खतरे के नए स्रोत : –
🔹 खतरों के कुछ नए स्रोत सामने आए हैं जिनके बारे में दुनिया काफी हद तक चिंतित है । इनमें आतंकवाद , मानवाधिकार , वैश्विक गरीबी , पलायन और स्वास्थ्य महामारी शामिल हैं ।
🔹 आतंकवाद राजनीतिक हिंसा को संदर्भित करता है जो नागरिकों को जानबूझकर और अंधाधुंध निशाना बनाता है ।
🔹 मानवाधिकार तीन प्रकार के होते हैं ।
- पहला राजनीतिक अधिकार है ,
- दूसरा आर्थिक और सामाजिक अधिकार है और
- तीसरा प्रकार उपनिवेशित लोगों का अधिकार है ।
🔹 एक अन्य प्रकार की असुरक्षा वैश्विक गरीबी है । अमीर राज्य अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब राज्य गरीब हो रहे हैं । दक्षिण में गरीबी ने भी उत्तर में बेहतर जीवन , विशेषकर बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर पलायन किया है ।
🔹 स्वास्थ्य महामारी जैसे HIV – AIDS , बर्ड फ्लू और गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम ( SARS ) प्रवासन के माध्यम से देशों में बढ़ रहे हैं ।
सहयोग मूलक सुरक्षा : –
🔹 सहयोग मूलक सुरक्षा की अवधारणा अपारम्परिक खतरों से निपटने के लिए सैन्य संघर्ष के बजाए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ तैयार करने पर बल देती हैं । यद्यपि अन्तिम उपाय के रूप में बल प्रयोग किया जा सकता है ।
🔹 सहयोग मूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ( संयुक्त राष्ट्र संघ , विश्व बैंक आदि ) , स्वयंसेवी संगठन ( रेडक्रास , एमनेस्टी इण्टरनेशनल आदि ) , व्यावसायिक संगठन व प्रसिद्ध हस्तियाँ ( जैसे नेल्सन मंडेला , मदर टेरेसा आदि ) शामिल हो सकती हैं ।
भारत की सुरक्षा रणनीति : –
🔹 भारतीय सुरक्षा रणनीति चार व्यापक घटकों पर निर्भर करती है।
🔸 सैन्य क्षमता को मजबूत करना :- सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना भारत की सुरक्षा रणनीति का पहला घटक है क्योंकि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संघर्षों में शामिल रहा है ।
🔸 अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करना :- भारत की सुरक्षा रणनीति का दूसरा घटक अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करना है ।
🔸 अंदरूनी सुरक्षा को मजबूत करना :- भारत की सुरक्षा रणनीति का तीसरा महत्वपूर्ण घटक देश के भीतर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है ।
🔸 आर्थिक विकास करना :- चौथा घटक अपनी अर्थव्यवस्था को इस तरह से विकसित करना है कि नागरिकों का विशाल जनसमूह गरीबी और दुख से बाहर निकल जाए ।
भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए – पारम्परिक या अपारम्परिक ?
🔹 भारतीय संदर्भ में दोनों ही खतरे समान रूप से गम्भीर हैं ।
- भारत को 1947-48 , 1965 , 1971 व 1999 में पाकिस्तान के हमले का सामना करना पड़ा जबकि 1962 में चीन ने भारत पर हमला किया ।
- कश्मीर व पूर्वोत्तर के राज्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती होने के कारण अति संवेदनशील हैं ।
- भारत अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं की मजबूती व वैश्विक सहयोग का पक्षधर है ।
- गरीबी , कुपोषण , महामारियाँ व आतंकवाद आदि से भारत जूझ रहा ।
आतंकवाद : –
🔹 आतंकवाद से तात्पर्य क्रूर हिंसा के व्यवस्थित प्रयोग से है जिससे समाज में भय का वातावरण बनता है । इसका उपयोग प्रमुखता से राजनीतिक पांथिक उद्देश्यों के अतिरिक्त कई अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है ।
🔹 आतंक का एक व्यवस्थित प्रयोग , प्रायः , हिंसक , विशेष रूप से दबाव के साधन के रूप में किया जाता है । हिंसात्मक कार्य जिनका उद्देश्य एक निश्चित पांथिक , राजनीतिक अथवा वैचारिक लक्ष्य के लिए भय ( आतंक ) उत्पन्न करना तथा विदित रूपेण नागरिकों की सुरक्षा को लक्षित करना तथा उनकी अवहेलना करना है ।
🔹 अवैधानिक हिंसा तथा युद्ध करना विश्व में एक भी राष्ट्र ऐसा नहीं है जो आतंकवाद से पीड़ित नहीं है । यद्यपि कुछ देशों ने आतंकवाद को अच्छे तथा बुरे आतंकवाद में विभाजित करने का प्रयास किया है परन्तु भारत ने इस भेद से सदैव और असहमति दिखाई है । भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद अच्छे या बुरे में विभाजित नहीं किया जा सकता या एक वैश्विक समस्या है तथा इसका प्रतिकार सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए ।