समास की परिभाषा , भेद और उदाहरण Samas in Hindi – हिन्दी व्याकरण

समास ( samas in hindi ) – समास किसे कहते हैं ( samas kise kahate hain ) , समास के प्रकार ( Aur samas ke bhed ) A Complete Guide

समास का अर्थ ( samas ka arth )

समास शब्द दो शब्दों ‘ सम् ‘ ( संक्षिप्त ) एवं ‘ आस ‘ ( कथन / शब्द ) के मेल से बना है जिसका अर्थ है – संक्षिप्त कथन या शब्द । समास प्रक्रिया में शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है ।

समास का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ( samas ka shabdik arth kya hota hai )

समास का शाब्दिक अर्थ होता है – संक्षेप या संक्षिप्त या संक्षिप्तीकरण

समास किसे कहते हैं ( samas kise kahate hain )

समास की परिभाषा ( samas ki paribhasha ) :-

🔹 दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिल कर बने हुए नए सार्थक शब्द को समास कहते हैं ।

🔹 ‘ संक्षिप्तिकरण ‘ को समास कहते है । दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है । दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं ।

समास के उदाहरण ( samas ke udaharan )

  • उदाहरण :- ‘ दया का सागर ‘ का सामासिक शब्द बनता है ‘ दयासागर ‘ । इस उदाहरण में ‘ दया ‘ और ‘ सागर ‘ इन दो शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले ‘ का ‘ प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब्द बना ‘ दयासागर ‘
  • उदाहरण :- ‘ रसोई के घर ‘ का सामासिक शब्द बनता है ‘ रसोईघर ‘ । इस उदाहरण में ‘ रसोई ‘ और ‘ घर ‘ इन दो शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले ‘ के ‘ प्रत्यय का लोप होकर एक स्वतन्त्र शब्द बना ‘ रसोईघर ‘ । 

समस्त – पद / सामासिक पद  

🔹 समास के नियमों से बना शब्द समस्त पद या सामासिक शब्द कहलाता है । 

समास विग्रह ( samas vigrah )

🔹 सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करना समास – विग्रह कहलाता है । 

🔹 समस्त पद के सभी पदों को अलग – अलग किए जाने की प्रक्रिया समास – विग्रह या व्यास कहलाती है ।

समास विग्रह के उदाहरण :-

  • ‘ नील कमल ‘ का विग्रह ‘ नीला है जो कमल ‘ ।
  • ‘ चौराहा ‘ का विग्रह है ‘ चार राहों का समूह ‘ ।
  • ‘ राजपुत्र ‘ का विग्रह है ‘ राजा का पुत्र ‘ ।
  • ‘ देशवासी ‘ का विग्रह है ‘ देश का वासी ‘ ।
  • ‘ हिमालय ‘ का विग्रह है ‘ हिम का आलय ‘ ।

समास की विशेषताएं

🔹 समास रचना में प्रायः दो पद होते हैं । पहले को पूर्वपद और दूसरे को उत्तरपद कहते हैं , जैसे :- राजपुत्र ‘ में पूर्वपद ‘ राज ‘ है और उत्तरपद ‘ पुत्र ‘ है । 

🔹 समास प्रक्रिया में पदों के बीच की विभक्तियाँ लुप्त हो जाती हैं , जैसे :- राजा का पुत्र = राजपुत्र । यहाँ ‘ का ‘ विभक्ति लुप्त हो गई ।

🔹 इसके अलावा कई शब्दों में कुछ विकार भी आ जाता है ; जैसे :- काठ की पुतली = कठपुतली ( काठ के ‘ का ‘ का ‘ क ‘ बन जाना ) ; घोड़े का सवार = घुड़सवार ( घोड़े के ‘ घो ‘ का ‘ घु ‘ बन जाना ) ।

समास का विलोम क्या है ?

