होती है और वह इसे समय पर पूरा नहीं कर पाता, तो वह तनाव महसूस करता है। वह चिंता करता है कि यदि वह समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर सका तो उसके करियर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इन उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि दबाव तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति को किसी कठिन परिस्थिति का सामना करने के लिए आवश्यक संसाधनों या क्षमताओं का अभाव महसूस होता है।

प्रश्न 2: दबाव के लक्षणो तथा स्रोतों का वर्णन कीजिए।

उत्तर 2: दबाव के लक्षण: हर व्यक्ति के दबाव के प्रति प्रतिक्रिया उसके व्यक्तित्व, पालन-पोषण, और जीवन के अनुभवों के आधार पर भिन्न होती है। दबाव के लक्षण शारीरिक, संवेगात्मक (भावनात्मक) और व्यवहारात्मक होते हैं। दबाव की तीव्रता और प्रकृति को पहचानने के लिए व्यक्ति को अपने लक्षणों का आकलन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यदि इन लक्षणों का उचित समय पर समाधान न किया जाए, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

  1. शारीरिक लक्षण:
    • सिरदर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, थकान, नींद न आना या बहुत अधिक नींद आना
    • दिल की धड़कन का तेज होना, पसीना आना, हाथ-पांव ठंडे या गीले होना
    • पेट में दर्द या अपच की समस्या, जी मिचलाना
    • वजन घटना या बढ़ना
  2. संवेगात्मक (भावनात्मक) लक्षण:
    • चिंता, घबराहट, डर
    • निराशा, हताशा, या अवसाद
    • गुस्सा या चिड़चिड़ापन
    • आत्म-संवेदनशीलता या आत्म-संशय
  3. व्यवहारात्मक लक्षण:
    • असमंजस में रहना, निर्णय लेने में कठिनाई
    • काम में या अन्य कार्यों में कमी या गड़बड़ी
    • अधिक या कम खाने की आदत
    • सामाजिक संपर्क से बचना

दबाव के स्रोत:

जीवन घटनाएँ: जीवन में उत्पन्न होने वाली घटनाएँ, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक, दबाव उत्पन्न कर सकती हैं। यह घटनाएँ हमारी दिनचर्या को प्रभावित करती हैं और कभी-कभी एक बड़ी समस्या या चुनौती की वजह बन जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, घर बदलना, किसी प्रियजन का निधन, या किसी रिश्ते का टूटना, इन सबका जीवन पर गहरा असर पड़ता है और व्यक्ति दबाव महसूस करता है। कई बार यदि इन घटनाओं का सामना एक साथ होता है, तो यह दबाव को और भी बढ़ा देता है।

परेशान करने वाली घटनाएँ: यह घटनाएँ दैनिक जीवन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं से संबंधित होती हैं, जैसे कि यातायात की भीड़, शोरगुल, या पड़ोसियों से झगड़े। ये घटनाएँ व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर दबाव डाल सकती हैं। ऐसी समस्याएँ जब लंबे समय तक चलती हैं, तो व्यक्ति का मानसिक कुशलता का स्तर घट सकता है, जिससे वह और भी अधिक दबाव महसूस करता है।

अभिघातजन्य घटनाएँ: इन घटनाओं में अचानक होने वाली गंभीर घटनाएँ शामिल होती हैं, जैसे कि दुर्घटनाएँ (रेल, सड़क, अग्निकांड), प्राकृतिक आपदाएँ (भूकंप, सुनामी) आदि। इन घटनाओं का प्रभाव तुरंत महसूस नहीं होता, लेकिन समय के साथ इसका असर मानसिक और शारीरिक रूप से व्यक्ति पर दिखता है। कभी-कभी, इन घटनाओं के कारण व्यक्ति में डर, उदासी, और अन्य मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, और इनका सामना करने के लिए विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3: जी. ए. एस. मॉडल का वर्णन कीजिये तथा इस मॉडल की प्रासंगिकता को एक उदहारण की सहायता से स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 3: जनरल एडेप्टेशन सिडोंम (सामान्य अनुकूलन संरक्षण), के प्रस्तुतकर्ता सेल्ये थे उन्होंने दबाव् के सतत रूप से दीर्घकालिक बने रहने का असर शारीरिक रूप से क्या होता है पर अध्ययन किया उन्होंने विभिन्न ने दबाव कारक जैसे – पशुओ को उच्च तापमान एक्स – रे तथा इन्सुलिन की सुई लगाकर प्रयोगशाला में लम्बे समय तक रखा गया उन्होंने विभिन्न छोटो तथा बीमारी से बस्त रोगिया का अस्पतालों में जाकर प्रेक्षण भी किया सेल्ये ने सभी सामान प्रतिरूप वाली शारीरिक अनुक्रियाएँ पाई सेल्ये ने इस प्रतिरूप अलार्म रिएक्शन तथा परिश्रंति ।

