12 Class Political Science Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Notes In Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | समकालीन दक्षिण एशिया |
Category | Class 12 Political Science |
Medium | Hindi |
Class 12 Political Science Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Notes In Hindi इस अध्याय मे हम दक्षिण एशिया में संघर्ष और शांति के प्रयास और लोकतांत्रिकरणः पाकिस्तान , नेपाल , बांग्लादेश , श्रीलंका , मालदीव के बारे में विस्तार से पड़ेगे ।
दक्षिण एशिया : –
🔹 इसमें शामिल सात देशों :- भारत , पाकिस्तान , नेपाल , भूटान , बांग्लादेश , श्रीलंका , तथा मालद्वीव के लिए दक्षिण एशिया पद का इस्तेमाल किया जाता है । अब इसमें अफगानिस्तान ओर म्यांमार को भी शामिल किया जाता है । दक्षिण एशिया के देशों में आपस में सहयोग ओर संघर्षों का दौर चलता रहता है ।
दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति : –
🔹 दक्षिण एशिया , एशिया महाद्वीप में स्थित है । इसके उत्तर में हिमालय पर्वत , दक्षिण में हिन्द महासागर , पश्चिम में अरब सागर तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी स्थित है ।
नोट : – चीन को दक्षिण एशिया का देश नहीं माना जाता ।
दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों की राजनीतिक प्रणाली : –
🔹 दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में एक सी राजनीतिक प्रणाली नहीं है :-
- भारत और श्रीलंका में आजादी के बाद से लोकतंत्र है ।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश में कभी लोकतंत्र और कभी सैन्य शासन रहा है ।
- नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतंत्र था और बाद में लोकतंत्र की बहाली हुई है ।
- भूटान में राजतंत्र है ।
- मालदीव सन् 1968 तक सल्तनत हुआ करता था । अब यहाँ लोकतंत्र है ।
दक्षिण एशिया में लोकतंत्र का अनुभव : –
- दक्षिण एशिया के पाँच देशों में लोकतंत्र को व्यापक जन – समर्थन हासिल है ।
- दक्षिण एशिया के लोग लोकतंत्र को अच्छा मानते है और प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र की संस्थाओं का समर्थन करते हैं ।
- दक्षिण एशिया के लोकतंत्र के अनुभवों से लोकतंत्र के बारे में प्रचलित यह भ्रम टूट गया कि ‘ लोकतंत्र सिर्फ विश्व के धनी देशों में फल – फूल सकता हैं । ‘
दक्षिण एशिया में शामिल देशो की समस्याए : –
- संघर्षो वाला क्षेत्र ।
- सीमा विवाद ।
- नदी जल विवाद ।
- विद्रोह संघर्ष ।
- जातीय संघर्ष ।
- संवेदनशील इलाका ।
पाकिस्तान ( सैनिक शासक और लोकतंत्र ) :-
🔹 सन् 1947 में स्वतंत्र होने के बाद से पाकिस्तान में अधिकतर सैनिक शासन ही रहा है । पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था में सेना बहुत प्रभावशाली है । यही कारण है कि यहाँ बार – बार सैन्य शासन लोकतंत्र को कुचलता रहा है । ऐसा ही बांग्लादेश में भी हुआ है ।
🔹 सर्वप्रथम देश की बागडोर जनरल अयूब खान ने ली फिर जनरल याहिया खान तत्पश्चात जनरल जिया उल हक और 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को हटाकर सैनिक शासन की स्थापना की ।
🔹 शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार कार्यरत रही । जून 2013 में नवाज शरीफ के नेतृत्व में पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना हुई परन्तु 2017 में उन्हें वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया तथा पद से हटाते हुए दस साल की सजा का आदेश दिया ।
🔹 जुलाई 2018 में पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में इमरान खान के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ ।
पाकिस्तान में लोकतंत्र को कमजोर करने वाले कारण : –
- राजनीति में सेना का हस्तक्षेप ।
- राजनीति में कट्टरपंथी धार्मिक नेताओं का दबदबा ।
- विदेशी ताकतों का हस्तक्षेप ।
- राजनीतिक दलों एवं नेताओं के संकीर्ण स्वार्थ इत्यादि ।
पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण स्थाई न रह पाने के कारण : –