🔹 समास का विलोम व्यास होता है ।

समास के कितने भेद होते हैं ( samas ke kitne bhed hote hain )

🔹 समास के छह मुख्य भेद हैं ।

समास के भेद ( samas ke bhed )

  1. अव्ययीभाव समास ( avyayibhav samas )
  2. तत्पुरुष समास ( tatpurush samas )
  3. कर्मधारय समास ( karmadharaya samas )
  4. द्विगु समास  ( dvigu samas )
  5. द्वन्द्व समास ( dwand samas )
  6. बहुव्रीहि समास ( bahuvrihi samas )

1. अव्ययीभाव समास ( avyayibhav samas )

अव्ययीभाव समास की परिभाषा ( avyayibhav samas ki paribhasha )

🔹 जिस समास का पहला पद ( पूर्वपद ) अव्यय तथा प्रधान हो , उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं ।

🔹 अव्ययीभाव समास की पहचान :- पहला पद अनु , आ , प्रति , भर , यथा , यावत , हर आदि होता है

अव्ययीभाव समास के उदाहरण ( avyayibhav samas ke udaharan )

  • ( समस्त पद ) = ( विग्रह ) 
  • यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार 
  • यथाक्रम = क्रम के अनुसार 
  • यथानियम = नियम के अनुसार 
  • प्रतिदिन = प्रत्येक दिन 
  • प्रतिवर्ष = हर वर्ष 
  • आजन्म = जन्म से लेकर 
  • यथासाध्य = जितना साधा जा सके 
  • घडाघड = घड – घड की आवाज के साथ 
  • घर – घर = प्रत्येक घर 
  • रातों रात = रात ही रात में 
  • आमरण = म्रत्यु तक 
  • यथाकाम = इच्छानुसार 
  • निर्भय = बिना भय के 
  • निर्विवाद = बिना विवाद के 
  • निर्विकार = बिना विकार के 
  • प्रतिपल = हर पल 
  • अनुकूल = मन के अनुसार 
  • अनुरूप = रूप के अनुसार
  • यथासमय = समय के अनुसार 
  • यथाशीघ्र = शीघ्रता से 
  • अकारण = बिना कारण के 
  • यथाविधि = विधि के अनुसार 
  • भरपेट = पेट भरकर 
  • हाथोंहाथ = हाथ ही हाथ में 
  • बेशक = शक के बिना
  • खुबसूरत = अच्छी सूरत वाली
  • यथास्थान = स्थान के अनुसार 
  • अभूतपूर्व = जो पहले नहीं हुआ

2. तत्पुरुष समास ( tatpurush samas )

तत्पुरुष समास की परिभाषा ( tatpurush samas ki paribhasha )

🔹 जिस समास में बाद का अथवा उत्तरपद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक चिह्न लुप्त जाता है , उसे तत्पुरुष समास कहते हैं । 

🔹 जिस समास में पूर्वपद गौण तथा उत्तरपद प्रधान हो , तत्पुरुष समास कहलाता है । दोनों पदों के बीच परसर्ग का लोप रहता है । 

तत्पुरुष समास के उदाहरण ( tatpurush samas ke udaharan )

  • देश के लिए भक्ति = देशभक्ति 
  • राजा का पुत्र = राजपुत्र 
  • शर से आहत = शराहत 
  • राह के लिए खर्च = राहखर्च 
  • तुलसी द्वारा कृत = तुलसीदासकृत 
  • राजा का महल = राजमहल 
  • राजा का कुमार = राजकुमार 
  • धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ 
  • रचना करने वाला = रचनाकार

तत्पुरुष समास के भेद ( tatpurush samas ke bhed )

🔹 विभक्तियों के नामों के अनुसार छह भेद हैं :-

  • कर्म तत्पुरुष समास
  • करण तत्पुरुष समास
  • सम्प्रदान तत्पुरुष समास
  • अपादान तत्पुरुष समास
  • सम्बन्ध तत्पुरुष समास
  • अधिकरण तत्पुरुष समास

♦️ ( i ) कर्म तत्पुरुष समास :- इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘ को ‘ का लोप हो जाता है । उदाहरण :-

  • गुगन को चूमने वाला = गगनचुंबी
  • यश को प्राप्त = यशप्राप्त 
  • चिड़ियों को मारने वाला = चिड़ीमार 
  • ग्राम को गया हुआ = ग्रामगत 
  • रथ को चलाने वाला = रथचालक 
  • जेब को कतरने वाला = जेबकतरा 

