Class 12 Political science chapter 9 notes in hindi, वैश्वीकरण Class 12 notes

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वैश्वीकरण Class 12 notes: Class 12 political science chapter 9 notes in hindi

TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPolitical Science
ChapterChapter 9
Chapter Nameवैश्वीकरण Notes
CategoryClass 12 Political Science
MediumHindi

Class 12 political science chapter 9 notes in hindi, वैश्वीकरण class 12 notes इस अध्याय मे हम वैश्वीकरणः अर्थ , अभिव्यक्तियाँ और वाद – विवाद के बारे में विस्तार से पड़ेगे ।

वैश्वीकरण : –

🔹 वैश्वीकरण बहुआयामी प्रक्रिया है , जिसमें हम अपने निर्णयों को दुनिया के एक क्षेत्रों में कार्यान्वित करते हैं , जो दुनिया के दूरवर्ती क्षेत्र में व्यक्तियों के व्यवहार के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

🔹 एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व ‘ प्रवाह ‘ है । प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे – वस्तुओं , पूँजी , श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह । 

🔹 वैश्वीकरण को भूमण्डलीयकरण भी कहते है और यह एक बहुआयामी अवधारणाा है । यह न तो केवल आर्थिक परिघटना है और न ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना ।

वैश्वीकरण के उदाहरण : –

  • विभिन्न विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता ।
  • युवाओं को कैरियर के विभिन्न नए अवसरों का मिलना । 
  • किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर एवं समयानुसार सेवा प्रदान करना ।
  • फसल के खराब हो जाने से कुछ किसानों द्वारा आत्म – हत्या कर लेना । 
  • अनेक खुदरा ( रिटेल ) व्यापारियों को डर है कि रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( FDI ) लागू होने से बड़ी रिटेल कम्पनियाँ आयेंगी और उनका रोजगार छिन जायेगा । 
  • लोगों के बीच आर्थिक असमानता में वृद्धि । 

नोट :- ये उदाहरण सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकृति के हो सकते है ।

वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव : –

  • वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह ।
  • रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना ।
  • तकनीक एवं शिक्षा का अदान – प्रदान ।
  • जीवन शैली में परिवर्तन ।
  • विश्व के लोगो से जुडाव ।
  • आर्थिक मजबूती प्रदान करना एवं आत्मनिर्भर बनाना ।

वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव : –

  • लघु – कुटीर उद्योग का पतन ।
  • आमिर अधिक अमीर और गरीब और गरीब हो जाता है ।
  • सांस्कृतिक पतन ।
  • आर्थिक गतिविधियों का विदेशी कंपनियों का वर्चश्व ।
  • पूंजीपतियों का वर्चश्व 

वैश्वीकरण के कारण : –

🔹 उन्नत प्रौद्योगिकी एवं विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक ग्राम बन गया है ।

🔹 टेलीग्राफ , टेलीफोन , माइक्रोचिप , इंटरनेट एवं अन्य सूचना तकनीकी साधनों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है । 

🔹 पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे सुनामी , जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापवृद्धि से निपटने हेतू अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग । 

वैश्वीकरण की विशेषताएँ : –

  • पूंजी , श्रम , वस्तु एवं विचारों का गतिशील एवं मुक्त प्रवाह । 
  • पूंजीवादी व्यवस्था , खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि ।
  • देशों के बीच आपसी जुड़ाव एवं अन्तः निर्भरता ।
  • विभिन्न आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स , कोविड -19 इबोला , HIV AIDS , स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव ।

वैश्वीकरण की अभिव्यक्तियाँ : –

  • ( i ) राजनीतिक 
  • ( ii ) आर्थिक 
  • ( iii ) सांस्कृतिक 

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव : –

🔹 वैश्वीकरण से राज्य की क्षमता में कमी आई है । राज्य अब कुछ मुख्य कार्यों जैसे कानून व्यवस्था बनाना तथा सुरक्षा तक ही सीमित है ।

