दो ध्रुवीयता का अंत Notes: Class 12 Political science chapter 2 notes in hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Political Science |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | दो ध्रुवीयता का अंत Notes |
Category | Political Science |
Medium | Hindi |
Class 12 political science chapter 2 notes in hindi, दो ध्रुवीयता का अंत notes इस अध्याय मे हम सोवियत संघ का विघटन , एकध्रुवीय विश्व , मध्य एशियाई संकट – अफगानिस्तान , खाड़ी युद्ध , लोकतान्त्रिक राजनीति और लोकतांत्रिकरण – CIS और 21 वीं सदी ( अरब स्प्रिंग ) के बारे में विस्तार से पड़ेगे ।
दो ध्रुवीयता का अर्थ : –
🔹वह व्यवस्था जिसमें दो महाशक्तियों का अस्तित्व होता है तथा जिनकी क्षमताएँ प्रायः तुलनात्मक होती हैं , उसे द्वि – ध्रुवीकरण कहते हैं ।
🔹 यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो विरोधी अथवा प्रतिपक्षी राज्य या ब्लॉक होते हैं तथा जिसमें दोनों एक – दूसरे को अपना शत्रु समझते हैं । दोनों ब्लॉक एक – दूसरे को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं ।
🔹 शीतयुद्ध के दौरान ‘ दो ध्रुवीय विश्व ‘ की उत्पत्ति हुई । एक खेमे का नेतृत्व अमेरिका के हाथों में था और दूसरे खेमे का नेता सोवियत संघ था । लेकिन साम्यवादी खेमे के विघटन के साथ ही दो ध्रुवीयता का भी अन्त हो गया ।
बर्निल की दीवार : –
🔹 बर्लिन की दीवार पूँजीवादी दुनिया और साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी । 1961 में बनी यह दीवार पश्चिमी बर्लिन को पूर्वी बर्लिन से अलग करती थी । 150 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी यह दीवार 28 वर्षों तक खड़ी रही और आखिरकार जनता ने इसे 9 नवंबर , 1989 को तोड़ दिया ।
CIS का अर्थ : –
🔹 Common Wealth of Indepedent States ( स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रकुल ) यह सोवियत संघ के विघटन के बाद 15 गणराज्यों का संघ बना । इसमें रूस एक गणराज्य रहा ।
सोवियत संघ ( U . S . S . R . ) : –
🔹 1917 की रूसी बोल्शेविक क्रांति के बाद समाजवादी सोवियत गणराज्य संघ ( U . S . S . R . ) अस्तित्व में आया ।
🔹 सोवियत संघ में कुल मिलाकर 15 गणराज्य थे अर्थात 15 अलग – अलग देशों को मिलाकर सोवियत संघ का निर्माण किया गया था ।
🔹 सोवियत संघ का निर्माण गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया । इसे समाजवाद और साम्यवादी विचारधारा के अनुसार बनाया गया ।
🔹 सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् स्वतन्त्र हुए गणराज्य निम्नलिखित हैं :-
- रूसी
- कजाकिस्तान
- एस्टोनिया
- लातविया
- लिथुआनिया
- बेलारूस
- यूक्रेन
- माल्दोवा
- अर्मेनिया
- जॉर्जिया
- अजरबैजान
- तुर्कमेनिस्तान
- उज्बेकिस्तान
- ताजिकिस्तान
- किर्गिजस्तान
सोवियत संघ को महाशक्ति बनाने वाले कारक : –
- द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् सोवियत संघ को एक महाशक्ति बनाने में निम्नलिखित कारकों ने योगदान दिया : –
🔹 संयुक्त राज्य अमेरिका की भाँति सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था भी विश्व के अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक विकसित अवस्था में थी ।