♦️ ( ii ) करण तत्पुरुष समास :- इसमें करण कारक की विभक्ति ‘ से ‘ , ‘ के द्वारा ‘ का लोप हो जाता है । उदाहरण :-

  • करुणा से पूर्ण = करुणापूर्ण 
  • भय से आकुल = भयाकुल 
  • रेखा से अंकित = रेखांकित 
  • शोक से ग्रस्त = शोकग्रस्त 
  • मद से अंधा = मदांध 
  • मन से चाहा = मनचाहा  
  • पद से दलित = पददलित 
  • सूर द्वारा रचित = सूररचित 

♦️ ( iii ) संप्रदान तत्पुरुष समास :- इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘ के लिए ‘ लुप्त हो जाती है । उदाहरण :- 

  • प्रयोग के लिए शाला = प्रयोगशाला 
  • स्नान के लिए घर = स्नानघर 
  • यज्ञ के लिए शाला = यज्ञशाला 
  • गौ के लिए शाला = गौशाला 
  • देश के लिए भक्ति = देशभक्ति 
  • डाक के लिए गाड़ी = डाकगाड़ी 
  • परीक्षा के लिए भवन = परीक्षा भवन  
  • हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी 

♦️ ( iv ) अपादान तत्पुरुष समास :- इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘ से ‘ ( अलग होने का भाव ) लुप्त हो जाती है । उदाहरण :- 

  • धन से हीन = धनहीन
  • ऋण से मुक्त = ऋणमुक्त 
  • पथ से भ्रष्ट = पथभ्रष्ट 
  • गुण से हीन = गुणहीन
  • पाप से मुक्त = पापमुक्त 
  • पद से च्युत = पदच्युत
  • देश से निकाला = देशनिकाला 
  • जल से हीन = जलहीन

♦️ ( v ) संबंध तत्पुरुष समास :- इसमें संबंधकारक की विभक्ति ‘ का ‘ , ‘ के ‘ , ‘ की ‘ लुप्त हो जाती है । उदाहरण :-

  • राजा का पुत्र = राजपुत्र
  • राजा की आज्ञा = राजाज्ञा
  • देश की रक्षा = देशरक्षा 
  • शिव का आलय = शिवालय 
  • पर के अधीन = पराधीन 
  • गृह का स्वामी = गृहस्वामी
  • विद्या का सागर = विद्यासागर  
  • राजा का कुमार = राजकुमार  

♦️ ( vi ) अधिकरण तत्पुरुष समास :- इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘ में ‘ तथा ‘ पर ‘ लुप्त हो जाती है । उदाहरण :- 

  • शोक में मग्न = शोकमग्न 
  • लोक में प्रिय = लोकप्रिय 
  • पुरुषों में उत्तम = पुरुषोत्तम 
  • धर्म में वीर = धर्मवीर 
  • कला में श्रेष्ठ = कला श्रेष्ठ 
  • आप पर बीती = आपबीती
  • गृह में प्रवेश = गृहप्रवेश  
  • आनंद में मग्न = आनंदमग्न

नोट :- तत्पुरुष समास के उपर्युक्त भेदों के अलावे कुछ अन्य भेद भी हैं , जिनमें प्रमुख है नञ् समास । 

♦️ नञ् समास :- जिस समास के पूर्व पद में निषेधसूचक / नकारात्मक शब्द ( अ , अन् , न , ना , गैर आदि ) लगे हों ; जैसे :- अधर्म ( न धर्म ) , अनिष्ट ( न इष्ट ) , अनावश्यक ( न आवश्यक ) , नापसंद ( न पसंद ) , गैरवाजिब ( न वाजिब ) आदि ।


3. कर्मधारय समास ( karmadharaya samas )

कर्मधारय समास की परिभाषा ( karmadharaya samas ki paribhasha )

