चीन : –
🔹 1949 की क्रांति के द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई । शुरू में यहाँ साम्यवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था । लेकिन इसके कारण चीन को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा
माओ के नेतृत्व में चीन का विकास : –
🔹 चीन ने समाजवादी मॉडल खड़ा करने के लिए विशाल औद्योगिक अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा । इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अपने सारे संसाधनों को उद्योग में लगा दिया ।
🔹 चीन अपने नागरिको को रोजगार , स्वास्थ्य सुविधा और सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ देने के मामले में विकसित देशों से भी आगे निकल गया लेकिन बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधा उत्पन्न कर रही थी ।
🔹 कृषि परम्परागत तरीकों पर आधारित होने के कारण वहाँ के उद्योगों की जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही थी ।
चीन में सुधारों की पहल : –
- चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया ।
- 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने कृषि , उद्योग , सेवा और विज्ञान – प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे ।
- 1978 में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुलेद्वार की नीति का घोषणा की ।
- 1982 में खेती का निजीकरण किया गया ।
- 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया । इसके साथ ही चीन में विशेष आर्थिक क्षेत्र ( स्पेशल इकॉनामिक जोन- SEZ ) स्थापित किए गए ।
- चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया । इस तरह दूसरे देशों के लिए अपनी अर्थव्यवस्था खोलने की दिशा में चीन ने एक कदम और बढ़ाया हैं ।
चीनी सुधारों का नकारात्मक पहलू : –
- वहाँ आर्थिक विकास का लाभ समाज के सभी सदस्यों को प्राप्त नहीं हुआ ।
- पूँजीवादी तरीकों को अपनाए जाने से बेरोजगारी बढ़ी है ।
- वहाँ महिलाओं के रोजगार और काम करने के हालात संतोषजनक नहीं है ।
- गाँव व शहर के और तटीय व मुख्य भूमि पर रहने वाले लोगों के बीच आय में अंतर बढ़ा है ।
- विकास की गतिविधियों ने पर्यावरण को काफी हानि पहुँचाई है ।
- चीन में प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार बढ़ा ।
भारत : –
- 21 वीं सदी में भारत को एक ‘ उदयीमान वैश्विक शक्ति ‘ के रूप में देखा जा रहा है ।
- एक बहुआयामी दृष्टिकोण से विश्व भारत की शक्ति तथा उसके उदय का अनुभव कर रहा है ।
- भारत की जनसंख्या लगभग 135 करोड़ है ।
- भारत की आर्थिक सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्थिति बहुत सुदृढ़ है ।
आर्थिक परिप्रेक्ष्य ( भारत ) : –
🔹 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य , एक विशाल प्रतिनिधि व्यापार केन्द्र तथा संपूर्ण विश्व में 200 मिलियन भारतीय प्रवासियों के साथ भारत की प्राचीन समावेशी संस्कृति भारत को 21 वीं शताब्दी में शक्ति के एक नए केन्द्र के रूप में एक विशिष्ट अर्थ तथा महत्व प्रदान करती है ।
सामरिक दृष्टिकोण ( भारत ) : –
🔹 भारत की सैन्य शक्ति , परमाणु तकनीक के साथ इसे आत्मनिर्भर बनाती है ।
विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी ( भारत ) : –
🔹 विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में ‘ मेक इन इंडिया ‘ योजना भारतीय अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बना सकती है । यहसभी परिवर्तन वर्तमान विश्व में भारत को शक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बनाते हैं ।
चीन के साथ भारत के संबंध : विवाद के क्षेत्र में : –
🔹 1950 में चीन द्वारा तिब्बत को हड़पने तथा भारत चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने के फैसले से दोनों देशों के संबंध एकदम बिगड़ गये ।
🔹 चीन ने 1962 में लद्दाख और अरूणचल प्रदेश पर अपने दावे को जबरन स्थापित करने के लिए भारत पर आक्रमण किया ।
🔹 चीन द्वारा पाकिस्तान को मदद देना ।
🔹 चीन भारत के परमाणु परीक्षणों का विरोध करता है ।
🔹 बांग्लादेश तथा म्यांमार से चीन के सैनिक संबंध को भारतीय हितो के खिलाफ माना जाता है ।
🔹 संयुक्त राष्ट्र संघ ने आतंकी संगठन जैश – ए – मुहम्मद पर प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को पेश किया । चीन द्वारा वीटो पावर का प्रयोग करने से यह प्रस्ताव निरस्त हो गया ।
🔹 भारत ने अजहर मसूद के आतंवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रस्ताव पेश किया , जिस पर चीन ने वीटो पावर का प्रयोग किया ।
🔹 चीन की महत्वाकांक्षी योजना Ones Belt One Road , जो कि POK से होती हुई गुजरेगी , उसे भारत को घेरने की रणनीति के तौर पर लिया जा रहा है ।
🔹 वर्ष 2017 में भूटान के भू – भाग , परन्तु भारत के लिए सामरिक रूप से अत्यन्त महत्वपूर्ण डोकलाम पर अधिपत्य के दावे को लेकर दोनों देशों के मध्य लंबा विवाद चला जिससे दोनों देशों के मध्य संबंध तनावपूर्ण हो गये । परंतु इस विवाद के समाधान के लिए भारत के धैयपूर्ण प्रयासों और भारत के रूख को वैश्विक स्तर पर सराहा गया ।
चीन के साथ भारत के संबंध : सहयोग का दौर ( क्षेत्र ) : –
🔹 1970 के दशक में चीनी नेतृत्व बदलने से अब वैचारिक मुद्दों की जगह व्यावहारिक मुद्दे प्रमुख हो रहे है ।