🔹 द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् सोवियत संघ की संचार प्रणाली में भी अनेक परिवर्तन आये । उस समय सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत अधिक उन्नत अवस्था में थी ।
🔹 सोवियत संघ के पास ऊर्जा संसाधनों के विशाल भंडार थे जिनमें खनिज तेल , लोहा , इस्पात एवं मशीनरी उत्पाद आदि सम्मिलित हैं । इन संसाधनों के बल पर सोवियत संघ ने अपना बहुत अधिक विकास किया और वह एक महाशक्ति के रूप में उभरने लगा ।
🔹 सोवियत संघ में यातायात के साधनों का पर्याप्त विकास हुआ । सोवियत संघ के दूर – दराज के इलाके भी आवागमन की सुव्यवस्थित एवं विशाल प्रणाली के कारण आपस में जुड़े हुए थे ।
🔹 सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत अधिक उन्नत अवस्था में था । यहाँ पिन से लेकर कार तक समस्त वस्तुओं का उत्पादन होता था । यद्यपि सोवियत संघ के उपभोक्ता उद्योग में निर्मित होने वाली वस्तुएँ गुणवत्ता के दृष्टिकोण से पश्चिमी देशों के स्तर के समकक्ष नहीं थी ।
🔹 सोवियत संघ की सरकार ने अपने देश के समस्त नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ प्रदान कर रखी थी , जिनमें शिक्षा स्वास्थ सुविधाएँ , बच्चों की देखभाल एवं यातायात सुविधाएँ आदि प्रमुख थी ।
लेनिन कौन था ?
🔹 व्लादिमीर लेनिन का जन्म सन् 1870 में तथा उसका देहांत सन् 1924 में हुआ । यह बोल्शेविक कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे । अक्टूबर 1917 की सफल रूसी क्रांति के नायक लेनिन सन् 1917-1924 तक सोवियत समाजवादी गणराज्य ( USSR ) के संस्थापक तथा अध्यक्ष रहे । वह मार्क्सवाद के सिद्धांत को व्यावहारिक रूप देने में अत्यन्त सफल रहे । लेनिन पूरी दुनिया में साम्यवाद के प्रेरणा स्रोत बने रहे ।
स्टालिन कौन था ?
🔹 जोसेफ स्टालिन ( सन् – 1879-1953 ) लेनिन के बाद सोवियत संघ का सर्वोच्च नेता एवं राष्ट्राध्यक्ष बना । उसने सोवियत संघ को मजबूत बनाने के दौर में सन् 1924 से 1953 तक नेतृत्व प्रदान किया । उसके काल में सोवियत संघ का तेजी से औद्योगिकरण हुआ । उसने खेती का बलपूर्वक सामूहिकीकरण कर दिया । उसे सन् 1930 के दशक से लेकर 1953 तक सोवियत संघ में तानाशाही की स्थापना के लिए जिम्मेदार माना जाता है ।
सोवियत प्रणाली : –
🔹 सोवियत प्रणाली वह व्यवस्था है जिसके द्वारा सोवियत संघ ने अपना विकास किया । सोवियत प्रणाली समाजवादी व्यवस्था पर आधारित थी । यह प्रणाली समतामूलक समाज और समाजवाद के आदर्शों पर आधारित थी । यह निजी संपत्ति की संस्था का विरोध करके समाज को समानता के सिद्धांत पर व्यवस्थित करना चाहती थी ।
🔹 सोवियत प्रणाली के निर्माताओं ने पार्टी की संस्था को सर्वाधिक महत्व दिया इसलिए सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी साम्यवादी पार्टी थी । जिसमें किसी अन्य दल या विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं थी । अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में थी ।
सोवियत प्रणाली की विशेषता : –
🔹 सोवियत संघ की राजनीतिक प्रणाली समाजवादी व्यवस्था पर आधारित थी ।
🔹 सोवियत प्रणाली आदर्शों एवं समतावादी समाज पर बल देती है ।
🔹 सोवियत प्रणाली पूँजीवादी एवं मुक्त व्यापार के विरुद्ध थी ।
🔹 सोवियत प्रणाली में कम्युनिस्ट पार्टी को अधिक महत्व दिया जाता था । अर्थात कम्यूनिस्ट पार्टी का दबदबा था ।