🔹 पाकिस्तान में बार – बार सैनिक शासकों द्वारा तख्ता पलट हुआ है । जिसके कारण पाकिस्तान में कभी भी लोकतंत्र स्थायी रूप के कार्य नहीं कर पाया है ।
🔹 पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण के निम्नलिखित कठिनाइयाँ हैं :-
- यहाँ सेना , धर्मगुरु और भू – स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है । इसके कारण कई बार निर्वाचित सरकारों को गिराकर सैनिक शासन कायम हुआ है ।
- पाकिस्तान की भारत के साथ हमेशा से तनातनी रही है । जिसका फायदा उठाकर यहाँ के सैनिक शासक या धर्मगुरु लोकतान्त्रिक सरकार में खोट दिखाकर यहाँ की जनता को बताते है की पाकिस्तान की सुरक्षा ख़तरे में है । और सता पर काबिज हो जाते है ।
- पाकिस्तान में अधिकांश संगठनों द्वारा सैनिक शासन को जायज ठहराया जाता है ।
- पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले – इसके लिए कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता । इस वजह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिला है ।
- अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने – अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया है ।
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध : –
🔶 भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के मुद्दे : –
🔹 भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के मुख्य – मुद्दे हैं :- नहर के पानी का विवाद , शरणार्थी के प्रश्न , ऋण की अदायगी का प्रश्न , कश्मीर का विवाद , आतंकवादी गतिविधि के समर्थन पर विवाद , सियाचिन ग्लेशियर , सरक्रीक विवाद इत्यादि ।
🔶 भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते : –
- सिंधु नदी जल समझौता 1960
- ताशकंद समझौता 1966
- शिमला समझौता 1972
- लाहौर बस यात्रा 1999 इत्यादि
🔶 भारत – पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष : – दक्षिण एशिया के दो बड़े देशों भारत और पाकिस्तान के आपसी संबंध शुरू से ही तनावपूर्ण है इनके बीच 1947 – 48 , 1965 , 1971 तथा 1999 में सैन्य संघर्ष हो चुके हैं ।
🔶 भारत और पाकिस्तान में सहयोग की संभावना वाले क्षेत्र : –
- भारत और पाकिस्तान में सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक समरूपताए है ।
- सांस्कृतिक ( फिल्म , गाने , नाटक इत्यादि )
- खेल क्षेत्र ( क्रिकेट , हॉकी इत्यादि )
- व्यापार ( कपास , प्याज , सॉफ्टवेयर इत्यादि )
🔹 गरीबी उन्मूलन , विकास , लोकतंत्र की दृढ़ता इत्यादि के लिए दोनों देशों में सहयोग वृद्धि की आवश्यकता इत्यादि ।
बांग्लादेश : –
🔹 1947 से 1971 तक बांग्लादेश पाकिस्तान का अंग था । 1947 से 1971 तक इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था । यह बंगाल और असम के हिस्सों को काटकर बनाया गया था । बांग्लादेश में बहुदलीय चुनावों पर आधारित प्रतिनिधि मूलक लोकतंत्र कायम है । बांग्लादेश भारत की पूरब चलो ‘ की नीति का एक हिस्सा है । आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मसले पर दोनों देशों ने निरंतर सहयोग किया है । बांग्लादेश और भारत के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी के मुद्देपर मतभेद है ।
बांग्लादेश संकट ( भारत एवं पाकिस्तान युद्ध ) :-
- अंग्रेजी राज के समय के बंगाल और असम के विभाजित हिसों से पूर्वी पाकिस्तान का यह क्षेत्र बना था ।
- पाकिस्तान यहाँ पर दबदबा बना रहा था और यहाँ पर जबरन उर्दू भाषा थोप कर यहाँ की संस्कृति को नष्ट कर रहा था ।
- इस क्षेत्र के लोग पश्चिमी पाकिस्तान के दबदबे और अपने ऊपर उर्दू भाषा को लादने के खिलाफ थे ।
- इस क्षेत्र के लोगों ने बंगाली संस्कृति और भाषा के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ विरोध जताना शुरू कर दिया ।
- इस क्षेत्र की जनता ने राजनैतिक सत्ता में समुचित हिस्सेदारी की मांग उठाई ।
- इस क्षेत्र की जनता ने प्रशासन में भी अपने न्यायोचित प्रतिनिधित्व की मांग उठाई ।
- पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभुत्व के खिलाफ जन संघर्ष का नेतृत्व शेख मुजीब उर रहमान ने किया ।
- 1970 के चुनावों में शेख मुजीबुर रहमान की नेतृत्व वाली आवामी लीग को पूर्वी पाकिस्तान की सारी सीटों पर विजय मिली ।
- आवामी लीग को संपूर्ण पाकिस्तान के लिए प्रस्तावित संविधान सभा में बहुमत हासिल हो गया ।
- लेकिन सरकार पर पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं का दबदबा था और सरकार ने इस सभा को आहूत करने से इंकार कर दिया ।
- शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया ।
- जनरल याहिया खान के सैनिक शासन में पाकिस्तानी सेना ने बंगाली जनता के आंदोलन को कुचलने की कोशिश की ।
- हजारों लोग पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे गए ।
- पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में लोग भारत पलायन कर गए ।
- भारत के सामने शरणार्थियों को संभालने की समस्या आन खड़ी हुई ।
- भारत की सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की आजादी की मांग का समर्थन किया और उन्हें वित्तीय और सैन्य सहायता दी ।
- परिणाम स्वरूप 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया ।
- युद्ध की समाप्ति पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के आत्मसर्पण तथा एक स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश के निर्माण के साथ हुई ।
- बांग्लादेश ने अपना संविधान बना कर उसमें अपने को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देश घोषित किया ।
भारत और बंगलादेश के बीच सम्बन्ध : –
🔶 सकारात्मक (सहमति) :-
- पिछले 10 वर्षों में अधिक संबंध मजबूत हुए हैं ।
- बांग्लादेश भारत की पूर्व चलो की नीति का हिस्सा है ।
- आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मामले पर दोनों देश सहयोग कर रहे हैं ।
- व्यापार बढ़ रहा है ।
🔶 नकारात्मक (विवाद) :-
- गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी को लेकर मतभेद ।
- भारत में अवैध अप्रवास जिसका बांग्लादेश खंडन करता है ।
- भारत विरोधी कट्टरपंथ आतंकवाद को बांग्लादेश की जमीन से फैलना ।
- सेना को पूर्वोत्तर की तरफ जाने के लिए रास्ता नहीं देना ।
- म्यांमार को बांग्लादेश इलाके से होकर भारत की प्राकृतिक गैस निर्यात ना करने देना ।
नेपाल में लोकतंत्र :-
🔹 नेपाल अतीत में एक हिन्दू – राज्य था फिर आधुनिक काल में कई सालों तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा । नेपाल में वर्षों तक संवैधानिक राजतंत्र ने सफलतापूर्वक कार्य किया है । परन्तु आम जनता तथा नेपाल की राजनीतिक पार्टियों ने सन् 1990 में लोकतांत्रिक संविधान की माँग की ।
- सन् 1990 में नेपाल के अनेक भागों में माओवादी राजतंत्र सत्ताधारी के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह होने लगे ।
- सन् 2002 में राजा ने संसद को भंग करके लोकतांत्रिक शासन समाप्त कर दिया ।
- सन् 2006 में लोकतंत्र समर्थक राजा ज्ञानेंद्र ने संसद को बहाल किया । इसमें सात दलों के गठबंधन माओवादी तथा सामाजिक कार्यकत्ताओं का नेतृत्व था ।
- सन् 2001 से 2005 तक नेपाल में माओवादियों द्वारा खूनी गृहयुद्ध जारी था । इसी कारण सन् 2005 में राजा ज्ञानेंद्र द्वारा दोबारा पूर्ण राजशाही कर दी गई , जिससे सन् 2006 में दोबारा अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण पुरानी संसद बहाल हुई ।
- नेपाल में लोकतंत्र की बहाली में तीन महत्वपूर्ण घटनाक्रम हुए:-
- एक संसद ने राजा ज्ञानेंद्र के सारे अधिकार छीन लिए ,
- दूसरा संसद सर्वोच्च होगी ,
- तीसरा माओवादियों ने अंतरिम सरकार में शामिल होने का फैसला किया ।
- सन् 2006 में गिरिजा प्रसाद कोइराला प्रधानमंत्री बने । माओवादी समूहों ने सशस्त्र संघर्ष को छोड़कर शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं ।
- 2008 में नेपाल राजतंत्र को खत्म करने के बाद लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया ।
