प्रथम खाड़ी युद्ध ( ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म ) : –
🔹 1990 के अगस्त में इराक ने कुवैत पर हमला किया और बड़ी तेजी से उस पर कब्ज़ा जमा लिया । सभी देशों द्वारा इराक को समझाने की कोशिश की गई की यह गलत है लेकिन इराक नहीं माना तब संयुक्त राष्ट्र संघ ( U.N ) ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल – प्रयोग की अनुमति दे दी । संयुक्त राष्ट्रसंघ के इस सैन्य अभियान को ‘ ऑपरेशन डेजर्ट स्टार्म ‘ कहा जाता है ।
🔹 संघ ( U.N ) का यह फैसला नाटकीय फैसला कहलाया क्योंकि ( U.N ) ने शीत युद्ध से अब तक इतना बड़ा फैसला नहीं लिया जॉर्ज बुश ने इस नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी ।
🔹 एक अमरीकी जनरल नार्मन श्वार्जकॉव इस सैन्य – अभियान के प्रमुख थे और 34 देशों की इस मिली जुली सेना में 75 प्रतिशत सैनिक अमरीका के ही थे । हालाँकि इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कहा था कि यह ‘ सौ जंगों की एक जंग ‘ साबित होगी लेकिन इराकी सेना जल्दी ही हार गई और उसे कुवैत से हटने पर मजबूर होना पड़ा ।
कंप्यूटर युद्ध : –
🔹 प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान अमरीका की सैन्य क्षमता अन्य देशो की तुलना में कही अधिक थी । अमरीका ने प्रथम खाड़ी युद्ध में ‘ स्मार्ट बमों का प्रयोग किया । इसके चलते कुछ पर्यवेक्षकों ने इसे ‘ कंप्यूटर युद्ध ‘ की संज्ञा दी ।
🔹 इस युद्ध की टेलीविज़न पर बहुत ज्यादा कवरेज हुई इस कारण से इसे वीडियो गेम वॉर भी कहा जाता है ।
अमेरिकी दूतावास पर हमला : –
🔹 केन्या (नरोनी) में बने अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ । एव डरे सलाम (तंजानिया) में बने अमेरिकी दूतावास पर भी हमला हुआ ।
🔹 हमले की जिम्मेदारी “अल कायदा” को बताया गया आतंकवादी संगठन को इसका जिम्मेदार बताया गया।
ऑपरेशन इनफाइनाइट रिच : –
🔹 युद्ध के जवाब में 1998 में बिल क्लिंटन ने “ऑपरेशन इनफाइनाइट रिच” चलाया।
🔹 ऑपरेशन में उन्होंने सूडान और अफगानिस्तान के आतंकवादी ठिकाने पर “क्रूज मिसाइल” से हमला किया।
11 सितम्बर ( 9/11 ) की घटना : –
🔹 11 सितम्बर 2001 को अलकायदा के 19 आतंकियों ने अमेरिका के चार व्यवसायिक विमानों को कब्जे में ले लिया । अपहरणकर्ता इन विमानों को अमरीका की महत्त्वपूर्ण इमारतों की सीध में उड़ाकर ले गये ।
🔹 दो विमान न्यूयार्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टावर से टकराए ।
🔹 तीसरा विमान पेंटागन ( रक्षा विभाग का मुख्यालय ) की बिल्डिंग से टकराया ।
🔹 चौथे विमान को अमरीकी कांग्रेस की मुख्य इमारत से टकराना था लेकिन वह पेन्सिलवेनिया के एक खेत में गिर गया । इस हमले को ‘ 9 / 11’ कहा जाता है ।
9 / 11 की घटना के परिणाम : –
🔹 इस घटना से पूरा विश्व हिल सा गया । अमरीकियों के लिए यह दिल दहला देने वाली घटना थी ।
🔹 इस हमले में लगभग 3 हजार व्यक्ति मारे गये ।
ऑपरेशन एडयूरिंग फ्रीडम : –
🔹 आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी युद्ध के अंग के रूप में अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज w बुश ने 2001 में ‘ ऑपरेशन एन्डयूरिंग प्रफीडम ‘ चलाया ।
🔹 यह अभियान उन सभी के खिलाफ चला जिन पर 9 / 11 की घटना का शक था । इस अभियान में मुख्य निशाना अलकायदा और अपफगानिस्तान के तालिबान शासन को बनाया गया ।
🔹 ऑपरेशन एन्डयूरिंग प्रफीडम का यह परिणाम निकला कि तालिबान की समाप्ति हो गई और अलकायदा का कमजोर पड़ गया ।
9 / 11 के बाद अमरीका द्वारा बनाए गए बंदी : –
🔹 अमरीकी सेना ने पूरे विश्व में गिरफ्तारियाँ कीं । अक्सर गिरफ्तार में लोगों के बारे में उनकी सरकार को जानकारी नहीं दी गई ।
🔹 गिरफ्तार लोगों को अलग – अलग देशों में भेजा गया और उन्हें खुफिया जेलखानों में रखा गया । क्यूबा के निकट अमरीकी नौसेना का एक ठिकाना ग्वांतानामो बे में है । कुछ बंदियों को वहाँ रखा गया ।
🔹 इस जगह रखे गए बंदियों को न तो अंतर्राष्ट्रीय कानूनों की सुरक्षा प्राप्त है और न ही अपने देश या अमरीका के कानूनों की । संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतिनिधियों तक को इन बंदियों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई ।
द्वितीय खाड़ी युद्ध ( ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम ) : –
🔹 19 मार्च 2003 में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमति के बिना ही इराक पर हमला कर दिया। जिसे ऑपरेशन इराकी फ्रीडम कहा । दिखावे के लिए अमेरिका ने कहा कि इराक खतरनाक हथियार बना रहा है । लेकिन बाद में पता चला कि इराक में कोई खतरनाक हथियार नहीं है ।