  1. संचेत प्रतिक्रिया चरण – किसी हानिकारक उद्दीपक या दबाचकरक की उपस्थिति के कारण एडिनल – पियूष – कॉटेक्स तंत्र का सक्रियण हो जाता है यह उन अतः स्रावों को छोड़ने के लिए प्रेरित करता है जिसमे दबाव अनुक्रिया होती है तब व्यक्ति संघर्ष या के लिए तैयार हो जाता है।
  2. प्रतिरोध चरण – यदि दबाव दीर्घकालिक होता है तो प्रतिरोध चरण प्रांरभ होता है परानुकंपी तंत्रिका तंत्र, शरीर के संसाधनों का अधिक सावधानी पूर्ण उपयोगी करने को उद्धत करता है जिव खतरे का सामना करने के लिए मुकंबला करने का प्रयास करता है।
  3. परीश्राती चरण – एक ही दबावकारक अन्य दबावकारको के समक्ष दीर्घकालिक उद्भाषण से शरीर के संसाधन निष्कासित हो जाते है जिसके कारण परिश्रांत का तृतीय चरण आता है संचेत प्रतिक्रिया तथा प्रतिरोध चरण में कार्यरत शरीर क्रियात्मक तंत्र अप्रभावी हो जाता है तथा दबाव – संबद्धि रोगो, जैसे उच्च रक्त चाप की संभावना बढ़ जाती है।

शैली मोडल की आलोचना इसलिए की गई है की उसमे दबाव के मनोवैज्ञानिक कारको की बहुत सिमित भूमिका बताई गई है शोधकर्ताओ के अनुसार घटनाओ का मनोविज्ञानक मूल्यांकन दबाव के निर्धारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है व्यक्ति दबाव के प्रति किया अनुक्रिया करेगा यह बहुत सिमा तक उसके प्रत्यक्षण, व्यक्तित्व तथा जैविक संरचना से प्रभावित होता है।

प्रश्न 4: दबाव का सामना करने के विभिन्न उपायों की गणना कीजिए।

उत्तर 4: दबाव का सामना करने के लिए विभिन्न रणनीतियाँ और उपाय उपलब्ध हैं। ये उपाय व्यक्ति को दबावपूर्ण स्थितियों में मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। इनका उपयोग व्यक्ति की परिस्थितियों और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अनुसार किया जा सकता है। इन उपायों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1. समस्या-केंद्रित युक्तियाँ: ये युक्तियाँ सीधे समस्या पर केंद्रित होती हैं और इसे हल करने के लिए उठाए गए कदमों पर जोर देती हैं। इसका उद्देश्य समस्या को सुलझाना या उसे कम करना होता है।

  • सूचनाएँ एकत्रित करना: समस्या के बारे में जानकारी प्राप्त करना और समझना।
  • समाधान की योजना बनाना: वैकल्पिक उपायों पर विचार करना और उनका क्रियान्वयन करना।
    • उदाहरण: यदि किसी प्रोजेक्ट की डेडलाइन का दबाव है, तो समय प्रबंधन की योजना बनाना।
  • घटनाओं में परिवर्तन करना: समस्या की जड़ को बदलने का प्रयास करना।
    • उदाहरण: यातायात जाम में फंसे होने पर वैकल्पिक मार्ग खोजना।
  • नकारात्मक विश्वासों में बदलाव: स्थिति को यथार्थ रूप में स्वीकार करना और अपने दृष्टिकोण को बदलना।
    • उदाहरण: “यह अस्थायी है, मुझे शांत रहकर समाधान खोजना चाहिए।”

2. संवेग-केंद्रित युक्तियाँ: ये युक्तियाँ भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं ताकि व्यक्ति स्थिति से उत्पन्न तनाव और संवेगात्मक विघटन को कम कर सके।

  • संवेगों पर नियंत्रण: चिंता, क्रोध, और कुण्ठा जैसे नकारात्मक भावों को कम करने का प्रयास।
    • उदाहरण: गहरी साँस लेना, ध्यान लगाना।
  • आत्म-संवेदनशीलता: अपनी भावनाओं को पहचानना और उनका सकारात्मक समाधान खोजना।
    • उदाहरण: “मैं अपनी स्थिति को सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा।”
  • भावनाओं की अभिव्यक्ति: अपनी भावनाओं को लिखना या किसी करीबी से साझा करना।
  • स्वयं को प्रेरित करना: आशावादी दृष्टिकोण अपनाना।
    • उदाहरण: “चुनौतियाँ मुझे और अधिक मजबूत बनाएंगी।”

3. परिहार-केंद्रित युक्तियाँ:

  • स्थिति की गंभीरता को नकारना: इसे कम महत्वपूर्ण मानना।
  • विचारों का दमन: नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों से बदलना।
    • उदाहरण: तनावपूर्ण विचारों को ध्यान भंग करने वाले कार्यों, जैसे कि संगीत सुनना, से हटाना।

अन्य महत्वपूर्ण उपाय:

  1. स्वास्थ्य का ध्यान रखना:
    • संतुलित आहार लेना।
    • नियमित व्यायाम और योग का अभ्यास।
    • पर्याप्त नींद सुनिश्चित करना।
  2. समर्थन प्रणाली विकसित करना:
    • दोस्तों, परिवार, और सहकर्मियों से मदद लेना।
    • जरूरत पड़ने पर मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से संपर्क करना।
  3. समय प्रबंधन:
    • समय का सही उपयोग करना।
    • कार्यों को प्राथमिकता देना।
    • ज़रूरत पड़ने पर काम को बाँटना।
  4. रचनात्मक गतिविधियाँ:
    • अपनी पसंदीदा हॉबी जैसे पेंटिंग, लेखन, या गार्डनिंग में समय लगाना।
  5. लंबी अवधि के लक्ष्य निर्धारित करना:
    • छोटी-छोटी सफलताओं से आत्मविश्वास बढ़ाना।
    • लंबी अवधि की योजना बनाकर आगे बढ़ना।

प्रश्न 5: मनोवैज्ञानिक प्रकर्यो पर दबाव के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।

उत्तर 5: मनोवैज्ञानिक प्रकार्यो पर दबाव के प्रभाव:

संवेगात्मक प्रभाव: वे व्यक्ति जो दबावग्रस्त होते हैं। प्रायः आकस्मिक मनः स्थिति परिवर्तन का अनुभव करते हैं तथा सनकी की तरह व्यवहार करते है, जिसके कारण वे परिवार तथा मित्रों से विमुख हो जाते हैं। कुछ स्थितियों में इसके कारण एक दुश्चक्र प्रारंभ होता है जिससे विश्वास में कमी होती है तथा जिसके कारण फिर और भी गंभीर संवेगात्मक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के लिए, दूरिंचता तथा अवसाद की भावनाएँ, शारीरिक तनाव में वृद्धि, मनोवैज्ञानिक तनाव में वृद्धि तथा आकस्मिक मनः स्थिति परिवर्तन।