- वर्ष 2014 में 11 फरवरी , सन् 2014 को सुशील कोइराला ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और वर्तमान में राष्ट्रपति विद्या देवी भण्डारी हैं ।
- 2015 में नेपाल ने नया संविधान अपनाया ।
नोट :- अब नेपाल में लोकतंत्र है ।
भारत और नेपाल संबंध : –
🔹 भारत और नेपाल के बीच मधुर संबंध हैं और दोनों देशों के बीच एक संधि हुई है । इस संधि के तहत दोनों देशों के नागरिक एक – दूसरे के देश में बिना पासपोर्ट और वीजा के आ – जा सकते हैं और काम कर सकते हैं । ख़ास संबंधे के बावजूद दोनों देश के बीच अतीत में व्यापार से संबंधित मनमुटाव पैदा हुए हैं ।
🔹 बहरहाल भारत – नेपाल के संबंध एकदम मजबूत और शांतिपूर्ण है । विभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापार , वैज्ञानिक सहयोग , साझे प्राकृतिक संसाधन , बिजली उत्पादन और जल प्रबंधन ग्रिड के मसले पर एक साथ हैं । नेपाल में लोकतन्त्र की बहाली से दोनों देशों के बीच संबंधों के और मजबूत होने की उम्मीद बंधी है ।
भारत और नेपाल के मध्य मन – मुटाव के मुद्दे : –
- नेपाल की चीन के साथ मित्रता को लेकर भारत ने समय – समय पर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की है ।
- नेपाल सरकार भारत विरोधी तत्वों के विरुद्ध आवश्यक कदम नहीं उठाती है । इससे भी भारत अप्रसन्न है ।
- नेपाल के लोगों का यह सोचना है कि भारत की सरकार नेपाल के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है । और उसके नदी जल एवं पनबिजली पर आँख गड़ाये हुए हैं ।
- चारों तरफ स्थल भाग से घिरे हुए नेपाल को यह लगता है कि भारत उसको अपने भू – क्षेत्रों से होकर समुद्र तक पहुँचने से रोकता है ।
श्रीलंका : –
नोट :- श्रीलंका का पुराना नाम सिलोन था ।
🔹 श्रीलंका को 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई । श्रीलंका एक सफल लोकतंत्र और सामाजिक , आर्थिक क्षेत्रों में अपनी अच्छी स्थिति के बावजूद सिंहली और तमिल समुदायों के जातीय संघर्ष का शिकार रहा है । सिहंली श्रीलंका के मूल निवासी थे तथा तमिल जो भारत से जाकर श्रीलंका जा बसे ।
श्रीलंका में जातीय संघर्ष : –
- श्रीलंका की जनसंख्या का लगभग 18 % भाग भारतीय मूल के तमिल हैं , जो श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रान्तों में बसे हुए हैं ।
- श्रीलंका की स्वतन्त्रता के बाद बहुसंख्यक सिंहलियों ने धर्म और भाषा के आधार पर एक नए राज्य के निर्माण के प्रयास शुरू कर दिए जिसका स्वाभाविक रूप से तमिलों ने विरोध किया ।
- श्रीलंका सरकार ने सिंहलियों के लिए नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं आदि सुविधाओं की व्यवस्था की जबकि तमिलों को इससे वंचित रखा ।
- सरकार की तमिलों के प्रति भेदभाव तथा उपेक्षा की नीति ने तमिलों को संगठित किया ।
- सन् 1983 में तमिल उग्रवादियों ने तमिल लिबरेशन टाइगर्स नामक संगठन बनाया । इस संगठन ने हिंसात्मक कार्यवाहियाँ प्रारम्भ कर दी और सरकार से सीधे संघर्ष की ठान ली ।
- धीरे – धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज होने लगा और विस्फोटक तथा व्यापक हत्याएँ की जाने लगी । मई 2009 में श्रीलंकाई सेना द्वारा लिट्टे ( LTTE ) प्रमुख प्रभाकरन के मारे जाने के पश्चात श्री लंका में वर्षों से चले आ रहे गृह युद्ध की समाप्ति हुई ।
भारत द्वारा श्रीलंका में शांति सेना भेजने का उद्देश्य : –
🔹 श्रीलंका की समस्या भारतवंशी तमिल लोगों से जुड़ी है । भारत की तमिल जनता का भारतीय सरकार पर दबाव था कि वह श्रीलंकाई तमिलों के हितों की रक्षा करें । भारत की सरकार ने श्रीलंका से एक समझौता किया तथा श्रीलंका सरकार और तमिलों के बीच रिश्ते सामान्य करने के लिए भारतीय सेना को भेजा ।
🔹 भारतीय सेना की उपस्थिति को श्रीलंका की जनता ने पसंद नहीं किया । उन्होने समझा कि भारत श्रीलंका के अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी कर रहा है । 1989 में भारत ने अपनी शांति सेना लक्ष्य हासिल किए बिना वापस बुला ली ।
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति : –
- गृहयुद्ध होने के बावजूद भी श्री लंका ने बहुत तेज़ गति से विकास किया ।