🔹 जिस सामासिक शब्द का उत्तर पद प्रधान हो और पूर्वपद का उत्तरपद में विशेषण- विशेष्य अथवा उपमान उपमेय का संबंध हो , वह कर्मधारय समास कहलाता है ।

कर्मधारय समास के उदाहरण ( karmadharaya samas ke udaharan )

  • चरणकमल = कमल के समान चरण 
  • नीलगगन = नीला है जो गगन 
  • चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
  • पीताम्बर = पीत है जो अम्बर 
  • महात्मा = महान है जो आत्मा 
  • लालमणि = लाल है जो मणि 
  • महादेव = महान है जो देव 
  • देहलता = देह रूपी लता 
  • नवयुवक = नव है जो युवक 
  • अधमरा = आधा है जो मरा 
  • प्राणप्रिय = प्राणों से प्रिय
  • श्यामसुंदर = श्याम जो सुंदर है
  • नीलकंठ – नीला है जो कंठ  
  • महापुरुष = महान है जो पुरुष 
  • नरसिंह = नर में सिंह के समान 
  • कनकलता = कनक की सी लता 
  • नीलकमल = नीला है जो कमल 
  • परमानन्द = परम है जो आनंद 
  • सज्जन = सत् है जो जन 
  • कमलनयन = कमल के समान नयन

4. द्विगु समास  ( dvigu samas )

द्विगु समास की परिभाषा ( dvigu samas ki paribhasha )

🔹 जिस सामासिक शब्द का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं । इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है ।

द्विगु समास के उदाहरण ( dvigu samas ke udaharan )

  • नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह 
  • दोपहर = दो पहरों का समाहार 
  • त्रिवेणी = तीन वेणियों का समूह 
  • पंचतन्त्र = पांच तंत्रों का समूह 
  • त्रिलोक = तीन लोकों का समाहार 
  • शताब्दी = सौ अब्दों का समूह 
  • पंसेरी = पांच सेरों का समूह 
  • सतसई = सात सौ पदों का समूह 
  • चौगुनी = चार गुनी 
  • त्रिभुज = तीन भुजाओं का समाहार 
  • चौमासा = चार मासों का समूह
  • नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह 
  • अठन्नी = आठ आनों का समूह 
  • सप्तऋषि = सात ऋषियों का समूह 
  • त्रिकोण = तीन कोणों का समाहार 
  • सप्ताह = सात दिनों का समूह 
  • तिरंगा = तीन रंगों का समूह 
  • चतुर्वेद = चार वेदों का समाहार

5. द्वंद समास ( dwand samas )

द्वन्द्व समास की परिभाषा ( dwand samas ki paribhasha )

🔹 जिस समास में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान हों अर्थात् अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व हो और उनके मध्य संयोजक शब्द का लोप हो तथा विग्रह करने पर ‘ और ‘ , ‘ अथवा ‘ , ‘ या ‘ , ‘ एवं ‘ लगता है तो द्वन्द्व समास कहलाता है ।

द्वन्द्व समास के उदाहरण ( dwand samas ke udaharan )

  • जलवायु = जल और वायु 
  • अपना – पराया = अपना या पराया 
  • पाप – पुण्य = पाप और पुण्य 
  • राधा – कृष्ण = राधा और कृष्ण 
  • अन्न – जल = अन्न और जल  
  • नर – नारी = नर और नारी 
  • गुण – दोष = गुण और दोष 
  • देश – विदेश = देश और विदेश 
  • अमीर – गरीब = अमीर और गरीब 
  • नदी – नाले = नदी और नाले
  • धन – दौलत = धन और दौलत
  • सुख – दुःख = सुख और दुःख 
  • आगे – पीछे = आगे और पीछे 
  • ऊँच – नीच = ऊँच और नीच 
  • आग- पानी = आग और पानी 
  • मार – पीट = मारपीट 
  • राजा – प्रजा = राजा और प्रजा 
  • ठंडा – गर्म = ठंडा या गर्म 
  • माता – पिता = माता और पिता 
  • दिन – रात = दिन और रात 
  • भाई – बहन = भाई और बहन 

6. बहुव्रीहि समास ( bahuvrihi samas )