शरीर – क्रियात्मक प्रभाव – जब शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दबाव मनुष्य के शरीर पर क्रियाशील होते हैं तो शरीर में कुछ हार्मोन, जैसे – एडनीतिन तथा कॉर्टीशोल का स्त्राव बढ़ जाता हैं। ये हार्मोन हृदयगति, रक्तचाप स्तर, चयापचय तथा शारीरिक क्रिया में विशिष्ट परिवर्तन कर देते हैं। जब हम थोड़े समय के लिए दबावग्रस्त हो तो ये शरीरिक प्रतिक्रियाएँ कुशलतापूर्वक कार्य करने में सहायता करती हैं, किन्तु दीर्धकालीक रूप से यह शरीर को अत्यधिक नुकसान पहुँचा सकती हैं। एपिनेफरीन तथा नॉरएपिनेफरोन छोड़ना, पाचक तंत्र की धीमी गति, फेफडों में वायुमार्ग का विस्तार, हृदयगति में वृद्धि तथा रक्त – वाहिकाओं का सिकुड़ना, इस प्रकार के शरीर क्रियात्मक प्रभावों के उदाहरण हैं।

संज्ञानात्मक प्रभाव – यदि दबाव के कारण दाब (प्रेशर) निरंतर रूप से बना रहता है तो व्यक्ति मानसिक अतिभार से ग्रस्त हो जाता है। उच्च दबाव के कारण उत्पन्न यह पीड़ा, व्यक्ति में ठोस निर्णयों के द्वारा तर्क – वितर्क, असफलता, वित्तीय घाटा, यहाँ तक की नौकरी की क्षति भी इसके परिणामस्वरूप हो सकती है। एकाग्रता में कमी तथा न्यूनीकृत अल्पकालिक स्मृति क्षमता भी दबाव के संज्ञानात्मक प्रभाव हो सकता हैं।

व्यवहारात्मक प्रभाव – दबाव का प्रभाव हमारे व्यवहार पर कम पौष्टिक भोजन करने, उत्तेजित करने वाले पदार्थो, जैसे केफीन को अधिक सेवन करने में परिलक्षित होता है। उपशामक औषधियाँ व्यसन बन सकती हैं। तथा उनके अन्य प्रभाव भी हो सकते हैं। जैसे – एकाग्रता में कठिनाई, समन्वय में कमी तथा पूर्णि या चक्कर आ जाना। दबाव के कुछ ठेठ या प्ररूपी व्यवहारात्मक प्रभाव, निद्रा – प्रतिरूपों में व्याद्यात, अनुपस्थिता में वृद्धि तथा कार्य निष्पादन में ह्यस हैं।

प्रश्न 6: जीवन की चुनौतियो का सामना करने के लिए जीवन कौशल कैसे उपयोगी हो सकते है, वर्णन कीजिए।

उत्तर 6: जीवन कौशल, अनु कुली तथा सकारात्मक की वे योग्यताये व्यवहार की वे योग्यताये है जो व्यक्तियों को दैनिक जीवन की माँगो और चुनौतियो से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सक्षम बनती है दबाव का सामना करने की हमारी योग्यता इस बात पर निर्भर करती है की हम दैनिक जीवन को माँगो के प्रति संतुलन करने तथा उनके संबंध में व्यवहार करने के लिए कितने तैयार है तथा अपने जीवन में साम्यावस्था बनाऐ रखने के लिए कितने तैयार है।

यह जीवन केशल सीखे जा सकते है तथा उनमे सुधर भी किया जा सकता है आगरहिता समय प्रबधन सविवेक चिंतन, संबंधो में सुधर, सव्य को देखभाल के साथ – साथ ऐसी और असहायक आदतों जैसे – पूर्णतावादी होना विलंबन या टालना इत्यादि से मुक्ति कुछ ऐसे जीवन कौशल है जिनमे जीवन की चुनोतियो का सामना करने में मदद मिलेगी आगरहिता एक ऐसा कौशल या व्यवहार जो हमारी भावनाओ, आवश्य्कताओ इच्छाओ तथा विचारो सुस्पष्ट तथा विश्वासपूर्ण संप्रेषण में सहायक होता है

प्रश्न 7: उन कारकों का विवेचन कीजिए जो सकारात्मक स्वास्थ्य तथा कुशल-क्षेम की ओर ले जाते हैं।

