आर्थिक और सामाजिक परिषद् : –
🔹 इस परिषद् में महासभा द्वारा निर्वाचित संयुक्त राष्ट्र के 54 सदस्य होंगे । ये 54 सदस्य महासभा की 1/2 बहुमत द्वारा चुने जाते हैं । इनमें से एक – तिहाई सदस्य हर तीन वर्ष बाद पद- मुक्त हो जायेंगे । पद- मुक्त होने वाला सदस्य पुनः निर्वाचित नहीं हो सकेगा ।
🔹 महासभा के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक , सामाजिक , शैक्षणिक और स्वास्थ्य व चिकित्सा सम्बन्धी जितने भी प्रकार्य संयुक्त राष्ट्र के हैं , उन सबका कार्यान्वयन करना परिषद् का उत्तरदायित्व है ।
महासचिव : –
🔹 महासचिव संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रतिनिधि होता है । वर्तमान महासचिव का नाम एंटोनियो गुटेरेस ( पुर्तगाल ) है ।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव : –
महासचिव | संबंधित देश | कार्यकाल |
---|---|---|
ट्राइग्व ली | नार्वे | 1946-1952 |
डेग हैमरशोल्ड | स्वीडन | 1953-1961 |
यू थांट | बर्मा ( म्यांमार ) | 1961-1971 |
कुर्त वाल्डहीम | ऑस्ट्रेलिया | 1972-1981 |
जेवियर पेरेज द कूइयार | पेरू | 1982-1991 |
बुतरस बुतरस घाली | मिस्त्र | 1992-1996 |
कोफी ए . अन्नान | घाना | 1997-2006 |
बान की मून | दक्षिण कोरिया | 2007-2016 |
ऐटोनियो गुटेरेस | पुर्तगाल | 2017 – वर्तमान |
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का योगदान : –
🔹 भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में अपना योगदान लगातार देता रहा है । चाहे वह शांति सुरक्षा का विषय हो , निःशस्त्रीकरण हो , दक्षिण कोरिया संकट हो , स्वेज नहर का मामला हो या इराक का कुवैत पर आक्रमण हो । इसके अतिरिक्त , मानवाधिकारों की रक्षा , उपनिवेशवाद व रंगभेद का विरोध तथा शैक्षणिक आर्थिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भारत की भूमिका बनी रहती है ।
🔹 भारत का योगदान संयुक्त राष्ट्र संघ में निम्न प्रकार से रहा है ।
- संघ की स्थापना और चार्टर – निर्माण में ,
- संघ की सदस्य संख्या बढ़ाने में ,
- संघ के विभिन्न अंगों के संचालन में ,
- संघ के शान्ति व सुरक्षा सम्बन्धी राजनीतिक कार्यों में
- कोरिया समस्या ,
- स्वेज नहर समस्या ,
- कांगो समस्या ,
- हंगरी समस्या
- इराक का कुवैत पर आक्रमण
- नि : शस्त्रीकरण हेतु किये गये प्रयासों में ,
- रंग – भेद के विरुद्ध संघर्ष में ,
- उपनिवेशवाद समाप्ति हेतु किये गये प्रयासों में ,
- मानव अधिकारों की रक्षा में ,
- आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने में ।
संयुक्त राष्ट्र संघ को एक ध्रुवीय विश्व में अधिक प्रासंगिक बनाने के उपाय : –
- शांति संस्थापक आयोग का गठन ।
- मानवाधिकार परिषद की स्थापना ।
- सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्य को प्राप्त करने पर सहमति ।
- एक लोकतंत्र कोष का गठन ।
- आतंकवाद के सभी रूपों की भर्त्सना ।
- न्यासिता परिषद की समाप्ति ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख एजेन्सियाँ : –
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO )
- संयुक्त राष्ट्र , शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO )
- संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( UNICEF )
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP )
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ( UNHRC )
- संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ( UNHCR )
- संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन ( UNCTAD )
❄️ आइए अब इन एजेन्सियो के बारे में विस्तार से अध्यन करते है ❄️