🔹 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा की जिसके बाद सीमा विवाद पर यथास्थिति बनाए रखने की पहल की गई ।
🔹 दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान – प्रदान , विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा पर चार पोस्ट खोलने हेतु समझौते किए गए है ।
🔹 1999 से द्विपक्षीय व्यापार 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है । विदेशों में ऊर्जा सौदा हासिल करने के मामलों में भी दोनों देश सहयोग द्व रा हल निकालने पर राजी हुए है ।
🔹 वैश्विक धरातल पर भारत और चीन ने विश्व व्यापार संगठन जैसे अन्य अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठनों के संबंध में एक जैसी नीतियाँ अपनायी है ।
इजराइल : –
🔹 विश्व मानचित्र में एक बिंदु के समकक्ष प्रतिबिंबित इजराइल , अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी , रक्षा तथा गुप्तचर मामलों में 21 वी शताब्दी के विश्व में एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उदित हुआ है ।
🔹 पश्चिम एशियाई देशों की ज्वलंत राजनीति के मध्य स्थित , इजराइल अपनी अदस्य क्षमता , रक्षा कौशल , तकनीकी नवाचार , औद्योगिकीकरण तथा कृषि विकास के कारण वैश्विक राजनीतिक क्षेत्र में नई ऊंचाईयों पर पहुंच गया है ।
🔹 प्रतिकूलता के विरूद्ध निरंतरता के सिद्धांत से मार्गदर्शक एक सूक्ष्म यहूदी – सियोनवादी राष्ट्र अर्थात इजरायल सामान्य रूप से समकालीन वैश्विक राजनीति में तथा विशिष्ट रूप में अरब प्रभुत्वशील पश्चिम एशियाई राजनीति में एक विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करता है ।
इजराइल सत्ता का नया केंद्र बनकर उभरने के कारण : –
- इजरायल की मजबूत अर्थव्यवस्था
- विज्ञान प्रौद्योगिकी में उन्नत तकनीक
- रक्षा तथा गुप्तचर मामलों में अग्रणीय
- तकनीकी क्षेत्र में नवाचार का उपयोग
- औद्योगिकीकरण तथा कृषि विकास में अग्रणी
जापान : –
🔹 जापान के पास प्राकृतिक संसाधन कम हैं और वह ज्यादातर कच्चे माल का आयात करता है । इसके बावजूद दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान ने बड़ी तेजी से प्रगति की ।
- जापान 1964 में आर्थिक सहयोग तथा विकास संगठन / ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इकॉनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट ( OECD ) का सदस्य बन गया ।
- 2017 में जापान की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है ।
- एशिया के देशों में अकेला जापान ही समूह – 7 ( G -7 ) के देशों में शामिल है ।
- आबादी के लिहाज से विश्व में जापान का स्थान ग्यारहवाँ है ।
- परमाणु बम की विभीषिका झेलने वाला एकमात्र देश जापान है ।
- जापान संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में 10 प्रतिशत का योगदान करता ।
- संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में अंशदान करने के लिहाज से जापान दूसरा सबसे बड़ा देश है ।
- 1951 से जापान का अमरीका के साथ सुरक्षा – गठबंधन है ।
- जापान के संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार ” राष्ट्र के संप्रभु अधिकार के रूप में युद्ध को तथा अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में बल प्रयोग अथवा धमकी से काम लेने के तरीके का जापान के लोग हमेशा के लिए त्याग करते हैं ।
- ” जापान का सैन्य व्यय उसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1 प्रतिशत है फिर भी सैन्य व्यय के लिहाज से विश्व में जापान का स्थान सातवां है ।
दक्षिण कोरिया : –
- कोरियाई प्रायद्वीप को द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में दक्षिण कोरिया ( रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया ) और उत्तरी कोरिया ( डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया ) में 38 वें समानांतर के साथ – साथ विभाजित किया गया था ।
- 1950-53 के दौरान कोरियाई युद्ध और शीत युद्ध काल की गतिशीलता ने दोनों पक्षों के बीच प्रतिद्वंदिता को तेज़ कर दिया ।
- अंतत : 17 सितंबर 1991 को दोनों कोरिया संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने । इसी बीच दक्षिण कोरिया एशिया में सत्ता के केंद्र के रूप में उभरा ।
- 1960 के दशक से 1980 के दशक के बीच इसका आर्थिक शक्ति के रूप में तेजी से विकास हुआ , जिसे “ हान नदी पर चमत्कार “ कहा जाता है ।
- अपने सर्वांगीण विकास को संकेतित करते हुए , दक्षिण कोरिया 1996 में ओईसीडी का सदस्य बन गया ।
- 2017 में इसकी अर्थव्यवस्था दुनिया में ग्यारहवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सैन्य खर्च में इसका दसवां स्थान है ।
- मानव विकास रिपोर्ट 2016 के अनुसार दक्षिण कोरिया का एचडीआई रैंक 18 है ।
- इसके उच्च मानव विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारकों में ” सफल भूमि सुधार , ग्रामीण विकास , व्यापक मानव संसाधन विकास , तीव्र न्यायसंगत आर्थिक वृद्धि “ शामिल है ।
- अन्य कारकों में निर्यात उन्मुखीकरण , मज़बूत पुनर्वितरण नीतियाँ , सार्वजनिक अवसंरचना विकास , प्रभावी संस्थाएँ और शासन हैं ।
- सैमसंग , एलजी और हुंडई जैसे दक्षिण कोरियाई ब्रांड भारत में प्रसिद्ध हो गए हैं ।
- भारत और दक्षिण कोरिया के बीच कई समझौते उनके बढ़ते वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाते हैं ।