उत्तर 7: सकारात्मक स्वास्थ्य और कुशल-क्षेम प्राप्त करने के लिए शारीरिक, मानसिक और सामाजिक संतुलन आवश्यक है। कई ऐसे कारक हैं जो जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाकर सकारात्मक स्वास्थ्य की ओर ले जाते हैं। इनमें मुख्य कारक निम्नलिखित हैं:

1. संतुलित आहार: संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाता है। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है, और व्यक्ति को बीमारियों से बचाने में सहायक होता है। सही आहार से मानसिक स्थिरता और दबाव को सहने की क्षमता भी बढ़ती है।

2. नियमित व्यायाम: व्यायाम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह मांसपेशियों को मजबूत करता है, हृदय को स्वस्थ रखता है और तनाव, चिंता, एवं अवसाद को कम करता है। योग और वायुजीवी व्यायाम जैसे तैरना और दौड़ना शरीर और मन को स्थिरता प्रदान करते हैं।

3. सकारात्मक चिंतन: आशावादी दृष्टिकोण से व्यक्ति दबावपूर्ण स्थितियों का प्रभावी ढंग से सामना करता है। सकारात्मक चिंतन आत्मविश्वास बढ़ाता है और समस्या-केंद्रित उपायों को अपनाने में मदद करता है। यह मानसिक शांति और कुशल-क्षेम को बढ़ावा देता है।

4. सकारात्मक अभिवृत्ति: जीवन में यथार्थ को स्वीकारना, उद्देश्यपूर्ण जीवन जीना और नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना सकारात्मक अभिवृत्ति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। विनोदी स्वभाव और खुले दृष्टिकोण से व्यक्ति जीवन में जटिलताओं का आसानी से समाधान कर सकता है।

5. सामाजिक अवलंब: परिवार, मित्रों, और प्रियजनों का सहयोग व्यक्ति को दबाव और तनाव से उबरने में मदद करता है। सामाजिक समर्थन से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों का सामना करने में सशक्त बनाता है।

6. नींद और आराम: पर्याप्त नींद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह ऊर्जा पुनःस्थापित करती है और मानसिक स्थिरता को बनाए रखती है।

7. स्वास्थ्यकर जीवनशैली: धूम्रपान, शराब, और अन्य नकारात्मक आदतों से बचाव सकारात्मक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। एक अनुशासित जीवनशैली व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सक्रिय रखती है।

8. समय प्रबंधन: समय का सही प्रबंधन दबाव और तनाव को कम करता है। प्राथमिकताओं को समझकर कार्य करना कुशल-क्षेम बनाए रखने में सहायक है।

9. रचनात्मक गतिविधियाँ: शौक और रचनात्मक कार्य जैसे पेंटिंग, संगीत, और लेखन व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुष्टि प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8: प्रतिरक्षक तंत्र को दबाव कैसे प्रभावित करता है?

उत्तर 8: दबाव के कारण प्रतिक्षक तंत्र की कार्यप्रणाली दुर्बल हो जाती है जिसके कारण बीमारी उतपन्न हो सकती है प्रतिरक्षा तंत्र शरीर के भीतर तथा बहार से होने वाले हमलो से शरीर की रक्षा करता है मनस्तान्त्रिक प्रतिरक्षा विज्ञानं मन, मस्तिष्क और प्रतिरक्षक तंत्र के बिच संबंधो पर ध्यान केंद्रित करता है यह प्रत्यक्षक तंत्र पर दबाव के प्रभाव का अध्ययन करता है प्रतिरक्षक तंत्र में श्वेत रक्त कोशिकाएं या स्वेतानु बाह्य तत्वों जैसे वायरस को पहचान कर नष्ट करता है।

इनके द्वारा रोगप्रतिकारको निर्माण होता है प्रतिरक्षक तंत्र में ही टी – कोशिकाऐ हमला करने वाले को नष्ट करती है तथा टी – सहायक कोशिकाए प्रतीक्षात्मक क्रियाओ में वृद्धि करती है दबाव के कारण प्राकृतिक रूप से नष्ट करने वाली कोशिकाओं की कोशिका विषाक्तता प्रभावित हो सकती है, जो प्रमुख संक्रमण तथा कैंसर से रक्षा में अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है।

प्रश्न 9: किसी ऐसी जीवन घटना का उदाहरण दीजिए जो दबावपूर्ण हो सकती है। उन तथ्यों पर प्रकाश डालिए जिनके कारण वह घटना अनुभव करने वाले व्यक्ति के लिए भिन्न-भिन्न मात्रा में दबाव उत्पन्न कर सकती हैं?