🔹 अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है । 

🔹 राज्य की प्रधानता बरकरार है तथा उसे वैश्वीकरण से कोई खास चुनौती नहीं मिल रही । 

🔹 इस पहलू के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है और कारगर ढंग से कार्य कर सकते है । अतः राज्य अधिक ताकतवर हुए है । 

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव : –

🔹 अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्वबैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसे :- अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण । इन संस्थाओं में धनी , प्रभावशाली एवं विकसित देशों का प्रभुत्व । 

🔹 आयात प्रतिबंधो में अत्यधिक कमी । 

🔹 पूंजी के प्रवाह से पूंजीवादी देशों को लाभ परन्तु श्रम के निर्बाध प्रवाह न होने के कारण विकासशील देशों को कम नाम । 

🔹 विकसित देशों द्वारा वीजा नीति द्वारा लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध । 

🔹 वैश्वीकरण के कारण सरकारे अपने सामाजिक सरोकारों से मुंह मोड़ रही है उसके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की आवश्यकता है ।

🔹 वैश्वीकरण के आलोचक कहते है कि इससे समाजों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है । 

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव : –

  • सांस्कृतिक समरूपता द्वारा विश्व में पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा । 
  • खाने – पीने एवं पहनावे में विकल्पों की संख्या में वृद्धि । 
  • लोगों में सांस्कृतिक परिवर्तनों पर दुविधा । 
  • संस्कृतियों की मौलिकता पर बुरा असर ।
  • सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण जिसमें प्रत्येक संस्कृति कही ज्यादा अलग और विशिष्ट हो रही है ।

भारत और वैश्वीकरण : –

🔹 आजादी के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाकर अपने घरेलू उत्पादों पर जोर दिया ताकि भारत आत्मनिर्भर रहे ।

🔹 1991 में लागू नई आर्थिक नीति द्वारा भारत वैश्वीकरण के लिए तैयार हुआ और खुलेपन की नीति अपनाई । 

🔹 वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है । जो 1990 में 5.5 प्रतिशत वार्षिक थी । 

🔹 भारत के अनिवासी भारतीय विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है ।

🔹 भारत के लोग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रहे है ।

🔹 आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हुए है । 

वैश्वीकरण का विरोध : –

🔹 वामपंथी विचारक इसके विभिन्न पक्षों की आलोचना करते है । 

🔹 राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है । 

🔹 आर्थिक क्षेत्र में वे कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता एवं संरक्षण वाद का दौर कायम करना चाहते है ।

🔹 सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो देंगे । 

🔹 वर्ल्ड सोशल फोरम ( WSF ) नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता , पर्यावरणवादी मजदूर , युवा और महिला कार्यकर्ता आते है । 

🔹 1999 में सिएट्ल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री – स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिसका कारण आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर – तरीकों के विरोध में हुआ । 

सांस्कृतिक समरूपता : –

🔹 सांस्कृतिक समरूपता का अर्थ है पश्चिमी संस्कृति का पूरे विश्व में फैलना ताकि वह एक वैश्विक संस्कृति का रूप ले सके । 

सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण : –

🔹 सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण में विभिन्न संस्कृतियाँ दूसरी संस्कृतियों की अच्छी बातों को अपनी संस्कृति में शामिल करती है जिस कारण प्रत्येक संस्कृति अनूठी बन रही है ।

संरक्षणवाद : –

🔹 1991 से पहले अपने घरेलू उत्पादों को बचाने एवं एकाधिकार बनाएँ रखने हेतु विदेशी कम्पनियों पर प्रतिबंध लगाना संरक्षणवाद कहलाता है ।

सामाजिक सुरक्षा कवच : –

🔹 आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा , स्वास्थ्य , साफ – सफाई एवं नौकरी की सुविधा सरकार द्वारा उपलब्ध करवाना सामाजिक सुरक्षा कवच कहलाता है ।

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