बहुव्रीहि समास की परिभाषा ( bahuvrihi samas ki paribhasha )

🔹 जिस सामासिक शब्द के दोनों पद अप्रधान हों और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हों , उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं । 

🔹 जिस समास में दोनों पदों के माध्यम से एक विशेष ( तीसरे ) अर्थ का बोध होत है , बहुव्रीहि समास कहलाता है ।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण ( bahuvrihi samas ke udaharan )

  • गजानन = गज का आनन है जिसका ( गणेश )  
  • त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके ( शिव ) 
  • नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका ( शिव ) 
  • लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका ( गणेश ) 
  • दशानन = दश हैं आनन जिसके ( रावण ) 
  • चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला ( विष्णु ) 
  • पीताम्बर = पीले हैं वस्त्र जिसके ( कृष्ण ) 
  • चक्रधर = चक्र को धारण करने वाला ( विष्णु ) 
  • वीणापाणी = वीणा है जिसके हाथ में ( सरस्वती ) 
  • स्वेताम्बर = सफेद वस्त्रों वाली ( सरस्वती )
  • सुलोचना = सुंदर हैं लोचन जिसके ( मेघनाद की पत्नी ) 
  • दुरात्मा = बुरी आत्मा वाला ( दुष्ट ) 
  • घनश्याम = घन के समान है जो ( श्री कृष्ण ) 
  • मृत्युंजय = मृत्यु को जीतने वाला ( शिव ) 
  • निशाचर = निशा में विचरण करने वाला ( राक्षस ) 
  • गिरिधर = गिरी को धारण करने वाला ( कृष्ण ) 
  • पंकज = पंक में जो पैदा हुआ ( कमल ) 
  • त्रिलोचन = तीन है लोचन जिसके ( शिव ) 
  • विषधर = विष को धारण करने वाला ( सर्प )

संधि और समास में अन्तर 

🔹 संधि में दो वर्णों का मेल होता है जबकि समास में दो या दो से अधिक शब्दों की कमी न होकर उनके निकट आने के कारण पहले शब्द की अन्तिम ध्वनि और दूसरे शब्द की आरम्भिक ध्वनि में परिवर्तन आ जाता है , जैसे :- ‘ लम्बोदर ‘ में ‘ लम्बा ‘ शब्द की अन्तिम ध्वनि ‘ आ ‘ और ‘ उदर ‘ शब्द की आरम्भिक ध्वनि ‘ उ ‘ में ‘ आ ‘ व ‘ उ ‘ के मेल से ‘ ओ ‘ ध्वनि में परिवर्तन हो जाता है । 

🔹 किन्तु समास में ‘ लम्बोदर ‘ का अर्थ ‘ लम्बा है उदर जिसका ‘ शब्द समूह बनता है । अतः समास मूलतः शब्दों की संख्या कम करने की प्रक्रिया है । 

कर्मधारय और बहुब्रीहि समास में अन्तर 

🔹 कर्मधारय समास में दोनों पदों में विशेषण- विशेष्य तथा उपमान – उपमेय का संबंध होता है लेकिन बहुब्रीहि समास में दोनों पदों का अर्थ प्रधान न होकर अन्यार्थ ‘ प्रधान होता है । उदाहरण :-

  • कमलनयन- कमल के समान ( कर्मधारय )
  • कमल के समान है नयन जिसके अर्थात  ‘ विष्णु ‘ अन्यार्थ लिया गया है ( बहुब्रीहि समास ) 

बहुब्रीहि व द्विगु समास में अन्तर 

🔹 द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक होता है और समस्त पद समूह का बोध कराता है । लेकिन बहुब्रीहि समास में पहला पद संख्यावाचक होने पर भी समस्त पद से समूह का बोध न होकर अन्य अर्थ का बोध कराता है । उदाहरण :-

  • चौराहा अर्थात चार राहों का समूह ( द्विगु समास ) 
  • चतुर्भुज – चार हैं भुजाएँ जिसके ( विष्णु ) अन्यार्थ ( बहुब्रीहि समास )

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