🔹 सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी । इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा नियंत्रण था ।
🔹 सोवियत आर्थिक प्रणाली योजनाबद्ध एवं राज्य के नियंत्रण में थी ।
🔹 सोवियत संघ में सम्पत्ति पर राज्य का स्वामित्व एवं नियंत्रण था ।
🔹 सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत उन्नत थी ।
🔹 न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा थी बेरोजगारी न के बराबर थी ।
सोवियत प्रणाली की खामियाँ : –
🔹 सोवियत प्रणाली में नागरिकों का वास्तविक प्रतिनिधित्व नहीं होता था और शासन पर साम्यवादी दल के नेताओं तथा नौकरशाही का नियंत्रण था ।
🔹 नागरिकों को शासन की कमियों को उजागर करने की स्वतंत्रता नहीं थी । आम नागरिक , शासन और साम्यवादी दल की आलोचना नहीं कर सकते थे ।
🔹 नागरिकों का जीवन कठिन था , जबकि दल के नेता और सरकारी कर्मचारी अच्छे जीवनयापन करते थे ।
🔹 साम्यवादी दल तथा शासन संस्था , जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं थी । उत्तरदायी के अभाव के कारण शक्ति का दुरुपयोग होता था ।
🔹 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न होने के कारण जनता में शासन के विरुद्ध अंदर ही अंदर आक्रोश बढ़ता जा रहा था ।
🔹 सोवियत संघ अपने नागरिकों की राजनीतिक और आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सका ।
🔹 शासन की सारी शक्ति रूस में केन्द्रित थी जबकि वह 15 गणराज्यों में से एक था । इससे अन्य गणराज्य और उनकी जनता उपेक्षित महसूस करती थी ।
दूसरी दुनिया के देश : –
🔹 पूर्वी यूरोप के देशों को समाजवादी प्रणाली की तर्ज पर ढाला गया था , इन्हें ही समाजवादी खेमे के देश या दूसरी दुनिया कहा गया ।
साम्यवादी सोवियत अर्थव्यवस्था तथा पूँजीवादी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अंतर :-
सोवियत अर्थव्यवस्था | अमेरिका की अर्थव्यवस्था |
( i ) राज्य द्वारा पूर्ण रूपेण नियंत्रित | ( i ) राज्य का न्यूनतम हस्तक्षेप |
( ii ) योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था | ( ii ) स्वतंत्र आर्थिक प्रतियोगिता पर आधारित |
( iii ) व्यक्तिगत पूंजी का अस्तित्व नहीं | ( iii ) व्यक्तिगत पूंजी की महत्ता । |
( iv ) समाजवादी आदर्शो से प्रेरित | ( iv ) अधिकतम लाभ के पूंजीवादी सिद्धांत । |
( v ) उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व । | ( v ) उत्पादन के साधनों पर बाजार का नियंत्रण । |
मिखाइल गोर्बाचेव कौन था ?
🔹 मिखाइल गोर्बाचेव का जन्म सन् 1931 में हुआ । वह सोवियत संघ के अंतिम राष्ट्रपति ( 1985 से 1991 ई ) रहे । उसका नाम रूसी इतिहास में सुधारों के लिए जाना जाता है । उन्होंने पेरेस्त्रोइका ( पूनर्रचना ) और ग्लासनोस्त ( खुलेपन ) के आर्थिक और राजनीतिक सुधार शुरू किए ।
मिखाइल गोर्बाचेव की उपलब्धियाँ : –
- गोर्बाचेव ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हथियारों की होड़ पर रोक लगाई ।
- उन्होंने अफगानिस्तान और पूर्वी यूरोप से सोवियत सेना वापस बुलाई ।
- यह अंतर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने की दृष्टि से उनका एक बहुत ही अच्छा कार्य था ।
- वह जर्मनी के एकीकरण में सहायक बने ।
- उन्होंने शीतयुद्ध समाप्त किया ।
🔹 उन पर सोवियत संघ के विघटन का आरोप लगाया जाता है ।