उत्तर 9: अग्निकांड, रेलगाड़ी दुर्घटना आदि जीवन की ऐसी घटनाएँ हैं जो दवावपूर्ण हो सकती हैं। व्यक्ति जिन दबावों का अनुभव करते हैं, वे तीव्रता, अवधि, जटिलता तथा भविष्यकथनीतयता में भिन्न हो सकती है। किसी दबाव का परिणाम इस पर भी निर्भर करता है की उपरोक्त आयामों पर किसी विशिष्ट दबावपूर्ण अनुभव का स्थान क्या है।

प्रायः वे दबाव, जो अधिक तीव्र, दीर्धकालिक या पुराने, जटिल तथा अप्रत्यशिक होते हैं, वे अधिक नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं, बजाय उनके जो कम तीव्र, अल्पकालिक, कम जटिल तथा प्रत्यशित होते हैं। किसी व्यक्ति द्वारा दबाव का अनुभव करना उसके शारीरिक्रियात्मक बल पर भी निर्भर करता है। अतः वे व्यक्ति जिनका शारीरिक स्वास्थ्य ख़राब है तथा दुर्बल शारीरिक गठन के है, उन व्यक्तियों की अपेक्षा, जो अच्छे स्वास्थ्य तथा बलिष्ठ शारीरिक गठन वाले हैं, दबाव के समक्ष अधिक असुरक्षित होंगे।

कुछ मनोवैज्ञानिक विशेषताएँ; जैसे – मानसिक स्वास्थ्य, स्वभाव तथा स्व – संप्रत्यय भी दबाव के अनुभव के लिए प्रासंगिक हैं। वह सांस्कृतिक संदर्भ जिसमे हम जीवन – यापन करते हैं किसी भी घटना के अर्थ का निर्धारण करता है तथा यह भी निर्धारित करता है की विभिन्न परिस्थितियों में किसी प्रकार की अनुक्रियाएँ अपेक्षित होती हैं। अंतत: दबाव के अनुभव, किसी व्यक्ति के पास उपलब्ध संसाधन; जैसे – धन, सामाजिक कौशल, सामना करने की शैली, अवलम्ब का नेटवर्क इत्यादि द्वारा निर्धारित होते हैं। ये सारे कारक निर्धारित करते हैं की किसी विशिष्ट दबावपूर्ण परिस्थिति का मूल्यांकन कैसे होगा।

प्रश्न 10: दबाव का सामना करने वाली युक्तियों की अपनी जानकारी के आधार पर आप अपने मित्रो को दैनिक जीवन में दबाव का परिहार करने के लिए क्या सुझाव देंगे?

उत्तर 10: दैनिक जीवन में दबाव का प्रभावी ढंग से सामना करने और उसे कम करने के लिए मैं अपने मित्रों को कुछ सरल लेकिन प्रभावी सुझाव दूँगा। सबसे पहले, समय प्रबंधन पर ध्यान देना आवश्यक है। दिनचर्या में प्राथमिकताओं को निर्धारित करें और कार्यों को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटें ताकि वे अधिक सुगम बन जाएँ। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, क्योंकि यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्थिरता में भी सुधार करता है। पर्याप्त नींद लें, क्योंकि यह शरीर और मन को तरोताजा रखने में मदद करती है।