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO ) : –
UNESCO | United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization |
यूनेस्को | संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन |
गठन | 4 नवम्बर 1946 |
मुख्यालय | पेरिस ( फ्रांस ) |
महानिदेशक | ऑड्रे अजोले |
सदस्य देश | 193 |
🔹 संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक , वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को ) 4 नवंबर 1946 को स्थापित किया गया था । फ्रांस के पेरिस में अपने मुख्यालय के साथ , यूनेस्को संयुक्त राष्ट्र का एक विशेष निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा , प्राकृतिक विज्ञान , समाज तथा मानव विज्ञान संस्कृति तथा संचार को प्रोन्नत करना है । विगत अनेक वर्षों के मध्य , यूनेस्को द्वारा सदस्य देशों के मध्य साक्षरता के प्रसार , तकनीकी व शैक्षिक प्रशिक्षण तथा स्वतंत्र मीडिया आदि के प्रसार के लिए विशिष्ट कार्य किए गए हैं ।
यूनेस्को के उद्देश्य : –
- शिक्षा विज्ञान संस्कृति और संचार को बढ़ावा देना ।
- सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना ।
- परस्पद संवाद और शांति की संस्कृति को बढ़ावा देना ।
यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन एमर्जेन्सी फंड ( UNICEF ) : –
UNICEF | United Nations International Children’s Emergency Fund |
यूनिसेफ | यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन एमर्जेन्सी फंड |
गठन | 1946 |
मुख्यालय | न्यूयोर्क ( अमेरिका ) |
महानिदेशक | हेनरीटा फोर |
🔹 संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1946 में एक निकाय के रूप में की गई थी । इसका मुख्य कार्य बच्चों के लिए आपातकालीन निधि एकत्रित करना तथा संपूर्ण विषय में विश्व में उनके विकास के कार्यों में सहायता करना है ।
🔹 इसके अतिरिक्त , यूनिसेफ विश्व के समस्त भागों में बच्चों के स्वास्थ तथा उत्तम जीवन को सुनिश्चित करने वाले कार्यों में सहायता तथा प्रोत्साहन देता है । संयुक्त राज्य अमेरिका के न्ययोर्क में अपने मुख्यालय के साथ यूनिसेफ विश्व के लगभग सभी 193 देशों में सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है । 1953 में संगठन ने अपना नाम बदलकर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष कर लिया ।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ( यूनिसेफ ) के उद्देश्य : –
- बच्चों के लिए आपातकालीन निधि एकत्रित करना
- शैक्षिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करना
- विकासशील दुनिया में बाल जन्म दर को बढ़ाना
- शिक्षा के माध्यम से लैंगिक समानता को स्थापित करना
- हिंसा और दुरूपयोग से बच्चों का संरक्षण करना
- विभिन्न रोगों से शिशुओं का टीकाकरण करना
- बच्चों को पर्याप्त
- पोषण सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( W.H.O. )
W.H.O | World Health Organization |
डब्ल्यू.एच.ओ | विश्व स्वास्थ्य संगठन |
गठन | 7 अप्रैल 1948 |
मुख्यालय | जिनेवा ( स्विट्ज़रलैंड ) |
महानिदेशक | डॉक्टर टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस |
🔹 विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र का एक विशिष्ट अभिकरण है । इस संगठन की स्थापना 07 अप्रैल सन् 1948 को की गयी ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य : –
- सभी संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण ।
- जैव चिकित्सा अनुसंधान ।
- अन्य संगठनों के साथ सहयोग ।
- व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं का विकास ।