🔹 हमले के पीछे उपदेश = अमेरिका इराक के तेल भंडार पर कब्जा और इराक में अपनी मनपसंद सरकार बनाना चाहता था ।
🔹 इस के बाद सद्दाम हुसैन का अंत हो गया साथ ही बहुत से आम नागरिक भी मरे गए। पूरा विश्व ने इस बात की आलोचना की थी। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश थे। ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम को सैन्य और राजनीतिक धरातल पर असफल माना गया क्योंकि इसमें 3000 अमेरिकी सैनिक, बड़ी संख्या में इराकी सैनिक तथा 50000 निर्दोष नागरिक मरे गए थे ।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के मुख्य उद्देश्य : –
- ईराक को सामूहिक संहार के हथियार बनाने से रोकना और हथियारों को नष्ट करना ।
- ईराक के तानाशाही व आतंकवादी गतिविधियों के गढ़ व तानाशाह सद्दाम हुसैन को समाप्त करना अमेरिका के मुख्य उद्देश्य थे ।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के छिपे हुए उद्देश्य :-
- अमेरिका का ईराक के तेल- भंडार पर नियंत्रण स्थापित करना ।
- ईराक में अमेरिका की मनपंसद सरकार स्थापित करना ।
ऑपरेशन इराकी फ्रीडम के परिणाम : –
- विश्व में अमरीकी शक्ति या वर्चस्व में और अधिक विस्तार हो गया ।
- अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की बात न मानकर विश्व को यह दिखा दिया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ भी अमरीका के ही हाथों में हैं ।
- इसके बाद अमेरिका की शक्ति विश्व में और अधिक बढ़ गयी ।
अरब स्प्रिंग : –
🔹 21 वीं शताब्दी में पश्चिम एशियाई देशों में लोकतंत्र के लिए विरोध प्रदर्शन और जन आंदोलन शुरू हुए । ऐसे ही एक आंदोलन को अरब स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है । इसकी शुरुआत ट्यूनीशिया में 2010 में मोहम्मद बउज़िज़ी के आत्मदाह के साथ हुई ।
विरोध प्रदर्शन के तरीके : –
- (i) हड़ताल
- (ii) धरना
- (iii) मार्च
- (iv) रैली
विरोध का कारण : –
- (i) जनता का असंतोष
- (ii) गरीबी
- (iii) तानाशाही
- (iv) मानव अधिकार उल्लंघन
- (v) भ्रष्टाचार
- (vi) बेरोजगारी
अरब स्प्रिंग ( अरब क्रांति ) : –
🔹 21 वीं शताब्दी में लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं तथा पश्चिम एशियाई देशों में लोकतांत्रिकरण के लिए नए विकास का उदय हुआ । इस प्रकार की एक परिघटना को अरब स्प्रिंग के रूप में जाना जाता है जिसका आरंभ 2009 में हुआ ट्यूनीशिया में प्रारंभ हुए अरब स्प्रिंग ने अपनी जड़े जमा ली जहां जनता द्वारा भ्रष्टाचार , बेरोजगारी तथा निर्धनता के विरुद्ध संघर्ष प्रारंभ किया गया यह संघर्ष एक राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया क्योंकि जनता तत्कालीन समस्याओं को निरंकुश तानाशाही का परिणाम मानती थी ।
🔹 टयूनीशिया में उचित लोकतंत्र की मांग पश्चिम एशिया के मुस्लिम बहुल अरब देशों में फैल गई । होस्नी मुबारक , जो 1979 के पश्चात में मिस्त्र में सत्ता में थे , एक बड़े स्तर पर लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के परिणाम स्वरूप ध्वस्त हो गए । इसके अतिरिक्त अरब क्रांति का प्रभाव यमन , बहरीन , लीबिया तथा सीरिया जैसे अरब देशों में भी देखा गया जहां जनता द्वारा इसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र में लोकतांत्रिक जागृति को जन्म दिया ।
लोकतांत्रिक राजनीति और लोकतंत्रीकरण – CIS : –
🔹 स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल ( Commonwealth of Independent states ) का गठन 1991 में हुआ | CIS में सोवियत संघ के विघटन के बाद हुआ ।
🔹 CIS में पूर्व सोवियत संघ के 15 में से 12 सदस्य शामिल हुए । आर्मेनिया , अजरबैजान , माल्दोवा , कज़ाकिस्तान , किरगिझस्तान , ताजिकिस्तान , तुर्कमेनिस्तान , जार्जिया बेलारूस , रूस , यूकेन , उजबेकिस्तान , वर्तमान में केवल , 9 देश CIS में शामिल ( जार्जिया और यूक्रेन औपचारिक रूप से राष्ट्रकुल का हिस्सा नहीं )
🔹 2003 की ‘ गुलाब क्रांति ( जार्जिया ) और यूक्रेन की आरेन्ज क्रांति ( 2004 ) ने स्वतंत्र राष्ट्रो के राष्ट्रकुल के लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की है ।
🔹 तजाकिस्तान और किरगिझस्तान 2005 में लोकतांत्रिक चुनाव हुए । इस क्षेत्र में लोकतंत्रीकरण की प्रक्रिया चल रही है उदाहरण – नागरिकों को अधिकार , चुनाव प्रक्रिया होना , संविधान निर्माण आदि लोकतंत्र को सशक्त करने के कुछ उपाय अपनाए जा रहे ।