सकारात्मक सोच और आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखें, चुनौतियों को अवसर के रूप में देखें। सामाजिक संबंधों को मजबूत करें और दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताएँ, क्योंकि यह तनाव को कम करने में सहायक होता है। जब भी दबाव का अनुभव हो, तो गहरी साँस लें, ध्यान (मेडिटेशन) करें, या अपनी पसंदीदा गतिविधि जैसे संगीत सुनना या पढ़ना करें। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपनी भावनाओं को साझा करने में संकोच न करें और जरूरत पड़ने पर सहायता मांगें। इस प्रकार, इन युक्तियों का पालन करके दबाव का सामना किया जा सकता है और जीवन को अधिक संतुलित और सुखद बनाया जा सकता है।

प्रश्न 11: उन पर्यावरणीय कारकों का वर्णन कीजिए जो (अ) हमारे ऊपर सकारात्मक प्रभाव तथा (ब) नकारात्मक प्रभाव डालते है।

उत्तर 11: विभिन्न पर्यावरणी कारक हमारे ऊपर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं जबकि ऐसे भी पर्यावरणी कारक हैं जो हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। वायु प्रदूषण, भीड़, शोर, ग्रीष्मकाल की गर्मी, शीतकाल की सर्दी इत्यादि आदि पर्यावरणी दबाव हमारे परिवेश की वैसी दशाएँ होती हैं जो प्रायः अपरिहार्य होती हैं। इनका हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। कुछ पर्यावरणी दबाव प्राकृतिक विपदाएँ तथा विपाती घटनाएँ हैं और उनका हमारे ऊपर लम्बे अंतराल तक नकारात्मक प्रभाव रहता है। आग, भूकंप, बाढ़, सूखा, तूफान, सुनामी आदि इनमें शामिल हैं।

प्रश्न 12: हम यह जानते हैं कि कुछ जीवन शैली के कारक दबाव उत्पन्न कर सकते हैं तथा कैंसर तथा हृदयरोग जैसी बीमारियों को भी जन्म दे सकते हैं फिर भी हम अपने व्यवहारों में परिवर्तन क्यों नहीं ला पाते? व्याख्या कीजिए।

उत्तर 12: दबाव के कारण अस्वास्थ्यकर जीवन शैली या स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने वाले व्यवहार उत्पत्र हो सकता है। व्यक्ति के निर्णयों तथा व्यवहारो का वह समग्र प्रतिरूप जीवन शैली कहलाता है जो व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा जीवन की गुणवत्ता को निर्धारित करता है। दबाव से ग्रस्त व्यक्ति रोजनकों जो कि शारीरिक रोग उत्पत्र करने के आदत कम होती है, वे सोते भी कम हैं तथा वे स्वास्थ्य के लिए जोखिम वाले व्यवहार, जैसे – धूम्रपान तथा मद्य दुरूपयोग भी अधिक करते है। स्वास्थ्य को क्षति पहुँचाने वाले ये व्यवहार धीरे – धीरे विकसित होते हैं तथा अस्थायी रूप से आनंददायक अनुभवों से संबद्ध होते है। अपितु, हम उनके दीर्घकालिक नुकसानों की अनदेखी करते हैं तथा उनके कारण हमारे जीवन में उत्पत्र होने वाले जोखिम को कम महत्व देते हैं।

स्वास्थ्यवर्धक व्यवहार जैसे – संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पारिवारिक अवलंब आदि अच्छे स्वास्थ्य में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जीवन शैली से जुड़ाव जिसमे सम्मिलित होते हैं, संतुलित निम्र वसायुक्त आहार, नियमित व्यायाम और सकारात्मक चिंतन के साथ सतत क्रियाकलाप दीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ते हैं। आधुनिक जीवन शैली में खाने, पिने और तथाकथीत तेज रफ़्तार वाले अच्छे जीवन की अधिकता ने हम में से कुछ में स्वास्थ्य के मूल सिद्धांतों का उललंघन किया है की हम क्या खाते हैं, क्या सोचते हैं और अपने जीवन के साथ क्या करते हैं।

💞 SHARING IS CARING 💞
Ncert Books PDF

English Medium

Hindi Medium

Ncert Solutions and Question Answer

English Medium

Hindi Medium

Revision Notes

English Medium

Hindi Medium

Related Chapters