- महामारियो का उन्मूलन ।
- पारिवारिक स्वास्थ्य ।
- वर्तमान परिपेक्ष्य में कोविड -19 महामारी को रोकना , पता लगाना और वैश्विक टीकाकरण अभियान की निगरानी ।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( I.L.O ) : –
🔹 अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( आई.एल.ओ. ) संयुक्त राष्ट्र संघ का एक निकाय है जिसकी स्थापना से स्विटज़रलैंड के जिनेवा में अक्टूबर 1919 में की गई थी । इसका उद्देश्य सामाजिक न्याय की कुशल स्थितियों को प्रोन्नत करने तथा अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के लिए कार्य करना है । इसके अतिरिक्त महिलाओं तथा पुरुष श्रमिकों को उत्पादक कार्य में संलग्न करने के लिए प्रोत्साहन तथा कार्य स्थल पर उनके लिए सुरक्षा समता तथा स्वाभिमान की स्थिति बनाना भी इसी संगठन के कार्य हैं ।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ( I.L.O. ) के मुख्य कार्य : –
- सामाजिक न्याय की कुशल स्थितियों को बढ़ावा देना ।
- वैश्विक स्तर पर अंतराष्ट्रीय मानकों के माध्यम से श्रमिकों के लिए काम करना ।
- श्रमिकों के लिए सुरक्षा , समानता और सम्मानजनक स्थिति को बनाना ।
- रोजगार के अच्छे अवसर प्रोत्साहित करना ।
अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ व गैर सरकारी संगठन : –
🔹 संयुक्त राष्ट्र संघ के अतिरिक्त कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ एवं गैर सरकारी संगठन है जो निरन्तर अपने उद्देश्यों को पूर्ण करने में लगे है जैसे :-
अर्न्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF )
स्थापना | 1944 में रूपरेखा बनाई गई और 1945 में हस्ताक्षर किये गए |
मुख्यालय | वाशिंगटन डी सी |
सदस्य | 189 (वर्तमान में ) |
🔶 उद्देश्य :-
🔹 वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देख – रेख एवं वित्तीय तथा तकनीकी सहायता मुहैया कराना ।
विश्व बैंक ( WB )
स्थापना | 1945 |
सदस्य | 189 |
मुख्यालय | वाशिंगटन डी सी |
🔶 उद्देश्य :-
🔹 मानवीय विकास ( शिक्षा , स्वास्थ्य ) कृषि और ग्रामीण विकास , पर्यावरण सुरक्षा , आधारभूत ढाँचा तथा सुशासन के लिए काम करता है । यह बैंक अपने सदस्य देशों को आसान ऋण और अनुदान देता है ।
विश्व व्यापार संगठन ( WTO )
स्थापना | 1995 इससे पहले ( GATT (General Agreement on Tariffs and Trade ) हुआ करता था |
मुख्यालय | जिनेवा |
सदस्य | 164 |
🔶 उद्देशय :-
🔹 यह अंर्तराष्ट्रीय संगठन वैश्विक व्यापार के नियमों को तय करता है ।
अंतर्राष्ट्रीय आण्विक उर्जा एजेन्सी ( IAEA )
🔹 यह संगठन परमाणि वक उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करता है ।
एमनेस्टी इंटरनेशनल : –
स्थापना | 1961 |
मुख्यालय | लंदन |
🔶 उद्देश्य :-
🔹 ऐमेनेस्टी इण्टरनेशनल मानवाधिकारों की रक्षा करने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है । यह संगठन मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़ी रिपोर्ट तैयार और प्रकाशित करता है । उसकी ये रिपोर्ट मावाधिकारों से संबंधित अनुसंधान और तरफदारी में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
हयूमन राइटस वॉच : –
स्थापना | 1978 |
मुख्यालय | न्यूयॉर्क |
🔶 उद्देश्य :-
🔹 यह स्वयंसेवी संगठन भी मानवाधिकारों की वकालत और उनसे संबंधित अनुसंधान करने वाला एक अंर्तराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है ।
अन्तर्राष्ट्रीय रेड क्रास सोसायटी : –
🔹 यह सोसायटी युद्ध और आंतरिक हिंसा के सभी पीड़ितों की सहायता तथा सशस्त्र हिंसा पर रोक लगाने वाले नियमों को लागू करने का प्रयास करता है ।