- श्री लंका जनसख्या नियंत्रण के मामले में सबसे सफल रहा ।
- दक्षिण एशिया में सभी देशों में से श्री लंका ने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया ।
भारत और श्रीलंका के मध्य मतभेद के कारण : –
🔶 समुद्री सीमा निर्धारण की समस्या :- भारत और श्रीलंका के बीच केवल 35 किलोमीटर चौड़ा पाक जल संयोजन स्थित है । दोनों देशों के इतने अधिक पास स्थित होने के कारण दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा के निर्धारण की समस्या उठती ही रही है तथा इससे दोनों देशों के संबंधों में उतार – चढ़ाव होते रहे हैं ।
🔶 तमिल समस्या :- तमिल समस्या भारत – श्रीलंका संबंधों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण निर्धारक तत्व है । इसी कारण भारत – श्रीलंका संबंधों में सर्वाधिक उतार – चढ़ाव होता रहा ।
🔶 श्रीलंका का पश्चिमी देशों की ओर झुकाव :- दोनों देशों के बीच मतभेद का कारण श्रीलंका का पश्चिमी देशों की ओर एक तरफा झुकाव का होना तथा सीटो का सदस्य बनना रहा है ।
मालदीव : –
🔹 1965 तक मालदीव ब्रिटिश सरकार के आधीन रहा था । 1965 में मालदीव को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली और राजा मुहम्मद फरीद दीदी के आधीन यह एक सल्तनत बन गया । 1968 में यह एक गणतंत्र बना और शासन की अध्यक्षात्मक प्रणाली अपनाई गई ।
🔹2005 के जून में मालदीव की संसद ने बहुदलीय प्रणाली को अपनाने के पक्ष में एक मत से मतदान दिया । मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी ( एम डी पी ) का देश के राजनीतिक मामलों में प्रभुत्व है । 2005 के चुनावों के बाद मालदीव में लोकतंत्र मजबूत हुआ है क्योंकि इस चुनाव में विपक्षी दलों को कानूनी मान्यता दे दी गई ।
मालदीव और भारत के संबंध : –
- मालदीव के साथ भारत के संबंध सौहार्दपूर्ण तथा गर्म जोशी से भरे हैं ।
- 1988 में मालदीव में भाड़े के सैनिकों द्वारा किए गए षडयंत्र को नाकाम करने के लिए भारत ने वहाँ सेना भेजी ।
- भारत ने मालदीव के आर्थिक विकास , पर्यटन और मत्स्य उद्योग में भी सहायता की है ।
- भारत – मालदीव ने नवंबर 2020 में चार समझौता ज्ञापन ( एमओयू ) पर हस्ताक्षर किए है जो की निम्न प्रकार से है :-
- उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।
- खेल और युवा मामलों के सहयोग पर मालदीव – भारत के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।
- जीएमसीपी ( Greater MALE Connectivity Project ) के लिए भारत के 500 मिलियन अमरीकी डालर के पैकेज के एक भाग के रूप में 100 मिलियन अमरीकी डालर के अनुदान के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं ।
दक्षिण एशिया के अपेक्षाकृत छोटे देशों के भारत के प्रति आशंका भरे व्यवहार के कारण : –
- विशाल आकार
- भौगोलिक विशिष्टता
- अत्यधिक जनसंख्या
- विशालकाय अर्थव्यवस्था
- बड़ी सैन्य शक्ति
- प्रौद्योगिकी ( तकनीक ) में बाकी से आगे
- अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान ।
- भारत के बारे में दुष्प्रचार ( चीन , पाकिस्तान , पश्चिमी मीडिया आदि के द्वारा )
🔹 मुख्य कारणों के कारण दक्षिण एशिया के अपेक्षाकृत छोटे देशों के भारत के प्रति आशंका भरे व्यवहार रखते है ।
दक्षिण एशिया के क्षेत्र में शान्ति और सहयोग बढ़ाने के तरीके : –
- दक्षिण एशिया के यह सभी देश मुक्त व्यापार पर सहमत हो ।
- यह सभी देश अपनी विवाद शांतिपूर्ण प्रयासों द्वारा हल करें ।
- गैर इलाकाई शक्तियों को इस क्षेत्र से अलग रखने का प्रयास करना चाहिए ।
- एकीकृत बाजार का गठन करें और आपसी व्यापार में वृद्धि करें ।
- दक्षिण एशिया के कई देशों में राजनैतिक स्थिरता का अभाव है , अतः राजनैतिक स्थिरता कायम करने की आवश्यकता है ।
- दक्षिण एशियाई देशों में आतंकवाद की समस्या है , जिसे समाप्त किया जाना चाहिए ।
- दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को अपनी समस्याएँ मिल – जुलकर हल करनी चाहिए ।
- दक्षिण एशिया क्षेत्र में व्याप्त निर्धनता और बेरोजगारी को समाप्त करना चाहिए ।