ग्रीनपीस : –
🔹 1971 के स्थापित ग्रीन पीस फाउण्डेशन विश्व समुदाय को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु कानून बनाने के लिए दबाव डालने का कार्य करती है ।
सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवश्यकता महसूस क्यों हो रही है : –
🔹 निम्नलिखित कारणों से सुरक्षा परिषद में सुधारों की आवश्यकता महसूस हो रही : –
- सुरक्षा परिषद अब राजनैतिक वास्तविकताओं की नुमाइदंगी नहीं करती ।
- इसके फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों व हितों का प्रभाव दिखता है ।
- सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है ।
- इसके फैसलों पर चंद देशों का दबदबा है , विशेषकर उन देशों का जो संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में ज्यादा योगदान देते है ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रक्रिया व ढाँचे में सुधार के लिए सुझाये गये प्रस्ताव : –
- सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना ।
- वीटो पावर ( निषेधाधिकार ) की समाप्ति ।
- विकसित देशों के प्रभाव को समाप्त करना ।
- कार्यप्रणाली को ज्यादा लोकतांत्रिक बनाना ।
भारत के नागरिक के रूप में सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के पक्ष का समर्थन आप कैसे करेगें ? अपने प्रस्ताव का औचित्य सिद्ध करें ।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ।
- चीन के बाद भारत की जनसंख्या विश्व में सर्वाधिक है ।
- भारत शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्य रहा है ।
- भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन है । यहाँ के महान संतों , समाज सुधारकों ने सदैव विश्व कुटुम्ब , अहिंसा , शांति , भाई – चारा , पारस्परिक सहयोग का समर्थन किया है ।
- भारत का संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों , उद्देश्यों , कार्यक्रमों में पूरा विश्वास है और भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महामारियों , प्राकृतिक विपत्तियों के समय पूरा सहयोग दिया है ।
- भारत ने सदैव ही शीतयुद्ध और सैन्य गुटबंदी , युद्ध के लिए अणु – परमाणु अस्त्र – शस्त्रों के प्रयोग का विरोध किया है ।
अमेरीकी वर्चस्व का सामना करने में संयुक्त राष्ट्र के असफल होने के कारण : –
- अमेरिका सबसे बड़ा वित्तीय योगदान देने वाला देश ।
- UNO का मुख्यालय अमेरिका के भू क्षेत्र में स्थित है ।
- UNO में अधिकत्तर कर्मचारी अमेरिका के है ।
- कोई प्रस्ताव अपने या साथी राष्ट्रों के हितों के अनुकूल न होने पर अपने वीटो से रोक सकता है ।
🔹 उपरोक्त तथ्यों के बावजूद अमेरीका से वार्ता करने एवं उसपर दबाव बनाने के लिए UNO एक मंच के रूप में अवश्य उपलब्ध है ।
1991 से आए बदलाव ( शीत युद्ध के बाद ) : –
- सोवियत संघ बिखर गया ।
- अमरीका सबसे ज़्यादा ताकतवर है।
- सोवियत संघ के उत्तराधिकारी राज्य रूस और अमरीका के बीच अब संबंध कहीं ज्यादा सहयोगात्मक हैं ।
- चीन बड़ी तेजी से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है ; भारत भी तेजी से इस दिशा में अग्रसर है ।
- एशिया की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित दर से तरक्की कर रही है ।
- अनेक नए देश संयुक्त राष्ट्रसंघ में शामिल हुए हैं ( ये देश सोवियत संघ से आज़ाद हुए देश हैं अथवा पूर्वी यूरोप के भूतपूर्व साम्यवादी देश हैं ) ।
- विश्व के सामने चुनौतियों की एक पूरी नयी कड़ी ( जनसंहार , गृहयुद्ध , जातीय संघर्ष , आतंकवाद , परमाण्विक प्रसार , जलवायु में बदलाव , पर्यावरण की हानि , महामारी ) मौजूद है ।